Thursday, August 31, 2023

वर्ष 2013 में 31 अगस्त की आधी रात को आशाराम बापू को गिरफ्तार क्यों किया था ? जानिए.....

 31 August 2023


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🚩आज से 11 साल पहले 31 अगस्त 2013 को ठीक रात के 12 बजे 87 वर्षीय हिन्दू संत आशारामजी बापू की गिरफ्तारी हुई थी। विदेशी फंडिंग वाली मीडिया ने आज तक जितना उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया होगा शायद किसी के खिलाफ चलाया होगा, क्योंकि कांग्रेस सरकार के समय हिंदू धर्म के पक्ष में कोई बोलता नही था उस समय आशाराम बापू ने ईसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवा दी थी, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति कट्टर बना दिया था, सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया, कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी, वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगों द्वारा मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया । विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे भारतीय संस्कृति की वहाँ प्रचार करने लगे थे, करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगे इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर पूरे सुनियोजित ढंग से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।


🚩बताया जाता है कि अरबों-खरबों का कंपनियों को घाटा होने और धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने के कारण हिन्दू धर्म व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा । डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के सुरेश चव्हाणके जी ने बताया है कि आशाराम बापू को पहले ही बता दिया था कि आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहा है, पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूंगा।”


🚩आपको बता दें कि उनके खिलाफ षडयंत्र तो 2004 से शुरू हो गया था क्योंकि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था । 2008 में साजिस ने जोर पकड़ा। उसमें उनके गुरुकुल के दो बच्चों की संदिग्ध रीति से मौत हो गई और तांत्रिक विद्या बताकर मीडिया ने उनके विरुद्ध इतना कुप्रचार किया कि आम जनता में भी रोष व्याप्त होने लगा; बाद में सुप्रीम कोर्ट ने और उसके बाद गुजरात सरकार ने क्लीनचिट दी लेकिन मीडिया ने क्लीनचिट की खबर छुपा दिया। 2008 में उनको जेल भेजने की तैयारी थी, लेकिन उनके मंसूबे पूरे नहीं हुए लेकिन विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया उनके वैदिक होली का कुप्रचार करने लगी अर्थात उनके हर सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार कार्य की आलोचना करने लगी, उनको बदनाम करना जारी रखा।


🚩साल 2013 में उनके खिलाफ एक FIR दर्ज हुई लेकिन आपको बता दें कि आरोप लगाने वाली लड़की रहने वाली थी शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) की थी, पढ़ती थी छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में, घटना जोधपुर (राजस्थान) की बता रही है और FIR करवाती है तथाकथित घटना के 5 दिन बाद दिल्ली में वो भी रात के 02:45 बजे; दिलचस्प बात तो ये है कि FIR में उस लड़की ने लिखवाया है कि मैं कमरे के अंदर थी और मुझ पर आशाराम बापू ने डेढ़ घण्टे तक हाथ घुमाया और मेरी माँ कमरे के बाहर गेट पर बैठी थी। तो क्या लड़की चिल्ला नहीं सकती थी? चिल्लाती तो तुरन्त ही उसकी मां को पता चल जाता। दूसरी बात कि वो घटना रात को 10:30 के आसपास की बता रही थी जबकि वो जिसके घर में रुकी थी वे लोग बता रहे थे कि 10:30 बजे तो हमारे घर में थी और हमने दरवाजा को लॉक कर दिया था और कॉल डिटेल के अनुसार तथाकथित घटना के समय लड़की अपने एक फ्रेंड से बात कर रही थी। जिनके घर पर वो रुकी थी,उन्होंने भी बताया कि सुबह हमारे साथ लड़की हंस खेल रही थी, हम उनको स्टेशन पर भी छोड़कर आये फिर उनको अचानक क्या हुआ कि FIR कर दिया। FIR करने के बाद आरोप लगाने वाली लड़की को उसकी सहेली ने पूछा कि ऐसे झूठे आरोप क्यों लगा रही है ?? तो उसने जवाब दिया कि मेरे को मेरे माता-पिता जैसे बोल रहे हैं वैसा कर रही हूं। फिर लड़की जो तथाकथित घटना बता रही है तो उस समय तो आशाराम बापू किसी कार्यक्रम में थे, उनके साथ 50-60 लोग भी थे जिन्होंने कोर्ट में गवाही भी दी है।


🚩आपको बता दें कि जब लड़की का मेडिकल करवाया गया लेकिन रिपोर्ट में एक खरोंच का निशान तक भी नहीं आया अर्थात लड़की को टच भी नही किया गया था और FIR में भी लिखा है कि रेप हुआ ही नहीं सिर्फ हाथ घुमाया। लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में वो भी बात खारिज हो गई लेकिन मीडिया ने दुष्प्रचार किया कि लड़की के साथ रेप हुआ है, जबकि खुद जांच ऑफिसर अजय पाल लाम्बा ने बताया कि रेप का आरोप है ही नहीं, तथाकथित छेड़छाड़ का आरोप है, फिर भी विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया उनको बदनाम करती रही।


🚩आपको ये भी बता दें कि वरिष्ठ अधिवक्ता सज्जन राज सुराणा ने न्यायालय में साजिश का खुलासा करते हुए बताया था कि Prosecution Witness PW-06 मणई फार्म हाउस के मालिक रामकिशोर ने ये कहीं नहीं कहा कि 15/08/2013 को लड़की या उसके माता-पिता रात्रि को 10 बजे कुटिया या कुटिया के आस-पास गए तो फिर जो रेप कमिट हुआ क्या वो हवा में कमिट हुआ ? इन्होंने उसके existence को ही नकार दिया।


🚩अब प्रश्न ये पैदा होता है कि ये लड़की आखिर आरोप क्यों लगा रही है? इसके लिए हमने जिज्ञासा भावसार का स्टेटमेंट रीड किया। इसमें अमृत प्रजापति, कर्मवीर, राहुल सचान, महेंद्र चावला आदि जो बहुत से गवाह थे उन्होंने मिलकर conspiracy (षड्यंत्र) की- ऐसा कहा गया है। उनके अहमदाबाद स्थित आश्रम को एक फैक्स भेजा था जिसमें अमृत प्रजापति व उनके साथियों के द्वारा ये कहा गया था कि 50 करोड़ रुपये दो वरना परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ। हम झूठी लड़कियां तैयार करेंगे, प्लांट करेंगे जिसके कारण बापूजी जिंदगी भर तक जेल में रहेंगे, कभी बाहर नहीं आ सकेंगे।


🚩इस बात के लिए साजिस वडोदरा (गुजरात) में की गई थी। जिसमें इंडिया न्यूज के दीपक चौरसिया (वर्तमान में जी न्यूज़) भी शामिल था जो मीडिया के ऊपर प्रचार प्रसार कर रहा था, कर्मवीर (परिवादिता का पिता) भी शामिल था। सबने मिलकर जो conspiracy की थी वो जिज्ञासा भावसार के सामने की थी। इन सबका जो एक motive था, वो 50 करोड़ की ब्लैकमेलिंग का था। 50 करोड़ नहीं देने के कारण से मणई गाँव का पूरा घटनाक्रम बनाया गया है।


🚩इस तरीके से सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया और उनको 76 उम्र में आधी रात में गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट में चल रहे ट्रायल जिसमें अपराध सिद्ध नहीं हुआ और जो 5 साल तक केस चला लेकिन उनको जमानत नहीं दी गई जबकि उनके केस की पैरवी दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी पैरवी कर चुके हैं और उनको लड़की के बयान को सही मानते हुए POCSO एक्ट लगाकर सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सजा सुना दी,जबकि लड़की बालिग थी, उसके अलग अलग बर्थ सर्टिफिकेट से साबित भी हुआ था और बापू आशारामजी के पास निर्दोष होने के अनेकों प्रमाण हैं, फिर भी उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी गई । वो भी केवल एक लड़की के बयान पर। आपको बता दें कि निचली अदालत के कई फैसले हाईकोर्ट ओर सुप्रीम कोर्ट बदल देती है क्योंकि कई बार जल्दीबाजी में गलत निर्णय ले लिया जाता है। खैर जब वे ऊपरी कोर्ट में जायेंगे निर्दोष बरी होंगे लेकिन उनका देश व धर्म के लिए कार्य करने का इतना कीमती समय कौन लौटा पायेगा?


🚩सलमान खान को निचली अदालत से सजा होने के बाद 1 घंटे में ही ऊपरी कोर्ट तुरंत जमानत दे देती है और आतंकवादियों के हथियार रखने वाले संजय दत्त को बार बार पेरोल देती रही वो ही न्यायालय हिंदू संत आसाराम बापू को 10 साल में एक दिन भी जमानत अथवा पेरोल नहीं दे पाई।


🚩जो कानून पूरे भारत में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को और दिल्ली के इमाम बुखारी पर सैंकड़ों गैर जमानती वारंट होने के बाद भी आजतक गिरफ्तार नहीं कर पाया वही कानून हिंदू संत आशाराम बापू को 10 साल से जेल में रखे है और मीडिया भी सिर्फ हिंदू धर्म के साधु-संतों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम करती है वही मीडिया इन सबपर चुप है और सेक्युलर हिंदू तो वामपंथी मीडिया की बात को मानकर अपने ही धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलना चालू कर देते हैं।


🚩इसलिए हिंदू अब समझ जाओ कि सनातन धर्म की रक्षा करने वालों को कैसे फंसाया जाता है, अभी समय है अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र पर आवाज उठाओ, उनकी रिहाई करवाओ नहीं तो आने वाले समय पर देश अफगानिस्तान जैसा न बन जाए।


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Wednesday, August 30, 2023

रक्षा बंधन कब और कैसे शुरू हुआ

कौन सी राखी बांधने से साल भर रक्षा बनी रहती है भाई की जानिए...... 


30 August 2023


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🚩भारतीय संस्कृति में श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जानेवाला रक्षाबंधन पर्व भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है। यह पर्व मात्र रक्षासूत्र के रूप में राखी बाँधकर रक्षा का वचन देने का ही नहीं, वरन् प्रेम, स्नेह, समर्पण, संस्कृति की रक्षा, निष्ठा के संकल्प के जरिये हृदयों को बाँधने का वचन देने का भी पर्व है। हमारी भारतीय संस्कृति त्याग और सेवा की नींव पर खड़ी होकर पर्वरूपी पुष्पों की माला से सुसज्जित है। इस माला का एक पुष्प रक्षाबन्धन का पर्व भी है। इस साल 30 अगस्त को रक्षाबंधन है।


🚩वैदिक रक्षासूत्र बाँधने की परम्परा तो वैदिक काल से रही है, जिसमें यज्ञ, युद्ध, आखेट, नये संकल्प और धार्मिक अनुष्ठान के आरम्भ में कलाई पर सूत का धागा (मौली) बाँधा जाता है।


🚩कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन


🚩सब कुछ देकर त्रिभुवनपति को अपना द्वारपाल बनानेवाले बलि को लक्ष्मीजी ने राखी बाँधी थी। राखी बाँधनेवाली बहन अथवा हितैषी व्यक्ति के आगे कृतज्ञता का भाव व्यक्त होता है। राजा बलि ने पूछा : ‘‘तुम क्या चाहती हो?” लक्ष्मीजी ने कहा : ‘‘वे जो तुम्हारे नन्हे-मुन्ने द्वारपाल हैं, उनको आप छोड़ दो।” भक्त के प्रेम से वश होकर जो द्वारपाल की सेवा करते हैं, ऐसे भगवान नारायण को द्वारपाल के पद से छुड़ाने के लिए लक्ष्मीजी ने भी रक्षाबंधन-महोत्सव का उपयोग किया।


🚩शचि ने इन्द्र को राखी बाँधी तो इन्द्र में प्राणबल का विकास हुआ और इन्द्र ने युद्ध में विजय प्राप्त की। धागा तो छोटा सा होता है लेकिन बाँधने वाले का शुभ संकल्प और बँधवाने वाले का विश्वास काम कर जाता है।


🚩कुंती ने अभिमन्यु को राखी बाँधी और जब तक राखी का धागा अभिमन्यु की कलाई पर बँधा रहा तब तक वह युद्ध में जूझता रहा। पहले धागा टूटा, बाद में अभिमन्यु मरा। उस धागे के पीछे भी तो कोई बड़ा संकल्प ही काम कर रहा था कि जब तक वह बँधा रहा, अभिमन्यु विजेता बना रहा।


🚩लोकमान्य तिलक जी कहते थे कि मनुष्यमात्र को निराशा की खाई से बचाकर प्रेम, उल्लास और आनंद के महासागर में स्नान कराने वाले जो विविध प्रसंग हैं, वे ही हमारी भारतीय संस्कृति में हमारे हिन्दू पर्व हैं। हे भारतवासियों ! हमारे ऋषियों ने हमारी संस्कृति के अनुरूप जीवन में उल्लास, आनंद, प्रेम, पवित्रता, साहस जैसे सदगुण बढ़ें ऐसे पर्वों का आयोजन किया है।


🚩तिलक जी ने यह ठीक ही कहा कि अपने राष्ट्र की नींव धर्म और संस्कृति पर यदि न टिकेगी तो देश में सुख, शांति और अमन-चैन होना संभव नहीं है।

रक्षाबंधन के पर्व पर एक-दूसरे को आयु, आरोग्य और पुष्टि की वृद्धि की भावना से राखी बाँधते हैं।


🚩रक्षाबंधन का उत्सव श्रावणी पूनम को ही क्यों रखा गया ?


🚩भारतीय संस्कृति में संकल्पशक्ति के सदुपयोग की सुंदर व्यवस्था है। ब्राह्मण कोई शुभ कार्य कराते हैं तो कलावा (रक्षासूत्र) बाँधते हैं ताकि आपके शरीर में छुपे दोष या कोई रोग, जो आपके शरीर को अस्वस्थ कर रहे हों, उनके कारण आपका मन और बुद्धि भी निर्णय लेने में थोड़े अस्वस्थ न रह जायें। सावन के महीने में सूर्य की किरणें धरती पर कम पड़ती हैं, किस्म-किस्म के जीवाणु बढ़ जाते हैं, जिससे किसीको दस्त, किसीको उलटियाँ, किसीको अजीर्ण, किसीको बुखार हो जाता है तो किसीका शरीर टूटने लगता है । इसलिए रक्षाबंधन के दिन एक-दूसरे को वैदिक रक्षासूत्र बाँधकर तन-मन-मति की स्वास्थ्य-रक्षा का संकल्प किया जाता है । रक्षासूत्र में कितना मनोविज्ञान है, कितना रहस्य है!


🚩अपना शुभ संकल्प और शरीर के ढाँचे की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह श्रावणी पूनम का रक्षाबंधन महोत्सव है।


🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे’- ऐसा एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करते हैं।


🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र ?


🚩दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें, यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेटकर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।


🚩वैदिक राखी का महत्व :


🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है।


🚩रक्षाबंधन के दिन बहन भैया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आये’। ‘मेरे भैया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहें।’


🚩बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बाँधें कि ‘हमारे भाई भगवत्प्रेमी, चरित्रवान बनें ।’ और भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।’ अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा सोचें। आप दूसरे के लिए भला सोचते हो तो आपका भी भला हो जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। अतः आप ऐसा संकल्प करें कि हमारा आत्मस्वभाव प्रकटे।


🚩सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम्। सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत्।।

‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षासूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।’ (भविष्य पुराण)


🚩येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

जिस पतले रक्षासूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसीसे मैं आपको बाँधती हूँ। आपकी रक्षा हो। यह धागा टूटे नहीं और आपकी रक्षा सुरक्षित रहे। – यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे। शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहें।


🚩रक्षाबंधन पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुम्ब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है, सामूहिक संकल्पशक्ति साकार होने लगती है।


🚩उपाकर्म संस्कार: इस दिन गृहस्थ ब्राह्मण व ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र को मिलाकर पंचगव्य बनाते हैं और उसे शरीर पर छिड़कते, मर्दन करते व पान करते हैं, फिर जनेऊ बदलकर शास्त्रोक्त विधि से हवन करते हैं। इसे उपाकर्म कहा जाता है। इस दिन ऋषि उपाकर्म कराकर शिष्य को विद्याध्ययन कराना आरम्भ करते थे।


🚩उत्सर्जन क्रिया: श्रावणी पूर्णिमा को सूर्य को जल चढाकर सूर्य की स्तुति तथा अरुंधती सहित सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है और दही-सत्तू की आहुतियाँ दी जाती हैं। इस क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं। ( स्रोत: संत आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद एवं लोक कल्याण सेतु से संकलित )


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Tuesday, August 29, 2023

अपने घर में ही इस तरीक़े से वैदिक राखी बनाए.....

 पूरी वैदिक रीति और विधि से रक्षा-सूत्र बांधने से होंगे कई फायदे....

राखी बांधने के मुर्हूत का भी अवश्य ध्यान रखें.....


29 August 2023


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🚩रक्षाबंधन पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुम्ब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है, सामूहिक संकल्पशक्ति साकार होने लगती है।


🚩वैदिक राखी का महत्व :


🚩वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में वर्णित है , कि सावन की पूर्णिमा पर यदि रक्षा-सूत्र को संकल्प सहित कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षा-सूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।


 🚩कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :


🚩दुर्वा, चावल, केसर ( कुमकुम) , चंदन (हल्दी ) और सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।


🚩नोट: यह वैदिक राखी आप ऑनलाइन इस निम्नलिखित वेबसाइट से भी ख़रीद सकते हैैं।

https://www.ashramestore.com/Vedic_Rakshasutra_(Pack_of_12)-2261


🚩‘रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बाँधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा रहे, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे’- ऐसा एक-दूसरे के प्रति सत्संकल्प करना चाहिए। 


🚩रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भईया के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करें कि , ‘जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्षमय , प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आए , ज्ञान आए । मेरे भईया की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज अक्षुण्ण रहे ।’


🚩बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बाँधें कि ‘हमारे भाई धर्म प्रेमी, भगवत्प्रेमी बनें।’ और भाई सोचें कि ‘हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, धर्मप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।’ अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा संकल्प दृढ़ करें । आप दूसरे के लिए भला सोचते हो , तो निःसंदेह आपका भी भला प्रकृति द्वारा हो ही जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है। अतः इस दिन विशेषकर आप ऐसा संकल्प करें , कि हमारा आत्मस्वभाव प्रकटे ।


🚩भविष्य पुराण में एक श्लोक है...


सर्वरोगोपशमनं सर्वाशुभविनाशनम् ।

सकृत्कृते नाब्दमेकं येन रक्षा कृता भवेत् ।।

अर्थात्

‘इस पर्व पर धारण किया हुआ रक्षा-सूत्र सम्पूर्ण रोगों तथा अशुभ कार्यों का विनाशक है। इसे वर्ष में एक बार धारण करने से वर्ष भर मनुष्य रक्षित हो जाता है।’


🚩रक्षा-सूत्र बांधते हुए निम्नलिखित मंत्र बोलें...


येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः ।

तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।।

अर्थात्

"जिस पतले रक्षा-सूत्र ने महाशक्तिशाली असुरराज बलि को बाँध दिया, उसी से मैं आपको बाँधती हूँ। आपकी रक्षा हो। यह धागा टूटे नहीं और आप सुरक्षित रहें।"

यही संकल्प बहन भाई को राखी बाँधते समय करे। शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहें ।


🚩उपाकर्म संस्कार : इस दिन गृहस्थ ब्राह्मण व ब्रह्मचारी गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौ-मूत्र को मिलाकर पंचगव्य बनाते हैं और उसे शरीर पर छिड़कते, मर्दन करते व पान करते हैं, फिर जनेऊ बदलकर शास्त्रोक्त विधि से हवन करते हैं। इसे उपाकर्म कहा जाता है। पूर्वकाल में गुरुकुलों में इसी दिन ऋषि उपाकर्म कराकर शिष्य को विद्याध्ययन कराना आरम्भ करते थे।


🚩उत्सर्जन क्रिया : श्रावणी पूर्णिमा को सूर्य को जल अर्पित कर सूर्य की स्तुति तथा अरुंधती सहित सप्तर्षियों की पूजा की जाती है और दही-सत्तू की आहुतियाँ दी जाती हैं। इस क्रिया को उत्सर्जन कहते हैं।

( स्रॊत: संत आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद एवं लोक कल्याण सेतु से संकलित )


🚩30 अगस्त को सुबह से रात्रि के 09:02 तक भद्रा काल है, इस समय राखी नहीं बाधें।


🚩रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त -


🚩30 अगस्त रात्रि 9:02 से 11:13 बजे तक - शुभ अमृत चौघड़िया


🚩31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 - ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया


🚩31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक - शुभ चौघड़िया


🚩इस समय के बीच अपने अनुकूल समयानुसार आप राखी बांध सकते हैं।


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Monday, August 28, 2023

पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को लिया आड़े हाथ

28 August 2023


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🚩पत्रकार अमाना बेगम अंसारी, बीबीसी इंटरव्यू भारत

बीबीसी के साथ इंटरव्यू में मुस्लिम पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने कहा पश्चिमी मीडिया भारत की गलत तस्वीर पेश कर रहा है।


🚩भारतीय शोधकर्ता एवं पत्रकार अमाना बेगम अंसारी ने पश्चिमी मीडिया को देश में मुस्लिमों के साथ भेदभाव पर नसीहत देने पर आड़े हाथों लिया है। उन्होंने बीबीसी को भी इस बात पर खरी-खरी सुनाई। दरअसल, बीबीसी ने भारत की खराब तस्वीर पेश करने के अपने रवैये के चलते हाल ही में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए एक इंटरव्यू की मेजबानी की थी।


🚩बीबीसी में इंटरव्यू लेने वाले शख्स ने मणिपुर प्रकरण का इस्तेमाल इस तरह की हिंसक घटनाओं पर भारत की छवि और कड़े कदम उठाने की उसकी काबिलियत पर सवाल खड़े करने के उद्देश्य से किया था। बीबीसी पत्रकार ने हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं का इस्तेमाल करके इस बात को बारीकी से आगे बढ़ाने का भी कोशिश की कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में भारत एक बहुसंख्यकवादी देश है, जो नियमित तौर से अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिमों पर जुल्म ढाता है।


🚩शोधकर्ता और नीति विश्लेषक अमाना बेगम अंसारी भी इस कार्यक्रम का हिस्सा थीं। इस दौरान उन्होंने भारत विरोधी प्रचार और दावों का भंडाफोड़ करते हुए बीबीसी को करारा जवाब दिया। बीबीसी के साथ इंटरव्यू वाली 2 घंटे 53 मिनट की क्लिप में अंसारी भारत के बारे में पक्षपाती धारणा के लिए पश्चिमी मीडिया पर निशाना साधती नजर आ रही हैं।


🚩अंसारी ने कहा कि हिंसा की कुछ अलग घटनाओं के आधार पर भारत के बारे में पश्चिमी मीडिया गलत धारणा बना रहा है। अंसारी ने तर्क दिया कि पश्चिमी देशों को कोई भी फैसला लेने से पहले भारत की जटिलताओं को समझना चाहिए। इसमें वह यूपी का उदाहरण देते हुए कहती हैं कि पिछले 10 साल में वहाँ अपराध दर में 60 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है।


🚩इंटरव्यू के दौरान अमाना अंसारी ने कहा, “पश्चिमी मीडिया में अधिकार की एक अजीब भावना है, जो उन्हें यह सोचने के लिए प्रेरित करती है कि उन्हें भारत के आंतरिक मामलों पर उपदेश देने और उसमें दखलअंदाजी करने का पूरा हक है।”


🚩उन्होंने कहा कि पश्चिमी मीडिया, भारत में कई प्रचार आउटलेटों और कॉन्ग्रेसी जैसे विपक्षी दलों के अटूट समर्थन के साथ भारत के मुस्लिमों के खिलाफ ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘पूर्वाग्रह से युक्त’ होने की तस्वीर दिखाने की लगातार कोशिश करता रहा है। उन्होंने कहा कि यह काम बीते 10 साल से अधिक हो रहा है, जब से भाजपा सत्ता में आई हैं।


🚩उन्होंने आगे कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय आउटलेट ‘डरा हुआ मुस्लिम’ की झूठी एवं मनगढ़ंत कहानी को बढ़ावा देते हुए अपने भारत विरोधी और हिंदू विरोधी पूर्वाग्रहों को आगे बढ़ाने के लिए हमेशा उतावले रहते हैं। हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा में अपने इस काम को आगे बढ़ाने के लिए इन्हें चारा मिल गया है।


🚩मणिपुर हिंसा के बारे में पूछे गए सवालों का दृढ़ता से जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “जब पश्चिमी दुनिया भारत की ओर देखती है तो उन्हें यह समझना चाहिए कि हम छह प्रमुख वैश्विक आस्थाओं (धर्मों) को समाहित करते हैं। पश्चिम यह समझ पाता कि विविधता क्या है, तब से हम विविधता में रहते आ रहे हैं।”


🚩अंसारी ने इस गलत धारणा की निंदा की कि भारतीय मुस्लिमों पर हमला हो रहा है या देश में मुस्लिम नरसंहार हो रहा है। दरअसल इस धारणा का इस्तेमाल पश्चिमी मीडिया लगातार भारत को बदनाम करने के लिए बढ़ावा देते आ रहा है। इस दौरान बीबीसी पत्रकार ने भाजपा सरकार के हिंदू राष्ट्रवाद के विचार पर सवाल उठाया।


🚩इस पर भाजपा सरकार का जोरदार बचाव करते हुए अंसारी ने कहा, “यह बहुआयामी नजरिया है। जब हम हिंदुओं के बारे में बात करते हैं तो हम हिंदू संस्कृति के बारे में भी बात करते हैं। भारत हिंदू संस्कृति का प्रतीक है। मेरे जैसे कई भारतीय मुसलमान, कभी हिंदू थे और बाद में परिवर्तित हो गए थे। हमें इस वास्तविकता को स्वीकार करना चाहिए।”

https://twitter.com/Amana_Ansari/status/1689658502233374720?t=rQwd4r9KlnlnO_s65PSXYw&s=19


🚩उन्होंने गैर-धर्मनिरपेक्ष इस्लामी देशों के मुकाबले भारत में मिलने वाली आजादी का हवाला देते हुए कहा कि वह अपनी भारतीय मुस्लिम पहचान को अहमियत देती हैं। पत्रकार अंसारी ने इस इंटरव्यू के दौरान कहा, “मैं भारत में जन्म लेकर धन्य महसूस कर रही हूँ। मैं एक मुस्लिम-बहुल देश में पैदा होने की कल्पना करूँ तो मैं भारत में जो आजादी को महसूस कर रही हूँ वह वहाँ संभव नहीं हो पाएगी।”


🚩साल 2022 में कर्नाटक में छिड़ी बुर्का बहस के दौरान अमाना अंसारी उन बहुत कम महिलाओं में से एक थीं, जिन्होंने इस प्रथा के खिलाफ जोरदार ढंग से अपनी बात रखी थी। इस घटना का सेक्युलरों और इस्लामवादियों ने पूरे दिल से बचाव और समर्थन किया और इसे निजी आजादी का मुद्दा बना डाला था।


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Saturday, August 26, 2023

मदर टेरेसा का सच जानकर कांप जाएगी आपकी रूह

26 August 2023


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🚩1910 में 26 अगस्त को अल्बेनिया के स्काप्जे में एक लड़की पैदा हुई। नाम रखा गया- गोंझा बोयाजिजू। दुनिया ने जाना ‘मदर टेरेसा’ के नाम से। उसे करुणा और सेवाभाव की मूर्ति के तौर पर वैसे ही प्रचारित किया गया, जैसे संत वेलेंटाइन को प्रेम का मसीहा बताया जाता है।


🚩इसकी आड़ में मदर टेरेसा का ‘चावल के बोरों’ वाला परिचय छिपा लिया गया। यह नहीं बताया गया कि टेरेसा ‘मदर’ नहीं, कलकत्ता की ‘पिशाच’ थी। भोपाल गैस त्रासदी का समर्थन किया था। करोड़ों रुपयों की हेराफेरी की थी। उसकी मिशनरी में बच्चे बाँध कर रखे जाते थे। नन खुद को कोड़े मारती थीं। वह एक ऐसे पादरी की ‘रक्षक’ थी, जिस पर एक बच्ची के यौन शोषण का आरोप था।


🚩मदर टेरेसा की दिल का दौरा पड़ने के कारण 5 सितंबर 1997 को मौत हो गई थी। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उसकी मौत के बाद यह सिलसिला बंद हो गया। उसकी ‘मिशनरी ऑफ चैरिटी’ पर बच्चों के खरीद-फरोख्त का आरोप है। ‘मदर टेरेसा वेलफेयर ट्रस्ट’ के शेल्टर होम में बच्चियों के यौन शोषण की खबर तो पिछले साल ही सामने आई थी। दिसंबर 2021 में गुजरात में ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के बाल गृह पर धर्म परिवर्तन का आरोप लगा था। आरोप था कि यहाँ पर लड़कियों को गले में क्रॉस बाँध जबरन बाइबल पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्हें ईसाई धर्म अपनाने का लालच दिया जाता है। हिंदू लड़कियों को मांसाहारी भोजन दिया जाता है।


🚩‘The Turning: The Sisters Who Left’ नामक पॉडकास्ट में मदर टेरेसा के ऐसे ही डार्क साइड को दिखाया गया है। इसमें एक महिला की कहानी है, जो अपने समाज की मजहबी व्यवस्था से बाहर निकलना चाहती है और मदर टेरेसा की मिशनरी में फँस जाती है।


🚩सबसे ज्यादा अत्याचार तो मिशनरी में ननों के साथ होता था। इस पॉडकास्ट में दिखाया गया है कि ननों को मरीजों और बच्चों को छूने तक की मनाही थी और न ही वो किसी से दोस्ती कर सकती थीं। जिन बच्चों की वो देखभाल करती थीं, उन्हें ही छूने की इजाजत नहीं थी। इन ननों को खुद पर ही कोड़े बरसाने का निर्देश दिया जाता था और 10 साल में 1 बार ही वो अपने परिवार से मिलने घर जा सकती थीं। ननों को काँटों वाली चेन से खुद को बाँध कर मात्र एक मग पानी से स्नान करना होता था। ननों की भर्ती के बाद उनके बाल शेव कर के जला डाला जाता था।


🚩टेरेसा पर आम जनता का ध्यान शायद 1969 में आई बीबीसी ( BBC )की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म (समथिंग वंडरफुल फॉर गॉड) से शुरू हुआ था। उनका कोलकाता स्थित संस्थान पीड़ितों का इलाज नहीं करता था, बल्कि उन्हें बताता था कि उन्हें पापों के लिए ईश्वरीय दंड मिला है, जिसे उन्हें बिना शिकायत झेलना चाहिए। नॉबेल पुरस्कार लेते वक्त टेरेसा ने 1979 में कहा था कि आज के दौर में शांति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा गर्भपात है।



🚩‘टेरेसा शोषित और वंचित वर्ग की हितैषी थीं’ – ऐसी तमाम कहानियों के विपरीत तानाशाहों के साथ भी उसके बहुत अच्छे संबंध थे। अपने जीवन के दौरान, उसने अक्सर क्रूर तानाशाहों का समर्थन किया और इस तरह अपने अत्याचार को वैधता का लिबास देने का प्रयास किया। 1971-86 के बीच पुलिस राज्य के रूप में हैती पर शासन करने वाले दुवैलियर के साथ टेरेसा के अच्छे संबंध थे। 1981 में अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने शासन को ‘गरीबों का दोस्त’ बताया, वही शासन जिसके शासकों ने 1986 के विद्रोह के बाद लाखों डॉलर के लिए हैतियों को लूट लिया था। स्त्रोत : ऑपइंडिया


🚩जेसुइट पादरी डोनल्ड जे मग्वायर मदर टेरेसा का आध्यात्मिक सलाहकार था। उसने 11 साल के एक बच्चे का यौन शोषण किया – एक बार नहीं, हजारों बार। उसके खिलाफ यौन संबंधों के बारे में जब रिपोर्ट आई थी, तब मदर टेरेसा ने सभी आरोपों को असत्य बताया था। इसलिए आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि जब इंदिरा गाँधी सरकार ने इमरजेंसी लगाई थी, तब मदर टेरेसा ने कहा था, “लोग इससे खुश हैं। उनके पास ज्यादा रोजगार है और हड़तालें भी कम हो रही हैं।


🚩भारत के वास्तविक पवित्र सच्चे साधु संतों को छोड़कर अपराधी नकली बनाये हुए संत को मानना ये बुद्धि का दिवालापन है। भारत के सच्चे हिन्दू संतों की ही पूजा करना चाहिए।


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Friday, August 25, 2023

बॉलीवुड का स्लो पॉइजन..

 स्लो पॉइजन दे रहा है बॉलीवुड.....


25 August 2023

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🚩पिछले कुछ दशकों से चारों तरफ से सनातन हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेकों प्रकार की साजिशें रची जा रही हैं। विधर्मियों का उद्देश्य है, कि येन केन प्रकारेण, कैसे भी करके सनातन हिन्दू धर्म को खत्म कर दिया जाए।

.......और ऐसा करने लिए सबसे पहले सनातनधर्म के आधार स्तंभ , सनातनधर्म के रक्षक और पोषक हिन्दू साधु संतों को खत्म करने ,उनके प्रभाव को खत्म करने के प्लान बनाये जाते हैं।


🚩हिन्दूधर्म का अपमान, हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान, हिन्दू साधु संतों एवं हिन्दूधर्म के प्रति नफरत फैलाने तथा हिन्दूधर्म को नीचा दिखानें में अगर सबसे बड़ा किसी का रोल है तो वो बॉलीवुड का रहा है।

ये लोग ऐसी फिल्में बनाते हैं जिससे हिन्दू देवी देवताओं, साधु-संतों, ब्राह्मणों, पर्व-त्योहारों , मंदिरों, मठों और आश्रमों आदि पर सीधे कुठाराघात होता है। ये लोग ऐसी फिल्में बनाकर जनता को गुमराह करते हैं, और कुछ इस प्रकार की काल्पनिक कहानियां बनाते हैं , कि जैसे सारी बुराइयाँ सनातन हिन्दू धर्म में ही हैं

चर्चों में पादरी क्या काण्ड करते हैं, मस्जिदों में मौलाना क्या क्या दुष्कर्म करते हैं इस पर कभी कोई फिल्म बनाने की सोच भी नहीं सकता ! क्योंकि इनको पता है , कि ऐसा करने पर कमलेश तिवारी की तरह इनकी हत्या भी हो सकती है !!

जबकि हिंदू समाज तो सहिष्णु है , तो सोशल मीडिया पर थोड़ा हल्ला करके चुप हो जाएगा.....


🚩अभी कुछ हिन्दुओं में तो जागरूकता आई है, पर सभी को जागना होगा और बॉलीवुड के इस हिन्दू विरोधी रवैये को उखाड़कर फेंकना ही होगा ! नहीं तो ये लोग दीमक की तरह भारतीय संस्कृति को खोखला कर देंगे !!


🚩अगर बात साधु-संतों की करें तो सभी सनातन धर्म को मानने वाले जानते ही हैं कि उन महापुरुषों ने घोर तपस्याएं करके जो कुछ पाया होता है, उसे वो मानवमात्र की भलाई के लिए लगाते हैं। समाज में आकर सभी को सही मार्ग दिखाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त बनाने का प्रयास करते हैं। संयमी और सदाचारी समाज बनाते हैं, गरीबों-आदिवासियों और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं। गौशालाएं बनाकर गौ माता की रक्षा करते हैं। बच्चों, युवाओं व महिलाओं के उत्थान के लिए केंद्र खोलते हैं। धर्मान्तरण पर रोक लगाते हैं। चिंता, तनाव, अवसाद ( Depression/ Tension ) में रह रहे लोगों को शांति देते हैं। स्वदेशी का प्रचार करते हैं, सभी को स्वस्थ, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाते हैं। राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।


🚩पर बॉलीवुड वाले इस वास्तविकता पर फ़िल्म कभी भी नहीं बनायेंगे। बल्कि इसके उलट ये हिन्दू धर्म के विरोधी प्रकाश झा , मनोज बाजपेई जैसे लोग हिन्दूधर्म को बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां बनाकर जनता में परोसते हैं । और विवेकहीन , भोले-भाले लोग इन झूठी कहानियों पर विश्वास कर लेते हैं और अपने ही धर्म व धर्मगुरुओं पर शंका करने लगते हैं।


🚩विचार कीजिए....... बॉलीवुड ने समाज को क्या दिया है !?


🚩शादी करती हुई लड़की को मंडप से उठा लेना, बलात्कार, चोरी, डकैती करना , छोटे कपड़े पहनना, मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ देना, लव जिहाद को बढ़ावा देना, भारतीय संस्कृति को हीन बताना, हिन्दू साधु-संतों, देवी देवताओं, मदिरों और पंडितों का मजाक उड़ाना तथा पाश्चात्य संस्कृति को महान बताना !!

यही तो अधिकांश फिल्म निर्देशक करते आये हैं ।


🚩साधु संतों , मंदिरों और भगवान को अपमानित करने वाली फिल्में और वेब सीरीज बनाने के पीछे कहीं न कहीं हिन्दूधर्म व भारतीय संस्कृति को तोड़ने वाली ताकतें लगी हुई हैं। क्योंकि साधु, संतों , भगवान और मंदिरों पर करोड़ों लोग श्रद्धा करते हैं, वहाँ पर जाकर शांति पाते हैं। इसके कारण धर्मांतरण कराने वाली मिशनरीज और विदेशी प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनियों को भारी नुकसान हो रहे हैं।

अब क्योंकि साधु-संतों के प्रति श्रद्धा रखने वाले आश्रम में जाते हैं और वहाँ उनको भारतीय संस्कृति के अनुसार जीने का सही तरीका मिलता है, फिर वे हिन्दू धर्म के प्रति आस्थावान हो जाते हैं, जिसके कारण वे ईसाई मिशनरियों के चंगुल में नहीं आते हैं औऱ वे विदेशी प्रोडक्ट भी नहीं खरीदते।


🚩इस कारण ईसाई मिशनरियों का लक्ष्य है - भारत में धर्मांतरण करके अपना वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना । अब संतों के कारण उसमें भी बाधा उत्पन्न होती है और विदेशी कंपनियों के सामान नहीं बिकने पर उनको अरबों-खरबों रूपयों का घाटा भी होता है।

इन सभी बातों से बौखलाए और झल्लाए सनातन विरोधी अनेक प्रकार के षड्यंत्र रचकर हिन्दुओं की मठ- मन्दिरों , आश्रमों और साधु-संतों के प्रति आस्था को नष्ट करने लगे रहते हैं ।

.......और प्रकाश झा, मनोज बाजपेई जैसे जयचंद गद्दारी करके अपने ही धर्म के खिलाफ फिल्में बनाते हैं।


🚩सर्वे किया जाय तो चर्चों से बलात्कार के हजारों किस्से आ चुके हैं । मदरसों में भी यौन शोषण के हजारों किस्से सामने आते रहते हैं पर अभी तक इस विषय पर तो कोई फिल्म नहीं बनी और न ही कोई हिम्मत करेगा । क्योंकि उसके लिए अलग से फंडिंग तो मिलेगी नहीं और ऊपर से सर तन से जुदा की न सिर्फ धमकियां मिलेंगी बल्कि सर तन से जुदा हो भी जाएं... क्या पता !!!

इसलिए वास्तव में जहाँ पर गड़बड़ियां हो रही हैं, उधर से ये बॉलीवुड वाले उदासीन ही रहते हैं।


🚩हिन्दू सहिष्णु हैं और उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने के लिए भारी फंडिंग भी मिलती रहती है, इस कारण विधर्मियों के टुकड़ों पर पलने वाले जयचंद हिन्दू विरोधी फिल्में बनाते हैं...

और बड़े अफसोस और शर्म की बात है कि हम हिन्दू ही ऐसी फिल्मों , सीरीजों को न सिर्फ देखते हैं साथ ही सहमत भी होते हैं । हम ही तो हैं , जो इन आधुनिक जयचंदों की हौसलाअफजाई करते हैं और उन्हें फाइनेंशियली भी मजबूत बनाते हैं ।

विश्वास कीजिए अगर हमसब मिलकर इनका बहिष्कार करें तो , बेशक इनकी कमर टूट जाएगी , क्योंकि हम विधर्मियों के धर्मांतरण और जिहाद के बावजूद भी अभी तक तो बहुसंख्यक हैं । तो हमें जरूरत है सिर्फ एकजुट और एकमत होने की ।


🚩उपाय सिर्फ एक... " सभी सनातनी हिन्दू ऐसी फिल्मों का पुरजोर बहिष्कार करें और अपने अपने स्तर पर कानूनी कार्यवाही भी करें। "


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Thursday, August 24, 2023

अकबर ने संत तुलसीदास जी को माफी मांगकर क्यों रिहा करना पड़ा ?

 अकबर ने संत तुलसीदास जी को भेज दिया था जेल, दूसरे दिन डर से माफी मांगकर किया रिहा....


24 August 2023


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🚩बात 1600 ईस्वी की है, यह काल अकबर और तुलसीदासजी के समय का काल था। एक बार तुलसीदासजी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदासजी आगरा में पधारे हैं। यह सुनकर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता चली तो उसने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं।


🚩तब बीरबल ने बताया- इन्होंने ही रामचरित मानस की रचना की है, यह रामभक्त तुलसीदासजी हैं, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा- मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।


🚩बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी तुलसीदासजी के पास भेजा जिसने तुलसीदासजी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। यह पैगाम सुनकर तुलसीदासजी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, बादशाह और लालकिले से मुझे क्या लेना-देना और लालकिले जाने से साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो उसे बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया और उसने तुलसीदासजी को जंज़ीरों से जकड़वा कर लालकिला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदासजी जंजीरों से जकड़े लालकिला पहुंचे तो अकबर ने कहा कि आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसीदास ने कहा- मैं तो सिर्फ भगवान श्रीरामजी का भक्त हूँ, कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आगबबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।


🚩पूरी पोस्ट पढ़े👇🏻


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