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Sunday, September 10, 2017

वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट में दो संतों ने हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया है

10 Sep 2017

स्वामी# विवेकानंद #ने अमरीका के शिकागो में 11# सितंबर #1893 को आयोजित #विश्व धर्म परिषद #में जो भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी।

हिन्दू संस्कृति का परचम लहराने #वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट #(विश्व धर्मपरिषद) शिकागो में भारत का नेतृत्व 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानंदजी ने और ठीक उसके 100 #साल बाद 4 सितम्बर 1993 #संत# आसारामजी बापू ने किया था ।
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 लेकिन दुर्भाग्य है कि जिन संतो को #"भारत रत्न" #की उपाधि से #अलंकृत #करना चाहिए उन्हें ईसाई मिशनरियों के इशारे पर राजनीति के तहत झूठे आरोपों द्वारा #जेल #में भेजा जाता है और विदेशी# फण्ड #से चलने वाली भारतीय मीडिया द्वारा उन्हें बदनाम कराया जाता है ।

शिकागो की #धर्म सभा के दाैरान पादरियों द्वारा यह कहा गया कि भारत भिखारियों का देश है वहाँ पर #धर्म प्रचार #करने की आवश्यकता है। 

जब स्वामी #विवेकानंद जी #तक यह बात पहुंची तो वे तिलमिला उठे और गर्जना भरे शब्दों में पादरियों की सभा में बोले कि तुम कहते हो भारत भिखारियों का देश है तो इस भ्रम को निकाल दो, #भारत भिखारियों का नहीं बल्कि भिक्षुकों का #देश है। 


भिखारी वो होते हैं  जो #धन के अभाव #में किसी से याचना करते हैं ,
पर तुम नहीं जानते हो तो सुनो !
भारत में ऐसे राजा हुए जो सोने के महल में रहते व चांदी के थाल में भोजन करते थे। 

लेकिन जब उन्हें सनातन ज्ञान का मार्गदर्शन मिला तो वे वैराग्य को धारण करके सत्य की खोज के लिए सब कुछ त्याग कर #भिक्षुक बन गए , जंगलों में गुरु की सेवा करते और रोटी का टुकड़ा भिक्षा में माँग कर खाते।

 राजा भर्तृहरि, परीक्षित, सिद्धार्थ, महावीर, भरत जैसे महात्मा राजा इसका #प्रयत्क्ष# उदाहरण हैं ।
और उन्होंने उस परमानन्द की प्राप्ति की जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो ।


देखो तुम आनंद से इतने नीरस हो गए हो कि धन और डंडे के भय से #धर्म प्रचार कर रहे हो। 


लेकिन #उन महापुरुषों के रहने मात्र से पशु पक्षी भी शांति का अनुभव करते हैं इसलिए भारत भिक्षुकों का #देश #है। 
तुम थोड़ा सा भी भारत का प्रसाद पाओगे तो कृतार्थ हो जाओगे। 

स्वामी जी के इस उपदेश से कितने #ईसाई सुधरे, कितने जल भून गए पर स्वामी जी बिना किसी की परवाह किये सनातन #धर्म का डंका बजाते रहे।


स्वामी जी के हयाती #काल में उन्हें इतना परेशान# किया गया ,उनका इतना #कुप्रचार किया गया कि उनके गुरूजी की समाधि के लिये #एक गज जमीन तक# उन्हें नहीं मिली थी । पर अब पूरी दुनिया स्वामी #विवेकानंद जी व उनके गुरूजी का जय-जयकार करती है । 

जब वे धरती से चले गए, अर्थात् #इतिहास के पन्नों पर जब उनकी महिमा आयी तब लोग उनको इतना आदर - सम्मान देते हैं पर उनकी# हयातीकाल में उनके साथ दुष्टों ने कैसा #व्यवहार किया...!!

सावधान!!

क्या हम भी ऐसा #व्यवहार हयात संतों के साथ तो नहीं कर रहें..??

वर्त्तमान समय में भी ऐसे #महान संत इस धरती पर# विराजमान हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू संस्कृति के# उत्थान में लगा दिया ।

 अभी भी #जिन साधु -संतो को #ईसाई मिशनरियों के इशारे पर #मीडिया द्वारा बदनाम किया जा रहा है उनका भी आगे जयकारा दुनिया बोलेगी ।

#ईसाई मिशनरियां स्वामी विवेकानंदजी के समय से संतो के #विरुद्ध षड़यंत्र कर #रही हैं क्योंकि हिन्दू संत इनके आँखों की किकरी बन गए हैं ये हमारे संतों के सामने #धर्मान्तरण में विफल #हो रही हैं ।

इसका #प्रयत्क्ष उदाहरण संत आसारामजी बापू हैं जिनका #जीवन चरित्र पढ़ने से पता चलता है कि उन्होंने संस्कृति उत्थान के लिए अतुलनीय कार्य किये हैं।

 आज मल्टी #नेशनल कंपनियों को भारी घाटा होने के कारण ही वे #षड़यंत्र के तहत फंसाये गए हैं । क्योंकि उनके 6 करोड़ भक्त बीड़ी, सिगरेट, दारू, चाय, कॉफी, सॉफ्ट कोल्ड्रिंक आदि नही पीते हैं । वेलेंटाइन डे आदि नहीं मनाते जिससे विदेशी कपनियों को अरबो-खबरों का घाटा हो रहा था और उन्होंने लाखों हिन्दुओं की घर वापिस कराई इसलिए ईसाई मिशनरियों ने और विदेशी कंपनियों ने मिलकर मीडिया में बदमाम करवाया और राजनीति से मीकलर झूठे केस में फंसाया और कुछ गंजेड़ी-भंगेड़ी साधु का चोला पहने हुए उनको संत बोलने से इंकार करते है कितनी नादान बुद्धि है ।

संत नारसिंह मेहता जी को भी ब्राह्मणों ने बहिष्कार किया था तो क्या वे संत नही थे? आज भी वे करोड़ो के हृदय में बसे है ।

वो समाज अभागा है जो सच्चे संतों की महिमा नहीं समझ रहा !!
उनके साथ हो रहे अन्याय को नहीं समझ रहा !!

संत तो संत होते हैं कोई उन्हें माने या न माने, इससे उनकी आंतरिक स्थिति पर कोई अन्तर नहीं पड़ता पर जो समाज उनकी हयाती में उनसे फायदा नहीं उठा पाया तो ये उस समाज का दुर्भाग्य है ।

स्वामी विवेकानंद को लोगों ने नहीं पहचाना तो इसे विवेकानंद का क्या बिगड़ा..??

स्वामी रामतीर्थ को लोग नहीं समझ पाये तो इसे रामतीर्थ क्या बिगड़ा..??

महात्मा बुद्ध के साथ घिनौने षड़यंत्र किये गए तो इसे बुद्ध का क्या बिगड़ा..??

कबीर जी को बदनाम किया गया इसे कबीर जी का क्या बिगड़ा..??

 #गुरुनानक के लिए लोग उल्टा-सीधा बोलते थे तो इसे नानक जी का क्या बिगड़ा..??

 #समर्थ रामदास,एकनाथ महाराज,तुकाराम,ज्ञानेश्वर जी आदि आदि...

 कितने संतों के नाम बताये जिनके हयातीकाल में उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया कि आज जब हम इतिहास पढ़ते हैं तो नजरें शर्म से झुक जाती हैं ।

पर उन #महापुरुषों का क्या बिगड़ा...???

बिगड़ा तो उस समाज का बिगड़ा जो ऐसे महापुरुषों की हयाती में उनका लाभ नहीं उठा पाये ।

अपने अंदर झांककर देखे कि आज हम भी कहीं वही गलती तो नहीं दोहरा रहे..??

सोचे,समझे और हकीकत तक पहुँचने का प्रयास करें !!

मीडिया की बातों में आकर किसी भी संत पर ऊँगली उठाने से पहले सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास करना ये आज हर हिन्दू का कर्त्तव्य बनता है ।


अगर सच तक पहुचने की कोशिश करेंगे तो आपको जो दिखाई दे रहा है उसे विपरीत कुछ और ही सच्चाई देखने को मिलेगी । 

उठे, किसी की बातों में न आकर स्वयं सच्चाई तक पहुँचे !!

जय हिन्द !!

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Thursday, September 7, 2017

धर्मसत्ता व राजसत्ता में से बड़ा कौन? आसारामजी बापू सच्चे या झूठे संत ? : राजीव दीक्षित

🚩वर्तमान में #हिन्दू #धर्मगुरुओं पर जो #बहस चल रही है उसपर पहले से ही देशभक्त स्वर्गीय श्री राजीव दीक्षित ने बता दिया था कि धर्मसत्ता और राजसत्ता क्या होती है?
और कौन कौन संत धर्मसत्ता के प्रतीक हैं ।
🚩आइये  जानते हैं कि क्या कहा श्री राजीव दीक्षित जी ने...

rajiv dixit

🚩साधु समाज संत समाज जब भी निकला है, समाज उसके पीछे चला है ।  हमारे यहाँ की #राजनैतिक व्यवस्था #हमेशा #संत समाज के #नीचे रही है संत समाज ऊपर रहा है, राजनैतिक व्यवस्था नीचे रही है । संत समाज के आशीर्वाद से हमारे यहाँ नेता काम कर रहे हैं । आप जानते हैं कि भारत के महान राजा #चंद्रगुप्त, #विक्रमादित्य, #हर्षवर्धन , #सम्राट अशोक ये जितने भी बड़े-बड़े महान चक्रवर्ती सम्राट हुए इन सबका नियम था कि दरबार में कोई साधु आ गया तो राजा अपना सिंहासन छोड़ता था और साधु को अपने सिंहासन पर बिठाता था मतलब साधु के लिए सन्यासी के लिए सिंहासन खाली है।। राजा उनके चरणों में बैठता था इसका मतलब ये है कि साधु समाज #संत समाज धर्म समाज हमारी #राज्यसत्ता को #निर्देशित करती थी । तो जब तक भारत की धर्म सत्ता राज्य सत्ता को निर्देशित करती थी तब तक भारत सोने की चिड़िया था ।
🚩#चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के समय में देख लो #भारत #सोने की #चिड़िया था, समुद्रगुप्त का समय देख लो भारत सोने की चिड़िया था, #हर्षवर्धन का समय देख लो भारत सोने की चिड़िया था, #सम्राट अशोक का समय देख लो भारत सोने की चिड़िया था...
🚩 जब-जब #धर्म सत्ता #ऊपर रही है और #राज्य सत्ता नीचे रही तब-तब #भारत #सोने की #चिड़िया रहा लेकिन जब विदेशियों का हमला हुआ, #विदेशियों ने यहाँ आकर #साम्राज्य #स्थापित कर लिया तब #धर्म सत्ता नीचे चली गई राज्य सत्ता ऊपर आ गई । तब से भारत नीचे #रसातल में गिरता ही चला जा रहा है !!
🚩गिरता ही जा रहा है !!
🚩गिरता ही जा रहा है !!
🚩और इतना ही गिरता जा रहा है कि लोगों को भरोसा ही उठ गया है कि ये देश उठ सकता है !! #गरीबी बढ़ी, #व्यभिचार बढा, #पापाचार बड़ा , #अत्याचार बढ़ा, #भ्रष्टाचार #बढ़ा। जब से #धर्म सत्ता नीचे हो गई राज्य सत्ता ऊपर आ गई ।
🚩अब फिर से धर्म सत्ता ऊपर आ रही है #स्वामी #सत्यमित्रानंद गिरिजी धर्म सत्ता के प्रतीक हैं। महा-मंडलेश्वर जितने भी हैं धर्म सत्ता के #प्रतीक हैं। हमारे देश के महान #मोरारी बापू धर्म सत्ता के प्रतीक हैं। #पूज्य #आसारामजी बापू #धर्म सत्ता के #प्रतीक हैं । ये बड़े #साधु-महापुरुष-सन्यासी #धर्म सत्ता के #प्रतीक इक्कठे हो रहे हैं ... !!
🚩अंग्रेजो के जमाने के बनाये कानूनों को खत्म करने की बात करते हो । ऐसे 15-20 मुद्दे तय हुए हैं उसके आधार पर आप वोट करिये ये बात कहने के लिए मैं जाने वाला हूँ और ऐसे दूसरे भी साधु-संत जाने वाले हैं ।
🚩आपको सुनकर हैरानी होगी हमारे देश के महा-मंडलेश्वर बहुत पूजनीय है । सत्य मित्रानंदजी गिरी वो परसो हमारे साथ थे हरिद्वार में । उनका पूरा आशीर्वाद है कि ये काम के लिए आप निकलते हो तो मैं भी आपके साथ हूँ,मोरारी बापूजी का पूरा आशीर्वाद है, 15 बड़े साधु-संत जिनके 1-1 कोटी से ज्यादा फॉलोवर हैं ऐसे 15 साधु-संत 600 जिलों का प्रभाव शुरू करने जा रहे हैं। अगले 2 साल में और ये प्रयास इसी बात के लिए है कि हमको गेट करार नहीं चाहिए, #मल्टी नेशनल #नहीं #चाहिए, डब्लू DO नहीं चाहिए, #विदेशीकरण जो हो रहा है इस देश में वो #नहीं चाहिए, कर्जबाजारी जो बढ़ रही है देश की ओर समाज की ओर वो नहीं चाहिए ।


🚩जब साधु-संत निकल रहे हैं तो समाज में तो आप जान लीजिए परिवर्तन तो होगा ही... इस देश में !! क्योंकि जब भी भारत का सन्यासी या साधु निकला है तो उसने देश और समाज को बदला है ये हमारा हजारों साल का इतिहास है आप कभी भी उठा कर देख सकते हैं ।
🚩आज #विदेशी #ताकतों द्वारा केवल #हिन्दू साधु-संतों को ही #बदनाम किया जा रहा है #क्योंकि #भारत में उनके #विदेशी #प्रोडक्ट #नही बिकते हैं, #धर्मान्तरण #नहीं हो #पाता है इसलिए #विदेशी #फंडिग #मीडिया से #बदनाम करवाते हैं ।
🚩हिन्दू #धर्मगुरु #आसारामजी बापू के बारे में तो राजीव दीक्षित पहले ही धर्म सत्ता के प्रतीक बता चुके हैं, लेकिन मीडिया की बातों में आकर कुछ हिन्दू ही उनको गलत बोल रहे हैं क्योंकि उनकी वास्तविकता पता नही है, वे 4 साल से जेल में बंद हैं लेकिन अभीतक एक भी #आरोप सिद्ध नही हुआ है और मेडिकल में क्लीन चिट भी मिल गई है, #डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी भी उनका केस लड़ चुके हैं पर आखिर उन्होंने बताया कि लाखों हिन्दुओं की घर वापसी करवाने के कारण #ईसाई मिशनरियां पीछे पड़ी है उनको बदनाम करवाने के और मुख्यमंत्री वसुंधरा भी डरपोक है इसलिए उनको जमानत नही मिल रही है।
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Tuesday, August 29, 2017

संत आसारामजी बापू की तुलना किसी से करना गलत : नरसिंहानंद जी महाराज

बाबा राम रहीम से ज्यादा मीडिया जिम्मेदार है, संत आसारामजी बापू की तुलना किसी से करना गलत :
नरसिंहानंद जी महाराज
अगस्त 29, 2017


asaram bapu- narsimhanand ji maharaj sudarshan news

सुदर्शन न्यूज चैनल के बिंदास बोल में चैनल के मुख्य संपादक सुरेश चव्हाणके और अखिल भारतीय संत समाज के राष्ट्रीय संयोजक व सिद्ध पीठ प्रचंड देवी मंदिर डासना के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती की आप में चर्चा की गई ।
सुरेश चव्हाणके : भावनाओं को ,आस्थाओं को प्रतिक्रियाओं को देख,इसमे जो अच्छे लोग हैं वो भी पीछे जा रहे हैं, नरसिंहानंद जी महाराज जिस प्रकार से कुछ ऐसे लोग जब धर्म को, आस्था को बदनाम करते हैं तो उसके बाद में जो अच्छे लोग हैं उन पर भी सवाल या निशान पैदा होते हैं ।
नरसिंहानंद जी महाराज : अभी जैसे एक बहन ने हिन्दू संत आशारामजी बापू की तुलना दूसरे से की, लेकिन देखिये जिस केस में आशारामजी बापू फंसे हैं, वो केस फेंक है, वो केस झूठा है, फर्जी है ये मैं गारेंटी के साथ यहाँ बैठ कर कह देना चाहता हूँ और एक षड्यन्त्र के तहत बापूजी को फंसाया गया था और ये षड्यन्त्र किसने बुना है ये सब लोग जानते हैं  ।
लेकिन सबसे बड़ी खास बात यह है कि हिन्दू कल तक कोई नही बोल रहा था । कोई रामरहीम के बारे में टिप्पणी नहीं कर रहा था । आज सारे बाबाओं को संत आशारामजी बापू के साथ लगा दिया गया।
कल को एक महिला खड़ी हो जाएगी हम पर आरोप लगा देगी फिर हमें भी इनके साथ घसीट लिया जायेगा, सबसे पहले इस सिस्टम को देखना पड़ेगा कि हमारी सिस्टम में कहाँ  कमी आ गयी?
पहले तो हमारी महिलाओं को हमारी बहन बेटियों को ये बात समझना पड़ेगा।
आज सारे हिन्दू समाज के अंदर संतो के प्रति एक विचसना पैदा की जा रही है, ये विचसना हो नही रही है विचसना पैदा की जा रही है और इसका जो ये बाबा रामरहीम जैसे लोग हैं ये इसका कारण बन रहे हैं, लेकिन सबको इनके साथ पीसना सही नहीं है। आसारामजी बापू की राह अब और कठिन हो गयी है, उन्हें जमानत मिल सकती थी, लेकिन उनको सबके साथ घसीट कर विदेशी षड्यन्त्रकारी और भारत में रहने वाले जिहाद्दी और जो क्रिश्चन चर्च के लोग हैं इन्हें बल मिलेगा कि सारे हिन्दू ऐसे होते हैं ।
मीडिया जो पिछले 3 दिन से इस माहौल को बना रहा है, रामरहीम से ज्यादा दोषी मीडिया के वो लोग हैं जो पूरे हिंदुस्तान को एक तरह से सिविल वॉर की आग में झोंक देना चाहते हैं,ये जो कुछ हुआ वो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
सुरेश चव्हाणके : महाराज जी, यही मीडिया हिंदुस्तान के बाबा की कल तक इंटरव्यू ले रहा था, उनके इंटरव्यू लेने के लिए उनके यहां पर एजेंसिया लगा रहा था, उनके विज्ञापन चला रहा था, उनके फिल्म्स के अनिमशन्स ले रहा था, यही मीडिया कल तक मेहमनमन्दित कर रहा था आज एकदम उल्टी भूमिका में है ।
नरसिंहानंद जी महाराज : देखिये ये मीडिया का तो क्या है ये तो इस देश में मजाक हो रहा है, आज इस देश में जो मीडिया वाले हैं उनकी न तो धर्म में आस्था है न देश में आस्था है न इस मिट्टी में आस्था है। उन्होंने सारी चीजों को मजाक बना दिया है और ये जो बबाल हुआ है इसके लिए राम रहीम से ज्यादा जिम्मेदार या गैरजिम्मेदार मीडिया है जिसने इसे इतना भयंकर तूल दिया है, यदि इसे इतनी भयंकर तूल न दी जाती, इस मामले की, बाबा रामरहीम को सीधा जेल भेज दिया जाता तो ये मामला नहीं उठता।
ये इतना दुर्भाग्यपूर्ण मामला है और ये मै रामरहीम का बचाव  नही कर रहा हूँ लेकिन इसमें मुझे लगता है सब मामला षड्यंत्रकारियों से मिला हुआ है।

Sunday, August 27, 2017

भगवान बुद्ध के साथ भी यही हुआ था

अभी जिन संतों पर आरोप लग रहे हैं उनके भक्त दुःखी न हो, भगवान बुद्ध के साथ भी यही हुआ था

कपिलवस्तु के राजा #शुद्धोदन का युवराज था सिद्धार्थ! यौवन में कदम रखते ही #विवेक और #वैराग्य जाग उठा। युवान पत्नी #यशोधरा और नवजात शिशु #राहुल की मोह-ममता की रेशमी जंजीर काटकर महाभीनिष्क्रमण (गृहत्याग) किया। एकान्त अरण्य में जाकर गहन ध्यान साधना करके अपने साध्य तत्त्व को प्राप्त कर लिया।
conspiracy against lord buddha

🚩एकान्त में तपश्चर्या और ध्यान साधना से खिले हुए इस आध्यात्मिक कुसुम की मधुर सौरभ लोगों में फैलने लगी। अब #सिद्धार्थ भगवान #बुद्ध के नाम से जन-समूह में प्रसिद्ध हुए। हजारों हजारों लोग उनके उपदिष्ट मार्ग पर चलने लगे और अपनी अपनी योग्यता के मुताबिक #आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए #आत्मिक शांति प्राप्त करने लगे। असंख्य लोग बौद्ध भिक्षुक बनकर भगवान बुद्ध के सान्निध्य में रहने लगे। उनके पीछे चलने वाले अनुयायियों का एक संघ स्थापित हो गया।

 🚩चहुँ ओर नाद गूँजने लगे :
 बुद्धं शरणं गच्छामि।
धम्मं शरणं गच्छामि।
संघं शरणं गच्छामि।

🚩श्रावस्ती नगरी में भगवान बुद्ध का बहुत यश फैला। लोगों में उनकी जय-जयकार होने लगी। लोगों की भीड़-भाड़ से विरक्त होकर बुद्ध नगर से बाहर जेतवन में आम के बगीचे में रहने लगे। नगर के पिपासु जन बड़ी तादाद में वहाँ हररोज निश्चित समय पर पहुँच जाते और उपदेश-प्रवचन सुनते। बड़े-बड़े राजा महाराजा भगवान बुद्ध के सान्निध्य में आने जाने लगे।

🚩समाज में तो हर प्रकार के लोग होते हैं। अनादि काल से दैवी सम्पदा के लोग एवं #आसुरी सम्पदा के लोग हुआ करते हैं। बुद्ध का फैलता हुआ यश देखकर उनका तेजोद्वेष करने वाले लोग जलने लगे। संतों के साथ हमेशा से होता आ रहा है ऐसे उन #दुष्ट तत्त्वों ने #बुद्ध को #बदनाम करने के लिए #कुप्रचार किया। विभिन्न प्रकार की युक्ति-प्रयुक्तियाँ लड़ाकर बुद्ध के यश को हानि पहुँचे ऐसी बातें समाज में वे लोग फैलाने लगे। #उन दुष्टों ने अपने #षड्यंत्र में एक #वेश्या को #समझा-बुझाकर #शामिल कर लिया।

🚩वेश्या बन-ठनकर जेतवन में भगवान बुद्ध के निवास-स्थान वाले बगीचे में जाने लगी। धनराशि के साथ दुष्टों का हर प्रकार से सहारा एवं प्रोत्साहन उसे मिल रहा था। रात्रि को वहीं रहकर सुबह नगर में वापिस लौट आती। अपनी सखियों में भी उसने बात फैलाई।

🚩लोग उससे पूछने लगेः "अरी! आजकल तू दिखती नहीं है?कहाँ जा रही है रोज रात को?"

🚩"मैं तो रोज रात को जेतवन जाती हूँ। वे बुद्ध दिन में लोगों को उपदेश देते हैं और रात्रि के समय मेरे साथ रंगरलियाँ मनाते हैं। सारी रात वहाँ बिताकर सुबह लौटती हूँ।"

🚩वेश्या ने पूरा स्त्रीचरित्र आजमाकर #षड्यंत्र करने वालों का साथ दिया । लोगों में पहले तो हल्की कानाफूसी हुई लेकिन ज्यों-ज्यों बात फैलती गई त्यों-त्यों लोगों में जोरदार विरोध होने लगा। लोग बुद्ध के नाम पर फटकार बरसाने लगे। बुद्ध के भिक्षुक बस्ती में भिक्षा लेने जाते तो लोग उन्हें गालियाँ देने लगे। बुद्ध के संघ के लोग सेवा-प्रवृत्ति में संलग्न थे। उन लोगों के सामने भी उँगली उठाकर लोग बकवास करने लगे।

🚩बुद्ध के शिष्य जरा असावधान रहे थे। #कुप्रचार के समय साथ ही साथ सुप्रचार होता तो कुप्रचार का इतना प्रभाव नहीं होता। 

🚩शिष्य अगर निष्क्रिय रहकर सोचते रह जायें कि 'करेगा सो भरेगा... भगवान उनका नाश करेंगे..' तो कुप्रचार करने वालों को खुल्ला मैदान मिल जाता है।

🚩#संत के #सान्निध्य में आने वाले लोग #श्रद्धालु, #सज्जन, #सीधे सादे होते हैं, जबकि #दुष्ट प्रवृत्ति करने वाले लोग #कुटिलतापूर्वक #कुप्रचार करने में #कुशल होते हैं। फिर भी जिन संतों के पीछे सजग समाज होता है उन संतों के पीछे उठने वाले कुप्रचार के तूफान समय पाकर शांत हो जाते हैं और उनकी सत्प्रवृत्तियाँ प्रकाशमान हो उठती हैं।

🚩कुप्रचार ने इतना जोर पकड़ा कि बुद्ध के निकटवर्ती लोगों ने 'त्राहिमाम्' पुकार लिया। वे समझ गये कि यह व्यवस्थित आयोजन पूर्वक षड्यंत्र किया गया है। बुद्ध स्वयं तो पारमार्थिक सत्य में जागे हुए थे। वे बोलतेः "सब ठीक है, चलने दो। व्यवहारिक सत्य में वाहवाही देख ली। अब निन्दा भी देख लें। क्या फर्क पड़ता है?"

🚩शिष्य कहने लगेः "भन्ते! अब सहा नहीं जाता। संघ के निकटवर्ती भक्त भी अफवाहों के शिकार हो रहे हैं। समाज के लोग अफवाहों की बातों को सत्य मानने लग गये हैं।"

🚩बुद्धः "धैर्य रखो। हम पारमार्थिक सत्य में विश्रांति पाते हैं। यह #विरोध की #आँधी चली है तो शांत भी हो जाएगी। समय पाकर सत्य ही बाहर आयेगा। आखिर में लोग हमें जानेंगे और मानेंगे।"

 🚩कुछ लोगों ने अगवानी का झण्डा उठाया और राज्यसत्ता के समक्ष जोर-शोर से माँग की कि बुद्ध की जाँच करवाई जाये। लोग बातें कर रहे हैं और वेश्या भी कहती है कि बुद्ध रात्रि को मेरे साथ होते हैं और दिन में सत्संग करते हैं।

🚩बुद्ध के बारे में जाँच करने के लिए राजा ने अपने आदमियों को फरमान दिया। अब षड्यंत्र करनेवालों ने सोचा कि इस जाँच करने वाले पंच में अगर सच्चा आदमी आ जाएगा तो #अफवाहों का सीना चीरकर सत्य बाहर आ जाएगा। अतः उन्होंने अपने #षड्यंत्र को आखिरी पराकाष्ठा पर पहुँचाया। अब ऐसे ठोस सबूत खड़ा करना चाहिए कि बुद्ध की प्रतिभा का अस्त हो जाये।

🚩उन्होंने वेश्या को दारु पिलाकर जेतवन भेज दिया। पीछे से गुण्डों की टोली वहाँ गई। वेश्या के साथ बलात्कार आदि सब दुष्ट कृत्य करके उसका गला घोंट दिया और लाश को बुद्ध के बगीचे में गाड़कर पलायन हो गये।

🚩लोगों ने #राज्यसत्ता के द्वार खटखटाये थे लेकिन सत्तावाले भी कुछ #लोग दुष्टों के साथ #जुड़े हुए थे। ऐसा थोड़े ही है कि सत्ता में बैठे हुए सब लोग दूध में धोये हुए व्यक्ति होते हैं।

🚩राजा के अधिकारियों के द्वारा जाँच करने पर वेश्या की लाश हाथ लगी। अब दुष्टों ने जोर-शोर से चिल्लाना शुरु कर दिया।

🚩"देखो, हम पहले ही कह रहे थे। वेश्या भी बोल रही थी लेकिन तुम भगतड़े लोग मानते ही नहीं थे। अब देख लिया न? बुद्ध ने सही बात खुल जाने के भय से वेश्या को मरवाकर बगीचे में गड़वा दिया। न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी। लेकिन सत्य कहाँ तक छिप सकता है? मुद्दामाल हाथ लग गया। इस ठोस सबूत से बुद्ध की असलियत सिद्ध हो गई। सत्य बाहर आ गया।"

🚩लेकिन उन मूर्खों का पता नहीं कि तुम्हारा बनाया हुआ कल्पित सत्य बाहर आया, वास्तविक सत्य तो आज ढाई हजार वर्ष के बाद भी वैसा ही चमक रहा है। आज बुद्ध भगवान को लाखों लोग जानते हैं, आदरपूर्वक मानते हैं। उनका तेजोद्वेष करने वाले दुष्ट लोग कौन-से नरकों में जलते होंगे क्या पता!

🚩अभी जिन #संतों के ऊपर #आरोप लग रहे है उनके भक्त अगर सच्चाई किसी को बताने जाएंगे तो #दुष्ट प्रकृति के लोग तो बोलेंगे ही लेकिन जो #हिंदूवादी और #राष्ट्रवादी कहलाने वाले लोग है वे भी यही बोलेंगे की कि बुद्ध तो भगवान थे, आजकल के संत ऐसे ही है, उनको इतने पैसे की क्या जरूत है? लड़कियों से क्यों मिलते हैं..??? ऐसे कपड़े क्यों पहनते हैं..??? आदि आदि

 🚩पर उनको पता नही है कि पहले ऋषि मुनियों के पास इतनी सम्पत्ति होती थी कि राजकोष में धन कम पड़ जाता था तो ऋषि मुनियों से लोन लिया जाता था और रही कपड़े की बात तो कई भक्तों की भावना होती है तो पहन लेते हैं और लड़कियां दुःखी होती हैं तो उनके मां-बाप लेकर आते हैं तो कोई दुःख होता है तो मिल लेते हैं,उनके घर थोड़े ही बुलाने जाते हैं और भी कई तर्क वितर्क करेगे लेकिन आप सब दुःखी नहीं होना, सबके बस की बात नही है कि महापुरुषों को पहचान पाये, आप अपने गुरूदेव का #प्रचार #प्रसार करते रहें,एक दिन ऐसा आएगा कि निंदा करने वाले भी आपके पास आयेंगे और बोलेंगे कि मुझे भी अपने गुरु के पास ले चलो ।

🚩जय हिन्द

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Friday, June 9, 2017

बापू आसारामजी बोले: मोदीजी और उनके साथ जो देश की सेवा करते हैं उनका भगवान हौंसला बुलंद करे

 बापू आसारामजी बोले: मोदीजी और उनके साथ जो देश की सेवा करते हैं उनका भगवान हौंसला बुलंद करे

जून,9, 2017

जोधपुर : हिन्दू संत #आसारामजी बापू ने 8 जून को जोधपुर सेशन कोर्ट में पेशी के दौरान मीडिया से बातचीत करते समय प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को कर्मयोगी कहा और धन्यवाद दिया है । 
Narendra Modi

 #बापू आसारामजी ने $मीडिया से बातचीत करते समय कहा कि #मोदीजी और उनके साथ कन्धा मिलाकर देश की सेवा करते हैं उनका भगवान हौंसला बुलंद करे । कर्म को योग बना रहे हैं बड़ी खुशी की बात है । ऐसे कर्मयोगी मोदीजी के साथ लगें रहें तो देश को फायदा होगा ।

उन्होंने आगे कहा कि #अमित_शाह और मोदी जी और उनके साथियों को भगवान और बल दें, सच्चाई दें । 3 साल में कोई करप्शन का काम नहीं हुआ, बहुत खुशी की बात है । गरीबों के मकान बन रहे हैं यह भी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है ।

और आगे कहा कि #मोदीजी के साथी उनसे कन्धा मिलाकर देश की सेवा करें । कर्मभोग नहीं कर्मयोग हो जायेगा । मोदी जी और अमित शाह उनके साथी उनका भला हो जायेगा, देश का भला कर रहे हैं तो उन्हीं का भला होगा ।
आपको बता दें कि जब #नरेंद्र #मोदी #प्रधानमंत्री बने तभी संत आसारामजी बापू ने #जोधपुर #कोर्ट के बाहर कहा था कि मैंने 8 साल पहले ही बताया था कि मोदी जी प्रधानमंत्री बनेंगे और आज वो सपना साकार हुआ ।

जब हिन्दू संत आसारामजी बापू बाहर थे तब कई बार उनके सत्संग-प्रवचन में नरेंद्र मोदी (जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे) आया करते थे और अपना वक्तव्य भी देते थे ।

आइये आपको बताते हैं कि क्या कहते थे नरेंद्र मोदी जी संत आसारामजी बापू के बारे में...
उन्होंने कहा कि ‘‘मैं पूज्य #बापूजी के श्रीचरणों में प्रणाम करने आया हूँ । ‘‘मैंने तो पूज्य बापूजी को हरियाणा में बैठकर सुना है, पंजाब में भी सुना है, राजस्थान में भी सुना है, उत्तर प्रदेश के गलियारों में भी सुना है । समग्र राष्ट्र में सामूहिक सत्संग के द्वारा एक नयी चेतना जगी है और उसका एक नया प्रभाव शुरू हुआ है ।’’

‘‘मेरा ऐसा सौभाग्य रहा है कि जीवन में जब कोई नहीं जानता था, उस समय से बापूजी के आशीर्वाद मुझे मिलते रहे हैं, स्नेह मिलता रहा है । मैं मानता हूँ कि बापू के शब्दों में एक यौगिक शक्ति रहती है । उस यौगिक शक्ति के भरोसे हम करोड़ों गुजरातवासियों के सपने साकार होंगे ।’’

श्री नरेन्द्रभाई मोदी ने आगे कहा था : ‘‘पूज्य बापूजी ! आप देश और दुनिया - सर्वत्र #ऋषि-परम्परा की संस्कार-धरोहर को पहुँचाने के लिए अथक तपश्चर्या कर रहे हैं । अनेक युगों से चलते आये मानव-कल्याण के इस तपश्चर्या-यज्ञ में आप अपने पल-पल की आहुति देते रहे हैं । उसमें से जो संस्कार की दिव्य ज्योति प्रकट हुई है, उसके प्रकाश में "मैं और जनता" सब चलते रहें । मैं संतों के आशीर्वाद से ही जी रहा हूँ । मैं यहाँ इसलिए आया हूँ कि लाइसेंस रिन्यू हो जाय । पूज्य बापूजी ने आशीर्वाद दिया और आप सबको वंदन करने का मौका दिया, इसलिए मैं #बापूजी का ऋणी हूँ ।’’


आपको बता दें कि कुछ साल पहले संत आशारामजी बापू ने श्री नरेन्द्रभाई मोदी को शुभाशीष प्रदान करते हुए कहा था कि ‘‘हम आपको देश के प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं ।’’ बापूजी के संकल्प में उनके करोड़ों #साधकों-भक्तों का संकल्प भी जुड़ गया और आज वह साकार हो चुका है ।


गौरतलब है कि हिन्दू संत आशारामजी बापू 4 साल से बिना सबूत जोधपुर जेल में बन्द हैं और अभीतक जमानत नही मिलने पर 70 वर्ष तक हिमालय में तपस्या करने वाले 100 वर्ष से अधिक उम्र वाले बोरिया बाबा जिनकी श्रीमति इंदिरा गांधी से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तक से भी वार्तालाप होती रही है उन्होंने प्रधानमंत्री को एक खत लिखा था और बताया था कि "मोदी जी मेरा आपसे कहना है कि जिस राजा के राज में संत सताए जाए तथा संत महात्मा भयभीत होकर रहें, तो उस राजा का भविष्य कतई उज्जवल नहीं है । इसलिए मेरी तो आपको सलाह है कि संत आशारामजी बापू एक निर्दोष संत हैं । आप सम्मान के साथ उनकी आजादी का जल्दी से जल्दी प्रबंध कर दें ।"

बापू आसारामजी के #देश-विदेश के करोड़ो अनुयायियों और कई हिन्दू संगठनों ने उनके लिए धरने दिए, रैलियां निकाली, ज्ञापन दिए लेकिन उनको अभीतक कोई राहत मिली नही है ।

अब जनता ये देखना चाहती है कि बिना सबूत 4 साल से जेल में बंद आसारामजी बापू की रिहाई के लिए प्रधानमंत्री #नरेंद्र_मोदी कब ठोस कदम उठाते हैं..???

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