Wednesday, May 31, 2023

वीरता की गाथा बच्चों को घरों और स्कूलों में सुनाई/पढ़ाई जानी चाहिए

 छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर सुपुत्र शंभाजी राजे जैसे शूरवीरों की वीरता की गाथा बच्चों को घरों और स्कूलों में सुनाई/पढ़ाई जानी चाहिए। तो हर घर से वीर शंभाजी, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज , महारानी लक्ष्मीबाई जैसे सपूत जन्मेंगे...


31  May 2023

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🚩शंभाजी राजे ने अपनी अल्पायु में जो अलौकिक कार्य किए, उससे पूरा हिन्दुस्तान प्रभावित हुआ। इसलिए प्रत्येक हिन्दू को उनके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। उन्होंने साहस एवं निडरता के साथ औरंगजेब के आठ लाख सैनिकों का सामना किया तथा अधिकांश मुगल सरदारों को युद्ध में पराजित कर उन्हें भागने के लिए विवश कर दिया।


🚩24 से 32 वर्ष की आयु तक शंभुराजे ने मुगलों की पाशविक शक्ति से लड़ाइयाँ लड़ीं एवं एक बार भी यह योद्धा पराजित नहीं हुआ। जदपि औरंगजेब दीर्घकाल तक महाराष्ट्र में युद्धरत रहा तदापि उसके दबाव से संपूर्ण उत्तर भारत मुक्त रहा। इसे शंभाजी महाराज का सबसे बडा कार्य कहना पड़ेगा...


🚩यदि उन्होंने औरंगजेब के साथ समझौता किया होता अथवा उसका आधिपत्य स्वीकारा होता तो वह दो-तीन वर्षों में ही पुन: उत्तर भारत में आ धमकता । परंतु शंभाजी राजे के संघर्ष के कारण औरंगजेब को 27 वर्ष दक्षिण भारत में ही रुकना पड़ा । इससे उत्तर में बुंदेलखंड, पंजाब और राजस्थान में हिन्दुओं की नई सत्ताएं स्थापित होकर हिन्दू समाज को सुरक्षा मिली।


🚩कुछ कुत्सित मानसिकता से ग्रस्त लोग वीर शिवाजी के पुत्र वीर शम्भाजी को अयोग्य आदि की संज्ञा देकर  बदनाम करते हैं। जबकि सत्य ये है कि अगर वीर शम्भाजी कायर होते तो वे औरंगजेब की दासता स्वीकार कर इस्लाम ग्रहण कर लेते। वह न केवल अपने प्राणों की रक्षा कर लेते अपितु अपने राज्य को भी बचा लेते।



🚩वीर शम्भाजी का जन्म 14 मई 1657 को हुआ था। आप वीर शिवाजी के साथ अल्पायु में औरंगजेब की कैद में आगरे के किले में बंद भी रहे थे। आपने 11 मार्च 1689 को वीरगति प्राप्त की थी। इस लेख के माध्यम से हम शम्भाजी के जीवन बलिदान की घटना से धर्मरक्षा की प्रेरणा ले सकते हैं। इतिहास में ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते हैं।


🚩जब औरंगजेब के जासूसों ने सूचना दी कि शम्भाजी इस समय अपने पांच-दस सैनिकों के साथ वारद्वारी से रायगढ़ की ओर जा रहे हैं। बीजापुर और गोलकुंडा की विजय में औरंगजेब को शेख निजाम के नाम से एक सरदार भी मिला जिसे उसने मुकर्रब की उपाधि से नवाजा था। मुकर्रब अत्यंत क्रूर और मतान्ध था। शम्भाजी के विषय में सूचना मिलते ही उसकी बांहे खिल उठी। वह दौड़ पड़ा रायगढ़ की ओर। शम्भाजी अपने मित्र कवि कलश के साथ इस समय संगमेश्वर पहुँच चुके थे। वह एक बाड़ी में बैठे थे कि उन्होंने देखा कवि कलश भागे चले आ रहे है और उनके हाथ से रक्त बह रहा है। कलश ने शम्भाजी से कुछ भी नहीं कहा बल्कि उनका हाथ पकड़कर उन्हें खींचते हुए बाड़ी के तलघर में ले गए परन्तु उन्हें तलघर में घुसते हुए मुकर्रब खान के पुत्र ने देख लिया था। शीघ्र ही मराठा रणबांकुरों को बंदी बना लिया गया। शम्भाजी व कवि कलश को लोहे की जंजीरों में जकड़ कर मुकर्रब खान के सामने लाया गया। वह उन्हें देखकर खुशी से नाच उठा। दोनों वीरों को बोरों के समान हाथी पर लादकर मुस्लिम सेना बादशाह औरंगजेब की छावनी की ओर चल पड़ी।


🚩औरंगजेब को जब यह समाचार मिला तो वह ख़ुशी से झूम उठा। उसने चार मील की दूरी पर उन शाही कैदियों को रुकवाया। वहां शम्भाजी और कवि कलश को रंग बिरंगे कपडे और विदूषकों जैसी घुंघरूदार लम्बी टोपी पहनाई गयी। फिर उन्हें ऊंट पर बैठा कर गाजे बाजे के साथ औरंगजेब की छावनी पर लाया गया। औरंगजेब ने बड़े ही अपशब्दों में उनका स्वागत किया। शम्भाजी के नेत्रों से अग्नि निकल रही थी परन्तु वह शांत रहे। उन्हें बंदीगृह भेज दिया गया। औरंगजेब ने शम्भाजी का वध करने से पहले उन्हें इस्लाम कबूल करने का न्योता देने के लिए रूहल्ला खान को भेजा।


🚩नर केसरी लोहे के सींखचों में बंद था। कल तक जो मराठों का सम्राट था। आज उसकी दशा देखकर करुणा को भी दया आ जाये। फटे हुए चिथड़ों में लिपटा हुआ उनका शरीर मिट्टी में पड़े हुए स्वर्ण के समान दैदिप्यमान हो रहा था ।

ऐसा प्रतीत हुआ मानो , उन्हें दिव्य रूप में खड़े हुए छत्रपति शिवाजी महाराज टकटकी बांधे हुए देख रहे थे।

पिताजी !... पिताजी !  वे सहसा चिल्ला उठे- मैं आपका पुत्र हूँ। निश्चिंत रहिए। मैं मर जाऊँगा लेकिन…


🚩लेकिन क्या शम्भा जी …रूहल्ला खान ने एक ओर से प्रकट होते हुए कहा-

तुम मरने से बच सकते हो शम्भाजी परन्तु एक शर्त पर।


🚩शम्भाजी ने उत्तर दिया- मैं उन शर्तों को सुनना ही नहीं चाहता। शिवाजी का पुत्र मरने से कब डरता है।


🚩लेकिन जिस प्रकार तुम्हारी मौत यहाँ होगी उसे देखकर तो खुद मौत भी थर्रा उठेगी शम्भाजी- रुहल्ला खान ने कहा।

🚩कोई चिंता नहीं, उस जैसी मौत भी हम हिन्दुओं को नहीं डरा सकती। संभव है कि तुम जैसे कायर ही उससे डर जाते होगे । – शम्भाजी ने उच्च स्वर में उत्तर दिया।


🚩लेकिन… रुहल्ला खान बोला, वह शर्त है बड़ी मामूली। तुझे बस इस्लाम कबूल करना है। तेरी जान बक्श दी जाएगी। शम्भाजी बोले- बस रुहल्ला खान आगे एक भी शब्द मत निकालना मलेच्छ। रुहल्ला खान अट्टहास लगाते हुए वहाँ से चला गया।


🚩उस रात लोहे की तपती हुई सलाखों से शम्भाजी की दोनों आँखे फोड़ दी गयी उन्हें खाना और पानी भी देना बंद कर दिया गया।

आखिर 11 मार्च को वीर शम्भा जी के बलिदान का दिन आ गय। सबसे पहले शम्भाजी का एक हाथ काटा गया, फिर दूसरा, फिर एक पैर को काटा गया और फिर दूसरा पैर। शम्भाजी का करपाद विहीन धड़ दिन भर खून की तलैय्या में तैरता रहा। फिर सांयकाल में उनका सर काट दिया गया और उनका शरीर कुत्तों के आगे डाल दिया गया। फिर भाले पर उनके सिर को टांगकर सेना के सामने उसे घुमाया गया और बाद में कचरे में फेंका गया।


🚩मराठों ने अपनी छातियों पर पत्थर रखकर अपने सम्राट के शौर्यशाली मस्तक का इंद्रायणी और भीमा के संगम पर तुलापुर में दाह-संस्कार किया। आज भी उस स्थान पर शम्भाजी की समाधि है , जो पुकार पुकार कर वीर शम्भाजी की याद दिलाती है कि हम सर कटा सकते हैं पर अपना प्यारा वैदिक धर्म कभी नहीं छोड़ सकते ।


🚩मित्रों, शिवाजी के तेजस्वी पुत्र शंभाजी के अमर बलिदान की यह गाथा हिन्दू माताएं अपनी लोरियों में बच्चों को सुनायें तो हर घर से महाराणा प्रताप और शिवाजी जैसे महान वीर जन्मेंगे। इतिहास के इन महान वीरों के बलिदान के कारण ही आज हम गर्व से अपने आपको श्री राम और श्री कृष्ण की संतान कहने को सज्ज हैं। आइए, आज हम प्रण लें- हम उन्हीं वीरों के पथ के अनुगामी बनेंगे।


🚩शायर योगेश के शब्दों में …


🚩‘देश धरम पर मिटनेवाला शेर शिवा का छावा था ।

महापराक्रमी परम प्रतापी एक ही शंभू राजा था ।।१।।


🚩तेजपुंज तेजस्वी आंखें निकल गईं पर झुका नहीं।

दृष्टि गई पर राष्ट्रोन्नति का दिव्य स्वप्न तो मिटा नहीं।।२।।


🚩दोनों पैर कटे शंभू के ध्येय मार्गसे हटा नहीं।

हाथ कटे तो क्या हुआ सत्कर्म कभी भी छुटा नहीं।।३।।


🚩जिह्वा काटी रक्त बहाया धरम का सौदा किया नहीं।।

शिवाजी का ही बेटा था वह गलत राहपर चला नहीं।।४।।


🚩रामकृष्ण, शालिवाहन के पथ से विचलित हुआ नहीं।।

गर्व से हिन्दू कहलाने में वह कभी किसी से डरा नहीं।।


🚩वर्ष तीन सौ बीत गए अब शंभू के बलिदान को ।

कौन जीता कौन हारा पूछ लो संसार को।।५।।


🚩कोटि-कोटि कंठों में तेरा आज गौरवगान है।

अमर शंभू तू अमर हो गया तेरी जय जयकार है।।६।।


🚩भारतभूमि के चरणकमल पर जीवन पुष्प चढाया था।

है दूजा दुनिया में कोई, जैसा शंभू राया था ।।७।।’


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Tuesday, May 30, 2023

भारत के अलावा पूरे विश्व में ऐसा देश नहीं जहाँ बहुसंख्यक समुदाय की अवहेलना कर अल्पसंख्यक समुदाय को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जाता हो

 उत्तर कोरिया में 70,000 इसाई , जेलों में तरह-तरह की प्रताड़ना झेलने को मजबूर...

चीन में 10 लाख मुस्लिम देश विरोधी गतिविधियों के चलते जेलों में ठूँस दिए गए...


भारत के अलावा पूरे विश्व में दूसरा कोई भी देश ऐसा नहीं है , जहाँ बहुसंख्यक समुदाय की अवहेलना कर के अल्पसंख्यक समुदाय को सरकारी सुविधाओं का लाभ दिया जाता हो। जबकि यहाँ तो आए दिन हिन्दुओं को अपने मौलिक अधिकारों के लिए भी संघर्ष करने पड़ते हैं ।


30  May 2023

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🚩भारत देश हिन्दू बाहुल्य देश है , फिर भी यहाँ अन्य मजहबों व पंथों के लोगों को हिन्दुओं की अपेक्षाकृत सरकारी योजनाओं का लाभ प्राथमिकता पर मिलता है। यहां तक कि ये इसाई मिशनरीज भारत में हिन्दुओं का धर्मांतरण करते हैं , फिर भी उनपर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं होती है । इतना ही नहीं किसी दोषी अल्पसंख्यक को यदि कोई थप्पड़ भी मार दे , तो मीडिया, तथाकथित समाज सेवक , सेक्युलर बुद्धिजीवी , वामपंथी आदि शोर मचाना शुरू कर देते हैं ।


🚩लेकिन चीन में 10 लाख मुस्लिमों को जेल में रखकर प्रताड़ित किया जा रहा है। उत्तर कोरिया में भी 70,000 इसाई समुदाय के लोगों को जेल में रखा गया है , फिर भी उसपर चूं तक करने की हिम्मत किसी की भी नहीं होती है।



🚩भारतीय सनातन संस्कृति महान है और विधर्मी किसी भी कीमत पर इसे नष्ट-भ्रष्ट करके भारत को गुलाम बनाना चाहते हैं । हिन्दू स्वभाव से ही सहिष्णु होते हैं, इसलिए उसका फायदा उठाकर भारतीयों की संस्कृति के प्रति आस्था व विश्वास को तोड़ने के लिए राष्ट्र विरोधी ताकतें भारत में कार्यरत हैं।


🚩एक अंतरराष्ट्रीय जाँच रिपोर्ट में सामने आया है, कि उत्तर कोरिया में इसाइयों पर अत्याचार हो रहा है। एक बच्चे को सिर्फ इसलिए आजीवन कारावास की सज़ा दे दी गई, क्योंकि उसके माता-पिता के पास बाइबिल मिली थी। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के ‘इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम रिपोर्ट’ में ये तथ्य सामने आए हैं।

इसी क्रम में एक 2 साल के बच्चे को परिवार सहित जेल में ठूँस दिया गया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार... उत्तर कोरिया में इसाई मजहब का अनुसरण करने वालों को ( धर्मांतरित होने वालों को ) मार डालते हैं।


🚩गौरतलब है कि वहाँ इसाई मजहब का अनुसरण करने वालों को एक विशेष प्रकार का ‘Pigeon Torture’ की सज़ा दी जा रही है। इसके तहत उनके दोनों हाथों को ऊपर उनकी पीठ की तरफ कर के बाँध दिया जाता है और कई दिनों तक उन्हें खड़ा रखा जाता है। एक पीड़ित ने बताया , कि ये सब इतना दर्दनाक था , कि उसे मौत को गले लगाना इससे बेहतर लगा। 2020 में एक महिला को तो जेल में सोने ही नहीं दिया गया । अंततः उसे आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ा।


🚩उत्तर कोरिया में इसाइयों की जनसंख्या 4 लाख बताई जा रही है, जिनमें से 70,000 को अब तक जेल में बंद किया जा चुका है। इसाइयों को अपने बच्चों से भी अपना मजहब छुपाना पड़ रहा है। ‘Open Door USA (ODUSA)’ नामक NGO ने कहा कि देश में इसाई सुरक्षित नहीं हैं । ‘कोरिया फ्यूचर’ नामक संस्था ने कहा , कि बच्चों को स्कूलों में इसाई मिशनरियों की करतूतों के बारे में पढ़ाया जाता है । जैसे – बलात्कार, खून पीना, मानव अंगों की तस्करी, हत्या और जासूसी आदि ।


🚩पुस्तकों के जरिए बच्चों को बताया जा रहा है , कि कैसे पादरी चर्च के एक गुप्त हिस्से में ले जाकर बच्चों का खून निकाल लेते हैं। ऐसा सब इसलिए हो रहा है कि , इसाइयों को किम जोंग उन की सत्ता के लिए खतरे के रूप में देखा जा रहा है। चर्च के पास से गुजरने वालों को भी नहीं छोड़ा जाता है। चर्च का संगीत सुनने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। चर्च में केवल बुजुर्ग ही दिखते हैं। इसाई संस्थाओं का कहना है कि इस मजहब के लोग उत्तर कोरिया में खतरे में हैं और खत्म हो सकते हैं। बता दें , कि नॉर्थ कोरिया मुख्यतः नास्तिक देश है।


🚩विश्व में भारत के सिवाय ऐसा कोई देश नहीं है , जो बहुसंख्यक समुदाय को छोड़कर अल्पसंख्यक समुदाय को सरकारी सुविधा का लाभ पहले देता हो ।


🚩विड़बना यह है , कि भारत में तो आए दिन हिन्दू अपने ही मूलभूत अधिकारों के लिए संघर्ष करता हुआ दिख जाता है। कभी वह मंदिरों को सरकार के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ता है । तो कभी वह अपनी बेटियों को लव या यूँ कहें कि ग्रूमिंग जिहाद से बचाने के लिए संघर्ष करता हुआ नज़र आता है।

कभी वह कश्मीर से भगा दिया जाता है, कभी बंगाल से, तो कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वह मारा जाता है। वह छोटी-छोटी बातों के लिए सरकार का मुंह ताकता है और फिर उसे ही भगवा आतंकी और असहिष्णु दोनों साबित कर दिया जाता है।


🚩 बहुसंख्यक समुदाय के मन की बात...

भारत में हिन्दुओं को ज्यादा ना सही पर कम से कम सभी धर्मावलम्बियों के समान अधिकार तो मिलें ऐसा कानून तो ज़रूर और जल्द से जल्द आना चाहिए ।


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Monday, May 29, 2023

गंगा दशहरा का महत्व क्या है और क्यों मनाया जाता हैं ? जानिए

29  May 2023

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🚩गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :

संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।

‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं। आप जीवनरूपा हैं। आप आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।’


🚩भारतीयों के लिये गंगा केवल जलस्त्रोत नहीं ब्लिक इससे बढ़कर है। गंगाजल को बहुत पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग सभी हिंदू अनुष्ठानों के लिए करते हैं। गंगा नदी पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से भारतीयों के लिए बहुत अधिक मूल्य रखती है।



🚩क्यूँ मनाया जाता है गंगा दशहरा... 


🚩देवी गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए ऋषि भागीरथ को ध्यान में कई साल लग गए। यह वह दिन है जिस दिन गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र में उतरी थी। इसलिए इस त्योहार को गंगा दशहरा के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है गंगा का अवतरण।


🚩गंगा दशहरा कब आता है


🚩यह त्यौहार अमावस्या से शुरू होता और दस दिनों के लिए मनाया जाता है यानि शुक्ल दशमी पर समाप्त होता है। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मई या जून के महीने से मेल खाता है। गंगा जिसे स्वर्ग से उतरने वाली आकाशीय नदी के रूप में माना जाता है, भारत में सबसे पवित्र नदी है और गंगा में एक पवित्र डुबकी सभी प्रकार के पापों को मिटा सकती है। यह त्यौहार बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है।


🚩गंगा दशहरा का महत्व -


🚩गंगा दशहरा के महत्व की गाथा अनंत है। ऐसा कहा जाता है कि गंगा में एक डुबकी का बाद, आपका मन स्पष्ट और शांत हो जाता है। और आजकल की तेज रफ्तार जीवन में यह आवश्यक हो चुका है।  अधिकांश तीर्थयात्री हमेशा इस भावना को घर वापस ले जाते हैं। हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा भारतीय के लिए एक विशेष स्थान रखती है। गंगा को भारत में सबसे पवित्र नदी माना जाता है। इस नदी की पूजा इस विश्वास के साथ की जाती है कि देवी गंगा मानव जाति के सभी पापों को धो सकती हैं। दशहरा नाम दश से आता है जिसका अर्थ है दस और हारा जो हार को जीतता है।


🚩इस प्रकार, यह माना जाता है इस दिन गंगा में स्नान, अन्न-वस्त्रादि का दान, जप-तप-उपासना और उपवास किया जाय तो 10 प्रकार के पाप (3 प्रकार के कायिक, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक) से मुक्ति मिलती हैं।


🚩गंगा नदी उत्तर भारत की केवल जीवनरेखा नहीं, अपितु हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ है। ‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्तान की राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। इस कलियुग में श्रद्धालुओं के पाप-ताप नष्ट हों, इसलिए ईश्वर ने उन्हें इस धरा पर भेजा है। वे प्रकृति का बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं। उनके प्रति हिंदुओं की आस्था गौरीशंकर की भांति सर्वोच्च है। गंगाजी मोक्षदायिनी हैं इसीलिए उन्हें गौरवान्वित करते हुए पद्मपुराण में (खण्ड ५, अध्याय ६०, श्लोक ३९) कहा गया है, ‘सहज उपलब्ध एवं मोक्षदायिनी गंगाजी के रहते विपुल धनराशि व्यय (खर्च) करनेवाले यज्ञ एवं कठिन तपस्या का क्या लाभ ?’ नारदपुराण में तो कहा गया है, ‘अष्टांग योग, तप एवं यज्ञ, इन सबकी अपेक्षा गंगाजी का निवास उत्तम है । गंगाजी भारत की पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ केंद्र बिंदु हैं, उनकी महिमा अवर्णनीय है।’


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Sunday, May 28, 2023

पाकिस्तान में 14000 हिन्दू लड़कियों का अपहरण, आत्महत्या को मजबूर हुए हिन्दू....

28  May 2023

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🚩पाकिस्तान वहाँ के हिंदुओं के लिए नर्क से कम नहीं है। हिंदू समुदाय की लड़कियों का अपहरण और उनका इस्लाम में धर्मांतरण रोजमर्रा की बात हो गई है। इससे तंग आकर हिंदू समुदाय के लोग किसी कीमत पर पाकिस्तान छोड़ना चाहते हैं। हालाँकि, भारत का वीजा नहीं मिलने के कारण हिंदू समुदाय के कई लोगों द्वारा आत्महत्या कर ली गई।


🚩सिंध में गड़िया लुहार सहायता कमेटी के चेयरमैन मांजी लुहार उर्फ काका का कहना है कि पिछले छह माह में उनके चार परिचित हिंदुओं ने आत्महत्या कर ली। ये लोग भारत आना चाह रहे थे, लेकिन उन्हें वीजा नहीं दिया जा रहा हथा। पाकिस्तान में ऐसे सैकड़ों हिंदू परिवार हैं, जिन्हें भारत आने का वीजा नहीं मिल रहा और पाकिस्तान में उनके परिवार की अस्मत खतरे में पड़ गई है।



🚩भास्कर की खबर के मुताबिक, सिंध स्थित मीरपुर खास के मोहन भारत के जैसलमेर आना चाहते थे, लेकिन तीन साल से उन्हें वीजा नहीं मिल रहा है। इससे तंग आकर उन्होंने जहर खा लिया। ऐसे ही कच्छभूरी की एक हिंदू बुजुर्ग महिला ने फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली।


🚩पाकिस्तान से विस्थापित होकर राजस्थान के जयपुर में रह रहे गणेश रीको में कपड़ों की कटिंग करने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके मौसा पाकिस्तान के रहीमयार खान में मजदूरी करते हैं। उनकी 6 बेटियाँ हैं। उनमें से तीन बेटियों का कट्टरपंथी मुस्लिमों ने जबरन इस्लाम में धर्मांतरित कर दिया, जबकि एक की हत्या कर दी। गणेश 10 साल पहले मौका पाकर भारत आ गए।



🚩पाकिस्तान के ही कोटगुलाम में रहने वाले विष्णुराम की बेटी 9वीं में पढ़ती थी। इलाके के कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम उसे उठा ले गए। पिता के बहुत भागदौड़ करने के बाद भी उनकी बेटी नहीं मिली। ऐसे कई लोग हैं, जिनकी बहन-बेटियों को कट्टरपंथियों द्वारा जबरन उठा लिया गया। ये आवाज तो उठाते हैं, लेकिन पुलिस से लेकर न्यायपालिका तक में उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता।


🚩कुछ ऐसी ही कहानी राव परिवार की है। मीरपुर खास के रहने वाला राव परिवार तीन माह पहले ही पाकिस्तान से मारवाड़ पहुँचा है। राव परिवार का कहना है कि उनकी बहन का भी जबरन धर्म परिवर्तन कर दिया गया। इससे परिवार इतना डर गया कि अपना सब कुछ छोड़कर भारत आ गया।


🚩राव परिवार के लोगों का कहना है कि उनकी बहन अब किस हालत में है, यह उन्हें या उनके परिवार के किसी को पता नहीं है। सामाजिक कार्यकर्ता रोशन भील कहते हैं कि ऐसा हर परिवार अतीत भूलना चाहता है, पर ऐसा होता नहीं है। पाकिस्तान में पिछले 12 सालों में 14,000 हिंदू लड़कियों का अपहरण, जबरन धर्मांतरण और गैंगरेप की घटनाएँ सामने आई हैं।


🚩पाकिस्तानी कट्टरपंथियों के अत्याचारों से परेशान वहाँ के हिंदुओं ने भारत सरकार से शरण देने की अपील की है। उन्होंने भारत आने वाले हिंदू परिवारों को वीसा उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। इसके साथ ही जो परिवार भारत में हैं, उन्हें पाकिस्तान नहीं भेजने की भी अपील की है।


🚩बताते चलें कि पाकिस्तान से भारत आने वाले इन हिंदुओं की समस्याएँ कम नहीं हुई हैं। जैसलमेर की कलेक्टर टीना डाबी के आदेश पर 16 मई 2023 को प्रशासन ने पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों के घरों को गिरा दिया। इसकी हर तरफ आलोचना तीखी आलोचना हुई। इसके बाद टीना डाबी ने इन विस्थापितों के पुनर्वास के लिए 40 बीघा जमीन आवंटित किया।


🚩मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 प्रतिशत हिंदू देश छोड़ चुके हैं। धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं। 95 प्रतिशत हिंदू मंदिर नष्ट कर दिए गए हैं। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं। हिंदुओं की नाबालिग लड़कियों को जबरदस्ती उठाकर शादी कर लेते हैं और उनका धर्म परिवर्तन करवा देते हैं।

 

🚩पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं। हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं। यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है, श्मशान घाट तक नहीं है, हिन्दुओं की हत्याएं की जाती हैं। हिन्दुओं पर इतना अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नहीं है।


🚩भारत में किसी एक मुस्लिम को थप्पड़ भी मार दिया जाए तो तथाकथित बुद्धिजीवी, सेक्युलर, मानव संगठन, मीडिया हल्ला करने लगते हैं और साथ में सरकार व न्यायालय तुरंत कार्यवाही करते हैं, पर बड़ी विडंबना है कि पाकिस्तान में लाखों हिन्दू भयंकर अत्याचार से गुजर रहे हैं, पर किसी के पेट का पानी तक नहीं हिल रहा है।


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Friday, May 26, 2023

UP में 4000 मदरसों को मिल रहे विदेशी फंड

 कट्टरपंथ का पोषण कर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले 4000 मदरसों को , बांग्लादेश से लेकर अरब के कई देश तक कर रहे हैं फंडिंग...

चौंकाने वाला तथ्य यह है , कि ये आंकड़े पूरे भारत के नहीं सिर्फ उत्तर प्रदेश के मदरसों के हैं , जो विदेशी फंडिंग से संचालित होते हैं।


26  May 2023

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🚩देश को बाहरी आतंकवादियों से इतना खतरा नही जितना इन कट्टरपंथियों से है ।  विदेशी फंड से जितने भी मदरसे और मस्जिदें चल रहे हैं उसमें कट्टरपंथ की शिक्षा दी जाती है ।



🚩उत्तर प्रदेश के 4000 मदरसों को विदेशी फंडिंग मिलने की बात सामने आई है। बता दें कि नवंबर 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने मदरसों का सर्वेक्षण कराया था, जिसमें 8441 मदरसे अवैध मिले थे। अब परीक्षाएँ खत्म हो गई हैं, ऐसे में राज्य का अल्पसंख्यक विभाग कार्रवाई करने में जुट गया है। अधिकतर मदरसा संचालकों ने जकात ( यानी मुस्लिमों द्वारा दिया जाने वाला दान ) को ही अपनी आय का प्रमुख स्रोत बताया था।



🚩अब शुरुआती जाँच में सामने आया है कि नेपाल और बांग्लादेश के अलावा अरब के मुल्कों से भी फंडिंग आ रही है।

" गरीब मुस्लिमों को मुख्य धारा से जोड़ने की बात करते हुए अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि मौलवी बनने से उनका भला नहीं होगा । उन्हें NCERT की किताबें पढ़नी पड़ेगी । उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिमों के बच्चे भी अधिकारी बनेंगे । "


🚩बता दें कि पिछले साल 10 सितंबर से लेकर 15 नवंबर तक मदरसों का सर्वे हुआ था, जिसे 30 नवंबर तक बढ़ा दिया गया था। 2017 से मदरसों को मान्यता देनी भी बंद कर दी गई है ।

इसका कारण है , उनका मानकों पर खड़ा न उतरना...



🚩यूपी में वर्तमान समय में 15,613 मदरसे संचालित हैं। जिनमें से कइयों का कहना है , कि कागज देने के बावजूद मान्यता न मिलने के कारण वो दीनी तालीम देने के लिए मदरसे चला रहे हैं। खासकर सीमावर्ती जिलों के मदरसों में फंडिंग में यह गड़बड़ी हो रही है।


🚩ये जिले हैं – महाराजगंज, पीलीभीत, लखीमपुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर और सिद्धार्थनगर। इन मदरसों के पास आय के स्रोत को लेकर कोई स्पष्ट कागज़ात नहीं हैं । मदरसों को कह दिया गया है , कि भले ही वो उर्दू में पढ़ाएँ, लेकिन NCERT पढ़ाना ही पड़ेगा। अब ऐसे मदरसों पर क़ानूनी शिकंजा कसा जाएगा ।


🚩सर्वे में मुख्यतः 12 सवाल पूछे गए थे। जिन पर पूरा स्पष्टीकरण नहीं मिला है । मदरसों को कम्प्यूटर से जोड़ने को लेकर भी योगी सरकार प्रयासरत है और जो मदरसे मानकों को पूरा कर रहे हैं उन्हें मान्यता देने में कोई परहेज भी नहीं किया जाएगा ।


🚩उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर प्राथमिक मदरसों को बंद करने को कहा था । वसीम रिज़वी ने लिखा था कि , “मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है । यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान ISIS का समर्थक हो जाएगा । उन्‍होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया । कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है ! ये देश के लिए भी खतरा है । "



🚩देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए । प्रदेश की जनता उत्तर प्रदेश सरकार को इस कार्यवाई की शुरुआत के लिए धन्यवाद देती है और शीघ्रातीशीघ्र यह लागू हो ऐसी मांग करती है ।


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Thursday, May 25, 2023

देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अद्भूत वीरांगना, शक्तिस्वरूपा, रानी लक्ष्मीबाई

 ब्राह्मण कुल में जन्मी और महलों में पलने वाली भारत माता की सिंहनी " वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई " ने अपनी वीरता, साहस, संयम, धैर्य तथा देशभक्ति के कारण सन् 1857 के महान क्रांतिकारियों की शृृंखला में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा दिया ।


आज जिन्हें दुनिया झांसी की रानी के नाम से याद करती है,वह रणबांकुरी ऐसा रणकौशल दिखलाती थी , कि अंग्रेज अफसरों के छक्के छूट जाते थे।  


नारी जाति के लिए रानी झांसी एक अविस्मरणीय प्रेरणास्त्रोत हैं

कोटिशः नमन है ऐसी महान विभूति को💐🙏


25  May 2023

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🚩भारतीय नारी ने समग्र विश्व में अपनी एक विशेष पहचान बनायी है । अपने श्रेष्ठ चरित्र, वीरता तथा बुद्धिमत्ता के बल पर उसने मात्र भारत ही नहीं अपितु समस्त विश्व की नारी जाति को गौरवान्वित किया है । भारत के इतिहास में ऐसी अनेक नारियों का वर्णन पढ़ने-सुनने को मिलता है ।

झाँसी कि रानी लक्ष्मीबाई का नाम भी ऐसी ही महान नारियों में आता है । रा


नी लक्ष्मीबाई का जीवन बड़े-बड़े विघ्नों में भी अपने धर्म को बनाये रखने तथा परोपकार के लिए बड़ी-से-बड़ी सुविधाओं को भी तृण कि भाँति त्याग देने की प्रेरणा देता है ।


🚩सन् 1835 में महाराष्ट्र के एक ब्राह्मण कुल में जन्मी “मनुबाई” जिसे लोग प्यार से ‘छबीली’ भी कहते थे अपनी वीरता एवं बुद्धिमत्ता के प्रभाव से झाँसी की रानी बनी । झाँसी के राजा गंगाधर राव से विवाह के पश्चात् वे ‘रानी लक्ष्मीबाई’ के नाम से पुकारी जाने लगीं ।


🚩गंगाधर राव वृद्ध तथा निःसन्तान थे । उनकी पहली पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी । राज्य का उत्तराधिकारी न होने के कारण उन्होंने वृद्धावस्था में भी विवाह किया । अपने धर्म को निभाते हुए लक्ष्मीबाई ने पति कि सेवा के साथ-साथ राजनीति में भी रुचि दिखाना प्रारम्भ कर दिया ।


🚩समय पाकर गंगाधर राव को पुत्ररत्न कि प्राप्ति हुई परंतु एक गंभीर बीमारी ने राजकुमार के प्राण ले लिए । गंगाधर राव पर मानो वज्रपात हो गया और उन्होंने चारपाई पकड़ ली । श्वास फूलने लगा । रोगाधीन हो गए । उस समय देश में ब्रिटिश शासन था । सभी राज्य अंग्रेजी सरकार के नियमों के अनुसार ही चलते थे । राजा नाममात्र का शासक होता था । महाराज गंगाधर राव ने ब्रिटिश सरकार को इस आशय का एक पत्र लिखा : ‘‘रानी को अपने परिवार से किसी पुत्र को गोद लेने कि अनुमति दी जाय तथा भविष्य में उसी दत्तक पुत्र को झाँसी का शासक बनाया जाय ।’’


🚩ब्रिटिश सरकार ने गंगाधर राव के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया । उसने आदेश पारित किया कि : ‘‘यदि रानी को कोई संतान नहीं है तो झाँसी राज्य को सरकार के आधीन कर लिया जाय ।’’ फिर झाँसी को अंग्रेजों ने हस्तगत कर लिया । गंगाधर राव को एक और चोट लगी और उनकी मृत्यु हो गई ।


🚩एकलौते पुत्र के बाद अपने पति की मृत्यु तथा अंग्रेजों के प्रतिबन्धों के बावजूद भी भारत की इस वीरांगना ने अपना धैर्य नहीं खोया । उसने राज्य के शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली तथा अपने पति की अंतिम इच्छा को पूरी करने के लिए दामोदर राव को अपना दत्तक पुत्र बना लिया ।


🚩रानी का यह साहसिक कदम अंग्रेजों की चिंता का विषय बन गया । उन्हें लक्ष्मीबाई के रूप में सुलगती क्रांति कि चिंगारी साफ-साफ दिखाई देने लगी । अंग्रेजी सरकार ने झाँसी के राज्य को तुरंत अपने अधीन कर लिया तथा गंगाधर राव के नाम पर रानी को मिलनेवाली पेन्शन भी बन्द कर दी । इसके साथ ही सरकार ने झाँसी में गोवध को बंद करने के रानी के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया । चारों ओर से विपरीत परिस्थितियों से घिरे होने तथा सैन्य-शक्ति न होने के बावजूद भी रानी लक्ष्मीबाई के मन मेें झाँसी को स्वतंत्र कराने के ही विचार आते थे ।


🚩इसी समय भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजों द्वारा कारतूस में गाय तथा सूअर की चर्बी मिलाये जाने कि घटना के कारण अनेक स्थानों पर विद्रोह कर दिया । वीर मंगल पाण्डेय के बलिदान ने देशभर में क्रांति की आग फैला दी तथा 10 मई, सन् 1857 को इस विद्रोह ने भयंकर रूप ले लिया । देशभर में विद्रोह कि आँधी चल पड़ी जिससे अंग्रेजों को अपने प्राण बचाने भारी पड़ गये ।


🚩झाँसी में क्रांति कि आग न लगे इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी कूटनीति का सहारा लिया । सरकार ने रानी लक्ष्मीबाई से प्रार्थना की कि : ‘‘जगह-जगह युद्ध छिड़ रहे हैं और इसके पहले कि झाँसी भी इसकी चपेट में आये, आप राज्य कि रक्षा का दायित्व अपने हाथ में ले लें और हम सबकी रक्षा करें । झाँसी कि जनता आपसे अत्यधिक प्रेम करती है अतः आपकी इच्छा के विपरीत वह विद्रोह नहीं करेगी ।’’


🚩रानी के लिए राज्य-प्राप्ति का यह एक सुंदर अवसर था जब अंग्रेज स्वयं उन्हें झाँसी राज्य का शासन सौंप रहे थे । रानी के एक ओर झाँसी का सिंहासन था तथा दूसरी ओर स्वतंत्रता कि वह क्रांति जो देशभर में फैल रही थी । रानी चाहती तो सरकार कि सहायता करके तथा झाँसी की क्रांति को रोककर अपने खोये हुए राज्य कोप्राप्त कर सकती थी । परंतु धन्य है भारत की यह निर्भीक वीरांगना जिसने देश कि स्वतंत्रता के लिए सिंहासन को भी ठुकरा दिया ।


🚩रानी ने स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे देशभक्तों कि सहायता करने का निश्चय किया । उन्होंने सरकार को जवाब देते हुए कहा : ‘‘जब मेरे सामने राज्य-प्राप्ति कि समस्या थी तब तो मुझे राज्य नहीं दिया गया । आज आप लोगों के हाथों से वही राज्य छिन जाने का समय आ गया है तो राज्य की रक्षा का दायित्व मुझे दे रहे हैं ।’’


🚩रानी के ये शब्द अंग्रेजी सरकार को तीर की भाँति चुभे । रानी ने अंग्रेजी सेना को अपने यहाँ शरण नहीं दी अतः उन्हें निराश होकर जाना पड़ा । सैनिक विद्रोह ने जोर पकड़ा तथा झाँसी में भी क्रांति की लहर चल पड़ी । अंग्रेजों की छावनियाँ तहस-नहस कर दी गईं तथा अंग्रेजों को झाँसी छोड़कर भागना पड़ा । झाँसी का राज्य क्रांतिकारियों के हाथों में आ गया । वहाँ उन्होंने लक्ष्मीबाई को रानी के रूप में स्वीकार कर लिया ।


🚩रानी ने झाँसी में लगभग एक वर्ष तक शांतिपूर्वक शासन किया परंतु कुछ समय बाद झाँसी के राज्य पर फिर से अंग्रेजों कि काली दृष्टि पड़ी । जनरल ह्यू रोज के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया ।


🚩रानी लक्ष्मीबाई के पास सैन्य-शक्ति अधिक नहीं थी । उधर उनकी सहायता के लिए आ रहे नाना साहब तथा तात्या टोपे की सेना को अंग्रेजों कि विशाल सेना ने रास्ते में ही रोक लिया । रानी के कई वफादार एवं वीर सिपाही युद्ध में शहीद हो गये । ऐसी परिस्थिति में भी लक्ष्मीबाई के साहस में कोई कमी नहीं आयी तथा परतंत्रता के जीवन कि अपेक्षा स्वतंत्रता के लिए मर-मिट जाना उन्हें अधिक अच्छा लगा । उन्होंने मर्दों की पोशाक पहनी तथा अपने दत्तक पुत्र को अपनी पीठ पर बाँध लिया । महलों में पलनेवाली रानी लक्ष्मीबाई हाथ में चमकती हुई तलवार लिये घोड़े पर सवार होकर रण भूमि में उतर पड़ीं ।


🚩मुशर नदी के किनारे रानी लक्ष्मीबाई एवं जनरल ह्यू रोज की सेनाओं के बीच घमासान युद्ध हुआ तथा रानी की लपलपाती तलवार अंग्रेजी सेना को गाजर-मूली कि तरह काटने लगी । पर हाऽऽऽ कठिन कठोर नियति... रानी की छोटी-सी सेना अंग्रेजों की विशाल सेना के आगे अधिक देर तक नहीं टिक सकी ।


🚩तभी दुर्भाग्यवश रानी के मार्ग में एक नाला आ गया जिसे उनका घोड़ा पार नहीं कर सका । फलतः चारों ओर से ब्रिटिश सेना ने उन्हें घेर लिया । अंततः अपने देश कि स्वतंत्रता के लिए लड़ते-लड़ते रानी वीरगति को प्राप्त हुईं जिसकी गाथा सुनकर आज भी उनके प्रति मन में अहोभाव उभर आता है । छोटे-से ब्राह्मण कुल में जन्मी इस बालिका ने अपनी वीरता, साहस, संयम, धैर्य तथा देशभक्ति के कारण सन् 1857 के महान क्रांतिकारियों की शृृंखला में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा दिया ।


🚩वर्तमान में भी जो राष्ट्र और संस्कृति की सेवा करने के लिए तन मन धन से सेवा करते है उन साधु संतों पर झूठे आरोप लगाकर जेल भिजवाया जाता है। मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है, उनके ऊपर झूठी कहानियां बनाकर फिल्में बनाई जाती हैं। उनकी हत्या तक कर दी जाती है।


🚩आज भी राष्ट्र विरोधी ताकतें देश को तोड़ने के लिए सक्रिय है और देश व धर्म रक्षार्थ हमारे साधु संत रात दिन अनवरत कार्य कर रहे हैं । इसलिए उनके खिलाफ़ षडयंत्र भी तेजी से बढते जा रहे हैं ।


🚩इसलिए हमारा भी कर्तव्य बनता है, कि हम उनका साथ दें और राष्ट्र विरोधी ताकतों को परास्त कर के देश को पुनरूत्थान की डगर पर चला कर भारत को विश्व गुरुपद पर आसीन करवाने के उनके दैवीय सेवा कार्य में अपनी भी सहभागिता दें ।


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Wednesday, May 24, 2023

समाज को सबसे ज्यादा अगर गुमराह किया है , तो बॉलीबुड ने ही किया है

 देश के लिए यह सबसे बड़े दुख और चिन्ता का विषय है, कि पिछले कई दशकों से बॉलीवुड द्वारा हिन्दू साधु-संतों , मठ, मंदिर और आश्रमों को टार्गेट करते हुए हिन्दू विरोधी झूठी कहानियों पर फ़िल्में और वेब सीरीज बनाने का सिलसिला चल रहा है। 

 

24  May 2023

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🚩आज के समय में जब कि सिनेमा और टीवी हर वर्ग की जनता पर अपना प्रभाव जमाए हुए हैं , ध्यान देने योग्य बात यह है , कि...

समाज को सबसे ज्यादा अगर गुमराह किया है तो बॉलीबुड ने ही किया है। 


🚩 बॉलीवुड की सौग़ातें ...


🚩बॉलीवुड ने समाज को यही शिक्षा दी, कि शादी करती हुई लड़की को मंडप से उठा लेना कोई गलत बात नहीं है।

बलात्कार, चोरी, डकैती के दृश्य दिखाकर दर्शकों को कब और कैसे ये लोग अपने उत्पादों का आदी बना लेते हैं , पता भी नहीं चलता ...!!


🚩दृश्यों को भड़कीला बनाने हेतु स्त्रियों को अधनंगे कपड़े पहना कर अपने शोज़ को बड़ी आसानी से प्रमोट करवा लेते हैं। और युवावर्ग में संदेश जाता है कि ऐसे पहनावे में कोई आपत्ति नहीं ।

मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ देना तो इनके लिए फैशन है। फिर वहीं एक हीरो या हिरोइन वृद्धाश्रम में जाकर कुछ देर उनसे सहानुभूति दिखाकर बड़ी सहजता से जनता का विश्वास हासिल कर लेते हैं ।



🚩लव जिहाद को बढ़ावा देना, भारतीय संस्कृति को हीन बताना, साधु-संतों, देवी देवताओं मदिरों और पंडितों का मजाक उड़ाना इनके मुख्य मुख्य पसंदीदा काम होते हैं ।

और खासतौर से हिन्दुत्व विरोधी अन्य संस्कृतियों (पाश्चात्य संस्कृति व इस्लाम ) को महान बताना यही तो ये लोग करते आये हैं।

 

🚩हिंदू विरोधी वेब सीरीज व फिल्मों को जिस तरह आए दिन प्रमोट किया जा रहा है इससे बिल्कुल स्पष्ट है, कि ऐसा करने में अरबों-खरबों रुपये खर्च होते होंगे...! तो जाहिर सी बात है कि इसके पीछे कही न कही भारतीय सनातन संस्कृति को तोड़ने की मंशा रखने वाली बड़ी-बड़ी ताकतें लगी हुई हैं।


🚩क्योंकि “मंदिर, आश्रम, साधू संत” ये सभी अतिपवित्र शब्द हैं, जो हिन्दुओं की श्रद्धा का केंद्र हैं। लोग वहाँ पर जाकर शांति पाते हैं...

और यही कारण है कि धर्मांतरण कराने वाली मिशनरीज़ और विदेशी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियां देश के भीतर के कुछ स्वार्थी विधर्मियों के साथ सांठ-गांठ करके हिन्दुओ की श्रद्धा तोडने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।



🚩साधु-संतों के प्रति श्रद्धा रखने वाले मंदिरों, आश्रमो में जाते हैं और वहाँ उनको भारतीय संस्कृति के अनुसार जीने का सही तरीका मिलता है फिर वे अपने धर्म के प्रति आस्थावान हो जाते हैं जिसके कारण वे ईसाई मिशनरियों के चुंगल में नहीं आते , विदेशी प्रोडक्ट भी नहीं खरीदते ।

...फलतः " ईसाई मिशनरियों का जो लक्ष्य है भारत को पुनः गुलाम बनाना और धर्मांतरण करके अपनी वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना " इसमें बहुत रुकावट खड़ी हो जाती है ।


🚩जिन विदेशी कंपनियों के सामान नहीं बिकने पर उनको अरबो-खबरों रूपये का घाटा होता है । मिशनरीज को धर्मांतरण में बाधा आती है , तभी तो ये लोग अनेक प्रकार के षड्यंत्र रचकर हिंदुओं की मंदिरों, आश्रमों व साधु-संतों के प्रति आस्था को नष्ट करने के लिए साज़िशें रचते रहते हैं...

...और प्रकाश झा, मनोज बाजपेई जैसे जयचंद गद्दारी करके अपने ही धर्म के खिलाफ फिल्में बनाते हैं असली कारण यही है।

 

🚩देखा जाए तो चर्चों में पादरियों द्वारा बलात्कार के हजारों केसेज़ सामने आ चुके हैं । मदरसों में भी यौन शोषण और बलात्कार आदि के कई केसेज़ आए दिन सुनाई देते हैं । पर अभी तक इन विषयों पर फ़िल्म बनाने की हिम्मत कोई न जुटा सका...और न ही कोई बनाएगा ही...

क्योंकि उसके लिए न फंडिंग मिलेगी और उपर से कमलेश तिवारी की तरह हत्या हो जाएगी इसलिए वास्तव में जहाँ पर सचमुच गड़बड़ी हो रही है उस पर ये फिल्म उद्योग वाले ध्यान नहीं देते हैं ।

पर हिन्दू सहिष्णु है और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के लिए भारी फंडिंग मिलती है इस कारण राष्ट्र विरोधी ताकतों के कठपुतली बने डायरेक्टरों रूपी जयचंद हिंदू विरोधी फिल्में बना कर मालामाल होते जा रहे हैं।


🚩सृष्टि के प्रारंभ से ही साधु-संतों ने घोर तपस्या करके जो ज्ञान प्राप्त किया उससे मानवमात्र को स्वस्थ, सुखी व सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते रहे हैं। समाज को व्यसनमुक्त बनाने का प्रयास करते हैं, संयमी और सदाचारी समाज को बनाते हैं, गरीबों-आदिवासियों को सहायता करते हैं। गौ माता की रक्षा करते हैं। बच्चों, युवाओं व महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र खोलते हैं। धर्मान्तरण पर रोक लगाते हैं। चिंता, टेंशन में रह रहे लोगों को शांति देते हैं, स्वदेशी का प्रचार करते हैं, सभी को स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते हैं।

इस प्रकार संतजन राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।

 

🚩वैसे हिन्दू विरोधी फिल्मों या अन्य किसी भी हथकण्डे से दृढ़ श्रद्धालुओं में तो तनिक भी फर्क नहीं पड़ा है लेकीन आने वाली पीढ़ी को नुकसान हो रहा है । इस हानि को रोकने के लिए हिन्दू विरोधी फिल्मे बंद करवा सरकार की प्रार्थमिकता होनी चाहिए। 


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