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Wednesday, February 23, 2022

चर्च में 993 मासूम बच्चों का किया यौनशोषण, सेक्युलर और मीडिया मौन !

29 जून 2021

azaadbharat.org


जब भी किसी पवित्र हिंदू साधु-संत पर कोई झूठा आरोप लगता है तो इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया इस तरह खबर चलाती है कि जैसे सुप्रीम कोर्ट में अपराध सिद्ध हो गया हो, सेक्युलर भी जोरों से चिल्लाने लगते हैं और हिंदू धर्म पर टिप्पणियां करने लगते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इल्जाम लगते ही न्यूज चालू हो जाती है, अनेक झूठी कहानियां बन जाती हैं। इससे तो यह सिद्ध होता है कि मीडिया को इस बात का पहले ही पता होता है कि कौन-से हिन्दू साधु-संत पर कौन-सा इल्जाम लगने वाला है और उनके खिलाफ किस तरीके से झूठी कहानियां बनाकर खबरें चलानी है? ऐसा लगता है- यह सब पहले से ही तय कर लिया जाता होगा!



वहीं, दूसरी ओर किसी मौलवी या ईसाई पादरी पर आरोप सिद्ध हो जाये, तभी भी न मीडिया खबर दिखाती है और ना ही सेक्युलर कुछ बोलते हैं। इससे साफ होता है कि ये गैंग केवल हिंदुत्व के खिलाफ है।


चर्च में यौन शोषण...


जिस चर्च के बारे में कहा जाता था कि वहां जीसस की शिक्षाएं दी जाती हैं, लोगों को सच का मार्ग दिखाया जाता है, वहां के पादरी एक तरह से जीसस के दूत की तरह हैं उस चर्च में वर्षों से ऐसा भयानक पाप हो रहा था, इसका अंदाजा किसी को नहीं था। लोगों ने उस चर्च में अपने बच्चों को इसलिए भेजा था ताकि वह चर्च के ईसाई पादरियों के पास रहकर जीसस की शिक्षाओं को ग्रहण करेंगे लेकिन वहां तो कुछ और ही होता था। जिन पादरियों को जीसस का दूत समझा जाता था, वो पादरी हैवान बन चुके थे। चर्च को बलात्कार का अड्डा बना दिया गया था जहां 1 हजार के करीब बच्चों का यौन शोषण किया गया।



मामला पोलैंड के एक कैथोलिक चर्च का है जहां एक नई रिपोर्ट में 300 बच्चों के यौन शोषण का मामला सामने आया है। मीडिया सूत्रों से 28 जून 2021 को नाबालिगों के शोषण को लेकर जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 1958 से लेकर 2020 तक करीब 292 पादरियों ने 300 बच्चों का यौन शोषण किया। इनमें लड़के और लड़कियाँ, दोनों ही शामिल थे। 2018 के मध्य से लेकर 2020 तक इनमें से कई हालिया मामलों की शिकायत चर्च प्रशासन से भी की गई।


कई पीड़ितों, उनके परिवारों और पादरियों के अलावा मीडिया और सूत्रों के हवाले से ये रिपोर्ट तैयार की गई है। हाल ही में वारसॉ में पोलैंड के कैथोलिक चर्च के मुखिया आर्कबिशप वोजसिक पोलाक ने पीड़ितों से माफ़ी माँगते हुए कहा कि आशा है कि वो पादरियों को क्षमा कर देंगे। उन्होंने बताया कि वो पहले भी माफ़ी माँग चुके हैं। कुल मिला कर चर्च को 368 बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट सौंपी गई है।


बता दें कि इनमें से 144 मामलों को तो वेटिकन के ‘कॉन्ग्रिगेशन ऑफ डॉक्ट्रिन ऑफ फेथ’ ने भी शुरुआती जाँच में पुष्ट माना है। 368 में से 186 की अभी भी जाँच की जा रही है। हालाँकि, वेटिकन ने इनमें से से 38 मामलों को फर्जी मान कर उन्हें नकार दिया है। यौन प्रताड़ना के इन मामलों की जाँच कर रहे अधिकारी ने बताया कि उनके पास कई रिपोर्ट्स आई हैं। इस तरह की पिछली रिपोर्ट मार्च 2019 में जारी की गई थी।


इससे पहले चर्च की जो पहली रिपोर्ट आई थी, उसमें 1990-2018 के बीच के मामलों के बारे में बताया गया था। इस दौरान करीब 382 पादरियों द्वारा 625 नाबालिग बच्चों का यौन शोषण किया गया। ताज़ा रिपोर्ट में केवल उसके बाद खुलासा हुए मामलों को ही शामिल किया गया है। इस तरह चर्च में कुल 993 बच्चों के यौन शोषण की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इनमें से 42 यौन शोषक पादरी ऐसे हैं, जिनके नाम पहली रिपोर्ट में भी दर्ज थे और उनके नाम दूसरी रिपोर्ट में भी मौजूद हैं।


https://twitter.com/SudarshanNewsTV/status/1409767191117926408?s=19


ऐसे तो मौलवियों व पादरियों पर यौन शोषण के हजारों मामले हैं लेकिन मीडिया का कैमरा व तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग इसपर मौन हो जाता है जबकि किसी साधु-संत पर साजिश के तहत झूठे आरोप लगे तो भी मीडिया चिल्लाने लगती है। ऐसे बिकाऊ मीडिया की बातों में आकर हिंदू धर्मगुरुओं के खिलाफ गलत टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।


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Friday, March 5, 2021

चर्चों में 10000 बच्चों का हुआ शोषण, मीडिया इसपर कुछ नही बोलेगी

06 मार्च 2021


कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी ।




 कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मों की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है ।
 फ्रांसीसी चर्चों में शोषण के शिकार हुए बच्चों की संख्या 10 हजार के करीब हो सकती है। यह आशंका चर्चों में बाल शोषण के मामलों की जाँच के लिए गठित स्वतंत्र आयोग के अध्यक्ष जीन मार्क सेवे (Jean-Marc Sauve) ने जताई है। इस जाँच आयोग का गठन कैथोलिक चर्च की ओर से किया गया था। सेवे ने मंगलवार को कहा कि 1950 से अब तक कम से कम 10 हजार बच्चे चर्च में शोषण का शिकार हो सकते हैं।

 रिपोर्टों के अनुसार सेवे ने कहा कि पिछले साल जून में तीन हजार बच्चों के पीड़ित होने का अनुमान लगाया गया था। यकीनी तौर पर असल पीड़ितों के मुकाबले यह संख्या काफी कम है। आयोग के कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “आशंका है कि यह संख्या कम से कम 10 हजार हो सकती है।”

 जून 2019 में एक हॉटलाइन शुरू की गई थी ताकि पीड़ित और चश्मदीद मामलों की जानकारी दे सकें। बताया जा रहा है कि शुरू होने के बाद 17 महीनों में इस नंबर पर 6,500 कॉल आए। सेवे ने कहा कि आयोग के समक्ष सवाल यह था कि कितनी संख्या में पीड़ित आगे आएँगे और अपने साथ हुए शोषण के बारे में बताएँगे।

उन्होंने कहा, “हमारे सामने बड़ा सवाल यह है कि कितने पीड़ित आगे आएँगे? क्या यह 25 फीसदी होगा? 10 फीसदी? 5 फीसदी या उससे भी कम?”

 2018 में चर्चों में बच्चों के शोषण के लगातार मामले सामने आने के बाद उसी साल नवंबर में इस स्वतंत्र जाँच आयोग का गठन किया गया था। बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ फ्रांस की सहमित से इसका गठन किया गया। इस फैसले को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली थी। कुछ लोगों ने इसका समर्थन करते हुए पीड़ितों से आगे आकर आपबीती बताने की अपील की थी। वहीं, कुछ लोग इसकी सफलता को लेकर सशंकित थे।20 सदस्यीय आयोग के सदस्य कानूनी, शैक्षणिक, चिकित्सकीय सहित अन्य पृष्ठभूमि से चुने गए थे। आयोग को 2020 के अंत तक अपनी अंतिम रिपोर्ट देनी थी। लेकिन, अब इसकी नई मियाद सितंबर 2021 तय की गई है।

 दुनियाभर में पादरी बच्चों का शोषण करते है लेकिन सेक्युलर, बुद्धजीवी और मीडिया हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिर, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु इन ईसाई पादरीयों के दुष्कर्मो पर चुप रहते हैं क्या उन्हें वेटिकन सिटी से भारी फंडिंग मिलती है ?


आइये जानें इस बारे में विदेशी सुप्रसिद्ध हस्तियों के उद्गार-

मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है । - फिलॉसफर नित्शे

दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है रोमन कैथोलिक चर्च ।  - एच.जी.वेल्स

मैंने पचास और साठ वर्षों के बीच बाईबल का अध्ययन किया तो तब मैंने यह समझा कि यह किसी पागल का प्रलाप मात्र है । - थामस जैफरसन (अमेरिका के तीसरे राष्ट्र पति)

बाईबल पुराने और दकियानूसी अंधविश्वासों का एक बंडल है । बाईबल को धरती में गाड़ देना चाहिए और प्रार्थना पुस्तक को जला देना चाहिए । - जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

मैंने 40 वर्षों तक विश्व के सभी बड़े धर्मो का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के समान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है । - डॉ. एनी बेसेन्ट

हिंदुस्तानी ऐसे ईसाई पादरियों और उनका बचाव करने वाली मीडिया और सेक्युलर, बुद्धजीवियों से सावधान रहें  ।

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Monday, January 11, 2021

नन द्वारा चर्च में ‘पाप का प्रायश्चित’ करने पर पादरी करते है रेप

11 जनवरी 2021


भारत मे साधु-संत देश, समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं उनको साजिश के तहत बदनाम किया जाता है, झूठे केस में जेल भेजा जाता है और मीडिया द्वारा तथा "आश्रम" जैसी फिल्में बनाकर उनको बदनाम किया जाता है। वहीं दूसरी ओर जो मौलवी व ईसाई पादरी मासूम बच्चे-बच्चियों और ननों के साथ रेप करते हैं उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं फिर भी मीडिया, प्रकाश झा जैसे बिकाऊ निर्देशक इसको देखकर आँखों पर पट्टी बांध लेते हैं क्योंकि इनको पवित्र हिन्दू साधु-संतो को बदनाम करने के पैसे मिलते है और हिंदू सहिष्णु हैं तो इन षडयंत्र को सहन कर लेते हैं।




सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (जनवरी 8, 2021) को केरल की ईसाई महिलाओं की एक रिट याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया, जिसमें मालंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च में अनिवार्य कन्फेशन (अपने पापों को पादरी के सामने प्रायश्चित करना) की परम्परा को चुनौती दी गई है। याचिका में इसे धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध करार दिया गया है। मुख्य याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में संशोधन कर और नए फैक्ट्स आलोक में लाने की अनुमति भी दे दी है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस रमासुब्रमण्यन की पीठ इस मामले को सुनेगी।
 
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कन्फेशन के एवज में पादरी यौन फेवर माँगते हैं, सेक्स करने को कहते हैं।
इन महिलाओं का कहना था कि उन्हें अपने चुने हुए पादरी के समक्ष भी कन्फेशन करने दिया जाए। साथ ही ये भी कहा गया कि ईसाई महिलाओं के लिए कन्फेशन अनिवार्य करना असंवैधानिक है, क्योंकि पादरियों द्वारा इसे लेकर ब्लैकमेल करने की घटनाएँ सामने आई हैं। केरल और केंद्र की सरकारों को भी इस मामले में पक्ष बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भारत के अटॉर्नी जनरल केसी वेणुगोपाल से भी प्रतिक्रिया माँगी है। AG ने बताया कि ये मामला मालंकारा चर्च में जैकोबाइट-ऑर्थोडॉक्स गुटों के संघर्ष से उपज कर आया है।

ये संघर्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था, लेकिन तीन जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला दे दिया था। मुकुल रोहतगी ने ध्यान दिलाया कि ऐसे मामले संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ ये भी देखना होगा कि क्या कन्फेशन एक अनिवार्य धार्मिक प्रक्रिया हुआ करती थी। किसी बिलिवर की ‘राइट टू प्राइवेसी’ का धार्मिक प्राधिकरण के आधार पर पादरी द्वारा उल्लंघन किया जा सकता है या नहीं, उन्होंने इस पर भी विचार करने की सलाह दी।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पादरी महिलाओं द्वारा किए गए कन्फेशन का गलत इस्तेमाल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, जिस पर रोहतगी ने कहा कि वो याचिका में संशोधन कर ऐसी घटनाओं को जोड़ेंगे। कन्फेशन को लेकर इससे पहले भी याचिकाएँ आ चुकी हैं। कन्फेशन के अंतर्गत लोग पादरी की उपस्थिति में अपने ‘पापों’ को लेकर प्रायश्चित करते हैं।

केरल के एक नन ने अपनी आत्मकथा में आरोप लगाया था कि एक पादरी अपने कक्ष में ननों को बुला कर ‘सुरक्षित सेक्स’ का प्रैक्टिकल क्लास लगाता था। इस दौरान वह ननों के साथ यौन सम्बन्ध बनाता था। उसके ख़िलाफ़ लाख शिकायतें करने के बावजूद उसका कुछ नहीं बिगड़ा। उसके हाथों ननों पर अत्याचार का सिलसिला तभी थमा, जब वह रिटायर हुआ। सिस्टर लूसी ने लिखा था कि उनके कई साथी ननों ने अपने साथ हुई अलग-अलग घटनाओं का जिक्र किया और वो सभी भयावह हैं। ऐसे तो हजारों पादरियों पर अपराध साबित हो चुके है कि ये लोग बच्चों एवं ननों का यौन शोषण करते हैं।

कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी । 

हिंदू धर्म के पवित्र साधु-संतों को पर झूठे आरोप लगाए जाते ह, झूठी कहानियां बनाकर मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है लेकिन इन सही अपराधों को मीडिया आज छुपा रही है, सेक्युलर, लिबरल्स सब मौन बैठे है।

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