Saturday, March 30, 2024

जेल से हिन्दू संत आसाराम बापू ने न्यायालय को लिखा पत्र

31  March 2024

https://azaadbharat.org 


🚩हिन्दू संत आशाराम बापू पिछले 11 साल से जोधपुर जेल में हैं। सेंट्रल जेल से उन्होंने कुछ समय पहले न्यायलय को एक पत्र लिखा था,जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा हैं।


 🚩उन्होंने लिखा था की हमारे विरुद्ध षड्यंत्रपूर्वक एक आरोप को ठूस दिया गया है। जबकि हमारे द्वारा पिछले 60  वर्षों से राष्ट्र व समाज को सही दिशा में ले जाने हेतु जो कार्य किये गए हैं, उन्हें दबा दिया गया है। इन कार्यों की प्रशंसा देश के कई प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों एवं न्यायविदों व समाज के हर वर्ग द्वारा की गई है।


🚩आगे लिखा है की हमारी संस्था द्वारा हजारों बाल संस्कार केंद्र चल रहे हैं। गौशालाओं में लगभग 9000 गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। संस्था द्वारा बच्चों व युवाओं को संस्कारित किये जाने का कार्य मातृ-पितृ पूजन दिवस जैसे कार्यक्रमों द्वारा किया जा रहा है। समाज में गरीब व पिछड़े लोगों के उत्थान के लिए कई सेवा प्रकल्प चलाये जाते हैं। स्नेह, सद्भाव, भाई चारा एवं राष्ट्रीय एकता की महता, बेटी बचाओ, बेटी पढाओं का नारा व नारी उत्थान के कार्य चलाये जाते हैं।


🚩गौरतलब है कि बापू आसारामजी का समाज व देशहित के सेवाकार्यों में अतुलनीय योगदान रहा है जिसकी भूरी-भूरी प्रशंसा बड़ी-बड़ी सुप्रसिद्ध हस्तियों ने उनके आश्रम को प्रशस्ति पत्र देकर की है 


🚩आइये अब बापू आसारामजी द्वारा हुए सेवाकार्यों पर भी नजर डालें ।


🚩ईसाई मिशनरियों को दिन के तारे दिखाकर, लाखों ईसाई बने हिंदुओं की घरवापसी करवाई और लाखों हिंदुओं होने वाला धर्म परिर्वतन पर रोक लगाई ।


🚩शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया ।


🚩कत्लखाने जाती हजारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।


🚩राजस्थान पशु पालन विभाग की ओर से उनकी निवाई गौशाला को राजस्थान की सर्वश्रेष्ठ गौशाला घोषित कर पुरस्कृत किया गया है।

https://twitter.com/AshramGaushala/status/956841906549415937


🚩विदेशी कंपनियों से हो रही शारीरिक व आर्थिक हानि से देश को बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथी का प्रचार-प्रसार कर एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से होने वाले रोगों से समाज को सचेत किया ।


🚩अमेरिका,शिकांगो,कनाडा, चाईना, पाकिस्तान आदि बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया ।


🚩देश में बढ़ती वृद्धाश्रमों की संख्या व बुजुर्ग माता-पिता की वेदना से व्यथित हो युवावर्ग को वेलेंटाइन डे जैसी कुरीति से मोड़कर “मातृ-पितृ पूजन दिवस” जैसी अनोखी पहल की जिसे आज विश्वस्तर पर मनाया जाने लगा है ।


🚩क्रिसमस डे के दिन क्रिसमस ट्री के बजाय हिन्दू संस्कृति में पूजनीय, माँ तुलसी की पूजा करके ये दिन हिन्दू संस्कृति के अनुसार तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाने को प्रेरित किया ।


🚩बिकाऊ मीडिया को रुपयों के पैकेज ना देकर जगह-जगह पर गरीब इलाकों में चलचिकित्सालय चलवाकर निःशुल्क दवाईयाँ उपलब्ध करवाई  ।


🚩पिछले 70 वर्षों से लगातार आदिवासियों के बीच मुफ्त भंडारा,मकान, कपड़े, अनाज व दक्षिणा बांटने के साथ-साथ उन्हें हिन्दू संस्कृति की महिमा बताई ।


🚩नशा मुक्ति अभियान के द्वारा लाखों लोगों को व्यसन-मुक्त करवाया, जिसका भारी नुकसान विदेशी कंपनियों को झेलना पड़ा ।


🚩महिलाओं के सर्वागीण विकास के लिए जगह-जगह पर महिला मंडलों द्वारा नारी सशक्तिकरण के लिए कई अभियान चलाये ।


🚩17000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र और अनेकों गुरुकुलों द्वारा बच्चों के सर्वागीण विकास के साथ-साथ बचपन से ही उन्हें अपनी संस्कृति की ओर अभिमुख किया ।

https://www.youtube.com/user/BaalSanskar


🚩हाई रेंज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, संत श्री आशारामजी गुरुकुल, अहमदाबाद द्वारा बनाया गया विश्व में सबसे ऊंचा मानव पिरामिड ।

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1975793302658723&id=1567668100137914


🚩भौतिकता और आध्यात्मिकता का समन्वय कर मानव में छुपी शक्तियों को जगाकर भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करवाने में सदैव प्रयासरत रहने वाले बापू आसारामजी, जिनको “भारत रत्न” की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए वो संत बिना किसी सबूत के सालों से जेल में हैं ।


🚩आज करोड़ों लोगों की नजरें सरकार व न्यायालय की ओर हैं कि वो कब देशहित, समाजहित, प्राणिमात्र के हित में सेवारत रहने वाले बापू आसारामजी के साथ इंसाफ करती हैं ।


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Friday, March 29, 2024

धार भोजशाला सर्वे में मिली आकृतियां, हिंदू पक्ष ने कहा- ये सनातनी प्रतीक चिह्न

30 March 2024

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🚩मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे सातवें दिन गुरुवार को भी जारी है। दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की 17 सदस्यीय टीम सुबह 7 बजकर 50 मिनट पर भोजशाला पहुंची और सर्वे का काम शुरू किया। इस दौरान टीम के साथ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक गैजेट और मैपिंग के उपकरण भी नजर आए। एएसआई की टीम के साथ करीब 20 मजदूर भी परिसर में पहुंचे। इस दौरान हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल तथा मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान भी भोजशाला में पहुंचे।


🚩भोजशाला के बाहर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। एएसआई की टीम के साथ पहुंचे मजदूरों को जांच के बाद भोजशाला में प्रवेश दिया गया। भोजशाला में उत्खनन, कार्बन डेटिंग जीपीएस, जीआरएस पद्धति सहित आधुनिक संसाधनों द्वारा सर्वे का काम किया जा रहा है। सर्वे का काम पीछे की तरफ चल रहा है। यहां तीन स्पॉट बनाए गए हैं, उसमें साढ़े छह फीट गहराई तक गड्ढे कर दिए गए।

खुदाई में मिले कई अवशेष सर्वे में खोदाई के दौरान जो पत्थर और अन्य अवशेष मिले हैं, उनको एएसआइ की टीम ने सुरक्षित किया है। इनके नमूने जांच के लिए भेज जाएंगे। हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा ने दावा किया है कि ये अवशेष सीधे तौर पर मंदिर और सनातनी संस्कृति के प्रमाण हैं। इससे हिंदू समाज में उत्साह है।इसके अलावा टीम ने मुख्य परिसर के बीचों-बीच स्थित हवन कुंड का भी परीक्षण किया। लाल पत्थरों से बनी दीवारों और स्तंभ की भी बारीकी से परीक्षण किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो टीम कार्बन डेटिंग कराएगी।


🚩एक और कक्ष को सर्वे में किया शामिल  मंगलवार को हिंदू धर्मावलंबियों के दर्शन-पूजन के लिए परिसर में आने की वजह से एएसआइ की टीम भोजशाला के भीतरी क्षेत्र में सर्वे करने नहीं जा पाई थी। बुधवार को पर्यटकों के लिए रोक होने के कारण भोजशाला पूरी खाली रही। टीम ने भीतरी परिसर में सर्वे का कार्य विशेष रूप से किया। यहां पर कुछ स्थानों पर टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की। 


🚩मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर उठाए सवाल 


🚩गुरुवार को सुबह भोजशाला पहुंचे मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद ने फिर सर्वे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजा भोज का किला कहां था। किला था तो भोजशाला कहां थी। भोजशाला मिस्ट्री थी। उसको ढूंढने की कोशिश की जाए। हम भी चाहते हैं कि उसको ढूंढा जाए।


🚩क्या है मामला?


🚩दरअसल, राजा भोज ने धार की भोजशाला को बनाया था। जिला प्रशासन की वेबसाइट के अनुसार यह एक यूनिवर्सिटी थी, जिसमें वाग्देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। मुस्लिम शासक ने इसे मस्जिद में बदल दिया था। इसके अवशेष प्रसिद्ध मौलाना कमालुद्दीन मस्जिद में भी देखे जा सकते हैं। यह मस्जिद भोजशाला के कैंपस में ही स्थित है, जबकि देवी प्रतिमा लंदन के म्यूजियम में रखी है। वर्ष 1902 में लॉर्ड कर्जन धार में मांडू के दौरे पर आए थे। उन्होंने भोजशाला के रखरखाव के लिए 50 हजार रुपये खर्च करने की मंजूरी दी थी। तब सर्वे भी किया गया था। सन 1951 को धार भोजशाला को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया गया है। तब हुए नोटिफिकेशन में भोजशाला और कमाल मौला की मस्जिद का उल्लेख है। याचिका हिंदू फॉर जस्टिस ट्रस्ट की तरफ से लगाई गई थी। इसके अलावा छह अन्य याचिकाएं भी इस मामले में पूर्व में लगी हैं। ट्रस्ट की तरफ से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने पक्ष रखते हुए बताया था कि 1902 में हुए सर्वे में भोजशाला में हिंदू चिन्ह, संस्कृत के शब्द आदि पाए गए हैं। इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच होना चाहिए, ताकि स्थिति स्पष्ट हो।


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Thursday, March 28, 2024

भारतीयों का नववर्ष आ रहा है, अंग्रेजो की मानसिक गुलामी के कारण भूल गए थे अब करे तैयारी....

29 March 2024

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🚩सृष्टि का जिस दिन निर्माण हुआ वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा था इसलिए भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। इस साल 9 अप्रैल 2024 से नूतनवर्ष प्रारंभ होगा।


🚩चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।


🚩अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।


🚩इस साल 9 अप्रैल को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय नूतन वर्ष की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।

हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।


 🚩कैसे मनाये नववर्ष ?


🚩1 – भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।


🚩2 – नववर्षारंभ पर पुरुष धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साडी पहनें ।


🚩3 – मस्तक पर तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें।


🚩4 – सूर्योदय के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩5 – सुबह सूर्योदय के समय शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩6 – हिन्दू नववर्षारंभ दिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।


🚩7 –  भारतीय_नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाये और दूसरों को खिलायें ।


🚩8 – मठ-मंदिरों, आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा ध्वजा फहराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो व्यक्ति गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।


🚩9 – भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।


🚩10 – भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभी का जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।


🚩11 – अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें ।


🚩12 – ई-मेल, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।


🚩13 – नूतन वर्ष से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स भी लगाकर प्रचार कर सकते हैं ।


🚩14  – सभी तरह के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं ।


🚩15 – नववर्ष संबंधित पेम्पलेट बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।


🚩सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि रैली के द्वारा कलेक्टर, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिक रूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें ।


🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।


🚩समस्त भारतवासियों को आने वाले नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।


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Wednesday, March 27, 2024

स्वतंत्र भारत में आजतक हिंदुओं को शांतिपूर्वक त्योहार क्यों नही मनाते देते हैं ?

28 March 2024

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🚩भारत देश को मिली स्वतंत्रता के 77 साल होने आए है और स्वतंत्रता के समय अखंड भारत का विभाजन धर्म के नाम पर हुआ था, लेकिन भारत देश में आज भी हिंदू अपना त्योहार शांतिपूर्ण नही मानते हैं। होली, दीपावली , हिन्दू नववर्ष , भगवान झूलेलाल जयंती, रामनवमी, हनुमानजी जयंती, परशुराम जयंती, अमरनाथ यात्रा आदि जो भी हिन्दू पर्व आते हैं,उन पर्व के दिनों में मुस्लिम कत्थरपंथियो द्वारा हिन्दूओ पर पत्थर बरसाए जाते है ऐसा क्यो ? नमाज के बहाने दिन में 5 बार जोर शोर से लाउड स्पीकर चलाया जाता है लेकिन हिंदू ने आजतक कोई पत्थर नही फेंका आखिर हिंदु सहिष्णु है तो उनके त्यौहार पर पत्थर बरसाना क्या ये सही है? और वो भी हिंदु बाहुल्य देश में ऐसी घटना घटनी उचित नही हैं।


🚩आगरा में होली खेल रहे लोगों पर हमला


🚩उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में सोमवार (25 मार्च 2024) को होली खेल रहे हिन्दुओं पर मुस्लिम भीड़ द्वारा हमले की खबर है। कहा जा रहा है कि हमलावरों में महिलाएँ भी शामिल थीं। हमले के दौरान धारदार हथियार प्रयोग किए गए और होलिका माता को गंदी-गंदी गालियाँ देते हुए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए। इस हिंसा में 2 लोग घायल हुए हैं। पुलिस ने 34 नामजदों के साथ 40-50 अज्ञात हमलावरों के खिलाफ FIR दर्ज की है।


🚩घटना आगरा के थाना क्षेत्र रकाबगंज की है। यहाँ के रहना वाले विश्वजीत पात्रा नाम के व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। शिकायत में कहा गया है कि दोपहर 2 से 2:30 के बीच कुतुलपुर इलाके के ईदगाह एसआर हॉस्पिटल के सामने वाली गली में कुछ लोग होली खेल रहे थे। तभी मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। हमले के दौरान पत्थरबाजी की गई। हमलावरों के हाथों में धारदार हथियार, लाठी और डंडे थे। हिंसक भीड़ द्वारा ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने की बात भी कही जा रही है।


🚩अचानक हुए इस हमले से अफरातफरी मच गई। भीड़ के शिकार विश्वजीत और मिथुन नाम के 2 व्यक्तियों को चोटें आईं। इनका इलाज स्थानीय अस्पताल में चल रहा है। हमलावरों में जमील, सलीम, रहीस, शौकत, बंटी, भइये, ईशाद, चाँद, चमन और उसके घर की औरतें, शाहीन, शहीद, हारून और उसके 2 भाई, इमरान, आसिन, पप्पन, शिक्की, रहमानी और उसके बेटे, गोश्त वाले हारून, इमरान, शकील, शमीम, आमिर, रिहान, आरिफ, चाँद मोहम्मद, टारजन, फतोले, बॉबी, गुड्डू और चाय वाले साजिद आदि नामजद किए गए हैं। ऑपइंडिया के पास शिकायत कॉपी मौजूद है।


🚩नामजद आरोपितों के अलावा FIR में 40-50 अज्ञात हमलावरों का भी जिक्र है। पुलिस ने इन सभी के खिलाफ IPC की धारा 147, 148, 336, 352, 324 और 295- A के तहत कार्रवाई की है। घटना की जानकारी मिलते ही हिन्दू संगठनों के सदस्य थाने पहुँचे। उन्होंने सभी आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की है। हिन्दू संगठनों का आरोप है कि इन्ही हमलावरों ने दीपावली पर भी हिन्दुओं पर हमला किया था। बजरंग दल पदाधिकारियों का आरोप है कि हिन्दुओं को मुस्लिमों द्वारा अलग-अलग दस्ते बना कर पीटा गया है। उन्होंने इसे सोची-समझी साजिश करार दिया।

https://twitter.com/pradeepkrawat1/status/1772271553884955110?t=8UekqNd2jxkOgZjWpSlztg&s=19


🚩तेलंगाना में होली का जश्न मना रहे लोगों पर हमला


🚩तेलंगाना के मेडचल-मलकजगिरी जिले के चेंगिचेरला इलाके में होली का त्योहार मनाते समय हिंदुओं पर मुस्लिमों की भीड़ ने धावा बोल दिया। होलिका दहन के बाद मस्जिद से सटे इलाके में लोगों ने हिंदुओं पर हमला किया, जिसमें महिलाओं समेत कई लोग घायल हो गए। ये घटनाक्रम रविवार (24 मार्च 2024) की शाम की है, जिसके बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया।


🚩एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने बताया है कि चेंगिचेरला की पीतल बस्ती में होली मनाते समय कुछ लोगों ने स्पीकर लगा दिए। कुछ लोगों ने उनसे आवाज बंद करने को कहा, जिससे दो समुदायों के बीच बहस शुरू हो गई, जो एक-दूसरे पर हमले में बदल गई। यह घटना रविवार की शाम 4:15 बजे की है। इस हमले के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल रहे हैं।


🚩सुभी विश्वकर्मा ने एक्स पर लिखा, “ये वीडियो तेलंगाना का है, जहाँ इस्लामी भीड़ ने अनुसूचित जाति के लोगों पर हमला किया, क्योंकि उन्होंने मस्जिद के नजदीक ही होलिका दहन किया था। नमाज के दौरान होली के जश्न से ये लोग चिढ़ गए थे, क्योंकि होली के गाने बज रहे थे।”

https://twitter.com/subhi_karma/status/1772082065539830019?t=iyzgljq7OkCTPNfcdwbJUg&s=19


🚩अब हिन्दू है तो मुसलमान के पत्थर सहन नही करेंगे, क्योंकि मुगलों ने भी महाराणा प्रताप,पृथ्वीराज चौहान,छत्रपति शिवाजी महाराज ,महावीर सम्भाजी महाराज आदि भारत के महान वीर महापुरुषों को जीवन भर कष्ट दिए है।


🚩आज भी उनके वंशज मुस्लिम , हिन्दुओ को कष्ट दे रहे है,फिर चाहें वो हिन्दू नववर्ष हो या फिर रामनवमी या फिर हनुमान जयंती या फिर अमरनाथ यात्रा हो किसी भी हिन्दू पर्व या हिन्दू यात्राओं पर पत्थर फेंकने वाले मुसलमान हैं। 


🚩सरकार को इन पर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।


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ईसाई मिशनरी का लाइसेंस रद्द : मामला धर्मांतरण और विदेशों से अवैध फंडिंग

27 March 2024

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🚩पं. श्रीराम शर्मा आचार्य ने कहा था कि भारत में पादरियों का धर्म प्रचार (धर्मांतरण) हिन्दू धर्म को मिटाने का खुला षड्यंत्र है। भोजन, चिकित्सा और शिक्षा का प्रलोभन देकर अथवा जबरन हिन्दुओं को धर्मान्तरित किया जा रहा है।


🚩आपको बता दें केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मोहन सी लाजरस द्वारा संचालित विवादास्पद ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई कानूनी कार्यकर्ता समूह लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम (LRPF) की एक शिकायत के बाद हुई है। शिकायत में एफसीआरए के प्रावधानों के गंभीर उल्लंघन का आरोप लगाया गया था।


🚩ईसाई मिशनरी संगठन जीसस रिडीम्स तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित है। इसका उन संगठनों से विदेशी धन प्राप्त करने का बहुत ही संदिग्ध रिकॉर्ड है, जो भारतीय हितों के खिलाफ काम करने के लिए जाने जाते हैं। भारत सरकार द्वारा जाँच करने के बाद उसकी गतिविधियाँ संदिग्ध लगीं और आखिरकार उसका FCRA लाइसेंस (076160018) रद्द कर दिया गया।


🚩दरअसल, LRPF ने नवंबर 2023 में जीसस रिडीम्स और उसके विदेशी दानदाताओं की गतिविधियों की व्यापक जांँच का केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया था। उसने कहा था कि जीसस रिडीम्स नाम का यह संस्था लोगों के बीच धार्मिक, जातिय, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई, क्षेत्रीय या सामुदायिक स्तर पर वैमनस्य पैदा करने की कोशिश करता है।


🚩अपनी शिकायत में एलआरपीएफ ने कहा था, “जीसस रिडीम्स के मुख्य पदाधिकारी के रूप में मोहन लाजरस उर्फ मोहन सी लाजरस का कार्य विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम 2010 की विभिन्न धाराओं को आकर्षित करता है, जो उक्त संगठन के एफसीआरए पंजीकरण निलंबन/रद्दीकरण का कारण बन सकता है। जैसे कि अध्याय II, 9 (ई) (v): धार्मिक, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना। अध्याय III 12 (4) (एफ) (vi): धार्मिक, नस्लीय, सामाजिक, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों, जातियों या समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करना।”


🚩LRPF ने गृह मंत्रालय से ‘जीसस रिडीम्स’ की आधिकारिक पत्रिका की भी जाँच करने का आग्रह किया था। इसे मोहन लाजरस द्वारा प्रकाशित किया जा रहा था। शिकायत में यह भी कहा गया था कि इस एनजीओ का संचालन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, मलेशिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, कनाडा और श्रीलंका सहित कई अन्य देशों में है।


🚩भारत सरकार से मामले की जाँच का आग्रह करते हुए लीगल राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने कहा था कि जीसस रिडीम्स लगातार विदेशों में ईसाई धर्म का कार्यक्रम आयोजित कर रहा है और चीन सहित विभिन्न देशों से पादरियों को आमंत्रित कर रहा है। संस्था ने इन आयोजनों पर होने वाले खर्च की ऑडिट रिपोर्ट आदि की भी जाँच करने का आग्रह किया था।


🚩जीसस रिडीम्स को डैंगोटे ग्रुप के निदेशकों से भी भारी विदेशी फंड प्राप्त हुआ था। डैंगोटे नाइजीरिया की एक खनन कंपनी है, जिसका सिनोमा इंटरनेशनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के साथ बेहद करीबी संबंध है। सिनोमा इंटरनेशनल चीन के सरकारी स्वामित्व वाली एक कंपनी है।


🚩द कम्युन मैगजीन के अनुसार, मोहन लाजरस जीसस रिडीम्स नाम से एक ईसाई संगठन चलाता और इसके जरिए वह धर्मांतरण की गतिविधियों को संचालित करता है। वह हिंदू विरोधी बयान देकर सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के लिए भी कुख्यात है। हिंदू मंदिरों और हिंदू देवताओं के खिलाफ बयान देने के कारण लाजरस के खिलाफ तमिलनाडु के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में IPC की विभिन्न धाराओं में कई मुकदकमे दर्ज हैं।


🚩एक अन्य मामले में क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी ने मोहन लाजरस को नया पासपोर्ट जारी करने से इनकार कर दिया। दरअसल, लाजरस ने पासपोर्ट आवेदन में उनके खिलाफ लंबित 4 आपराधिक मामले की जानकारी छुपा ली थी। इतना ही नहीं, फरवरी 2021 में मद्रास उच्च न्यायालय ने हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ बयान देने के लिए इस पादरी को सख्त चेतावनी दी थी।

https://twitter.com/lawinforce/status/1768906606467854657?t=NWMScwlXsGyw5_a5L370_w&s=19


🚩हालाँकि, लाजर को 2020 के केस संख्या W.P.(MD)No.15829 के माध्यम से उच्च न्यायालय से राहत मिली, जिसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकार के रूप में उसके ‘यात्रा करने के अधिकार’ पर जोर दिया गया।


🚩भारत में कैथोलिक चर्चों के पास अति विशाल भूमि है, विदेशी कैथोलिक उद्योगपति द्वारा दान भी बहुत अधिक है, इनका उपयोग मिडिया और शासन/ प्रशासन को नियंत्रण में किया जाता है,इसलिए इनके विरूद्ध मिडिया चुप है और शासन/ प्रशासन अन्धा बहरा, इसलिए प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि मिशनरी के मकडजाल से सावधान रहे, दूसरों को भी सावधान करे, इस वहम में ना रहें कि...


🚩कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

अफगानिस्तान तक थी बस्ती कभी तुम्हारी।


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Tuesday, March 26, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को किया खत्म, कहा सेक्युलरिज्म के है खिलाफ यह एक्ट

26  March 2024

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🚩इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को खत्म कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता विरोधी और असंवैधानिक भी बताया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मदरसे की शिक्षा सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों के विरुद्ध है और सरकार को ये कार्यान्वित करना होगा कि मदरसों में मजहबी शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को औपचारिक शिक्षा पद्धति में दाखिल करें। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने इसके साथ ही यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया।


🚩अंशुमान सिंह राठौड़ नामक शख्स ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। उन्होंने इस एक्ट की कानूनी वैधता को चुनौती दी थी। इसके साथ-साथ उन्होंने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई थी। इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से पूछा था कि मदरसा बोर्ड को शिक्षा विभाग की जगह अल्पसंख्यक विभाग द्वारा क्यों संचालित किया जा रहा है।


🚩देश से आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है ।


🚩मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए । 


🚩सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।


🚩जनता का कहना है की मदरसे बंद करके उसी जगह स्कूल खोल देना चाहिए। जिससे बच्चों और देश का भविष्य उज्ज्वल बने।


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Monday, March 25, 2024

प्रह्लाद को गोदी में लेकर होलिका कोन सी जगह बैठी थी ?

आज उस स्थान की कैसी स्थिति है ?

25  March 2024

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🚩होली पर होलिका दहन और प्रह्लाद की याद भी आएगी, जिन्हें नहीं याद आया उन्हें इस कहानी में छुपे किसी तथाकथित नारीविरोधी मानसिकता की याद दिला दी जायेगी। कभी-कभी होलिका को उत्तर प्रदेश का घोषित कर के इसमें दलित विरोध और आर्यों के हमले का मिथक भी गढ़ा जाता है। ऐसे में सवाल है कि प्रह्लाद को किस क्षेत्र का माना जाता है ? आखिर किस इलाक़े को पौराणिक रूप से हिरण्याक्ष-हिरण्यकश्यप का क्षेत्र समझा जाता था ?


🚩वो इलाक़ा होता था कश्यप-पुर जिसे आज मुल्तान (पाकिस्तान का एक शहर) के नाम से जाना जाता है। ये कभी प्रह्लाद की राजधानी थी। यहीं कभी प्रहलादपुरी का मंदिर हुआ करता था, जिसे भगवान नरसिंह के लिए बनवाया गया था। कथित रूप से ये एक चबूतरे पर बना कई खंभों वाला मंदिर था। अन्य कई मंदिरों की तरह इसे भी इस्लामिक हमलावरों ने तोड़ दिया था। जैसी कि इस्लामिक परंपरा है, इसके अवशेष और इस से जुड़ी यादें मिटाने के लिए इसके पास भी हज़रत बहाउल हक़ ज़कारिया का मकबरा बना दिया गया। डॉ. ए.एन. खान के हिसाब से जब ये इलाक़ा दोबारा सिक्खों के अधिकार में आया तो 1810 के दशक में यहाँ फिर से मंदिर बना।


🚩मगर जब एलेग्जेंडर बर्निस इस इलाक़े में 1831 में आए तो उन्होंने वर्णन किया कि ये मंदिर फिर से टूटे-फूटे हाल में है और इसकी छत नहीं है। कुछ साल बाद जब 1849 में अंग्रेजों ने मूल राज पर आक्रमण किया तो ब्रिटिश गोला किले के बारूद के भण्डार पर जा गिरा और पूरा किला बुरी तरह नष्ट हो गया था। बहाउद्दीन ज़कारिया और उसके बेटों के मकबरे और मंदिर के अलावा लगभग सब जल गया था। इन दोनों को एक साथ देखने पर आप ये भी समझ सकते हैं कि कैसे पहले एक इलाक़े का सर्वे किया जाता है, फिर बाद में कभी 10 साल बाद हमला होता है। डॉक्यूमेंटेशन, यानि लिखित में होना आगे के लिए मदद करता है।


🚩एलेग्जेंडर कन्निंगहम ने 1853 में इस मंदिर के बारे में लिखा था कि ये एक ईंटों के चबूतरे पर काफी नक्काशीदार लकड़ी के खम्भों वाला मंदिर था। इसके बाद महंत बावलराम दास ने जनता से जुटाए 11,000 रुपए से इसे 1861 में फिर से बनवाया। उसके बाद 1872 में प्रहलादपुरी के महंत ने ठाकुर फ़तेह चंद टकसालिया और मुल्तान के अन्य हिन्दुओं की मदद से फिर से बनवाया। सन 1881 में इसके गुम्बद और बगल के मस्जिद के गुम्बद की ऊँचाई को लेकर दो समुदायों में विवाद हुआ जिसके बाद दंगे भड़क उठे।


🚩दंगे रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कुछ नहीं किया। इस तरह इलाके के 22 मंदिर उस दंगे की भेंट चढ़ गए। मगर मुल्तान के हिन्दुओं ने ये मंदिर फिर से बनवा दिया। ऐसा ही 1947 तक चलता रहा, जब इस्लाम के नाम पर बँटवारे में पाकिस्तान हथियाए जाने के बाद ज्यादातर हिन्दुओं को वहाँ से भागना पड़ा। बाबा नारायण दास बत्रा वहाँ से आते समय भगवान नरसिंह का विग्रह ले आए। अब वो विग्रह हरिद्वार में है।

टूटी-फूटी, जीर्णावस्था में मंदिर वहाँ बचा रहा। सन 1992 के दंगे में ये मंदिर पूरी तरह तोड़ दिया गया। अब वहाँ मंदिर का सिर्फ अवशेष बचा है।


🚩सन् 2006 में बहाउद्दीन ज़कारिया के उर्स के मौके पर सरकारी मंत्रियों ने इस मंदिर के अवशेष में वजू की जगह बनाने की इजाजत दे दी। वजू मतलब जहाँ नमाज पढ़ने से पहले नमाज़ी हाथ-पाँव धो कर कुल्ला कर सकें। इसपर कुछ एन.जी.ओ. ने आपत्ति दर्ज करवाई और कोर्ट से वहाँ वजू की जगह बनाने पर स्टे ले लिया। अदालती मामला होने के कारण यहाँ फ़िलहाल कोई कुल्ला नहीं करता, पाँव नहीं धोता, वजू नहीं कर रहा। वो सब करने के लिए बल्कि उस से ज्यादा करने के लिए तो पूरा हिन्दुओं का धर्म ही है ना! इतनी छोटी जगह क्यों ली जाए उसके लिए भला?

बाकी, जब गर्व से कहना हो कि हम सदियों में नहीं हारे, हज़ारों साल से नष्ट नहीं हुए तो अब क्या होंगे ? या ऐसा ही कोई और मुंगेरीलाल का सपना आये, तो ये मंदिर जरूर देखिएगा। हो सकता है सेकुलर नींद से जागने का मन कर जाए।


🚩इस्लामिक आक्रमणकारीयों ने भारत मे आकर हजारों-लाखों मदिरों तोड़े, उसकी जगह मस्जिदें बनवा दी और आज बड़े-बड़े मन्दिर सरकारी नियंत्रण में है वे अपनी मनमानी से उसमें से धन खर्च करते हैं, ऑफिसर भ्रष्टाचार करते हैं, हिंदुओं के पैसे से हिंदुओं के विकास के लिए उन पैसे का उपयोग नहीं हो रहा है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए किया जाता है, पहले भी हिंदू समाज सो रहा था, आज भी वही हाल है, इसलिए हर जगह लुटा जा रहा है, अब समय है जगने का नहीं तो देरी हो जाएगी फिर कुछ हाथ नहीं आएगा।


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