Wednesday, August 16, 2023

अपने देश व सनातन संस्कृति की रक्षा हेतु कटिबद्ध नहीं तो फिर उनका जीना ही बेकार है..

16 August 2023


http://azaadbharat.org

🚩शाम की रुपहली किरणें हमारे साथ की सीमा के बाहर झांक रहीं थीं, किन्तु हमारे भाग्य में उन्हें देखना बदा न था। 15 अगस्त से पूर्व तो हम अपने शहर से एक मील स्टेशन तक सैर को जा सकते थे, किन्तु इधर उधर के अप्रत्याशित कत्लों के भय ने हमें वहां से खींच कर शहर से केवल एक फर्लांग की दूरी पर, नहर की पटरी पर ला पटका। सायंकाल के 5 बजते ही लोग 50-60 की टोलियां बना कर नहर की पटरी तक आते। पुल के किनारे पर बैठते। सामाजिक चर्चा करके फिर जेल के कैदी के समान दिया जलने से पूर्व ही लौट आते व अन्धेरा होते ही शहर के चारों दरवाजे बन्द हो जाते थे।


🚩शहर की बनावट ही विचित्र बनाई है। इस जैसा एक रूप में बना शहर और शायद कहीं हो तो हो चौक में खड़ा मनुष्य सारे शहर को एक ही नजर में देख सकता है। गली के बिल्कुल सामने गली। शहर के चारों ओर परकोटा। वह एक ऐसी स्थिति थी जो इस भयानक तम वातावरण में भी हमें शत्रुओं के आक्रमणों से बचाये हुए थी। सारा दिन भय और चिन्ता में बीतता था, तो रात्रि ‘खबरदार और होशियार’ के नारों से गुंजित रहती थी। शत्रु की दृष्टि में हम पूर्णतया अपनी रक्षा में समर्थ और उसे नीचा दिखाने की क्षमता रखते थे। वह तो भगवान् ही जानता है कि हमारी कितनी तैयारी थी और हम कितने पानी में थे।


🚩रोज रक्षा समितियां होती थीं, किन्तु बातों ही बातों में शहर के कर्णधार समय व्यतीत करके अपने घरों को चले जाते थे। इतना कुछ होते हुए भी चन्द एक युवकों के उत्साह के बल पर हम स्थानीय मुसलमानों से हार जाने वाले नहीं थे, ऐसी धारणा शत्रु और मित्र पक्ष की थी।


🚩मुसलमानों के श्रम और स्थानीय हिन्दू अधिपतियों की गाढ़ी निद्रा तथा पाकिस्तानी योजना की अर्थ प्रणाली के फलस्वरूप हमारी विपत्ति की एकमात्र रक्षिका हिन्दू सेना भी हमें भगवान् के सहारे छोड़ करके चली गई थी। म्युनिसिपल कमेटी का कार्य अस्त-व्यस्त हो चुका था। पूर्व कार्यकर्ता काम छोड़ बैठे थे। सफाई का तनिक मात्र भी प्रबन्ध नहीं था। खास शहर क्षेत्र भी चलते-फिरते मनुष्यों से भरे नर्ककुण्ड से भी निकृष्टतर हो चुका था। इर्द गिर्द के देहात के अशिक्षित लोगों के आ जाने के कारण सफाई की प्रणाली और भी बिगड़ चुकी थी। वह बच्चों को शौच निवारणार्थ नालियों में ही बिठा देते थे। इन नालियों की सफाई का कार्य भी शहर के प्रतिष्ठित सज्जनों को करना पड़ता था। ऐसी अवस्था को देख करके याद आ जाती थी, जबकि स्वर्गीय अमर शहीद बापू अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ अपने हाथों में झाड़ू और सिर पर गन्दगी की टोकरी उठाये सफाई करते दिखाई देते थे। मकानों को साफ करने वाले मुसलमान भंगी एक समय के १) और २) तक वसूल करते थे। जिन्हें दो समय भरपेट भोजन भी दुर्लभ था, वे इस रकम को कैसे भरते ?


🚩ऐसी विकट परिस्थिति थी, सारा शहर पाकिस्तान छोड़कर हिन्दुस्तान आने को कमर कसे बैठा था। हमारा सब सामान पाकिस्तान की सम्पत्ति समझी जाती थी। मुस्लिम नेशनल बोर्ड के लगातार प्रचार के अतिरिक्त भी हमारे घर की नई मशीनें ३५) को बिक रही थीं। कईयों का सौदा तो १५) और २०) पर भी आ निपटता था। साईकल २०) को और सजाने की शीशें वाली मेजें ३) तक को उठ जाती थीं। कुर्सी १), पलंग ५) और ट्रक आठ आने तक में प्रत्येक घर से मिन्नतों और धन्यवादों से मिल जाता था। ख़ालिस घी १) सेर और चीनी तीन आने में बिक रही थी। कपड़ों और गेहूं को लोग गरीबों में मुफ्त बांट करके परम सन्तोष अनुभव करते थे। चारों ओर, “अंधेर नगरी चौपट राजा। टके सेर भाजी टके सेर खाजा।।” का राज्य छाया हुआ था। ऐसी परिस्थिति में भला कौन वहां रहना चाहता।


🚩पहली स्पेशल गाड़ी आ गई, तो जूते की तह से लेकर के पगड़ी के छोर तक सब कुछ टटोला गया। स्त्रियों के गुप्तांगों को भी, स्त्री वेषधारी कामुकों ने तलाशी लेकर हिन्दू शरीरधारी मानव को मुस्लिम वेष में फिरते नर पशु ने तीन ही वस्त्रों में भेजा। इसमें वे करोड़पति भी थे जोकि आज तक भूमि पर पैदल भी न चले थे। आहें लेती और सिसकियां भरती सन्तानों को अपने तीन वस्त्रों में छिपाये भारत की शान देवी पाकिस्तान को हमेशा के लिए प्रणाम करके भारत को चल पड़ी।


🚩दूसरी और तीसरी स्पेशल गाड़ी के बीच शहर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुए। तीसरी स्पेशल के आने से पन्द्रह दिन पूर्व हमारा शहर से निकलना पूर्णतया बन्द हो चुका था। प्रति शुक्रवार शहर में नमाज के लिए हज़ारों मुसलमानों के धड़-धड़ घुस आने पर हमारा सारा दिन मौत की घड़ियां गिनते बीतता था। लोग अपने-अपने तख़्तपोशों पर और गलियों के सिरों पर मोर्चा बना करके बैठे रहते थे। माताएं और बहिनें घर में भगवान् का नाम लेकर के हमारे सकुशल घर पहुंचने की प्रार्थनाएं किया करती थीं। शहर की आधे से अधिक स्त्रियों के पास सांघातिक विष था, जो किसी भी समय आने वाली मुसीबत में संकटमोचन का काम देता।


🚩आखिर वह संख्या आ ही पहुंची, जब कि सबने सुना कि कल 3500 मनुष्यों की एक स्पेशल ट्रेन भारत की ओर जावेगी। टिकट बंट गए ताकि लोग अधिक न आ सकें। सारी रात जागकर लोग तैयारी करते रहे क्योंकि आने वाला प्रातःकाल उनके दुःखों को नष्ट करने के हेतु स्वरूप लुभावना दीख रहा था। सारी रात जागते कटी। रात को यह अफ़वाह फैल गई कि कल बैलगाड़ियां और तांगे स्टेशन की ओर नहीं जायेंगे इसलिए सामान जितना संक्षिप्त किया जा सकता था, किया गया। इंतज़ार की घड़ी लम्बी होती है, पर फिर वह भी आ ही पहुंची।


🚩प्रातः 5 बजे मुझे चाचा जी ने बुलाया, जो कि कमेटी के प्रधान थे और कहा- ‘मुझे एक विश्वस्त सूत्र से ज्ञात हुआ है, कि इस गाड़ी के साथ एक षड्यन्त्र है, अतः तुम मत जाओ।’


🚩‘मैं बच्चों का बिलखना सुन चुका था। दूध उन्हें मिल नहीं रहा था। ताजी सब्जी के दर्शन दुर्लभ थे। मैं टूट चुका था। गली में स्थान-स्थान पर पड़े कूड़े के ढेरों को देखकर प्रति समय हैजा का भय सताता था। शत्रु के आक्रमण की चर्चा और बलोच सेना के मनमाने अत्याचार हमारी दिन और रात की रोटी का रस सुखाये चले जा रहे थे। ऐसी परिस्थिति में मैंने भी उद्दण्ड सन्तान के समान आज्ञा का उल्लंघन करते हुए जवाब दे ही तो दिया, यहां के घुल-घुल करके मरने से रास्ते में ही कहीं पर मर जाना श्रेयस्कर है।’


🚩इस पर चाचा जी ने मुझे आशीर्वाद दिया और कहा ‘भगवान् तुम्हारा भला करे।’ उनकी चरण रज ले करके हम शहर से बाहर निकले। आठ ट्रक और आठ बिस्तरे तीन परिवारों के थे। बैलगाड़ी पर एक मील के ८०) भर कर हम स्टेशन की ओर चले। पहले स्पेशल रात्रि के समय ही पहुंच जाती थी, किन्तु यह 11 बजे दोपहर को आयी। हमने सारी गाड़ी को झांक डाला, किन्तु हिन्दू सेना का निशान कहीं पर भी न मिला।


🚩सेना-नायक अपनी बलोच सेना को रास्ते का प्रोग्राम समझा रहा था और मन अन्दर से धक्-धक् कर रहा था। आने वाला भय मिश्रित समय हमारे अन्दर निराशा का आसव उड़ेल रहा था। मुस्लिम सेना हिन्दू नवयुवकों को जबरन बाहर निकाल-निकाल करके गाड़ी की छत पर बिठा रही थी। उनकी वे हरकतें हमारे अन्दर छिपे भय को और भी बढ़ा रहीं थीं। हम द्विविध में थे। इधर आग और उधर खाई। हम मन मसोड़कर ही बैठे रहे। मुस्लिम सेना के सैनिक अभी अन्दर घुसने को ही थे कि दूर से हमें एक ट्रक आता दिखाई दिया। उनमें से निकलते मरहट्टा सैनिकों के चेहरों को देख करके सबके सूखे मुख-कमल आशा और प्रसन्नता से निखर उठे। हमने समझा बस अब संकट कट गया, किन्तु हमें क्या पता था कि फूलों के नीचे विषधारी सर्प कुण्डली मारे बैठा है। राख के नीचे सुलगती चिंगारी सबको भस्म करने के लिए अभी जल रही हैं। अमृत मुख पट के अन्दर हलाहल विष छिपा पड़ा है।


🚩फिर भी सब प्रसन्न थे। सबके छिपे चेहरे खिड़की के बाहर झांक रहे थे। बच्चे हँस रहे थे और स्त्रियां सुखमयी वार्ता में लीन थीं। कोई डेढ़ बजे के करीब हम शुजाबाद को अन्तिम प्रणाम करके चल पड़े। हमारे मन में जन्मभूमि का प्रेम उमड़ पड़ा। तब बिलख-बिलख कर रो रहे थे और बिस्मिल के वह शब्द गुनगुना रहे थे...

दर-ओ-दीवार पे हसरत से नज़र करते हैं,

ख़ुश रहो अहल-ए-वतन हम तो सफ़र करते हैं।


🚩गाड़ी अपना रास्ता तय करती चली जा रही थी। शुजाबाद के चौथे स्टेशन पर गाड़ी एक घण्टे के लिए रुकी और उसने दिशा परिवर्तन किया। सबने नलकों से पानी भरा। गाड़ी चल पड़ी। प्रत्येक स्टेशन पर सशस्त्र धर्मांध मुस्लिम सैकड़ों और हज़ारों की संख्या में प्लेटफॉर्म पर ठहरे हमारा स्वागत करते थे। वह सचमुच उन जंगली पशुओं के समान दीख रहे थे, जोकि हिंस्रवृत्ति में उलझे हुए अपने सामने शिकार को आता देख करके अपने से अधिक बलवान् को सामने देखकर दांत पीसकर के रह जाते हैं, ठीक वह दशा उनकी थी। इसी तरह करते-कराते हम (साढ़े आठ) 8:30 बजे पाकपटन स्टेशन पर पहुंचे, जहां पर कि हमारे भाग्य का निश्चय होना था।


🚩यहां पर आकर हिन्दू सेना उतर गई और उसकी जगह पर बलोच सेना के सिपाही अपने कंधे पर संगीनों वाली बन्दूकों को लटकाये आ पहुंचे। उनके आगमन के साथ ही स्टेशन पर का सब पानी बन्द हो गया। बच्चे प्यास से कराह उठे। साढ़े 3 घण्टे एडमिन भी स्टेशन से दूर रहा। हमें क्या पता था कि पानी लेने के बहाने वह हमारे खून लेने का षड्यन्त्र रच रहा था। रात के ठीक 12 बज कर पांच मिनिट पर हमारी गाड़ी पाकपटन की सीमा को पार करती हुई, हमारे दुर्भाग्य पर धुआं उड़ाती हुई चल पड़ी। ठीक 12 बज कर दस मिनिट पर पाकपटन और उसमानवाला स्टेशन के बीचों-बीच मिन्ट गुमरी जिले को आबाद करने वाली, हमारे लिए “अल्लाहो अकबर” और “या अली” तथा “काफ़िरों को मारो” का संदेशा लेकर बहने वाली नीलवाह नदी के किनारे पर आकर के हमारी गाड़ी रुक गई। छुरियों, कुल्हाड़ियों, तेगों और दूसरे प्रकार के शस्त्रों का ताण्डव नृत्य होने लगा। हम कोई आधा घण्टा मृत्यु की छत्रछाया में पड़े करवटें बदलते रहें। गाड़ी के किवाड़ों और खिड़कियों के तख़्ते नहीं थे। सबने उनके आगे ट्रंकों और बिस्तरों को रखकर अन्दर से बन्द कर दिया। जिन्होंने आज तक भगवान का नाम नहीं लिया था, वे भी अविराम गति से “राम”, “कृष्ण” और “ओ३म्” का जाप करने लगे। स्त्रियां, पतियों और बच्चों की सलामती की मनौतियां मना रही थीं। चंद स्वार्थी नरपिशाच यहां पर भी रक्षा के नाम पर चोर बाजारी धन बटोर रहे थे। हमें बाहरी दुनिया का लेशमात्र भी ज्ञान नहीं था। हम तो केवल यही जानते थे कि 12 बजकर 30 मिनिट पर गाड़ी चली और उसमानवाला स्टेशन पर पहुंची, जहां पर कि सुबह छः बजे तक ठहरी रही। वह साढ़े 5 घण्टे हमारे उस कैदी के समान गुज़र रहे थे, जिनको किसी समय भी फांसी की सजा मिल जाये। यहां पर आकर हमें पता चला कि हमारी गाड़ी के तीन छकड़ों के आदमी बिल्कुल समाप्त कर दिए गए हैं।


🚩पशुता का ताण्डव...

🚩मेरे पास एक बच्चा आया, जिसकी आयु 5 वर्ष थी। वह प्लेटफॉर्म पर मेरा नाम लेकर चिल्ला रहा था । जब उसे मेरे पास पहुंचाया गया, तो वह रो रहा था। उसकी सिसकियों में एक करुण क्रन्दन था- ‘मेरे माता-पिता मर गये हैं, मेरे भाईयों और बहिनों को किसी ने कुल्हाड़ी से काट डाला है।’ कितना मर्मस्पर्शी दृश्य था वह, जिसे देखकर वहां पर बैठी सभी स्त्रियां फफक फफक कर रो रही थीं। हम उसे धैर्य बंधा रहे थे , किन्तु हमारी आंखें गंगा-जमुना बन रही थीं।


🚩जाको राखे साइयां...

🚩इसी प्रकार एक घटना हुई ,अगले छकड़े में एक लड़की जिसकी आयु 14 वर्ष की थी दौड़ती हुई चिल्ला रही थी ‘भगवान् मुझे बचाओ।’ चन्द नवयुवकों ने उसे गाड़ी में खींच लिया। वह नंगी थी, उसे कपड़े दिए गए। उसके मुख पर एक निशान था, जो जबरदस्ती लड़कर छूटने में हुआ था। चन्द कामुक मुसलमानों के चुम्बन का घाव उसके मुख पर था, जिससे खून निकल रहा था।


🚩6 बजे हमारी गाड़ी चली और दोपहर को निर्विघ्न कसूर पहुंच गई। वहीं भारत और पाकिस्तान से आने वाली गाड़ियों का अड्डा था । उसमानवाला और कसूर के बीच सही सलामत यात्रा करने का श्रेय हम अपने शहर के तहसीलदार और एक राना शफ़ी अहमद को देते हैं, जिन्होंने पाकपटन से कसूर इस आशय का तार दे दिया था कि ‘हमने सारी गाड़ी नष्ट कर दी है’। उसमानवाला स्टेशन पर छः घण्टे की रुकावट ने हमें उस सारे प्रोग्राम से बचा दिया, जो कि रास्ते में हमारे विनाश की घड़ियां गिन रहा था। ‘जाको राखे साइयां मार सके न कोय’ फिर भी हम 3500 मनुष्यों में से 600 को गवां करके अश्रुओं का हार पहिने कसूर पहुंचे।



🚩वहां पर भी भाग्य हम पर अठखेलियां कर रहा था। 2 बजे दोपहर को कोई 5000 सशस्त्र आक्रान्ताओं ने हम पर हमला कर दिया। इनके साथ 137 बलोच सैनिक भी थे जिनके पास युद्ध का सब आधुनिक सामान था। हमारे साथी थे भगवान और 36 मरहट्टे सैनिक, जिन्होंने दो की आहुति देकर के हमारी रक्षा की। यहां पर हमारे 150 आदमी मरे। छः घण्टे लगातार हम गोलियों की बौछार के नीचे पड़े रहे। हमें दुनिया की सुध-बुध नहीं थी। हम अपने आपको उस परब्रह्म पर छोड़ चुके थे जिससे मिलाने के लिए यह गोलियां हमारे ऊपर साय साय करके चल रही थीं। रात भी सर पर आ पहुंची। आक्रमणकर्ता वापिस चले गये। हम भी अन्धकारमयी रजनी में मुर्दों को सिरहाना बना कर लहू की शैय्या पर पड़े रहे। इसका भान हमें तब हुआ, जब कि हम प्रात:काल जागे और अपने सारे वस्त्रों को लहू में घिरा देखा। बरबस मेरे मुख से निकला- “दुर्भाग्य! कभी तो सफेद वस्त्र पर दो धब्बे खून के देखकर न्यायाधीश मनुष्य को फांसी पर चढ़ा देता था और कहां आज खून से हम चारों ओर लिपटे हुए हैं। किन्तु न्याय नदारद!”


🚩प्रातः 7 बजे ट्रक आये, जो हमें सतलज से पार भारत की सरहद में ले गये । हमने दस माह के बाद अपने मुख से नारा लगाया- “हिन्दुस्तान, जिन्दाबाद”


            लेखक : श्री इन्द्रकुमार विद्यार्थी

            प्रस्तुति : प्रियांशु सेठ [‘वीर अर्जुन’ (साप्ताहिक) के १९४८ अंक से साभार]



🚩इस लेख को पढ़ने के बाद भी जो देशवासी अपने देश की संस्कृति व देशहित के लिए कार्य नही करता है तो फिर उनका जीना भी बेकार है।

देश को तोड़ने वाली ताकतों से अपने देश को बचाने के लिए हर हिन्दुस्तानी को सतर्क रहना ही होगा।


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Tuesday, August 15, 2023

स्वतंत्रता अपहरण दिवस या स्वतंत्रता दिवस ? जानिए

 15 August 2023


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🚩भारत सरकार सन 2023 में 76 वे स्वतंत्रता दिवस को अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है । सत्य, न्याय और मानवता के आधार पर यदि शासन तंत्र कार्य कर रहा है,तो उसे स्वतंत्रता कहा जा सकता है। यह लोक व्यवहार की स्वतंत्रता का न्यूनतम मापदंड है, चाहे लोकतंत्र हो या राजतन्त्र या कोई अन्य तंत्र। इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी स्वीकार करना ही पड़ेगा अन्यथा वह दानवाधिकार आयोग ही कहलाएगा ।


🚩आज भारत में छद्म युद्ध के द्वारा हिंदुओं को समाप्त किया जा रहा है। गौ मांस खाने की खुली घोषणा करने वाले आज भी खुले घूम रहे हैं। गौ रक्षकों की आए दिन हत्याएं हो रही है, गोरक्षकों को जेल में डाला जा रहा है। शहर गांव के मुख्य चौराहे चौक, गली गली में शराब की दुकानें खोल दी गई है। क्रिश्चियन अंग्रेजों ने स्कूलों में गीता पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो आज भी लागू है । धर्मांतरण के विरोध मे कार्य करने वाले संतो को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल में डाला जा रहा है। इसकी भरपाई कौन करेगा ?


🚩आज भी भारत का शासन तंत्र धर्मांतरण करने वाली शक्तियों के प्रभाव में कार्य करता है । नेता असली मुद्दे छुपाकर नए बनावटी मुद्दे बनाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। हिंदू मुस्लिम मुद्दे बनाए जा रहे हैं । अलगाववादी जातिवादी मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं। वोट बैंक के लिए हिंदुओं की जेब काटी जा रही है । छद्म धर्मनिरपेक्षता के द्वारा छद्म युद्ध के द्वारा सनातन धर्म और हिंदू जनता को समाप्त किया जा रहा है। भारत के 8 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुका है, वहाँ आज भी हिन्दू भयंकर अन्याय अत्याचार सहन कर रहा है ।


🚩अखाड़ा के दो निर्दोष साधुओं की पालघर में पुलिस के सामने पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, वहां भगवा वस्त्र धारियों को देखते ही क्रिस्चन बाहुल आदिवासी जनता हमला कर देती है। धर्मांतरण रोकने वाले उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानंद के आश्रम में घुस कर उनकी और उनके छात्र छात्राओं की निर्मम हत्या कर दी गई। शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती 9 वर्ष बाद निर्दोष साबित हुए। बैंगलोर के स्वामी नित्यानंद के चरित्र हनन की सीडी फर्जी साबित हुई। वर्तमान सरकार से जान बचाकर उन्हें भारत से भागना पड़ा अलग हिंदू राष्ट्र स्थापित करना पड़ा। जबकि वो अखाड़ा के बड़े साधु संत है। दांती महाराज पर बलात्कार का झूठा आरोप लगाया गया।


🚩संत आशारामजी बापू पर चारित्रिक हनन का फ़र्ज़ी आरोप लगाने वाली लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में लड़की का कौमार्य सुरक्षित पाया गया । बलात्कार हुआ ही नहीं है, फिर भी निर्दोष बापू आशारामजी को आजीवन कारावास? बीमार होने पर भी जमानत नहीं। संविधान और न्याय की समानता के अधिकारों का खुला उल्लंघन किया गया। संत आशारामजी बापू धर्मांतरण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बने हुए थे इसलिए राजनीतिक षड्यंत्र करके उन्हें फंसाया गया।


🚩15 अगस्त 1947 को अल्पसंख्यकों को बढ़ावा देकर क्रिश्चन अंग्रेजों ने भारत के टुकड़े किए। लाखों हिंदुओं की हत्या की गई लाखों हिंदू स्त्रियों का बलात्कार किया गया। अमानवीय अत्याचार किए गए, जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुए। कायरों द्वारा कायरता के कीर्तिमान स्थापित किए गए। उससे अधिक दयनीय और भयावह स्थिति में आज हिंदू जा चुका है।


🚩आज भी क्रिश्चियन, मुस्लिम औरंगजेबी जजिया टैक्स हिंदुओं से वसूला जा रहा है। संविधान का खुला उल्लंघन करके सन 2006 में धर्म के आधार पर अल्पसंख्याक मंत्रालय बना दिया गया । सैकड़ों योजनाओं के बहाने हिंदुओं की जेब काटकर अल्पसंख्यकों के नाम पर गैर हिंदुओं को वह सुविधाएं दी जा रही है, जो पूरी दुनिया में कहीं नहीं दी गई है । धार्मिक भेदभाव करके आरक्षण, अनुदान, छात्र वृत्ति, बैंक ऋण, छूट, सुविधाएं दी जा रही है। इससे बढ़कर बाबासाहेब अंबेडकर जी का अपमान नहीं किया जा सकता है।


🚩इस अन्याय अत्याचार के कारण करोड़ों हिंदू परिवार आर्थिक संकट से ग्रस्त है, लाखों हिंदू परिवार आत्महत्या कर रहे हैं। सन 2007 में हिन्दू संगठनों के एक अनुमान के अनुसार इस अन्याय अत्याचार के कारण प्रतिदिन लगभग 2700 हिंदू लड़कियां गैर हिंदुओं का शिकार बन रही थी, उनके पूरे परिवार का जीवन नर्क बन गया है। यह समस्या बढ़ती जा रही है। इनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं है।


🚩दोषी राजनेताओं को नीलाम करके उनकी संपत्ति जप्त करके उनको बीच चौक में फांसी पर लटका कर पीड़ित हिंदुओं को हर्जाना देना चाहिए। रामराज्य लाने वाले राष्ट्रवादी नेता साढ़े 7 वर्ष से सत्ता में है जो अल्पसंख्यक मंत्रालय को बढ़ावा दे रहे हैं , बंद करना तो दूर, दोषी राजनेताओं को दंडित करना तो दूर, कानून बनाना तो दूर , आयोग बनाना तो दूर । जो बहुसंख्यक है उनके लिए कोई आयोग बन सकता है, कोई मंत्रालय बन सकता है, काला कानून सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम विधेयक बनाने वाले खुलेआम घूम सकते है, बलात्कार के दोषी क्रिश्चियन पंथगुरु बाहर घूम सकते हैं, कई अपराधी राजनेता जेल से बाहर घूम सकते हैं, खुलेआम धर्मांतरण हो सकता है। लेकिन हिन्दू संगठनों को हिन्दू जनता को न्याय मांगने पर प्रताड़ित किया जाता है।


🚩छल बल से धर्मांतरण से पीड़ित सन 2015 में पूरे देश में चर्चित राष्ट्रीय खिलाड़ी तारा सहदेव के मामले में केंद्र सरकार के गृहमंत्री ने कहा लव जिहाद क्या है मैं नहीं जानता। हिंदू भीख नहीं मांग रहे हैं न्याय मांग रहे हैं। नेता वह है जो नीति पर चले न्याय करें।


🚩लाखों हिंदू मंदिरों की दान पेटी से प्रतिवर्ष सरकार करोड़ों अरबों रुपया हड़पकर उसकी 90 से 95% राशि क्रिश्चियन और मुस्लिम संस्थाओं को दे देती है। पर किसी मस्जिद या किसी क्रिश्चियन संस्था के एक रुपये को सरकार छूती भी नहीं है।

गैर हिंदू शिक्षण या धार्मिक संस्थाओं को अनेक छूट और हिन्दुओ पर टैक्स लादे जा रहे हैं ।


🚩अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आजादी के मायने क्या है? भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म के अनुसार आजादी के क्या मायने हैं ?


🚩लोकव्यवहार में, लोकाचार में देश, काल, परिस्थिति, क्षेत्र के अनुसार आजादी, काल्पनिक आजादी, सापेक्ष आजादी, तात्विक आजादी, सच्ची आजादी के मायने जो संत अपने सत्संग में बता रहे हैं सच्ची आजादी की ओर वे जनता को ले जाने में सक्षम है। ऐसे संत आशारामजी बापू निर्दोषता के सबूत के बाद भी 11 साल से जेल में बंद है तो जनता को यह साक्षात हो जाना चाहिए की भारत की स्वतंत्रता का अपहरण हो चुका है।


🚩संत आशाराम जी बापू के पास आशिर्वाद लेने बड़े बड़े नेता जाते रहते थे। वे नेता सत्ता में बैठ गए और उन संतो पर शासन द्वारा अन्याय अत्याचार करने पर चुप्पी साधे बैठे है। संतो पर अत्याचार होने पर भगवान भी शासन करने वालों की रक्षा नहीं कर पाएंगे।


🚩नेता उसे कहते हैं जो नीति पर चलें न्याय के लिए लड़ाई करें। भगवान श्री कृष्ण ने भी न्याय के लिए महाभारत का युद्ध किया। संत आशारामजी बापू ने अपने सत्संग में बताया की भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में तात्विक आजादी को सच्ची आजादी बताया है।


🚩राष्ट्र की,जनता की सच्ची सेवा क्या है? कैसे हो सकती है? कौन कर सकता है ? अपने आप को राष्ट्रवादी मानने वाले , रामराज्य की बातें करने वाले, हिंदू राष्ट्र की बातें करने वाले क्या सच्ची आजादी के मायने जानते हैं? भगवान श्री राम भी गुरु वशिष्ठजी के चरणों में बैठकर उनकी आज्ञा में रहकर शासन करते थे उन्होंने भी सच्ची आजादी को समझा और पाया तभी रामराज्य साकार हो पाया।


🚩संत आशारामजी बापू के दैवी कार्यों द्वारा विश्व मानवता की जो सेवा हो रही है, उसकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। युवा पीढ़ी को उचित खान पान संयम, ब्रह्मचर्य की शिक्षा द्वारा विश्व स्तर पर मातृ पितृ पूजन दिवस के द्वारा आने वाली पीढ़ी में दैवी संस्कार जगा रहे हैं। विश्व मानवता को जन्म मृत्यु रूपी दुःख से मुक्ति का मार्ग दिखाकर सच्ची आजादी की ओर ले जा रहे हैं।


🚩भारत के विश्व प्रसिद्ध हिंदू संत आशारामजी बापू की उपेक्षा करके भारत के राजनेता इस देश को कहां ले जा रहे हैं?


🚩भारत के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री का यह प्रथम कर्तव्य है कि संत आशारामजी बापू के समर्थन में सार्वजनिक रूप से अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करें। अनेको बार केंद्र एवं राज्य सरकारों ने न्यायालय में अनेक मुकदमे वापस लिए हैं। कई सरकारों ने सजायाफ्ता बड़े बड़े अपराधियों को जेल से छोड़ा है। उनके केस खत्म किए हैं।


🚩राजनीतिक,व्यक्तिगत कारणों से ऊपर उठकर देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री को सनातन धर्म की रक्षा के लिए ऐसे महान संतों के सानिध्य में इस राष्ट्र की जनता के कल्याण के लिए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।- महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती

(डॉ पूजा शकुन पाण्डेय) निरंजनी अखाड़ा,राष्ट्रीय सचिव, हिन्दू महासभा


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Monday, August 14, 2023

विभाजन का इतिहास आपको खून के आंसू रुला देगा, अभी भी सावधान रहना होगा.....

14 August 2023

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🚩इस लेख में 1947 में जिन्ना के इशारों पर जो अत्याचार पाकिस्तान में बलूच रेजिमेंट ने हिन्दुओं पर किया उसका उल्लेख किया गया है। हर हिन्दुस्तानी को यह इतिहास ज्ञात होना चाहिए।


🚩विभाजन के पश्चात भारत सरकार ने एक तथ्यान्वेषी संगठन बनाया जिसका कार्य था पाकिस्तान छोड़कर भारत आए लोगों से उनकी जुबानी अत्याचारों का लेखा जोखा बनाना। इसी लेखा जोखा के आधार पर गांधी हत्याकांड की सुनवाई कर रहे उच्च न्यायालय के जज जी डी खोसला लिखित, 1949 में प्रकाशित, पुस्तक ‘स्टर्न रियलिटी’ विभाजन के समय दंगों, कत्लेआम, हताहतों की संख्या और राजनैतिक घटनाओं को दस्तावेजी स्वरूप प्रदान करती है। हिंदी में इसका अनुवाद और समीक्षा ‘देश विभाजन का खूनी इतिहास (1946-47 की क्रूरतम घटनाओं का संकलन)’ नाम से सच्चिदानंद चतुर्वेदी ने किया है। नीचे दी हुई चंद घटनायें इसी पुस्तक से ली गई हैं जो ऊंट के मुंह में जीरा समान हैं।


🚩11 अगस्त 1947 को सिंध से लाहौर स्टेशन पह़ुंचने वाली हिंदुओं से भरी गाड़ियां खून का कुंड बन चुकी थीं। अगले दिन गैर मुसलमानों का रेलवे स्टेशन पहुंचना भी असंभव हो गया। उन्हें रास्ते में ही पकड़कर उनका कत्ल किया जाने लगा। इस नरसंहार में बलूच रेजिमेंट ने प्रमुख भूमिका निभाई। 14 और 15 अगस्त को रेलवे स्टेशन पर अंधाधुंध नरमेध का दृश्य था। एक गवाह के अनुसार स्टेशन पर गोलियों की लगातार वर्षा हो रही थी। मिलिट्री ने गैर मुसलमानों को स्वतंत्रता पूर्वक गोली मारी और लूटा।


🚩19 अगस्त तक लाहौर शहर के तीन लाख गैर मुसलमान घटकर मात्र दस हजार रह गये थे। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति वैसी ही बुरी थी। पट्टोकी में 20 अगस्त को धावा बोला गया जिसमें ढाई सौ गैर मुसलमानों की हत्या कर दी गई। गैर मुसलमानों की दुकानों को लूटकर उसमें आग लगा दी गई। इस आक्रमण में बलूच मिलिट्री ने भाग लिया था।


🚩25 अगस्त की रात के दो बजे शेखपुरा शहर जल रहा था। मुख्य बाजार के हिंदू और सिख दुकानों को आग लगा दी गई थी। सेना और पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। आग बुझाने के लिए अपने घर से बाहर निकलने वालों को गोली मारी जाने लगी। उपायुक्त घटनास्थल पर बाद में पहुंचा। उसने तुरंत कर्फ्यू हटाने का निर्णय लिया और उसने और पुलिस ने यह निर्णय घोषित भी किया। लोग आग बुझाने के लिये दौड़े। पंजाब सीमा बल के बलूच सैनिक, जिन्हें सुरक्षा के लिए लगाया गया था, लोगों पर गोलियाँ बरसाने लगे। एक घटनास्थल पर ही मर गया, दूसरे हकीम लक्ष्मण सिंह को रात में ढाई बजे मुख्य गली में जहाँ आग जल रही थी, गोली लगी। अगले दिन सुबह सात बजे तक उन्हें अस्पताल नहीं ले जाने दिया गया। कुछ घंटों में उनकी मौत हो गई।


🚩गुरुनानक पुरा में 26 अगस्त को हिंदू और सिखों की सर्वाधिक व्यवस्थित हत्या की कार्यवाही की गई। मिलिट्री द्वारा अस्पताल में लाए गए सभी घायलों ने बताया कि उन्हें बलूच सैनिकों द्वारा गोली मारी गयी या 25/26 अगस्त को उनकी उपस्थिति में मुस्लिम झुंड द्वारा छूरा या भाला द्वारा मारा गया। घायलों ने यह भी बताया कि बलूच सैनिकों ने सुरक्षा के बहाने हिंदू और सिखों को चावल मिलों में इकट्ठा किया। इन लोगों को इन स्थानों में जमा करने के बाद बलूच सैनिकों ने पहले उन्हें अपने कीमती सामान देने को कहा और फिर निर्दयता से उनकी हत्या कर दी। घायलों की संख्या चार सौ भर्ती वाले और लगभग दो सौ चलंत रोगियों की हो गई। इसके अलावा औरतें और सयानी लड़कियाँ भी थी जो सभी प्रकार से नंगी थी। सर्वाधिक प्रतिष्ठित घरों की महिलाएं भी इस भयंकर दु:खद अनुभव से गुजरी थी। एक अधिवक्ता की पत्नी जब अस्पताल में आई तब वस्तुतः उसके शरीर पर कुछ भी नही था। पुरुष और महिला हताहतो की संख्या बराबर थी। हताहतो में एक सौ घायल बच्चे भी थे।


🚩शेखपुरा में 26 अगस्त की सुबह सरदार आत्मा सिंह की मिल में करीब सात आठ हजार गैर मुस्लिम शरणार्थी शहर के विभिन्न भागों से भागकर जमा हुये थे । करीब आठ बजे मुस्लिम बलूच मिलिट्री ने मिल को घेर लिया। उनके फायर में मिल के अंदर ही एक औरत की मौत हो गयी। उसके बाद कांग्रेस समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह मिलिट्री वालों के पास हरा झंडा लेकर गए और पूछा आप क्या चाहते हैं। मिलिट्री वालों ने दो हजार छ: सौ रुपये की मांग की जो उन्हें दे दिया गया। इसके बाद एक और फायर हुआ और एक आदमी की मौत हो गई। पुन: आनंद सिंह द्वारा अनुरोध करने पर बारह सौ रुपये की मांग हुई जो उन्हें दे दिया गया। फिर तलाशी लेने के बहाने सबको बाहर निकाला गया। सभी सात-आठ हजार शरणार्थी बाहर निकल आये। सबसे अपने कीमती सामान एक जगह रखने को कहा गया। थोड़ी ही देर में सात-आठ मन सोने का ढेर और करीब तीस-चालीस लाख जमा हो गये। मिलिट्री द्वारा ये सारी रकम उठा ली गई। फिर वो सुंदर लड़कियों की छंटाई करने लगे। विरोध करने पर आनंद सिंह को गोली मार दी गयी। तभी एक बलूच सैनिक द्वारा सभी के सामने एक लड़की को छेड़ने पर एक शरणार्थी ने सैनिक पर वार किया। इसके बाद सभी बलूच सैनिक शरणार्थियों पर गोलियाँ बरसाने लगे। अगली प्रांत के शरणार्थी उठकर अपनी ही लड़कियों की इज्जत बचाने के लिये उनकी हत्या करने लगे।


🚩1 अक्टूबर की सुबह सरगोधा से पैदल आने वाला गैर मुसलमानों का एक बड़ा काफिला लायलपुर पार कर रहा था। जब इसका कुछ भाग रेलवे फाटक पार कर रहा था अचानक फाटक बंद कर दिया गया। हथियारबंद मुसलमानों का एक झुंड पीछे रह गये काफिले पर टूट पड़ा और बेरहमी से उनका कत्ल करने लगा। रक्षक दल के बलूच सैनिकों ने भी उनपर फायरिंग शुरु कर दी। बैलगाड़ियों पर रखा उनका सारा धन लूट लिया गया। चूंकि आक्रमण दिन में हुआ था, जमीन लाशों से पट गई। उसी रात खालसा कालेज के शरणार्थी शिविर पर हमला किया गया। शिविर की रक्षा में लगी सेना ने खुलकर लूट और हत्या में भाग लिया। गैर मुसलमान भारी संख्या में मारे गये और अनेक युवा लड़कियों को उठा लिया गया।


🚩अगली रात इसी प्रकार आर्य स्कूल शरणार्थी शिविर पर हमला हुआ। इस शिविर के प्रभार वाले बलूच सैनिक अनेक दिनों से शरणार्थियों को अपमानित और उत्पीड़ित कर रहे थे। नगदी और अन्य कीमती सामानों के लिये वो बार बार तलाशी लेते थे। रात में महिलाओं को उठा ले जाते और बलात्कार करते थे। 2 अक्टूबर की रात को विध्वंस अपने असली रूप में प्रकट हुआ। शिविर पर चारों ओर से बार-बार हमले हुए। सेना ने शरणार्थियों पर गोलियाँ बरसाईं। शिविर की सारी संपत्ति लूट ली गई। मारे गए लोगों की सही संख्या का आंकलन संभव नही था क्योंकि ट्रकों में बड़ी संख्या में लादकर शवो को रात में चिनाब में फेंक दिया गया था।


🚩करोर में गैर मुसलमानों का भयानक नरसंहार हुआ।

 7 सितंबर को जिला के डेढ़ेलाल गांव पर मुसलमानों के एक बड़े झुंड ने आक्रमण किया। गैर मुसलमानों ने गांव के लंबरदार के घर शरण ले ली। प्रशासन ने मदद के लिये दस बलूच सैनिक भेजे। सैनिकों ने सबको बाहर निकलने के लिये कहा। वो औरतों को पुरूषों से अलग रखना चाहते थे। परंतु दो सौ रूपये घूस लेने के बाद औरतों को पुरूषों के साथ रहने की अनुमति दे दी। रात में सैनिकों ने औरतों से बलात्कार किया। 9 सितंबर को सबसे इस्लाम स्वीकार करने को कहा गया। लोगों ने एक घर में शरण ले ली। बलूच सैनिकों की मदद से मुसलमानों ने घर की छत में छेद कर अंदर किरोसिन डाल आग लगा दी। पैंसठ लोग जिंदा जल गए।


🚩यह लेख हमने संक्षिप्त रूप में दिया है। विभाजन से सम्बंधित अनेक पुस्तकें हमें उस काल में हिन्दुओं पर जो अत्याचार हुए, उससे अवगत करवाती हैं, हर हिन्दू को इन पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। क्योंकि “जो जाति अपने इतिहास से कुछ सबक नहीं लेती उसका भविष्य निश्चित रूप से अंधकारमय ही होता है।


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Sunday, August 13, 2023

‘ग़दर 2’ में अच्छा मुस्लिम’ और ‘भाईचारा’ की बातें डालने के पीछे आखिर निर्माताओं की मंशा क्या थी ???

 13 August 2023


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🚩फिल्म ‘ग़दर 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। अभिनेता सनी देओल स्टारर इस फिल्म की समीक्षाएँ भी आ चुकी हैं। बड़ी संख्या में दर्शकों ने भी इसे पहले दिन देखा है। इस पर तो काफी कुछ लिखा-सुना जा चुका है। इसीलिए, सीधे मुद्दे पर आते हैं।


🚩अगर आप ये सोच कर ‘ग़दर 2’ देखने जा रहे हैं कि इसमें बॉलीवुड का जो ट्रेंड रहा है उससे कुछ हट कर है, तो आप निराश होंगे। इसमें भी कथित भाईचारे का सन्देश दिया गया है। हिंदुस्तान के मुस्लिम को पाकिस्तानी पीटते हैं। पाकिस्तान में कई ऐसे मुस्लिम हैं जो हिन्दुस्तानियों की मदद करते हैं, उनमें महिलाएँ भी हैं। ये लोग सीधे-सादे दिखाए गए हैं, जो ‘मानवता’ के नाते भारतीयों की मदद करते हैं और मजहब आड़े नहीं आने देते ।


🚩‘अच्छा मुस्लिम’ और ‘भाईचारा’ की बातें डालने की ज़रूरत थी?

अगर आपको 2015 में आई फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ याद होगी तो आपको पाकिस्तान के ‘अच्छे मुस्लिमों’ के बारे में भी पता होगा। एक पत्रकार, जो हनुमान भक्त की मदद करता है। एक मौलवी, जो उसे पुलिस से बचाता है। ठीक ऐसे ही यहाँ ‘ग़दर 2’ में भी कई किरदार हैं।


🚩एक दृश्य में सनी देओल कहते भी हैं , कि अगर पाकिस्तानियों को भारत में रहने का मौका मिला तो आधा पाकिस्तान खाली हो जाएगा। ये ‘भाईचारे ’ का ही सन्देश तो दिया गया है !!!


🚩इसी तरह, सनी देओल के बेटे के किरदार में दिख रहे उत्कर्ष शर्मा पाकिस्तानी जनरल (मनीष वधावा) से कहते हैं कि उन्होंने शरीयत पढ़ी है और उनकी माँ (शकीना के किरदार में अमीषा पटेल) ने उन्हें कुरान भी पढ़ाया है।

अब यहां वो ये जताना चाहते हैं , कि कुरान और शरीयत पाकिस्तानी( व अन्य देशों के) कट्टरवादियों ने ठीक से नहीं पढ़ी, इसीलिए वो हिंसा करते हैं।

" जबकि विदेशों में कुरान जलाने वाले कहते हैं कि इसमें इस्लाम न मानने वालों की हत्या की बात कही गई है।"


🚩जहाँ तक शरीयत का सवाल है, इसके तहत अफगानिस्तान में महिलाओं को शिक्षा और नौकरी से वंचित कर दिया गया है। उन पर कोड़े बरसाए जाते हैं। शरीयत के हिसाब से भारत में भी मुस्लिमों के ‘पर्सनल लॉ’ हैं, जिसके तहत बेटियों को मृत पिता की संपत्ति में हिस्सा तक नहीं मिलता।

शायद आप भूल न गए हों कि ... ' तीन तलाक ’ जैसे ' महिला विरोधी ' नियम इसी कानून का हिस्सा थे, जिसे मोदी सरकार ने निरस्त किया। इसके तहत शौहर द्वारा 3 बार तलाक बोल या मैसेज में लिख तक देने से तलाक हो जाता था।


🚩आज के समय में ‘अच्छा पाकिस्तानी मुस्लिम’ वाली थ्योरी शायद ही लोगों को पचे, क्योंकि राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल तेली की रेकी करने वाला उनका मुस्लिम पड़ोसी ही था, जिसके बाद उनका गला काट डाला गया था। महाराष्ट्र के अमरावती में उमेश कोल्हे की हत्या करने वाला उनका मुस्लिम दोस्त ही था, जिसकी उन्होंने मदद की थी कभी। थोड़ा पीछे जाएँ तो कश्मीर में BK गंजू नामक इंजीनियर की हत्या का कारण उनका मुस्लिम पड़ोसी ही था, जिसने उनके छिपने के ठिकाने के बारे में बता दिया और आतंकियों ने उन्हें मार डाला।


🚩‘ग़दर 2’ में एक जगह सनी देओल डायलॉग बोलते हैं, “अगर रसूल का इस्लाम पढ़ा होता तो दुनिया में ‘गजवा-ए-हिन्द’ नहीं, बल्कि ‘जज्बा-ए-हिन्द’ होता ।” जबकि इस्लामी कट्टरपंथी गजवा-ए-हिन्द का स्रोत हदीथ को ही मानते हैं।

हदीथ के बारे में कहा जाता है , कि इसमें पैगंबर मुहम्मद और उनके परिवार की ही बातें हैं।

पर एक बात तो है कि फिल्म में ‘गजवा-ए-हिन्द’ की चर्चा के बाद कम से कम लोग सर्च तो करेंगे इंटरनेट पर कि ये है क्या ???


🚩यहाँ भी संक्षेप में बता देना आवश्यक है। इस्लामी कट्टरपंथी मानते हैं कि हदीथ में वर्णन है , कि मुस्लिमों और गैर-मुस्लिमों के बीच भारत में एक बड़ा युद्ध होगा। इसीलिए, ये इस्लामी कट्टरपंथी और आतंकी पूरे दक्षिण एशिया में इस्लाम के शासन या खलीफा के शासन के लिए हिंसा करते हैं। भारत में इस्लामी आक्रांताओं को शासन करने में कई वर्ष लग गए थे। इसके बाद उन्होंने सैकड़ों वर्षों तक राज किया, लेकिन हिन्दू खत्म नहीं हुए। इसीलिए, वो मानते हैं कि जंग जारी है, बाकी है।


🚩इसी तरह, ‘ग़दर 2’ में पाकिस्तान का एक और बुजुर्ग मुस्लिम कहता है कि आज़ादी से पहले सब भाईचारे के साथ रहते थे। सनी देओल का डायलॉग है कि आज़ादी की लड़ाई मुस्लिमों ने भी लड़ी।

...फिर ‘मुस्लिम लीग’ क्या था?

...इस्लामी कट्टरपंथियों ने तो लड़ाई बहादुरशाह ज़फर को बादशाह बनाने के लिए लड़ी।

...खिलाफत के लिए लड़ी (जिसके बाद मोपला मुस्लिमों ने केरल में हिन्दुओं का नरसंहार किया)।

...पाकिस्तान बनाने के लिए लड़ी।


🚩अगर बात की जाती है, कि आज़ादी से पहले चारों ओर भाईचारा था !!!


🚩फिर काशी में नागा साधुओं और औरंगजेब के बीच हुए युद्ध को नज़रंदाज़ कर दिया जाएगा?

🚩अयोध्या को बचाने के लिए कई बार लड़ाइयाँ हुईं।

🚩सोमनाथ भी भयंकर युद्ध के बाद लूटा गया।

🚩बाबर ने कुरान-इस्लाम की बातें कर के ही अपनी फ़ौज में दिल्ली पर कब्जे के लिए जोश भरा।

🚩30,000 से अधिक मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाना कम से कम ‘भाईचारा’ की निशानी तो नहीं ही है !


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Saturday, August 12, 2023

OMG 2 का हिंदुओं को विरोध क्यों करना चाहिए ?


अभी विरोध नहीं किया गया तो आगे क्या होगा ?

12 August 2023
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🚩जब सितंबर 2012 में ‘OMG! Oh My God’ फिल्म आई थी, तब इसे दर्शकों का अच्छा-खासा प्यार मिला था। बढ़िया समीक्षा से लेकर अच्छी कमाई तक, फिल्म ने सब बटोरे।
लेकिन, बाद में सामूहिक चेतना के विकास के साथ हिन्दुओं को इस बात का एहसास हुआ कि उनके साथ छल हुआ है। मूर्तिपूजा के प्रति घृणा फैलाने से लेकर मंदिरों को बदनाम करने तक, इस फिल्म ने हिन्दू विरोध के हर कार्य बखूबी किए थे। अब निर्माता उसकी सीक्वल ‘OMG 2’ लेकर आ गए हैं।

🚩अगर ‘OMG 2’ की समीक्षा की बात करें तो,इसके डायलॉग्स बड़ी चालाकी से लिखे गए हैं। एक साधारण प्लॉट को एक लंबी स्क्रिप्ट में ढाल कर कहानी पिरोई गई है।

🚩‘OMG 2’: मेनस्ट्रीम मीडिया द्वारा तारीफ़, ‘सेक्स एजुकेशन’ पर जोर...

🚩भारत में एक आदत रही है, पश्चिम का अनुसरण करना। वहाँ लोग समलैंगिक आंदोलन करने लगें तो यहाँ समलैंगिकों के पक्ष में बातें करके आधुनिक बनने की होड़ लग जाती है। वहाँ बच्चों को सेक्स के बारे में बताया जाने लगा तो यहाँ सवाल उठने लगे, कि भारत में खुलेआम सेक्स पर बात क्यों नहीं हो सकती ।

🚩मीडिया से एक छोटा सा सवाल – मीडिया द्वारा ‘सेक्स’ को बार-बार भारतीय समाज में ‘Taboo’ बताया जाता है, अर्थात इस पर बात नहीं की जाती !
क्या इसे गलत साबित करने के लिए लोग माता-पिता के सामने अमर्यादित होना शुरू कर दें?

🚩क्या कोई व्यक्ति या कोई महिला अपने माता-पिता या दादा-दादी के सामने सेक्स करने लगेगी तब ये कहा जाएगा कि अब भारत में सेक्स ‘Taboo’ नहीं रहा?
सड़क पर खुलेआम सेक्स होने लगे, तब माना जाएगा कि भारतीय समाज आधुनिक हो गया है?

🚩क्या हम इसीलिए पिछड़े हैं, क्योंकि हमारे यहाँ महिला-पुरुष सार्वजनिक स्थलों पर सेक्स नहीं करते और बंद कमरे में करते हैं तो उसका लाइव प्रसारण नहीं करते?
आखिर क्यूँ ‘इस पर बात होनी चाहिए’ ?
इसका मतलब और जरूरत क्या है आखिर?

🚩खुद को आधुनिक दिखाने के लिए पत्रकारों और फिल्म समीक्षकों की जिस टोली ने फिल्म की स्क्रीनिंग में तालियाँ पीटीं और इसे भर-भर के स्टार दिए, शायद वो भी इसका समर्थन करते हैं , कि सड़क पर हर व्यक्ति ये चिल्लाते हुए गुजरे कि वो मास्टरबेशन करता/करती है।
या बेटा अपने बाप से पूछे कि माँ के साथ आज का सेक्स कैसा रहा।
या फिर दादा अपनी पोती से पूछे कि रात भर क्या-क्या हुआ पति के साथ – क्या यही सब चीजें होंगी तब जाकर हमारा समाज आधुनिक साबित होगा !?

🚩इस फिल्म के नजरिए से देश में सबसे बड़ा विषय...यौन-शिक्षा 

🚩अब आते हैं फिल्म की असली समीक्षा पर। आज पूरी दुनिया का हर विकासशील व गरीब देश निर्धनता, प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से लड़ रहे हैं।
ऐसे में इन सभी मुद्दों को दरकिनार कर क्या हस्तमैथुन के बारे में बच्चों को पढ़ाना आवश्यक है ? और वो भी 5,10 साल के बच्चों को...!?

🚩क्या हस्तमैथुन इतना बड़ा टॉपिक हो गया है, कि देश में घर-घर में इस पर बहस होनी चाहिए और स्कूलों के सिलेबस में शामिल कर के इसे छोटे-छोटे बच्चों को पढ़ाया जाना चाहिए?
क्योंकि अब अक्षय कुमार और पंकज त्रिपाठी की इस पूरी फिल्म का तो यही सन्देश है न !!

🚩कहानी की बात करें तो...महाकाल की नगरी उज्जैन में शिवभक्त के बेटे का हस्तमैथुन करते हुए वीडियो वायरल हो जाता है और इसके बाद स्कूल पर मानहानि का केस ठोका जाता है। फिल्म में दिखाया गया है कि, यह इतना बड़ा विषय है कि भगवान शिव को स्वयं इसमें हस्तक्षेप करना पड़ता है और वो इस केस को लड़ने में अपने भक्त की मदद करते हैं। सेंसर बोर्ड के आदेश के कारण शिव वाले किरदार को शिव का गण बना दिया गया है। हालाँकि, अस्पताल में एक दृश्य में अक्षय कुमार भगवान शिव के रूप में दिखता है।

🚩यहाँ सवाल ये उठता है कि CBFC के आदेश के बावजूद भगवान शिव के किरदार में अक्षय कुमार को क्यों दिखाया गया?


🚩‘स्कूल के बाथरूम में एक बच्चे ने हस्तमैथुन किया’ – इस एक चीज को सही साबित करने के लिए पूरी फिल्म खपा दी गई है, वो भी हिन्दू ग्रंथों का हवाला देकर।
फिल्म के अनुसार ऐसा वीडियो वायरल होना बड़ी बात नहीं है और खुले में कहना कि हम ऐसा करते हैं , इसमें भी कोई हर्ज नहीं – फिल्म पूरी तरह से यही सन्देश दे रही है।

🚩अरुण गोविल का नेगेटिव किरदार, अपमानित किया?
एक अभिनेता का कार्य होता है कि अलग-अलग किरदार निभा कर ऐसा रच-बस जाए कि लोग उसे उन किरदारों से ही पहचानें। एक व्यक्ति का किसी फिल्म में हीरो तो किसी में विलेन बनना बड़ी बात नहीं है। हालाँकि, बात जब अरुण गोविल की आती है तो किस्सा थोड़ा अलग हो जाता है। फिल्म में स्कूल चेन का मालिक, जिसकी अखबार कंपनी भी है, उस उद्योगपति के किरदार में अरुण गोविल को डाला गया है। वही अरुण गोविल, जिन्होंने 80 के दशक में रामानंद सागर की ‘रामायण’ में भगवान श्रीराम का किरदार निभाया था।

🚩इस पर तो कई बार बातें हो चुकी हैं कि कैसे एयरपोर्ट वगैरह पर देखते ही लोग उनके पाँव छू लेते थे। ऐसा एक वीडियो हाल ही में वायरल हुआ जब एक महिला ने उनसे गमछा लेकर अपने बीमार पति को अस्पताल में ले जाकर दिया और कहा कि ये भगवान ने दिया है। ये वही अरुण गोविल हैं, जिन्हें सिगरेट पीते देख कर एक फैन निराश हो गया तो उन्होंने ये व्यसन छोड़ दिया। वहीं अरुण गोविल, जिन्होंने बीबीसी के स्टूडियो में राम बन कर परेड करने से इनकार कर दिया था।

🚩ऐसे व्यक्ति को ‘सेक्स एजुकेशन’ के विरोधी उद्योगपति का किरदार दिया गया है जो अपने खिलाफ केस करने वाले को पैसों का लालच देता है और धमकी देकर चेक पर साइन कराता है। सवाल उठता है कि क्या ये जानबूझकर किया गया ताकि फिल्म की आलोचना न हो? अरुण गोविल की प्रतिष्ठा का गलत इस्तेमाल किया गया? या फिर उनकी छवि को बॉलीवुड का गिरोह विशेष बदलना चाहता है? ये चर्चा का विषय रहेगा कि अरुण गोविल को नकारात्मक रोल देने के पीछे क्या मंशा थी।

🚩फिल्म में कामसूत्र से लेकर अन्य हिन्दू धर्म ग्रंथों का भी जिक्र किया गया है, जिनमें यौन संबंधों पर बातें की गई हैं। खजुराहो और अजंता-एलोरा की गुफाओं में बने चित्रों को दिखा कर हस्तमैथुन की पैरवी की गई है। कहा गया है कि गुरुकुलों में कामशास्त्र पढ़ाया जाता था। ‘पंचतंत्र’ में इस कामशास्त्र का जिक्र होने का दावा किया गया है। स्त्री की योनि में वीर्य डालने को लेकर क्या लिखा गया है, ये बताया गया है। स्त्री की सुंदरता के वर्णन के समय नितंबों की भी तारीफ़ की गई है, ये पढ़ कर सुनाया गया है।
...इतनी वाहियात स्क्रिप्ट को तो तुरंत सिरे से नकारा जाना चाहिए था,पर जो कुछ हो रहा है आज देश में ... शायद इसी को घोर कलयुग कहते हैं।

🚩आश्चर्य !!!

🚩कि हम हिन्दुओ को ये सब बातें न सिर्फ पच जाती हैं , बल्कि अपने धर्म का इतना बडा मखौल उडते देख हम तालियां भी पीटते हैं और बेशर्मी की हद ये कि अपनी-अपनी स्वार्थ सिद्धी या मूढ़ता के चलते मानने को भी तैयार हो जाते हैं , कि हमारा समाज प्राचीन काल में इतना खुला और विभत्स था !!
लेकिन... क्या इससे ये साबित होता है कि छोटे-छोटे बच्चों को ये सब पढ़ाया जाना चाहिए?

🚩ये सही है कि महर्षि वात्स्यायन ने लिखा है कि यौवन अवस्था आने तक कामशास्त्र का ज्ञान होना चाहिए, लेकिन ये उस समय की बात है जब शादियाँ सामान्यतः आज के मुकाबले कम उम्र में ही होती थीं और यौन संबंध बनाने के लिए अध्ययन आवश्यक माना जाता था।

🚩आधुनिक काल की बात करें तो विवाह के लिए भारत में लड़कियों के लिए 18 और लड़कों के लिए 21 वर्ष की उम्र कानूनी रूप से निश्चित की गई है। फिर क्या 5-10 साल की उम्र में ही यौन संबंधी शिक्षाएँ आवश्यक हैं? 
फिल्म में वकालत की गई है कि खुले रूप से सेक्स की शिक्षा दी जानी चाहिए और इसके लिए हिन्दू ग्रंथों का सहारा लिया गया है, लेकिन क्या आपने किसी भी प्राचीन कथा-कहानियों या प्रसंग में परिवार के लोगों को सेक्स पर आपस में चर्चा करते पढ़ा है? या फिर गली-नुक्कड़ में सेक्स पर चर्चा होते पढ़ा है?

🚩क्या हम सिर्फ इसीलिए बच्चों को सेक्स के बारे में बताने लगें, क्योंकि पश्चिमी देश ऐसा कर रहे हैं? पॉर्न प्लेटफॉर्म्स पर तो जानवरों तक के साथ सेक्स के वीडियो उपलब्ध हैं, तो क्या बच्चों को ये सब भी पढ़ाया जाना चाहिए? आज तक आपने किसी बच्चे का हस्तमैथुन करते हुए वीडियो वायरल होते हुए देखा है?


🚩विडम्बना देखिए...जो कभी हुआ ही नहीं, उसे फिल्म में आम समस्या बता कर पेश किया गया है।
जबकि सनातनधर्म में ‘काम’ का अर्थ पुरुषार्थ से भी लिया जाता है, सिर्फ संभोग से नहीं।

🚩दावा किया गया है कि ‘सेक्स एजुकेशन’ से बच्चों को सही-गलत का पता लगेगा। उन्हें बताया जाना चाहिए कि कोई महिला गर्भवती कैसे होती है, सेक्स कैसे किया जाता है।
तो हमारा इस पर एक ही प्रश्न है.... कि सेक्स के बारे में वयस्कों को तो सारा ज्ञान होता है न और साथ ही कानून का भी ज्ञान होता है, फिर भी रेप जैसी घृणित घटनाएँ क्यों होती हैं ???

🚩 साफतौर पर समझना और स्वीकारना होगा कि , इन समस्याओं से निपटने के लिए बच्चों में यौनशिक्षा की बिल्कुल नहीं बल्कि संस्कार सिंचन की ज़रूरत है। मान लीजिए, किसी बच्चे को लड़कियों की योनि के बारे में पढ़ाया जाने लगा, जैसे कि फिल्म में दावा किया गया है कि ऐसा होना चाहिए, फिर...!?

🚩बच्चों के कोमल मन मष्तिष्क के साथ क्या ये अन्याय नहीं होगा?क्या कुछ बुरा असर हो सकता है, इसका तो अन्दाजा लगाना भी मुश्किल है।

🚩फिल्म में कोर्टरूम के भीतर एक महिला से अपने पति के साथ उसकी सुहागरात का वर्णन करने को कहा जाता है।
एक बहन बताती है कि कैसे उसके भाई ने हस्तमैथुन का जो कार्य किया वो सही था।
एक शिवभक्त अपनी विरोधी वकील के नितंबों की सुंदरता का वर्णन करता है।
'बच्चा कैसे पैदा होता है’ – इस पर पूरी की पूरी बहस हो जाती है कोर्ट में। भीड़ में युवक-युवतियाँ चिल्लाते हैं कि वो हस्तमैथुन करते हैं। क्या ये सब किसी भी हिसाब से एक सामान्य समाज का हिस्सा है...!?
क्या ये वहशीपने की पराकाष्ठा नहीं है...!?

🚩फिल्म ‘OMG 2’ शुरू होते ही नग्न नागा साधुओं को दिखाया गया है। हंसराज रघुवंशी के गाने पर पंकज त्रिपाठी को परफॉर्म करते देखना थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन उनकी बाकी की एक्टिंग तगड़ी है। एक शिवभक्त, जिस रोल में पंकज त्रिपाठी हैं, वो घर आकर पूजा-पाठ कर रही अपनी पत्नी को चाय-पानी के लिए परेशान करता है। उसे मन्त्र पढ़ना छोड़ कर आना पड़ता है। फिल्म में पीड़ित बच्चे का सबसे अच्छा दोस्त ‘ज़हीर’ ( ध्यानाकर्षक एक गैरहिन्दू )है, जो केस लड़ने के लिए अध्ययन में भी पंकज त्रिपाठी की मदद करता है।

🚩हिंदी भाषा का अपमान...

🚩पंकज त्रिपाठी फिल्म में शुद्ध हिंदी में बोलता है, यहाँ भी हिंदी भाषा का मजाक बनाकर पेश किया गया है। जहाँ शुद्ध हिंदी की बात आती है, बॉलीवुड को कॉमेडी ही सूझती है।
फिल्म से सवाल उठते हैं , कि क्या नग्नता का प्रदर्शन ही आधुनिकता है? सनातन में तो यज्ञोपवीत के वक्त ये तक सिखाया जाता है कि अकेले में भी नग्न होकर स्नान न करें। फिर समाज में खुली नग्नता को हिन्दू धर्म का सहारा लेकर कैसे सही ठहराया गया !? यह बात कैसे सहन की जा सकत है?

🚩‘OMG 2’ की खासियत ये है कि इसमें सभी बातें इतनी चालाकी से कही गई हैं, कि दर्शक कुछ और सोच ही न पाएँ।
हिन्दू धर्मग्रंथों का हवाला देकर यौनशिक्षा को आवश्यक बताना...
अंग्रेजों द्वारा गुरुकुल परंपरा बंद किए जाने की आलोचना करना...
बार-बार महाकाल की गूँज , उज्जैन नगरी और वहाँ के दृश्य...
भगवान शिव और नंदी का किरदार...
– इन सबका सहारा लेकर बडे ही शातिराना तरीके से ...बच्चों में यौनशिक्षा को सही ठहराने का संदेश दिया गया है।

🚩विचार करने वाली बात ये... , कि आधुनिक होने का ये अर्थ होता है क्या , कि पश्चिम में जो हो रहा है, उसी की नकल यहाँ भी की जाए...!??

🚩महाकाल के पुजारी के घर में यौन शोषण...

🚩OMG 2’ में गोविंद नामदेव महाकाल मंदिर के पुजारी के किरदार में हैं। ‘OMG’ का गुस्सैल पुजारी वाला किरदार आपको याद होगा, जो उन्होंने निभाया था और जिसके सहारे संतों को बदनाम किया गया था। इस बार दिखाया गया है कि उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के पुजारी की छोटी सी बच्ची का यौन शोषण लड़की का मामा ही करता है। इससे पुजारी का मन बदल जाता है और वो ‘सेक्स एजुकेशन’ को लेकर जागृत हो जाता है।

🚩इससे पहले पुजारी को ऐसे किरदार में दिखाया गया है जो एक उद्योगपति के साथ मिलकर शिवभक्त को धमकाता है।

🚩जरा सोचिए.....
कभी किसी मौलवी के घर में बलात्कारी दिखाए जाने वाला कोई दृश्य आपने देखा है बॉलीवुड की किसी फिल्म में !?
क्या किसी अन्य मजहब के पूज्य पुरुष हस्तमैथुन की वकालत करते हुए दिखाए जा सकते हैं !?
क्या ईसाई और मुस्लिम पुस्तकों का हवाला देकर ‘सेक्स एजुकेशन’ की पैरवी की जा सकती है !?
अगर ऐसा हुआ तो ‘सर तन से जुदा’ होने में शायद क्षण भर भी ना लगे...

🚩किसी अन्य मजहब को लेकर ये सब किया गया होता तो ये ‘बेअदबी’ या ‘ईशनिंदा’ की कैटेगरी में आता या नहीं !?
लेकिन अफ़सोस, हिन्दू धर्म को सेक्स-हस्तमैथुन से जोड़ने, धर्मग्रंथों से बिना सन्दर्भ बताए योनि-वीर्य की बातें उद्धृत करने और भगवान शिव को हस्तमैथुन की पैरवी करने वाला दिखाने वाली फिल्म पर महामूर्ख हिन्दू तालियाँ पीटते हैं।
वैसे भी हमारी फिल्मों में तो हमेशा से ही ब्राह्मणों को जोकर, वैश्य समाज को सूदखोर और क्षत्रिय को अत्याचारी बताने का चलन रहा है।

🚩अभी तो इस फ़िल्म में दिखाए गए चंद विभत्स और घृणित दृश्यों और संदेशों पर ही चर्चा हुई है...दरअसल इसमें वाहियात दृश्यों और संदेशों की भरमार है

🚩‘OMG 2’ का विरोध क्यों है आवश्यक...?

🚩‘OMG 2’ जैसी फिल्मों का इसीलिए विरोध होना चाहिए, क्योंकि इसमें एक सेक्स वर्कर को झुककर देवी-देवताओं की तरह प्रणाम किया जा रहा है।
क्योंकि इसमें सेक्स वर्कर के पास सेक्स के लिए आने वाले पुरुषों को ‘यजमान’ कहा गया है।
कल को पॉर्न में दिखाए जाने वाले दृश्यों को भी हिन्दूधर्म से जोड़कर फिल्म बना दी जाए इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
या अगर समलैंगिक सेक्स या जानवरों के साथ सेक्स को भी जायज ठहराने के लिए राम-कृष्ण-शिव से जोड़ कर फ़िल्में बन जाएँ , तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
क्योकिं तब हम विरोध कर पाने की क्षमता खुद ही खो चुके होंगे , अगर अभी विरोध नहीं किया तो।

🚩महिलाओं का सम्मान करना सिखाने के लिए ‘सेक्स एजुकेशन’ बिल्कुल ज़रूरी नहीं !

🚩अगर किसी बच्चे को बताना है, कि उसे लड़कियों या महिलाओं का सम्मान करना चाहिए, तो उसे योनि और वीर्य के बारे में बताने की ज़रूरत नहीं है। उसे ये बात सीधी भाषा में भी समझाई जा सकती है। बच्चे को सीधा बोला जा सकता है कि हस्तमैथुन बिल्कुल अच्छी आदत नहीं है , इससे उसकी जिन्दगी को तबाही के सिवा कुछ नहीं मिलेगा ।इसके लिए किसी हाथी-घोड़े वाले विज्ञान की आवश्यकता नहीं है। एक बच्चे को संभोग के बारे में क्यों बताया जाना चाहिए !?
उसे उस उम्र में ये सब बताने की अपेक्षाकृत ऊंचे संस्कारों से पुष्ट करना ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक कदम है।

🚩18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के लिए भारत में सेक्स प्रतिबंधित है। फिर क्या 10 साल की उम्र में संभोग के बारे में पढ़ाना आवश्यक है? जैसा कि फिल्म में तर्क दिया गया है, लड़के-लड़कियों की नंगी तस्वीरें हर एक कक्षा में लटका कर उसके गुप्तांगों के बारे में पढ़ाना चाहिए।
खेलने-कूदने की उम्र में बच्चे यह सब पढ़ने लगेंगे तो उनके बचपन का क्या !?

🚩जहाँ तक ‘गुड टच और बैड टच’ की बात है, बच्चों को सीधी भाषा में भी तो समझाया जा सकता है कि ये गलत है और ये सही ! कि कौन उनका अपना और हितैषी है और कौन नहीं यह वो परख कर अपने को सुरक्षित कर सकें !

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Friday, August 11, 2023

आज भी होते हैं चमत्कार...

हाई कोर्ट को बदलना पड़ा फैसला और मुस्लिम युवक ने मंदिर में आकर मांगी माफी....



11 August 2023

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🚩आपने कई बार सुना होगा कि सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग में काफी चमत्कार होते थे।लेकिन अक्सर हमें सुनी हुई बातों पर विश्वास नही होता न।

तो लीजिए...आज इस घोर कलयुग में भी ईश्वरीय सत्ता के चमत्कारों के उदाहरण सुनिए। कुछ दिन पहले ही गुजरात में एक महिला के हाथों से भगवान की मूर्ति दूध पीते हुए वीडियो वायरल हुआ था , आज फिर से आपको दो ऐसी घटना बताने जा रहे है जिससे आपको भी ईश्वर की सत्ता पर भरोसा हो जाएगा।


🚩जज ने दिया शिवलिंग हटाने का आदेश, बेहोश हो गए सहायक रजिस्ट्रार


🚩कलकत्ता हाई कोर्ट में सोमवार (7 अगस्त 2023) को एक अजीबोगरीब घटना हुई। एक जमीन विवाद में हाई कोर्ट के जस्टिस जय सेनगुप्ता ने शिवलिंग हटाने का आदेश दिया। लेकिन फैसला रिकॉर्ड करते हुए सहायक रजिस्ट्रार बिश्वनाथ राय अचानक बेहोश हो गए। इसके बाद जज सेनगुप्ता ने मामले में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।


🚩रिपोर्ट के अनुसार बेहोश होने के बाद रजिस्ट्रार साहब को हाईकोर्ट के स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। जज अपने चेंबर में चले गए। थोड़ी बाद जज सेनगुप्ता कोर्ट रूम में लौटे। लेकिन इस बार उन्होंने मामले में हस्तक्षेप से मना कर दिया। वहीं सहायक रजिस्ट्रार के अचानक बेहोश होने के कारण का भी पता नहीं चल सका।


🚩शिवलिंग हटाने का आदेश मुर्शिदाबाद बेलडांगा के खिदिरपुर के दो लोगों के बीच जमीनी विवाद में दिया गया था। खिदिरपुर के सुदीप पाल और गोविंद मंडल के बीच यह विवाद चल रहा है। इसको लेकर इसी साल मई में दोनों पक्षों में मारपीट भी हुई थी। इसके बाद दोनों पक्षों ने बेलडांगा थाने में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में निचली अदालत ने दोनों को जमानत दे दी थी।


🚩लेकिन विवाद में नया मोड़ तब आ गया , जब सुदीप ने गोविंद मंडल पर विवादित जमीन पर शिवलिंग रखने का आरोप लगाते हुए पुलिस से शिकायत की। उसने शिवलिंग हटाने की माँग की। उसका आरोप है कि पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ सुदीप पाल हाई कोर्ट पहुँच गया।


🚩हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस जय सेनगुप्ता ने गोविंद मंडल के वकील से पूछा , कि उनके मुवक्किल ने विवादित जमीन पर शिवलिंग क्यों स्थापित किया? इस पर गोविंद के वकील मृत्युंजय चटर्जी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने शिवलिंग स्थापित नहीं किया, बल्कि ये खुद ही जमीन से निकल आया है। इसके बाद जज जय सेनगुप्ता ने शिवलिंग हटाने का निर्देश दिया। लेकिन जिस वक्त सहायक रजिस्ट्रार इस फैसले को रिकॉर्ड कर रहे थे वे अचानक से बेहोश हो गए।


🚩मंदिर की दानपेटी में कंडोम रखा, अपने ही घर की दीवारों पर सिर मार-मार कर मरा नवाज


🚩कर्नाटक के मंगलुरू में स्वामी कोरगज्जा को लेकर स्थानीयों के मन में असीम आस्था है। लोग उन्हें भगवान शिव का अवतार मानते हैं। पिछले दिनों कोरगज्जा के मंदिर में कई अभद्र घटनाएँ हुईं। मंदिर की दानपेटी में कंडोम तक डाल दिया गया।


🚩ऐसे घृणित वाकये के बावजूद पुलिस आरोपितों को ढूँढने में असमर्थ थी। निराश श्रद्धालु लगातार कोरगज्जा भगवान से ऐसे विधर्मियों को सजा देने के लिए प्रार्थना कर रहे थे। कुछ दिन पहले भगवान ने अपने श्रद्धालुओं की सुनी और ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि विधर्मी स्वयं मंदिर में आकर माफी माँगने लगे।


🚩यह बिल्कुल वास्तविक घटना है। इसी साल जनवरी में मंदिर की दानपेटी से एक कंडोम निकला था, जिसके बाद से वहाँ हड़कंप था। लेकिन पांच दिन पहले अचानक मुस्लिम समुदाय के दो लड़के मंदिर में आए और पुजारी के सामने माफी के लिए गिड़गिड़ाने लगे।


🚩मंदिर की दानपेटी में कंडोम


🚩पहले पुजारी को लगा कि वे मजाक कर रहे हैं।

लेकिन नहीं! वे दोनों गंभीर थे। उन दोनों ने पुजारी को बताया, कि अपने साथी नवाज के साथ मिल कर उन्होंने ही कुछ दिन पहले मंदिर की दानपेटी में कंडोम डाला था।


🚩नवाज माफी माँगने के लिए जिंदा नहीं था। दानपेटी में कंडोम डालने के बाद उसे एक दिन खून की उल्टियाँ हुईं और फिर पेचिश से उसके मल से खून निकला। अंत में वह अपने घर की दीवारों पर सिर मारते हुए मर गया। मरते समय उसने उन्हें बताया कि कोरगज्जा उन सब पर नाराज हैं।


🚩अब सिर्फ़ वे दोनों , यानी अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफ़ीक़ ही जिंदा हैं। लेकिन वक्त बीतने के साथ रहीम को भी खून की उल्टियाँ शुरू हो गई हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे नवाज को हुई थी। उसके बाद दोनों अपनी जान जाने के डर से घबराकर पुजारी की शरण में जाकर माफी मांगने लगे। भगवान के सामने खड़े होकर दोनों ने अपना अपराध स्वीकार किया और क्षमा मांगी।

🚩पुलिस ने कहा , कि दोनों को हिरासत में ले लिया गया है। दोनों अब भी डरे हुए हैं। मीडिया से बात करते हुए पुलिस ने भी कहा कि ये एक रहस्यमयी केस था। आरोपितों के जुर्म कबूलने के बाद सबूत जुटाने की कोशिश हो रही है। हालाँकि, कृत्य के पीछे का उद्देश्य साफ नहीं हो पाया है। जाँच चल रही है। अभी तक की जाँच में आरोपितों ने बताया कि उन्होंने 3 जगह ऐसा किया था।


🚩उल्लेखनीय है कि इस पूरे विषय के ऊपर ट्विटर पर चीरू भट्ट नाम के यूजर ने एक थ्रेड डाला है। इसके मुताबिक कोरगज्जा भगवान को लेकर लोगों का मानना है कि वह अपने न्याय के लिए जाने जाते हैं। उनके पास से जल्द से जल्द फैसला आता है और दोषी को 100% सजा मिलती है।


🚩आपको बता दें कि ये पहली दफा नहीं है जब स्वामी कोरगज्जा की शरण में इस तरह कोई माफी माँगने पहुँचा हो। 4 साल पहले मनोज पंडित नाम के एक आदमी ने स्वामी कोरगज्जा को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। लेकिन बाद में उसकी हालत ऐसी हो गई कि वो गुरपुर के वज्रदेही मठ में माफी माँगने चला आया। मनोज ने स्वीकारा की उसे कोरगज्जा की आस्था के बारे में नहीं पता था।


🚩ऐसी तो अनेक घटनाएं होती रहती हैं जो लोगों को भगवान की सत्ता पर विश्वास करने को विवश कर देती हैं और उन सभी का वर्णन कर पाना तो संभव नहीं है।


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Wednesday, August 9, 2023

फिल्म 'कश्मीर फाइल्स' के दृश्यों से कहीं ज़्यादा भयानक और दर्दनाक हैं, जम्मू-कश्मीर में हिन्दुओं के हालात

9  August 2023


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🚩कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द और इस्लामी आतंकवाद के काले चेहरे को उजागर करती फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में जो दिखाया गया है, जम्मू-कश्मीर की हालत उससे कहीं अधिक भयानक थी। यह कहना है रिटायर्ड IPS अधिकारी और दो बार कश्मीर के आईजीपी रहे एसएम सहाय का। सहाय जी ने कश्मीरी हिंदू माँ-बेटी के साथ हुए बलात्कार और फिर हत्या की भयावह दास्तान सुनाई है।


🚩‘बीयर बायसेप्स’ नामक यूट्यूब चैनल पर जम्मू-कश्मीर के हालातों पर बात करते हुए एसएन सहाय ने कहा है, “फिल्म में तो बहुत कुछ नाटकीय ढंग से दिखाया गया है। लेकिन, वहाँ जो कुछ भी हो रहा था वह और भी भयानक था। मुझे याद है, एक सुबह मैं जल्दी उठा और मुझे क्रालखुद जाना पड़ा। जहाँ एक कश्मीरी हिंदू महिला और उसकी बेटी एक छोटे से घर में रहती थीं। दोनों के साथ बलात्कार किया गया इसके बाद उन्हें योनि में गोली मार दी गई थी। लड़की की मौके पर ही मौत हो गई थी। जब मैं वहाँ पहुँचा था लड़की की माँ जिंदा थी। मैं उसे लेकर हॉस्पिटल जा रहा था। लेकिन रास्ते में ही उसकी भी मौत हो गई। इससे भयानक भी कुछ हो सकता है?”


🚩ऐसी भीषण घटनाओं के बारे में अब या तो मौके पर तैनात किसी पुलिस अधिकारी से पता चलता है या फिर किसी किताब या रिसर्च पेपर के एक पैराग्राफ में कहानी शुरू होती है और वहीं खत्म हो जाती है। हालाँकि, सच्चाई यह है कि ऐसी घटनाओं पर एक पैराग्राफ नहीं बल्कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी कई फ़िल्में बन सकतीं हैं।


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