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Monday, January 11, 2021

नन द्वारा चर्च में ‘पाप का प्रायश्चित’ करने पर पादरी करते है रेप

11 जनवरी 2021


भारत मे साधु-संत देश, समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं उनको साजिश के तहत बदनाम किया जाता है, झूठे केस में जेल भेजा जाता है और मीडिया द्वारा तथा "आश्रम" जैसी फिल्में बनाकर उनको बदनाम किया जाता है। वहीं दूसरी ओर जो मौलवी व ईसाई पादरी मासूम बच्चे-बच्चियों और ननों के साथ रेप करते हैं उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं फिर भी मीडिया, प्रकाश झा जैसे बिकाऊ निर्देशक इसको देखकर आँखों पर पट्टी बांध लेते हैं क्योंकि इनको पवित्र हिन्दू साधु-संतो को बदनाम करने के पैसे मिलते है और हिंदू सहिष्णु हैं तो इन षडयंत्र को सहन कर लेते हैं।




सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (जनवरी 8, 2021) को केरल की ईसाई महिलाओं की एक रिट याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया, जिसमें मालंकारा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च में अनिवार्य कन्फेशन (अपने पापों को पादरी के सामने प्रायश्चित करना) की परम्परा को चुनौती दी गई है। याचिका में इसे धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकारों के विरुद्ध करार दिया गया है। मुख्य याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका में संशोधन कर और नए फैक्ट्स आलोक में लाने की अनुमति भी दे दी है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस रमासुब्रमण्यन की पीठ इस मामले को सुनेगी।
 
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि कन्फेशन के एवज में पादरी यौन फेवर माँगते हैं, सेक्स करने को कहते हैं।
इन महिलाओं का कहना था कि उन्हें अपने चुने हुए पादरी के समक्ष भी कन्फेशन करने दिया जाए। साथ ही ये भी कहा गया कि ईसाई महिलाओं के लिए कन्फेशन अनिवार्य करना असंवैधानिक है, क्योंकि पादरियों द्वारा इसे लेकर ब्लैकमेल करने की घटनाएँ सामने आई हैं। केरल और केंद्र की सरकारों को भी इस मामले में पक्ष बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भारत के अटॉर्नी जनरल केसी वेणुगोपाल से भी प्रतिक्रिया माँगी है। AG ने बताया कि ये मामला मालंकारा चर्च में जैकोबाइट-ऑर्थोडॉक्स गुटों के संघर्ष से उपज कर आया है।

ये संघर्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था, लेकिन तीन जजों की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के बाद फैसला दे दिया था। मुकुल रोहतगी ने ध्यान दिलाया कि ऐसे मामले संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ ये भी देखना होगा कि क्या कन्फेशन एक अनिवार्य धार्मिक प्रक्रिया हुआ करती थी। किसी बिलिवर की ‘राइट टू प्राइवेसी’ का धार्मिक प्राधिकरण के आधार पर पादरी द्वारा उल्लंघन किया जा सकता है या नहीं, उन्होंने इस पर भी विचार करने की सलाह दी।

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ पादरी महिलाओं द्वारा किए गए कन्फेशन का गलत इस्तेमाल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले व्यक्तिगत अनुभवों के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं, जिस पर रोहतगी ने कहा कि वो याचिका में संशोधन कर ऐसी घटनाओं को जोड़ेंगे। कन्फेशन को लेकर इससे पहले भी याचिकाएँ आ चुकी हैं। कन्फेशन के अंतर्गत लोग पादरी की उपस्थिति में अपने ‘पापों’ को लेकर प्रायश्चित करते हैं।

केरल के एक नन ने अपनी आत्मकथा में आरोप लगाया था कि एक पादरी अपने कक्ष में ननों को बुला कर ‘सुरक्षित सेक्स’ का प्रैक्टिकल क्लास लगाता था। इस दौरान वह ननों के साथ यौन सम्बन्ध बनाता था। उसके ख़िलाफ़ लाख शिकायतें करने के बावजूद उसका कुछ नहीं बिगड़ा। उसके हाथों ननों पर अत्याचार का सिलसिला तभी थमा, जब वह रिटायर हुआ। सिस्टर लूसी ने लिखा था कि उनके कई साथी ननों ने अपने साथ हुई अलग-अलग घटनाओं का जिक्र किया और वो सभी भयावह हैं। ऐसे तो हजारों पादरियों पर अपराध साबित हो चुके है कि ये लोग बच्चों एवं ननों का यौन शोषण करते हैं।

कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी । 

हिंदू धर्म के पवित्र साधु-संतों को पर झूठे आरोप लगाए जाते ह, झूठी कहानियां बनाकर मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है लेकिन इन सही अपराधों को मीडिया आज छुपा रही है, सेक्युलर, लिबरल्स सब मौन बैठे है।

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Thursday, December 17, 2020

खुलासा : पादरी चर्च में कन्फेशन परंपरा के चलते कर हैं यौनशोषण

17 दिसंबर 2020


कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मों की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी ।




कन्फेशन यानी अपनी गलतियों को खुलकर किसी से कहना । जिससे मन से बोझ तो उतरता है, साथ ही कन्फेस ये भी बताता है कि वो गलती दोबारा नहीं होगी । कैथोलिक और ऑर्थोडॉक्स चर्च में कन्फेशन आम है । लोग अक्सर पादरी के सामने अपने सिन यानी पापों को कन्फेस करते हैं, लेकिन ये यौन उत्पीड़न का जरिया बनने लगा है । केरल के कोट्टायम में एक महिला ने एक के बाद एक चार पादरियों पर उसे ब्लैकमेल करके यौन शोषण का आरोप लगाया ।

इसी से मिलता-जुलता मामला पंजाब के जालंधर से आया, जहां पीड़िता का आरोप था कि कन्फ़ेशन के दौरान अपने राज बांटने पर पहले एक पादरी ने उसका यौन शोषण किया । इसके बाद से कन्फेशन की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है । यहां तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने चर्च में कन्फेशन पर रोक लगाने की सिफारिश भी की । अपनी सिफारिश में आयोग ने लिखा कि ये महिलाओं की सुरक्षा में रोड़ा हैं ।

जानिए, क्या है ये कन्फेशन और कैसे बन गया यौन शौषण का जरिया :-

चर्च में कन्फेशन की प्रक्रिया का बाइबिल में जिक्र मिलता है । इसे ऑग्सबर्ग कन्फेशन कहा जाता है, जिसके दो स्टेप हैं । पहला पाप की समझ से पैदा होने वाला डर और दूसरा चरण है जिसमें किसी को अपनी गलती का अहसास हो जाए और साथ ही ये यकीन भी हो जाए कि ईश्वर ने उसे पाप की माफी दे दी है । बाइबिल के दूसरे चैप्टर में माना गया है कि रोजमर्रा के कामों के दौरान सबसे कोई न कोई गलती हो जाती है, जिनका प्रायश्चित्त होना जरूरी है तभी मन शुद्ध होता है । चर्च के पादरी को ईश्वर का प्रतिनिधि मानते हुए उसके सामने पापों का कन्फेशन किया जाता है ।

ये है प्रक्रिया :-

चर्च में कन्फेशन के लिए एक जगह तय होती है । वहां कन्फेस करने वाले व्यक्ति और पादरी के सामने आमतौर पर एक परदा होता है । इन दोनों के अलावा और कोई भी वहां मौजूद नहीं होता है । पादरी के सामने कन्फेशन बॉक्स में खड़ा होकर कोई भी अपनी गलतीं बता सकता है और यकीन करता है कि पादरी उस राज को अपने और ईश्वर तक ही सीमित रखेगा ।

कौन नहीं कर सकता है कन्फेस :-

10 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कन्फेशन की प्रक्रिया नहीं है क्योंकि माना जाता है कि उन्हें सहीं-गलत का कोई अहसास नहीं होता है और वे जो भी करते हैं, भूल हो सकती है लेकिन अपराध नहीं । इसी तरह से मानसिक रूप से अपेक्षाकृत कमजोर लोगों के लिए इस प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं है, यानी उन्हें भी इसकी इजाजत नहीं ।

पूरी दुनिया में यौन शोषण :-

कन्फेशन बॉक्स को आजकल डार्क बॉक्स कहा जा रहा है क्योंकि इसके साथ ही महिलाओं के यौन शोषण का लंबा सिलसिला सुनाई पड़ रहा है । भारत के अलावा यूरोप, अमेरिका और दूसरे देशों में भी कैथोलिक चर्चों में पादरियों द्वारा यौन शोषण की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं । अमेरिका के पेनसिल्वेनिया में पादरियों द्वारा हजार से भी ज्यादा बच्चों के यौन शोषण की एक खबर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया । यहां तक कि रोमन कैथोलिक चर्च के पोप को दुनियाभर के पादरियों के इन अपराधों के लिए माफी मांगनी पड़ी है । पादरियों द्वारा यौन शोषण की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए वैटिकन सिटी ने कई सख्त फैसले लिए, जिसमें पादरियों का निलंबन भी शामिल रहा ।

महिलाओं के साथ यौन शोषण के अधिकतर मामलों की वजह कन्फेशन रहा, जिसके बूते पादरी उन्हें ब्लैकमेल करने लगे । इसी को देखते हुए महिला आयोग ने कन्फेशन की प्रक्रिया बंद करने की सिफारिश की । आयोग ने कहा कि चर्च में यौन शोषण की पारदर्शी जांच केंद्रीय एजेंसी के जरिए होनी चाहिए । 
स्त्रोत : न्यूज 18

कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है । सान डियेगो चर्च के अधिकारियों ने पादरियों के द्वारा किये गये बलात्कार, यौन-शोषण आदि के 140 से अधिक अपराधों के मामलों को निपटाने के लिए 9.5 करोड़ डॉलर चुकाने का ऑफर किया था ।

देश-विदेशों में इतनी बड़ी-बड़ी घटनाएं घटित हो रही हैं लेकिन मीडिया को इसपर चर्चा करने की या न्यूज दिखाने की फुर्सत नहीं है, उसे तो केवल हिन्दू संस्कृति मिटानी है इसलिए पवित्र हिन्दू साधु-संतों को ही बदनाम करना है ।

गांधी जी ने बताया था कि धर्म परिवर्तन वह जहर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है । हमें गौमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देनेवाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए ।

फिलॉसफर नित्शे लिखते हैं कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है ।

हिंदुस्तानी ऐसे धर्म, पादरी और चर्च से बचके रहें । धर्मपरिवर्तन करके अपना जीवन बर्बाद न करें । याद रहे श्रीमद्भागवत गीता में श्री कृष्ण ने भी कहा है कि "स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः" अर्थात स्वधर्ममें मरना भी कल्याणकारक है, पर परधर्म तो भय उपजानेवाला है । अतः धर्मान्तरण की आंधी से बचकर रहें ।

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Wednesday, November 25, 2020

पादरी करता रहा दो बच्चियों का रेप, मीडिया में सन्नाटा, पुलिस भी शांत है...

25 नवंबर 2020


वर्तमान में देश में एक बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। जो साधु-संत देश, समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं उनको बदनाम किया जाता है, झूठे केस में जेल भेजा जाता है और मीडिया द्वारा तथा आश्रम जैसी फिल्में बनाकर उनको बदनाम किया जाता है। वहीं दूसरी ओर जो मौलवी व ईसाई पादरी मासूम बच्चे-बच्चियों के साथ रेप करते हैं उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं फिर भी मीडिया, प्रकाश झा जैसे बिकाऊ निर्देशक इसको देखकर आँखों पर पट्टी बांध लेते हैं क्योंकि इनको पवित्र हिन्दू साधु-संतो को बदनाम करने के पैसे मिलते है और हिंदू सहिष्णु हैं तो इन षडयंत्र को सहन कर लेते हैं।




आपको बता दें कि महाराष्ट्र के संभाजीनगर में ईसाई पादरी अमित शंकर पिछले 2 सालों से एक लड़की के साथ बलात्कार कर रहा था इतना ही नहीं उसकी हवस नहीं बुझी तो उस लकड़ी की नाबालिग छोटी बहन को भी बना लिया हवस का शिकार।

दोनो बहनों ने संबंधित पुलिस स्टेशन उस्मानपुरा में 3 महीने पहले पोक्सो एक्ट के तहत बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाया है। लेकिन पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही है और न ही कोई मीडिया दिखा रहा है केवल सुदर्शन न्यूज़ के अलावा। पीड़िता अपना दर्द बता रही है चक्कर लगा रही है लेकिन पादरी की गिरफ्तारी नहीं हो रही है।

अगर किसी साधु-संत पर साजिश के तहत झूठा मुकदमा दर्ज किया गया होता तो मीडिया 24 घण्टे खबरे दिखाती, अनेक डिबेट करती झूठी कहानियां बनाती और पुलिस आधी रात को गिरफ्तार कर लेती यही एक दो घटना नही अनेकों साधु-संतों के साथ हुआ हैं और चल रहा हैं।

आपको बता दें कि पादरियों के कुकर्म को छिपाना और हिंदू साधु-संतों को झूठे बदनाम करने के पीछे का कारण यह है कि करोडों लोग साधु-संतों के प्रति श्रद्धा रखते हैं और उनके आश्रम में जाते हैं और वहाँ उनको भारतीय संस्कृति के अनुसार जीने का सही तरीका मिलता है फिर वे अपने धर्म के प्रति आस्थावान हो जाते हैं जिसके कारण वे ईसाई मिशनरियों के चुंगल में नहीं आते हैं औऱ वें विदेशी प्रोडक्ट भी नहीं खरीदते जिसके कारण ईसाई मिशनरियों का जो लक्ष्य है भारत में धर्मांतरण करके अपनी वोटबैंक बढ़ाकर सत्ता हासिल करना और जो विदेशी कंपनियों के सामान नहीं बिकने पर उनको अरबो-खरबों रूपये का घाटा होना। इसके कारण ये लोग अनेक प्रकार के षड्यंत्र रचकर हिंदुओं की आश्रम व साधु-संतों के प्रति आस्था को नष्ट करने के लिए साज़िशें रच रहे हैं और प्रकाश झा जैसे जयचंद गद्दारी करके अपने ही धर्म के खिलाफ फिल्में बनाते हैं और मीडिया भी उनके पैसे मिलने पर साधु-संतों को बदनाम करते हैं।

यहाँ आपको ईसाई पादरियों के दुष्कर्मों की लिस्ट दे रहे है इससे आप अनुमान लगा सकते है कि ये लोग समाज को कैसे बर्बाद कर रहे है।

★2017 में केरल के वायनाड में चिल्ड्रन होम चलाने वाला फादर साजी जोसफ दर्जनों नाबालिग लड़कों का बलात्कार करने के अपराध में पकड़ा गया था।

★जुलाई 2018 में फादर जॉनसन मैथ्यू एक विवाहित महिला का रेप करने में अपराध में पकड़ा गया था।

★फरवरी 2018 मेंगलुरु में 3 ईसाई पादरी एक किशोरी का सामूहिक बलात्कार करने के अपराध में पकड़े गए थे।

★ 2018 आंध्रा में एक 45 वर्षीय क्रिश्चन पादरी 11 वर्षीय बच्ची का रेप करने के अपराध में पकड़ा गया था।

★असम में 60 वर्षीय चन्द्र कुमार नामक ईसाई पास्चर 10 वर्षीय बालिका का बलात्कार करने के आरोप में पकड़ा गया था।

★मध्यप्रदेश के झबुआ में 33 वर्षीय ईसाई प्रीस्ट फादर प्रकाश डामोर 17 वर्षीय बालिका का बलात्कार करने और उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के अपराध में पकड़ा गया था।

★ 30 वर्षीय चर्च के एक पादरी और चर्च के 9 अन्य कर्मचारियों को 2014 के तित्ताकुड़ी में 2 नाबालिग लड़कियों के रेप केस में आजीवन कारावास की सजा हुई है।

★ केरल के एर्नाकुलम जिले में पुलिस ने सिरो मालाबार चर्च के फादर जॉर्ज पडायततिल को चर्च में तीन 9 वर्षीय बच्चियों का बलात्कार करने के अपराध में गिरफ्तार किया था।

★एशिया, उत्तर अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप से ये शर्मनाक समाचार निकल रहे हैं कि कैथोलिक चर्च के अंदर दशकों से हजारों बच्चों का यौन-शोषण होता रहा है और अधिकारियों ने पहले यह समाचार दबाने का प्रयास किया ।

★जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया ।

ईसाई पादरियों के दुष्कर्म की यह तो मात्र कुछ घटनाएं हैं, पूरी लिस्ट बनाएंगे तो एक बड़ी पुस्तक भी छोटी पड़ेगी।

कई ईसाई पादरी हैं जिन्होंने कई छोटे बच्चों के साथ और कई नन के साथ रेप किया है पर मीडिया इस पर मौन रहती है। दूसरी तरफ न्यायालय भी उनको तुरंत राहत दे देती है। बिशप फ्रैंको को 21 दिन में ही जमानत हासिल हो गई थी जबकि 85 वर्षीय हिंदू संत आसाराम बापू के खिलाफ 5 साल तक न्यायालय में सुनवाई होती रही पर 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई, हर बार खारिज कर दिया गया ।

हिंदू धर्मगुरुओं पर हो रहे षड्यंत्र को समझना होगा और सावधान रहना होगा।

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Wednesday, September 2, 2020

पादरी ने बच्ची का ब्लैकमेल करके बनाया न्यूड फोटो, ईसाई धर्म अपनाने को डाला दबाव।

02 सितंबर 2020


कन्नूर (कैरल) के कैथोलिक चर्च की एक नन सिस्टर मैरी चांडी ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है ।




दुनिया भर में हजारों ईसाई पादरी छोटे बच्चें-बच्चियों और महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं। इस पर उनके मुख्य पोप ने माफी भी मांगी है पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतना होने पर भी मीडिया उन दुष्कर्मी पादरियों के बारे में बोलने में पहरेज करता है। कुछ मीडिया को तो सिर्फ हिंदू धर्म से ही नफरत है इसलिए वे सिर्फ पवित्र हिंदू धर्मगुरुओं को ही बदनाम करती है।

आपको बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद के अमराईवाडी इलाके में एक पादरी के खिलाफ एक नाबालिग से छेड़छाड़ करने और उसका न्यूड वीडियो बनाने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई है। ऑप इंडिया के मुताबिक उसने राबड़ी कॉलोनी में रहने वाली नाबालिग लड़की को प्यार का झूठा झाँसा देकर फँसा लिया। इसके बाद उसने वीडियो कॉल के माध्यम से उसका न्यूड वीडियो बना लिया और फिर बाद में उसे ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की।

रिपोर्ट के मुताबिक, पादरी ने नाबालिग लड़की के चाचा को यह वीडियो भेजा। जब लड़की के माता-पिता को इसका पता चला, तो उन्होंने पुलिस स्टेशन पहुँचकर पादरी गुलाबचंद के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

रिपोर्ट में बताया गया है कि पादरी 11 वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़की को धमकाता था। नाबालिग लड़की 25 दिसंबर, 2019 को क्रिसमस के मौके पर अपने पड़ोसी के साथ अपने घर के पास वाले एक चर्च में गई थी। पादरी ने लड़की से बात की और उसे अपने माता-पिता को चर्च में लाने के लिए कहा।

हालाँकि, उसने अपने माता-पिता से इस बारे में कोई बात नहीं की। कुछ दिनों बाद, पादरी के भतीजे ने लड़की के माता-पिता को फोन किया और उन्हें चर्च बुलाया। लगभग एक महीने बाद, लड़की अपने माता-पिता के साथ फिर से चर्च गई। इसके बाद पादरी गुलाबचंद और उनके भतीजे ने नाबालिग के घर पर भी ‘प्रार्थना’ सभा का आयोजन किया।

पादरी नाबालिग को उसके पिता के फोन पर कॉल करता था। कथित तौर पर उसने नाबालिग लड़की को ‘चुंबन’ वाली तस्वीर भेजी थी और ‘आई लव यू’ भी बोला था। उसने उसके साथ प्यार में पड़ने का नाटक किया और उसका पीछा भी किया। जब भी वह अकेली होती, वह उसे वीडियो कॉल पर कपड़े उतारने के लिए कहता। मना करने पर वह उसे धमकी देता था कि अगर वह उसकी बात नहीं मानेगी तो वो उसे बदनाम कर देगा।

पादरी ने लगभग एक हफ्ते पहले लड़की का वीडियो उसके चाचा को भेजा था। तब जाकर उसके पिता को सारी बात पता चली। इसके 2-3 दिन बाद भी उसने कथित तौर पर फिर से उसकी न्यूड तस्वीरें भेजी थी। मामले में फिलहाल पुलिस ने शिकायत दर्ज कर ली है और जाँच की जा रही है।

यहाँ तो केवल एक ही घटना आपको बताई बाकी हजारों ईसाई पादरी हैं जिन्होंने कई छोटे बच्चों के साथ और कई ननों के साथ रेप किया है पर मीडिया इस पर मौन रहती है। वामपंथी मीडिया को तो सिर्फ हिंदू धर्म से ही नफरत है इसलिए वे सिर्फ पवित्र हिंदू धर्मगुरुओं को ही बदनाम करती है क्योंकि हिंदू साधु-संत हिंदू संस्कृति के प्रति लोगों को जगरूक करते हैं, धर्मान्तरण पर रोक लगवाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त, सदाचारी बनाते हैं जिसके कारण राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतें कुछ मीडिया को फंडिंग करते हैं जिससे पादरियों के दुष्कर्म छुपाते हैं और हिंदू धर्मगुरुओं को बदनाम करते हैं।

दूसरी तरफ न्यायालय भी उनको तुरंत राहत दे देता है। बिशप फ्रैंको को 21 दिन में ही जमानत हासिल हो गई थी जबकि 85 वर्षीय हिंदू संत आसाराम बापू के खिलाफ 5 साल तक न्यायालय में सुनवाई होती रही पर 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई। आज 7 साल हुए लेकिन अभी तक जमानत हासिल नही हुई।

मीडिया द्वारा हिंदू साधु-संतों को बदनाम करना और न्यायलय द्वारा जमानत नहीं देना और ईसाई पादरी और मौलवी के दुष्कर्म को छुपाना और न्यायालय से तुरंत जमानत हासिल होना, यह भारतीय संस्कृति को खत्म करने का यह एक भयंकर साजिश ही है, हिंदुस्तानी इससे समझे और सावधान रहें।

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Monday, July 20, 2020

धर्मान्तरण का कार्य करने वाले पादरी को आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू।

धर्मान्तरण का कार्य करने वाले पादरी को आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू।

20 जुलाई 2020

🚩जहाँ जहाँ ईसाई मिशनरीयां धर्मान्तरण करवा रही थी, खास करके आदिवासी क्षेत्रों में वहाँ-वहाँ हिंदू संत आशाराम बापू ने जाकर सनातन हिंदू धर्म की महिमा समझाई और उनको मकान, जीवन जरूरियात सामग्री, नकद राशि देना शुरू कर दिया, और ईसाई मिशनरियों के षड़यंत्र से अवगत करवाया जिसके कारण लाखों हिंदुओं ने घरवापसी की और जो धर्मपरिवर्तन करने वाले थे वे रुक गए, करोड़ो अरबो रुपये लगाकर ईसाई मिशनरियों के NGO's कार्य कर रहे थे उनके पैसे बर्बाद होने लगे क्योंकि आदिवासी समाज अपने हिंदू धर्म की महिमा समझ चुके थे इसलिए वे धर्मपरिवर्तन नही कर रहे यहाँ तक कि धर्मपरिवर्तन कराने वाले पादरी भी आशारामजी बापू से हिंदू धर्म की महिमा सुनकर हिंदू धर्म अपना लिया।


🚩ऐसे ही एक इंडोनेशिया के पादरी रॉबर्ट सोलोमन थे वो चर्च के अंतराष्ट्रीय षडयंत्र के तहत धर्मपरिवर्तन करवाने का कार्य कर रहे थे लेकिन उन्होंने झारखंड में बापू आशारामजी का प्रवचन सुना और बाद में उन्होंने हिंदू धर्म का अध्ययन किया फिर उनको हिंदू धर्म की महिमा समाज मे आई और उन्होंने बापू आशारामजी के कार्यक्रम में जाकर हिंदू धर्म अपना लिया और पादरी रोबेर्ट सोलोमन से बन गए डॉ सुमन कुमार और आज वे खुद धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे है और देश की रक्षा के अपने प्राण देने को भी तैयार हुए है।

🚩डॉ सुमन ने क्या कहा अपने वक्तव्य में?

🚩डॉ सुमन कुमार ने कहा कि मेरा पूर्व नाम रॉबर्ट सोलोमन था, वर्तमान नाम सुमन कुमार हैं। मैं मूल रूप से इंडोनेशिया (जकार्ता) का रहने वाला था। पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से करने के बाद 1987 तक चर्च के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मैं काम कर रहा था। देश एवं विदेशों में मिशनरीज के कार्य में संलग्न था। भारतीय परंपरा, भारतीय दर्शन को ना मैं जानता था, ना मैं मानता था और ना ही सनातनी परंपरा को देखने समझने का अवसर प्राप्त हुआ था। जाने अनजाने में जो हमसे बहुत बड़ी भूल हुई थी। उस भूल को सुधारने के लिए पूजनीय बापू जी के श्री चरणों में आकर प्रायश्चित स्वरूप मैं सोलोमन से सुमन कुमार बनके हिंदू हित और हिंदू समाज और हिंदू दर्शन और हिंदू चिंतन को स्वीकार कर रहा हूं।

🚩देशभक्ति ली लहर दौड़ रही है सुमन कुमार के भीतर

🚩सुमन कुमार ने बताया कि ओ भारत के वीर जवानों, मां का कर्ज चुका देना।
कटे-फटे इस मानचित्र को, अब भी ठीक बना देना।
पटना साहब से मिलने, ननकाना बेचैन खड़ा।
और अब के तिरंगा घुसकर, रावलपिंडी में फहरा देना।
अटक कटक से सिंधु नदी, सब कुछ हमको प्यारा है।
कश्मीर मत मांगो, पाकिस्तान हमारा है।
कोई चलता पद चिन्हों पर, कोई पद चिन्ह बनाता है।
हैं वही सूरमा इस जग में, दुनिया में पूजा जाता है।
ऐसे हमारे प्रातः स्मरणीय पूजनीय आसाराम बापूजी यहां विराजमान हैं। व्यक्ति को विचारों से, आचारों से, व्यवहारों से और संस्कारों से ढालने का प्रयत्न उन के माध्यम से करोड़ों लोगों तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है।
मैं नहीं तू ही तू ही जाकर, मौन तपस्वी साधक बनकर।।
हिमगिरि जैसे चुपचाप चले।।

🚩आज़ादी के लिए क्या कहा?

🚩मित्रों बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।
बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।
इसे हम खोने नहीं देंगे और देश में रह रहे गद्दारों को हम चैन से जीने नहीं देंगे।
हम चैन से जीने नहीं देंगे।
भारत हमारी मां है, भारत हमारी मां है।
माता का रूप है प्यारा।
करना इसकी रक्षा, यही कर्तव्य हैं हमारा।

🚩आगे बताया कि यह मेरा परम सौभाग्य हैं, प्रायश्चित स्वरूप पूजनीय आसाराम बापूजी के श्री चरणों में आने का मौका मिला। हम जानते हैं की बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी। आज जो आजादी हम को प्राप्त हुई हैं उस आजादी को हमें पूरा बनाए रखना है, बचाए रखना है, बरकरार रखना है और यही संस्कार पूजनीय बापूजी हमें देते हैं। दिस इज माय होली मदर लैंड। मैं तो कहता हूँ कि यह हमारे लिए पूजनीय वंदनीय प्रातः स्मरणीय भूमि है। हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए। छत्रपति शिवाजी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद विनायक सावरकर ने यह जो मार्ग हमको दर्शाए थे आज उन्ही मार्गो को पुनः स्मरण करने की हमें आवश्यकता हैं। तो मित्रों मैं तो कहूंगा व्यक्ति को विचार, आचार, संस्कार से ढालने का जो पूजनीय बापूजी ने कार्य किया है, जो हिंदू सोसायटी के लिए किया है। इन हिन्दू सोसाइटी देअर आर मेनी स्कूल ऑफ आर्ट्स बट ओनली वन स्कूल ऑफ हार्ट। पूज्य बापूजी में वह ताकत है जो पूरे समाज को, पूरे विश्व को दिशा देने के लिए हैं और मैं तो कहता हूं कि भारतीय परंपरा और भारतीय चिंतन हैं वह विश्व का मार्गदर्शन देने की स्थिति में है और इसलिए सनातनी परंपरा है जो सनातनी सच है उस सच को हम समझे।

🚩डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने बयान में कई बार बताया कि मेरे को एक बार फ्लाइट में आसाराम बापू मिले उनसे मैंने बातचीत करते समय बताया कि आप जो धर्मांतरण रोकने का कार्य पुरजोश से कर रहे है ईससे आपके ऊपर वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे लोग सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भिजवाने की तैयारी में लगे है लेकिन बापू आशारामजी निश्चित थे उन्होंने बोला कि भगवान जो करेगा अच्छा ही होगा। ये बात आसाराम बापू को जेल भेजने से पहले की हैं।

🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है लेकिन जब उनके केस पढ़ते है तो उसमें साफ है कि जिस समय आरोप लगाने वाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है उससे तो साफ होता है कि वे उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी उसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोच तक नही आई है  और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नही है केवल छेड़छाड़ का आरोप है।

🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फेक्स भी आया था उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

🚩बता दें कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश मे 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शूर करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ो लोगो को व्यशनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं।


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