Thursday, November 26, 2020

वामपंथी बोल रहे हैं लव जिहाद नहीं है, जानिए लव जिहाद की भयंकर घटनाएं

26 नवंबर 2020


‘लव जिहाद’ के नाम पर आज कल वामपंथी गिरोह ने एक नया एजेंडा चलाना शुरू किया है। अपने इस एजेंडे के तहत ये लोग इस बात को साबित करना चाहते हैं कि समाज में ऐसी कोई अवधारणा मौजूद ही नहीं है जो लव जिहाद की प्रमाणिकता को सिद्ध करे। ये मात्र सियासी फितूर है जिसे दक्षिणपंथियों ने फैलाया है और अब उनका (सेकुलर) समाज इससे प्रभावित हो रहा है।




इन लोगों का दावा है कि हिंदू इस लव जिहाद को इसलिए इतना गंभीर बता रहे हैं क्योंकि वह अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह के विरुद्ध हैं। अब अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह की परिभाषा बहुत व्यापक है इसलिए इसे केवल हिंदू-मुस्लिम तक सीमित कर देना कितना गलत है, ये बताने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।

हम बात करेंगे केवल मीडिया में प्रचलित लव जिहाद शब्द की परिभाषा पर जिसमें वास्तविकता में लव का नामों निशान तक नहीं होता। मौजूद होता है यदि कुछ, तो वो एक पैटर्न होता है, जिसे देखने समझने परखने के बाद ही उसे लव जिहाद का केस कहा जाता है। इस पैटर्न में मुस्लिम युवक पहले अपना नाम छिपाकर हिंदू लड़कियों से प्रेम का ढोंग करते हैं और फिर उन्हें अपने जाल में फँसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैं। बाद में कभी खुद उसका रेप करते हैं तो कभी अपने ही रिश्तेदार से उसका गैंगरेप भी करवाते हैं। जरूरत न होने पर उसे मारने से भी गुरेज नहीं करते।

25 अगस्त को लव जिहाद का एक मामला यूपी के लखीमपुर से सामने आया था। इस केस में मोहम्मद दिलशाद ने एक दलित लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसाया और अपने मंसूबे नाकाम होता देख उससे बलात्कार करके बेहरमी से मार डाला। दरअसल, दिलशाद को गुस्सा इस बात का था कि उसने जिस लड़की के साथ प्रेम जाल रचा, उसके घरवालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी थी। पर दिलशाद चाहता था कि लड़की धर्म परिवर्तन करके उससे निकाह करे।

23 जुलाई को मेरठ के ही परतारपुर में लव जिहाद का वीभत्स चेहरा सामने आया था। प्रिया नाम की महिला को पहले शमशाद ने कुछ साल पहले अमित गुर्जर बनकर फँसाया और फिर हकीकत खुलने पर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहने लगा। हालाँकि, प्रिया खुद को और अपनी बेटी को इन चीजों से बचाती रही। मगर, लॉकडाउन का फायदा उठाकर शमशाद ने दोनों को जान से खत्म कर दिया और घर में गड्डा खोद कर दफना दिया। इस केस का खुलासा प्रिया की सहेली चंचल के कारण पूरे 4 महीने बाद हुआ था।

अपने लेख में आगे हम ऐसे वीभत्स मामलों पर चर्चा जरूर करेंगे क्योंकि द प्रिंट में प्रकाशित हुए जैनब सिकंदर के लेख ने हिंदुओं पर आरोप लगाया है कि लव जिहाद के भूत के ईर्द गिर्द अपनी सोच को रखकर दक्षिणपंथी ‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण की परिकल्पना कर रहे हैं। इस लेख का शीर्षक है, “राम मंदिर नहीं, ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून है हिंदू राष्ट्र का असली आधार।”

द प्रिंट पर प्रकाशित जैनब सिकंदर के लेख के शीर्षक से स्पष्ट है कि उनकी दिक्कत राम मंदिर से तो है ही लेकिन अब उसका कुछ किया नहीं जा सकता इसलिए हिंदू राष्ट्र के नाम से सेकुलरों को डराने के लिए वह लव जिहाद कानून का उपयोग कर रही हैं। वह इस कानून को हिंदू राष्ट्र का आधार बता रही हैं जबकि हकीकत यह है कि लव जिहाद कानून हिंदू राष्ट्र का आधार नहीं, बल्कि हिंदुओं को बचाने का प्रयास है। यहाँ राजनीति और धर्म आपस में गड्डमड्ड नहीं हो जाएँगे यहाँ कानून बन जाने से न केवल इस्लामी कट्टरपंथ से अन्य धर्मों की रक्षा होगी बल्कि उन लड़कियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी, जिनका धर्मपरिवर्तन करवाने के बाद उन्हें मारकर फेंक दिया जाता है या समाज में ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया जाता है।

लव जिहाद कोई काल्पनिक राक्षस नहीं है। ये वीभत्स हकीकत है। मेरठ में हुआ प्रिया का केस शायद जैनब ने पढ़ा ही नहीं या निकिता के साथ जो तौसीफ ने किया उससे वो आजतक अंजान हैं। राक्षस हैं ये जिन्हें इंसान बनाने के लिए लव जिहाद कानून के रूप में केवल एक रूपरेखा तैयार हो रही है। मुझे यकीन है कि कानून आने के बाद भी हम इससे जल्दी निजात नहीं पाएँगे। आखिर तीन तलाक के बाद कौन सा इन ‘प्रेमियों’ ने बीवियों को तलाक-तलाक-तलाक कहना छोड़ दिया है।

लेखिका चाहती हैं कि लव जिहाद की सच्चाई को स्वीकृति न मिले, तो क्या उनको चाहिए कि हिंदू लड़कियाँ उस बर्बरता की शिकार होती रहें जिसकी नींव धर्म परिवर्तन के साथ रख दी जाती है। जैनब के लेख में लिखा है;
“मोदी के भारत में एक नई फतह का परचम लहराया जा रहा है, यह हिंदू महिलाओं पर मुस्लिम मर्दों की फतह का परचम है; तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नज़रों से यह कैसे बच सकता है।“

आप खुद के लिए कि महिला पत्रकार के लिए ऐसे विवाह खुद जंग का विषय हैं, जिसमें उन्हें मुस्लिम पुरुषों की फतह चाहिए। अब जिनके मन में वाकई ‘जिहाद’ चलता होगा वो इसके लिए क्या नहीं कर गुजरते होंगे ये कल्पना से परे है।

उक्त वाक्य का मतलब क्या निकाला जाए, इसका निर्णय भी पाठक अपने विवेक पर करें। क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि मुस्लिम मर्दों की हकीकत योगी सरकार से नहीं बच पाई या फिर ये निकालें कि अंतरधार्मिक विवाह का अर्थ लेखिका के लिए फतह का विषय तभी तक है जब तक हिंदू लड़की मुस्लिम परिवार को भागकर स्वीकार ले? क्या मुस्लिम महिलाओं का हिंदू युवकों से शादी करना अंतर-धार्मिक विवाह में नहीं आएगा।

तमाम केस हैं जब मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू लड़कों से शादी की और बकायदा अपने मजहब के साथ अपनी पहचान बनाए रखते हुए जीवन व्यतीत किया। दूसरी ओर ऐसे सैंकड़ों मामले हैं जब हिंदू लड़की कई सपने लेकर मुस्लिम युवक के साथ जिंदगी शुरू करना चाहा लेकिन शुरुआत हुई कहाँ से? धर्म परिवर्तन से।

राम मंदिर के प्रति कुंठा का अर्थ यह नहीं कि अपनी नफरत की उल्टी कहीं भी कर दी जाए। राम मंदिर धर्म आस्था का विषय है। उसे भी हिंदुओं ने लंबे संघर्ष के बाद न्यायालय के जरिए पाया है। इसलिए सैंकड़ों वर्षों पहले जो हिंदुओं के 40 हजार मंदिर पर आक्रमण करके उन्हें मिटा दिया गया, उसका दुख अब भी इनके ‘राम मंदिर’ के दुख से ज्यादा ही है। एक मंदिर की नींव इनसे देखी नहीं जा रही जाहिर है ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ कानून कैसे पच पाएगा।

वामपंथी गिरोह का लव जिहाद को भूत बताने का पैटर्न बिल्कुल एक साथ सामने आया है। उधर रवीश कुमार के प्राइम टाइम की भाषा सुनाई पड़ी और दूसरी वामपंथियों पोर्टल पे प्रकाशित होते ऐसे लेख पढ़ने को मिले…ऐसा लग रहा है मानो एजेंडा का रिबन काटने से पहले एक मीटिंग में बकायादा ऐसे शब्दों के साथ किसी टीचर ने इन्हें बिंदू समझाए हों और फिर सभी लगे हुए हैं एक ही सवाल करने में।

जैनब सिकंदर को दुख यह है कि हरियाणा और मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने भी यूपी की योगी सरकार की तरह लव जिहाद पर कानून बनाने का निर्णय ले लिया है। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के ये तीन राज्य बड़ी बेशर्मी से धार्मिक कानून बनाने की घोषणा कर रहे हैं। हमारा पूछना है कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में निकाह से पहले धर्म परिवर्तन करवाया ही क्यों जा रहा है? पहचान छिपाकर प्रेम का ढोंग हो ही क्यों रहा है?

मेरठ मे 16 सितंबर को कंकरखेड़ा से एक अब्दुल्ला नाम का युवक गिरफ्तार हुआ। उस पर आरोप था कि वह अमन बनकर लड़कियों को फँसाता और फिर उनका अपहरण करके उनके साथ दुष्कर्म करता। उसने हाल में 3 सितंबर को एक युवती का अपहरण किया था। जिसकी बरामदगी 13 दिन बाद हुई। 42 वर्षीय अब्दुल्ला 4 बच्चों का अब्बा था।

बताइए, अब्दुल्ला को क्या जरूरत थी ये सब करने की। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से पीड़ित बताया जाएगा। इस जैसों के लिए भी सरकार न बनाए कानून तो क्या करे? केरल में यदि पादरी तक लव जिहाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं तो सोचिए ये दक्षिणपंथियों के फितूर की उपज नहीं है। इसे समाज का हर तबका कोढ़ मान रहा है।

जैनब पूछती हैं कि अगर ऐसा ही होना है तो सऊदी अरब में वहाबिया पुलिस आतंक में क्या फर्क है? आप खुद सोचिए पाठक को बरगलाना ऐसी बातों को करना नहीं कहते तो किसे कहते हैं, क्या सरकार किसी प्रकार के कपड़ों को पहनने में प्रतिबंध लगा रही है? किसी को प्रेम विवाह करने से रोक रही है? नहीं, सरकार का कदम सिर्फ कट्टरपंथ के ख़िलाफ है। आपके मौलिक अधिकार छीनने के लिए कोई राज्य सरकार आतुर नहीं है।

धर्म या मजहब के नाम पर कोई फरमान नहीं सुनाया जा रहा बल्कि मजहब के नाम पर हो रहे अपराध से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है। आपके ऊपर है कि आप इसे कैसे लेंगी। भाजपा और आरएसएस के प्रति नफरत ने आपकी सोच को गर्त में लाकर छोड़ दिया है।

आप इसे फेमिनिस्टों का मुद्दा बनाने के लिए इसे पितृसत्ता से जोड़ रही है और यह हिंदू महिलाओं की समझ पर सवाल उठाकर उसे अस्मिता का सवाल बना रही हैं कि वो खुद का बुरा भला सोचने में अक्षम हैं।

विचार करिए! ब्रेन वॉश शब्द के मायने क्या होते हैं। कुछ दिन कानपुर के गोविंदनगर इलाके में एक आसिफ शाह नाम के युवक ने पहले एक हिंदू युवती को अपने जाल में फँसाया फिर उसका ब्रेनवॉश करके जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवाया। बाद में लड़की खराब और मानसिक रूप से अस्थिर हालत में पाई गई। परिजनों की शिकायत पर इस मामले को धारा 366 के तहत दर्ज किया गया है। कौन लड़की आतंकी बनना चाहती है और यदि किसी लड़के से प्रेम करने के बाद वह आईएसआईएस से जुड़ रही है तो इतने के बाद भी उसमें लड़के की गलती न समझी जाए। हर चीज पर पितृसत्ता का तेल लगाने से आपका एजेंडा तेजी से नहीं फैलेगा।

लड़का कम उम्र का हो तब भी माता-पिता उसका ध्यान उतनी सख्ती से देते हैं जितनी सख्ती से एक लड़की के लिए रोक-टोक करते हैं। हर चीज में पितृसत्ता घुसा देने से इसकी गंभीरता वाकई मरती जा रही हैं। महिलाओं के लिए फेमिनिज्म का मतलब पुरुष विरोधी होना हो गया या अधिकार के नाम पर केवल मनमानियां मनवाना। इसके अलावा ये भी समझने की जरूरत है कि पितृसत्तात्मक समाज के दोषी केवल हिंदू पुरुष नहीं है। इसे परिभाषित करना है तो आप किसी भी धर्म मजहब में इसके अनेको उदाहरण देख सकते हैं लेकिन लव जिहाद की अवधारणा इससे बहुत अलग है। इसलिए इन दोनों को जोड़ना बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले दिनों बिहार के बेगूसराय एक हिंदू ब्राह्मण ने अपनी मर्जी ने मुस्लिम युवक आफताब से कोर्ट मैरेज की। लड़की के घर तक ने लड़के को स्वीकार, लेकिन शादी के 16 साल बाद युवक ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया और महिला पर आए दिन हमले करने लगा, उसके परिवार वाले उसे गलत शब्द बोलने लगे।

ये उदाहरण इस बात का सबूत हैं कि बिहार जैसे इलाकों में भी हिंदू धर्म में लड़कियाँ ही नहीं उनके परिवार भी हर धर्म मजहब को लेकर लिबरल हो रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरा समुदाय घूम फिराकर पिछड़ी सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहा और हास्यास्पद यह है कि जैनब जैसे पढ़े लिखे लोग इसे ‘प्रेम’ का देकर इसपर स्पष्टीकरण दे रहे हैं।

उन मौलवियों की बातें शायद जैनब ने नहीं सुनी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये कहते हैं कि भारत में हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करवाना बेहद आसान काम है या उन बच्चों की वायरल वीडियो सोशल मीडिया पर कभी नहीं देखी कि जो ये बताते हैं कि उन्हें मदरसों में हिंदू लड़कियों के लिए क्या सिखाया जाता है।

जैनब का लेख में कहना है कि साल 2009 में निराधार ही एबीवीपी ने ऐसा झूठ फैलाया कि लव जिहाद के तहत 4000 लड़कियों का धर्मांतरण हुआ लेकिन वह ये नहीं बताती कि इस पर्चे में और क्या लिखा था और इसका संदर्भ क्या था। उनके लिए यही तर्क का आधार है कि वो कानपुर में जिन लव जिहाद के मामलों जाँच हो रही थी उनमें से आधे ऐसे निकल आए हैं जो रजामंदी से हुए। उनका इससे सरोकार नहीं है पिछले दिनों में मुस्लिम युवकों ने पहले पहचान छिपाकर, फिर धर्म बदलवाकर, बाद में निकाह करके कैसे हिंदू महिलाओं के साथ बर्बरता की या फिर उन्हें मौत के घाट उतारा।

लव जिहाद की जगह ऑपइंडिया करेगा ग्रूमिंग जिहाद इस्तेमाल

यहाँ गौरतलब हो कि ऑपइंडिया ने अपने इस लेख में लव जिहाद शब्द का प्रयोग सिर्फ इसलिए किया है क्योंकि द प्रिंट ने इसका इस्तेमाल करके अपना आर्टिकल लिखा। वरना ऑपइंडिया की ओर से स्टैंड लिया गया है कि हम अपनी रिपोर्ट में ‘लव जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल से दूरी बनाएँगे। इस प्रकार जिहाद में कोई ‘लव’ नहीं है और अगर इस शब्द को इसके जटिल वाक्य-विन्यास के साथ स्वीकार करते हैं, तो यह जिहाद की गंभीरता को दिखाने में विफल रहता है, जो कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा विशेष रूप से गैर-मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाता है। हमारा मानना है कि इसके लिए ‘ग्रूमिंग जिहाद’ शब्द कहीं अधिक उपयुक्त है क्योंकि यह उन सभी अपराधों की श्रेणी में आता है, जो महिलाओं को इस जिहाद के केंद्र में रखते हैं। https://twitter.com/OpIndia_in/status/1331432420621516802?s=19

गैर-मुस्लिम महिलाओं को मुस्लिम पुरुषों के हाथों अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए तैयार किया जा रहा है। उनका अपहरण कर लिया जाता है, उनका बलात्कार किया जाता है, लालच दिया जाता है, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है, दंडित किया जाता है और उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। मानवता के खिलाफ इन अपराधों में कोई ‘प्यार’ नहीं है। इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है कि यह जिहाद का ही एक रूप है। अब यह कहने का समय आ गया है कि यह ग्रूमिंग जिहाद है। यह ग्रूमिंग शब्द हमने यूनाइटेड किंगडम की ग्रूमिंग गैंग से जोड़ते हुए लिया है। जो एक मुस्लिम पुरुषों का गिरोह होता है और वह वहाँ लड़कियों व महिलाओं का शिकार करते हैं।

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Wednesday, November 25, 2020

पादरी करता रहा दो बच्चियों का रेप, मीडिया में सन्नाटा, पुलिस भी शांत है...

25 नवंबर 2020


वर्तमान में देश में एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। जो साधु-संत देश, समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं उनको बदनाम किया जाता है, झूठे केस में जेल भेजा जाता है और मीडिया द्वारा तथा आश्रम जैसी फिल्में बनाकर उनको बदनाम किया जाता है। वहीं दूसरी ओर जो मौलवी व ईसाई पादरी मासूम बच्चे-बच्चियों के साथ रेप करते हैं उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं फिर भी मीडिया, प्रकाश झा जैसे बिकाऊ निर्देशक इसको देखकर आँखों पर पट्टी बांध लेते हैं क्योंकि इनको पवित्र हिन्दू साधु-संतो को बदनाम करने के पैसे मिलते है और हिंदू सहिष्णु हैं तो इन षडयंत्र को सहन कर लेते हैं।




आपको बता दें कि महाराष्ट्र के संभाजीनगर में ईसाई पादरी अमित शंकर पिछले 2 सालों से एक लड़की के साथ बलात्कार कर रहा था इतना ही नहीं उसकी हवस नहीं बुझी तो उस लकड़ी की नाबालिग छोटी बहन को भी बना लिया हवस का शिकार।

दोनो बहनों ने संबंधित पुलिस स्टेशन उस्मानपुरा में 3 महीने पहले पोक्सो एक्ट के तहत बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाया है। लेकिन पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है और न ही कोई मीडिया दिखा रहा है केवल सुदर्शन न्यूज़ के अलावा। पीड़िता अपना दर्द बता रही है चक्कर लगा रही है लेकिन पादरी की गिरफ्तारी नहीं हो रही है।

अगर किसी साधु-संत पर साजिश के तहत झूठा मुकदमा दर्ज किया गया होता तो मीडिया 24 घण्टे खबरे दिखाती, अनेक डिबेट करती झूठी कहानियां बनाती और पुलिस आधी रात को गिरफ्तार कर लेती यही एक दो घटना नही अनेकों साधु-संतों के साथ हुआ हैं और चल रहा हैं।

आपको बता दें कि पादरियों के कुकर्म को छिपाना और हिंदू साधु-संतों को झूठे बदनाम करने के पीछे का कारण यह है कि करोडों लोग साधु-संतों के प्रति श्रद्धा रखते हैं और उनके आश्रम में जाते हैं और वहाँ उनको भारतीय संस्कृति के अनुसार जीने का सही तरीका मिलता है फिर वे अपने धर्म के प्रति आस्थावान हो जाते हैं जिसके कारण वे ईसाई मिशनरियों के चुंगल में नहीं आते हैं औऱ वें विदेशी प्रोडक्ट भी नहीं खरीदते जिसके कारण ईसाई मिशनरियों का जो लक्ष्य है भारत में धर्मांतरण करके अपनी वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना और जो विदेशी कंपनियों के सामान नहीं बिकने पर उनको अरबो-खरबों रूपये का घाटा होना। इसके कारण ये लोग अनेक प्रकार के षड्यंत्र रचकर हिंदुओं की आश्रम व साधु-संतों के प्रति आस्था को नष्ट करने के लिए साज़िशें रच रहे हैं और प्रकाश झा जैसे जयचंद गद्दारी करके अपने ही धर्म के खिलाफ फिल्में बनाते हैं और मीडिया भी उनके पैसे मिलने पर साधु-संतों को बदनाम करते हैं।

यहाँ आपको ईसाई पादरियों के दुष्कर्मों की लिस्ट दे रहे है इससे आप अनुमान लगा सकते है कि ये लोग समाज को कैसे बर्बाद कर रहे है।

★2017 में केरल के वायनाड में चिल्ड्रन होम चलाने वाला फादर साजी जोसफ दर्जनों नाबालिग लड़कों का बलात्कार करने के अपराध में पकड़ा गया था।

★जुलाई 2018 में फादर जॉनसन मैथ्यू एक विवाहित महिला का रेप करने में अपराध में पकड़ा गया था।

★फरवरी 2018 मेंगलुरु में 3 ईसाई पादरी एक किशोरी का सामूहिक बलात्कार करने के अपराध में पकड़े गए थे।

★ 2018 आंध्रा में एक 45 वर्षीय क्रिश्चन पादरी 11 वर्षीय बच्ची का रेप करने के अपराध में पकड़ा गया था।

★असम में 60 वर्षीय चन्द्र कुमार नामक ईसाई पास्चर 10 वर्षीय बालिका का बलात्कार करने के आरोप में पकड़ा गया था।

★मध्यप्रदेश के झबुआ में 33 वर्षीय ईसाई प्रीस्ट फादर प्रकाश डामोर 17 वर्षीय बालिका का बलात्कार करने और उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के अपराध में पकड़ा गया था।

★ 30 वर्षीय चर्च के एक पादरी और चर्च के 9 अन्य कर्मचारियों को 2014 के तित्ताकुड़ी में 2 नाबालिग लड़कियों के रेप केस में आजीवन कारावास की सजा हुई है।

★ केरल के एर्नाकुलम जिले में पुलिस ने सिरो मालाबार चर्च के फादर जॉर्ज पडायततिल को चर्च में तीन 9 वर्षीय बच्चियों का बलात्कार करने के अपराध में गिरफ्तार किया था।

★एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से हजारों बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया ।

★जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया ।

ईसाई पादरियों के दुष्कर्म की यह तो मात्र कुछ घटनाएं हैं, पूरी लिस्ट बनाएंगे तो एक बड़ी पुस्तक भी छोटी पड़ेगी।

कई ईसाई पादरी हैं जिन्होंने कई छोटे बच्चों के साथ और कई नन के साथ रेप किया है पर मीडिया इस पर मौन रहती है। दूसरी तरफ न्यायालय भी उनको तुरंत राहत दे देती है। बिशप फ्रैंको को 21 दिन में ही जमानत हासिल हो गई थी जबकि 85 वर्षीय हिंदू संत आसाराम बापू के खिलाफ 5 साल तक न्यायालय में सुनवाई होती रही पर 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई, हर बार खारिज कर दिया गया ।

हिंदू धर्मगुरुओं पर हो रहे षड्यंत्र को समझना होगा और सावधान रहना होगा।

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Tuesday, November 24, 2020

भीष्मपंचक व्रत करने से मिलेंगे अनेक फायदे, जानिए कैसे करें ?

24 नवम्बर 2020


भीष्म पंचक का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है। पुराणों तथा हिन्दू धर्म ग्रंथों में कार्तिक माह में 'भीष्म पंचक' व्रत का विशेष महत्व कहा गया है। इस साल यह व्रत 25 नवम्बर से 29 नवम्बर तक है।




 सदाचारी एवं संयमी व्यक्ति ही जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है । सुखी-सम्मानित रहना हो, तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है और उत्तम स्वास्थ्य व लम्बी आयु चाहिए, तब भी ब्रह्मचर्य की जरूरत है ।

 माँ गंगा के पुत्र भीष्म पितामह पूर्व जन्म में वसु थे । अपने पिता की इच्छा पूर्ति के लिए आजन्म अखण्ड ब्रह्मचर्य के पालन का दृढ संकल्प करने के कारण पिता की तरफ से उनको इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था।

 कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत ‘भीष्मपंचक व्रत कहलाता है । जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है । यह महापुण्यमय व्रत महापातकों का नाश करने वाला है । निःसंतान व्यक्ति पत्नी सहित इस प्रकार का व्रत करे तो उसे संतान की प्राप्ति होती है ।

 भीष्मपंचक व्रत कथा:

कार्तिक एकादशी के दिन बाणों की शय्या पर पड़े हुए भीष्मजी ने जल की याचना की थी । तब अर्जुन ने संकल्प कर भूमि पर बाण मारा तो गंगाजी की धार निकली और भीष्मजी के मुँह में आयी । उनकी प्यास मिटी और तन-मन-प्राण संतुष्ट हुए । इसलिए इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण ने पर्व के रूप में घोषित करते हुए कहा कि ‘आज से लेकर पूर्णिमा तक जो अर्घ्यदान से भीष्मजी को तृप्त करेगा और इस भीष्मपंचक व्रत का पालन करेगा, उस पर मेरी सहज प्रसन्नता होगी ।

 इसी संदर्भ में एक और कथा है...

महाभारत का युद्ध समाप्त होने पर जिस समय भीष्म पितामह सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा में शरशैया पर शयन कर रहे थे। तब भगवान कृष्ण पाँचों पांडवों को साथ लेकर उनके पास गये थे। ठीक अवसर मानकर युधिष्ठर ने भीष्म पितामह से उपदेश देने का आग्रह किया। भीष्म जी ने पाँच दिनों तक राज धर्म ,वर्णधर्म मोक्षधर्म आदि पर उपदेश दिया था । उनका उपदेश सुनकर श्रीकृष्ण सन्तुष्ट हुए और बोले, ”पितामह! आपने शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक पाँच दिनों में जो धर्ममय उपदेश दिया है उससे मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है। मैं इसकी स्मृति में आपके नाम पर भीष्म पंचक व्रत स्थापित करता हूँ । जो लोग इसे करेंगे वे जीवन भर विविध सुख भोगकर अन्त में मोक्ष प्राप्त करेंगे।

भीष्म पंचक व्रत में क्या करना चाहिए ? 

इन पाँच दिनों में अन्न का त्याग करें । कंदमूल, फल, दूध अथवा हविष्य (विहित सात्त्विक आहार जो यज्ञ के दिनों में किया जाता है) लें ।

 इन पाँच दिनों में निम्न मंत्र से भीष्मजी के लिए तर्पण करना चाहिए :
सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने । भीष्मायैतद् ददाम्यघ्र्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ।।

‘आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले परम पवित्र, सत्य-व्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देता हूँ ।
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक माहात्म्य)

अर्घ्य के जल में थोडा-सा कुमकुम, केवड़ा, पुष्प और पंचामृत (गाय का दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) मिला हो तो अच्छा है, नहीं तो जैसे भी दे सकें । ‘मेरा ब्रह्मचर्य दृढ रहे, संयम दृढ़ रहे, मैं कामविकार से बचूँ... - ऐसी प्रार्थना अवश्य करें जिससे वीर्यवान व्यक्ति बनेगा।

इन दिनों में पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोझरण व गोबर-रस का मिश्रण) का सेवन लाभदायी है ।

गौमूत्र का पान करें तथा पानी में थोड़ा-सा गोझरण डालकर स्नान करें तो वह रोग-दोषनाशक तथा पापनाशक माना जाता है ।

इन दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ।

जो नीचे लिखे मंत्र से भीष्मजी के लिए अर्घ्यदान करता है, वह मोक्ष का भागी होता है :
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृतप्रवराय च । अपुत्राय ददाम्येतदुदकं भीष्मवर्मणे ।।
वसूनामवताराय शन्तनोरात्मजाय च । अघ्र्यं ददामि भीष्माय आजन्मब्रह्मचारिणे ।।

‘जिनका व्याघ्रपद गोत्र और सांकृत प्रवर है, उन पुत्ररहित भीष्मवर्मा को मैं यह जल देता हूँ । वसुओं के अवतार, शान्तनु के पुत्र, आजन्म ब्रह्मचारी भीष्म को मैं अर्घ्य देता हूँ ।

 इस व्रत का प्रथम दिन देवउठी एकादशी है l इस दिन भगवान नारायण जागते हैं l इस कारण इस दिन निम्न मंत्र का उच्चारण करके भगवान को जगाना चाहिए :
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द उत्तिष्ठ गरुडध्वज l
उत्तिष्ठ कमलाकान्त त्रैलोक्यमन्गलं कुरु ll

'हे गोविन्द ! उठिए, उठिए , हे गरुड़ध्वज ! उठिए, हे कमलाकांत ! #निद्रा का त्याग कर तीनों लोकों का मंगल कीजिये l'
(ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2007)

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Monday, November 23, 2020

Netflix की वेब सीरीज बन चुकी है हिंदू विरोधी, दर्ज हुई FIR

23 नवंबर 2020


 इस दौर में ओटीटी प्लेटफॉर्म की कंपनियों की नीति केवल इतनी ही रह गई है कि उनका बिजनेस ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन इसकी आलोचना करता है या कौन सराहना या फिर किसे इससे चोट पहुँचती है।




 विदेशी ओटीटी प्लेटफॉर्म Netflix का हाल भी कुछ ऐसा ही है, जिसमें आए दिन ऐसा कंटेंट दिखाया जाता है जो कि हिंदुओं की भावनाओं को आहत करता है, लेकिन फिर भी इस प्लेटफॉर्म के यूजर भारत में बढ़ रहे हैं। आलोचनाओं के सहारे ही सही, लेकिन इसकी पहुँच लोगों तक बढ़ रही है, जो कि लोगों के लिए भी एक रेड अलर्ट है कि अब इसे बहिष्कृत करने का सही समय आ चुका है।

 Netflix के खिलाफ हिंदू भावनाओं को आहत करने की मुहिम छिड़ गई है। Netflix की वेब-सीरीज ‘A Suitable Boy’ को लेकर लोगों का गुस्सा भड़क पड़ा है। इसके एक दृश्य में लड़का और लड़की मंदिर में बेहद ही अश्लील हरकतें करते दिख रहे हैं। जबकि बैकग्राउंड में भगवान की पूजा अर्चना और भजन किए जा रहे हैं।

इस दृश्य से हिंदू समुदाय के लोगों की भावनाएँ आहत हुई हैं। लोग इसे तुरंत Netflix से हटाने के साथ ही कंपनी से इसके लिए माफी माँगने की बात करने लगे हैं। लोगों की इस मुहिम का असर ये हुआ है कि अब तक #BoyCottNetflix हैशटैग के तहत करीब 64 हजार ट्वीट किए जा चुके हैं।

 इसको लेकर बीजेपी के युवा मोर्चा के मंत्री गौरव शर्मा ने मध्य प्रदेश पुलिस से शिकायत की है और केस दर्ज कराया है। यही नहीं ट्विटर पर लोगों ने सरकार से Netflix समेत सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म को सरकारी नियमों के अंतर्गत लाने की माँग की है। जिससे इनके गलत कार्यक्रमों पर नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जा सके, ताकि इन्हें सबक मिल सके, और ये सभी ओटीटी प्लेटफॉर्म अपने कार्यक्रमों में लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने से बचें।

 इस मामले में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री भी काफी सख्ती से पेश आए हैं। उन्होंने इसको लेकर वीडियो संदेश के माध्यम से कहा है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म Netflix में हिंदू मंदिर के अंदर इस प्रकार की अश्लील हरकतें आपत्तिजनक हैं और इसके खिलाफ अधिकारियों को कार्रवाई करने के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा है कि Netflix को इस तरह से हिंदू भावनाओं को आहत करने से बचना चाहिए।

 Netflix की वेब सीरीज का ये दृश्य विक्रम सेठ की किताब A Suitable Boy के दूसरे एपिसोड का है, जो कि मध्य प्रदेश के ही महेश्वर घाट स्थित शिव मंदिर का है। इसको लेकर बीजेपी नेता गौरव ने कहा है कि इसके खिलाफ जनता सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन करेगी।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि Netflix ने कोई आपत्तिजनक कंटेंट प्रसारित किया हो। ये ओटीटी प्लेटफॉर्म आए दिन इसी तरह की वेब सीरीज प्रसारित करता रहता है जो कि हिंदू समुदाय और उसकी संस्कृति को नीचा दिखाती है।

 Netflix पर सभी ने अनुराग कश्यप की सेक्रेड गेम्स देखी है, जो कि वामपंथी एजेंडा चलाती है। इस सीरीज में जिस तरह से अहम ब्रह्मास्मि का प्रयोग करके अपराध के दृश्य दिखाए गए, उससे हिन्दू समुदाय को धक्का लगा है। इसके अलावा एक सीरीज घोउल (Ghoul) भी है जो भारत के हिंदुओं को इस्लाम विरोधी प्रदर्शित करती है। Netflix ने ऐसी अनेक फिल्में प्रसारित की हैं, जिसमें किसी न किसी दृश्य में हिंदुओं या उनकी संस्कृति के प्रति नफरत भरी हो।

 हिंदू विरोध के बावजूद लोग अभी भी इसे पसंद करते हैं। कुछ लोग ऐसे हैं, जो केवल इसके कंटेंट की आलोचना करने के लिए ही इसे देखते हैं। ऐसे कंटेंट को देखने के बाद वे Netflix की ट्विटर से लेकर सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फजीहत करते हैं। वहीं ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें हिन्दू विरोधी कंटेंट देखने में मजा आता है। इसलिए अब सरकार को ऐसे प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही कुछ नियम भी तय करने चाहिए, जिससे हिंदुओं को इस तरह से अपमानित करने वाले कंटेंट पर लगाम लग सके।

 इससे पहले नेटफ्लिक्स की वेब सीरिज सेक्रेड गेम्स-2 को लेकर खूब विवाद हुआ था। शिरोमणि अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने सेक्रेड गेम्स के डायरेक्टर अनुराग कश्यप के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। सेक्रेड गेम्स 2 में सिख पुलिस अधिकारी का किरदार निभाने वाले सैफ अली खान के एक सीन को लेकर अकाली दल के नेता ने अनुराग कश्यप पर सिख धर्म के अपमान करने का आरोप लगाया था।

 बता दें कि पिछले कई सालों से इस्लामिक संगठनों द्वारा किए गए हमलों को सफेदजामा पहनाने की कोशिश की जा रही है और नेटफ्लिक्स इस प्रोपेगेंडा में सबसे आगे है। इन सभी हमलों को छिपाने के लिए इसने कई ऐसी सीरीज निकाली, जो हिन्दुओं की छवि को धूमिल करती है। लेकिन इनमें इतना साहस नहीं है कि वो इस्लामिक स्टेट, बोको हराम जैसे आतंकी संगठनों पर कोई वेब सीरीज बना कर दुनिया को दिखाए।

 आतंकवाद पर पर्दा डालने के लिए इन निर्माता कंपनियों ने हिन्दुओं को निशाने पर लिया है तथा हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। उनकी छवि को नकारात्मक तरीके से पेश किया जा रहा है ताकि लोगों में दिखावटी डर को बढ़ावा दे सके, जिसका वास्तविकता से कोई नाता ही नहीं है।

 नेटफ्लिक्स की प्रवृत्ति हमेशा से हिंदू विरोधी नैरेटिव को बढ़ावा देने की रही है। इसने ‘Ghoul’, ‘Sacred Games’ और ‘लैला’ के रूप में ऐसी कई वेब सीरिज बनाई है, जो हिंदू विरोधी भावनाओं को जन्म दे रही है और साथ ही इससे विश्व में हिंदू धर्म की नकारात्म छवि पेश की जा रही है। लैला वेब सीरीज में सनातन धर्म के अनुयायियों को सबसे हिंसक और दमनकारी मानसिकता वाले लोगों के तौर पर दिखाया गया है, जो सिर्फ लोगों को बाँटकर उन पर राज करना चाहते हैं।

 वेब सीरीज में आर्यावर्त समाज को भयंकर जातिवाद, कट्टरवाद और असहिष्णुता से ग्रसित दिखाया गया है। जहां मामूली अपराध करने पर भी कड़ी सजा दी जाती है। यहाँ आपके लिए यह जानना जरूरी है कि यह वेब सीरीज प्रयाग अकबर द्वारा इसी नाम से लिखित विवादित किताब पर आधारित है जिसमें लेखक ने सच्चाई और तथ्यों की जगह सिर्फ अपने एजेंडे का ही प्रचार किया है। अब समय आ गया है कि भारतीय जनता ऐसी वेब सीरीज बनाने वाली कंपनियों का बहिष्कार करे और ऐसे कंटेंट के खिलाफ आवाज उठाए जिससे विश्व में हिंदुओं की छवि धूमिल हो। - रचना कुमारी
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धरती पर सबसे ज्यादा श्रेष्ठ और कल्याणकारी क्या हैं

* मनमुख व्यक्ति का जीवन

* मन पर कुछ कीर्तन-भजन का अंकुश

* या संतों का सान्निध्य




     आज समाज का अध:पतन होते देखकर, नैतिकता का ह्रास और सिर्फ आधुनिकता की अंधी दौड़ बढ़ते देखकर जब मन बहुत व्यथित हो उठता है !
    तो *घनघोर अंधेरे* में आशा की सिर्फ एक नन्हीं सी किरण दिखाई देती है और वो है *हमारी आदर्श सनातन परमपराएं...* । _जो समाज को जीने की सही राह दिखती हैं..._ क्योंकि इसमेें त्याग , दया , क्षमा , शील , संयम , सदाचार , चरित्र बल और सबसे बढ़कर *परहित* की प्रधानता है।

     बचपन से ही हमने सुना है कि भगवान का नाम ही सभी भय स्थानों से हमारी रक्षा करने में सक्षम है । भगवन्नाम के स्मरण के सिवा जो कुछ भी हम देखते , सुनते या करते हैं , अंत समय में सब व्यर्थ हो जाता है। केवल भगवान का सुमिरन ही सार्थक होता है।

      उसमें भी सुमिरन कैसा है ? स्वार्थपरक है या नि:स्वार्थ भाव से केवल परमात्म प्रीति के लिए किया गया है ? इसका भी बहुत महत्व है।

     आधुनिकता की चकाचौंध में अंधे बने हुए लोग डिस्को में, फिल्में देखने में, होटलों और पार्टियों में नाचने गाने को ही ख़ुशी समझते हैं।
     अब तो *आधुनिक विज्ञान ने भी मान लिया है कि* इससे *हमारी* जीवनी शक्ति का अत्यंत ह्रास होता है और अनजाने में हम हमारे बच्चों में भी वैसे ही *कुसंस्कारों* का सिंचन कर देते हैं ! और इसी के परिणाम स्वरूप समाज का नैतिक पतन होता है जो हमें आए दिन देखने/सुनने को मिलता है । 

     इससे तो कीर्तन-भजन का आयोजन बहुत उत्तम है, जिसमें कुछ भगवद्चर्चा तो होती है । लेकिन *श्रेष्ठतम* बात ये है कि, कीर्तन तो वही का वही हो ,पर संतो के सान्निध्य में होता है तो वो सुसंस्कार के साथ-साथ मुक्ति दिलाने वाला भी बन जाता है ।

   आइए इसी विषय के कई पहलुओं पर चर्चा करते हैं

पहले हमें ये समझना चाहिए कि...

भजन या कीर्तन किसे कहेंगे ? और उसका वास्तविक स्वरूप क्या है ?

-:कीर्तन का स्वरूप और महत्त्व:-

 
     हम सबने सुना है कि भगवान तो भाव के भूखे हैं , इसलिए उनके भजन में ताल, स्वर और वाद्य भले ही उत्कृष्ट न हों , पर भाव और मांग की प्रधानता होती है । मतलब ये कि हम *भगवान से कुछ चाहते हैं ?* या फिर *भगवान को ही चाहते हैं ?

  
     उदाहरण के लिए एक भजन देखते है.... जिसकी कुछ पंक्तियाँ बड़ी हास्यास्पद लगती हैं। लेकिन शायद यही तो हम सब मांगते हैं ना भगवान से ?

"छोटा सा परिवार हमारा सदा बनाए रखना...
इस बगिया में फूल खिले जो सदा खिलाए रखना..."

तो क्या ये संभव है ?
और क्या ऐसी प्रार्थना या मांग करना व्यर्थ नहीं हुआ ?

     पर ऐसी समझ हमें, तभी मिल सकती है, जब हम स्वामी विवेकानंद जी, संत कबीरदासजी, संत श्रीरमण महर्षिजी,संत श्री आशारामजी बापू या स्वामी दयानंद सरस्वती जी जैसे किन्हीं साधु पुरुष, महापुरुष के पास बैठ कर उनके विचार, उनके अनुभव सुनते हैं उनके द्वारा बताई गई बातों को अपने जीवन में आत्मसात करने की कोशिश करते हैं ।

      बड़े भाग्यशाली होते हैं वो लोग जिन्हें ऐसे महापुरुषों का सान्निध्य मिलता है।

     आमतौर पर देखा जाए तो लोगों का मानना है , कि *बचपन* तो खेलने खाने के लिए और *जवानी* कुछ *हैसियत* बनाने के लिए दी है भगवान ने । ये *पूजा-पाठ* तो *बुजुर्गों* को ही शोभा देता है।

तो ज़रा सोचिए :-

"आएगा जब रे बुलावा हरि का,छोड़ के सबकुछ जाना पड़ेगा।"

      *फिर... अभी नहीं तो कभी नहीं !

"लड़कपन खेल में खोया, जवानी नींद भर सोया।
बुढ़ापा देखकर रोया, यही क़िस्सा पुराना है।।"

     ज़रा सोचिए कि शक्तिहीन बुढ़ापे में भक्ति करने का साहस हम कहां से लाएंगे। इसलिए आत्मज्ञानी महापुरुषों ने कहा है कि , ध्रुव , प्रहलाद और ऋषभदेव जैसी , अष्टावक्र मुनि जैसी लौ बचपन से ही बच्चों में जगाओ। तो वे बड़ी ज्योति का रूप ले कर समाज में भी उजाला बांटेंगे।
     इसलिए हमारे दृष्टिकोण से तो *ब्रह्मज्ञानी आत्मारामी संतों का संग व उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलना हमारे लिए सबसे श्रेष्ठतम और अनमोल साधन* है ।
   
     : रचना मनोज खेमका :
    : वाराणसी , उत्तर प्रदेश :

Sunday, November 22, 2020

देशवासियों व सरकार के नाम आसाराम बापू ने लिखा पत्र

22 नवम्बर 2020


जोधपुर जेल से हिंदु संत आशारामजी बापू ने देशवासियों व सरकार के नाम गाय माता की महत्ता बताकर एक पत्र भेजा हुआ है जिसको पढ़कर हर कोई सराहना कर रहा है । सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ है आप भी इसे पढ़िए।

पत्र में बापू आशारामजी ने लिखा था कि गौपालक और गौप्रेमी धन्य हो जायेंगे...

ध्यान दें...




गोझरण अर्क बनानेवाली संस्थाएँ एवं जो लोग गोमूत्र से फिनायल व खेतों के लिए जंतुनाशक दवाइयाँ बनाते हैं, वे 8 रुपये प्रति लीटर के मूल्य से गोमूत्र ले जाते हैं । गाय 24 घंटे में 7 लीटर मूत्र देती है तो 56 रुपये होते हैं । उसके मूत्र से ही उसका खर्चा आराम से चल सकता है । गाय के गोबर, दूध और उसकी उपस्थिति का फायदा देशवासियों को मिलेगा ही ।

 ऋषिकेश और देहरादून के बीच आम व लीची का बगीचा है। पहले वह 1लाख 30 हजार रुपये में जाता था, बिल्कुल पक्की व सच्ची बात है । उनको गायें रखने की सलाह दी गयी तो वे 15 गायें, जो दूध नही देती थी, लगभग निःशुल्क ले आये । उस बगीचे का ठेका दूसरे साल 2 लाख 40 हजार रुपये में गया । अब उन्होंने बताया कि गायें उस धरती पर घूमने से, गोमूत्र व गोबर के प्रभाव से अब वह बगीचा 10 लाख रुपये में जाता है । अपने खेतों में गायों का होना पुण्यदायी, परलोक सुधारनेवाला और यहाँ सुख-समृद्धि देनेवाला साबित होगा ।

अगर गोमूत्र, गौ-गोबर का खेत-खलिहान में उपयोग हो जाय तो उनसे उत्पन्न अन्न, फल, सब्जियाँ प्रजा का कितना हित करेंगी, कल्पना नहीं कर सकते !!
विदेशी दवाइयों के निमित्त कई हजार करोड़ रुपये विदेशों में जाते हैं और देशवासी उन दवाइयों के दुष्प्रभाव के शिकार हो जाते हैं ।

बापु आशारामजी ने पत्र में आगे लिखा कि प्रजा हितैषी जो सरकारें हैं, उन मेरी प्यारी सरकारों को प्यार भरा प्रस्ताव पहुँचाओगे तो मुझे खुशी होगी । मानव व देश का भला चाहने वाले प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रोनिक मीडिया इस बात के प्रचार का पुनीत कार्य करेंगे तो मानव के स्वास्थ्य व समृद्धि की रक्षा करने का पुण्य भी मिलेगा, प्रसन्नता भी मिलेगी व भारत देश की सुहानी सेवा करने वाले मीडिया को देशवासी कितनी ऊँची नजर से देखेंगे और दुआएँ देंगे । उनकी 7-7 पीढ़ियाँ इस सेवाकार्य से सुखी, समृद्ध व सद्गति को प्राप्त होंगी।

 केमिकल की फिनायल व उसकी दुर्गंध से हवामान दूषित होता है । गौ-फिनायल से आपकी सात्त्विकता, सुवासितता बढ़ेगी ही ।

सज्जन सरकारें, प्रजा का हित चाहनेवाली सरकारें मुझे बहुत प्यारी लगती हैं । गौ-गोबर के कंडे से जो धुआँ निकलता है, उससे हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं । शव के साथ श्मशान तक की यात्रा में मटके में गौ-गोबर के कंडे जलाकर ले जाने की प्रथा के पीछे हमारे दूरद्रष्टा ऋषियों की शव के हानिकारक कीटाणुओं से समाज की सुरक्षा लक्षित है ।

अगर गौ-गोबर का 10 ग्राम ताजा रस प्रसूतिवाली महिला को देते हैं तो बिना ऑपरेशन के सुखदायी प्रसूति होती है ।

गोधरा (गुज.) के प्रसिद्ध तेल-व्यापारी रेवाचंद मगनानी की बहू के लिए गोधरा व बड़ौदा के डॉक्टरों ने कहा था : ‘‘इनका गर्भ टेढ़ा हो गया है । उसी के कारण शरीर ऐसा हो गया है, वैसा हो गया है... सिजेरियन (ऑपरेशन) ही कराना पड़ेगा ।’’ आखिर अहमदाबाद गये । वहाँ 5 डॉक्टरों ने मिलकर जाँच की और आग्रह किया कि ‘‘जल्दी सिजेरियन के लिए हस्ताक्षर करो; या तो संतान बचेगी या तो माँ, और यदि संतान बचेगी तो वह अर्धविक्षिप्त होगी । अतः सिजेरियन से एक की जान बचा लो ।’’

परिवार ने मेरे से सिजेरियन की आज्ञा माँगी । मैंने मना करते हुए गौ-गोबर के रस का प्रयोग बताया । न माँ मरी न संतान मरी और न कोई अर्धविक्षिप्त रहा । प्रत्यक्ष प्रमाण देखना चाहें तो देख सकते हैं । अभी वह लड़की महाविद्यालय में पढ़ती होगी । अच्छे अंक लाती है । माँ भी स्वस्थ है । कई लोग देख के भी आये । कइयों ने उनके अनुभव की विडियो क्लिप भी देखी होगी । गौ-गोबर के रस द्वारा सिजेरियन से बचे हुए कई लोग हैं ।

विदेशी जर्सी तथाकथित गायों के दूध आदि से मधुमेह, धमनियों में खून जमना, दिल का दौरा, ऑटिज्म, स्किजोफ्रेनिया (एक प्रकार का मानसिक रोग), मैड काऊ, ब्रुसेलोसिस, मस्तिष्क ज्वर आदि भयंकर बीमारियाँ होने का वैज्ञानिकों द्वारा पर्दाफाश किया गया है । परंतु भारत की देशी गाय के दूध में ऐसे तत्त्व हैं जिनसे एच.आई.वी. संक्रमण, पेप्टिक अल्सर, मोटापा, जोड़ों का दर्द, दमा, स्तन व त्वचा का कैंसर आदि अनेक रोगों से रक्षा होती है । उसमें स्वर्ण-क्षार भी पाये गये हैं । गाय के दूध-घी का पीलापन स्वर्ण-क्षार की पहचान है । लाइलाज व्यक्ति को भी गौ-सान्निध्य व गौसेवा से 6 से 12 महीने में स्वस्थ किया जा सकता है ।

पुनः गोमूत्र, गोबर से निर्मित खाद एवं गौ-उपस्थिति का खेतों में सदुपयोग हो ! भारत को भूकम्प की आपदाओं से बचाने के लिए मददगार है गौसेवा !

लोग कहते हैं कि ‘आप 8000 गायों का पालन-पोषण करते हैं !’ तो मैं तुरंत कहता हूँ कि ‘वे हमारा पालन-पोषण करती हैं । उन्होंने हमसे नहीं कहा कि हमारा पालन-पोषण करो, हमें सँभालो । हमारी गरज से हम उनकी सेवा करते हैं, सान्निध्य लेते हैं ।’

महाभारत (अनुशासन पर्व : 80.3) में महर्षि वसिष्ठजी कहते हैं : ‘‘गाय मेरे आगे रहें । गाय मेरे पीछे भी रहें । गाय मेरे चारों ओर रहें और मैं गायों के बीच में निवास करूँ ।’’

हे साधको ! देशवासियों ! सुज्ञ सरकारों ! इस बात पर आप सकारात्मक ढंग से सोचने की कृपा करें ।               
-आप सभीका स्नेही
आशाराम बापू, जोधपुर
(नोट : यह संदेश अगस्त 2016 का है)

आपको बता दे कि बापू आशारामजी ने कत्लखानों में जाति हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशाला बनाई उसमें अधिकितर गाये दूध देने वाली नही है फिर भी उनका पालन व्यवस्थित तरीके से किया जता है। और विदेशी कम्पनियों की कमर तोड़ दी थी और धर्मांतरण की दुकानें बंद करवा दी थी । 14 फरवरी वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस और 25 दिसंबर को क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवा दिया । ऐसे अनेकों कारण हैं जिसके कारण उन्हें फंसाया गया है ।

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Saturday, November 21, 2020

गौहत्या पर रोक व गौपालन क्यों जरूरी है जानिए हिंदू, मुस्लिम, अंग्रेज विद्वानों से

21 नवम्बर 2029


गाय को पशु नही माना जाता है गाय को माता का दर्जा दिया है क्योंकि गाय माता में 33 करोड़ देवता बसते हैं। गाय के दूध, दही, घी, गोबर और गौझरन से असाध्य रोग भी मिट जाते हैं यह वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है।

गाय माता के लिए विद्वानों के विचार...




जब तक गौमाता का रुधिर (रत) भूमि पर गिरता रहेगा, कोई धार्मिक, सामाजिक अनुष्ठान सफल नहीं होगा।
-श्री देवरहा बाबा

यदि हम संसार में हिन्दू कहलाकर जीवित रहना चाहते हैं तो सर्वप्रथम हमें प्राणपण से गौरक्षा करनी होगी ।
-श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी

एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटा सकती है, जबकि उसके मांस से केवल  80 मांसाहारी एक समय अपना  पेट भर सकते हैं। गौवंश धर्म, संस्कृति व स्वाभिमान का प्रतीक रहा है ।
- स्वामी दयानंद सरस्वती

गाय का दूध रसायन, गाय का घी अमृत तथा मांस बीमारियों का घर है ।
- पैगंबर हजरत मोहम्मद साहेब

कुरान और बाइबिल, दोनों धार्मिक ग्रंथों का मैंने अध्ययन किया है । उन ग्रंथों के अनुसार अप्रत्यक्ष रूप से भी गौहत्या करना जघन्य पाप है ।
- आचार्य विनोबा भावे

गाय उन्नति और प्रसन्नता की जननी है । गाय कई प्रकार से अपनी जननी से भी श्रेष्ठ है ।
- महात्मा गाँधी

जब से गाय एवं अन्य पशुओं की निर्दयतापूर्वक हत्या प्रारंभ हुई है, तब से हम अपने बच्चों के भविष्य के प्रति चिंतित हो गये हैं ।
- श्री लाला लाजपत राय

चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ न उठाओ ।
- लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

भारत में गौ-पालन सनातन धर्म है ।
-प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद

भारतीय संविधान की पहली धारा संपूर्ण गौवंश- हत्या निषेध की होनी चाहिए ।
- पं. मदनमोहन मालवीयजी की अंतिम इच्छा

गौहत्या हेतु  मुस्लिम-आग्रह मूर्खता की पराकाष्ठा है ।
- सुलतान अहमद खान

मेरे विचार से भारत की वर्तमान परिस्थिति में गौहत्या-निषेध से बढकर कोई वैज्ञानिक तथा विवेकपूर्ण कृत्य नहीं है ।
- श्री जयप्रकाश नारायण

गौवंश के प्रति प्रशासन का अपमानजनक व्यवहार ब्रिटिश शासन के घृणित कार्य  के  रूप में जाना जायेगा ।
- लार्ड लिनलिथगो

गाय हमारी अर्थव्यवस्था का आधार है ।
- श्री ज्ञानी जैलसिंह (भूतपूर्व राष्ट्रपति)

न तो कुरान और न अरब देशों की प्रथा ही गाय की कुर्बानी (हत्या) की इजाजत देती है ।
- हकीम अजमल खान

पवित्र गौमाता को राष्ट्रीय माता का दर्जा देकर उसकी रक्षा कानून और सरकार को करनी चाहिए जिसे सदा के लिए इस विषय पर शांति बनी रहेगी ।

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