Wednesday, January 31, 2024

भारत कोई पश्चिमी देश नहीं जो लिव-इन रिलेशनशिप सामान्य हो : इलाहाबाद हाईकोर्ट

1 February 2024

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🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि भारत कोई पश्चिमी देश नहीं है जहाँ लिव इन रिलेशनशिप  सामान्य बात हो। हाईकोर्ट ने कहा कि भारत में लोगों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को मानना चाहिए और इस पर गर्व करना चाहिए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक याचिका की सुनवाई करते हुई की।


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट के सामने एक व्यक्ति आशीष कुमार ने याचिका डाली थी कि एक महिला, जिससे उसका 2011 से प्रेम सम्बन्ध है, उसका परिवार उसे उससे मिलने नहीं दे रहा है। उसने इस संबंध ने याचिकाकर्ता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका डाली थी। उसका कहना था कि महिला को उसके परिवार वालों ने जबरन कैद कर रखा है।


🚩इस मामले की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शमीम अहमद ने कहा, “अदालत का मानना है कि हम एक पश्चिमी देश नहीं हैं जहाँ एक लड़की-लड़के का लिव इन रिलेशनशिप में रहना सामान्य बात हो। हम एक ऐसे देश हैं जहाँ लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति में विश्वास करते हैं और उस पर गर्वित हैं, ऐसे में हमें भी यही करना चाहिए।”


🚩आशीष कुमार ने कोर्ट के समक्ष याचिका के साथ एक पत्र भी रखा था जो कि उसने दावा किया था कि लड़की ने लिखा है। याचिकाकर्ता आशीष कुमार ने कोर्ट के सामने कुछ तस्वीरें भी रखी थीं और बताया था कि वह इस लड़की के 2011 से प्रेम संबंध में हैं। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि यह याचिका मात्र लड़की और उसके परिवार की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है और इससे याचिकाकर्ता उन पर दबाव डाल कर अपने मन का निर्णय करवाना चाहता है।


🚩इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, “अदालत के सामने कोई कारण नहीं है कि वह इस तरह की याचिका की सुनवाई करे जो कि किसी लड़की और उसके परिवार वालों की छवि खराब करने के उद्देश्य से डाली गई है। अदालत अगर ऐसी याचिका को सुनता है तो इससे लड़की और उसके परिवार की छवि धूमिल होगी और उन्हें भविष्य में उसके लिए दूल्हा ढूँढने में समस्या होगी।”


🚩कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि यदि वह और लड़की जिसके विषय में याचिका डाली गई है, वह 13 साल से एक दूसरे के साथ प्रेम सम्बन्ध में हैं तो विवाह क्यों नहीं किया। कोर्ट ने इसी के साथ ही याचिका को खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर ₹25,000 का जुर्माना भी लगाया।


🚩समाज को अस्थिर करने की योजना


 🚩इससे पहले इलहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में जस्टिस सिद्धार्थ ने कहा था कि, “ऊपरी तौर पर, लिव-इन का रिश्ता बहुत आकर्षक लगता है और युवाओं को लुभाता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है और मध्यमवर्गीय सामाजिक नैतिकता/मानदंड उनके चेहरे पर नजर आने लगते हैं, ऐसे जोड़े को धीरे-धीरे एहसास होता है कि उनके रिश्ते को कोई सामाजिक स्वीकृति नहीं है।”


 🚩उन्होंने आगे कहा, “लिव-इन रिलेशनशिप को इस देश में विवाह की संस्था के फेल होने के बाद ही सामान्य माना जाएगा, जैसा कि कई तथाकथित विकसित देशों में होता है जहाँ विवाह की संस्था की रक्षा करना उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। अगर हम ऐसा करें तो , हम भविष्य में अपने लिए बड़ी समस्या खड़ी करने की ओर अग्रसर हैं। इस देश में विवाह की संस्था को नष्ट करने और समाज को अस्थिर करने और हमारे देश की प्रगति में बाधा डालने की योजनाबद्ध कु नीति ( षड्यंत्र ) बनाई गई है।”


 🚩टीवी धारावाहिक विवाह संस्था को पहुँचा रहे नुकसान


 🚩जज सिद्धार्थ ने यह भी कहा, “आजकल की फिल्में और टीवी धारावाहिक , विवाह की संस्था को खत्म करने में योगदान दे रहे हैं। शादीशुदा रिश्ते में पार्टनर से बेवफाई और उन्मुक्त लिव-इन रिलेशनशिप को प्रगतिशील समाज की निशानी के तौर पर दिखाया जा रहा है। युवा ऐसे दर्शन की ओर आकर्षित हो जाते हैं , लेकिन इसके दीर्घकालिक परिणामों से अनजान होते हैं।”


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Tuesday, January 30, 2024

अब तो हद पार हो गई, इतना अत्याचार तो मुगलों के समय भी नही होगा

31 January 2024

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🚩आपने आशारामजी बापू का नाम तो काफी सुना होगा, कि वो इस वक़्त जोधपुर जेल में हैं।लेकिन उनके आजीवन कारावास की सजा के पीछे क्या सच्चाई है और अभी तक उनके बार-बार बीमार पड़ने पर भी क्यों बेल की अर्जियां ख़ारिज की जा रही हैं,यह जानना भी बेहद ज़रूरी है।


🚩आज उनकी उम्र 87 साल की है और जेल में 11 साल से हैं। उन्हें काफी पहले से ट्रायजेमिनल न्यूरॉल्जिया , सायटिका और अन्य कष्टप्रद बीमारियां थी ही। फिर इतने समय से जेल में रहने और वहां मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण उनको 3 साल पहले कोरोना भी हो गया था, शरीर बिल्कुल रुग्ण हो गया और दवाओं के काफी सारे साइड ईफेक्ट्स भी हो गए ।


🚩इतनी बड़ी उम्र में शरीर इतना कमजोर होने और जेल के कष्टदायक परिस्थितियों के चलते उनको कई गंभीर बीमारियों ने घेर लिया है। जिसके कारण पिछले लगभग 20 दिनों से वे जोधपुर एम्स अस्पताल में भर्ती हैं और बिना पैरोल के वहीं कैद में ही उनका इलाज ( उनकी मर्जी के अनुसार इलाज मुहैय्या नहीं हो रहे उन्हें ) चल रहा है।


🚩जेल जाने के पीछे का कारण क्या थे?


🚩मीडिया ने आज तक जितना आशाराम बापू के खिलाफ मनगढ़ंत और फ़ेक मीडिया ट्रायल चलाए हैं , उतने किसी के खिलाफ नहीं चलाए होंगे , जानना चाहते हैं क्यों...!?

क्योंकि आशारामजी बापू ने गुनाह ही इतने बड़े-बड़े किये थे !


🚩आशारामजी बापू के गुनाहों की फ़ेहरिस्त...


🚩उनके गुनाहों की लिस्ट इतनी लंबी कि यहाँ सीमित स्थान व समय में सारा कुछ बता पाना संभव नहीं है,फिर भी उनमें से कुछेक यहाँ बता रहे हैं।


🚩1) उन्होंने संस्कृति जागरण अभियान, नर सेवा ही नारायण सेवा अभियान , और अन्य प्रकल्पों के माध्यम से इसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवाई । और तो और 11 साल से जेल में होकर भी अपनी उस मुहिम को रुकने नहीं दिए। अभी भी उनके आश्रम व समितियां उनके पद चिन्हों का अनुसरण कर रही हैं।


🚩2) करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति कट्टर बना दिया उन्होंने। सैकड़ों वैदिक शिक्षा पद्धति के गुरुकुल और 17000++ बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।450+ आश्रमों में दिन-रात आश्रमवासियों द्वारा देश व धर्म सेवा के कार्यक्रम चलते रहते हैं।


🚩3) कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाया, उनके पालन-पोषण हेतु अनेकों गौशालाएं खोल दीं।


🚩4) 2006 में 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे के बदले मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया।

आज उनके करोड़ो अनुयायियों के साथ-साथ देश भर में सभी धर्म के लोग बड़ी कृतज्ञता से सहर्ष इस पावन पर्व को मनाने लगे हैं। इसकी सुवास अन्य देशों में भी फैल रही है।


🚩5)इतना ही नहीं विदेशों में भी उन्होंने भारतीय सनातन संस्कृति का परचम खूब ऊंचा फहराया । वहाँ भी उनके अनगिनत अनुयायी बन चुके थे।


🚩6)25 December को क्रिसमस के बदले तुलसी पूजन दिवस शुरू करवाये।


🚩7) 25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक "विश्व गुरू भारत अभियान" शुरू करवाए...


🚩आज कौन नहीं वाकिफ इस बात से कि पूरे साल भर में यही वो सप्ताह है , जिसमें कुछ साल पहले तक व्यभिचार अपने चरम पर होता था।आशाराम जी के प्रयासों से ही आज सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिले हैं।


🚩शराब, मांस भक्क्षण,युवाओ ,युवतियों द्वारा खुलेआम व्यभिचार, कुंवारी किशोरियों से लेकर युवतियों तक का गर्भवती होकर समाज पर बोझ होना। बलात्कार, छेडछाड, लडाई, दंगे फ़साद, खून खराबा, आत्महत्याएं और हत्याएं आदि.....अब कितने नाम गिनाए जाएं, ये सबकुछ इसी सप्ताह में खूब बढते थे।

पर आज , आज देशवासी 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन करते हैं और भी कई सुन्दर प्रकल्प होते हैं इस सप्ताह में आशाराम जी के आश्रमों और साधकों द्वारा ।।


🚩8) सनातनधर्म की रक्षा और सबका मंगल सबका भला करने के लिए उन्होंने रात-दिन एक करके पिछले 60 सालों से अप्रतिम सेवाएं कीं। सेवा, सत्संग दान और सुसंस्कार सिंचन के इतने विशाल यज्ञ कुण्ड में मानो उन्होंने स्वयं समेत अपने परिवार और अपनी तमाम खुशियों को भी अर्पण कर दिया।


🚩9) देश विदेश में करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया।

उनके सत्संग सान्निध्य के बाद करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगे ।

हालाँकि इसके बड़े खतरनाक साइड ईफेक्ट्स भी हुए...

इसके कारण भारत को आंतरिक रूप से अपने अधीन करने का सपना लेकर यहाँ व्यापार कर रही विदेशी कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों के घाटे होने लगे।


🚩क्यों चलाई गई षड़यंत्रों की आंधी!?

 

🚩ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर पूरे सुनियोजित ढंग से इन मिशनरीज ने भारत के ही हिन्दूधर्म विरोधी व राष्ट्र विरोधी ताकतों , दोगली मीडिया व स्वार्थी राजनेताओं की सांठ-गांठ से आशाराम जी के खिलाफ गहरा षड्यंत्र रच डाला ।


🚩डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी ने अपने वक्तव्यों में बताया है कि , उन्होंने आशाराम जी बापू को पहले ही बता दिया था... कि "आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी के कर्ता-धर्ता बहुत नाराज हैं और वो लोग तत्कालीन भारत सरकार के सांठ-गांठ में आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

...इस पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊँगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूँगा।”


🚩आपको बता दें कि आशारामजी बापू के ऊपर आरोप लगाने वाली लड़की ने जो FIR लिखवाया उसमें रेप शब्द का जिक्र ही नहीं...

यहाँ तक कि उसका मेडिकल करवाया गया तो रिपोर्ट में आया कि उसके शरीर पर एक खरोंच का निशान तक नहीं मिला ! मतलब साफ़ है कि आरोपकर्ता लड़की के साथ कुछ हुआ ही नहीं...

अर्थात् मेडिकल रिपोर्ट द्वारा छेड़छाड़ का आरोप भी खारिज हो गया।


🚩मीडिया ने आखिर किसके इशारे पर रेप रेप का हल्ला मचाया...!?

अब यह सच भी देश की जनता के सामने आ गया है।


🚩आश्चर्य ये कि मीडिया ने खूब दुष्प्रचार किया कि लड़की के साथ रेप हुआ है। जबकि खुद तत्कालीन जांच ऑफिसर अजय पाल लाम्बा ने बताया कि " FIR में रेप का आरोप है ही नहीं,सिर्फ छेड़छाड़ का आरोप है!" और मेडिकल रिपोर्ट से उसका भी खण्डन हो गया।

 फिर भी विदेशी फंडेड बिकाऊ मीडिया निर्दोष हिन्दू संत को अपने स्वार्थ में अंधी होकर बदनाम करती ही रही। और आज तक एक भी सही खबर इस केस की अपने चैनल्स पर नहीं दिखाई !


🚩न्यायपालिका का आश्चर्यजनक रूप से उदासीन और कट्टर रवैया...


🚩अब सोचने वाली बात है कि इन 11 सालों में अनगिनत आरोपियों और यहाँ तक कि अपराध सिद्ध नेताओ,अभिनेताओ, व्यवसायियों , मीडिया कर्मियों और तो और खूंखार आतंकियों तक को रिहाई , बेल और पैरोल मिली है।

...पर गंभीर रूप से बीमार होकर भी जमानत नहीं मिली तो सिर्फ आशाराम जी को !!


🚩सलमान खान को निचली अदालत से सजा होने के बाद भी ऊपरी कोर्ट तुरंत जमानत दे देती है । आतंकवादियों के हथियार रखने के मामले में सजायाफ्ता संजय दत्त को बेतुके कारणों से भी बार बार पैरोल देती रही...

वो ही न्यायालय हिंदू संत आशाराम जी बापू को 11 साल में एक दिन भी जमानत अथवा पैरोल नहीं देती , आख़िर क्यो !?


🚩घोर आश्चर्य !

जो कानून दिल्ली के इमाम बुखारी पर सैंकड़ों गैर जमानती वारंट होने के बाद भी उसको और पूरे भारत में कोरोना फैलाने वाले मौलाना साद को आजतक गिरफ्तार नहीं कर पाया , वही कानून गंभीर बीमारियों से जूझ रहे निर्दोष हिंदू संत आशाराम जी बापू को 11 साल से जेल में कैद रखे हुए है।


🚩गौरतलब है कि जो मीडिया सिर्फ हिंदू धर्म के साधु-संतों, मठ-मंदिरों आश्रमों के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम करती है वही मीडिया इन सब पर चुप्पी साध लेती है !!

और सेक्युलरिज्म की भयानक बीमारी के शिकार कुछ हिन्दू दोगली मीडिया की बात को ही सच्चा मानकर अपने धर्मगुरुओं के खिलाफ बोलना चालू कर देते हैं !!


🚩कोंग्रेस सरकार के समय कोई हिंदू धर्म के पक्ष में बोलने वाला नहीं था। वर्तमान प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनके खिलाफ़ षड्यंत्र चल रहे थे , तब उनके अच्छे कार्यो को देखते हुए आशाराम जी बापू ने भरपूर समर्थन किया था और उन्हें प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया था ।

लेकिन आश्चर्य कि आज वही माननीय प्रधानमंत्री जी आशाराम जी बापू के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय को अनदेखा कर रहे हैं !!


🚩स्वामी रामदेव पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने लाठी चार्ज करवाया था, तब आशाराम जी बापू ने नारा दिया था, कि " सोनिया मैडम भारत छोड़ो " और राम देव बाबा का पूरा साथ दिया लेकिन लगता है कि वो भी आज आशाराम जी बापू को भूल गए ।


🚩जागो हिंदुओ !!

अब समझ जाओ कि सनातन धर्म की रक्षा करने वालों को ही यहाँ कैसे षड़यंत्रों में फंसाया और सताया जाता है !

अभी भी समय है ! अपने आश्रमों,देवी-देवताओं और खाकर साधु-संतों के खिलाफ हो रहे षड्यंत्र पर आवाज़ उठाओ।

मत भूलो कि संत हैं तो ही संस्कृति है, इसलिए आशाराम जी बापू की शीघ्र रिहाई की आवाज बुलंद करो...नहीं तो हमें प्रकृति भी माफ नहीं करेगी !!


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Monday, January 29, 2024

वेटिकन के मुख्य पोप ने पहले सेक्स और अब दारू की दी छूट...

30 January 2024

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🚩भारतीय संस्कृति और पाश्चात संस्कृति में बहुत अंतर है। आइए देखें कुछ उदाहरण के द्वारा कि कैसे और क्या अन्तर है।

जब अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी तब आसपास के इलाकों में योगी जी ने दारू बंदी करवा दी और उस समय कई राज्यों में तो मांस बेचना बंद करवा दिया गया था। हमारी भारतीय संस्कृति में दारू पीने की छूट बिलकुल नही दी गई है। इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है और साथ ही बुद्धि भी मारी जाती है, तामसी स्वभाव हो जाता है , इसीलिए हिंदू साधु संत तो दारू जैसे व्यसन से बचने को कहते है और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन ईसाई धर्म के सबसे मुख्य पॉप ने पहले तो पादरियों के लिए सेक्स की छूट की पैरवी की और अब दारू पीने-पिलाने का भी खूब प्रोत्साहन कर रहे हैं ।


🚩आपको बता दें कि चर्चों में बच्चों के साथ दुष्कर्म करते पादरियों के पकड़े जाने के अनगिनत मामले आए दिन सामने आते रहते हैं।

अब इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि उनके धर्म गुरु ही ये सब करने की छूट दे रहे हैं , व्यभिचार और व्यसन की छूट दे रहे हैं।


अब अगर यह सब जानने के बावजूद भी भारतीय लोग , दबाव, दहशत या लालच में आकर ऐसा धर्म अपनाते है तो उनकी और उनके परिवार की क्या दुर्दशा होगी आप समझ ही सकते हैं।


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवारों का विदेशी भाषा, वेश-भूषा, रीति-रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है, पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


🚩आपको बता दे की हाल ही में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि दारू भगवान की देन है और यह आनंद का असली स्रोत है। पोप फ्रांसिस ने यह बयान वेटिकन सिटी में दिया है, जो ईसाइयों की धर्मनगरी है। उन्होंने इसके पहले भी शराब के समर्थन में कई बयान दिए हैं।


🚩पोप फ्रांसिस ने यह बयान एक समारोह में दिया, जिसमें इटली से आए हुए तमाम शराब निर्माता शामिल थे। यह समारोह इतालवी शहर वेरोना के बिशप डोमेनिको पोम्पिली द्वारा आयोजित किया गया था। यह समारोह वेरोना में हर साल अप्रैल माह में होने वाली वाइन प्रतियोगिता के पहले आयोजित किया जाता है।


🚩पोप फ्रांसिस ने शराब बनाने वालों से कहा कि वह इससे सम्बंधित नैतिक जिम्मेदारियों का वहन करें और साथ ही पीने की सही आदतों को बढ़ावा दें। 


🚩बता दें कि पोप फ्रांसिस इससे पहले भी शराब का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में भी शराब के समर्थन में बयान दिया था। उन्होंने शराब को शादी समारोह का प्रमुख अंग कहा था। उन्होंने कहा था, “नवविवाहित जोड़े की शादी में शराब ना हो तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है, जैसे आपने चाय पीकर आपने शादी समारोह पूरा कर लिया।”


🚩आपको बता दें कि पोप ने पिछले साल एक वक्तव्य में कहा था कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी।

86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल यौनशोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।


🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल ही चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा तो पहले से ही थे , पर गुपचुप ढ़ंग से ।

पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।


🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो कर सनातन धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।


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Sunday, January 28, 2024

अब तक सिर्फ़ अयोध्या, काशी , मथुरा की ही बात हुई है, 30 हज़ार मंदिरों की तो बात भी नहीं हुई....

26 January 2024

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🚩वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जब काशी विश्वनाथ मंदिर को जबरन ढाह कर बनाई गई आलमगीरी मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा सर्वे का फैसला दिया,ज़रा सोचे नासमझ हिंदू कि इस पर अपने आराध्यों के लिए बने मंदिर के लिए इतनी छोटी जीत पर भी उचक-उचक कर खुश होना पड़ता है।


🚩यह कोई बधाई या प्रसन्नता की बात नहीं है और इसके दो कारण हैं। आज भी जब आप काशी विश्वनाथ के दर्शन को जाएँगे, तो उसकी ठीक बगल में जो आलमगीरी मस्जिद है (जिसे ज्ञानवापी भी कहा जाता है) – उसको देखकर एक धर्मप्राण हिंदू होने के नाते आपके आँसू निकल आएँगे। मस्जिद की दीवारों को देखकर ही समझ में आ जाता है कि उसे किसी ध्वस्त मंदिर के मलबे से बनाया गया है, यहाँ तक कि कुछेक जगहों पर तो दीवारों को भी नहीं मिलाया गया है।


🚩जिस तरह दिल्ली में कुतुबमीनार साफ-साफ मंदिरों के मलबे से बना दिखता है (और शर्मनाक तरीके से वहाँ ASI ने बोर्ड भी लगा रखा है), उसी तरह काशी-विश्वनाथ मंदिर की छाती पर पैबस्त आलमगीरी मस्जिद भी मंदिर पर निर्मित है, यह बात केवल आँख के अंधों को ही नज़र नहीं आएगी। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण प्रशस्त करने का फैसला आया तभी बधाई या प्रसन्नता की कोई बात नहीं है।


🚩लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हिंदुओं को अपने आराध्य के पूजन का, उनके मंदिर का अधिकार मिला है। इसके साथ ही अदालत ने 5 एकड़ का मुआवजा भी थमा दिया है, जो हिंदुओं के ऊपर जुर्माने से कम नहीं है। भाई, मुकदमा तो इसका था न कि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर (भारत की अधिकांश मस्जिदें, मंदिर तोड़कर बनीं) मस्जिद बनाई गई, वह स्थल हिंदुओं के आराध्य की जगह है, उसे वापस हिंदुओं को देना है।


🚩इसमें 5 एकड़ मुआवजा क्यों देना था? हिंदुओं को तो राम के अस्तित्व का प्रमाण देना पड़ा, अदालती लड़ाई में कूदना पड़ा, जो राम इस देश के कण-कण में हैं, उस राम को झुठलाने के जिहादी-वामपंथी षड्यंत्र का कालकूट पीना पड़ा। इसमें बधाई की कौन सी बात थी। अब केवल सर्वेक्षण मात्र के फैसले पर कई सेक्युलर-कुबुद्धिजीवी खुलकर न्यायालय के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। ओवैसी जैसा जिहादी सीना ठोक कर मुखालफत करता है।


🚩वह कहता है कि राम जन्मभूमि की तरह ही इस मामले में भी बेईमानी की जाएगी। ध्यान दीजिएगा, उसके शब्दों पर। कौमी-कॉन्ग्रेसी-कुबुद्धिजीवियों ने अयोध्या के फैसले पर हमें याद दिलाया था कि ‘तथ्यों के मुकाबले आस्था को प्राथमिकता’ डील पर यह निर्णय हुआ। कुतुबमीनार हो या ज्ञानवापी, भोजशाला हो या मथुरा, ढाई दिन का झोपड़ा हो या कोई भी बुलंद मस्जिद, वह हिंदुओं के स्वाभिमान को ध्वस्त करने के लिए उनके परम पूज्य आराध्यों के मंदिरों को भूमिसात कर बनाई गई हैं।


🚩आज भी उनके साक्षात प्रमाण हिंदुओं को मुँह चिढ़ाते हैं, उसके ज़ख्मों पर नमक छिड़कते हैं। और ये मक्कार, झूठे, लबार तथ्यों की बात करेंगे, जिन्होंने रोमिला-हबीब जैसे उपन्यासकारों के जरिए भयानक झूठ बोले, षड्यंत्र किए और जन्मभूमि के मामले को उलझाने की कोशिश की?


🚩कौन नहीं जानता है कि इस्लाम इस देश में एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में तलवार लेकर आया था। कौन नहीं जानता है कि मुगलों के दो सौ वर्षों के शासनकाल में, उनके सबसे सेकुलर राजाओं... उदाहरण के तौर पर अकबर और शाहजहाँ ने भी हिंदुओं के मंदिर तोड़े, जजिया लगाया और धर्म-परिवर्तन कराया।


🚩कौन नहीं जानता है कि गायों को हरावल दस्ते में आगे रखकर हिंदुओं को जीतने वाले कायर रेगिस्तानी बर्बरों ने हिंदुओं की चेतना को खत्म करने के लिए मंदिरों को अपवित्र किया, मूर्तियाँ तोड़ीं और बलात्कार किए। काशी-विश्वनाथ हो या राम-मंदिर, मथुरा हो या 30 हजार मंदिरों को तोड़ना और कब्जाना, आप इस देश में जहाँ कहीं भी एक भव्य मंदिर देखेंगे, ठीक उसके साथ ही, उसकी बगल में मस्जिद तामीर कर, 5 बार लाउडस्पीकर से चीखती-पुकारती आवाज़ आप हरेक शहर में सुन सकते हैं। पटना के महावीर मंदिर से लेकर मुंबई का खारघर तक, यही कहानी है।


🚩आलमगीरी मस्जिद प्रमाण है, औरंगजेब की कट्टरता का। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खाँ द्वारा लिखित ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस ध्वंस का वर्णन है। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी।


🚩1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहाँ विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। "नंदी प्रतिमा का मुख उल्टा होने का रहस्य यही है कि पहले मंदिर जहाँ थी, वहाँ मस्जिद बना ली गई !!"


इतिहास को विकृत करने की कॉन्ग्रेसी-कम्युनिस्ट कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं औऱ बारहाँ इतिहास कब्र से जीवित होकर उठ खड़ा होता है। ऐतिहासिक दस्तावेज चीख-चीख कर कहते हैं कि मुहम्मद गोरी से लेकर औरंगजेब तक काशी विश्वनाथ ने जितने बर्बर आक्रमण झेले हैं, उसके बावजूद काशी की आत्मा बची है, तो केवल बाबा विश्वनाथ की महिमा से, हिंदुत्व की ज्योति से। और अंत में अचानक से कुछ धिम्मियों की आत्मा जागी है, उनके अंग-विशेष से आँसू निकल रहे हैं।


🚩वे हमें सिखा रहे हैं कि ‘प्रतिक्रिया देना मजहब विशेष से सीखें। उन्होंने जो संयम दिखाया है, उसे देखकर हिंदुओं को शर्म आनी चाहिए।’ पहली बात, सरकार के इक़बाल और पूरी तैयारी की वजह से हमारे ‘शांतिदूत’ भाई चुप हैं।


🚩गौरतलब है इनकी फ़ितरत से वाकिफ होने के बाद ये सोचना भी लाज़मी है कि, ये इतनी आसानी से चुप बैठ कैसे सकते हैं!?

" ...हालाँकि, यह एक वृहत तैयारी के पहले की खामोशी भी हो सकती है। "


🚩हिन्दू असहिष्णु होता न , तो दिल्ली, पटना, मध्य प्रदेश, गुजरात, यूपी… कोई भी जगह शांत न रहती, जहाँ सीधे नंगी आँखों को मंदिरों के ऊपर तामीर की गई मस्जिद दिखाई देती है।


🚩तीसरी और अंतिम बात, यह दूसरा मजहब यदि सचमुच सहिष्णु है तो तत्काल कम से कम काशी और मथुरा के मंदिरों को खुद खाली करे और हिंदुओं के साथ वहाँ भव्य मंदिर बनवाए। बाकी, 30 हज़ार मंदिरों की तो अब तक बात भी नहीं हुई ।


       - वरिष्ठ पत्रकार व्यालोक


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Saturday, January 27, 2024

14 फ़रवरी दूर है , पर देशभर में लोगों ने अभी से उत्साहपूर्वक मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम मनाना शुरू किया...

28 January 2024

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🚩भारत में अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने(  और भारत को आंतरिक रूप से, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप  से खोखला करके पुनः अपना गुलाम बनाने के उद्देश्य से )के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां यहाँ मीडिया और अन्य माध्यमों में करोड़ो रूपए देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं जिसके कारण उनका व्यापार लाखों, करोड़ों, अरबों नहीं खरबों में हो जाता है। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगते हैं, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना तेजी से बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपयों का फायदा होता है।


🚩वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है, इसलिए अब तो देशभर में लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के निमित्त कार्यक्रम मनाने की शुरूआत कर दी है।


🚩गौरतलब है कि पिछले 60 वर्षों से सनातन संस्कृति के सेवाकार्यों में रत रहने वाले तथा सनातन संस्कृति की महिमा से विश्वमानव को परिचित करवाने वाले हिन्दू संत श्री आशारामजी बापे ने जब अपने देश के युवावर्ग को पाश्चात्य अंधानुकरण से चरित्रहीन होते देखा तो उनका हृदय व्यथित हो उठा और उन्होंने साल 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू किया। उन्होंने वर्षों से एक नयी दिशा की ओर युवावर्ग को अग्रसर करते हुए एक विश्वव्यापी अभियान चलाया। 14 फरवरी मातृ पितृ पूजन दिवस आज विश्वव्यापी बन चुका है और करोड़ों लोगों के द्वारा मनाया जा रहा है।


🚩आशाराम जी बापू का कहना है कि भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है।


🚩अब युवक-युवतियों का यह कहना कि “क्या हम प्यार न करें?”, तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने। आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आजतक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये , उनको ठुकरा दिया। जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया। आपके ऊंचे से ऊंचे सपने पूरे करने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई। उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी बड़ा तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने। उनका ऐसा अनमोल प्यार भुलाकर आप किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार के चक्कर में आकर वैलेंटाइन डे न मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें।


🚩हे भारतवासी भाइयों - बहनों ! आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं, एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।

अपने सनातनधर्म की आन, बान और शान बढ़ाएं। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे न मनाकर , सनातन संस्कृति के रक्षक पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू द्वारा विश्वमानव के हित की भावना से शुरू किए गए... "मातृ-पितृ पूजन दिवस" को ही मनाएं और अपने सच्चे प्यार , अपने वास्तविक हितैषी माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं।

आओ भारत को विश्व गुरु पद की ओर ले जाएं और संतों के शुभ संकल्प को साकार बनाएं ।


🚩 जय हिंद  !

जय माँ भारती !!


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Friday, January 26, 2024

डॉक्टर से जानिए डार्क चॉकलेट्स खाने से नुकसान होता है या फायदा ?

27 January 2024

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🚩चॉकलेट्स खाना बहुत से लोगों को पसंद  होता है। कुछ लोग तो मूड स्विंग होने पर, तो कुछ लोग गुस्सा शांत करने के लिए भी चॉकलेट्स खाते हैं। मिल्क चॉकलेट्स की जगह आजकल इसके हेल्दी विकल्प के रूप में डार्क चॉकलेट्स मार्केट में आ गई हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चॉकलेट्स का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए कुछ लोग डार्क चॉकलेट्स को बहुत ज्यादा खाने लगते हैं। लेकिन क्या सच में डार्क चॉकलेट्स हेल्दी होती हैं? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए पुणे स्थित आदित्य बिड़ला मेमोरियल हॉस्पिटल चिंचवड़ के क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ तेजस लिमये ने बताया  कि डार्क चॉकलेट में किसी भी अन्य चॉकलेट की तुलना में कैफीन की मात्रा बहुत अधिक होती है , जो कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है । इसके अलावा डार्क चॉकलेट के अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन और अनिद्रा की परेशानी भी होती है। यही नहीं डार्क चॉकलेट्स में ऑक्सलेट भी काफी मात्रा में पायी जाती है, जिससे किडनी में पथरी का खतरा भी बढ़ता है । इसके अलावा डार्क चॉकलेट में कैलोरी भी बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती है, जिससे वजन बढ़ने और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इसलिए यह मानना कि डार्क चॉकलेट्स का सेवन बहुत हेल्दी होता है, एकदम गलत है। आइए जानते हैं इससे होने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से।


🚩1. अनिद्रा और ब्लड प्रेशर की समस्या

🚩यदि आप डार्क चॉकलेट का अधिक सेवन करते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। दरअसल डार्क चॉकलेट में मौजूद उच्च कैफीन ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा कैफीन का ज्यादा सेवन करने से अनिद्रा की शिकायत भी होती है। अगर आपको भी सोते समय डार्क चॉकलेट खाने की आदत है तो अभी अपनी इस आदत को बदल दीजिए। साथ ही इसके अधिक सेवन से हृदय गति बढ़ जाती है , चिड़चिड़ापन और डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है। इससे एकाग्रता में भी कमी आती है।


🚩2. किडनी स्टोन की समस्या

 🚩डार्क चॉकलेट में ऑक्सलेट की अधिक मात्रा पाई जाती है। ये ऑक्सलेट शरीर में इकट्ठा होकर पथरी का कारण बन सकता है यदि आप पहले भी पथरी या स्टोन के शिकार हो चुके हैं तो आपको डार्क चॉकलेट खाने से परहेज बरतना चाहिए। यह पथरी के खतरे को बढ़ा सकता है।


🚩3.  माइग्रेन का खतरा बढ़ सकता है

डार्क चॉकलेट में टाइरामाइन नामक एक प्राकृतिक रसायन होता है,जो माइग्रेन का कारण बन सकता है। यह माइग्रेन के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है इसलिए अगर आपको माइग्रेन की समस्या है तो डार्क चॉकलेट से परहेज करना जरूरी है।


🚩4.  ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है

🚩डार्क चॉकलेट में शुगर की मात्रा भी अधिक होती है और यह आपके ब्लड शुगर के स्तर को काफी बढ़ा सकता है। उच्च रक्त शर्करा या हाइपरग्लेसेमिया भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।


🚩5. उच्च वसा

डार्क चॉकलेट में बड़ी मात्रा में सैचुरेटेड फैट और शुगर होता है। डार्क चॉकलेट के एक औंस में लगभग 150 कैलोरीज होती हैं, जिसमें अधिक मात्रा में वसा और चीनी पाई जाती है। अतिरिक्त वसा और चीनी के सेवन से आपका वजन भी बढ़ सकता है और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है।


🚩इन आदतों से पहचाने आपको है चॉकलेट खाने की लत

डॉ तेजस लिमये के अनुसार, लगातार डार्क चॉकलेट खाने का मन करना,अत्यधिक तनाव और चिंता में चॉकलेट खाने का खयाल आना,प्रतिदिन अधिक मात्रा में डार्क चॉकलेट का सेवन करना आदि आदतें बताती हैं कि आपको चॉकलेट की लत लग चुकी है। इसके अलावा अगर आप अपने खाने का नियंत्रण खो रहे हैं और आपके लिए ये बेहद नुकसानदायक हो सकता है। इसके कारण गंभीर बीमारियां हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार दिनभर में केवल 15-20 ग्राम चॉकलेट ही खाई जा सकती है।


🚩अपनी आदतों को कैसे सुधारें?


🚩डॉ. तेजस के अनुसार यदि आप अपनी चॉकलेट खाने की आदत सुधारना चाहते हैं तो अपने आपको हमेशा हाइड्रेट रखें और रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पिएं। साथ ही अपने आहार में तेल,नट्स और एवोकाडो जैसे हेल्दी फैट शामिल करें। इसके अलावा अतिरिक्त आर्टिफिशियल शुगर (चीनी, गुड़, स्टीविया आदि) उत्पाद को ज्यादा खाने से बचें। कुछ मीठा खाने की इच्छा हो तो फल , दूध या लस्सी का सेवन करें।


🚩डार्क चॉकलेट की जगह खाएं हेल्दी चीजें


🚩1. कोको पाउडर

कोको पाउडर कई पदार्थों का मिश्रण है। कोको पाउडर के एक चम्मच में लगभग 10 कैलोरी होती है। हालांकि इसमें कोई वसा,कोलेस्ट्रॉल या चीनी नहीं होती है क्योंकि यह 100 प्रतिशत कोको होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसकी मदद से आप होममेड हॉट चॉकलेट बना सकते हैं। इसके लिए आप बादाम या नारियल का भी प्रयोग कर सकते हैं।


🚩2. कोको बीन

 कोको बीन्स है को भुनकर छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। कोको बीन्स कुरकुरे होते हैं और बिना चीनी वाली चॉकलेट की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे दही या स्मूदी के साथ मिक्स करके खाया जाता है। कोको बीन्स में कैलोरी स्वाभाविक रूप से कम होती है, जो आपके लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है।


🚩3. फल

खाने के लिए फल से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है। फलों में बहुत सारे पोषक तत्व जैसे विटामिन्स ,पोटेशियम,एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स पपाए जाते हैं। डार्क चॉकलेट की जगह आप स्ट्रॉबेरी,व्हीप्ड नारियल,चेरी,रसभरी,ब्लूबेरी या अनार जैसे फलों के मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।

                       - स्त्रोत: ओनली माय हेल्थ 


🚩चॉकलेट के अधिक प्रयोग से दाँतों में कीड़ा लगना, पायरिया, दाँतों का टेढ़ा होना, मुख में छाले होना, स्वरभंग, गले में सूजन व जलन, पेट में कीड़े होना, मूत्र में जलन आदि अनेक रोग पैदा हो जाते हैं।


🚩वैसे भी शरीर स्वास्थ्य एवं आहार के नियमों के आधार पर किसी व्यक्ति को चॉकलेट की कोई आवश्यकता नहीं होती ।


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Thursday, January 25, 2024

गणतंत्र मतलब क्या और 26जनवरी को गणतन्त्र दिवस क्यों मनाते हैं...!?

26 January 2024

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🚩गण अर्थात् -- जनता और तंत्र मतलब होता है – शासन।

गणतंत्र या लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता का शासन। ऐसा देश या राज्य जहाँ जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। ऐसे राष्ट्र को लोकतांत्रिक गणराज्य की संज्ञा दी गयी है। ऐसी व्यवस्था हमारे देश में है। इसीलिए हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य कहलाता है।


🚩गणतंत्र अर्थात ऐसा देश जहां सत्ताधारी सरकार को चुनने और हटाने का अधिकार आम जनता के पास होता है।


🚩गणतन्त्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है । 26 जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय पर्व हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है ।


🚩भारतीयों की मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटिश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटिश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा 300 वर्षों के संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी मिली ।


🚩सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। उसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्त उपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित इकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा ।


🚩26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया । उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा । तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकारा गया ।


🚩26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना संविधान लागू किया और ख़ुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में घोषित किया । कुल 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया । खुद को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा ।


🚩देश को स्वतंत्र कराने और गौरवशाली गणतंत्र राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है ।


🚩गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य:


🚩1)  पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था ।


🚩2)  26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था।


🚩3)  गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 में दिल्ली के राजपथ पर हुई थी ।


🚩4)  भारतीय संविधान की दो प्रतियां हैं, जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई थी ।


🚩5)  भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं ।


🚩6)  भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी ।


🚩7)  गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं ।


🚩8)  26 जनवरी को हर साल देश के स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है ।


🚩9)  29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। जिसमें भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं । यह दिन 'गणतंत्र दिवस समारोह' के समापन के रूप में मनाया जाता है ।


🚩राष्ट्र-प्रतीकों राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगीत का सम्मान करें, राष्ट्राभिमान बढाएं !


🚩1. राष्ट्रध्वज को ऊंचे स्थान पर फहराएं ।


🚩2. प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का उपयोग न करें ।


🚩3. ध्यान रखें कि राष्ट्रध्वज नीचे अथवा कूड़े में न गिरे ।


🚩4. राष्ट्रध्वज का उपयोग शोभावस्तु के रूप में अथवा पटाखे एवं खिलौने के रूप में न करें ।


🚩5. जिन वस्त्रों पर राष्ट्रध्वज छपा हुआ है, ऐसे वस्त्र न पहनें अथवा अपने मुख पर भी ध्वज चित्रित न करवाएं ।


🚩6. राष्ट्रगीत के समय बातें न करें, सावधान मुद्रा में खड़े रहें ।


🚩जय हिंद !

जय माँ भारती !!


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