Wednesday, May 17, 2017

विदेश की किताबों में बच्चे पढ़ रहे रामायण और महाभारत

विदेश की किताबों में बच्चे पढ़ रहे रामायण और महाभारत

17 मई 2017

भारत मे भले ही विदेशी लुटेरे मुगलों का और अंग्रेजों की महिमा मंडन वाला इतिहास पढ़ाया जाता हो लेकिन विदेश में आज भी कई जगह पर भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण की महिमा का इतिहास पढ़ाया जा रहा है और वे लोग बौद्धिक, आर्थिक और सभी क्षेत्रों में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं ।



विदेश की भारत से दूरी लगभग 6 हजार किलोमीटर है ।पर वहां पर मजहबी ठेकेदारों की ठेकेदारी नहीं चलती और वहाँ पर श्रीराम की रामायण और श्री कृष्ण की महाभारत कक्षा 11 के पाठ्यक्रम में पढाई जाती है ।

भगवान श्रीराम , भगवान श्रीकृष्ण , अर्जुन , भीम , नकुल, युधिष्ठिर ऐसी प्रतिमूर्तियां हैं जिनसे कोई बल,कोई बुद्धि , कोई न्याय, कोई त्याग, कोई कर्म और कोई धर्म की शिक्षा ले सकता है । 

आपको ये जान कर आश्चर्य होगा कि दूर देश रोमानिया में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं । ये जानकारी भारत में रोमानिया के राजदूत डोबरे ने विशेष बातचीत में कहा ।

भारत और रोमानिया के बीच अत्यंत निकट एवं मजबूत संबंधों को रेखांकित करते हुए रोमानिया के राजदूत राडू ओक्टावियन डोबरे ने बताया कि, दोनों देशों के निकट के सांस्कृतिक संबंध हैं और इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, हमारे यहां 11वीं कक्षा में बच्चों को रामायण और महाभारत के अंश पढाए जाते हैं ! 

इंटरनेशनल कल्चर खंड में बच्चों को यह पढ़ाया जाता है। आगे उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच निकट के सांस्कृतिक संबंध हैं जिन्हें और मजबूत करने की जरूरत है । 

रामायण, महाभारत व गीता में जीवन की हर समस्या का समाधान है....!!!

हम समाज में किस तरह रहें..?
परिवार में किस तरह रहें ...?
अपने कार्य क्षेत्र में कैसे रहें...?
 मित्रों के साथ हमारा व्यवहार कैसा हो...?
ये सभी बातें हम इस ग्रंथ से सीख सकते हैं।


रामायण, महाभारत एवं श्रीमद्भगवद्गीता  #ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही कई स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, प्रबंधन #संस्थान ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।


#आधुनिक काल में जे. रॉबर्ट आइजनहॉवर ने गीता और महाभारत का गहन अध्ययन किया। उन्होंने महाभारत में बताए गए #ब्रह्मास्त्र की संहारक क्षमता पर शोध किया और अपने मिशन को नाम दिया ट्रिनिटी (त्रिदेव)।

रॉबर्ट के नेतृत्व में 1939 से 1945 के बीच #वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह कार्य किया और #अमेरिका में 16 जुलाई 1945 को पहला परमाणु परीक्षण किया ।

हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में छुपे रहस्यों को उजागर करने के लिए विदेशों में अनेकों अनुसंधान चल रहे हैं । उसमें विदेशियों को सफलता भी खूब मिल रही है । उन्हीं रहस्यों को उजागार करने के लिए अब भारत में विश्वविद्यालय खुलने लगे हैं । पटना से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिद्दूपुर, #वैशाली में एक विश्वविद्यालय खोला जा रहा है जहाँ रामायण, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों की पढ़ाई होगी । 



अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन हॉ यूनिवर्सिटी में गीता को अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।

#माध्यमिक_शिक्षा_निदेशालय बीकानेर के डायरेक्टर बी.एल. स्वर्णकार ने आदेश में कहा है कि 'विद्यार्थियों को गीता का उपयोग सुनिश्चित करते हुए अध्ययन के लिए प्रेरित करना होगा, जिससे उनका आध्यात्मिक विकास हो सके ।'

कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने भी कहा है कि 'गीता-रामायण भारत की #सांस्कृतिक व #आध्यात्मिक धरोहर हैं। इसलिए स्कूलों में इनकी पढ़ाई को अनिवार्य किया जाना चाहिए। 

डीपीएस #भागलपुर की प्रिंसिपल डॉ. #अरुणिमा चक्रवर्ती ने भी बताया है कि रामायण और महाभारत की कथाएँ पढ़ाने से बच्चों में शालीनता पैदा की जा सकेगी ।


प्रोफेसर अनामिका गिरधर का कहना है कि'श्रीमदभगवद्गीता' में चरित्र निर्माण, आचरण,व्यवहार व विचार को सुंदर एवं अनुपम बनाने की सामग्री मिल जाती है । किसी भी सम्प्रदाय,मत या वाद की कोई भी ऐसी पुस्तक नहीं है कि जो इस कसौटी पर खरी उतरी हो । 


कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है। 

 इनका तो यहाँ तक कहना है कि गीता का मैनेजमेंट गुण पश्चिमी देशों के सिर्फ मुनाफा कमाने के मैनैजमेंट वाली सोच से कहीं बेहतर है क्योंकि गीता इंसान के पूरे व्यक्तित्व में आत्मिक सुधार की बात करती है । 

इंसान में सुधार आने के बाद उसके जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति तय है और मैनेजमेंट भी उनमें से एक है । गीता में ऐसे कई श्लोक हैं जो द्वापर युग में अर्जुन के लिए तो प्रेरणादायी साबित हुए ही थे,अब इस युग में आधुनिक मैनेजमेंट के भी बहुत काम के हैं । इसलिए आधुनिक मैनेजर गीता ज्ञान से मैनेजमेंट के गुण सीख रहे हैं ।

#भारत ने वेद-पुराण, उपनिषदों से पूरे विश्व को सही जीवन जीने की ढंग सिखाया है । इससे भारतीय बच्चे ही क्यों वंचित रहे ?

जब मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में बाइबल तो हमारे स्कूल-कॉलेजों में रामायण, महाभारत व गीता क्यों नहीं पढ़ाई जाएँ ?

 मदरसों व मिशनरियों में शिक्षा के माध्यम से धार्मिक उन्माद बढ़ाया जाता है तो #सेक्युलरवादी उसे संविधान का मौलिक अधिकार कहते है और जब स्कूलों-कॉलेजों में बच्चों को जीवन जीने का सही ढंग सिखाया जाता है तो बोलते हैं कि शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है ।


अब समय आ गया है कि पश्चिमी #संस्कृति के #नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जाए और अपनी पुरानी #संस्कृति को अपनाया जाए। #हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाना भगवाकरण नहीं है।' अपितु उसमें मानवमात्र का कल्याण और उन्नति छुपी है ।

Tuesday, May 16, 2017

भारत को लूटने वाले क्रूर, बर्बर विदेशी शासक – एक तथ्य

भारत को लूटने वाले क्रूर, बर्बर विदेशी शासक – एक तथ्य


मई 16-2017


हमारे देश भारत को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। कुछ दार्शनिक और विदेशी इतिहासकारों ने भारत में कभी गरीबी नहीं देखी थी। हम सब जानते है कि मध्य युग में भारत सोने की चिड़िया कहलाता था। इसलिए हमारा देश शुरू से ही विदेशी आक्रांताओं के निशाने पर रहा। सन् 187 ई० पू० में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद भारतीय इतिहास की राजनीतिक एकता बिखर गई।
The-cruel-barbarous-foreign-ruler-who-robbed-India-a-fact.


इस खंडित एकता के चलते देश के उत्तर-पश्चिमी मार्गों से कई विदेशी आक्रांताओं ने आकर अनेक भागों में एक ओर जहाँ लूटपाट की, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए। इन आक्रांताओं और लुटेरों में से कुछ तो महाक्रूर और बर्बर हत्यारे थे जिन्होंने भारतीय जनता को बेरहमी से कुचला।



आओं जानते हैं ऐसे कुछ बर्बर लुटेरों के बारे में ....


 *मुहम्मद बिन कासिम* (Muhammad Bin Qasim)
7वीं सदी के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान भारत के हाथ से जाता रहा। भारत में इस्लामिक शासन का विस्तार 7वीं शताब्दी के अंत में मोहम्मद बिन कासिम के सिन्ध पर आक्रमण के बाद मुस्लिम शासकों द्वारा हुआ। लगभग  712 में इराकी शासक अल हज्जाज के भतीजे एवं दामाद मुहम्मद बिन कासिम ने 17 वर्ष की अवस्था में सिन्ध और बूच के अभियान का सफल नेतृत्व किया।


 #इस्लामिक खलीफाओं ने सिन्ध फतह के लिए कई अभियान चलाए। 10 हजार #सैनिकों का एक दल ऊंट-घोड़ों के साथ सिन्ध पर आक्रमण करने के लिए भेजा गया। सिन्ध पर ईस्वी सन् 638 से 711 ई. तक के 74 वर्षों के काल में 9 खलीफाओं ने 15 बार आक्रमण किया। 15वें आक्रमण का नेतृत्व मोहम्मद बिन कासिम ने किया।


मुहम्मद बिन कासिम अत्यंत क्रूर यौद्धा था। सिंध के दीवान गुन्दुमल की बेटी ने सर कटवाना स्वीकर किया, पर मीर कासिम की पत्नी बनना नहीं। इसी तरह वहां के राजा दाहिर (679 ईस्वी में राजा बने) और उनकी पत्नियों और पुत्रियों ने भी अपनी मातृभूमि और अस्मिता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया। सिंध देश के सभी राजाओं की कहानियाँ बहुत ही मार्मिक और दुखदायी हैं। आज सिंध देश पाकिस्तान का एक प्रांत बनकर रह गया है। राजा दाहिर अकेले ही अरब और ईरान के दरिंदों से लड़ते रहे। उनका साथ किसी ने नहीं दिया बल्कि कुछ लोगों ने उनके साथ गद्दारी की।


 *महमूद गजनवी* (Mahmud Ghaznavi)

अरबों के बाद तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया। अलप्तगीन नामक एक तुर्क सरदार ने #गजनी में तुर्क साम्राज्य की स्थापना की। 177 ई. में अलप्तगीन के दामाद सुबुक्तगीन ने गजनी पर शासन किया। सबुक्तगीन ने मरने से पहले कई लड़ाईयाँ लड़ते हुए अपने राज्य की सीमाएं अफगानिस्तान, खुरासान, बल्ख एवं पश्चिमोत्तर भारत तक फैला ली थी। सुबुक्तगीन की मुत्यु के बाद उसका पुत्र महमूद गजनवी गजनी की गद्दी पर बैठा। महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेशानुसार भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करना शुरू किया ।


उसने भारत पर 1001 से 1016 ई. के बीच 17 बार आक्रमण किए। उसने प्रत्येक वर्ष भारत के अन्य हिस्सों पर आक्रमण करने की प्रतिज्ञा की। अपने 13वें अभियान में गजनवी ने बुंदेलखंड, किरात तथा लोहकोट आदि को जीत लिया। 14वां आक्रमण ग्वालियर तथा कालिंजर पर किया। अपने 15वें आक्रमण में उसने लोदोर्ग (जैसलमेर), चिकलोदर (गुजरात) तथा अन्हिलवाड (गुजरात) पर आक्रमण कर वहां खूब लूटपाट की।


माना जाता है कि #महमूद_गजनवी ने अपना 16वां आक्रमण (1025 ई.) सोमनाथ पर किया। उसने वहां के प्रसिद्ध मंदिरों को तोड़ा और वहां से अपार धन प्राप्त किया। इस मंदिर को लूटते समय महमूद ने लगभग 50,000 ब्राह्मणों एवं हिन्दुओं का कत्ल कर दिया। इसकी चर्चा पूरे देश में आग की तरह फैल गई। 17वां आक्रमण उसने सिन्ध और मुल्तान के तटवर्ती क्षेत्रों के जाटों के ऊपर किया। इसमें जाट पराजित हुए।


 *मुहम्मद गौरी*(Muhammad Ghori)

 #मुहम्मद_बिन_कासिम के बाद महमूद गजनवी और उसके बाद मुहम्मद गौरी ने भारत पर आक्रमण कर अंधाधुंध कत्लेआम और लूटपाट मचाई। इसका पूरा नाम शिहाबुद्दीन उर्फ मुईजुद्दीन मुहम्मद गौरी था। भारत में तुर्क साम्राज्य की स्थापना करने का श्रेय मुहम्मद गौरी को ही जाता है। गौरी गजनी और हेरात के मध्य स्थित छोटे से पहाड़ी प्रदेश गौर का शासक था।


उसने पहला आक्रमण 1175 ईस्वी में मुल्तान पर किया, दूसरा आक्रमण 1178 ईस्वी में गुजरात पर किया। इसके बाद 1179-86 ईस्वी के बीच उसने पंजाब पर फतह हासिल की। इसके बाद उसने 1179 ईस्वी में पेशावर तथा 1185 ईस्वी में स्यालकोट अपने कब्जे में ले लिया। 1191 ईस्वी में उसका युद्ध पृथ्वीराज चौहान से हुआ। इस युद्ध में मुहम्मद गौरी को बुरी तरह पराजित होना पड़ा। इस युद्ध में गौरी को बंधक बना लिया गया, किंतु पृथ्वीराज चौहान ने उसे छोड़ दिया। इसे तराइन का प्रथम युद्ध कहा जाता था।


इसके बाद मुहम्मद गौरी ने अधिक ताकत के साथ पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण कर दिया। तराइन का यह द्वितीय युद्ध 1192 ईस्वी में हुआ था। अबकी बार इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान हार गए और उनको बंधक बना लिया गया। ऐसा माना जाता है कि बाद में उन्हें गजनी ले जाकर मार दिया गया। गौरी भारत में गुलामवंश का शासन स्थापित करके पुन: अपने राज्य लौट गया।


 *चंगेज खान*(Changez khan)

(मंगोलियाई नाम चिंगिस खान, सन 1162 से 18 अगस्त, 1227)। चंगेज खान ने मुस्लिम साम्राज्य को लगभग नष्ट ही कर दिया था। वह एक मंगोल शासक था। वह बौद्ध धर्म का अनुयायी था। हलाकू खान भी बौद्ध था। चंगेज अपनी संगठन शक्ति, बर्बरता तथा साम्राज्य विस्तार के लिए कुख्यात रहा। भारत सहित संपूर्ण रशिया, एशिया और अरब देश चंगेज खान के नाम से ही कांपते थे।


 #चंगेज_खान का जन्म 1162 के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका वास्तविक या प्रारंभिक नाम तेमुजिन (या तेमूचिन) था। उसके पिता का नाम येसूजेई था जो कियात कबीले का मुखिया था।


चंगेज खान ने अपने अभियान चलाकर ईरान, गजनी सहित पश्‍चिम भारत के काबुल, कन्धार, पेशावर सहित कश्मीर पर भी अधिकार कर लिया। इस समय चंगेज खान ने सिंधु नदी को पार कर उत्तरी भारत और असम के रास्ते मंगोलिया वापस लौटने की सोची। किंतु वह ऐसा नहीं कर पाया। इस तरह उत्तर भारत एक संभावित लूटपाट और वीभत्स उत्पात से बच गया।


एक नए अनुसंधान के अनुसार इस क्रूर मंगोल योद्धा ने अपने हमलों में इस कदर लूटपाट और खूनखराबा किया कि एशिया में चीन, अफगानिस्तान सहित उजबेकिस्तान, #तिब्बत और बर्मा आदि देशों की बहुत बड़ी आबादी का सफाया हो गया था। मुसलमानों के लिए तो चंगेज खान और हलाकू खान अल्लाह का कहर था।


 *तैमूर*(Timur Lang)

तैमूर लंग भी चंगेज खान जैसा शासक बनना चाहता था। सन 1369 ईस्वी में वह समरकंद का शासक बना। उसके बाद उसने अपनी विजय और क्रूरता की यात्रा शुरू की। मध्य एशिया के मंगोल लोग इस बीच में मुसलमान हो चुके थे और तैमूर खुद भी मुसलमान था।


क्रूरता के मामले में वह चंगेज खान की तरह ही था। कहते हैं, एक जगह उसने दो हजार जिन्दा आदमियों की एक मीनार बनवाई और उन्हें ईंट और गारे में चुनवा दिया।


जब तैमूर ने भारत पर आक्रमण किया तब उत्तर भारत में तुगलक वंश का राज था। 1399 में तैमूर लंग द्वारा देहली पर आक्रमण के साथ ही तुगलक साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। तैमूर मंगोलों की फौज लेकर आया तो उसका कोई कड़ा मुकाबला नहीं हुआ और वह कत्लेआम करता हुआ मजे के साथ आगे बढ़ता गया।


 #तैमूर के आक्रमण के समय हिन्दू और मुसलमान दोनों ने मिलकर जौहर की राजपूती रस्म अदा की थी, यानी युद्ध में लड़ते-लड़ते मर जाने के लिए बाहर निकल पड़े थे। देहली में वह 15 दिन रहा और उसने इस बड़े शहर को कसाईखाना बना दिया। बाद में कश्मीर को लूटता हुआ वह समरकंद वापस लौट गया। तैमूर के जाने के बाद देहली #मुर्दों का शहर रह गया था।


 *बाबर*(Babar)

मुगल वंश का संस्थापक बाबर एक लूटेरा था। उसने उत्तर भारत में कई लूट को अंजाम दिया। मध्य एशिया के समरकंद राज्य की एक बहुत छोटी सी #जागीर फरगना (वर्तमान खोकन्द) में 1483 ई. में बाबर का जन्म हुआ था। उसका पिता उमर शेख मिर्जा, तैमूरशाह तथा माता कुनलुक निगार खानम #मंगोलों की वंशज थी।


बाबर ने चगताई तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा ‘तुजुक ए बाबरी’ लिखी इसे इतिहास में #बाबरनामा भी कहा जाता है। बाबर का टकराव देहली के शासक #इब्राहिम लोदी से हुआ। बाबर के जीवन का सबसे बड़ा टकराव मेवाड़ के #राणा सांगा के साथ था। बाबरनामा में इसका विस्तृत वर्णन है। संघर्ष में 1927 ई. में खन्वाह के युद्ध में, अन्त में उसे सफलता मिली।


 #बाबर ने अपने विजय पत्र में अपने को मूर्तियों की नींव का खण्डन करने वाला बताया। इस भयंकर संघर्ष से बाबर को गाजी की उपाधि प्राप्त हुई। गाजी वह जो काफिरों का कत्ल करे। बाबर ने अमानुषिक ढंग से तथा क्रूरतापूर्वक हिन्दुओं का नरसंहार ही नहीं किया, बल्कि अनेक हिन्दू मंदिरों को भी नष्ट किया। बाबर की आज्ञा से मीर बाकी ने अयोध्या में राम जन्मभूमि पर निर्मित प्रसिद्ध #मंदिर को नष्ट कर मस्जिद बनवाई, इसी भांति ग्वालियर के निकट उरवा में अनेक जैन मंदिरों को नष्ट किया। उसने चंदेरी के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों को भी नष्ट करवा दिया था, जो आज बस खंडहर है।


 *औरंगजेब*(Aurangzeb)

भारत में मुगल शासकों में सबसे क्रूर औरंगजेब था। मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब का जन्म 1618 ईस्वी में हुआ था। उसके पिता शाहजहाँ और माता का नाम मुमताज था।


बाबर का बेटा नासिरुद्दीन मुहम्मद हुमायूं देहली के तख्त पर बैठा। हुमायूं के बाद जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर, अकबर के बाद नूरुद्दीन सलीम जहांगीर, जहांगीर के बाद #शाहबउद्दीन मुहम्मद शाहजहां, शाहजहां के बाद मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब ने तख्त संभाला।


हिन्दुस्तान के इतिहास के सबसे जालिम शासक जिसने, अपने पिता को कैद किया, अपने सगे भाइयों और भतीजों की बेरहमी से हत्या की, गुरु तेग बहादुर का सर कटवाया, गुरु #गोविन्द सिंह के बच्चों को जिंदा दीवार में चुनवाया, जिसने सैकड़ों मंदिरों को तुड़वाया, जिसने अपनी प्रजा पर बे-इन्तहा जुल्म किए और अपने शासन क्षेत्र में गैर-मुस्लिमों के लिए मुनादी करावा दी कि या तो आप इस्लाम कबूल कर ले या फिर मरने के लिए तैयार रहें। औरंगजेब एक तुर्क था। उसके काल में ही उत्तर भारत का तेजी से इस्लामी करण हुआ। अधिकतर ब्राह्मणों को या तो मुसलमान बनना पड़ा या उन्होंने प्रदेश को छोड़कर महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के गांवों में शरण ली।


उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध #इतिहासकार राधाकृष्ण बुंदेली अनुसार मुगल शासक औरंगजेब ने अपनी सेना को सन् 1669 में जारी कर अपने एक हुक्मनामे पर हिंदुओं के सभी मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इस दौरान सोमनाथ मंदिर, वाराणसी का मंदिर, मथुरा का केशव राय मंदिर के अलावा कई हिंदू देवी-देवताओं के प्रसिद्ध मंदिर तोड़ दिए गए थे।


 #औरंगजेब ने हिन्दू त्यौहारों को सार्वजनिक तौर पर मनाने पर प्रतिबन्ध लगाया और उसने हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया । औरंगजेब ने दारुल हर्ब (काफिरों का देश भारत) को दारुल इस्लाम (इस्लाम का देश) में परिवर्तित करने का अपना महत्वपूर्ण लक्ष्य बनाया था। 1669 ई. में औरंगजेब ने बनारस के विश्वनाथ मंदिर एवं मथुरा के केशव राय मदिंर को तुड़वा दिया था।

*नादिर शाह* (Nadir Shah)

(जन्म 6 अगस्त, 1688 मृत्यु 17 जून, 1747) : #नादिरशाह का पूरा नाम नादिर कोली बेग था। यह ईरान का शासक था। उसने भारत पर आक्रमण कर कई तरह की लूटपाट और कत्लेआम को अंजाम दिया। देहली की सत्ता पर आसीन उस वक्त के मुगल बादशाह मुहम्मदशाह को हराने के बाद उसने वहां से अपार सम्पत्ति अर्जित की, जिसमें कोहिनूर हीरा भी शामिल था।


 #मुगल बादशाह #मुहम्मदशाह और नादिरशाह के मध्य करनाल का युद्ध 1739 ई. में लड़ा गया। काबुल पर कब्जा करने के बाद उसने देहली पर आक्रमण किया। करनाल में मुगल राजा मोहम्मद शाह और नादिर की सेना के बीच लड़ाई हुई। इसमें नादिर की सेना मुगलों के मुकाबले छोटी थी पर अपने बारूदी अस्त्रों के कारण फारसी सेना जीत गई।


हारने के बाद देहली के #सुल्तान #मोहम्मद शाह ने संभवत मार्च 1739 में देहली पहुंचने पर यह अफवाह फैलायी कि नादिर शाह मारा गया। इससे देहली में भगदड़ मच गई और फारसी सेना का कत्ल शुरू हो गया। नादिर को जब यह पता चला तो उसने इसका बदला लेने के लिए देहली पर आक्रमण कर दिया। उसने देहली में भयानक खूनखराबा किया और एक दिन में कई हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके अलावा उसने शाह से भारी धनराशि भी लूट ली। मोहम्मद शाह ने सिंधु नदी के पश्चिम की सारी भूमि भी नादिरशाह को दान में दे दी। हीरे जवाहरात का एक जखीरा भी उसे भेंट किया गया जिसमें कोहिनूर (कूह-ए-नूर), दरियानूर और ताज-ए-मह नामक विख्यात हीरे शामिल थे।


 *अहमद शाह अब्दाली* (Ahmad Shah Abdali)



 #अहमदशाह अब्दाली को अहमदशाह दुर्रानी भी कहते हैं। सन 1747 में नादिर शाह की मौत के बाद वह अफगानिस्तान का शासक बना। अपने पिता की तरह अब्दाली ने भी भारत पर सन 1748 से 1758 तक कई बार आक्रमण किया और लूटपाट करके अपार धन संपत्ति को इकट्ठा किया।


सन 1757 में जनवरी के माह में उसने देहली पर आक्रमण किया। उसने अब्दाली से बहुत ही शर्मनाक संधि की, जिसमें एक शर्त देहली को लूटने की अनुमति देना भी था। अहमदशाह एक माह तक देहली में ठहरकर लूटमार और कत्लेआम करता रहा। वहां की लूट में उसे करोड़ों की संपदा हाथ लगी।


देहली लूटने के बाद अब्दाली का लालच बढ़ गया। वहां से उसने आगरा पर आक्रमण किया। आगरा के बाद बल्लभगढ़ पर आक्रमण किया। बल्लभगढ़ में उसने जाटों को हराया और बल्लभगढ़ और उसके आस-पास के क्षेत्रों को लूटा और व्यापक जन−संहार किया।


उसके बाद अहमदशाह ने अपने पठान सैनिकों को मथुरा लूटने और हिन्दुओं के सभी पवित्र स्थलों को तोड़ने के साथ ही हिन्दुओं का व्यापक पैमाने पर कत्लेआम करने का आदेश दिया। उसने अपने सिपाहियों से कहा प्रत्येक हिन्दू के एक कटे सिर के बदले इनाम दिया जाएगा।


मथुरा के इस जनसंहार के विस्तृत ब्यौरा आज भी मथुरा के इतिहास में दर्ज है। अब्दाली द्वारा मथुरा और ब्रज की भीषण लूट बहुत ही क्रूर और बर्बर थी। यह लेख यहां से लिया गया है।
– शिवम शर्मा भारतीय


स्त्रोत : इंडियन नोव्हा


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Monday, May 15, 2017

5 से 10 साल की 30 बच्चियों का पादरी ने किया बलात्कार, चर्च ने कहा कोई बात नहीं, दी माफी

🚩 *5 से 10 साल की 30 बच्चियों का पादरी ने किया बलात्कार, चर्च ने कहा कोई बात नहीं, दी माफी*

🚩15 मई 2017

🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर हो ही गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिकट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी भी माँगी थी ।
RAPE BY CATHOLIC PASTOR


🚩चर्च के पादरी महिलाओं का एवं बच्चे-बच्चियों का बलात्कार करते हुए पकड़े गए । भले वेटिंकन सिटी के प्रभाव से उन पर सरकार या कानूनी कार्यवाही नहीं होती हो लेकिन अब पब्लिक जान चुकी है कि धर्म की आड़ में कई ईसाई पादरी कुकर्म करते हैं ।

 🚩#चर्च की आड़ में चल रहे #यौन #शोषण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं । 

🚩ऐसे ही वेटिकन सिटी का एक मामला सामने आया है...

🚩रोम के वेटिकन सिटी चर्च ने एक कैथोलिक पादरी को 5 से 10 वर्ष आयु की 30 बच्चियों का बलात्कार करने के मामले में माफी दे दी है। हालांकि, आरोपी पादरी जोस गार्सिया अताल्फो एचआईवी पीड़ित है और वह इस बात को जानता है। बावजूद इसके उसके विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। पादरी ने भी सभी बच्चियों से बलात्कार की बात कबूल की है । इन पीड़ित बच्चियों में से एक बच्ची की मां ने जब इस मामले में कार्रवाई के लिए वेटिकन सिटी के पोप को खत लिखकर मिलने की इच्छा जताई तो पोप ने इससे इनकार कर दिया और पोप ने कह दिया, “मैटर इज क्लोज्ड।”

🚩आरोपी पादरी अताल्फो ने इस बात को स्वीकार किया है कि, उसने दक्षिणी मैक्सिको के ओक्साका की दो दर्जन से ज्यादा लड़कियों का बलात्कार किया है। ओक्साका की अधिकांश जनसंख्या मूल निवासी यानी स्थानीय है। परंतु प्रशासन पर चर्च की मजबूत पकड़ के कारण से पादरी पर किसी तरह का आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सका।

🚩यह वृत्त सबसे पहले वहां की एक स्थानीय वेबसाइट ‘अर्जेन्ट 24 डॉट कॉम’ ने स्पेनिश भाषा में प्रकाशित किया।  इस वेबसाइट ने लिखा कि 30 पीड़ित बच्चियों में से केवल दो ही पादरी को निर्दोष ठहराने वाले फैसले को गलत साबित करने के लिए आगे आई हैं। इन्हीं में से एक बच्ची की मां ने रोम के पोप से मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई परंतु वहां से भी उसे निराशा हाथ लगी है। बाद में ब्रिटेन से प्रकाशित समाचारपत्र ‘द सन’ ने ‘अर्जेन्ट 24 डॉट कॉम’ के हवाले से यह वृत्त प्रकाशित किया ।


🚩आपको बता दें कि अभी हाल ही में #आस्ट्रेलिया की #कैथोलिक चर्च ने सेक्शुअल अब्यूज के मामले में करीब 21 करोड़ 20 लाख 90 हजार #अमेरिकी डॉलर (1426 करोड़ रुपए) का हर्जाना दिया है। 

🚩पिछले 35 साल के दौरान #सेक्शुअल अब्यूज का शिकार हुए हजारों बच्चों को मुआवजे, इलाज और अन्य खर्च के तौर पर ये रकम दी गई है। संस्थागत उत्पीड़न को लेकर हुई जांच की जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।


🚩रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1980 से 2015 के बीच हुए 4445 #बाल #यौन_उत्पीड़न के दावों में से 3066 मामलों में मुआवजे और अन्य भुगतान किए गए।  

 🚩सन् 2002 में #आयरलैंड के #पादरियों के यौन-शोषण के अपराधों के कारण 12 करोड़ 80 लाख डॉलर का दंड चुकाना पड़ा । 

🚩मई 2009 में प्रकाशित #रॉयन #रिपोर्ट के अनुसार 30,000 बच्चों का इन संस्थाओं में ईसाई ननों और पादरियों द्वारा प्रताड़ित और उनका शोषण किया जाता रहा ।

🚩गांधीजी कहते हैं.....
"हमें गोमांस भक्षण और शराब  पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह जहर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवार का विदेशी भाषा, वेशभूषा,रीति रिवाज के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे कानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।"

🚩फिलॉसफर नित्शे ने कहा था कि मैं ईसाई धर्म को एक अभिशाप मानता हूँ, उसमें आंतरिक विकृति की पराकाष्ठा है । वह द्वेषभाव से भरपूर वृत्ति है । इस भयंकर विष का कोई मारण नहीं । #ईसाईत गुलाम, क्षुद्र और चांडाल का पंथ है । 

🚩ऐसे #कुकर्म करने वाले चर्च के #पादरी हिंदुओं को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करवाते है जो खुद पतित हैं वो दूसरों को क्या सन्मार्ग पर लेकर जायेगे..??

🚩इनके मार्ग ( #धर्मपरिवर्तन ) में जो आड़े आते हैं उनको मीडिया द्वारा बदनाम करवा दिया जाता है । जिससे समाज सच्चाई से अनभिज्ञ रहें । 

🚩अतः #हिन्दू सावधान रहें,विदेशी प्रभाव से चलने वाली #मीडिया से और #ईसाई_पादरियों से । 

🚩अपने धर्म में मरना भी श्रेष्ठ है दूसरों का धर्म भयावह है ।

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Sunday, May 14, 2017

फिल्मकारों को गाने, डायलॉग लिखने से पहले अपनी बहन और मां के बारे में सोचना चाहिए : डीसीपी लक्ष्मी

फिल्मकारों को गाने, डायलॉग लिखने से पहले अपनी बहन और मां के बारे में सोचना चाहिए : डीसीपी लक्ष्मी

14 मई  2017
DCP Lakshmi

भारतीय #फिल्मों में बढ़ती हिंसा और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध का मुद्दा निरंतर समाज में उठता रहा है। कई बार ऐसी बातें सामने आयी जिसमें कहा गया है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध में कहीं न कहीं इस तरह की फिल्में खास रोल निभाती हैं।

 #तमिलनाडु की तीन महिला पुलिस #अधिकारियों ने इस मुद्दे को उठाया है। इन महिला आयपीएस अधिकारियों ने वीडियो के जरिए भारतीय फिल्मकारों से फिल्मों में हिंसात्मक दृश्य से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार को स्क्रीन पर नहीं दिखाएं।

फिल्मों में महिलाओं के साथ #हिंसात्मक दृश्य को लेकर खास अपील तमिलनाडु के कोयंबटूर की डीसीपी एस. लक्ष्मी (लॉ एंड ऑर्डर), एसपी राम्या भारती (कोयंबटूर) और तिरूपुर शहर कीडीसीपी दिशा मित्तल (लॉ एंड ऑर्डर) ने वीडियो के जरिए फिल्मकारों से खास अपील जारी की है। 

उन्होंने कहा कि जिस तरह से #फिल्म में महिलाओं को लेकर हिंसात्मक दृश्य दिखाए जाते हैं इसका लोगों पर असर होता है। फिर सामान्य जीवन में भी महिलाओं को ऐसी घटनाओं से गुजरना पड़ जाता है। ऐसी स्थिति सामने नहीं आए इसके लिए जरूरी है कि फिल्मों में ऐसे दृश्यों से बचा जाए। 

अधिकारियों ने फिल्म के #एक्टर्स को भी इस मामले में समझाने की कोशिश की है। 

कोयंबटूर की डीसीपी एस. लक्ष्मी (#लॉ एंड ऑर्डर) ने कहा कि, हमारे देश में महिलाओं का खास सम्मान है। यही वजह है कि इसे भारत माता कहकर बुलाया जाता है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से फिल्मों में महिलाओं के खिलाफ #हिंसात्मक दृश्य दिखाए जाते हैं ये ठीक नहीं है। 

-#महिला विरोधी दृश्यों से महिलाओं पर #अत्याचार बढ़े हैं। लोग फिल्म देखकर वैसा ही करने की कोशिश करते हैं। फिल्म बेहद सशक्त माध्यम है ऐसे में इसका बेहद गंभीरता से इस्तेमाल होना चाहिए। जिससे लोगों में अच्छा संदेश जाए। उन्होंने कहा कि जो भी गाने या #डायलॉग लिखते हैं उन्हें पहले अपनी बहन और मां के बारे में सोचना चाहिए। उनके बारे में सोचकर ही शब्दों का चयन होना चाहिए।

वहीं #डीसीपी दिशा #मित्तल ने कहा कि फिल्मों के साथ-साथ टीवी पर आनेवाले कार्यक्रम, विज्ञापन, गाने सभी हम पर काफी असर डालते हैं। ऐसे में इनका सही इस्तेमाल बेहद जरूरी है। 

 #एसपी #राम्या भारती ने कहा कि फिल्म के #डायलॉग, गाने सभी का अपना असर होता है। लोगों में कहीं इनका गलत असर नहीं जाए इससे बचने के लिए जरूरी है कि फिल्मकार इसको लेकर गंभीर बने। इसमें सुधार के जरिए महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम किया जा सकता है।


आपको बता दें कि कुछ दिन पहले केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने भी देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा के लिए बॉलीवुड और क्षेत्रीय सिनेमा को जिम्मेदार ठहराया है। 

मेनका गांधी ने कहा कि बॉलीवुड में महिलाओं से जुड़े अशोभनीय दृश्यों के कारण देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और #महिलाओं के साथ छेड़छाडी होती है । ‘फिल्मों में रोमांस की शुरुआत छेड़छाड़ से होती है। लगभग सभी फिल्मों में छेड़छाड़ को बढ़ावा दिया जाता है। 

#मेनका #गांधी ने #फिल्मकारों और विज्ञान बनाने वालों से अपील की कि वे महिलाओं की अच्छी छवि को दिखाएं। 


भला जिस देश में जहां, नर में राम और नारी में सीता देखने की संस्कृति रही हो, नदियों को भी माता कहकर पुकारा जाता हो, भगवान के विभिन्न अवतारों, ऋषि-मुनियों, #योगियों-तपस्वियों आदि की क्रीड़ा व कर्म-स्थली रही हो, महिला सशक्तिकरण के लिए दिन-रात एक कर दिया गया हो, उसके बाद भी महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के जिम्मेदार गन्दी फिल्में और ज्ञापन है ।


जानिए भारत को बॉलीवुड ने दिया क्या है ?

1. #बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।
2. विवाह किये बिना लड़का लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।
3. #विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना ।
4. चोरी #डकैती करने के तरीके।
5. भारतीय संस्कारों का उपहास उठाना।
6. लड़कियों को छोटे कपड़े पहने की सीख दे उसे फैशन का नाम देना।
7. दारू #सिगरेट चरस गांजा कैसे पिया और लाया जाये।
8. #गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।
9. भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना।
10. पूजा पाठ यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।
11. भारतीयों को #अंग्रेज बनाना।
12. भारतीय #संस्कृति को #मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।
13. माँ बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के आना।
14. #गाय पालन को मजाक दिखाना और कुत्तों को उनसे श्रेष्ठ बताना और पालना सिखाना।
15. रोटी हरी सब्जी खाना गलत बल्कि रेस्टोरेंट में पिज्जा बर्गर #कोल्ड_ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।
16. #पंडितों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना मूर्खता है मगर बालों के अजीबों गरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते हैं ।
17. शुद्ध हिन्दी या संस्कृत बोलना हास्य वाली बात है और उर्दू या अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा-लिखा और अमीरी वाली बात।

18.हिन्दू देवी-देवताओं और हिन्दू साधू-संतों का अपमान करने और अल्लाह और मोलवियों की बढ़ाई करना ।

हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और #अभिनेत्रियों का अपना आदर्श मानती है.....भोले हिन्दू फिल्म देखने के बाद गले में क्रोस मुल्ले जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर
 खुद को मॉडर्न समझते हैं 

हिन्दू युथ के रगोें में धीमा जहर भरा जा रहा है।
फिल्म जेहाद 

अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति सभ्यता दिखाए ..
तो सत्य मानिये हमारी #युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नही भटकेगी ।


अधिकतर फिल्मों में #हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा ।

फिल्मों में #हिन्दूधर्म के देवी-देवताओं का अपमान करना, #साधू-संतों का मजाक उड़ना, मंदिरों में जाना अंधश्रद्धा बताना, स्त्री को भोग्या दिखाना आदि आदि
एक सोची समझी साजिश है।

 #बॉलीवुड द्वारा देशवासियों को मीठा जहर दिया जा रहा है जिससे भारतीय संस्कृति को तोड़ने का काम किया जा रहा है ।

देश को फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ने की साजिश राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा देश के अंदर ही चल रही है। 

अतः हर #हिन्दुस्तानी इस मीठे जहर से सावधान रहें ।

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Saturday, May 13, 2017

करोड़ो जनता पर हो रहे अन्याय को रोकने हेतु पत्र

करोड़ो जनता पर हो रहे अन्याय को रोकने हेतु पत्र

13 मई 2017 

जन जागरण मंच एवं हिन्दू मुस्लिम एकता मंच ने 8 मई को जंतर-मंतर पर विशाल सत्याग्रह किया एवं बाद में उनके द्वारा सभी देशों के सभी पंथों के प्रसिद्ध धर्मगुरुओं, संतों ,महात्माओं , गणमान्य  व्यक्तियों एवं  भारत में स्थित सभी देशों के राजदूतों को एक पत्र जारी कर प्रेषित किया जा रहा है  I



इस पत्र को UNO कार्यालय, मानवाधिकार आयोग, भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री को ज्ञापन दिया जा रहा है I


विषय –विश्व मानवता के प्रतिनिधि संतों और करोड़ो जनता पर हो रहे अन्याय को रोकने हेतु पत्र


आदरणीय महोदय जी,                                                                                                                                                 अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्र और स्वार्थी धर्म विमुख राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण आज विश्व मानवता के कल्याण में रात दिन लगे हुए विशेष वर्ग के लोगों के साथ अन्याय हो रहा है । भारत के विश्व प्रसिद्ध संत के मामले में,आज इस सबसे बड़े एतिहासिक अन्याय के विरोध में 3 -4 वर्षों से करोड़ो जनता न्याय के लिए धरने प्रदर्शन रैलियाँ आयोजित कर रही है। यह मानव सभ्यता के पतन और विनाश का सूचक है । भारत के ये विश्व प्रसिद्ध मार्गदर्शक  संत विश्व कल्याण विश्व बंधुत्व के सिद्धांतों के सबसे बड़े प्रचारक है उनके करोड़ो अनुयायी है।                                                                                                                       


पिछले 10 -15 वर्षो में संयुक्त राष्ट्र संघ UNO अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को वैश्विक समस्याओं पर गंभीर आलोचनाओं का शिकार होना, सम्पूर्ण मानवता के हित में निष्पक्षता के साथ कार्य नहीं करने के कारण और अनेक गंभीर वैश्विक समस्याओं में विफलता के कारण और अनावश्यक आर्थिक खर्च के कारण अनेक देशों में हिंसक प्रदर्शन जनता द्वारा किये गए हैं ।


पिछले 17 वर्षों से युवाओं की आत्महत्या विश्व की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है । इंटरपोल रिपोर्ट सन् 2008 के अनुसार विकसित देशों में भारत की अपेक्षा प्रति एक लाख जनसंख्या पर पुलिस हजार गुना और अपराध लाख गुना अधिक है । आत्मघाती हमलों में पाकिस्तान व इराक सबसे आगे है ।


दो अंतर्राष्ट्रीय महाशक्तियों के वर्चस्व में पिछले 7 -8 वर्षों में लीबिया ,सीरिया ,मिश्र देशों में लाखों निर्दोष मासूम जनता मार दी गयी है,लाखों जनता शिविरों में नारकीय जीवन जी रही है ,बड़े –बड़े शहर कब्रिस्तान खण्डर बन गए हैं ।


वैदिक ज्ञान अनुसार धर्मनिष्ठ मनुष्य सद्गति पाते हैं, शान्ति को प्राप्त होते हैं किन्तु धर्मविमुख मनुष्य लम्बी आयु वाले भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी बन कर भूख प्यास से तड़पने पर मजबूर होते हैं वे वातावरण में अशान्ति बढ़ाते हैं ,उन्हें केवल मल - मूत्र पान करने का अधिकार होता है वे अगला जन्म लेने के लिए लाचार है । संतुलन के लिए विज्ञानमयी प्रकृति का न्यायकारी नियम है ।


भारत में पिछले 7-8 वर्षो में इन्ही अंतर्राष्ट्रीय षड़यंत्रकारी शक्तियों को विफल करके देशभक्त हिन्दू संगठनों ने देशद्रोहियों को अच्छा सबक सिखाया ।


भ्रष्टाचार,सामाजिक क्रान्ति के नाम पर धर्म विमुख इन देशद्रोहियों की धुन पर पूरे भारत की जनता आँख बंद करके नाच रही थी।


कुछ अंतर्राष्ट्रीय राजनेता ,हिन्दू जनता और भारत के मामले में दोहरे  मापदंड अपना कर सम्पूर्ण मानवता का विनाश करने के लिए तत्पर है । संतो की शरण में भारत में अनगिणत शासक हो गए जिनके अखण्ड राज्य में युगों- युगों तक देवता दुःख और अधर्म खोज नहीं पाए ,निराश होकर लौट गए ।


पिछले 3-4 वर्षों में राजनीति के प्रभाव में संत आशारामजी बापू के सत्संग के अभाव  में भारत की राजधानी दिल्ली में बलात्कार तीन गुना बढ़ गए और छेड़खानी की घटनाए छह गुना बढ़ गयी है ।


संयुक्त राष्ट्र संघ UNO ,Unicef की सन् 2004 की रिपोर्ट के अनुसार विकसित राष्ट्रों के किशोर और किशोरियाँ मानसिक रोगों और यौन रोगों से ग्रस्त हैं उनके सुधार कार्यक्रमों और अस्पतालों पर सरकार बहुत बड़ा बजट करोड़ो अरबों रुपयाँ खर्च करती है । विकसित राष्ट्र आर्थिक संकट से ग्रस्त है समस्याएं और विकराल हो रही है । 

संत आशारामजी बापू की प्रेरणा से अनेक संस्थाएं इन  समस्याओं से निपटने वाली बड़ी संस्था के रूप में उपयोगी सिद्ध हो रही हैं,ये बिना चन्दा मांगे बिना गुरु दक्षिणा लिए सामाजिक कार्य कर रहे हैं । सम्पूर्ण मानवता के कल्याण और विश्व बंधुत्व के दैवी कार्यो को 
www.mppd.org पर देख सकते हैं ।



संत पशुता और मनुष्यता में अंतर सिखाते हैं । ज्ञान और अज्ञान में अंतर सिखाते हैं । मनुष्य जीवन का एकमात्र लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति है । इस हेतु सेवा कार्य करवाते हैं । इनके करोड़ो अनुयायी गरीब आदिवासी क्षेत्रों में भण्डारे करते हैं । व्यापक रूप से व्यसन मुक्ति अभियान ,गर्भ पात विरोधी अभियान ,नि:शुल्क चिकित्सा शिविर ,बाढ़ ,भूकम्प आपदा शिविर आदि आयोजित करते है ।


मानव सभ्यता को बचाने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सभी उपक्रमों में शिक्षा कार्यक्रमों में संत श्री आशारामजी बापू आश्रम से प्रकाशित Bal Sanskar बाल संस्कार पुस्तकों को एवम दिव्य प्रेरणा प्रकाश divine inspiration,the secret of eternal energy पुस्तकें लागू करने की कृपा करें ।


संत आशारामजी बापू को सुरक्षा प्रदान कर उनके सत्संग आयोजन की बाधाओं को दूर करें । स्वयं संज्ञान लेकर सक्षम अधिकारी इस हेतु शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही करेंगे ऐसी हमें अपेक्षा है। 

कई बुद्धिजीवी ,वैज्ञानिक ,डाक्टर ,ओरा विशेषज्ञ संत आशारामजी बापू के दैवी कार्यो से आश्चर्यचकित हैं। करोड़ो लोगो के अनुभव है ।
संत आशारामजी बापू के करोड़ों करोड़ों अनुयायी संत  आशारामजी बापू की सुरक्षा और उनके सत्संग कार्यक्रम की मांग कर रहे हैं,जेल से उनकी सम्मानपूर्वक रिहाई की मांग कर रहे हैं ।



संत आशारामजी बापू निर्दोष हैं उन्हें राजनीतिक षड़यंत्र करके फँसाया गया है । विश्व प्रसिद्ध संत आशारामजी बापू 3 वर्ष 6 माह से भारत की जोधपुर जेल में बंद है । उन पर नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा है । पीड़ित लड़की की मेडिकल रिपोर्ट में लड़की कुवांरी पाई गयी है ,खरोच या छेड़खानी के कोई निशान शरीर पर नहीं पाए गए हैं। संत आशारामजी बापू की उम्र 81 वर्ष की है , जमानत उनका अधिकार है लेकिन उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया गया है ।


संत आशारामजी बापू पर पोक्सो धारा लगाई गयी है जबकि पीड़ित पक्ष की लड़की की उम्र प्राथमिक विद्यालय के अनुसार बालिग है । पीड़ित लड़की की मेडिकल रिपोर्ट ,विद्यालय की जन्म तिथि प्रतिलिपि संलग्न है । 

धन्यवाद।                                                                



आपका आभारी, बम बम ठाकुर ,
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, जन जागरण मंच एवं हिन्दू मुस्लिम एकता मंच


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Friday, May 12, 2017

मीडिया ने छुपाई खबर : 300 लोगों का ईसाई मिशनरियां करवा रही थी धर्मपरिवर्तन

मीडिया ने छुपाई खबर : 300 लोगों का ईसाई मिशनरियां करवा रही थी धर्मपरिवर्तन

12 मई 2017

ईसाई मिशनरियां प्रलोभन देकर भोले-भाले हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन करवा लेते हैं लेकिन जब उनको वास्तविकता पता चलती है कि दुनिया में हिन्दू धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है तो वो पश्चाताप करके घरवापसी करते हैं । आज ईसाई मिशनरियां देश मे खुलेआम धर्म परिवर्तन करवा रहे है पर उनके विरुद्ध क्यों मौन है भारत की मीडिया ??

Media-hidden-news-300-Christian-missionaries-were-doing-Dharmapirvantan

सिर्फ अपना नाम बदल लेने से , सिर्फ अपना आराध्य बदल लेने से कोई कुछ भी करे वो पाप और बीमारी से कैसे बच सकता है? 


ये थ्योरी फिलहाल समझ के बाहर की बात है पर ऐसा कर के भोले भाले ग्रामीणों को धर्म त्यागने पर मजबूर किया जा रहा है,वो भी बिना किसी डर के ।

मामला है गुरुवार का उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में जहाँ दक्षिण टोला थाने के गाँव सलेम पुर में अचानक ही सूचना मिली कि ईसाई मिशनरी से जुड़े कुछ लोग लगभग 300 लोगों को विभिन्न प्रलोभन आदि देकर हिन्दू धर्म त्याग करवा अपना पंथ अपनाने के लिए पहुंचे हैं ।


विश्व हिन्दू परिषद् के लिए ये खबर बहुत अप्रत्याशित थी और वो सीधे वहां पहुंच गए जहाँ हिन्दुओं का धर्म-परिवर्तन करवाया जा रहा था ।  


मौके पर भीड़ लगी मिली और धर्मांतरण के प्रमाण भी थे । वहां लोगों को बताया जा रहा था कि ईसा मसीह की शरण में आने से सारे दुःख दूर होते हैं और हर बीमारी खत्म हो जाती है और भी उसके अलावा बहुत कुछ समझाया जा रहा था । 


विश्व हिन्दू परिषद् के वहां पहुंचने की सूचना पुलिस को मिली तो हड़कंप मच गया । तत्काल किसी अनहोनी की घटना को रोकने के लिए मौके पर पुलिस बल पंहुचा और धर्मांतरण करा रहे 6 मिशनरी प्रतिनिधियों को गिरफ्तार करके थाने ले आये जहाँ उन से गहन पूछताछ की गई ।


विश्व हिन्दू परिषद् आक्रोशित हो उठी थी जिसके बाद पुलिस ने उनसे तहरीर देने की बात कही । तत्पश्चात विश्व हिन्दू परिषद् के शैलेन्द्र सिंह की दी गयी तहरीर पर मुकदमा पंजीकृत कर के कार्यवाही शुरू कर दी गई।  


मामले की गंभीरता बढ़ते देख कर जिलाधिकारी ने भी विषय का संज्ञान लिया और अधीनस्थ SDM को तत्काल कार्यवाही के निर्देश जारी किये । SDM ने पूरे प्रकरण की बारीकी देखना शुरू कर दिया है और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है । धर्म त्यागने के लिए उन्हें भी लाइन में बैठाया गया था जिनकी उम्र अभी इतनी कम है कि वो अपना नाम भी ठीक से बता नहीं पा रहे थे ।


इतनी बड़ी खबर है लेकिन किसी मीडिया ने नहीं दिखाई, केवल एकमात्र राष्ट्रवादी चैनल सुदर्शन न्यूज चैनल ने ही इसका पर्दाफाश किया ।


सरकार बदलने और नोटबन्दी के बाद आज भी ईसाई मिशनरियां हिन्दुओं का धड़ल्ले से धर्म परिवर्तन करवा रही हैं, कब रोक लगेगी?

हिन्दू गलती से किसी अन्य धर्म में चला गया और उस हिन्दू को घरवापसी करवाते है तो मीडिया खूब हल्ला करने लगती है लेकिन जब हिंदुओं का खुल्ले आम धर्मपरिवर्तन करवाया जा रहा है वहाँ पर क्यों चुप्पी साधी है मीडिया ने ??

क्या मीडिया को वेटिकन सिटी से फंड मिल रहा है? जिससे वो उनके खिलाफ नहीं बोलती !!


ईसाई मिशनरियां द्वारा हमारे देश में खुल्ले आम भोली-भाली जनता को नौकरी, पैसा, दवाई की लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। उनका उद्देश्य है कि हिन्दुस्तान को फिर से गुलाम बनाया जाये । इसलिए वो दिन-रात धर्मपरिवर्तन करवाने में लगे हैं उनको वेटिकन सिटी से पैसा मिलता है धर्मपरिवर्तन करवाने का ।

जो पादरी छोटे बच्चों के साथ कुकर्म करते हैं, बच्चियों के साथ बलात्कर करते हैं, गौ-मांस खाते हैं, मदिरापान करते हैं, वो दूसरों को कैसे पाप से मुक्त कर सकते हैं ?
 जो खुद पापकर्म में लिप्त हैं ।

अतः देश की भोली-भाली जनता को सतर्क रहने की जरूरत है ऐसे धर्म में जाना अच्छा नही है जो खुद ही पतित हो ।

मीडिया केवल हिन्दू धर्म के साधु-संतों को ही बदनाम करती है लेकिन कुकर्मी पादरियों या मौलवी के लिए एक शब्द भी नही बोलती है इससे सिद्ध होता है कि वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश से इनकी फंडिंग होती है जिससे उनके खिलाफ नही बोलकर पवित्र साधु-संतों के ऊपर कीचड़ उछालती है ।


वेटिकन सिटी का दुनिया भर में खरबों में बिजनेस चलता है, उनका एक ही उद्देश्य है कि भारत में भी धर्मपरिवर्तन के जरिये लोगों को गुमराह करके ईसाई धर्म को बढ़ावा देकर देश को गुलाम बनाया जाये।
अतः कुकर्म करने वाले पादरियों और उनके फंड से चलने वाली मीडिया से सावधान रहें ।

सरकार और न्यायालय को भी धर्मपरिवर्तन करने वालों के खिलाफ कड़क कानून बनाना चाहिए और बिकाऊ मीडिया पर लगाम कसनी चाहिए ।