Monday, July 20, 2020

धर्मान्तरण का कार्य करने वाले पादरी को आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू।

धर्मान्तरण का कार्य करने वाले पादरी को आशाराम बापू ने बना दिया हिंदू।

20 जुलाई 2020

🚩जहाँ जहाँ ईसाई मिशनरीयां धर्मान्तरण करवा रही थी, खास करके आदिवासी क्षेत्रों में वहाँ-वहाँ हिंदू संत आशाराम बापू ने जाकर सनातन हिंदू धर्म की महिमा समझाई और उनको मकान, जीवन जरूरियात सामग्री, नकद राशि देना शुरू कर दिया, और ईसाई मिशनरियों के षड़यंत्र से अवगत करवाया जिसके कारण लाखों हिंदुओं ने घरवापसी की और जो धर्मपरिवर्तन करने वाले थे वे रुक गए, करोड़ो अरबो रुपये लगाकर ईसाई मिशनरियों के NGO's कार्य कर रहे थे उनके पैसे बर्बाद होने लगे क्योंकि आदिवासी समाज अपने हिंदू धर्म की महिमा समझ चुके थे इसलिए वे धर्मपरिवर्तन नही कर रहे यहाँ तक कि धर्मपरिवर्तन कराने वाले पादरी भी आशारामजी बापू से हिंदू धर्म की महिमा सुनकर हिंदू धर्म अपना लिया।


🚩ऐसे ही एक इंडोनेशिया के पादरी रॉबर्ट सोलोमन थे वो चर्च के अंतराष्ट्रीय षडयंत्र के तहत धर्मपरिवर्तन करवाने का कार्य कर रहे थे लेकिन उन्होंने झारखंड में बापू आशारामजी का प्रवचन सुना और बाद में उन्होंने हिंदू धर्म का अध्ययन किया फिर उनको हिंदू धर्म की महिमा समाज मे आई और उन्होंने बापू आशारामजी के कार्यक्रम में जाकर हिंदू धर्म अपना लिया और पादरी रोबेर्ट सोलोमन से बन गए डॉ सुमन कुमार और आज वे खुद धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे है और देश की रक्षा के अपने प्राण देने को भी तैयार हुए है।

🚩डॉ सुमन ने क्या कहा अपने वक्तव्य में?

🚩डॉ सुमन कुमार ने कहा कि मेरा पूर्व नाम रॉबर्ट सोलोमन था, वर्तमान नाम सुमन कुमार हैं। मैं मूल रूप से इंडोनेशिया (जकार्ता) का रहने वाला था। पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से करने के बाद 1987 तक चर्च के अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के तहत मैं काम कर रहा था। देश एवं विदेशों में मिशनरीज के कार्य में संलग्न था। भारतीय परंपरा, भारतीय दर्शन को ना मैं जानता था, ना मैं मानता था और ना ही सनातनी परंपरा को देखने समझने का अवसर प्राप्त हुआ था। जाने अनजाने में जो हमसे बहुत बड़ी भूल हुई थी। उस भूल को सुधारने के लिए पूजनीय बापू जी के श्री चरणों में आकर प्रायश्चित स्वरूप मैं सोलोमन से सुमन कुमार बनके हिंदू हित और हिंदू समाज और हिंदू दर्शन और हिंदू चिंतन को स्वीकार कर रहा हूं।

🚩देशभक्ति ली लहर दौड़ रही है सुमन कुमार के भीतर

🚩सुमन कुमार ने बताया कि ओ भारत के वीर जवानों, मां का कर्ज चुका देना।
कटे-फटे इस मानचित्र को, अब भी ठीक बना देना।
पटना साहब से मिलने, ननकाना बेचैन खड़ा।
और अब के तिरंगा घुसकर, रावलपिंडी में फहरा देना।
अटक कटक से सिंधु नदी, सब कुछ हमको प्यारा है।
कश्मीर मत मांगो, पाकिस्तान हमारा है।
कोई चलता पद चिन्हों पर, कोई पद चिन्ह बनाता है।
हैं वही सूरमा इस जग में, दुनिया में पूजा जाता है।
ऐसे हमारे प्रातः स्मरणीय पूजनीय आसाराम बापूजी यहां विराजमान हैं। व्यक्ति को विचारों से, आचारों से, व्यवहारों से और संस्कारों से ढालने का प्रयत्न उन के माध्यम से करोड़ों लोगों तक यह संदेश पहुंचाया जा रहा है।
मैं नहीं तू ही तू ही जाकर, मौन तपस्वी साधक बनकर।।
हिमगिरि जैसे चुपचाप चले।।

🚩आज़ादी के लिए क्या कहा?

🚩मित्रों बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।
बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी।
इसे हम खोने नहीं देंगे और देश में रह रहे गद्दारों को हम चैन से जीने नहीं देंगे।
हम चैन से जीने नहीं देंगे।
भारत हमारी मां है, भारत हमारी मां है।
माता का रूप है प्यारा।
करना इसकी रक्षा, यही कर्तव्य हैं हमारा।

🚩आगे बताया कि यह मेरा परम सौभाग्य हैं, प्रायश्चित स्वरूप पूजनीय आसाराम बापूजी के श्री चरणों में आने का मौका मिला। हम जानते हैं की बड़ी मुश्किल से मिली है आजादी। आज जो आजादी हम को प्राप्त हुई हैं उस आजादी को हमें पूरा बनाए रखना है, बचाए रखना है, बरकरार रखना है और यही संस्कार पूजनीय बापूजी हमें देते हैं। दिस इज माय होली मदर लैंड। मैं तो कहता हूँ कि यह हमारे लिए पूजनीय वंदनीय प्रातः स्मरणीय भूमि है। हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए। छत्रपति शिवाजी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद विनायक सावरकर ने यह जो मार्ग हमको दर्शाए थे आज उन्ही मार्गो को पुनः स्मरण करने की हमें आवश्यकता हैं। तो मित्रों मैं तो कहूंगा व्यक्ति को विचार, आचार, संस्कार से ढालने का जो पूजनीय बापूजी ने कार्य किया है, जो हिंदू सोसायटी के लिए किया है। इन हिन्दू सोसाइटी देअर आर मेनी स्कूल ऑफ आर्ट्स बट ओनली वन स्कूल ऑफ हार्ट। पूज्य बापूजी में वह ताकत है जो पूरे समाज को, पूरे विश्व को दिशा देने के लिए हैं और मैं तो कहता हूं कि भारतीय परंपरा और भारतीय चिंतन हैं वह विश्व का मार्गदर्शन देने की स्थिति में है और इसलिए सनातनी परंपरा है जो सनातनी सच है उस सच को हम समझे।

🚩डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने बयान में कई बार बताया कि मेरे को एक बार फ्लाइट में आसाराम बापू मिले उनसे मैंने बातचीत करते समय बताया कि आप जो धर्मांतरण रोकने का कार्य पुरजोश से कर रहे है ईससे आपके ऊपर वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे लोग सोनिया गांधी को बोलकर आपको जेल भिजवाने की तैयारी में लगे है लेकिन बापू आशारामजी निश्चित थे उन्होंने बोला कि भगवान जो करेगा अच्छा ही होगा। ये बात आसाराम बापू को जेल भेजने से पहले की हैं।

🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है लेकिन जब उनके केस पढ़ते है तो उसमें साफ है कि जिस समय आरोप लगाने वाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है उससे तो साफ होता है कि वे उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी उसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोच तक नही आई है  और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नही है केवल छेड़छाड़ का आरोप है।

🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फेक्स भी आया था उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

🚩बता दें कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश मे 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शूर करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ो लोगो को व्यशनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं।


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Sunday, July 19, 2020

मंत्र का अद्भुत प्रभाव विदेशों के वैज्ञानिक भी मानने लगे हैं, सभी मंत्रों का राजा ॐ हैं...!

19 जुलाई 2020

🚩मंत्रविज्ञान में थोड़ा सा ही प्रवेश पाकर विदेशी लोग दंग रह गये हैं। मंत्रों में गुप्त अर्थ और उनकी शक्ति होती है। एक छोटे से सिम से जुड़कर विदेश में आराम से बात कर सकते है। जब फोन के बटन दबाते हो तो वह कृत्रिम उपग्रह से जुड़कर अमेरिका में घंटी बजा देता है, यंत्र में इतनी शक्ति है तो मंत्र में तो इससे कई गुना ज्यादा शक्ति है। क्योंकि यंत्र तो मानव के मन ने बनाया है, जबकि मंत्र की रचना किसी ऋषि ने भी नहीं की है। मंत्र तो ऋषियों से भी पहले के हैं। उन्होंने मंत्र की अनुभूतियाँ की हैं।

🚩हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी की उत्पत्ति के समय पैदा हुई सबसे पहली ध्वनि थी ʹૐʹ थी, जिसने आकाश, धरती, पाताल समेत समस्त जगत को गुंजायमान कर दिया था। इस पवित्र ध्वनि की महिमा और प्रभाव का लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ૐ के माध्यम से न सिर्फ शारीरिक विकार दूर किये जा रहे हैं बल्कि नशे के गर्त में डूब रहे युवाओं को सही राह पर लाने में भी इस पवित्र ध्वनि का प्रयोग किया जा रहा है।

🚩डॉ. लिवर लिजेरिया व दूसरे चिकित्सक कहते हैं कि ह्रीं, हरि, ॐ आदि मंत्रों के उच्चारण से शरीर के विभिन्न भागों पर भिन्न-भिन्न असर पड़ता है। डॉ. लिवर लिजेरिया ने तो 17 वर्षों के अनुभव के पश्चात् यह खोजा कि 'हरि' के साथ अगर 'ॐ' शब्द को मिलाकर उच्चारण किया जाये तो पाँचों ज्ञानेन्द्रियों पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है वह निःसंतान व्यक्ति को मंत्र के बल से संतान प्राप्त हो सकती है जबकि हमारे भारत के ऋषि-मुनियों ने इससे भी अधिक जानकारी हजारों-लाखों वर्ष पहले शास्त्रों में वर्णित कर दी थी। हजारों वर्ष पूर्व हमारे साधु-संत जो आसानी से कर सकते थे उस बात पर विज्ञान अभी कुछ-कुछ खोज रहा है।

🚩ब्रिटेन के एक साइंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से ૐ की महत्ता स्वीकार की गयी है।

🚩चिकित्सा वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कुछ आंतरिक बीमारियाँ जिनका इलाज आज तक मेडीकल साइंस में उपलब्ध नहीं है, उनमें केवल ૐ मंत्र के नियमित जप से आश्चर्यजनक रूप से कमी देखी गयी है। खासकर पेट, मस्तिष्क और हृदय सम्बन्धी बीमारियों में ૐ का जप रामबाण औषधि की तरह काम करता है।

🚩ʹरिसर्च एंड एक्सपेरिमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसʹ के प्रमुख प्रो. जे. मार्गन और उनके सहयोगियों द्वारा सात साल से हिन्दू धर्म के प्रतीक चिह्न "ૐ" के प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा था। इस दौरान उन्होंने मस्तिष्क और हृदय की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 2500 पुरुषों तथा 2000 महिलाओं को परीक्षण के दायरे में लिया। इन सारे मरीजों को केवल वे ही दवाइयाँ दी गयीं, जो उनके जीवन को बचाने के लिए जरूरी थीं, बाकी सारी दवाइयाँ बन्द कर दी गयीं। प्रतिदिन सुबह 6 बजे से 7 बजे तक एक घंटा इन लोगों को साफ-स्वच्छ खुले वातावरण में योग्य प्रशिक्षकों द्वारा ʹૐʹ मंत्र (Om Mantra) का जप करवाया गया।

🚩इस दौरान उन्हें विभिन्न ध्वनियों और आवृत्तियों में ૐ का जप करने को कहा गया। हर तीन महीने बाद मस्तिष्क, हृदय के अलावा पूरे शरीर का स्कैनिंग किया गया। चार साल तक लगातार ऐसा करने के बाद जो रिपोर्ट आयी वह चौंकाने वाली थी।

🚩लगभग 70 फीसदी पुरुष और 82 फीसदी महिलाओं में ૐ का जप शुरु करने से पहले बीमारियों की जो स्थिति थी, उसमें 90 प्रतिशत तक कमी दर्ज की गयी। इसके अलावा एक और महत्त्वपूर्ण प्रभाव सामने आया, वह है नशे से मुक्ति का। नशे के आदी हो चुके लोगों ने भी ૐ के जप से नशे की लत को दूर किया।

🚩प्रो. मार्गन का सुझाव था कि स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन ૐ का जप करके उम्र भर बीमारियों को दूर रख सकता है। प्रो. मार्गन कहते हैं कि विभिन्न आवृत्तियों और ध्वनियों के उतार-चढ़ाव से पैदा करने वाले कम्पन मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवित करते हैं और नयी कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। ૐ के जप से मस्तिष्क से लेकर नाक, गला, हृदय और पेट में तीव्र तरंगों का संचार होता है। इस कारण पूरे शरीर में रक्त का संचरण भी सुव्यवस्थित होता है। अधिकांश बीमारियाँ रक्तदोष से पैदा होती है, इसलिए ૐ का जप रक्तविकार दूर करके शरीर में स्फूर्ति बनाये रखता है।

🚩प्रो. जे. मार्गन और उनके सहयोगियों द्वारा किये गये इस अनुसंधान से विश्व के लोगों का ध्यान इस तथ्य की ओर आकृष्ट हो रहा है। हजारों वर्ष पूर्व से हमारे शास्त्रों में ૐ के विषय में विलक्षण जानकारियाँ उपलब्ध हैं।

🚩ॐ मंत्र के लगातार जप करने से शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होता है। इससे शारीरिक रोग के साथ ही मानसिक बीमारियां दूर होती हैं। काम करने की शक्ति बढ़ जाती है। इसका उच्चारण करने वाला और इसे सुनने वाला दोनों ही लाभान्वित होते हैं।
🚩ʹश्रीमद् भगवद् गीताʹ में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा हैः-
ओमित्येकाक्षरं ब्रह्म व्याहरन्मामनुस्मरन्।
यः प्रयाति त्यजन्देहं स याति परमं गतिम्।।

🚩ʹजो पुरुष ʹૐʹ इस एक अक्षररूप ब्रह्म का उच्चारण करता हुआ और उसके अर्थस्वरूप मुझ निर्गुण ब्रह्म का चिंतन करता हुआ शरीर का त्याग कर जाता है, वह पुरुष परम गति को प्राप्त होता है।ʹ (8.13)

🚩ॐ कार मंत्र की महिमा कितनी भी गाओ, लिखो कम ही है इन मंत्र के जप से यह लोक और परलोक संवर जाता है।

🚩विदेशी लोग भी भारतीय संस्कृति के मंत्रों की महिमा समझ रहे है भारतीय कब समझेगें? भारतवासियों को इसकी महत्ता समझकर लाभ उठाना चाहिए।


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Saturday, July 18, 2020

दुनिया में 172 देश ईसाई के, मुस्लिम देश 57 लेकिन हिन्दू राष्ट्र एक भी नहीं।

18 जुलाई 2020

🚩लगता है कि भारत के अनेक प्रभावी बुद्धिजीवी और पत्रकार, विदेशी लोग यहाँ की 80 प्रतिशत जनता के हिन्दू होने, उसकी भावना, दुःख और उस पर होते भेद-भाव से निरे अनजान, बेपरवाह हैं। वे भूलकर भी नहीं बताते कि मुस्लिम देशों में रहने वाले हिन्दुओं के साथ क्या बर्ताव होता है। किस तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश से हिन्दू उजड़ गए, करोड़ों की जनसंख्या मानो लुप्त हो गई। जबकि भारत में मुस्लिम आबादी फलती-फूलती, हिन्दुओं से भी अधिक तेजी से बढ़ती गई।

🚩दूसरी ओर, तमाम पड़ोसी देशों से लाखों मुस्लिम यहाँ बेहतर रोजगार और संपत्ति की चाह में अवैध रूप से निरंतर आते गए। इसमें पीड़ित और सुखी समुदायों की जो तस्वीर बनती है, उसे छिपाया गया। बल्कि, उलटा प्रचार हुआ कि भारत में हिन्दू उत्पीड़क और मुस्लिम उत्पीड़ित हैं। जबकि यदि यहाँ मुसलमानों को उत्पीड़न मिला होता तो बाहरी मुसलमान यहाँ आने की नहीं सोच सकते थे। जैसे, कोई ईसाई, हिन्दू या बौद्ध किसी भी मुस्लिम देश में जाकर रहने की कभी नहीं सोचता।

🚩भारत के प्रभावी, विशेषतः अंग्रेजी विमर्श में "हिन्दू" शब्द कभी सकारात्मक रूप में नहीं मिलता। उन बौद्धिकों के विदेशीपने का सब से बड़ा उदाहरण यही है कि जिस मानवीयता, सार्वभौमिक सदभाव और न्याय को वे बाकी दुनिया के नारों और सिद्धांतों में खोजते रहते हैं, वह यहीं हिन्दू परंपरा में मौजूद होने का उन्हें कोई भान नहीं। वे जिन मापदंडों से भारत और विशेषकर हिन्दू धर्म की निंदा करते रहते हैं, उन मापदंडों को सऊदी अरब, इस्लाम या चीन की चर्चा करते हुए साफ छोड़ देते हैं। देश या विदेश, कहीं भी हिन्दुओं का उत्पीड़न, उन पर अन्याय उनके लिए कोई खबर नहीं है, जबकि हर कहीं मुसलमानों की कैसी भी चाह, कष्ट उनके लिए प्रथम चिंता होती है, जिसे बढ़ा-चढ़ा कर छापना, दुहराना, उस पर लंबे-लंबे लेख लिखना, प्रचारित करना मानो उनका धर्म है। ऐसा घोर दोहरापन क्यों है? इस्लामी देशों के संसाधनों, ईनामों का भी इस में योगदान है। मुसलमानों के उग्र दबाव की भी इस में भूमिका है, जिस का डर अनेक बौद्धिकों को चुप रखता है।

🚩वस्तुतः जिसे आधुनिक सेक्यूलर बनाम सांप्रदायिक हिन्दुत्व की लड़ाई बताया जाता है, वह एक भ्रष्ट, जड़ वामपंथी एलीट और पारंपरिक आध्यात्मिक हिन्दू समाज के बीच का संघर्ष है। पर भारत में ही हिन्दुओं को हीन बना देने में इस की भी भूमिका है कि भारत में सरकारों और नेताओं ने दूसरे देशों में हिन्दुओं पर जुल्म, अन्याय का कभी नोटिस नहीं लिया। सरकार द्वारा ऐसी अनदेखी से अंततः देश के अंदर भी हिन्दुओं की स्थिति हीन होते जाना तय था।

🚩सभी मनुष्यों के लिए एक मापदंड़ अपनाए जाने चाहिए। सभी समुदायों, उनके विचारों, धर्मों, संगठनों को समान सिद्धांत से तौलना चाहिए। केवल हिन्दुओं के लिए निष्पक्षता, सदभाव, और सहिष्णुता के ऊँचे मापदंड बनाना अनुचित है। व्यवहारतः यह हिन्दुओं को आक्रामक मतवादों, मिशनरियों और तबलीगियों के हाथों खत्म होने की ओर विवश करना है। नागरिकता कानून का विरोध इसी का उदाहरण है।

🚩पिछले दशकों में बार-बार देखा गया कि बाहर या अंदर, हिन्दू शरणार्थियों के लिए कोई उदारवादी बौद्धिक आवाज नहीं उठी, जबकि बाहर से आते मुस्लिम घुसपैठियों, उग्रवादियों, आतंकवादियों के लिए भी मानवाधिकार, मानवीयता, सम्मान, आदि की पैरोकारी होती रही।

🚩हिन्दुओं ने दूसरे देशों पर कभी हमला नहीं किया, कभी अपने मिशनरियों को भेजकर दूसरों को छल-बल से हिन्दू विचारों को स्वीकार करने के लिए विवश नहीं किया, कभी दूसरों को गुलाम बनाकर आर्थिक शोषण-दोहन नहीं किया, कभी न कहा कि सत्य, ज्ञान या ईश्वर केवल हिन्दुओं के पास है और जो ऐसा नहीं मानते वे नीच और गंदे हैं। 1947 ई. में मुसलमानों द्वारा अलग देश बना लेने के बाद भी करोड़ों मुसलमानों को यहीं रहने दिया। इस्लामी आक्रमणकारियों द्वारा कब्जा किए गए अपने महान तीर्थ-स्थानों तक को खाली नहीं कराया, फिर भी हिन्दुओं को ही असहिष्णु, अत्याचारी कहा जा रहा है! यह हद पार करने जैसा है।

🚩झूठ और जोर-जबर्दस्ती से समझौता करना कोई भलमनसाहत नहीं है। यह आत्म-विनाश का रास्ता है। निश्चय ही यह भारत का धर्म या चाह भी नहीं है कि वह भी इस्लामी या कम्युनिस्ट मतवादियों जैसी मतवादी संकीर्णता अपना ले। परन्तु अपनी धर्म-परंपरा और संस्कृति का बचाव भी न करना, और हर तरह के बाहरी, साम्राज्यवादी मतवादों के सामने हथियार डाल देना भी उसे स्वीकार्य नहीं हो सकता।

🚩समय आ गया है कि भारत की प्रभावी बौद्धिकता में जमे हिन्दू-विरोध को उखाड़ फेंका जाए। यह घोर  भेद-भाव है, जिस से सामाजिक वातावरण निस्संदेह बिगड़ता है। ईर्ष्या-द्वेष, संदेह और वैमनस्य बढ़ता है। ऐसा होना किसी भी न्यायप्रिय को स्वीकार नहीं हो सकता। हिन्दू धर्म-समाज को भारत से ही विस्थापित करने की योजनाओं, रणनीतियों को रोकना जरूरी है।

🚩यह खुलकर और दृढ़ता से कहना जरूरी है कि यदि दुनिया में 57 देश अपने को इस्लामी गणतंत्र कहते हैं, ईसाई देश 172 बन चुके है तो एक देश हिन्दुओं का होना सर्वथा उपयुक्त है। वह भी, जिसे हजारों वर्ष से हिन्दू देश जाना ही जाता है। तब भारत की हिन्दू पहचान को कुचलकर ‘सेक्यूलरिज्म’ थोपना भयंकर जुल्म है। किसी मुस्लिम देश में सेक्यूलरिज्म का नामो-निशान नहीं है। यूरोप और अमेरिका में भी विविध ईसाई दलों, समूहों को सहज वरीयता और विशेष सम्मान प्राप्त है। वहाँ सरकार कभी भी ईसाइयों की उपेक्षा या गैर-ईसाइयों को विशेष सुविधा और विशेष अधिकार देकर काम नहीं करती। केवल भारत में ही हिन्दुओं को संवैधानिक और सामाजिक रूप में भी दबा दिया गया है। यहाँ जिन हिन्दू संगठनों को सांप्रदायिक, असहिष्णु कहकर बदनाम किया जाता है, उन्होंने एक भी माँग या काम नहीं किए जो तमाम मुस्लिम देशों में जारी इस्लामी विशेषाधिकारों की बराबरी भी कर सके। तब केवल हिन्दू संगठनों की निंदा, और मुस्लिम संगठनों, गतिविधियों पर चुप्पी रखना हिन्दू-विरोधी कुटिलता ही है।

🚩जो लोग ‘हिन्दू राष्ट्र’ की संभावना को अनिष्टकारी कह कर निंदित करते हैं, वे नहीं बताते कि हिन्दू भारत के पाँच हजार वर्षों के इतिहास में कब ऐसा मजहबी शासन बना जिस का डर दिखाया जा रहा है? क्या किसी हिन्दू राजा का शासन वैसे संकीर्ण, एकाधिकारी मजहबी राज का मॉडल था, जिस की तुलना चर्च के मध्ययुगीन शासन या इस्लामी सत्ताओं से की जा सके? कौन हिन्दू राजा ऐसा मतांध था जिसने दूसरे विश्वासों, विचारों को खत्म करने की कोशिश की? किसने अपने विचार या किताब को तलवार के बल दुनिया भर में फैलाने की कोशिश की? क्या राम, कृष्ण या शिवाजी का भी राज्य ऐसा ‘हिन्दुत्ववादी’ मॉडल है? यदि नहीं, तो हिन्दू राष्ट्र से डराना झूठा प्रपंच मात्र है।

🚩वस्तुतः जिसे हिन्दू सांप्रदायिकता कह कर निंदित किया जाता है, वह इस्लामी उग्रवाद की प्रतिक्रिया भर है। यह विशुद्ध आत्मरक्षात्मक है। अपने धर्म, समाज और देश की रक्षा करने की भावना। भारत दोनों ओर से घोषित ‘इस्लामी गणतंत्र’ देशों से घिरा है। उन की खुली-छिपी मार भी झेल रहा है। उन देशों में हिन्दुओं की दुर्दशा दुनिया के किसी भी समुदाय से बुरी है। फिलीस्तीन, सूडान या तिब्बत के लोगों के लिए बोलने वाले दुनिया भर में मिलते हैं। पर बंगलादेश में अभागे, उत्पीड़ित हिन्दुओं के लिए बोलने वाला, एक तस्लीमा नसरीन को छोड़कर, कोई नहीं सुना गया। भारत के किसी सेक्यूलरवादी, वामपंथी, गाँधीवादी बौद्धिक ने उन के लिए एक शब्द तक नहीं कहा। - डॉ. शंकर शरण

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Friday, July 17, 2020

सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस में CBI जांच करना क्यों जरूरी है?

17 जुलाई 2020

🚩वैसे तो बॉलीवुड में कई अभिनेत्रियों ने और अभिनेताओं ने आत्महत्या की है पर सुशांत राजपूत आत्महत्या का मामला बहुत गरमाया है और काफी लोग इसकी सीबीआई जांच करवाने की मांग कर रहे है और इसमें दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी जैसे भी CBI जांच कराने की मांग कर रहे है, हमने सोशल मीडिया पर देखा कि जनता में काफी आक्रोश है सबका एक ही कहना है कि इसमें सीबीआई जांच होनी चाहिए।

🚩महाराष्ट्र पुलिस के अनुसार तो अभी तक आत्महत्या ही बताई जा रही है लेकिन सीबीआई जांच के पीछे मांग करने की एक ही कारण है कि भले डिप्रेशन में आकर सुशांत ने आत्महत्या की हो लेकिन सुशांत को डिप्रेशन में में लाने में किसका हाथ था ऐसे कौन लोग है जो इनपर इतना प्रेशर बनाया था जिसके कारण सुशांत को आत्महत्या करने में मजबूर होना पड़ा।

🚩आपको बता दें कि बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा, ”आप एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बारे में भलीभाँति जानते होंगे। मेरे सहयोगी ईशकरण भंडारी ने सुशांत सिंह राजपूत की कथित सुसाइड पर कुछ रिसर्च की है। पुलिस मामला दर्ज करने के बाद मामले की जाँच कर रही है। मैंने मुंबई में स्थित अपने सूत्रों से सुना है कि इस मामले में बॉलीवुड के कई बड़े नाम, जिनके दुबई के डॉन से संबंध हैं, इसे पुलिस जाँच के जरिए कवर-अप करना चाहते हैं, ताकि इसे आत्महत्या साबित किया जा सके।”

🚩इससे पहले डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने तीनों खानों की संपत्ति की जाँच की माँग की थी। स्वामी ने सवाल उठाया कि बॉलीवुड के तीन बाहुबली सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान सुशांत सिंह राजपूत के कथित आत्महत्या मामले पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? उन्होंने विदेश, खासकर दुबई में उनकी सम्पत्तियों की जाँच के लिए भी आवाज़ उठाई।

🚩बता दें सुब्रमण्यम स्वामी के अलावा कई हस्तियां भी सुशांत सुसाइड मामले में सीबीआई जाँच की माँग की थी।


🚩आत्महत्या करने वाली अभीनेत्री जिया खान की मां राबिया अमीन कहती हैं, 'मेरी संवदेनाएं सुशांत सिंह राजपूत की फैमिली के साथ हैं। सही माइने में यह दिल दहला देने वाला मामला है। यह कोई मजाक नहीं चल रहा रहा। अब बॉलीवुड को बदलना होगा, बॉलीवुड को जागना होगा। बॉलीवुड को पूरी तरह से ऐसा करना बंद करना होगा। बुली (खिंचाई) करना भी एक तरह से किसी की हत्या करना ही है।'

🚩जिया खान की मां ने आगे कहा है कि, 'अभी जो कुछ भी हुआ है, उसने मुझे 2015 की याद दिला दी है। जब मैं जिया के मामले में एक सीबीआई ऑफिसर से मिलने गई थी तो उसने मुझे कहा कि सलमान खान का फोन आया था। वो रोज फोन करते हैं और पैसे की बात करते हैं। वो हमेशा यही कहते हैं कि लड़के से पूछताछ मत करो.. उसे मत छुओ तो हम क्‍या कर सकते हैं मैडम। इसके बाद राबिया इस मामले में उच्‍च अधिकारियों तक लेकर भी गईं।' 

🚩राबिया का कहना है कि बॉलीवुड के इस जहरीले व्‍यवहार को रोकना होगा।

🚩अभिनेत्री कंगना रनौत ने भी सवाल उठाए थे कि सुशांत को फ़िल्म इंडस्ट्री से निकालने का भय के कारण काफी मानसिक तनाव में थे लेकिन इसके पीछे कौन है उसकी जांच होनी चाहिए।

🚩ईन खबरों से पता चलता है कि सोशल मीडिया पर आरोप लागये जा रहे है वे तीनों खानों पर जा रहा है बताया जाता है कि फ़िल्म इंडस्ट्री में सलमान खान, आमिर खान, शाहरुख खान इन तीनों का काफी दबदबा चलता है वे किसी की भी फ़िल्म को हिट करते हुए रोकना, किसी का टेलेंट हो तो आगे नही आने देना, उनके केरियर खराब करना, उनको मानसिक प्रताड़ित करना ये सब करते है और ऐसा करने के लिए अंडरवर्ल्ड से पैसे मिलते हैं ऐसा बताया जाता है। इन सब कारणों को देखते हुए सुशांत राजपूत के CBI की जाँच की मांग की जा रही है । और होना भी चाहिए क्योंकि फ़िल्म इंडस्ट्री में तीनों खानों ओर अंडरवर्ल्ड का दबदबा खत्म कर देना चाहिए जिससे आगे ऐसे किसी को तनाव में आकर आत्महत्या करने में मजबूर न हो।

🚩बता दें कि आत्महत्या करना महापाप है इसलिए कोई कितना भी मानसिक तनाव में लाये पर आत्महत्या नही करनी चाहिए क्योंकि आत्महत्या करने वाले कि सद्गति नही होती हैं। ऐसे विचार आये तब भगवान को प्रार्थना करनी चाहिए और संतों की शरण मे जाना चाहिए इससे मानसिक तनाव चला जायेगा और आत्महत्या करने का विचार आना बंद हो जायेंगा।

🚩आपको बता दें कि हम बॉलीवुड का कभी समर्थन नही करते है क्योंकि बॉलीवुड भारतीय संस्कृति के खिलाफ और अश्लीलता फैलाने का काम कर रही है। गुलशन कुमार बॉलीवुड को भक्तिमय बना रहे थे वे भारतीय और हिंदू संस्कृति को बढ़ावा दे रहे थे इसलिए उनकी हत्या कर दी गई थी।

🚩बॉलीवुड ने भारतीय संस्कृति का जितना नुकसान किया है उतना किसी ने नही किया है इस बॉलीवुड में सुधार होने चाहिए हमारे भारतीय इतिहास पर ही फिल्में बननी चाहिए नही तो बॉलीवुड हमारे देश की संस्कृति को खत्म कर देगा। इसलिए बॉलीवुड को सुधार के लिए सरकार, न्यायालय, बुद्धजीवी, संस्कृति प्रेमी, बॉलीवुड में कंगना रनौत जैसे लोग आगे आये और भारतीय संस्कृति का बढ़ावा दे और पाश्चात्य संस्कृति के अनुसार बन रही फिल्में पर बेन करना चाहिए।

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