Tuesday, October 31, 2023

करवा चौथ व्रत कब से शुरू हुआ , क्यों किया जाता है और व्रत विधि क्या है !? जानिए.......

1 November, 2023

http://azaadbharat.org




🚩यह तो लगभग सभी को पता है कि, कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर, 2023 , बुधवार को रखा जाएगा।


🚩करवा चौथ , संकष्टी चतुर्थी अर्थात्‌ भगवान गणेश की प्रसन्नता के निमित्त उपवास करने का दिन होता है। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं।


🚩छान्दोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने से सारे पाप नष्ट होते हैं और जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। इससे आयु में वृद्धि होती है और इस दिन गणेश तथा शिव-पार्वती और चंद्रमा की पूजा की जाती है।


🚩विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं।


🚩करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, ( अर्घ्य अर्पण ) किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।


🚩करवा चौथ व्रत विधि :-


🚩नैवेद्य: शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य के रूप में उपयोग में लें।


🚩करवा: काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे का उपयोग किया जा सकता है।


🚩करवा चौथ पूजन के लिए मंत्र: ‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का, ‘ॐ षड्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गं गणपतये नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चन्द्रदेव का पूजन करें।


🚩करवा चौथ की थाली : करवा चौथ की रात्रि के समय चाँद देखने के लिए आप पहले से ही थाली को सजाकर रख लेवें। थाली में आप निम्न सामग्री को रखें-


🚩•करवा चौथ का कलश (ताम्बे का कलश इसके लिए श्रेष्ठ होता है )

•छलनी

•कलश को ढकने के लिए वस्त्र

•मिठाई या ड्राई फ्रूट

•चन्दन और धुप

•मोली और गुड़/चूरमा


🚩व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।


🚩गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति के दीर्घायुष्य की कामना करें।

नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।


🚩इस पावन अवसर पर करवा चौथ व्रत कथा सुनी जाती है और रात्रि के समय चाँद को देखने के उपरान्त स्त्रियाँ अपने पति के हाथों से अन्न,जल ग्रहण करके व्रत खोलती हैं। करवा चौथ का यह व्रत पति की लम्बी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखद वैवाहिक जीवन के उद्देश्य से किया जाता है।


🚩करवा चौथ व्रत कथा:


🚩बहुत समय पहले इन्द्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वेदशर्मा का विवाह लीलावती से हुआ था जिससे उसके सात महान पुत्र और वीरावती नाम की एक गुणवान पुत्री थी। सात भाईयों की वह केवल एक अकेली बहन थी जिसके कारण वह अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने भाईयों की भी लाड़ली थी।


🚩जब वह विवाह के लायक हो गयी तब उसकी शादी एक योग्य ब्राह्मण युवक से हुई। शादी के बाद वीरावती जब अपने माता-पिता के यहाँ थी तब उसने अपनी भाभियों के साथ पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ के व्रत के दौरान वीरावती को भूख सहन नहीं हुई और कमजोरी के कारण वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई।


🚩सभी भाईयों से उनकी प्यारी बहन की दयनीय स्थिति सहन नहीं हो पा रही थी। वे जानते थे, वीरावती जो कि एक पतिव्रता नारी है चन्द्रमा के दर्शन किये बिना भोजन ग्रहण नहीं करेगी चाहे उसके प्राण ही क्यों ना निकल जायें। सभी भाईयों ने मिलकर एक योजना बनाई जिससे उनकी बहन भोजन ग्रहण कर ले। उनमें से एक भाई कुछ दूर वट के वृक्ष पर हाथ में छलनी और दीपक लेकर चढ़ गया। जब वीरावती मूर्छित अवस्था से जागी तो उसके बाकी सभी भाईयों ने उससे कहा कि चन्द्रोदय हो गया है और उसे छत पर चन्द्रमा के दर्शन कराने ले आये।


🚩वीरावती ने कुछ दूर वट के वृक्ष पर छलनी के पीछे दीपक को देख विश्वास कर लिया कि चन्द्रमा वृक्ष के पीछे निकल आया है। अपनी भूख से व्याकुल वीरावती ने शीघ्र ही दीपक को चन्द्रमा समझ अर्घ्य अर्पण कर अपने व्रत को तोड़ा। वीरावती ने जब भोजन करना प्रारम्भ किया तो उसे अशुभ संकेत मिलने लगे। पहले कौर में उसे बाल मिला, दूसरे में उसे छींक आई और तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल वालों से निमंत्रण मिला। फिर अपने ससुराल पहुँचने के बाद उसने अपने पति के मृत शरीर को पाया।


🚩अपने पति के मृत शरीर को देखकर वीरावती रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान अपनी किसी भूल के लिए खुद को दोषी ठहराने लगी। उसका विलाप सुनकर देवी इन्द्राणी जो कि इन्द्र देवता की पत्नी हैं, वीरावती को सान्त्वना देने के लिए पहुँचीं।


🚩वीरावती ने देवी इन्द्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन ही उसके पति की मृत्यु क्यों हुई और अपने पति को जीवित करने के लिए वह देवी इन्द्राणी से विनती करने लगी। वीरावती का दुःख देखकर देवी इन्द्राणी ने उससे कहा कि उसने चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पण किये बिना ही व्रत को तोड़ा था, जिसके कारण उसके पति की असामयिक मृत्यु हो गई। देवी इन्द्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी और उसे आश्वासित किया कि ऐसा करने से उसका पति जीवित लौट आएगा।


🚩इसके बाद वीरावती सभी धार्मिक कृत्यों और मासिक उपवास को पूरे विश्वास के साथ करती रही । अन्त में उन सभी व्रतों से मिले पुण्य के कारण वीरावती को उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।


🚩विशेषः

व्रत के दिनों में साबूदाने नहीं खायें, साबूदाने खाने से व्रत टूट जाता है।

व्रत के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें, संयम से रहें।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, October 30, 2023

सरदार वल्लभ भाई पटेल के महान कार्यो को जानिए

31 October 2023


http://azaadbharat.org



🚩सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे । भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने । बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की । आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है ।


🚩1857 के स्वातंत्र्य-समर में युवा झवेरभाई ने बड़ी वीरता के साथ अंग्रेजों को चुनौती दी थी । वल्लभभाई के बड़े भाई विट्ठलभाई भी प्रसिद्ध देशभक्त थे । वल्लभभाई को निर्भयता व वीरता के संस्कार तो खून में ही मिले थे । वल्लभ भाई की निर्भयता से जहाँ बड़ों के सिर हर्ष व गर्व से ऊँचे हो जाते थे, वहीं छोटे भी उन्हें बेहद चाहते थे । स्वभाव से ही वे अन्याय के खिलाफ थे । अपने सहयोगियों के कल्याण में उनकी प्रामाणिक दिलचस्पी थी ।


🚩जीवन परिचय

पटेलजी का जन्म नडियाद गुजरात में 31 अक्टूबर 1875 को एक लेवा कृषक #परिवार में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्ठल भाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई । लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे । महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया ।


🚩खेड़ा संघर्ष

स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा संघर्ष में हुआ । गुजरात का खेड़ा खण्ड (डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।


🚩बारडोली सत्याग्रह

बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिये ही उन्हे पहले #बारडोली का #सरदार और बाद में केवल सरदार कहा जाने लगा।


🚩आजादी के बाद

यद्यपि अधिकांश प्रान्तीय कांग्रेस समितियां पटेल के पक्ष में थी, गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया । उन्हें उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री का कार्य सौंपा गया किन्तु इसके बाद भी नेहरू और पटेल के सम्बन्ध तनावपूर्ण ही रहे । इसके चलते कई अवसरों पर दोनों ने ही अपने पद का त्याग करने की धमकी दे दी थी ।


🚩गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी #रियासतों (राज्यों) को #भारत में मिलाना था। इसको उन्होने बिना कोई खून बहाये सम्पादित कर दिखाया। केवल हैदराबाद के आपरेशन पोलो के लिये उनको सेना भेजनी पड़ी । भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिये उन्हे भारत के लौह पुरूष के रूप में जाना जाता है। सन #1950 में उनका #देहान्त हो गया। इसके बाद नेहरू का कांग्रेस के अन्दर बहुत कम विरोध शेष रहा।


🚩देसी राज्यों (रियासतों) का एकीकरण

सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पीवी मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। केवल जम्मू एवं कश्मीर, जूनागढ तथा हैदराबाद के राजाओं ने ऐसा करना नहीं स्वीकारा। जूनागढ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। किन्तु नेहरू ने काश्मीर को यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह समस्या एक अन्तराष्ट्रीय समस्या है।


🚩गांधी, नेहरू और पटेल

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू व प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल में आकाश-पाताल का अंतर था। यद्यपि दोनों ने इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टरी की डिग्री प्राप्त की थी परंतु सरदार पटेल वकालत में पं॰ नेहरू से बहुत आगे थे तथा उन्होंने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के विद्यार्थियों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था। नेहरू प्राय: सोचते रहते थे, सरदार पटेल उसे कर डालते थे। नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे, पटेल शस्त्रों के पुजारी थे। पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी परंतु उनमें किंचित भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, “मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरी। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।” नेहरू को गांव की गंदगी, तथा जीवन से चिढ़ थी। नेहरू अंतरराष्ट्रीय ख्याति के इच्छुक थे तथा समाजवादी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे ।


🚩देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उप-प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे । #सरदार पटेल की महानतम देन थी #562 छोटी-बड़ी #रियासतों का #भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना । विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो । 


🚩5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी। एक बार उन्होंने सुना कि बस्तर की रियासत में कच्चे सोने का बड़ा भारी क्षेत्र है और इस भूमि को दीर्घकालिक पट्टे पर हैदराबाद की निजाम सरकार खरीदना चाहती है । उसी दिन वे परेशान हो उठे । उन्होंने अपना एक थैला उठाया, वी.पी. मेनन को साथ लिया और चल पड़े । वे उड़ीसा पहुंचे, वहां के 23 राजाओं से कहा, “कुएं के मेढक मत बनो, महासागर में आ जाओ।” उड़ीसा के लोगों की सदियों पुरानी इच्छा कुछ ही घंटों में पूरी हो गई। फिर नागपुर पहुंचे, यहां के 38 राजाओं से मिले। इन्हें सैल्यूट स्टेट कहा जाता था, यानी जब कोई इनसे मिलने जाता तो तोप छोड़कर सलामी दी जाती थी। पटेल ने इन राज्यों की बादशाहत को आखिरी सलामी दी। इसी तरह वे काठियावाड़ पहुंचे। वहां 250 रियासतें थी। कुछ तो केवल 20-20 गांव की रियासतें थीं। सबका एकीकरण किया। एक शाम मुम्बई पहुंचे। आसपास के राजाओं से बातचीत की और उनकी राजसत्ता अपने थैले में डालकर चल दिए। पटेल पंजाब गये। पटियाला का खजाना देखा तो खाली था। फरीदकोट के राजा ने कुछ आनाकानी की। सरदार पटेल ने फरीदकोट के नक्शे पर अपनी लाल पैंसिल घुमाते हुए केवल इतना पूछा कि “क्या मर्जी है?” राजा कांप उठा। आखिर 15 अगस्त 1947 तक केवल तीन रियासतें-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद छोड़कर उस लौह पुरुष ने सभी रियासतों को भारत में मिला दिया। इन तीन रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवम्बर 1947 को मिला लिया गया तथा जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी बना। 1948 में हैदराबाद भी केवल 4 दिन की पुलिस कार्रवाई द्वारा मिला लिया गया। न कोई बम चला, न कोई क्रांति हुई, जैसा कि डराया जा रहा था।


🚩जहां तक कश्मीर रियासत का प्रश्न है इसे पंडित नेहरू ने स्वयं अपने अधिकार में लिया हुआ था, परंतु यह सत्य है कि सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह तथा कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने पर बेहद क्षुब्ध थे। नि:संदेह सरदार पटेल द्वारा यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी । महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को इन रियासतों के बारे में लिखा था, “रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।”


🚩यद्यपि विदेश विभाग नेहरू का कार्यक्षेत्र था, परंतु कई बार उप प्रधानमंत्री होने के नाते कैबिनेट की विदेश विभाग समिति में उनका जाना होता था। उनकी दूरदर्शिता का लाभ यदि उस समय लिया जाता तो अनेक वर्तमान समस्याओं का जन्म न होता । 


🚩1950 में पंडित नेहरू को लिखे एक पत्र में पटेल ने चीन तथा उसकी तिब्बत के प्रति नीति से सावधान किया था और चीन का रवैया कपटपूर्ण तथा विश्वासघाती बतलाया था । अपने पत्र में चीन को अपना दुश्मन, उसके व्यवहार को अभद्रतापूर्ण और चीन के पत्रों की भाषा को किसी दोस्त की नहीं, भावी शत्रु की भाषा कहा था। उन्होंने यह भी लिखा था कि तिब्बत पर चीन का कब्जा नई समस्याओं को जन्म देगा। 1950 में नेपाल के संदर्भ में लिखे पत्रों से भी नेहरू सहमत न थे। 1950 में ही गोवा की स्वतंत्रता के संबंध में चली दो घंटे की कैबिनेट बैठक में लम्बी वार्ता सुनने के पश्चात सरदार पटेल ने केवल इतना कहा “क्या हम गोवा जाएंगे, केवल दो घंटे की बात है।” नेहरू इससे बड़े नाराज हुए थे। यदि पटेल की बात मानी गई होती तो 1961 तक गोवा की स्वतंत्रता की प्रतीक्षा न करनी पड़ती।


🚩गृहमंत्री के रूप में वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आई.सी.एस.) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आई.ए.एस.) बनाया। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। यदि सरदार पटेल कुछ वर्ष जीवित रहते तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता।


🚩सरदार पटेल जहां पाकिस्तान की छद्म व चालाकी पूर्ण चालों से सतर्क थे वहीं देश के विघटनकारी तत्वों से भी सावधान करते थे । विशेषकर वे भारत में मुस्लिम लीग तथा कम्युनिस्टों की विभेदकारी तथा रूस के प्रति उनकी भक्ति से सजग थे । अनेक विद्वानों का कथन है कि सरदार पटेल बिस्मार्क की तरह थे । लेकिन लंदन के टाइम्स ने लिखा था “बिस्मार्क की सफलताएं पटेल के सामने महत्वहीन रह जाती हैं । यदि पटेल के कहने पर चलते तो कश्मीर, चीन, तिब्बत व नेपाल के हालात आज जैसे न होते। पटेल सही मायनों में मनु के शासन की कल्पना थे । उनमें कौटिल्य की कूटनीतिज्ञता तथा महाराज शिवाजी की दूरदर्शिता थी । वे केवल सरदार ही नहीं बल्कि भारतीयों के ह्रदय के सरदार थे ।


🚩महान आत्माओं की महानता उनके जीवन – सिद्धांतों में होती है । उन्हें अपने सिद्धांत प्राणों से भी अधिक प्रिय होते हैं । 


🚩सामान्य मानव जिन परिस्थितियों में अपनी निष्ठा से डिग जाता है, महापुरुष ऐसे प्रसंगों में भी अडिग रहते हैं । सत्य ही उनका एकमात्र आश्रय होता है, वे फौलादी संकल्प के धनी होते हैं । उनका अपना पथ होता है, जिससे वे कभी विपथ नहीं होते ।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जिन्हें देश ‘लौह पुरुष के नाम से भी जानता है, ऐसे ही एक वल्लभ भाई थे ।


🚩उनके जीवन का यह प्रसंग उनके इसी सद्गुण की झाँकी कराता है ।

वल्लभ भाई अपने पुत्र-पुत्री को शिक्षा हेतु यूरोप भेजना चाहते थे । इस हेतु रुपये भी कोष में जमा कर दिये गये थे लेकिन ज्यों ही असहयोग आंदोलन की घोषणा की गयी, त्यों ही उन्होंने पूर्वनिर्धारित योजना को ठप कर दिया ।


🚩उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि ‘चाहे जो हो, मैं मन, वचन और कर्म से असहयोग के सिद्धांतों पर दृढ़ रहूँगा । जिस देश के निवासी हमारी बोटी-बोटी के लिए लालायित हैं, जो हमारे रक्त-तर्पण से अपनी प्यास बुझाते हैं, उनकी धरती पर अपनी संतान को ज्ञानप्राप्ति के लिए भेजना अपनी ही आत्मा को कलंकित करना है । भारत माता की आत्मा को दुखाना है ।


🚩उन्होंने सिर्फ सोचा ही नहीं, अपने बच्चों को इंग्लैंड में पढ़ाने से साफ मना कर दिया । ऐसी थी उनकी सिद्धांत-प्रियता । तभी तो थे वे #लौह पुरुष है।

#वल्लभ भाई पटेल को सन 1991 में मरणोपरान्त #भारत रत्न से #सम्मानित #किया गया है ।


🚩पटेल के प्रति हरिवंशराय बच्चन के उदगार…

यही प्रसिद्ध लौहपुरुष प्रबल,

यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल,

हिला इसे सका कभी न शत्रु दल,

पटेल पर, स्वदेश को गुमान है ।

सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किये जगह,

हृदय गंभीर है समुद्र की तरह,

कदम छुए हुए ज़मीन की सतह,

पटेल देश का, निगहबान है।

हरेक पक्ष के पटेल तौलता,

हरेक भेद को पटेल खोलता,

दुराव या छिपाव से इसे गरज ?

कठोर नग्न सत्य बोलता ।

पटेल हिंद की नीडर जबान है ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, October 29, 2023

मदरसे में मौलवी ने कई बच्चों के साथ किया दुष्कर्म, पुलिस ने दबोचा, पर मिडिया मौन.....

30 October 2023

http://azaadbharat.org



🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने कई बार बताया है, कि अधिकतर मीडिया को ईसाई मिशनरियों की वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश जैसे अरब, दुबई आदि से फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू संस्कृति तोड़ने के लिए हिन्दुओं के आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं। आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है, जबकि वे मौलवी और ईसाई पादरियों के कुकर्म नहीं बताते ।


🚩आज वही बात आई है, मौलवी पकड़ा गया पर कोई खबर नही जबकि कोई हिंदू साधु संत पर झूठा केस भी लग जाता है , तो अब तक मीडिया वाले गला फाड़कर चिल्लाते दिखते।


🚩आपको बता दें कि गुजरात के एक मदरसे में छात्रों ने मौलाना पर अप्राकृतिक कुकर्म के आरोप लगाए हैं। पीड़ित छात्रों की कुल तादाद 7 बताई जा रही है। आरोपित 25 वर्षीय मौलाना का नाम मोहम्मद अब्बास है। कुकर्म के लिए मौलाना बच्चों को मालिश के बहाने कमरे में बुलाया करता था। इस मामले में मदरसे के ट्रस्टी दाऊद फकीरा पर भी शिकायत के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप है। पुलिस ने मौलाना और ट्रस्टी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इस कार्रवाई की जानकारी सोमवार (23 अक्टूबर 2023) को दी है।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला जूनागढ़ में मांगरोल थाना क्षेत्र का है। यहाँ ‘मुफ़्ती साहेब दाऊद फकीरा के ट्रस्ट’ और ‘उलूम एजुकेशन ट्रस्ट’ के माध्यम से एक मदरसा संचालित होता है। इस मदरसे में स्थानीय बच्चों के साथ कुछ बाहर के छात्र भी पढ़ते हैं। लगभग 2 साल पहले यहाँ मौलाना मोहम्मद अब्बास बच्चों को उर्दू और दीनी तालीम देने के लिए आया था। आरोप है कि अब्बास छात्रों को अपने कमरे में मालिश के बहाने बुलवाया करता था। यहाँ वो छात्रों से अप्राकृतिक दुष्कर्म करता था।


🚩अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद मौलाना अब्बास बच्चों को मुँह बंद रखने की धमकी भी दिया करता था। कुछ बच्चों को संबंध बनाने के लिए पैसे का भी लालच दिया गया था। बच्चों ने मौलाना अब्बास की इस करतूत की शिकायत मदरसे के 55 वर्षीय ट्रस्टी दाऊद फकीरा से की थी। आरोप है कि उसने इस शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। ट्रस्टी दाऊद इस मदरसे के साथ ABSC नाम से एक इंग्लिश स्कूल भी चला रहा था।


🚩इस बीच मौलाना द्वारा कुकर्म का शिकार एक 15 वर्षीय छात्र अपने घर में गुमसुम सा रहने लगा। छात्र के परिजनों ने इसकी वजह पूछी तो उसने सारी बात बता दी। बच्चे ने बताया कि वो पिछले 6 माह से मौलाना की हवस का शिकार बन रहा है। इस करतूत की जानकारी होने के बाद नाराज परिजन पुलिस में गए और उन्होंने मौलाना अब्बास और ट्रस्टी दाऊद के खिलाफ शिकायत दर्ज की। इस शिकायत पर पुलिस ने IPC की धारा 377, 323, 506 और 144 के साथ पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज कर लिया।


🚩अपने खिलाफ केस दर्ज होने की भनक लगते ही मौलाना अब्बास फरार हो गया। पुलिस को उसकी लोकेशन सूरत में मिली। रविवार (22 अक्टूबर, 2023) को पुलिस टीम में दबिश दे कर मौलाना अब्बास को सूरत से धर दबोचा। वहीं इस केस के दूसरे आरोपित मदरसे के ट्रस्टी दाऊद की गिरफ्तारी मदरसे से हुई। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि मौलाना अब्बास ने कुल कितने छात्रों को अपनी हवस का शिकार बनाया है। मामले की जाँच और आगे की कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।


🚩बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य रहता है, ईसाई धर्मगुरु हो या मुस्लिम धर्मगुरु उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिन्दू साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिन्दू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिन्दू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं । बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।

 

🚩मुस्लिमपरस्ती में कुछ मीडिया वाले इस कदर मदमस्त हैं कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण दर्शकों/पाठकों के सामने मामले को ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए। इसलिए बिकाऊ मीडिया से सावधान रहें।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

रत्नाकर से बने महर्षि वाल्मीकि ने कैसे लिख दिया रामायण ? जानिए

29 October 2023

http://azaadbharat.org


भारतीय संस्कृति के साधु-संतों और भगवान के नाम की कितनी ताकत है वे दुनिया के किसी भी पलडु से तोल नही सकते है। हम लोग जो आज घरो में रामायण देख रहे है और उसको देखकर हमारा जीवन उन्नत कर रहे है लेकिन ये रामायण कैसे लिखी गई है और लिखने वाले एक साधारण व्यक्ति से महान कैसे बन गए वे भी आप जनोगों तो सनातन हिंदू संस्कृति पर आपको गर्व होने लगेगा और दुनिया मे इसके जैसे कोई श्रेष्ठ धर्म आपको नही दिखाई देगा।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि जी का परिचय

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की कहानी बडी अर्थपूर्ण है । सत्पुरुषों की संगति में आकर लोगोंकी उन्नति कैसे होती है, महर्षि वाल्मीकि इसका एक महान उदाहरण हैं । नारदमुनि के संपर्क में आकर वे एक महान ऋषि, ब्रम्हर्षि बने, तथा उन्होंने ‘रामायण’ की रचना की, जिसे संपूर्ण विश्व कभी भूल नहीं सकता । पूरे विश्वके महाकाव्यों में से वह एक है । दूसरे देशों के लोग उसे अपनी-अपनी भाषाओं में पढते हैं । रामायण के चिंतन से हमारा जीवन सुधर सकता है । हमें यह महाकाव्य देनेवाले महर्षि वाल्मीकि को हम कभी भूल नहीं सकते । इस महान ऋषि एवं चारण को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषाका पहला काव्य है, अत: उसे ‘आदि-काव्य’ अथवा ‘पहला काव्य’ कहा जाता है तथा महर्षि वाल्मीकिको `आदि कवि’ अथवा ‘पहला कवि’ कहा जाता है ।

 

🚩जिस कवि ने ‘रामायण’ लिखी तथा लव एवं कुशको यह गाना तथा कहानी सिखाई, वे एक महान ऋषि, महर्षि वाल्मीकि थे । यह व्यक्ति महर्षि तथा गायक कवि कैसे बने यह बडी बोधप्रद कहानी है । महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषा में है तथा बहुत सुंदर काव्य है ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण गायी जा सकती है । कोयल की आवाज की तरह वह कानों को भी बडी मीठी (कर्णप्रिय) लगता है । महर्षि वाल्मीकि को काव्य के पेड पर बैठी तथा मीठा गानेवाली कोयल कहा गया है । जो भी रामायण पढते हैं, प्रथम महर्षि वाल्मीकि को प्रणाम कर तदुपरांत महाकाव्य की ओर बढते हैं ।

 

🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद की कथा

 

🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद को लेकर एक पौराण‍िक कथा है। वाल्‍मीक‍ि बनने से पूर्व उनका नाम रत्‍नाकर था और वह परिवार के भरण पोषण के लिए लोगों को लूटा करते थे। एक बार उनकी मुलाकात नारद जी से हो गई। जब वह उन्‍हें लूटने लगे तो नारदजी ने प्रश्न क‍िया क‍ि, जिन परिवार के लिए वह ये काम कर रहे हैं, क्‍या वह उनके पापा में भागीदार बनेगे ?

 

🚩जब रत्‍नाकर ने यह सुना तो वह अचरज में पड गए और तुरंत अपने पर‍िवार के पास जाकर ये प्रश्न क‍िया। उनको यह जानकर झटका लगा क‍ि कोई भी उनका अपना उनके पाप में हिस्‍सेदार नहीं बनना चाहता है। इसके बाद उन्‍होंने नारद जी से क्षमा मांगी और साथ ही राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया। किंतु वाल्‍मीक‍ि जी राम नाम नहीं बोल पा रहे थे जिस पर उन्‍होंने उनका ‘मरा मरा’ जपने की सीख दी। यही जाप उनका राम नाम हो गया और वह एक लुटेरे से महर्ष‍ि वाल्मीकि हो गए।

 

बता दें क‍ि ये जब श्री राम ने जनता की बातें सुनकर माता सीता को त्‍याग द‍िया था, तब वह महर्ष‍ि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं। उनके पुत्रों लव-कुश के गुरु भी महर्ष‍ि वाल्मीकि ही थे।

 

🚩महाकाव्य रामायणकी रचना

 

🚩नारदमुनिके जानेके पश्चात महर्षि वाल्मीकि गंगा नदी पर स्नान करने गए । भारद्वाज नाम का शिष्य उनके वस्त्र संभाल रहा था । चलते-चलते वे एक निर्झरके पास आए । निर्झर का पानी बिल्कुल स्वच्छ था । वाल्मीकि ने अपने शिष्यसे कहा, `देखो, कितना स्वच्छ पानी है, जैसे किसी अच्छे मानवका स्वच्छ मन! आज मैं यहीं स्नान करूंगा।’

 

🚩महर्षि वाल्मीकि पानी में पांव रखने हेतु उचित स्थान देख रहे थे, तभी उन्हें पंछियों की मीठी आवाज सुनाई दी । ऊपर देखने पर उन्हें दो पंछी एक साथ उडते हुए दिखे । उन पंछियों की प्रसन्नता देख कर महर्षि वाल्मीकि अति प्रसन्न हुए । तभी तीर लगने से एक पंछी नीचे गिर गया । वह एक नर पक्षी था । उसकी घायल हालत देखकर उसकी साथी दुखसे चिल्लाने लगी । यह ह्रदयविदारक दृश्य देखकर महर्षि वाल्मीकि का ह्रदय पिघल गया । पंछीपर किसने तीर चलाया यह देखने हेतु उन्होंने इधर-उधर देखा । तीर-कमान के साथ एक आखेटक निकट ही दिखाई दिया । आखेटक ने (शिकारीने) खाने हेतु पंछीपर तीर चलाया था । महर्षि वाल्मीकि बडे क्रोधित हुए । उनका मुंह खुला, और ये शब्द निकल गए : `तुमने एक प्रेमी जोडे में से एककी हत्या की है, तुम खुद अधिक दिनोंतक जीवित नहीं रहोगे !’ दुखमें उनके मुंह से एक श्लोक निकल गया । जिसका अर्थ था, तुम अनंत काल के लंबे साल तक शांति से न रह सकोगे । तुमने एक प्रणयरत पंछी की हत्या की है ।

 

🚩पंछी का दुख देखकर महर्षि वाल्मीकि ने बडे दुखी होकर आखेटक को (शिकारी को) शाप दिया; किंतु किसीको शाप देने से वे भी दुखी हो गए । उनके साथ चलने वाले भारद्वाज मुनि के पास उन्होंने अपना दुख प्रकट किया । महर्षि वाल्मीकि के मुंहसे श्लोक निकल जाने के कारण उन्हें भी आश्चर्य हुआ था । उनके आश्रम वापिस आने पर तथा उसके पश्चात भी वे श्लोक के विषय में ही सोचते रहे ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि का मन अभी भी उनके मुंह से निकले श्लोक का ही विचार कर रहा था, कि सृष्टि के देवता भगवान ब्रह्मा स्वयं उनके सामने प्रकट हुए । उन्होंने महर्षि वाल्मीकि से कहा, `हे महान ऋषि, आपके मुंह से जो श्लोक निकला, उसे मैंने ही प्रेरित किया था । अब आप श्लोकों के रूपमें ‘रामायण’ लिखेंगे । नारद मुनिने तुम्हें रामायण की कथा सुनाई है । तुम अपनी आंखों से सब देखोगे । तुम जो भी कहोगे, सच होगा । तुम्हारे शब्द सत्य होंगे । जबतक इस दुनिया में नदियां तथा पर्वत हैं, लोग ‘रामायण’ पढेंगे । ’ भगवान ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा आशीर्वाद दिया और वे अदृश्य हो गए ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि ने ‘रामायण’ लिखी । सर्वप्रथम उन्होंने श्रीराम के सुपुत्र लव एवं कुश को श्लोक सिखाए । उनका जन्म महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ तथा वहीं पर वे बडे हुए।

 

🚩आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति अपनी आजीविका चलाने के लोए लुटमार करते है और एक साधु देवर्षि नारद मिलते है और भगवान के नाम की दीक्षा लेते है और उस मार्गदर्शन के अनुसार रत्नाकर अपना जीवन बना देते है और महान हो जाते है और आज भी उनकी महर्षि वाल्मीकि बनकर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दे रहे है, धन्य भारतीय संस्कृति और साधु संत।


*🔺 Follow on*


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, October 27, 2023

चंद्रग्रहण में क्या करें?क्या न करें ? एवं खीर कब खाए जानिए.....

28 October 2023


http://azaadbharat.org


🚩28 अक्टूबर 2023 शनिवार शरद पूर्णिमा को खंडग्रास चन्द्रग्रहण (भारत में दिखेगा, नियम पालनीय।


*🚩चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि में 2 बजकर 22 मिनट तक ग्रहण रहेगा ।*


*🚩भारतीय समय अनुसार चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की शाम 04 बजकर 06 मिनट से सूतक काल लग जाएगा ।*


*🚩बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और रोगी के लिए सूतक प्रारम्भ समय रात्रि 08:36 से ।*


*🚩दक्षिण पूर्वी भाग ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर विश्व के सभी देशों में जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, चीन, ईरान, कज़ाख़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, स्वीडन, मलेशिया, अमेरिका एवं अन्य देशों में दिखाई देगा ।*


 *🚩चंद्रग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (09 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।*


*🚩 ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है ।*


*🚩 सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें । ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं ।*


*🚩 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।*


*🚩 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है ।*


*🚩 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।*


*🚩 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं ।*


*🚩 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।*


*🚩खीर प्रसादी कब बनानी है और कब सेवन करना है ?*

*रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।*


*🚩सूतक काल में बाहर भ्रमण कर सकते हैं या नहीं ?*


*🚩अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।*


*🚩पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं तो ग्रहण के दिन देना है या नहीं ?*


*🚩क्योंकि सूतक काल शाम 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।*


*🚩सूतक काल में चंद्रमा की किरणों में बैठकर लाभ ले सकते हैं या नहीं ?*

*ले सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के समय लैट्रिन बाथरूम जा सकते हैं ?*

*नहीं, ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।*


*🚩ग्रहण के समय सोना चाहिए या नहीं ?*

*नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है ।*


*🚩ग्रहण के समय खा सकते है ?* 

*चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है ।*


*🚩सूतक में स्नान, पेशाब & शौच कर सकते हैं या नहीं ?*

*कर सकते हैं ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान अध्ययन कर सकते हैं क्या ?*


*🚩बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’*


*🚩सूतक काल में खाने का त्याग करना है तो पानी पी सकते हैं या नहीं ?*

*🚩इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।*


*🚩ग्रहणकाल में धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर जला सकते हैं या नहीं ?*

*जला सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के समय घर में पूजा कर सकते है ?*

*हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप करना चाहिए ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं ?*

*ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है ।*


*🚩चंद्र ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ?*

*ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।*

*आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।*


*🚩भोजन कब तक करना है ?*

*सूतक लगने ( शाम 04:06) से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें ।*


*🚩ग्रहणकाल में तुलसी के पत्तों का उपयोग किस प्रकार करना है ?*

*सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु), ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता ।*

*नोट : पूर्णिमा के दिन तुलसी नहीं तोड़ सकते हैं शुक्रवार के दिन दोपहर पहले तोड़ के रख सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के सूतक काल में सोना चाहिए या नहीं ?*

*सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।*


*🚩ग्रहण देख सकते है ?*

*नहीं, ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें ।*


*🚩 ग्रहणकाल में गर्भवती महिलायें क्या करें, क्या ना करें ?*


*🚩गर्भिणी के लिए ग्रहण के कुछ नियम विशेष पालनीय होते हैं । इन्हें कपोलकल्पित बातें अथवा अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, इनके पीछे शास्त्रोक्त कारण हैं ।*


*🚩ग्रहण के प्रभाव से वातावरण, पशु-पक्षियों के आचरण आदि में परिवर्तन दिखाई देते हैं इससे स्पष्ट है कि मानवीय शरीर तथा मन के क्रिया-कलापों में भी परिवर्तन होते हैं ।*


*🚩ग्रहणकाल में कुछ कार्य करने से आशातीत लाभ होते हैं और कुछ से अत्याधिक हानि । सभी उन्हें न भी समझ सकें परंतु उनका पालन करना अति आवश्यक है इसलिए हमारे हितैषी ऋषि-मुनियों के द्वारा इन कार्यों का नियम के रूप में समाज में प्रचलन किया गया है । ध्यान रहे, इन नियमों से गर्भवती को भलीभाँति अवगत करायें परंतु भयभीत नहीं करें । भय का गर्भ पर विपरीत असर पड़ता है ।*


*🚩ग्रहण के दौरान गर्भिणी को लोहे से बनी वस्तुओं से दूर रहना चाहिए । वह अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल के दौरान निकाल देना चाहिए ।*


*🚩बालों पर लगी पिन या शरीर पर धारण किये हुए नुकीली गहने भी उतार दें । चाकू, कैंची, पेन, पेंसिल, सुई जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग कदापि न करें । किसी भी लोहे की वस्तु, बर्तन, दरवाजे की कुंडी, ताला आदि को स्पर्श न करें ।*


*🚩 ग्रहण काल में भोजन बनाना, साफ-सफाई आदि घरेलू काम, पढ़ाई-लिखाई, कम्प्यूटर वर्क, नौकरी या बिजनेस आदि से संबंधित कोई भी काम नहीं करने चाहिए क्योंकि इस समय काम करने से शारीरिक और बौद्धिक क्षमता क्षीण होती है ।*


*🚩 ग्रहणकाल में घर से बाहर निकलना, यात्रा करना, चन्द्र अथवा सूर्य के दर्शन करना निषिद्ध है ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान पानी पीना, भोजन करना, लघुशंका अथवा शौच जाना, सोना या स्नान करना, वज्रासन में बैठना भी निषिद्ध है । ग्रहणकाल से 4 घंटे पूर्व इस प्रकार अन्न-पान करें कि ग्रहण के दौरान शौचादि के लिए जाना न पड़े ।*


*🚩 ग्रहण के दौरान सेल्युलर फोन (मोबाइल) से निकले रेडिएशन्स से शिशु में स्थायी विकृति या मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है अत: इस समय मातायें फोन से दूर रहें ।*


*🚩 सूर्यग्रहण में 4 प्रहर (12 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है । जो गर्भवती माताएँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (4 से 4.30 घंटे) पहले तक खा-पी लें तो चल सकता है ।*


*🚩 गर्भवती ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला व चोटी में कुश धारण कर लें ।*


*🚩ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर पेट पर गोलाई से लेप करें । देशी गाय का गोबर उपलब्ध न हो तो गेरु मिट्टी अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें, इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है ।*


*🚩 कश्यप ऋषि कहते हैं – चन्द्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण का ज्ञान होने पर गर्भिणी को गर्भवेश्म अर्थात घर के भीतरी भाग (अंत: पुर) में जाकर शान्ति होम आदि कार्यों में लगकर चन्द्र तथा सूर्य की ग्रह द्वारा मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ।*


*🚩 गर्भिणी सम्पूर्ण ग्रहण काल में कमरे में बैठकर यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ भगवन्नाम जप रूपी यज्ञ करें । ॐ कार का दीर्घ उच्चारण करें । अगर लम्बे समय तक नहीं बैठ पाये तो लेटकर भी जप कर सकती है । जप करते समय गंगाजल पास में रखें । ग्रहण पूर्ण होने पर माला को गंगाजल से पवित्र करे व स्वयं वस्त्रों सहित सिर से स्नान कर लें ।*


*🔺 Follow on*


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

मिडिया की बातो पर भरोसा करते है तो सावधान ! न्यू यॉर्क टाइम्स ने गलत खबर की मांगी माफी.....

27 October 2023

http://azaadbharat.org



🚩टीआरपी की जद्दोजहतों के बीच खबरें शायद बिल्कुल गुम सी हो गई हैं। तड़कते भड़कते ग्राफ़िक्स को लेकर बनाया गया प्रोमो, एंकर-एंकराओं के बदलते हाव भाव, और उन सबके बीच ख़बरों के एक राई जितने छोटे हिस्से को आज के ज़माने में कुछ तथाकथित पढ़े लिखे न्यूज़ चैनल “खबर” कहते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया सामने आया है आज…


🚩हुजूर आते आते बहुत देर कर दी… तवायफ फिल्म का यह गाना ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ पर सही बैठ रहा है। पहले पूरी दुनिया में सैकड़ों लोगों की मौत की झूठी खबर फैलाई, अब कई दिनों के बाद ‘पत्रकारिता के आदर्श’ बाँच एक संपादकीय नोट जारी कर दिया।


🚩‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने सोमवार (23 अक्टूबर,2023) को एक नोट प्रकाशित कर ये स्वीकार किया है कि गाजा के अस्पताल पर हुए हमले पर उनकी शुरुआती कवरेज हमास के दावों पर अधिक केंद्रित थी। उन्होंने माना (हालाँकि शब्द चयन ऐसा है, जिससे लग रहा कि आधे-अधूरे मन से माना) कि इसका कवरेज पत्रकारीय मानकों पर खरा होना चाहिए था।


🚩गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के दौरान 17 अक्टूबर 2023 को 


🚩गाजा के अस्पताल पर रॉकेट से हमला हुआ था। इसमें 500 लोगों के मारे गए थे । इसको लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने बार-बार छापा था कि अस्पताल में हुआ विस्फोट इजरायली हवाई हमले की वजह से हुआ। 


🚩अब न्यूयॉर्क टाइम्स ने माफी मांगी की की गलती से झूठी खबर छप गई थी।


🚩पूरी दुनिया में आम लोगों के साथ प्रसिद्ध हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों का भी भरोसा मीडिया से उठ रहा है, जिस तरह से मीडिया टीआरपी और पैसे की अंधी दौड़ में झूठी, मनगढ़ंत खबरें दिखा रही है इससे जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है ।


🚩इस तरह की रिपोर्ट तब प्रकाशित की जा रही थी, जब इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) बार-बार सबूतों सहित कहती रही कि ये हमला फिलिस्तीन के इस्लामी आतंकियों के इजरायल की तरफ फेंके गए रॉकेट के मिसफायर होने से हुआ।


🚩द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक हफ्ते तक 500 लोगों की मौत की फेक न्यूज फैला कर अब माना कि 17 अक्टूबर को प्रकाशित खबर में संपादकीय गड़बड़ी हुई थी। ऐसा शायद इसलिए करना पड़ा होगा न्यूयॉर्क टाइम्स को क्योंकि अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों ने कहा है कि सबूत बताते हैं कि रॉकेट फिलिस्तीनी लड़ाकू ठिकानों से आया था।


🚩न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि 17 अक्टूबर 2023 को हुए विस्फोट की उसकी शुरुआती कवरेज और उसके साथ हेडलाइन्स, न्यूज अलर्ट और सोशल पोस्ट हमास के दावों पर बहुत अधिक निर्भर थे। उन्होंने माना कि इस रिपोर्ट ने पाठकों को इस हमले की जानकारी को लेकर गलत धारणा दी।


🚩वेबसाइट के संपादकों ने माना कि संघर्ष के दौरान खबर की संवेदनशील प्रकृति और इसे मिले अहम प्रचार को देखते हुए टाइम्स संपादकों को शुरुआती न्यूज देने में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। इसके साथ ही इस बारे में अधिक सतर्क और साफ होना चाहिए था कि किस जानकारी को सत्यापित किया जा सकता है।


🚩आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान दिया है कि, ‘मीडिया के लोग धरती पर मानव जाति में सबसे बेईमान हैं ।’ 


🚩पूरी दुनिया में आम लोगों के साथ बड़ी-बड़ी प्रसिद्ध हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों का भी भरोसा मीडिया से उठ रहा है, जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया टीआरपी और पैसे की अंधी दौड़ में झूठी, मनगढ़ंत खबरें दिखा रही है इससे जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, October 25, 2023

इजरायल तो केवल झांकी मात्र है, पूरी दुनिया को बनाना चाहते है,इस्लामिक स्टेट .....

26 October 2023

http://azaadbharat.org



🚩इस्लामी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल में जो बर्बरता दिखाई है उससे पूरी दुनिया सन्न है। लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो से पता चलता है कि इजरायल केवल पहला निशाना है। हमास का प्लान पूरी दुनिया में ऐसी ही बर्बरता अंजाम देने की है। वह पूरी दुनिया पर अपना निजाम चाहता है।


🚩वायरल वीडियो हमास के कमांडर महमूद अल जहर का है। इसमें वह बता रहा है कि पूरी दुनिया पर राज उनका लक्ष्य है। कोई यहूदी, कोई ईसाई गद्दार नहीं बचेगा। यह वीडियो ‘मेमरी टीवी’ ने दिसंबर 2022 में प्रकाशित किया था। ताजा हमलों के बाद यह इंटरनेट पर फिर से वायरल हो रहा है।


🚩78 साल का महमूद अल जहर (Hamas Commander Mahmoud Al Zahar) 2004 से हमास का सरगना है। वह इस आतंकी संगठन का संस्थापक सदस्य भी है। 2006 में वह फिलिस्तीन की सरकार में विदेश मंत्री भी बना था।


🚩करीब एक मिनट के वायरल वीडियो में महमूद कह रहा है, “इजरायल केवल पहला लक्ष्य है। पूरी पृथ्वी का 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र एक ऐसे निजाम के अधीन आएगा जहाँ कोई अन्याय नहीं होगा। कोई उत्पीड़न नहीं होगा। वे जुल्म और अपराध नहीं होंगे जो सभी अरब देश, लेबनान, सीरिया और फिलिस्तीन के लोग झेल रहे हैं।”

https://twitter.com/AmyMek/status/1711988348544491909?t=EWtlYY0ukuUgDupvXIHreA&s=19


🚩यह बयान बताता है कि हमास का मिशन वह नहीं है जो लिबरल-सेकुलर बुद्धिजीवी बताते हैं। उसका मिशन अन्य इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों की तरह ही पूरी दुनिया में इस्लामी निजाम कायम करना है। इजरायल में महिलाओं के साथ रेप, उनकी शवों के नग्न परेड, बच्चों के सिर काटने से लेकर लोगों को जिंदा जलाने तक की घटनाओं को अंजाम देकर भी उसने यही साबित किया है।


🚩खुद महमूद अल जहर भी इजरायल के भीतर बच्चों की हत्या की बात पहले कर चुका है। उसने 2009 में इजरायल पर फिलिस्तीनी बच्चों की हत्या का आरोप लगते हुए कहा था कि इससे अब इजरायल में बच्चों की हत्याएँ जायज हो गई हैं।


🚩आपको बता दे की इस्लामिक जिहादी बर्बरता के कुछ साल पहले के आंकड़े हैं, वो न सिर्फ हैरान करने वाले हैं, बल्कि काफी भयावह भी हैं। इस्लामिक जिहादी बर्बरता का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है कि 2017 में दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवादियों ने 84 हजार से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, हजारों अव्यवस्क लड़कियों की इज्जत लूटी हैं, हजारों अव्यस्क लड़कियों को सेक्स स्लेव यानी गुलाम बना कर रखा, कोई एक नहीं बल्कि 66 देशों में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिंसा की खतरनाक साजिश रची है और हिंसा को साजिशपूर्ण ढंग से अंजाम देने का कार्य भी किया है ।


🚩इस्लामिक जिहादी बर्बरता के यह आकंडे और यह निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इस्टीट्यूट फॉर ग्लोबर चेज’ ने दिए हैं । ये आंकडे कोई हवा-हवाई नहीं हैं. बल्कि ये आकंडे चाकचौबंद हैं, यह निष्कर्ष भी चाकचौबंद हैं ।


🚩इस्लामिक बर्बरता के आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, दुनिया को चिंता में डाल दिया है, दुनिया को फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं, अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नकाफी साबित हुए हैं, बेअसर साबित हुए हैं । इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े घृणा और हिंसा का दायरा दिनों-दिन बढ़ता ही चला जा रहा है, सिर्फ बर्बर सामाजिक व्यवस्था वाले देशों की ही बात नहीं है बल्कि सभ्यताशील और विकसित सामाजिक व्यवस्था वाले देशों में भी इस्लामिक घृणा और इस्लामिक हिंसा ने अपने पैर पसारे हैं ।


🚩अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस्लामिक बर्बरता के इन घृणित आंकडों से भी दुनिया कोई सबक लेगी और इस्लामिक बर्बरता के खिलाफ कोई चाकचौबंद अभियान चलेगा ?


🚩इन आंकड़ों में बताया गया है कि 121 देशों में इस्लामिक आतंकवादी सक्रिय हैं जहां पर उनका नेटवर्क गंभीर रूप से सक्रिय हैं और इस नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां भी समाप्त करने में विफल रही हैं । सर्वाधिक खतरा उन देशों से पर बढ़ा है जहां पर इस्लामिक राज नहीं है पर इस्लामिक राज के लिए किसी न किसी प्रकार का मजहबी हिंसक अभियान जारी है, इस्लामिक आतंकवादी सरेआम कहते हैं कि दुनिया को कुरान का शासन मानना ही होगा अन्यथा हिंसा का शिकार होना होगा, हम तलवार के बल पर पूरी दुनिया में कुरान का शासन लागू करेंगे।


🚩दुनिया में एक मात्र आईएस ही खूंखार, हिंसक या फिर मानवता को शर्मसार करने वाला आतंकवादी संगठन नहीं है, बल्कि दुनिया में दो सौ से अधिक मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं जो सीधे तौर पर इस्लाम की मान्यताओं को लेकर जेहादी हैं । सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर दुनिया में हजारों और लाखों मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं ।


🚩स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी कम खतरनाक नहीं होता है । स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन बड़े आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करता है, आतंकवादी मानसिकताओं का प्रचार-प्रसार करता है, आतंकवाद का बीजारोपण करता है। बड़े आतंकवादी संगठन पर कार्यवाही तो आसान होता है पर स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर कार्यवाही बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनकी पहचान अति गोपनीय होती है और मुस्लिम समुदाय ऐसे संगठनों की पहचान जाहिर करना इस्लाम विरोधी मान लेते हैं।


🚩ये सारे आंकड़े इस बात का साफ़ संकेत हैं कि आपको आतंक को धर्म से नहीं जोड़ना है तो मत जोड़िए, लेकिन इस्लामिक जिहाद के नाम पर हो रही बर्बरता, नरसंहार के खिलाफ दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना ही होगा अन्यथा, आगे की स्थिति काफी भयावह होने वाली है ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ