Thursday, July 16, 2020

देश को विश्वगुरु बनाना है तो युवापीढ़ी को "यौवन सुरक्षा" का पाठ पढ़ाना होगा!

16 जुलाई 2020

🚩हमारे देश का भविष्य हमारी युवा पीढ़ी पर निर्भर है किन्तु उचित मार्गदर्शन के अभाव में वह आज गुमराह हो रही है। पाश्चात्य भोगवादी सभ्यता के दुष्प्रभाव से उसके यौवन का ह्रास होता जा रहा है। विदेशी चैनल, चलचित्र, अश्लील साहित्य आदि प्रचार माध्यमों के द्वारा युवक-युवतियों को गुमराह किया जा रहा है। विभिन्न सामयिकों और समाचार-पत्रों में भी तथाकथित पाश्चात्य मनोविज्ञान से प्रभावित मनोचिकित्सक और ‘सेक्सोलॉजिस्ट’ युवा छात्र-छात्राओं को चरित्र, संयम और नैतिकता से भ्रष्ट करने पर तुले हुए हैं।

🚩ब्रितानी औपनिवेशिक संस्कृति की देन इस वर्त्तमान शिक्षा-प्रणाली में जीवन के नैतिक मूल्यों के प्रति उदासीनता बरती गई है। फलतः आज के विद्यार्थी का जीवन कौमार्यवस्था से ही विलासी और असंयमी हो जाता है।

🚩पाश्चात्य आचार-व्यवहार के अंधानुकरण से युवानों में जो फैशनपरस्ती, अशुद्ध आहार-विहार के सेवन की प्रवृत्ति कुसंग, अभद्रता, चलचित्र-प्रेम आदि बढ़ रहे हैं उससे दिनोदिन उनका पतन होता जा रहा है। वे निर्बल और कामी बनते जा रहे हैं। उनकी इस अवदशा को देखकर ऐसा लगता है कि वे ब्रह्मचर्य की महिमा से सर्वथा अनभिज्ञ हैं।

🚩लाखों नहीं, करोड़ों-करोड़ों छात्र-छात्राएँ अज्ञानतावश अपने तन-मन के मूल ऊर्जा-स्रोत का व्यर्थ में अपक्षय कर पूरा जीवन दीनता-हीनता-दुर्बलता में तबाह कर देते हैं और सामाजिक अपयश  के भय से मन-ही-मन कष्ट झेलते रहते हैं। इससे उनका शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य चौपट हो जाता है, सामान्य शारीरिक-मानसिक विकास भी नहीं हो पाता। ऐसे युवान रक्ताल्पता, विस्मरण तथा दुर्बलता से पीड़ित होते हैं।

🚩यही वजह है कि हमारे देश में औषधालयों, चिकित्सालयों, हजारों प्रकार की एलोपैथिक दवाइयों, इन्जेक्शनों आदि की लगातार वृद्धि होती जा रही है। असंख्य डॉक्टरों ने अपनी-अपनी दुकानें खोल रखी हैं फिर भी रोग एवं रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

🚩इसका मूल कारण क्या है ? दुर्व्यसन तथा अनैतिक, अप्राकृतिक एवं अमर्यादित मैथुन द्वारा वीर्य की क्षति ही इसका मूल कारण है। इसकी कमी से रोगप्रतिकारक शक्ति घटती है, जीवनशक्ति का ह्रास होता है।

🚩इस देश को यदि जगदगुरु के पद पर आसीन होना है, विश्व-सभ्यता एवं विश्व-संस्कृति का सिरमौर बनना है, उन्नत स्थान फिर से प्राप्त करना है तो यहाँ की सन्तानों को चाहिए कि वे ब्रह्मचर्य के महत्व को समझें और सतत सावधान रहकर सख्ती से इसका पालन करें।

🚩ब्रह्मचर्य के द्वारा ही हमारी युवा पीढ़ी अपने व्यक्तित्व का संतुलित एवं श्रेष्ठतर विकास कर सकती है। ब्रह्मचर्य के पालन से बुद्धि कुशाग्र बनती है, रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है तथा महान्-से-महान् लक्ष्य निर्धारित करने एवं उसे सम्पादित करने का उत्साह उभरता है, संकल्प में दृढ़ता आती है, मनोबल पुष्ट होता है।

🚩आध्यात्मिक विकास का मूल भी ब्रह्मचर्य ही है। हमारा देश औद्योगिक, तकनीकी और आर्थिक क्षेत्र में चाहे कितना भी विकास कर ले, समृद्धि प्राप्त कर ले फिर भी यदि युवाधन की सुरक्षा न हो पाई तो यह भौतिक विकास अंत में महाविनाश की ओर ही ले जायेगा क्योंकि संयम, सदाचार आदि के परिपालन से ही कोई भी सामाजिक व्यवस्था सुचारु रूप से चल सकती है। भारत का सर्वांगीण विकास सच्चरित्र एवं संयमी युवाधन पर ही आधारित है।

🚩अतः हमारे युवाधन छात्र-छात्राओं को ब्रह्मचर्य में प्रशिक्षित करने के लिए उन्हें यौन-स्वास्थ्य, आरोग्यशास्त्र, दीर्घायु-प्राप्ति के उपाय तथा कामवासना नियंत्रित करने की विधि का स्पष्ट ज्ञान प्रदान करना हम सबका अनिवार्य कर्त्तव्य है। इसकी अवहेलना करना हमारे देश व समाज के हित में नहीं है। यौवन सुरक्षा से ही सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। संदर्भ : दिव्य प्रेरणा प्रकाश साहित्य 

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Wednesday, July 15, 2020

शिव मंदिर के साधु की पीट-पीटकर हत्या, भारत में साधु-संत हैं असुरक्षित!

15 जुलाई 2020

🚩भारत मे साधु-संत ही सनातन धर्म की रक्षा कर रहे हैं, वे हिंदुओ को सनातन धर्म की महिमा बताकर धर्म के प्रति जागरूक करते हैं, धर्मान्तरण रोकते हैं, समाज को व्यसन मुक्त और दुराचार मुक्त बनानें में योगदान देते हैं, राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं इसलिए वे विधर्मियों के हमेशा निशाने पर रहते हैं।

🚩मीडिया भी हिंदू साधु-संतो के खिलाफ खूब दुष्प्रचार करती है लेकिन जब उनकी हत्या कर दी जाती है तो चुप हो जाती है, जबकि बॉलीवुड के लोग आत्महत्या कर दें, तैमूर का खतना हो अथवा उनका ब्रेकप आदि पर दिन रात खबरें दिखाती है पर किसी साधु-संत पर अत्याचार हो रहा हो अथवा साजिश के तहत हत्या कर दी जाए या जेल भेज दिया जाए तो मीडिया मौन धारण कर लेती है, मीडिया के साथ-साथ वामपंथी, लिबरल, तथाकथित बुद्धिजीवी, सेक्युलर, नेता सब चुप हो जाते हैं।

🚩चोर तबरेज अंसारी की पिटाई कर दी जाए या किसी गौ तस्कर पहलू खान को चार लठ मार दिए जाए तब सारी वामपंथी मीडिया व बॉलीवुड के कुछ कुतर्की बिलबिलाने लगते हैं लेकिन साधु की पीट पीटकर हत्या कर दी फिर भी ये सब चुप हैं।

🚩दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में अब्दुल्लापुर के बाजार में शिव मंदिर के उपाध्यक्ष कांति प्रसाद मंदिर की दुकानों में ही अपनी दुकान करते थे। मंदिर में साफ सफाई से लेकर हर पूजा-पाठ कराने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर थी। वे अक्सर साधू की वेशभूषा में रहते थे। इसी के साथ उनके गले में हमेशा भगवा दुपट्टा होता था।

🚩सोमवार (जुलाई 13, 2020) को वह अपने इसी परिधान में गंगानगर स्थित बिजलीघर में बिजली का बिल जमा कराने गए। लेकिन वापस लौटते समय उन्हें ग्लोबल सिटी के पास अनस कुरैशी मिल गया। उसने कांति प्रसाद का भगवा दुपट्टा देखकर उन पर धार्मिक टिप्पणी की और विरोध करने पर उनकी पिटाई भी कर दी।

🚩कांति प्रसाद ने गाँव लौटकर इस बारे में सबको बताया और उसके परिजनों से भी इस संबंध में शिकायत की। मगर, अनस कुरैशी तभी पीछे से आ गया और उन्हें फिर बेरहमी से मारने लगा। जब कांति प्रसाद के परिवार वालों को इस मामले की खबर हुई तो वह उन्हें भावनपुर थाने ले गए। लेकिन, थाने में कांति प्रसाद की तबीयत बिगड़ने लगी। इसके बाद एंबुलेंस बुलायी गयी और उन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिट करवा दिया गया।

🚩इस दौरान कांति प्रसाद की शिकायत के आधार पर पुलिस ने अनस के खिलाफ धार्मिक टिप्पणी करने, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज कर लिया। किंतु मंगलवार को उपचार के दौरान कांति प्रसाद की मौत हो गई।

🚩इससे साफ पता चलता है कि विधर्मियों को साधु संत अथवा भगवाधारी पसन्द नही आते है क्योंकि उल्लू को सूर्य पसंद नहीं आता, चोर को चौकीदार पंसद नही आता, वैसे ही दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को हिन्दू संस्कृति और साधु-संत पसंद नहीं आते। इसलिए वें हमेशा उनके खिलाफ षड़यंत्र करते रहते हैं ताकि हिन्दुत्व और साधु-संतों को मिटाया जा सके।

🚩इतिहास उठाकर देख लेंगे तो पता चलेगा कि हमारे साधु-संतों ने कितने कष्ट सहन किए हैं, फिर भी वे हँसते-हँसते हुए इन कष्टों को सहन करते गए और सनातन संस्कृति की रक्षा करते हुए हिंदुओं को जगाते रहे हैं। फिर भी हम इन भगवा वीरों का आदर नहीं करतें। बिकाऊ मीडिया जो इनके बारे में झूठी कहानियां बनाकर दिखाने लगती है तो हम उनको ही सच मानकर अपने ही धर्मगुरुओं को गलत समझकर अपने दिमाग में गलत छवि बना लेते हैं और उनसे नफरत करने लगते हैं।

🚩इसलिए समय की मांग है कि हम इन षड़यंत्रों को समझे और इन हिन्दू विरोधी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एकजुट होकर खड़े हो।

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Tuesday, July 14, 2020

लव जिहाद की इस सच्चाई को जान लिया तो कोई भी लड़की लव जिहाद में नहीं फसेगी।

13 जुलाई 2020

🚩मंसूर अली खान पटौदी से शादी करने से पहले शर्मिला टैगोर ने इस्लाम कबूल किया था, जिसके बाद शर्मिला का नाम रखा गया आएशा बेगम! प्यार सच्चा था तो इस्लाम कबूल करवाने की जिद किसलिए? और अगर इस्लाम कुबूल कर ही लिया है तो खुद को शर्मिला टैगोर कहने की जिद किसलिए? अक्सर हिन्दुओं और बाकी विश्व को मूर्ख बनाने के लिये मुस्लिम और सेकुलर विद्वान यह प्रचार करते हैं कि कम पढ़े-लिखे तबके में ही इस प्रकार की तलाक की घटनाएं होती हैं, जबकि हकीकत कुछ और ही है। क्या इमरान खान या नवाब पटौदी कम पढ़े-लिखे हैं? तो फ़िर नवाब पटौदी, रविन्द्रनाथ टैगोर के परिवार से रिश्ता रखने वाली शर्मिला से शादी करने के लिये इस्लाम छोड़कर हिन्दू क्यों नहीं बन गये? सैफ़ अली खान को अमृता सिंह से इतना ही प्यार था तो सैफ़ हिन्दू क्यों नहीं बन गया? अब अमृता सिंह को बेसहारा छोड़कर करीना कपूर से विवाह किया और बेटे का नाम रखा तैमूर। इससे अनुमान लगा लें इनका आदर्श वही खुनी तैमूर लंग है जिसने भारत में कत्लेआम मचाया था।

🚩आँख बंद कर लेने से रात नहीं होती:-

🚩प्रेम अन्धा होता है, सभी धर्म समान हैं, शादी ब्याह में धर्म नहीं दिल देखा जाता है, मुसलमान भी तो इंसान हैं, यह कहने वाले एक बार विचार करें, जो हिन्दू लड़कियां सोचती हैं कि लव जेहाद जैसा कुछ नहीं होता तो उन्हें सोचना चाहिए की क्या कोई मुस्लिम लड़की लव मैरिज करके हिन्दू लड़के की पत्नी बन सकती है? इस्लाम के तथाकथित विद्वान ज़ाकिर नाइक खुद फ़रमा चुके हैं कि इस्लाम “वन-वे ट्रेफ़िक” है, कोई इसमें आ तो सकता है, लेकिन इसमें से जा नहीं सकता… क्या दोनो एक ही घर में अपने-अपने धर्म का पालन नहीं कर सकते? मुस्लिम बनना क्यों जरूरी है? और यही बात उनकी नीयत पर शक पैदा करती है।

🚩अंकित सक्सेना का सडक पर उसे माँ बाप के सामने क़त्ल कर दिया गया क्योंकि वह एक मुस्लिम लड़की से शादी करने वाला था। उस लड़की के माँ बाप और चाचा ने सडक पर अंकित सक्सेना का गला काट कर हत्या कर दी।

🚩जेमिमा मार्सेल गोल्डस्मिथ और इमरान खान – ब्रिटेन के अरबपति सर जेम्स गोल्डस्मिथ की पुत्री (21), पाकिस्तानी क्रिकेटर इमरान खान (42) के प्रेमजाल में फ़ँसी, उससे 1995 में शादी की, इस्लाम अपनाया (नाम हाइका खान), उर्दू सीखी, पाकिस्तान गई, वहाँ की तहज़ीब के अनुसार ढलने की कोशिश की, दो बच्चे (सुलेमान और कासिम) पैदा किये… नतीजा क्या रहा… तलाक-तलाक-तलाक। वापस ब्रिटेन। फ़िर वही सवाल – क्या इमरान खान कम पढ़े-लिखे थे? या आधुनिक नहीं थे?

🚩24 परगना (पश्चिम बंगाल) के निवासी नागेश्वर दास की पुत्री सरस्वती (21) ने 1997 में अपने से उम्र में काफ़ी बड़े मोहम्मद मेराजुद्दीन से निकाह किया, इस्लाम अपनाया (नाम साबरा बेगम)। सिर्फ़ 6 साल का वैवाहिक जीवन और चार बच्चों के बाद मेराजुद्दीन ने उसे मौखिक तलाक दे दिया और अगले ही दिन कोलकाता हाइकोर्ट के तलाकनामे (No. 786/475/2003 दिनांक 2.12.03) को तलाक भी हो गया। अब पाठक खुद ही अन्दाज़ा लगा सकते हैं कि चार बच्चों के साथ घर से निकाली गई सरस्वती उर्फ़ साबरा बेगम का क्या हुआ होगा, न तो वह अपने पिता के घर जा सकती थी, न ही आत्महत्या कर सकती थी…

🚩प्रख्यात बंगाली कवि नज़रुल इस्लाम, हुमायूं कबीर (पूर्व केन्द्रीय मंत्री) ने भी हिन्दू लड़कियों से शादी की, क्या इनमें से कोई भी हिन्दू बना? अज़हरुद्दीन भी अपनी मुस्लिम बीबी नौरीन को चार बच्चे पैदा करके छोड़ चुके। बाद में संगीता बिजलानी से निकाह कर लिया, कुछ साल बाद उसे भी तलाक दे दिया। उन्हें कोई अफ़सोस नहीं, कोई शिकन नहीं। ऊपर दिये गये उदाहरणों में अपनी बीवियों और बच्चों को छोड़कर दूसरी शादियाँ करने वालों में से कितने लोग अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे हैं? तब इसमें शिक्षा-दीक्षा का कोई रोल कहाँ रहा? यह तो विशुद्ध लव-जेहाद है।

🚩वहीदा रहमान ने कमलजीत से शादी की, वह मुस्लिम बने, अरुण गोविल के भाई ने तबस्सुम से शादी की, मुस्लिम बने, डॉ ज़ाकिर हुसैन (पूर्व राष्ट्रपति) की लड़की ने एक हिन्दू से शादी की, वह भी मुस्लिम बना, एक अल्पख्यात अभिनेत्री किरण वैराले ने दिलीप कुमार के एक रिश्तेदार से शादी की और गायब हो गई।

🚩इस कड़ी में सबसे आश्चर्यजनक नाम है भाकपा के वरिष्ठ नेता इन्द्रजीत गुप्त का। मेदिनीपुर से 37 वर्षों तक सांसद रहने वाले कम्युनिस्ट (जो धर्म को अफ़ीम मानते हैं), जिनकी शिक्षा-दीक्षा सेंट स्टीफ़ेंस कॉलेज दिल्ली तथा किंग्स कॉलेज केम्ब्रिज में हुई, 62 वर्ष की आयु में एक मुस्लिम महिला सुरैया से शादी करने के लिये मुसलमान (इफ़्तियार गनी) बन गये। सुरैया से इन्द्रजीत गुप्त काफ़ी लम्बे समय से प्रेम करते थे और उन्होंने उसके पति अहमद अली (सामाजिक कार्यकर्ता नफ़ीसा अली के पिता) से उसके तलाक होने तक उसका इन्तज़ार किया। लेकिन इस समर्पणयुक्त प्यार का नतीजा वही रहा जो हमेशा होता है, जी हाँ, “वन-वे-ट्रेफ़िक”। सुरैया तो हिन्दू नहीं बनीं, उलटे धर्म को सतत कोसने वाले एक कम्युनिस्ट इन्द्रजीत गुप्त “इफ़्तियार गनी” जरूर बन गये।

🚩इसी प्रकार अच्छे खासे पढ़े-लिखे अहमद खान (एडवोकेट) ने अपने निकाह के 50 साल बाद अपनी पत्नी “शाहबानो” को 62 वर्ष की उम्र में तलाक दिया, जो 5 बच्चों की माँ थी… यहाँ भी वजह थी उनसे आयु में काफ़ी छोटी 20 वर्षीय लड़की (शायद कम आयु की लड़कियाँ भी एक कमजोरी हैं)। इस केस ने समूचे भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अच्छी-खासी बहस छेड़ी थी। शाहबानो को गुज़ारा भत्ता देने के लिये सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को राजीव गाँधी ने अपने असाधारण बहुमत के जरिये “वोटबैंक राजनीति” के चलते पलट दिया, मुल्लाओं को वरीयता तथा आरिफ़ मोहम्मद खान जैसे उदारवादी मुस्लिम को दरकिनार किया गया… तात्पर्य यही कि शिक्षा-दीक्षा या अधिक पढ़े-लिखे होने से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता, शरीयत और कुर-आन इनके लिये सर्वोपरि है, देश-समाज आदि सब बाद में…।

🚩शेख अब्दुल्ला और उनके बेटे फ़ारुख अब्दुल्ला दोनों ने अंग्रेज लड़कियों से शादी की, ज़ाहिर है कि उन्हें इस्लाम में परिवर्तित करने के बाद, यदि वाकई ये लोग सेकुलर होते तो खुद ईसाई धर्म अपना लेते और अंग्रेज बन जाते…? और तो और आधुनिक जमाने में पैदा हुए इनके पोते यानी कि जम्मू-कश्मीर के वर्तमान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी एक हिन्दू लड़की “पायल” से शादी की, लेकिन खुद हिन्दू नहीं बने, उसे मुसलमान बनाया, तात्पर्य यह कि “सेकुलरिज़्म” और “इस्लाम” का दूर-दूर तक आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है और जो हमें दिखाया जाता है वह सिर्फ़ ढोंग-ढकोसला है।

🚩एक बात और है कि धर्म परिवर्तन के लिये आसान निशाना हमेशा होते हैं “हिन्दू”, जबकि ईसाईयों के मामले में ऐसा नहीं होता, एक उदाहरण और देखिये –

🚩पश्चिम बंगाल के एक गवर्नर थे ए एल डायस (अगस्त 1971 से नवम्बर 1979), उनकी लड़की लैला डायस, एक लव जेहादी ज़ाहिद अली के प्रेमपाश में फ़ँस गई, लैला डायस ने जाहिद से शादी करने की इच्छा जताई। गवर्नर साहब डायस ने लव जेहादी को राजभवन बुलाकर 16 मई 1974 को उसे इस्लाम छोड़कर ईसाई बनने को राजी कर लिया। यह सारी कार्रवाई तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर राय की देखरेख में हुई। ईसाई बनने के तीन सप्ताह बाद लैला डायस की शादी कोलकाता के मिडलटन स्थित सेंट थॉमस चर्च में ईसाई बन चुके जाहिद अली के साथ सम्पन्न हुई। इस उदाहरण का तात्पर्य यह है कि पश्चिमी माहौल में पढ़े-लिखे और उच्च वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले डायस साहब भी, एक मुस्लिम लव जेहादी की “नीयत” समझकर उसे ईसाई बनाने पर तुल गये। लेकिन हिन्दू माँ-बाप अब भी “सहिष्णुता” और “सेकुलरिज़्म” का राग अलापते रहते हैं, और यदि कोई इस “नीयत” की पोल खोलना चाहता है तो उसे “साम्प्रदायिक” कहते हैं। यहाँ तक कि कई लड़कियाँ भी अपनी धोखा खाई हुई सहेलियों से सीखने को तैयार नहीं, हिन्दू लड़के की सौ कमियाँ निकाल लेंगी, लेकिन दो कौड़ी की औकात रखने वाले मुस्लिम जेहादी के बारे में पूछताछ करना उन्हें “साम्प्रदायिकता” लगती है…

🚩ऐसी हज़ारों दास्तानों में से एक है सिरोंज के महेश्वरी समाज की दास्तान। सिरोंज यह स्थान विदिशा से ५० मील की दूरी पर एक तहसील है। 200 साल पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। अब किया क्या जाये? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कुटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दिया गया कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर महेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया। आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।

🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरे खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे। तो कोई हिन्दू लड़को कभी लव जिहाद का शिकार न बने।

🚩सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये कैसा प्रेम है? यदि वाकई “प्रेम” ही है तो यह वन-वे ट्रैफ़िक क्यों है? इसीलिये सभी सेकुलरों, प्यार-मुहब्बत-भाईचारे, धर्म की दीवारों से ऊपर उठने आदि की हवाई-किताबी बातें करने वालों से मेरा सिर्फ़ एक ही सवाल है, “कितनी मुस्लिम लड़कियों (अथवा लड़कों) ने “प्रेम” की खातिर हिन्दू बनना स्वीकार किया है?”

🚩मां-बाप का भी कर्तव्य है कि अपने बेटी-बेटियों को धर्म की शिक्षा जरूर दे जिससे वे लव जिहाद में न फसे सेक्युलर बनकर अपने धर्म की हानि न करे और एक बात ध्यान रखना धर्म है तभी सबकुछ ठीक है नही तो पाकिस्तान में जाकर देखो हिंदुओं का क्या हाल हैं।

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Monday, July 13, 2020

सनातन धर्म के भगवान व मंत्रों में अकल्पनीय शक्ति है, ईसाई-इस्लाम में नहीं हैं - एंड्रेयु ब्रिजेन, इंग्लैंड

13 जुलाई 2020

🚩कुछ भारतीयों को अपने आप को हिन्दू कहने में शर्म आती है, यहां के रीति-रिवाज परम्परा पुराने जमाने के लगते हैं लेकिन वहीं दूसरी ओर विश्व के लाखों-करोड़ों लोग सनातन धर्म में आने को आतुर हैं ।

🚩सनातन धर्म, संस्कृति वास्तव में अत्यंत उन्नत संस्कृति है । यह ऐसा धर्म है जो मनुष्य को जीवन जीने की सही राह दिखाता है, मुक्ति का मार्ग दिखाता है । सनातन धर्म की जितनी महिमा गाई जाए वह कम है । इस धर्म के ऋषि-मुनि वास्तव में एक वैज्ञानिक थे, उन्होंने अत्यंत उत्तम खोजें की थीं जो आज के वैज्ञानिकों के लिए असम्भव है ।

🚩यहां आपको नीचे कुछ दृष्टांत बताते हैं जिससे आप भी यह मानने पर मजबूर हो जाएंगे कि सनातन हिंदू धर्म जैसा दूसरा धर्म इस पूरे ब्रह्मांड में होना असंभव है एवं यह धर्म पूर्णतः वैज्ञानिक भी है ।l

● महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी से बोल पड़ा 'बेजुबान'-

🚩यह बात सुनने में बड़ी ही आश्चर्यजनक लगती है किंतु सत्य है । पेशे से पायलट राजीव जी के जीवन में एक ऐसा मोड़ आया जब उन्हें एक एक करके बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा । पत्नी से तलाक, व्यापार में नुकसान एवं छोटे भाई की मौत से राजीव इतने अवसाद में चले गए कि उन्हें सिर्फ एक रास्ता दिखा वो था मौत का ।

🚩राजीव ने खुद को खत्म करने के लिए तरह-तरह के तरीके आजमाना शुरू किया । गुटखा, पान-मसाला, तम्बाकू, धूम्रपान की लत लगा ली । नतीजन उन्हें मुँह का कैंसर हो गया । कैंसर के चौथे स्टेज पर पहुंच चुके राजीव को अपने माता पिता का ख्याल आया और जीने की चाह फिर से जागी । कैंसर का ऑपरेशन हुआ, आधी जीभ काटनी पड़ी एवं डॉक्टर्स ने कहा कि 'वो अब कभी नही बोल पाएंगे ।'

🚩उन्होंने आगे कहा कि 'मैं बहुत निराश था । तभी बेंगलुरु के थेरेपिस्ट डॉ. टीवी साईंराम के बारे में पता चला ।' वहाँ गए एवं शुरू हुई महामृत्युंजय मंत्र थेरेपी । इस थेरेपी ने राजीव के जीवन को एक नया मोड़ दिया और वो बोल पड़े ।

🚩दरअसल संस्कृत के मंत्रों का जब हम उच्चारण करते हैं तो हमारी जीभ चारों ओर घूमती है एवं जीभ की सभी मांसपेशियों की कसरत हो जाती है । महामृत्युंजय मंत्र की तरह गायत्री मंत्र का भी प्रयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है ।

● मंत्र जाप का प्रभाव सूक्ष्म और गहरा 

🚩जब लक्ष्मणजी ने मंत्र जप कर माता सीताजी की कुटीर के चारों तरफ भूमि पर एक रेखा खींच दी तो लंकाधिपति रावण तक उस लक्ष्मण रेखा को न लाँघ सका। हालाँकि रावण मायावी विद्याओं का जानकार था, किंतु ज्योंहि वह रेखा को लाँघने की इच्छा करता त्योंहि उसके सारे शरीर में जलन होने लगती थी।

🚩मंत्रजप से पुराने संस्कार हटते जाते हैं, जापक में सौम्यता आती जाती है और उसका आत्मिक बल बढ़ता जाता है।

🚩मंत्रजप से चित्त पावन होने लगता है, रक्त के कण पवित्र होने लगते हैं, दुःख, चिंता, भय, शोक, रोग आदि निवृत्त होने लगते हैं, सुख-समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलने लगती है।

जैसे, ध्वनि-तरंगें दूर-दूर जाती हैं, ऐसे ही मंत्र-जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहरी उतर जाती हैं, पिछले कई जन्मों के पाप मिटा देती हैं। 
इससे हमारे अंदर शक्ति-सामर्थ्य प्रकट होने लगता है और बुद्धि का विकास होने लगता है। अधिक मंत्र जप से दूरदर्शन, दूरश्रवण आदि सिद्धयाँ आने लगती हैं।

● इस्लाम-ईसाई धर्म में भी मुक्ति का मार्ग नहीं है - एंड्रेयु ब्रिजेन 

🚩एंड्रेयु ब्रिजेन जोकि इंग्लैंड के पश्चिमी लेस्टर के सांसद हैं उनका कहना है कि सनातन धर्म में जिस मुक्ति की बात की गई है वह इस्लाम और ईसाई धर्म में भी नहीं है।  भगवान शिव एवं माँ दुर्गा के मंत्रों में सचमुच अकल्पनीय शक्ति है । 

🚩सनातन धर्म के बीज मंत्रों से वे रोग और कष्ट भी पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं जिनका पूरी दुनिया के धर्मों और मेडिकल साइंस में भी कोई समाधान नहीं है ।

🚩तो इस तरह से देखा आपने कि सनातन हिंदू धर्म के मंत्रों में कितनी शक्ति है और ये बात तो अब विदेशी भी समझने लगे हैं, भारतीय कब तक अंजान बने रहेंगे ?

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