Friday, September 15, 2017

इतिहास देख लो वर्तमान में सभी संतों की निंदा हुई है, बाद में उनकी मूर्ति को पूजते हैं

इतिहास देख लो वर्तमान में सभी संतों की निंदा हुई है, बाद में उनकी मूर्ति को पूजते हैं

भारत देश ऋषि-मुनियों, साधु-संतों का देश रहा है, उनके ही मार्गदर्शन में राजसत्ता चलती थी, भगवान श्रीकृष्ण भी संदीपनी ऋषि के पास जाते थे, भगवान श्री राम भी उनके गुरु वशिष्ठ के पास से सलाह सूचन लेने के बाद ही कुछ निर्यण लेते थे, वर्तमान में भी देश सच्चे साधु-संतों के कारण ही देश में सुख-शांति है और देश की संस्कृति जीवित है।
conspiracy against saints

वर्तमान में विदेशी फंड से चलने वाली मीडिया द्वारा एक कुचक्र चल रहा है जिसमें सभी हिन्दू साधु-संतों को बदनाम किया जा रहा है, इसमें अच्छे साधु-संतों को भी बदनाम किया जा रहा है और भारत की भोली जनता भी उन्हीं को सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं की निंदा करने लगी है और बोलते हैं कि पहले जैसे साधु-संत नहीं हैं पर अगर वे भगवान श्री राम के गुरु की योगवासिष्ठ महारामायण पढ़े तो उसमें लिखा है कि हे रामजी मैं बाजार से गुजरता हूँ तो मूर्ख लोग मेरे लिए न जाने क्या-क्या बोलते हैं पर मेरा दयालु स्वभाव है मैं सबको क्षमा कर देता हूँ ।

त्रेतायुग में भी भगवान रामजी जिनको पूजते थे उनको भी जनता ने नही छोड़ा तो आज तो कलयुग है लोगों की मति-गति छोटी है इसलिए साधु-संतों की निंदा करेंगे और उनके भक्तों को अंधभक्त ही बोलेंगे ।

आइये आपको बताते हैं पहले जो महापुरुष हो गए उनकी कैसी निंदा हुई और बाद में कैसे लोग पूजते गए..


स्वामी विवेकानंदजी

अत्याचार : ईसाई मिशनरियों तथा उनकी कठपुतली बने प्रताप मजूमदार द्वारा दुश्चरित्रता, स्त्री-लम्पटता,  ठगी, जालसाजी, धोखेबाजी आदि आरोप लगाकर अखबारों आदि के द्वारा बहुत बदनामी की गयी ।

परिणाम : काफी समय तक उनकी जो निंदाएँ चल रही थी उनका प्रतिकार उनके अनुयायियों ने भारत में सार्वजनिक सभाएँ आयोजित करके किया और अंत में स्वामी विवेकानंदजी के पक्ष की ही विजय हुई ।

(संदर्भ : युगनायक विवेकानंद, लेखक - स्वामी गम्भीरानंद, पृष्ठ 109, 112, 121, 122)

महात्मा बुद्ध

अत्याचार : सुंदरी नामक बौद्ध भिक्षुणी के साथ अवैध संबंध एवं उसकी हत्या के आरोप लगाये गये और सर्वत्र घोर दुष्प्रचार हुआ ।

परिणाम : उनके शिष्यों ने सुप्रचार किया । कुछ समय बाद महात्मा बुद्ध निर्दोष साबित हुए । लोग आज भी उनका आदर-सम्मान करते हैं । 

(संदर्भ : लोक कल्याण के व्रती महात्मा बुद्ध, लेखक - पं. श्रीराम शर्मा आचार्य, पृष्ठ 25)

संत कबीरजी

अत्याचार : अधर्मी, शराबी, वेश्यागामी आदि कई घृणित आरोप लगाये गये और बादशाह सिकंदर के आदेश से कबीरजी को गिरफ्तार किया गया और कई प्रकार से सताया गया । 

परिणाम : अंत में बादशाह ने माफी माँगी और शिष्य बन गया । 

(संदर्भ : कबीर दर्शन, लेखक - डॉ. किशोरदास स्वामी, पृष्ठ 92 से 96)

संत नरसिंह मेहताजी

अत्याचार : जादू के बल पर स्त्रियों को आकर्षित कर उनके साथ स्वेच्छा से विहार करने के आरोप लगाकर खूब बदनाम व प्रताड़ित किया गया ।

परिणाम : नरसिंह मेहताजी निर्दोष साबित हुए । आज भी लाखों-करोड़ों लोग उनके भजन गाकर पवित्र हो रहे हैं ।    (संदर्भ : भक्त नरसिंह मेहता, पृष्ठ 129, प्रकाशन - गीताप्रेस)

स्वामी रामतीर्थ

अत्याचार : पादरियों और मिशनरियों ने लड़कियों को भेजकर दुश्चरित्र सिद्ध करने के षड्यंत्र रचे और खूब बदनामी की । जान से मार डालने की धमकी एवं अन्य कई प्रताड़नाएँ दी गयी।

परिणाम : स्वामी रामतीर्थजी के सामने बड़ी-बड़ी मिशनरी निरुत्तर हो गई। उनके द्वारा प्रचारित वैदिक संस्कृति के ज्ञान-प्रकाश से अनेकों का जीवन आलोकित हुआ ।

(संदर्भ : राम जीवन चित्रावली,  रामतीर्थ प्रतिष्ठान, पृष्ठ 67 से 72)

संत ज्ञानेश्वर महाराज 

अत्याचार : कई वर्षों तक समाज से बहिष्कृत करके बहुत अपमान व निंदा की गयी । इनके माता-पिता को 22 वर्षों तक कभी तृण-पत्ते खाकर और कभी केवल जल या वायु पीके जीवन-निर्वाह करना पड़ा । ऐसी यातनाएँ ज्ञानेश्वरजी को भी सहनी पड़ी ।

परिणाम : लाखों-करोड़ों लोग आज भी संत ज्ञानेश्वर जी द्वारा रचित ‘ज्ञानेश्वरी गीता’ को श्रद्धा से पढ़-सुन के अपने हृदय में ज्ञान-भक्ति की ज्योति जगाते हैं और उनका आदर-पूजन करते हैं । 

(संदर्भ : श्री ज्ञानेश्वर चरित्र और ग्रंथ विवेचन, लेखक - ल.रा. पांगारकर, पृष्ठ 32, 33, 38)

भक्तिमती मीराबाई

अत्याचार : चरित्रभ्रष्टता का आरोप लगाया गया । कभी नाग भेजकर तो कभी विष पिला के, कभी भूखे शेर के सामने भेजकर तो कभी तलवार चला के जान से मारने के दुष्प्रयास हुए । 

परिणाम : जान से मारने के सभी दुष्प्रयास विफल हुए । मीराबाई के प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ती गयी । उनके गाये पदोें को पढ़-सुनकर एवं गा के आज भी लोगों के विकार मिटते हैं, भक्ति बढ़ती है ।

सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से समाज को जगाने का प्रयास किया है, तब-तब उनको विधर्मी ताकतों के द्वारा बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किये गये हैं ।
जिनमें वे हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर हिन्दू संतों के खिलाफ दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं । 

यह हिन्दुओं की दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते । इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं । 

अतः हिन्दू सावधान रहें ।

Thursday, September 14, 2017

विदेशी फंड से चलने वाले भारतीय न्यूज़ चैनल्स को करें ब्लॉक : सुरेश चव्हाणके

विदेशी फंड से चलने वाले भारतीय न्यूज़ चैनल्स को करें ब्लॉक : सुरेश चव्हाणके

झूठी खबरें दिखाकर देशवासियों को भ्रमित करनेवाले तथा करोड़ों संस्कृतिप्रेमियों की भावनाओं को आहत करनेवाले टीवी चैनलों पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक संगठनों द्वारा देशव्यापी ‘संस्कृति-विरोधी चैनल लॉक अभियान’ चलाया गया है ।
Block media channels

सुदर्शन चैनल के चेयरमैन श्री सुरेश चव्हाणके जी ने कहा क़ि भारत के सारे न्यूज़ चैनल्स दो कारणों से दुष्प्रचार करते हैं । एक तो बडा कारण है स्पोंसरशिप, दूसरा कारण है TRP ।

सुरेशजी ने देशवासियों को देश विरोधी न्यूज़ चैनल्स को सबक सिखाने के लिए चार काम करने का कहा...

पहला...

जो #हिन्दू अपनी #संस्कृति से प्रेम करते है उन सबका कर्त्तव्य बनता है क़ि जब भी कोई #भारतीय #संस्कृति विरोधी या संत के खिलाफ #न्यूज शुरू हो तो करोडों #देशभक्त उन #चैनल्स को बंद कर दें । अगर 6-8 करोड़ लोग ऐसे चैनल्स को Block कर देते है तो ये सारे अनाप-शनाप बोलना बंद कर देंगे।

चैनल लॉक करने की विधि इस प्रकार है :

Dish TV : Menu – Press Right Key – My Dish TV – Parental Control – Block Channels – PIN – 1234 – Select the Channel – Press right key to Block channel – Select channel one by one – Menu 

Tata Sky : Organiser – Parental control – PIN – 0000 – Channel Lockout – Select the Channel – Guide

Airtel / BIG TV (Reliance) : Home/Menu – Setting/Setup – Parental Control – Pin – 0000 – Parental Lock/Channel block – Select Channel – नीला बटन दबाकर  apply changes करें - home

Videocon : Menu – Setup – Installation – Pin -1234 – user setting – Channel Locking – Lock/Hide/Unlock/Unhide channels – Green button for hide – Ok – Exit -Yes 

IN/DEN/PNL Cable : Menu – Favourite List – Modify Channel List – All TV Channel – Lock – Red Button (लॉक करने के लिए)

यह सबसे सरल और सचोट तरीका है इनसे टक्कर लेने का। जो हर भारतीय को करना चाहिए।

दूसरा...

सोशल मीडिया में ऐसे चैनल्स के जो पेज हैं उनको #डिस्लाइक करें, उस पर अपनी बातों को रखें । 

तीसरा...

जिन टीवी चैनल्स पर हमारे #संतों, हमारी संस्कृति व धर्म की बदनामी की जा रही हो उन पर जो #विज्ञापन चल रहे हो, उन कम्पनियों की वेबसाइट से उनके नम्बर और ईमेल आई डी लेकर उनको बोलिये कि ‘तुम जिस चैनल को विज्ञापन देते हो वह चैनल #संतों और #धर्म का दुष्प्रचार करता है, इस पर विज्ञापन दोगे तो तुम्हारा प्रोडक्ट नहीं लेंगे ।' 

चौथा...

#संत-सम्मेलन तहसील, जिला, राज्य स्तर पर, विभिन्न जगहों पर किये जायें और वहाँ विभिन्न लोगों को बुलाकर उनके सामने संतों की सच्चाई बतायें।

आखिर आज भी टीवी से कई गुना ज्यादा प्रत्यक्ष मिलने से सत्य उजागर होता है और इसके परिणाम भी मजबूत होते है। 

इस लड़ाई के लिए मीडिया में और अच्छे लोगों की जरूरत है।

आज देश को ऐसे मीडिया कर्मियों की जरुरत है जो समाज तक निष्पक्ष सच्चाई पहुँचायें....!

आज देश में निष्पक्ष सच्चाई पहुँचाने वाले चैनल्स की अत्यंत आवश्यकता है...!

आज देश को ऐसे पत्रकारों की जरूरत है जिनकी कलम सच्चाई के लिए उठें, जिनकी वाणी से सत्य उजागर हो....!

आज TRP के खेल में न्यूज चैनल इस कदर फंसते जा रहे हैं कि उनका आम जनता से जुड़ी खबरों से कोई वास्ता ही नही रहा।

कानून की नजर में कोई शक्स तब तक अपराधी नहीं है, जब तक उस पर जुर्म साबित न हो पर अपने सेल्फ स्टाइल जजमेंट द्वारा ये न्यूज़ चैनल्स उसे समाज की नज़रों में दोषी करार दे देते है...!!!

आप स्वयं सोचिये...क्या ये उचित है ???

क्या कानून की चपेट में कोई निर्दोष नही आया आज तक...???

क्या किसी को जुर्म साबित होने से पहले दोषी करार देने वाले न्यूज़ चैनेल्स उसके निर्दोष छूटने पर उसका खोया सम्मान लौटा पाएंगे...???

आज भारत की अस्मिता है खतरे में क्योंकि विदेशी फंड से चलनेवाले भारतीय न्यूज़ चैनेल्स हिला रहे है जड़े भारतीय संस्कृति की। 

यह एक ऐसा सिस्टम है जो एक मिनट में पूरे विश्व में अपनी घिनौनी मनगढत ख़बरें पहुंचा देता है।

#लोकतन्त्र का #चौथा-स्तंभ ना बनकर, संतो के अपमान का ज़रिया बनते जा रहे है न्यूज़ चैनेल्स।

सभी भारतीय ऐसे सभी न्यूज़ चैनेल्स को जल्द से जल्द ब्लॉक करे।

Wednesday, September 13, 2017

संसार की उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है

14 सितम्बर : #राष्ट्रभाषा दिवस
🚩 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की #राजभाषा होगी। सरकारी काम काज #हिंदी भाषा# में ही होगा ।
🚩इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये #राष्ट्रभाषा #प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर #सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष #हिन्दी-दिवस #के रूप में मनाया जाता है।
rashtra bhasha hindi
🚩 #लॉर्ड मैकाले ने कहा था : मैं यहाँ #भारत की शिक्षा-पद्धति में ऐसे कुछ #संस्कार #डाल जाता हूँ कि आनेवाले वर्षों में भारतवासी अपनी ही संस्कृति से घृणा करेंगे... #मंदिर# में जाना पसंद नहीं करेंगे... माता-पिता को प्रणाम करने में तौहीन महसूस करेंगे... वे #शरीर से तो #भारतीय होंगे लेकिन दिलोदिमाग से हमारे ही #गुलाम होंगे..!
🚩अंग्रेजी भाषा के #मूल शब्द लगभग 10,000 हैं, जबकि हिन्दी के मूल# शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। #संसार की #उन्नत भाषाओं में हिंदी सबसे अधिक व्यवस्थित #भाषा है।
🚩#हिंदी दुनिया की सबसे #अधिक# बोली जाने वाली भाषा है । लेकिन अभी तक हम इसे संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा नहीं बना पाएं ।
🚩हिंदी दुनिया की #सर्वाधिक तीव्रता से प्रसारित हो रही भाषाओं में से #एक है । वह सच्चे अर्थों में #विश्व भाषा बनने की #पूर्ण अधिकारी है । हिंदी का #शब्दकोष बहुत विशाल #है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों #शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा में नही है ।
🚩हिन्दी लिखने के लिये प्रयुक्त #देवनागरी लिपि #अत्यन्त वैज्ञानिक है । हिन्दी को #संस्कृत शब्दसंपदा एवं नवीन #शब्द-रचना-सामर्थ्य विरासत में मिली है।
🚩आज उन# मैकाले की वजह से ही हमने अपनी मानसिक गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता । हमें हिंदी भाषा का महत्व समझकर उपयोग करना चाहिए ।
🚩#मदन मोहन मालवीयजी ने 1898 में सर एंटोनी #मैकडोनेल के सम्मुख हिंदी भाषा की प्रमुखता को बताते हुए, कचहरियों में हिन्दी भाषा को प्रवेश दिलाया ।



🚩#लोकमान्य तिलकजी #ने हिन्दी भाषा को खूब प्रोत्साहित किया ।
वे कहते थे : ‘‘ अंग्रेजी शिक्षा देने के लिए बच्चों को सात-आठ वर्ष तक अंग्रेजी पढ़नी पड़ती है । जीवन के ये आठ वर्ष कम नहीं होते । ऐसी स्थिति विश्व के किसी और देश में नहीं है । ऐसी #शिक्षा-प्रणाली किसी भी #सभ्य देश में नहीं पायी जाती ।’’
🚩जिस प्रकार बूँद-बूँद से घड़ा भरता है, उसी प्रकार #समाज में कोई भी बड़ा परिवर्तन लाना हो #तो किसी-न-किसीको तो पहला कदम उठाना ही पड़ता है और फिर धीरे-धीरे एक कारवा बन जाता है व उसके पीछे-पीछे पूरा #समाज चल पड़ता है ।
🚩हमें भी अपनी राष्ट्रभाषा को उसका खोया हुआ# सम्मान और गौरव# दिलाने के लिए व्यक्तिगत स्तर से पहल चालू करनी चाहिए ।
🚩एक-एक मति के मेल से ही बहुमति और फिर सर्वजनमति बनती है । हमें अपने #दैनिक जीवन# में से अंग्रेजी को तिलांजलि देकर विशुद्ध रूप से मातृभाषा अथवा #हिन्दी का प्रयोग# करना चाहिए ।
🚩#राष्ट्रीय अभियानों, राष्ट्रीय नीतियों व अंतराष्ट्रीय आदान-प्रदान हेतु अंग्रेजी नहीं #राष्ट्रभाषा हिन्दी ही साधन# बननी चाहिए ।
🚩 जब कमाल पाशा #अरब देश में तुर्की भाषा को लागू करने के लिए अधिकारियों की कुछ दिन की मोहलत  ठुकराकर रातोंरात परिवर्तन कर सकते हैं तो हमारे लिए क्या यह असम्भव है  ?
🚩आज सारे संसार की आशादृष्टि भारत पर टिकी है । हिन्दी की संस्कृति केवल देशीय नहीं सार्वलौकिक है क्योंकि #अनेक राष्ट्र ऐसे हैं जिनकी भाषा हिन्दी के उतनी करीब है जितनी भारत के अनेक राज्यों की भी नहीं है । इसलिए हिन्दी की संस्कृति को #विश्व को अपना #अंशदान करना है ।
🚩#राष्ट्रभाषा राष्ट्र का गौरव है# । इसे अपनाना और इसकी अभिवृद्धि करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है । यह राष्ट्र की एकता और अखंडता की नींव है । आओ, इसे सुदृढ़ बनाकर राष्ट्ररूपी भवन की सुरक्षा करें ।
🚩स्वभाषा की महत्ता बताते हुए हिन्दू #संत आसारामजी बापू कहते हैं : ‘‘मैं तो जापानियों को #धन्यवाद दूँगा । वे अमेरिका में जाते हैं तो वहाँ भी अपनी मातृभाषा में ही बातें करते हैं । ...और हम भारतवासी !# भारत में रहते हैं फिर भी अपनी हिन्दी, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं में अंग्रेजी के शब्द बोलने लगते हैं । आदत जो पड़ गयी है ! आजादी मिले 70 वर्ष से भी अधिक समय हो गया, बाहरी गुलामी की जंजीर तो छूटी लेकिन भीतरी गुलामी, दिमागी गुलामी अभी तक नहीं गयी ।’’
(लोक कल्याण सेतु : नवम्बर 2012)
🚩#अंग्रेजी भाषा के #दुष्परिणाम
🚩#विदेशी शासन #के अनेक दोषों में देश के नौजवानों पर डाला गया #विदेशी भाषा के #माध्यम का घातक बोझ इतिहास में एक सबसे बड़ा दोष माना जायेगा। इस माध्यम ने राष्ट्र की शक्ति हर ली है, विद्यार्थियों की आयु घटा दी है, उन्हें आम जनता से दूर कर दिया है और शिक्षण को बिना कारण खर्चीला बना दिया है। अगर यह प्रक्रिया अब भी जारी रही तो वह राष्ट्र की आत्मा को नष्ट कर देगी। इसलिए शिक्षित भारतीय जितनी जल्दी विदेशी माध्यम के भयंकर वशीकरण से बाहर निकल जायें उतना ही उनका और #जनता का लाभ होगा।
🚩अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें । अपने बच्चों को अंग्रेजी#(कन्वेंट स्कूलो) में शिक्षा दिलाकर उनके विकास को# अवरुद्ध न करें । उन्हें मातृभाषा(गुरुकुलों) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके चहुमुखी #विकास में सहभागी बनें ।
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Tuesday, September 12, 2017

14 बाबाओं की लिस्ट बनाने वाला नरेन्द्र गिरी खुद निकला फर्जी, देशभर में हो रहा है विरोध

सितम्बर 12, 2017


नरेन्द्र गिरी ने अभी इलाहाबाद में मीटिंग करके बाबा राम रहीम, राधे मां आदि 14 साधुओं की लिस्ट बनाकर उनको फर्जी घोषित किया । लेकिन आज उनका देशभर में कई जगह पर पुतला जलाया गया है और कई जगहों से लीगली नोटिस निकाली जा रही है तो कई जगह पर देशव्यापी आंदोलन होने जा रहा है।
Narendra Giri himself is bogus

हिन्दू संत आसारामजी बापू के अधिवक्ता सज्जनराज सुरणा ने फर्जी बाबाओं की लिस्ट में आसारामजी बापू के नाम पर कहा कि अखाड़ा परिषद को यह अधिकार किसने दिया..??? 
कैसे वे किसी को फर्जी घोषित कर सकते हैं..??

टीवी पर ऐसे बोलते हैं जैसे डॉग्स। घिन्न आती है इन पर मुझको।
 चार लोग कैसे किसी का फैसला कर सकते हैं जबकि यह सन्यासी बन चुके तो इनकी सीविल डेथ हो चुकी है। बकवास करते रहते हैं ये लोग।

 इस पर पत्रकारों ने अगला सवाल कानूनी कार्रवाई को लेकर पूछा तो वे बोले कि कुत्ते भौंकते रहते हैं। किस-किस कुत्ते पर कार्रवाई करूँ ।

उनके ही अखाड़े में रहने वाले साधु ने उन पर आरोप लगाया है कि..

आचार्य कुश मुनि ने बताया कि मैंने अखाड़ों में हो रहे भ्रष्टाचार व चरित्रहीनता को देखकर 2012 में  छोड़ दिया था ।

नरेंद्र गिरी मेरा नाम फर्जी संतो की सूची में कैसे डाल सकता है..??
 और वो भी एक ऐसा आदमी मेरा नाम कैसे डाल सकता है जिस पर (नरेन्द्र गिरी)  खुद अनेकों आरोप लगे हैं । गिरी का अपराधिक इतिहास रहा है, गिरी ने स्वयं मठ की संपत्ति एक सपा के भूतपूर्व विधायक महेश सिंह को बेची थी। गिरि एक प्रॉपर्टी डीलर दलाल है, गिरी समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव के परिवार का दलाल है। ये कहां से हो गया अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष और अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष तो ज्ञानदास है।

नरेंद्र गिरी महाराज ने इलाहाबाद में सचिन दत्ता से पैसे लेकर के एक महामंडलेश्वर बनाया सच्चिदानंद गिरी, जब पूरे समाज ने विरोध किया तब जाकर के इसने वापस लिया। ये क्या बात करेंगे जो महामंडलेश्वर पद बेचते हैं। 

समाज में नशे, गांजा चरस अफीम इन सब का प्रचार-प्रसार अखाड़े करते हैं, नई पीढ़ी को गुमराह अखाड़े करते हैं अखाड़े देश के विकास में कोई योगदान नहीं करते है। इनमें साधुता जैसे कोई लक्षण नहीं हैं,केवल गाँजे से इनकी सुबह होती है और साधु अपने आप को कहते हैं,इनसे बड़ा राक्षस कोई नहीं है, ये अपने आप को साधु कहते हैं,ये साधु कहां से हैं..?? संत के नाम पर कलंक हैं ।
मेरा ये मानना है तथाकथित अखाड़े के साधु का समाज बहिष्कार करें तभी हिंदू धर्म सुधर सकता है ।

दांडी अचुत्यानंद जी महाराज ने कहा कि नरेन्द्र गिरी जो अपने आपको तथाकथित अखाड़े का अध्यक्ष कहता है वो प्रमाण दे, कब उसका रजिस्ट्रेशन हुआ  है ? क्या उसका बायो लॉज है ? और किस अधिकार से उन्होंने फर्जी संत की व्याख्या करी ? कौन होता है वो फर्जी संत कहनेवाला ? किसने अधिकार दिया उसको? वो अधिकार के कागजात दिखाये । कौन से बायो लॉज में है ? वो कैसे कह सकता है? उसको भोगना पड़ेगा, प्रायश्चित करना पड़ेगा । उसका अधिकार क्षेत्रहीन है ।

गिरी पूर्णरूप से दोषी हैं,उसका प्रायश्चित करें वो माफी मांगे, माफिपत्र दे ।

अचुत्यानंद स्वामी ने कहा कि ये फ्लेट बेचते हैं, धर्माधर ट्रस्ट की सम्पति अपनी मानते है । 250 फ्लेट बनाकर बेच दिये, कहाँ जाता है पैसा..??
 कहाँ हिसाब है लाखों रुपयों का..???
अभी जगदीशपुर में जमीन बेची है इन्होंने । माननीय अखाड़ो ने बेची, जूना अखाड़ो ने बेची है ।

आपको बता दें कि संत आसारामजी बापू के करोड़ो भक्तों ने दावा किया है कि हमारे बापू को षड़यंत्र के तहत जेल में भेजा गया है अभीतक एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है ।
स्वामी विवेकानंद के 100 साल बाद World Religious Parliament में हिन्दू धर्म की ध्वजा फहराई है संत आसाराम जी बापू ने । अपने जीवन के 50 साल उन्होंने देश धर्म और संस्कृति पर न्यौछावर किये हैं ।


क्या किया है अखाड़ो वालो ने देश या समाज के लिए ?? 
किस आधार पर ये दूसरों को फर्जी लिस्ट में डाल सकते हैं,क्या प्रमाण है इनके पास कि ये फर्जी हैं..??

बस ये केवल अपनी बिगड़ती साख बचाने के लिए दूसरों को फर्जी संत घोषित कर रहे हैं ।

सावधान : विधर्मियों के द्वारा हिन्दुओं को आपस में बाँटने की साजिश को नाकाम करना होगा

सावधान : विधर्मियों के द्वारा हिन्दुओं को आपस में बाँटने की साजिश को नाकाम करना होगा

🚩सनातन धर्म के संतों ने जब-जब व्यापकरूप से समाज को जगाने का प्रयास किया है, तब-तब उनको #विधर्मी #ताकतों के द्वारा #बदनाम करने के लिए षड्यंत्र किये गये हैं, जिनमें वे कभी-कभी हिन्दू संतों को भी मोहरा बनाकर #हिन्दू संतों के खिलाफ #दुष्प्रचार करने में सफल हो जाते हैं । यह हिन्दुओं की दुर्बलता है कि वे विधर्मियों के चक्कर में आकर अपने ही संतों की निंदा सुनकर विधर्मियों की हाँ में हाँ करने लग जाते हैं और उनकी हिन्दू धर्म को नष्ट करने की गहरी साजिश को समझ नहीं पाते । इसे हिन्दुओं का भोलापन भी कह सकते हैं । कुछ तो इतने भोले हैं कि जब किसी बड़े संत पर षड्यंत्रकारी आरोप लगाते हैं तो खुश होते हैं कि ‘अब हम बड़े हो जायेंगे’ और वे नं. 1 बनने की कवायद करने लग जाते हैं । उनको पता नहीं कि वे भी आगे चलकर षड्यंत्रकारियों के शिकार होंगे । ऐसे लोग भी विधर्मियों के षड्यंत्रों से अपनी संस्कृति की रक्षा करने के बदले उनके पिट्ठू बन जाते हैं । 
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🚩स्वामी #विवेकानंदजी जब अमेरिका में #सनातन धर्म की #महिमा गाकर #भारत का #गौरव बढ़ा रहे थे तब वहाँ कुछ हिन्दुओं ने ही उनकी निंदा करना, कुप्रचार करनेवालों को सहयोग देना शुरू कर दिया, जिनमें मुख्य थे वीरचंद गांधी और प्रतापचन्द्र मजूमदार । प्रतापचन्द्र मजूमदार ईसाई मिशनरियों की कठपुतली बन गया । ‘विवेकानंदजी एक विषयलम्पट साधु, विलासी युवान और हमेशा जवान लड़कियों के बीच रहनेवाला चरित्रहीन पुरुष है’ - ऐसा अमेरिका के प्रसिद्ध अखबारों में लिखने लगा । इन दुष्प्रचारकों ने विवेकानंदजी के भक्त की नौकरानी का विवेकानंदजी के द्वारा यौन-शोषण किया गया ऐसी #मनगढ़ंत कहानी भी छाप दी । जिस भवन में स्वामी विवेकानंदजी का प्रवचन होता उसके सामने वे लोग एक अर्धनग्न लड़की के साथ विवेकानंदजी के फोटो के पोस्टर भी लगा देते थे । फिर भी स्वामी विवेकानंदजी के अमेरिकन भक्तों की श्रद्धा वे हिला न सके । तब #प्रतापचन्द्र मजूमदार भारत आया और उनकी #निंदा करने लगा । विवेकानंदजी पर ठगी, अनेक स्त्रियों का चरित्रभंग करने के आरोप लगाने लगा । ‘स्वामी विवेकानंदजी भारत के सनातन धर्म के किसी भी मत के साधु ही नहीं हैं’ - ऐसा दुष्प्रचार करने लगा । 

🚩विधर्मियों द्वारा षड़्यंत्रों के तहत लगवाये गये ऐसे अनेक आरोपों को झेलते हुए भी स्वामी #विवेकानंदजी #सनातन धर्म का प्रचार करते रहे । उन्हें आज समस्त #विश्व के लोग एक महापुरुष के रूप में आदर से देखते हैं लेकिन मजूमदार किस नरक में सड़ता होगा हमें पता नहीं ।

🚩आरोप लगनेमात्र से यदि महात्मा कलंकित हो जाते तो वर्तमानकालीन शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वतीजी, कृपालुजी महाराज, स्वामी केशवानंदजी आदि तथा पूर्वकालीन संत जैसे स्वामी विवेकानंदजी, नरसिंह मेहता, संत एकनाथजी आदि पर भी कई दुष्टों ने आरोप लगाये थे । आरोप लगानेवालों ने तो भगवान को भी नहीं बख्शा था । भगवान श्रीकृष्ण पर भी स्यमंतक मणि चुराने का आरोप और अन्य कई प्रकार के आरोप लगाये गये थे । भगवान श्रीरामचन्द्रजी पर भी आरोप लगा था कि बालि को उन्होंने युद्धधर्म की नीति का उल्लंघन करके मारा था और महान पतिव्रता नारी सीता देवी पर भी एक धोबी ने चरित्रभ्रष्ट होने का आरोप लगाया था । इससे क्या उनकी भगवत्ता कलंकित हो गयी ? महात्मा बुद्ध पर भी तत्कालीन दुष्ट अधर्मियों ने आरोप लगाये थे तो क्या इससे उनकी महानता कलंकित हो गयी ?

🚩#जीवन्मुक्त #महापुरुषों के व्यवहार में #भिन्नता होने पर भी वे सब #ज्ञाननिष्ठा में पूर्ण होते हैं । वेदव्यासजी के पुत्र शुकदेवजी बड़े त्यागी थे लेकिन उनको ज्ञान लेने के लिए गृहस्थी महापुरुष राजा जनक के पास जाना पड़ा । #रामकृष्ण परमहंस त्यागी परमहंस थे लेकिन उनके शिष्य #विवेकानंदजी देश-विदेश में #धर्म-प्रचार के लिए भ्रमण करते थे, पुरुष और स्त्री दोनों को शिक्षा-दीक्षा देते थे इसलिए वे महान संत नहीं थे यह कहना उचित नहीं है । राजा जनक, महात्मा बुद्ध, आद्य शंकराचार्यजी आदि अनेक संतों-महापुरुषों ने स्त्रियों के उद्धार के द्वारा समाज का उद्धार करने के लिए स्त्रियों को शिक्षा-दीक्षा दी । 

🚩कुछ संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त नासमझ लोग शास्त्रों का गलत अर्थघटन करके समाज में भ्रांतियाँ फैलाते हैं कि ‘स्त्री का गुरु तो पति ही है, अतः अन्य गुरु का निषेध अपने-आप हो जाता है ।’ उन लोगों को शास्त्र के दृष्टांतों से ही बता सकते हैं कि उनकी मान्यता गलत है । #भगवान शंकर ने अपनी पत्नी #पार्वती को #वामदेव ऋषि से दीक्षा दिलायी थी । शबरी के गुरु उसके पति नहीं थे, भगवान श्रीराम भी नहीं थे, एक महापुरुष #मतंग ऋषि शबरी के गुरु थे । #मीराबाई के गुरु उनके पति नहीं थे, भगवान कृष्ण को भी मीरा ने गुरु नहीं बनाया, संत #रैदासजी को गुरु बनाया । सहजोबाई ने पति को गुरु नहीं बनाया, संत चरनदासजी को गुरु बनाया और वे कहती हैं :

🚩राम तजूँ पै गुरु न बिसारुँ ।गुरु के सम हरि कूँ न निहारुँ ।।

🚩कुछ तथाकथित निगुरे लेखक शास्त्रों का मनमाना अर्थ लगाकर लोगों को यहाँ तक कह डालते हैं कि श्रीकृष्ण या शिवजी को ही गुरु मान लो । भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसा नहीं कहा कि उनको ही गुरु बना लो । जीवित महापुरुष सांदीपनि मुनि को गुरु बनानेवाले श्रीकृष्ण गीता के चौथे अध्याय के 34वें श्लोक में कहते हैं : 

🚩तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया ।

उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्त्वदर्शिनः ।।

🚩‘उस ज्ञान को तू तत्त्वदर्शी ज्ञानियों के पास जाकर समझ । उनको भलीभाँति दण्डवत् प्रणाम करने से, उनकी सेवा करने से और कपट छोड़कर सरलतापूर्वक प्रश्न करने से वे परमात्म-तत्त्व को भलीभाँति जाननेवाले ज्ञानी महात्मा तुझे उस तत्त्वज्ञान का उपदेश करेंगे ।’

🚩वैदिक साहित्य के उपनिषद्, गीता या अन्य किसी भी ग्रंथ में निगुरे रहने का उपदेश नहीं दिया गया । श्रुति कहती है : 

🚩तद्विज्ञानार्थं स गुरुमेवाभिगच्छेत् समित्पाणिः श्रोत्रियं ब्रह्मनिष्ठम् ।

🚩‘उस जिज्ञासु को परमात्मा का वास्तविक तत्त्वज्ञान प्राप्त करने के लिए हाथ में समिधा लेकर श्रद्धा और विनय भाव के सहित ऐसे सद्गुरु की शरण में जाना चाहिए जो वेदों के रहस्य को भलीभाँति जानते हों और परब्रह्म-परमात्मा में स्थित हों ।’          (मुण्डकोपनिषद् : 1.2.12)

🚩ऐसी सनातन धर्म की दिव्य परम्परा को नष्ट करने का स्वप्न देखनेवाले लोगों से सावधान होना बहुत जरूरी है । 

🚩भगवान #विट्ठल ने अपने भक्त #नामदेव के लिए स्वयं गुरु न बनकर उन्हें ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष विसोबा खेचर से दीक्षा लेने को कहा था । यही नहीं स्वयं आद्यशक्ति माँ काली ने $रामकृष्ण परमहंसजी को स्वयं दीक्षा न देकर उन्हें गुरु #तोतापुरीजी की शरण में जाने को कहा था । और तो और, स्वयं भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण ने भी गुरु बनाये थे । 

🚩अतः भ्रांतियाँ फैलानेवालों को कुछ बोलने या लिखने से पहले सोचना चाहिए । अपनी अल्पबुद्धि का परिचय नहीं देना चाहिए । डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे तटस्थ न्यायविदों ने जो बात कही है कि #‘‘संत आसाराम जी बापू के #खिलाफ किया गया #केस पूरी तरह #बोगस है ।’’ और यह भी कहा कि ‘‘हिन्दू-विरोधी एवं #राष्ट्रविरोधी ताकतों के गहरे #षड्यंत्रों को और हिन्दू संतों को बदनाम करने के उनके (विधर्मियों के) गुप्त हथकंडों को सीधे व भोले-भाले हिन्दू नहीं देख पा रहे हैं ।’’ इन बातों की कद्र करके अपनी हिन्दू संस्कृति की रक्षा करनी चाहिए । एक ईसाई या मौलवी से कोई गलत काम हो जाता है, न्यायालय में सिद्ध भी हो जाता है तो भी दूसरा ईसाई या मौलवी उसको दोषी नहीं कहता क्योंकि अपने धर्म का है । हिन्दू संस्कृति ये नहीं कहती कि तुम दोषी को दोषी न कहो लेकिन इतना जरूर कहती है कि निर्दोष पर दोषारोपण करने के पहले सच्चाई जानने का प्रयास तो करो । हिन्दू संस्कृति के दुश्मन, हिन्दुत्व के लिए पूरा जीवन अर्पण करनेवाले किसी संत को षड्यंत्र करके फँसाने का प्रयास करते हैं और दूसरे कुछ हिन्दू, जो अपने को हिन्दुत्व के रक्षक मानते हैं, बिना सत्य की गहराई में गये उन संत पर टिप्पणी करने लगते हैं यह कितने खेद की बात है ! 

🚩डॉ. डेविड फ्रॉली कहते हैं : ‘‘भारत को अपने लक्ष्य तक पहुँचना है और वह लक्ष्य है अपनी #आध्यात्मिक संस्कृति का #पुनरुद्धार । इसमें न केवल भारत का अपितु मानवता का कल्याण निहित है । यह तभी सम्भव है जब भारत के बुद्धिजीवी आधुनिकता का मोह त्यागकर अपने धर्म और अध्यात्म की कटु आलोचना से विरत होंगे ।’’         (पृष्ठ 14, ‘उत्तिष्ठ कौन्तेय’)

🚩अतः सावधान रहने की आवश्यकता है । #विधर्मियों के #हिन्दुओं को आपस में #बाँटने की #साजिश को समझना चाहिए । - वरिष्ठ पत्रकार श्री अरुण रामतीर्थकर

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Sunday, September 10, 2017

वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट में दो संतों ने हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया है

10 Sep 2017

स्वामी# विवेकानंद #ने अमरीका के शिकागो में 11# सितंबर #1893 को आयोजित #विश्व धर्म परिषद #में जो भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी।

हिन्दू संस्कृति का परचम लहराने #वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट #(विश्व धर्मपरिषद) शिकागो में भारत का नेतृत्व 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानंदजी ने और ठीक उसके 100 #साल बाद 4 सितम्बर 1993 #संत# आसारामजी बापू ने किया था ।
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 लेकिन दुर्भाग्य है कि जिन संतो को #"भारत रत्न" #की उपाधि से #अलंकृत #करना चाहिए उन्हें ईसाई मिशनरियों के इशारे पर राजनीति के तहत झूठे आरोपों द्वारा #जेल #में भेजा जाता है और विदेशी# फण्ड #से चलने वाली भारतीय मीडिया द्वारा उन्हें बदनाम कराया जाता है ।

शिकागो की #धर्म सभा के दाैरान पादरियों द्वारा यह कहा गया कि भारत भिखारियों का देश है वहाँ पर #धर्म प्रचार #करने की आवश्यकता है। 

जब स्वामी #विवेकानंद जी #तक यह बात पहुंची तो वे तिलमिला उठे और गर्जना भरे शब्दों में पादरियों की सभा में बोले कि तुम कहते हो भारत भिखारियों का देश है तो इस भ्रम को निकाल दो, #भारत भिखारियों का नहीं बल्कि भिक्षुकों का #देश है। 


भिखारी वो होते हैं  जो #धन के अभाव #में किसी से याचना करते हैं ,
पर तुम नहीं जानते हो तो सुनो !
भारत में ऐसे राजा हुए जो सोने के महल में रहते व चांदी के थाल में भोजन करते थे। 

लेकिन जब उन्हें सनातन ज्ञान का मार्गदर्शन मिला तो वे वैराग्य को धारण करके सत्य की खोज के लिए सब कुछ त्याग कर #भिक्षुक बन गए , जंगलों में गुरु की सेवा करते और रोटी का टुकड़ा भिक्षा में माँग कर खाते।

 राजा भर्तृहरि, परीक्षित, सिद्धार्थ, महावीर, भरत जैसे महात्मा राजा इसका #प्रयत्क्ष# उदाहरण हैं ।
और उन्होंने उस परमानन्द की प्राप्ति की जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो ।


देखो तुम आनंद से इतने नीरस हो गए हो कि धन और डंडे के भय से #धर्म प्रचार कर रहे हो। 


लेकिन #उन महापुरुषों के रहने मात्र से पशु पक्षी भी शांति का अनुभव करते हैं इसलिए भारत भिक्षुकों का #देश #है। 
तुम थोड़ा सा भी भारत का प्रसाद पाओगे तो कृतार्थ हो जाओगे। 

स्वामी जी के इस उपदेश से कितने #ईसाई सुधरे, कितने जल भून गए पर स्वामी जी बिना किसी की परवाह किये सनातन #धर्म का डंका बजाते रहे।


स्वामी जी के हयाती #काल में उन्हें इतना परेशान# किया गया ,उनका इतना #कुप्रचार किया गया कि उनके गुरूजी की समाधि के लिये #एक गज जमीन तक# उन्हें नहीं मिली थी । पर अब पूरी दुनिया स्वामी #विवेकानंद जी व उनके गुरूजी का जय-जयकार करती है । 

जब वे धरती से चले गए, अर्थात् #इतिहास के पन्नों पर जब उनकी महिमा आयी तब लोग उनको इतना आदर - सम्मान देते हैं पर उनकी# हयातीकाल में उनके साथ दुष्टों ने कैसा #व्यवहार किया...!!

सावधान!!

क्या हम भी ऐसा #व्यवहार हयात संतों के साथ तो नहीं कर रहें..??

वर्त्तमान समय में भी ऐसे #महान संत इस धरती पर# विराजमान हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू संस्कृति के# उत्थान में लगा दिया ।

 अभी भी #जिन साधु -संतो को #ईसाई मिशनरियों के इशारे पर #मीडिया द्वारा बदनाम किया जा रहा है उनका भी आगे जयकारा दुनिया बोलेगी ।

#ईसाई मिशनरियां स्वामी विवेकानंदजी के समय से संतो के #विरुद्ध षड़यंत्र कर #रही हैं क्योंकि हिन्दू संत इनके आँखों की किकरी बन गए हैं ये हमारे संतों के सामने #धर्मान्तरण में विफल #हो रही हैं ।

इसका #प्रयत्क्ष उदाहरण संत आसारामजी बापू हैं जिनका #जीवन चरित्र पढ़ने से पता चलता है कि उन्होंने संस्कृति उत्थान के लिए अतुलनीय कार्य किये हैं।

 आज मल्टी #नेशनल कंपनियों को भारी घाटा होने के कारण ही वे #षड़यंत्र के तहत फंसाये गए हैं । क्योंकि उनके 6 करोड़ भक्त बीड़ी, सिगरेट, दारू, चाय, कॉफी, सॉफ्ट कोल्ड्रिंक आदि नही पीते हैं । वेलेंटाइन डे आदि नहीं मनाते जिससे विदेशी कपनियों को अरबो-खबरों का घाटा हो रहा था और उन्होंने लाखों हिन्दुओं की घर वापिस कराई इसलिए ईसाई मिशनरियों ने और विदेशी कंपनियों ने मिलकर मीडिया में बदमाम करवाया और राजनीति से मीकलर झूठे केस में फंसाया और कुछ गंजेड़ी-भंगेड़ी साधु का चोला पहने हुए उनको संत बोलने से इंकार करते है कितनी नादान बुद्धि है ।

संत नारसिंह मेहता जी को भी ब्राह्मणों ने बहिष्कार किया था तो क्या वे संत नही थे? आज भी वे करोड़ो के हृदय में बसे है ।

वो समाज अभागा है जो सच्चे संतों की महिमा नहीं समझ रहा !!
उनके साथ हो रहे अन्याय को नहीं समझ रहा !!

संत तो संत होते हैं कोई उन्हें माने या न माने, इससे उनकी आंतरिक स्थिति पर कोई अन्तर नहीं पड़ता पर जो समाज उनकी हयाती में उनसे फायदा नहीं उठा पाया तो ये उस समाज का दुर्भाग्य है ।

स्वामी विवेकानंद को लोगों ने नहीं पहचाना तो इसे विवेकानंद का क्या बिगड़ा..??

स्वामी रामतीर्थ को लोग नहीं समझ पाये तो इसे रामतीर्थ क्या बिगड़ा..??

महात्मा बुद्ध के साथ घिनौने षड़यंत्र किये गए तो इसे बुद्ध का क्या बिगड़ा..??

कबीर जी को बदनाम किया गया इसे कबीर जी का क्या बिगड़ा..??

 #गुरुनानक के लिए लोग उल्टा-सीधा बोलते थे तो इसे नानक जी का क्या बिगड़ा..??

 #समर्थ रामदास,एकनाथ महाराज,तुकाराम,ज्ञानेश्वर जी आदि आदि...

 कितने संतों के नाम बताये जिनके हयातीकाल में उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया कि आज जब हम इतिहास पढ़ते हैं तो नजरें शर्म से झुक जाती हैं ।

पर उन #महापुरुषों का क्या बिगड़ा...???

बिगड़ा तो उस समाज का बिगड़ा जो ऐसे महापुरुषों की हयाती में उनका लाभ नहीं उठा पाये ।

अपने अंदर झांककर देखे कि आज हम भी कहीं वही गलती तो नहीं दोहरा रहे..??

सोचे,समझे और हकीकत तक पहुँचने का प्रयास करें !!

मीडिया की बातों में आकर किसी भी संत पर ऊँगली उठाने से पहले सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास करना ये आज हर हिन्दू का कर्त्तव्य बनता है ।


अगर सच तक पहुचने की कोशिश करेंगे तो आपको जो दिखाई दे रहा है उसे विपरीत कुछ और ही सच्चाई देखने को मिलेगी । 

उठे, किसी की बातों में न आकर स्वयं सच्चाई तक पहुँचे !!

जय हिन्द !!

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