
अगस्त 17, 2017

स्वतन्त्रता दिवस पर लालकिले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में कश्मीर के लोगों को गले लगाने के लिए कहा कि ‘‘न गाली से, न गोली से, परिवर्तन होगा, समस्या सुलझेगी, हर कश्मीरी को गले लगाने से।’’
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370 धारा हटाने पर ही कश्मीर समस्या सुलझेगी |

लेकिन इस पर कई हिन्दुत्वनिष्ठ आपत्ति जता रहे हैं शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना में लिखा कि “प्रधानमंत्री का यह बयान काफी चौंकाने वाला है। कश्मीर मसले का हल केवल धारा 370 हटाकर ही किया जा सकता है।”

फिल्म अभिनेता अनुपम खेर का मानना है कि, कश्मीर समस्या का समाधान केवल धारा 370 को हटाने से ही संभव है ।
उन्होंने कहा कि, अगर वहां देश के अन्य हिस्सों के लोगों को संपत्ति खरीदने का अधिकार हो, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने का अधिकार मिले तो इस समस्या का बेहतर समाधान हो सकता है।

खेर ने आगे कहा कि देश के अन्य हिस्सों के लोगों को जो अवसंरचना विकास का लाभ मिल रहा है, वह लाभ कश्मीर के लोगों को भी मिलना चाहिए !” धारा 370 के हटाने से अगर देश के अन्य हिस्सों के लोगों को वहां उद्योग लगाने, शिक्षा संस्थान खोलने, संपत्ति खरीदने का अधिकार हो जाता है तो समस्या का यह बेहतर समाधान हो सकता है।

उन्होंने अलगाववादियों को निशाने लेते हुए कहा कि “चंद गिनती के लोग वहां की जनता के बारे में तय नहीं कर सकते कि, क्या होना चाहिए ? वहां के लोगों को भी बेहतर सुविधा मिले। यह तभी संभव है जब धारा 370 को हटा दिया जाए ।”

जनार्दन मिश्रा ने लिखा कि पिछले 70 वर्षों में हर सरकार कश्मीरी गद्दारों, आतंकवादियों, अलगाववादियों को गले लगते ही तो आई है,
कम से कम मोदी सरकार से ये उम्मीद है कि गले लगाने की शुरुआत कश्मीरी पंडितों से हो, इन्हें सम्मान के साथ इनको इनकी खोई हुई पहचान इनका हक और इनका सम्मान अब मिलना चाहिए।

क्या है धारा 370?

धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद (धारा) है जिसके द्वारा जम्मू एवं कश्मीर राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार दिया गया है जो जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था।

विशेष अधिकार

धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।

इसी विशेष दर्जे के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।

इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।

1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।

इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि खरीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते।

भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।

विशेष अधिकारों की सूची

1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है।

2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है।

3. जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।

4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है।

5. भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू-कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं।

6. भारत की संसद को जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।

7. जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी। इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी।

8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI, RTE और CAG लागू नहीं है। संक्षेप में कहें तो भारत का कोई भी कानून वहाँ लागू नहीं होता।

9. कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है।

10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं।

11. कश्मीर में चपरासी को 2500 रूपये ही मिलते है।

12. कश्मीर में अल्पसंख्यकों [हिन्दू-सिख] को 16% आरक्षण नहीं मिलता।

13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।

14. धारा 370 की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है।

जब कश्मीर भारत का ही है तो उसके लिए अलग से कानून क्यों..???

इसलिए हिन्दुत्वनिष्ठों की सलाह है कि मोदीजी 370 धारा हटाये और पुनः वहाँ पर लाखों कश्मीर पंडितों को बसाये । तभी ये समस्या सुलझेगी नहीं तो यह समस्या बनी ही रहेगी ।

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