Saturday, September 12, 2020

साधुओं की हत्या रुक नहीं रही है, मंदिर में मिला 3 पुजारियों का खून से लथपथ शव....

12 सितंबर 2020


राष्ट्र विरोधी ताकतों ने देखा कि अगर भारतीय संस्कृति को खत्म करना है तो सबसे पहले उनके रक्षक साधु-संतों के प्रति लोगों की श्रद्धा खत्म करो जिसके लिए मीडिया द्वारा बदनाम करो या झूठे केस द्वारा जेल भिजवा दो अथवा हत्या कर दो जिससे आसानी से हिन्दू संस्कृति को खत्म करके धर्मान्तरण कर सकें एवं जिहाद फैला सकें और मंदिर की जगा चर्च या मस्जिद बनाकर उनका धर्म आसानी से फैला सकें ।




आपको बता दें कि कर्नाटक के मांड्या जिले के प्रसिद्ध अरकेश्वर मंदिर के 3 पुजारियों की गुरुवार (सितंबर 10, 2020) को बेरहमी से हत्या कर दी गई। वारदात को अंजाम उस समय दिया गया जब पुजारी मंदिर परिसर में सो रहे थे। पुजारियों को मौत के घाट उतारने के लिए धारदार हथियार के अलावा पत्थर का इस्तेमाल किया गया। बताया जा रहा है कि ये काम चोरी करने वाली गैंग का है।

पुलिस का कहना है कि मंड्या शहर के बाहरी इलाके गुट्टलु (Guttalu) में स्थित मंदिर के भीतर खून से लथपथ हालत में गणेश (55), प्रकाश (58) और आनंद (40) का शव मिला। तीनों पुजारियों को बेहरमी से मारा गया था। इनके सिर पत्थर से कुचले गए थे और मंदिर की दान पेटी से सारे रुपए गायब थे। जाँच में केवल दानपेटी से कुछ सिक्के ही मिले हैं। इसके अलावा उपद्रवियों ने कीमती सामान की तलाश में मंदिर के गर्भगृह में तोड़फोड़ भी की।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये तीनों पुजारी मंदिर की देखभाल करते थे। शुक्रवार को जब ग्रामीणों ने मंदिर का दरवाजा टूटा हुआ पाया, तब उन्होंने मामला जानने के लिए अंदर जाकर देखा और वहाँ उन्हें खून से लथपथ पुजारियों के शव मिले। इसके बाद उन लोगों ने पुलिस को सूचित किया।

मामले की जानकारी होते ही आई.जी. समेत सभी वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुँचे और पड़ताल शुरू की। फोरेंसिक टीम से लेकर स्निफर डॉग्स तक को क्राइम सीन के पास लाया गया।

इस घटना की सूचना पाते ही कर्नाटक के मुख्य मंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने पुजारियों के परिजनों को 5 लाख रुपए मुआवजा का ऐलान किया। मुख्यमंत्री ने कहा, “ये बेहद परेशान करने वाली बात है कि अरकेश्वर मंदिर के पुजारियों गणेश, प्रकाश और आनंद की हत्या चोरों ने कर दी है। मंदिर में मारे गए पुजारियों परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा और दोषियों के ख़िलाफ़ तत्काल कार्रवाई होगी।”


गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में साधु, संतों और पुजारियों पर हमले की घटनाओं में अचानक वृद्धि देखने को मिली है। अप्रैल में सबसे पहले पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग का मामला सामने आया था। इसके बाद महाराष्ट्र के नांदेड़ में लिंगायत समाज के साधु की हत्या हुई थी। कुछ दिनों बाद वृंदावन में साधु तमालदास के साथ मारपीट की घटना सामने आई थी। बिहार में भी कजरा थाना क्षेत्र के श्रृंगी ऋषि धाम के पुजारी नीरज झा की हत्या कर उनके शव को जंगल स्थि‍त हनुमान थान के समीप फेंक दिया गया था। इनके अलावा यूपी के सुल्तानपुर, संभल में भी इसी तरह के हमले देखने को मिले थे।

भारतीय संस्कृति महान एवं प्राचीन है लेकिन राक्षसी स्वभाव के लोगों को सनातन संस्कृति कांटे की नाई चुभ रही है इसलिए इसे नष्ट करने के लिए अनेक कुठाराघात किये पर अभी भी सनातन संस्कृति अडिग है क्योंकि इस संस्कृति के रक्षक स्वयं भगवान एवं साधु-संत हैं, जिसकी वजह से ऐसे घोर कलिकाल में भी करोड़ों लोगों की आस्था साधु-संतो के प्रति है और वे सनातन संस्कृति को लोगों के दिल मे प्रगटाते रहते हैं जिसके कारण दुष्ट स्वभाव के लोग सफल नहीं हो पा रहे हैं इसलिए साधु-संतों की हत्या कर देते है अथवा झूठे केस में जेल भेजवा देते हैं।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, September 11, 2020

अमेरिका में वर्ल्ड पार्लियामेंट में दो संतों ने हिंदू संस्कृति का लहराया है परचम

11 सितंबर 2020


भारत के साधु-संतों ने देश-विदेश में जो सनातन धर्म की धजा फहराया वे अतुलित है इन संतों ने भारतीय हिंदू संस्कृति को मिटने नही देने में बड़ा योगदान रहा है, साधु-संत राष्ट्र व धर्म की रक्षा के लिए प्राणों की भी परवाह नही करते है लेकिन सनातन धर्म विरोधी ताकते उनके खिलाफ अनेक षड्यंत्र करते रहते हैं।




स्वामी विवेकानंदजी ने अमरीका के शिकागो में 11 सितंबर 1893 को आयोजित विश्व धर्म परिषद में जो भाषण दिया था उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी।

हिन्दू संस्कृति का परचम लहराने वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट (विश्व धर्मपरिषद) शिकागो में भारत का नेतृत्व 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानंदजी ने किया था और ठीक उसके 100 साल बाद 4 सितम्बर 1993 में हिंदू संत आशारामजी बापू ने किया था ।

लेकिन दुर्भाग्य है कि जिन संतों को "भारत रत्न" की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए उन्हें ईसाई मिशनरियों के इशारे पर राजनीति के तहत झूठे आरोपों द्वारा जेल में भेजा जाता है और विदेशी फण्ड से चलने वाली भारतीय मीडिया द्वारा उन्हें बदनाम कराया जाता है।

स्वामी विवेकानंद ने जब हिंदुओं की घरवासपी शुरू किया और पादरियों का विरोध करने लगे तब ईसाई मिशनरियों की कठ पुतली बने वीरचंद गांधी द्वारा अखबारों में उनके लिए गन्दा-गंदा लिखा गया । स्वामी  विवेकानंद जी पर स्त्री लंपट, चरित्रहीन, विलासी युवान इस तरह के अनेक आरोप लगाए गए उनके हयाती काल में उन्हें इतना परेशान किया गया, उनका इतना कुप्रचार किया गया कि उनके गुरूजी की समाधि के लिये एक गज जमीन तक उन्हें नहीं मिली थी । पर अब पूरी दुनिया स्वामी विवेकानंद जी व उनके गुरूजी श्री रामकृष्ण परमहंस का जय-जयकार करती है ।

जब स्वामी विवेकानंद जी धरती से चले गए, अर्थात् इतिहास के पन्नों पर जब उनकी महिमा आयी तब लोग उनको इतना आदर - सम्मान देते हैं पर उनकी हयातीकाल में उनके साथ दुष्टों अनेक षडयंत्र किये।

क्या हम भी ऐसा व्यवहार हयात संतों के साथ तो नहीं कर रहे..??

बता दें कि आज मल्टी नेशनल कंपनियों को भारी घाटा होने के कारण ही आशारामजी बापू षड़यंत्र के तहत फंसाये गए हैं । क्योंकि उनके 8 करोड़ भक्त बीड़ी, सिगरेट, दारू, चाय, कॉफी, सॉफ्ट कोल्ड्रिंक आदि नही पीते हैं । वेलेंटाइन डे आदि नहीं मनाते जिससे विदेशी कंपनियों को अरबो-खबरों का घाटा हो रहा था और उन्होंने जो हिन्दू ईसाई बन गए थे उन लाखों हिन्दुओं की घर वापसी कराई, सनातन धर्म की महिमा सुनाई, इसलिए ईसाई मिशनरियों ने और विदेशी कंपनियों ने मिलकर मीडिया में बदमाम करवाया और राजनीति से मिलकर झूठे केस में फंसाया।

फकीरी स्वभाव के संत आशारामजी बापू सात वर्ष से कष्टदायी जेल में हैं । इसके बावजूद उन्होंने समता का साथ नहीं छोड़ा है । 8-10 करोड़ साधकों का बल होने के बाद भी कभी उसका दुरुपयोग नहीं किया । हमेशा शांति का संदेश दे के शासन-प्रशासन को सहयोग दिया । जेल में रहकर भी हमेशा अपने भक्तों को समता, धीरज और अहिंसा का संदेश भेजते रहे ।जहर उगलनेवाले टीवी चैनलों ने कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया ।बापू नहीं चाहते कि उनके भक्त उनके लिए कष्ट सहें, कानून को हाथ में लेकर कोई भी गलत कदम उठायें , देश की संपत्ति का नुकसान पहुंचे। वे हमेशा कहते रहते हैं : ‘‘सबका मंगल, सबका भला हो ।’’ वे स्वयं कष्ट सहकर मुस्कराते हैं और अपने साधकों को कहते हैं :*
"मुस्कराकर गम का जहर जिनको पीना आ गया ।
यह हकीकत है कि जहाँ में उनको जीना आ गया ।।’’

बापू आशारामजी हर परिस्थिति में सम रहने का जो उपदेश देते हैं, वह उनके स्वयं के जीवन में, व्यवहार में प्रत्यक्ष देखने को मिलता है । आज हर वह व्यक्ति पीड़ित है, जिसे अपने देश, धर्म और संस्कृति तथा इनके रक्षक संतों से प्यार है । आज दुःखद बात यह है कि देश के इतने बड़े संत, जिन्होंने विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के बाद भारत का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय संस्कृति की महानता का  डंका बजाया तथा पूरे विश्व को प्रेम और भाईचारा सिखाया, उनको सात वर्ष से जेल में रखा गया है । इसे अन्याय की पराकाष्ठा नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे?

🚩Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, September 10, 2020

अगर आप भी देशभक्त अथवा भारतीय संस्कृति के प्रचारक हैं तो सावधान रहें, कीमत चुकानी होगी।

10 सितंबर 2020


जब भी प्रसिद्ध हस्ती अथवा कोई व्यक्ति देशभक्ति, भारतीय संस्कृति या सनातन धर्म की बात करते हैं और राष्ट्र विरोधी लोगों का विरोध करते हैं तो उनको बहुत कुछ सहन करना पड़ता है, यहाँ तक ही हत्या भी हो सकती है अथवा जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं। उसमें से हम कुछ उदाहरण बता रहे हैं जिससे आप भी राष्ट्र विरोधी ताकतों से सावधान रहें।




आपने कुछ दिन से देखा होगा कि अभिनेत्री कंगना रनौत ने जब से बॉलीवुड और ड्रग्स माफियाओं की पोल खोली है तब से उनके खिलाफ कई आरोप भी लगें यहाँ तक कि उनका मकान भी तोड़ा गया और एयरपोर्ट पर विरोध भी सहन करना पड़ा और ऊपर से FIR भी दर्ज की गई तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया जा रहा है।

दूसरा उदाहरण आपको बता रहे हैं सुरेश चव्हाणके का। UPSC में मुस्लिम घुसपैठियों और जिहाद का खुलासा किया तब उनके खिलाफ केम्पेन चलाया गया, उनके खिलाफ अनेक एफआईआर दर्ज करवाई गई, यहाँ तक कि उनके चैनल को विज्ञापन देना बंद करवा दिया जिसके कारण उनका चैनल बंद हो जाये उससे पहले भी उनको काफी संघर्ष करना पड़ा।

बंगाल, केरल आदि में कई राष्ट्र भक्तो की हत्या की जा रही हैं।

जिन आदिवासियों को ईसाई बना दिया गया था, उन लाखों हिंदुओं की घर वापसी हिन्दू सन्त आशारामजी बापू ने करवा दी थी, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बना दिया, सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीने की कला बताई, कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी, वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगो में मातृ-पितृ पूजन शुरू करवा दिया।

विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे भारतीय संस्कृति का वहाँ प्रचार करने लगे थे, करोड़ो लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगो ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया, क्लबों में जाना छोड़ दिया, ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे, स्वदेशी अपनाने लगें इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबो-खरबों रुपये का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों के धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं, फिर उनको सुनियोजित ढंग से षड्यंत्र रचकर जेल भेज दिया गया और 7 साल से जेल में बंद है। 85 वर्ष की उम्र है लेकिन एक दिन भी जमानत नही दी गई।

प्रखर राष्ट्रभक्त साध्वी प्रज्ञाजी को 9 साल, डीजी वंजाराजी को 8 साल, स्वामी असीमानन्दजी को 8 साल, कर्नल पुरोहित 7 साल, केशवानन्दजी महाराज, शंकराचार्य आदि को सालों तक जेल में रखा गया और अमानवीय यातनाएं दी गई थी।

ओडीशा में धर्मान्तरण का विरोध करने वाले दारा सिंह को सालो से जेल में रखा गया है, अपनी मां की अंतेष्टि करने के लिए भी पेरोल नही दी गई। 2008 में कंधमाल में माओवादियों ने स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती सहित तीन और साधुओं की हत्या गोली मार कर दी थी। लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या इसलिए हुई थी क्योंकि स्वामी जी कंधमाल में निर्दोष आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का विरोध कर रहे थे।

आपको यह उदाहरण इसलिए बता रहे हैं कि हिन्दू ही आपस मे संगठित नही हैं, आपस मे लड़ते रहते हैं, जाति-पाती में बंटे रहे हैं, कोई एक राष्ट्रवादी फंसता है तो उसको सपोर्ट करने वाले बहुत कम हुए है जिसके कारण आज हिंदू धर्म की भी दुर्दशा हो रही है इसलिए समय आ गया है कि जिन राष्ट्रभक्तों का विरोध हो रहा है उनका पुरजोश समर्थन करें, उनके किये आवाज उठाये इसके कारण राष्ट्र विरोधी ताकते आसानी से हार जाएगी और राष्ट्रवादियों की जीत होगी इससे राष्ट्र सुरक्षित रहेगा और राष्ट्र सुरक्षित रहेगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Wednesday, September 9, 2020

धर्मांतरण कराने वालें 13 NGO का FCRA लाइसेंस किया रद्द, अब नही कर पायेंगे धर्मान्तरण।

08 सितंबर 2020


खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट (2016) में बताया था कि कई NGOs भारत देश में धर्मान्तरण के काम में लगे हुए हैं और इनमें से कई ऐसे हैं जो बहुत ही छोटी - मोटी घटनाओं को मजहबी रंग देने की साजिश रचते हैं ।




रिपोर्ट के अनुसार विदेशी डोनर्स की पहचान हुई हैं जो भारत में NGOs को फ़ण्डिंग करते हैं ताकि हिंदुओं का धर्मान्तरण करवाया जा सकें । इन विदेशी डोनर्स में अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोप शामिल हैं ।

आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 13 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया है। मंत्रालय ने यह निर्णय पिछड़े इलाकों में आदिवासियों को प्रलोभन देकर उनके धर्मांतरण कराए जाने की रिपोर्ट के बाद लिया है।

जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया गया है, उनके बैंक अकाउंट भी फ्रिज कर लिए गए हैं। कुछ राज्यों के पिछड़े इलाकें खासकर झारखंड से आई इंटेलिजेंस रिपोर्ट की मानें तो ये संस्था आदिवासियों को लोभ-लालच देकर उनका धर्मांतरण कर उन्हें ईसाई बना रहे थे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जिन 13 ईसाई संगठनों का FCRA लाइसेंस सस्पेंड किया है, उन्हें पहले ‘कारण-बताओ’ नोटिस भेजा था। लेकिन तय समय-सीमा के भीतर किसी ने भी जवाब नहीं दिया। अभी तक सिर्फ एक संगठन की ओर से जवाब आया है, वो भी तय समय-सीमा के बाद। मंत्रालय के अनुसार भेजा गया जवाब संतुष्टि के लायक नहीं है।

दो दिन पहले भी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 4 ईसाई संगठनों के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को सस्पेंड कर दिया था। जिन चार ईसाई समूहों का FCRA सस्पेंड किया गया है, उनमें झारखंड का Ecreosoculis North Western Gossner Evangelical, मणिपुर का Evangelical Churches Association (ECA), झारखंड का Northern Evangelical Lutheran Church और मुंबई स्थित New Life Fellowship Association (NLFA) शामिल हैं।

क्या है विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) :: किसी भी संगठन के लिए विदेश से चंदा प्राप्त करने के लिए गृह मंत्रालय से FCRA की मँजूरी होना अनिवार्य है। इस लाइसेंस के नहीं होने से संस्थान या संगठन विदेश से चंदा या वित्तीय योगदान मँगाने में कानूनी रूप से सक्षम नहीं होता है।

विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) 2010 के प्रावधानों के अनुसार प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराना गैर-कानूनी है। इस अधिनियम के सेक्शन 12(4) के अनुसार सक्षम अधिकारी किसी NGO या संगठन को धार्मिक गतिविधियों से परे लोभ-लालच-प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने की स्थिति में उसका लाइसेंस सस्पेंड कर सकते हैं।

भारत में बहुत सारे NGO's धर्म परिवर्तन के काम में लगे हुए हैं। विदेशी पैसों से चलने वालें NGO's धर्मपरिवर्तन ही करा रहे हैं ऐसा ही नहीं है बल्कि छोटी-छोटी घटनाओं को सांप्रदायिक बनाने की कोशिश करके भारत देश का माहोल भी खराब कर रहें हैं। 2016 की रिपोर्ट में दो तरीके की बातें हैं, एक तो धर्म परिवर्तन करने वाले NGO's की पहचान हुई है और भारत को बदनाम करने के लिए कैसे साजिश रची जा रही है, इसके लिए काफी ज्यादा मात्रा में विदेशों से NGO's को पैसे मिलते हैं ।

उसमें छत्तीसगढ़, झारखण्ड, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि कई राज्यों में गरीब आदिवासियों में धर्म परिवर्तन कराने के लिए बड़े पैमाने पर इस पैसों का उपयोग हो रहा है।
 
गैर कानूनी कामों में लिप्त विदेशी फंड से चलने वाली NGO's की इन्क्वाइरी में पता चला की इसके पैसे विदेश से इसलिए आते थे की वो बच्चों की शिक्षा में उपयोग करें।

लेकिन ये NGO's देश में जगह-जगह दँगा फैलाने का काम करते हैं। भारत देश को तोड़ने के लिए कई जगहों पर इन्होने दंगे भी करवाये थे। इसलिए गृह मंत्रालय ने इनका लाइसेंस रद्द कर दिया है।

अब ये बड़ी चौंकाने वाली रिपोर्ट है। लेकिन ये बात स्वर्गीय VHP के श्री अशोक सिंघल जी ने पहले ही बता दी थी। लेकिन इस बात पर कोई ध्यान नही दें रहा था। भारत को तोड़ने के लिए एक नहीं, दो नहीं कई हजारों NGO's लगे हैं जो आज से नहीं चल रहे हैं कई सालों से चल रहे हैं।

इनका उद्देश्य केवल यही है कि भारत देश को फिर से गुलाम बनाया जाये। उसके लिए ये NGO's दिन रात काम कर रहें हैं और उनको इसके लिए विदेश से अरबों-खरबों रूपए भेजे जातें हैं। इनसे सावधान रहें।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, September 8, 2020

जानिए लव जिहाद में हिंदू लड़कियां फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कैसे कर देती हैं।

 

08 सितंबर 2020

हिंदू युवतियों को अपने माँ-बाप धर्म के संस्कार नहीं देते हैं जिससे हिंदू युवतियां सेक्युलर बन जाती हैं और स्कूलों में भी शिक्षा सेक्युलरिज्म की दी जा रही है। ऊपर से वेब सीरीज, सीरियलों एवं फिल्मों द्वारा लव जिहाद को बढ़ावा दिया जाता है जिसके कारण हिंदू युवती लव जिहाद में आसानी से फस जाती है और उनका आखरी अंत बड़ा दर्दनाक होता है।




लव जिहाद से हिंदू युवतियों की जिंदगी बर्बाद हो गई है ऐसी एक-दो नहीं हजारों-लाखों घटनाएं होंगी पर उसकी खबरें इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया नहीं बताती है जिसके कारण ऐसी खबरें जनता तक पहुँच नही पाती है जिसके कारण दूसरी हिंदू युवतियां भी लव जिहाद में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं।

आपको यहाँ दो ताजा खबरें दिख रहे है लव जिहाद में फंसकर कैसे हिंदू युवतियां अपनी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं।

अहमदाबाद में लव जिहाद

अहमदाबाद पुलिस ने मोइन कुरैशी नाम के युवक के खिलाफ उसी की पत्नी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की है। पत्नी ने अपने शौहर के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। कुरैशी की पत्नी नयना (बदला हुआ नाम) जन्म से हिंदू है। उसने बताया कि उसके पति ने शादी से पहले उससे वादा किया कि वह कभी भी उसे हिंदू धर्म छोड़ने और इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर नहीं करेगा। लेकिन बाद में मोईन कुरैशी ने कथित तौर पर उस पर अत्याचार करना शुरू कर दिया और नयना पर इस्लाम धर्म कबूलने का दबाव डाला।

नयना कहती है कि शादी से पहले कुरैशी ने उससे अहमदाबाद के पॉश इलाके शाहीबाग में रहने का दावा किया था। लेकिन बाद में यह सामने आया कि कुरैशी दुधेश्वर नामक सामान्य इलाके में रहता हैं।

हिंदू लड़की नयना ने कहा कि फरवरी 2017 में उसने मोइन से साथ कोर्ट मैरिज की थी। कुरैशी ने 2018 में रमज़ान के दौरान उस पर इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डालना शुरू किया। इसके अलावा छोटी-छोटी बातों पर उसने झगड़े शुरू कर दिए और वो कुछ कमाता नही था और नयना खुद जॉब करके करीब 6.5 लाख रुपये कमा लेती थी उससे मोइन मौज मस्ती करता था।

वहीं 16 जनवरी, 2020 को उसके बेटे का जन्म हुआ तो कुरैशी ने नयना को अपने बेटे का हिंदू नाम रखने से मना कर दिया। नयना ने  बताया कि बच्चे के जन्म के बाद उनका रिश्ता और अधिक तनावपूर्ण हो गया था। जब उसने अपनी समस्याओं के बारे में अपनी माँ से बात की तो उसे समझौता करने के लिए कहा गया। 23 जुलाई, 2020 को कुरैशी ने नयना और अपने बेटे को उसके माता-पिता के घर ले गया और उन्हें वहाँ छोड़ दिया। तब से नयना, अपने बेटे के साथ अपने माता-पिता के साथ रह रही है। नयना ने अपने पति पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए न्याय माँगा है।

कानपुर लव जिहाद की पीड़िता मुस्कान

उत्तर प्रदेश पुलिस ने कानपुर में जाजमऊ निवासी आसिफ शाह उर्फ नफीज को गिरफ्तार किया है। आसिफ ने गोविंद नगर की 18 वर्षीय मुस्कान को अपने प्रेम जाल में फँसाया और ब्रेनवॉश कर जबरन उसको इस्लाम कबूलने पर मजबूर किया।

🚩मुस्कान के परिवार ने कानपुर के गोविंद नगर में स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की थी, जिसमें आसिफ शाह उर्फ नफीज नाम के एक युवक पर उनकी बेटी पर जादू-टोना करके ब्रेनवॉश करने, शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार करने और जबरन इस्लाम कबूल कर शादी करने के लिए धमकाने का आरोप लगाया।

आरोपित की गिरफ्तारी के बारे में बात करते हुए, मुस्कान की माँ ने कहा कि आसिफ शादीशुदा और दो बच्चों का पिता है। वह 35 साल का है, जबकि मुस्कान केवल 18 साल की थी। उसने अपनी पिछली शादी के बारे में मुस्कान से झूठ बोला था। जब वह मुस्कान को अपने घर ले गया, तो उसने कथित तौर पर अपनी पत्नी को अपनी बड़ी बहन के रूप में उससे मिलवाया था।

युवती ने बताया था कि उस पर जबरन इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया जा रहा था। इतना ही नहीं वे लोग जादू-टोना, झाड़-फूँक से उसके धर्मांतरण की कोशिश कर रहे थे। उसने यह भी कहा कि आसिफ के साथ उसका निकाह हो गया है।

सभी ने पुष्टि की थी कि कानपुर में अन्य मामलों की तरह यह भी लव जिहाद का मामला था, जहाँ आरोपित के परिवार ने योजनाबद्ध तरीके से एक हिंदू लड़की को निशाना बनाया और फँसाया था।

लव जिहाद की यहाँ केवल 2 ही घटनाओ का ही उल्लेख किया है बाकी ऐसी लाखों घटनाएं है जिसमे हिंदू युवतियों ने लव जिहाद में फंसकर अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लिया है, कई हिंदू युवतियों का तो पता भी नही चल पा रहा है कि वे कहां गई, विदेश में बेच दिया, हत्या कर दी या खुद आत्महत्या कर ली? अब हिंदुओं को जागरूक होने की अत्यंत आवश्यकता है सबसे पहले अपने बच्चों को धर्म की शिक्षा दें, अच्छे संस्कार दें, टीवी सिनेमा से दूर रखें, उनका मोबाइल चेक करते रहें जिससे बच्चे अपनी जिंदगी बर्बाद न कर लें नही तो यही बच्चे बड़े होकर आपको ही गालियां देंगे, बच्चों का भी कर्तव्य है कि अपने माँ-बाप की बात माने नही तो आगे पछताना पड़ेगा।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, September 7, 2020

पितरों का श्राद्ध करना चाहिए? शास्त्रों और पुराणों में श्राद्ध के बारे में क्या बताया है?

07 सितंबर 2020


प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर देवऋण, पितृऋण एवं ऋषिऋण रहता है। श्राद्ध क्रिया द्वारा पितृऋण से मुक्त हुआ जाता है। देवताओं को यज्ञ-भाग देने पर देवऋण से मुक्त हुआ जाता है। ऋषि-मुनि-संतों के विचारों को, आदर्शों को अपने जीवन में उतारने से, उनका प्रचार-प्रसार करने से एवं उन्हें लक्ष्य मानकर आदर सहित आचरण करने से ऋषिऋण से मुक्त हुआ जाता है।




औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहाँ को कैद कर दिया था तब शाहजहाँ ने अपने बेटे को लिख भेजाः "धन्य हैं हिन्दू जो अपने मृतक माता-पिता को भी खीर और हलुए-पूरी से तृप्त करते हैं और तू जिन्दे बाप को एक पानी की मटकी तक नहीं दे सकता? तुझसे तो वे हिन्दू अच्छे, जो मृतक माता-पिता की भी सेवा कर लेते हैं।"


■ गरुड़ पुराण में श्राद्ध की महिमा

कुर्वीत समये श्राद्धं कुले कश्चिन्न सीदति।
आयुः पुत्रान् यशः स्वर्गं कीर्तिं पुष्टिं बलं श्रियम्।।
पशून् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात्।
देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते।।
देवताभ्यः पितृणां हि पूर्वमाप्यायनं शुभम्।

"समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दुःखी नहीं रहता। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व है। देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है।"
(10.57.59)

"अमावस्या के दिन पितृगण वायु रूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं। जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं। सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे निराश होकर दुःखित मन से अपने-अपने लोकों को चले जाते हैं। अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यदि पितृजनों के पुत्र तथा बन्धु-बान्धव उनका श्राद्ध करते हैं और गया-तीर्थ में जाकर इस कार्य में प्रवृत्त होते हैं तो वे उन्हीं पितरों के साथ ब्रह्मलोक में निवास करने का अधिकार प्राप्त करते हैं। उन्हें भूख-प्यास कभी नहीं लगती। इसीलिए विद्वान को प्रयत्नपूर्वक यथाविधि शाकपात से भी अपने पितरों के लिए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।

जो लोग अपने पितृगण, देवगण, ब्राह्मण तथा अग्नि की पूजा करते हैं, वे सभी प्राणियों की अन्तरात्मा में समाविष्ट मेरी ही पूजा करते हैं। शक्ति के अनुसार विधिपूर्वक श्राद्ध करके मनुष्य ब्रह्मपर्यंत समस्त चराचर जगत को प्रसन्न कर देता है।

हे आकाशचारिन् गरूड़ ! पिशाच योनि में उत्पन्न हुए पितर मनुष्यों के द्वारा श्राद्ध में पृथ्वी पर जो अन्न बिखेरा जाता है उससे संतृप्त होते हैं। श्राद्ध में स्नान करने से भीगे हुए वस्त्रों द्वारा जी जल पृथ्वी पर गिरता है, उससे वृक्ष योनि को प्राप्त हुए पितरों की संतुष्टि होती है। उस समय जो गन्ध तथा जल भूमि पर गिरता है, उससे देव योनि को प्राप्त पितरों को सुख प्राप्त होता है। जो पितर अपने कुल से बहिष्कृत हैं, क्रिया के योग्य नहीं हैं, संस्कारहीन और विपन्न हैं, वे सभी श्राद्ध में विकिरान्न और मार्जन के जल का भक्षण करते हैं। श्राद्ध में भोजन करने के बाद आचमन एवं जलपान करने के लिए ब्राह्मणों द्वारा जो जल ग्रहण किया जाता है, उस जल से पितरों को संतृप्ति प्राप्त होती है। जिन्हें पिशाच, कृमि और कीट की योनि मिली है तथा जिन पितरों को मनुष्य योनि प्राप्त हुई है, वे सभी पृथ्वी पर श्राद्ध में दिये गये पिण्डों में प्रयुक्त अन्न की अभिलाषा करते हैं, उसी से उन्हें संतृप्ति प्राप्त होती है।

इस प्रकार ब्राह्मण, क्षत्रिय एवं वैश्यों के द्वारा विधिपूर्वक श्राद्ध किये जाने पर जो शुद्ध या अशुद्ध अन्न जल फेंका जाता है, उससे उन पितरों की तृप्ति होती है जिन्होंने अन्य जाति में जाकर जन्म लिया है। जो मनुष्य अन्यायपूर्वक अर्जित किये गये पदार्थों से श्राद्ध करते हैं, उस श्राद्ध से नीच योनियों में जन्म ग्रहण करने वाले चाण्डाल पितरों की तृप्ति होती है।

हे पक्षिन् ! इस संसार में श्राद्ध के निमित्त जो कुछ भी अन्न, धन आदि का दान अपने बन्धु-बान्धवों के द्वारा किया जाता है, वह सब पितरों को प्राप्त होता है। अन्न जल और शाकपात आदि के द्वारा यथासामर्थ्य जो श्राद्ध किया जाता है, वह सब पितरों की तृप्ति का हेतु है। - गरूड़ पुराण

अश्रद्दधानाः पाप्मानो नास्तिकाः स्थितसंशयाः।
हेतुद्रष्टा च पंचैते न तीर्थफलमश्रुते।।

गुरुतीर्थे परासिद्धिस्तीर्थानां परमं पदम्।
ध्यानं तीर्थपरं तस्माद् ब्रह्मतीर्थं सनातनम्।।

श्राद्ध न करने वाले, पापात्मा, परलोक को न मानने वाले अथवा वेदों के निन्दक, स्थिति में संदेह रखने वाले संशयात्मा एवं सभी पुण्यकर्मों में किसी कारण का अन्वेषण करने वाले कुतर्की-इन पाँचों को पवित्र तीर्थों का फल नहीं मिलता। - वायु पुराणः 77.127.128

'वायु पुराण' में आत्मज्ञानी सूत जी ऋषियों से कहते हैं- "हे ऋषिवृंद ! परमेष्ठि ब्रह्मा ने पूर्वकाल में जिस प्रकार की आज्ञा दी है उसे तुम सुनो। ब्रह्मा जी ने कहा हैः 'जो लोग मनुष्यलोक के पोषण की दृष्टि से श्राद्ध आदि करेंगे, उन्हें पितृगण सर्वदा पुष्टि एवं संतति देंगे। श्राद्धकर्म में अपने प्रपितामह तक के नाम एवं गोत्र का उच्चारण कर जिन पितरों को कुछ दे दिया जायेगा वे पितृगण उस श्राद्धदान से अति संतुष्ट होकर देने वाले की संततियों को संतुष्ट रखेंगे, शुभ आशिष तथा विशेष सहाय देंगे।"

पिता की आज्ञा प्राप्त करके जब भगवान श्री राम वन को चले गये तो उसके बाद सीता जी के साथ श्रीराम ने पुष्कर तीर्थ की यात्रा की। पुष्कर तीर्थ में पहुँचकर भगवान श्री रामजी ने भी श्राद्ध किया था।

■ श्राद्घ नहीं कर सकते हैं तो....

अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
“हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दें) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित्त मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगाएं ।

श्राद्ध पक्ष में रोज भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ और 1 माला द्वादश मंत्र ”ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और 1 माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करनी चाहिए और उस पाठ एवं माला का फल नित्य अपने पितरों को अर्पण करना चाहिए।
 
Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, September 6, 2020

श्रीकृष्ण के मंदिर में पाकिस्तान ने गिराए थे 156 बम, कर न सकें बाल भी बांका।

06 सितंबर 2020


भारत का गौरवशाली इतिहास तो हमें पढ़ाया ही नहीं जाता है बस केवल मुग़लों और अंग्रेजों के इतिहास पढ़ाकर भारतवासियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है। गलत इतिहास पढ़ाने के कारण आज आईपीएस और आईएएस जैसे बुद्धिमान अधिकारी भी उसको ही सच मानने लगते हैं पर भारत का गौरवशाली इतिहास भूल गए। हमारा भारत सोने की चिड़िया था, आज के वैज्ञानिक जो खोज कर रहे हैं वो हमारे ऋषि मुनि पहले से ही कर चुके हैं।




भारत के राजा विक्रमादित्य का राज अरब देश तक फैला था और उसके पहले भी ऐसे कई राजा थे जिनका पूरी दुनिया में राज था, उनको एकछत्र सम्राट बोलते थे और सनातन धर्म जब से सृष्टि का उद्गम हुआ तब से है यह सब बाते हमें नही पढ़ाई जा रही हैं जिसके कारण हम लोग वास्तविक इतिहास नहीं जानते हैं जिसके कारण अंग्रेजों और मुग़लो को महान समझने लगते हैं।

एक आपको ऐसा इतिहास बता रहे हैं जिसमे पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकल गई थी।

आपको बता दें कि पश्चिम भारत के महत्वपूर्ण तीर्थस्थल और चार धामों में से एक द्वारकाधीश (गुजरात) मंदिर पर 7 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान की नेवी ने जमकर बम बरसाए थे। मंदिर पर 156 बम फेंके गए थे, लेकिन फिर भी ये बम मंदिर का बाल-बांका न कर सकें। मंदिर पर 156 बम फेंके जाने की बात खुद पाकिस्तान के रेडियो में प्रसारित की गई थी। रेडियो में पाक नेवी के सैनिकों ने हर्षोल्लास के साथ कहा था... ‘मिशन द्वारका कामयाब, हमने द्वारका का नाश कर दिया। हमने कुछ ही मिनटों के अंदर मंदिर पर 156 बम फेंक कर मंदिर को तबाह कर दिया’। हालांकि यह पाक नैवी की गलतफहमी मात्र थी। दरअसल, जब नैवी ने सब-मरीन से मंदिर पर बम बरसाने शुरू किए, उस समय भगवान श्री कृष्ण की कृपा से समुद्र किनारे विशाल पत्थरों की ओट थी। हमले के समय ओट और ऊंची हो चुकी थी, जिसके चलते बम मंदिर तक पहुंच ही नहीं सकें और पानी में डिफ्यूज हो गए थे।

बंटवारे के बाद सन् 1965 में भारत-पाक के बीच हुआ यह दूसरा युद्ध था। इस जंग में पाकिस्तान ने तीनों मोर्चों पर जंग लड़ी थी, जिसमें तीनों जगह उसे मुंह की खानी पड़ी थी। द्वारका मंदिर पर हमला कमोडोर एस एम अनवर के नेतृत्व में पाकिस्तानी नेवी के एक बेड़े ने किया था।

इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने भारतीय एयरबेस पर घुसपैठ और इन्हें तबाह करने के लिए कई गोपनीय ऑपरेशन भी चलाए थे। 7 सितंबर 1965 को स्पेशल सर्विसेज ग्रुप के कमांडो पैराशूट के जरिए भारतीय इलाकों में भी घुस आए थे। पाकिस्तानी आर्मी के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल मुहम्मद मुसा के मुताबिक करीब 135 कमांडो भारत के तीन एयरबेस (हलवारा, पठानकोट और आदमपुर) पर उतारे गए। हालांकि पाकिस्तानी सेना को इस दुस्साहस की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी और उसके केवल 22 कमांडो ही अपने देश लौट सके थे। 93 पाकिस्तानी सैनिकों को बंदी बना लिया गया। इनमें एक ऑपरेशन के कमांडर मेजर खालिद बट्ट भी शामिल थे।

ऐसे कई मंदिरों का इतिहास था कि मुगल नष्ट नहीं कर सकें थे और मुग़लो व अंग्रेजो ने भारत को 2000 साल तक गुलाम रखा, मार काट की, धर्मपरिवर्तन करवाया, बंटवारा करवाया, संपत्ति लूटकर ले गए फिर भी पूरे विश्व में सबसे ज्यादा सुख शांति भारत में है और आज भी सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति जगमगा रही है यही असली भारत की पहचान है।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ