मुस्लिम धर्म से परेशान होकर #मुस्लिम परिवारों ने अपनाया #हिन्दू धर्म
उत्तर
प्रदेश के फैजाबाद में अपने ही #धर्म के लोगों से परेशान होकर दो दर्जन से
भी ज्यादा मुस्लिम लोगों ने #हिंदूधर्म को अपना लिया है और साथ ही सभी
#वैदिक हिंदू धर्म अपनाने की #धार्मिक प्रक्रिया पूरी की । घर वापसी करने
वाले मुस्लिमों को आर्य समाज और संघ के नेता द्वारा आयोजित विशेष पूजन के
बाद #हिंदूधर्म में वापिस शामिल किया गया है।
ghar vapsi
#आर्य समाज और संघ के नेता का दावा है कि सभी लोगों ने अपनी मर्जी से हिंदू धर्म अपनाया है।
आपको
बता दें कि यह मामला रविवार को अम्बेडकरनगर जिले के #आलापुर क्षेत्र का है
जहां दर्जन भर से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोगों ने #हिंदू धर्म अपना
लिया है और साथ में इन लोगों ने मुस्लिम नाम को छोड़कर #हिंदू नाम भी रख
दिया है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से इन लोगों के नामों को उजागर नहीं किया
गया है।
आर्य
समाज के प्रधान #हिमांशु त्रिपाठी ने कहा कि आर्य समाज के संस्थापक
#महर्षि दयानंद सरस्वती के पदचिन्हों पर चलते हुए परम पिता #परमेश्वर की
प्रेरणा से बिना किसी लोभ, भय अथवा दबाव के एक दर्जन से अधिक लोगों ने
पूर्ण #वैदिक विधि-विधान के साथ विशेष का कार्यक्रम #आचार्य शर्ममित्र
शर्मा द्वारा सम्पन्न कराया ।
विश्व
हिन्दू परिषद के #प्रवीण तोगड़िया ने भी कुछ समय पहले बताया था कि हमने
करीब 5 लाख #मुस्लिमों को हिन्दू धर्म में वापसी करवाई है ।
क्या
आप जानते हैं कि अखण्ड भारत में मुस्लिम #धर्म था ही नही लेकिन विदेशी
आक्रमणकारी मुगलों ने भारत में आकर लूट-पाट की और हिन्दुओं को क्रूर मुगलों
ने #तलवार की नोक पर जबरदस्ती मुस्लिम धर्म में परिवर्तन करवाया लेकिन अब
जिन मुस्लिमों को पता चल रहा है कि हमारे पूर्वज #हिन्दू थे हमें जबरदस्ती
मुस्लिम धर्म परिवर्तन करवाया था तो अब #मुस्लिम धर्म छोड़कर फिर से
#हिन्दूधर्म अपना रहे हैं ।
शरिया एक्ट से कई मुस्लिम लोग #परेशान हैं ।
जानिये क्या है शरिया लॉ एक्ट ??
भारत में कैसे आया ??
भारत
में अलग-अलग समाज के लोग रहते हैं । भारतीय #संविधान के अनुच्छेद 14 के
अनुसार भारत में रहने वाले सभी लोगों को एक समान संरक्षण का अधिकार है,
लेकिन जहाँ मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दों की बात आती है वहाँ कई अहम
मुद्दों पर मुसलमान #शरिया के अनुसार उन मुद्दों का निराकरण करते हैं। ये
मुद्दे है निकाह, तलाक, विरासत, बच्चों का उत्तराधिकार आदि।
अधिकतर शरिया या शारियत सुनने व पढ़ने में आता है।
आखिर ये है क्या और कब से ये लागू हुआ ?
जिसका हवाला देते हुए तमाम मौलाना कहते हैं कि उनके मामलों में दखल ना दे #सरकार ..
इस्लामिक
समाज शरीयत के अनुसार चलता है। शरीयत में #मोहम्मद पैगंबर द्वारा किए हुए
काम के शब्द शामिल हैं । #मोहम्मद पैगंबर के बाद कई संस्थाओं ने अपने
अनुसार इस्लामिक कानूनों की व्याख्या की और इन्हें प्रसारित व प्रचारित
किया। इस्लामिक लॉ की #चार संस्थायें हैं जो कुरान में लिखे शब्दों की
व्याख्या करती हैं। ये संस्थाएं हैं हनफिय्या , मलिकिय्या, शफिय्या और
हनबलिय्या । जो अलग-अलग सदी में विकसित हुई थी। मुस्लिम देश अपने अपने
मुताबिक इन संस्थाओं के #कानूनों का पालन करते हैं ।
शरीयत आखिर भारत में कैसे आया ?
भारत
में मुस्लिम पर्सनल लॉ एप्लिकेशन एक्ट ब्रिटिशों की देन है। #ब्रिटिश
सरकार का #भारतीयों पर जब राज करना मुश्किल होने लगा तब #ब्रिटिश सरकार ने
भारतीयों पर उनके सांस्कृतिक नियमों के आधार पर राज करने की प्रक्रिया
निकाली। #ब्रिटिश सरकार ने मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दे पर हस्तक्षेप
करने से इन्कार कर दिया। उन्होंने मुसलमानों के व्यक्तिगत मुद्दों के लिए
मुस्लिम लॉ एक्ट लाकर उन्हें उनके व्यक्तिगत मुद्दों पर उठे विवादों को
शरीयत के अनुसार ही सुलझाने की छूट दे दी। #ब्रिटिश सरकार ने 1937
मुस्लिम लॉ एक्ट लाकर जो विभाजन करवाने का कार्य किया वैसा ही कार्य कुछ
#पूर्ववर्ती सरकारों ने किया ।
सन्
1985 में एक 62 वर्ष की मुस्लिम महिला शाह बानो ने #सुप्रीम कोर्ट में एक
याचिका दाखिल की जिसमें उसने अपने पूर्व पति से गुजारे #भत्ते की मांग की
थी। #सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस मांग से सहमत होकर इस मुद्दे को सही बताया
और अपनी मुहर लगाई। इस फैसले का मुस्लिम समाज में काफी #विरोध देखने को
मिला व इसे कुरान के खिलाफ बताया। इस मामले ने काफी तूल पकड़ लिया था। तब
तत्कालीन #प्रधानमन्त्री ने वोट बैंक के #लालच में ऐसा फैसला लिया जिससे
देश आज भी प्रभावित है। तत्कालीन #प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने मुस्लिम
महिला संरक्षण तलाक अधिकार अधिनियम को पास कर दिया।
जिसके
अनुसार पति के लिए #तलाकशुदा पत्नी को गुजारा #भत्ता देना तो जरूरी हो गया
था लेकिन साथ ही ये प्रावधान भी था कि यह #भत्ता केवल #इद्दत की अवधि के
दौरान ही देना होगा। #इद्दत तलाक के 90 दिनों बाद तक ही होती है ।
उपरोक्त
#कानून की पूरी विवेचना आदि वर्तमान में #सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार
के लिए आवश्यक है जिससे समान नागरिक #आचार संहिता का पालन हो कर सबके लिए
समान कानून बन सके । फिलहाल 3 #तलाक के विषय में 3 #तलाक के तमाम समर्थक
शरीयत एक्ट पर चल कर 3 #तलाक को कायम रखने की मांग कर रहे हैं ।
अब #न्यायालय और #सरकार को भारतीय संविधान से अलग चलने वाले #शरिया कानून को तुरन्त #खत्म कर देना चाहिए ।
निर्दोष साध्वी प्रज्ञा को 9 साल में जमानत, रेप के आरोपी प्रजापति को 40 दिन में ही जमानत क्यों?
2008
मालेगांव बम विस्फोट में साजिश रचने की बनाई गई आरोपी
#साध्वी_प्रज्ञा_सिंह ठाकुर को मंगलवार (25 अप्रैल) को मुंबई उच्च न्यायालय
में न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फनसाल्कर जोशी की खंड
पीठ ने कहा, ‘साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की अपील को मंजूरी दी जाती है ।
याची (साध्वी) को पाँच #लाख रुपये की जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया
जाता है। प्रसाद पुरोहित की ओर से दायर अपील को खारिज किया जाता है ।’
conspiracy against india
#न्यायमूर्ति मोरे ने आदेश में कहा है कि पहली नजर में साध्वी के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है ।
एनआईए
जाँच एजेंसी के मुताबिक, विस्फोट को दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत ने कथित
तौर पर अंजाम दिया था और पुरोहित और प्रज्ञा सहित कुल 11 लोग इस मामले में
अभी #जेल में हैं ।
एनआईए ने पुरोहित की जमानत की अर्जी का विरोध किया ।
पुरोहित
ने दलील दी थी कि एनआईए कुछ आरोपियों को आरोपमुक्त करने में भेदभाव कर रही
है और एजेंसी ने उसे मामले में बलि का बकरा बनाया है ।
जब
#एनआईए ने साफ कह दिया है कि दक्षिणपंथी संगठन ने मालेगांव ब्लास्ट किया
है फिर कर्नल पुरोहित को क्यों जमानत देने का विरोध कर रही है?
गौरतलब
है कि 29 सितंबर 2008 को #मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया
गया था जिसमें आठ लोगों की मौत हुई थी और तकरीबन 80 लोग जख्मी हो गए थे।
साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वे जेल में
हैं।
अब
जनता सवाल कर रही है कि भयंकर यातनाऐं देकर 9 साल से साध्वी प्रज्ञा को
जेल में रखा गया, रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई, जेल में कैंसर हो गया और अब
एनआईए और न्यायालय बोलता है कि उनके खिलाफ कोई मामला बनता नही है, तो 9 साल
से जो साध्वी प्रज्ञा जी को बिना सबूत #जेल में रखा, उनका जो समय गया,
उनका स्वास्थ्य गया वो क्या न्यायालय लौटा पायेगा?
मीडिया ने उनकी जो खूब बदनामी की क्या वो इज्जत मीडिया दोबारा लौटा पायेगी ?
ऐसे ही कुछ समय पूर्व स्वामी #असीमानन्द को 8 साल के बाद जेल से रिहा किया गया उनको भी बिना सबूत ही जेल में रखा गया था ।
लेकिन
वहीं दूसरी ओर #उत्तर प्रदेश में सपा सरकार के दौरान कैबिनेट मंत्री गैंग
रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को 40 दिन के बाद आज (25 अप्रैल) को लखनऊ की
पॉस्को कोर्ट ने जमानत दे दी है। पूर्व मंत्री के अलावा अन्य 2 आरोपी को
भी जमानत दी है।
महिला
ने #गायत्री_प्रजापति पर आरोप लगाया है कि उसके साथ #गैंगरेप और नाबालिक
बेटी के साथ भी यौन शोषण किया। प्रजापति और 6 अन्य लोगों के खिलाफ पॉक्सो
एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था। गायत्री को 15 मार्च 2017 को गिरफ्तार किया
गया था 25 अप्रैल को जमानत मिल गई ।
वहीं
दूसरी ओर केवल छेड़छाड़ी के आरोप में हिन्दू संत बापू आसारामजी 4 साल से जेल
में बन्द है, जबकि उनको मेडिकल में क्लीनचिट भी मिल चुकी है और कॉल
डिटेल्स से भी पता चला है कि जिस समय #छेड़छाड़ी का आरोप लगाया है उस समय तो
वो अपने किसी मित्र से फोन पर बात कर रही थी और बापू आसारामजी भी किसी अन्य
कार्यक्रम में व्यस्त थे और उनको षडयंत्र के तहत फंसाने के सैकड़ों सबूत भी
मिले हैं लेकिन फिर भी जमानत क्यों नही मिल पा रही है???
क्या कानून सबके लिए समान है...???
क्यों
नेता, अभिनेता, अमीरों को शीघ्र जमानत दी जाती है लेकिन हिंदुस्तान में ही
हिन्दू संत #बापू #आसारामजी को 4 साल से और अन्य संतों और कार्यकर्ताओं को
क्यों जमानत नहीं दी जा रही है ??
क्या यही हमारी उत्तम न्याय व्यवस्था है..???
देश के 9000 हजार करोड़ लेकर भागने वाले #विजय_माल्या को तो केवल 3 घण्टे में ही जमानत मिल गई ।
इन
निर्दोष हिन्दू #साधु-संतो के खिलाफ एक भी सबूत नहीं है फिर भी इनको सालों
से जेल में रखा जा रहा है, #मीडिया द्वारा खूब बदनामी की जाती है।
आखिर ऐसा क्यों ???
क्या
इनका यही गुनाह है कि इन्होंने धर्मान्तरण पर रोक लगाई और गाँव-गाँव,
नगर-नगर जाकर #देश-विदेश में हिन्दू संस्कृति का प्रचार प्रसार किया । जनता
में राष्ट्र भक्ति जगाई ।
क्या इनका यही गुनाह था कि इन्होंने विदेशी कंपनियों से लोहा लिया और लोगों को #स्वदेशी की ओर मोड़ा।
क्या इनका यही गुनाह था कि विदेशी कल्चर का #बहिष्कार करवाया और भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित किया ।
या
ये गुनाह है कि इन्होंने अनेक गौशालायें खुलवाकर #कत्लखाने जाती गायों को
बचाया और लोगों को गाय माता को बचाने के प्रति जाग्रत किया ।
लगता
है इनका #हिन्दू_संत होना ही सबसे बड़ा गुनाह है क्योंकि इस देश में सिर्फ
हिन्दू #संतों और कार्यकर्ताओं से ही उनके मौलिक अधिकार छीन लिए गए हैं।
एक
बात तो पक्की हो गई कि जो भी हिंदुत्वनिष्ठ आगे आकर हिन्दू संस्कृति के
प्रचार प्रसार में लगेगा उन पर #राष्ट्रविरोधी तत्वों द्वारा ऐसे ही हमला
होगा ।
अब हिन्दू का जगने का समय आ गया है। हिन्दुत्वनिष्ठों के साथ हो रहे अन्याय पर अब हिन्दू चुप नहीं बैठेगा ।