Wednesday, November 4, 2020

गाय के गोबर से बनाए गए दीये से आया आदिवासियों के जीवन में उजाला

04 नवंबर 2020



भारतीय गाय को माता का दर्जा यू ही नहीं दिया गया है, गाय माता वातावरण को शुद्ध करती है, स्वास्थ्य लाभ देती है और साथ साथ में रोजगार भी देती है बस उसका सही तरीका पता होना चाहिए।




आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के धार जिले के छोटे से गांव नावदापुरा के युवक कमल पटेल ने इसे चरितार्थ कर दिखाया है। कमल ने जब क्षेत्र के आदिवासी परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट देखा तो इंटरनेट पर उनकी मदद का जरिया खोजना शुरू किया। थोड़े प्रयास से तरकीब मिल गई। कमल को गाय के गोबर से दीपक बनाने का तरीका पता चला।

एक गाय रखने वाले परिवार को हो रही दो हजार रुपये प्रति माह की आय।

कमल ने पहले खुद दीपक बनाना सीखा फिर गांव के पांच लोगों को सिखाया। इन्होंने क्षेत्र के 25 आदिवासी परिवारों को प्रशिक्षण दिया। धार्मिक रूप से पवित्र माने जाने वाले गाय के गोबर से बने दीपक बिकने लगें। अब एक गाय रखने वाले परिवार को इससे दो हजार रुपये प्रति माह की आय हो रही है।

गाय के जिस गोबर को फेंक देते हैं, उसी से कमाई भी कर सकते हैं।

स्नातक के दूसरे साल के बाद पढ़ाई छोड़ चुके कमल ने शहीद टंटिया मामा गो सेवा समिति बनाकर आदिवासी गोपालकों को इससे जोड़ा। इन परिवारों को बताया गया कि गाय के जिस गोबर को वे फेंक देते हैं, उसी से कमाई भी कर सकते हैं। प्रशिक्षण लेने वाले परिवारों की करीब 50 गायें अब कामधेनु बन गई हैं। उनका गोबर, घी, दीपक व बाती में उपयोग हो रहा है। कमल ने प्रत्येक परिवार को प्रति गाय 500 दीपक बनाने का कार्य सौंपा है।

मदद के लिए बढ़े हाथ

एक संस्था ने भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया और चार रुपये में एक दीपक खरीदने का प्रस्ताव दिया है। दीपावली के त्योहार को देखते हुए गोबर से बने 12 दीपक, रुई और गाय के घी से बनीं 12 बातियों के बॉक्स को 75 रुपये में बेचा जा रहा है। कमल बताते है एक दीपक का वजन महज 10 ग्राम है। यह पानी में भी तैर सकता है। अब बड़े स्तर पर दीपक की बिक्री के लिए सांवरिया फाउंडेशन के सहयोग से मार्केटिंग की जाएगी।

इस तरह तैयार किए जाते हैं दीपक-

- गाय के गोबर के कंडे (उपले) बनाकर उसे एक मशीन में ग्राइंड कर बारीक चूरा तैयार किया जाता है।

- इसमें थोड़ा सा लकड़ी का बुरादा, गो-मूत्र व कुछ मात्रा में मुल्तानी मिट्टी मिलाकर पेस्ट तैयार किया जाता है।

- महाराष्ट्र से आनलाइन मंगाई गई मशीन के सांचों में इस पेस्ट को डाला जाता है।

- सांचों से दीपक निकालकर सुखाए जाते हैं और फिर कई रंगों से रंगे जाते हैं। इस तरह इको फ्रेंडली दीपक तैयार हो जाते हैं।

हमने कभी सोचा नहीं था कि यह भी हो सकता है : गो पालक

गो पालक शांता बाई व लक्ष्मी बाई बताती हैं कि हमने कभी सोचा नहीं था कि इस तरह गोबर से दीपक बना सकते हैं। इससे हमें आय होगी और हमारी दीपावली खुशियों वाली होगी। वहीं, मुन्नीबाई बताती हैं कि यह कार्य हम लोग सामूहिक रूप से कर रहे हैं। इसमें हमारे बच्चे भी मदद कर रहे हैं। इससे होने वाली आय से दीपावली पर बच्चों के लिए नए कपड़े भी खरीदे जा सकेंगे।

आप भी अपने स्थानों पर ऐसा अभियान शुरू कर सकते है, इससे वातावरण की शुद्धि होगी, गौ रक्षा होगी, रोजगार मिलेगा और स्वास्थ्य लाभ भी मिलेगा एक साथ सभी कार्य होंगे।

आपको बता दें कि परमाणु विकिरण से बचने में गाय का गोबर उपयोगी होता है। भारतीय गाय के गोबर-गोमूत्र में रेडियोधर्मिता को सोखने का गुण होता है और गोबर को शरीर पर मलकर स्नान करने से बहुत से चर्मरोग दूर हो जाते हैं। गोमय स्नान को पवित्रता और स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वोत्तम माना गया है। इस प्रकार भारतीय गाय की अनेक अदभुत विशेषताएँ हैं।

आज से आप भी गौमाता की महत्ता सजकर गाय के दूध-दही, घी, गौमूत्र, गोबर से सभी तक पहुचाने का दिव्य कार्य करके सभी को स्वास्थ्य प्रदान कर सकते है व रोजगार भी प्राप्त कर सकते हैं।

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Tuesday, November 3, 2020

इस घटना से आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे, इसके बाद कोई लड़की लव जिहाद में नहीं फंसेगी

03 नवंबर 2020


लव जिहाद स्लो पोइजन है। सेक्युलर बनी हिन्दू लड़कियां नहीं जान पाती हैं कि आगे उनका जीवन कितना नारकीय होगा। वे कल्पना भी नहीं कर सकती हैं। इस घटना से सीख लेनी चाहिए कि लव जिहाद में फंसने वाली लड़कियों की क्या हालत होती है।




मेरठ (उत्तर प्रदेश) के पास लोइया गांव में शबी अहमद के खेत से एक कुत्ता किसी मानव अंग को लेकर भाग रहा था। कुत्ते को मानव अंग लेकर भागते हुए ईश्वर पंडित ने देखा और उन्हें शक हुआ। पुलिस को सूचना दी गयी। पुलिस ने आकर शबी अहमद के खेत की खुदाई की तो एक लाश मिली। लाश किसी महिला की थी जिसका सिर और दोनों हाथ गायब थे।

पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवाया और हत्यारे की खोजबीन शुरु कर दी। हत्यारे को पकड़ना इतना आसान न था क्योंकि लाश का सिर गायब था। इसलिए उस लाश की शिनाख्त भी नहीं हो सकती थी। गांव के आसपास ऐसी कोई महिला गायब भी नहीं थी जिसकी हत्या पर शक जाता हो।

तब वहां के एस एस पी साहनी ने एक तरक़ीब सोची, उन्होंने सोचा हो न हो लड़की कहीं बाहर से गांव में लाई गई है। गांव में कोई कुछ बताने को तैयार न था। एसएसपी साहनी ने तय किया कि गांव के जितने भी लड़के गाँव से बाहर नौकरी करते हैं वहां जाकर छानबीन की जाए। वहां के सभी थानों से संपर्क करके पता किया जाए कि क्या वहां किसी लड़की के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है ?

एसएसपी साहनी की ये योजना काम कर गयी और पंजाब में लुधियाना से एक 23 वर्षीय युवती के गायब होने की सूचना मिली। लुधियाना के मोतीनगर थाने में इस युवती के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज थी जो कि बी.कॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। इसके बाद पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए जो जांच पड़ताल की उससे जो कहानी निकलकर सामने आयी वो इस प्रकार है।

एकता देशवाल संभ्रांत और आधुनिक परिवार की लड़की थी जो बी.कॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और वहीं उससे टकराया शाकिब अहमद। शाकिब वहां नौकरी करता था लेकिन उसने अपना काम और पहचान दोनों एकता से छिपाई। उसने एकता को अपना नाम "अमन" बताया।

उसे अपने प्रेम जाल में ऐसा फंसाया कि एकता उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो गयी। अमन ने उससे कहा कि वह घर से गहने लेकर आ जाए और वो लोग वहां से कहीं दूर जाकर नई जिन्दगी शुरु करेंगे।

वह अमन के झांसे में आ गयी और करीब 15 से 25 लाख कीमत के गहने और नकद लेकर वह घर से फरार हो गयी। अमन उसे लेकर सीधा मेरठ के दौराला पहुंचा जो कि एक कस्बा है।

वहां किराये पर एक कमरा लेकर दोनों करीब एक महीने तक रहे। इसके बाद ईद के मुबारक मौके पर अमन उसे लेकर अपने घर आ गया जहां एकता को उसकी असलियत सामने आयी कि वो अमन नहीं बल्कि शाकिब है। अमन का भांडा फूटते ही एकता को बड़ा झटका लगा।

ईद के दिन दोनों में दिनभर झगड़ा होता रहा। शाकिब अब समझ गया कि अब इसे रास्ते से हटाने का समय आ गया है। बिना उसे रास्ते से हटाये 25 लाख के गहने उसके नहीं होंगे और उसका लव जेहाद का मकसद भी पूरा नही होगा ! कही लड़की भाग गई तो भांडा भी फूट जाएगा और 25 लाख का घाटा हो जाएगा। इसलिए शाकिब ने ईद की उसी रात उसके हत्या की योजना बनाई। ईद की रात उसने एकता को कोल्डड्रिंक में नशीली दवा पिलाकर बेहोश कर दिया। इसके बाद उसी बेहोशी की हालत में वह कुछ शांतिदूत समुदाय के दोस्तों और अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर खेत पर ले गया जहां शाकिब ने बेहोशी की हालत में अल्लाह हु अकबर की तकबीर के साथ एकता की गला काटकर हत्या कर दी।

गला काटने के बाद उसके दोनों हाथ भी काट दिये गये क्योंकि एकता ने अपने एक हाथ पर अपना नाम और दूसरे पर अपने प्यार "अमन" का नाम गुदवा रखा था। शाकिब को शक था कि अगर पुलिस को ये सबूत मिल गया तो भांडा फूट सकता है। लेकिन अमन गलत साबित हुआ। सालभर लगा लेकिन उसका भांडा फूटा। सिर कटी लाश के रहस्य से पर्दा उठ चुका है और शाकिब अपने दोस्तों और परिवार के कुछ लोगों सहित पुलिस की गिरफ्त आया बाद में वो पुलिस की पिस्टल लेकर भागा और सिपाही को गोली मार दी बाद में उसका इनकाउंटर हो गया।

इस वीडियो में एकता देशवाल के मां-बाप हैं और वीडियो में जो सामने टेबल कपड़ों में लपेटकर रखा गया है यह वही फावड़ा है जिससे गड्ढा खोदकर एकता की सिरकटी लाश को दफन किया गया था।

खुलासा ये भी है कि एकता की हत्या में शाकिब का भाई मुस्सरत, पिता मुस्तकीम, भाभी रेशमा और इस्मत की पत्नी मुस्सरत भी शामिल थे। सब ने मिलकर उस मासूम लड़की को पहले नंगा किया। फिर उसके दोनों हाथ काटे। सिर काटा और हाथ और सिर को पास के तालाब में फेंक दिया। सिर कटी लाश को जमीन में दफन कर दिया।

इंतहा तो ये है कि इसके बाद भी शाकिब एकता का मोबाइल ऑपरेट करता रहा। उसका फेसबुक एकाउण्ट चलाता रहा। एकता बनकर वह एकता के घरवालों को मैसेज की रिप्लाई भी करता रहा और घरवालों को लगता रहा कि बेटी भागकर जरूर गयी है लेकिन अमन के साथ खुश है। लेकिन 20 मई को जब पहली बार पुलिस का फोन आया तो सच्चाई सामने आयी। अब कर भी क्या सकते हैं? बेटी हाथ से जा चुकी है। सामने है तो कफन में लिपटा वो सीलबंद फावड़ा जिससे उनके बेटी की कब्र खोदी गयी थी।‘’

इस घटना से सबक सीखना चाहिए हर लड़की और उसके मां-बाप को नहीं तो अंजाम क्या होगा देख लीजिए।

आपको बता दें कि रिपब्लिक भारत पर लव जिहाद पर debate में आतिक़ उर रहमान कह रहा है कि तुम हिंदुओं के संस्कार और परवरिश में खोट होता है जो तुम्हारी लड़कियाँ हमारे लड़कों के साथ भाग जाती हैं । हमारी लड़कियाँ क्यों नहीं भागती??? तुम लोग अपनी लड़कियों को नहीं संभाल पाते और बात करते हो #LoveJihad की। तुम्हारे परवरिश में कमी है , हमारे परवरिश में कमी नहीं है ??

शर्म से डूब मर जाना चाहिए हिंदुओं को 2 कौड़ी का आदमी हमारी परवरिश और संस्कार को ललकार रहा है । मां-बाप कब अपने बच्चों को पहले धर्म के संस्कार देंगे? और लव जिहाद का शिकार बनने वाली हमारी हिन्दू लड़कियाँ गोबर खाती हैं क्या ?

इन लोगों के कारण हिंदुओं की पगड़ी  सरेआम रौंद दी जाती है लेकिन इन चंद लड़कियों को शर्म नहीं। हिंदू ही लड़कियाँ क्यों नालीवादी बनती हैं ??

कितने आत्म विश्वास से वह कह रहा है कि हमारी परवरिश में कमी नहीं है , हिंदुओं की परवरिश में कमी है।

इन घटनाओं को देखकर आज ही अपने बच्चों को धर्म के संस्कार देना शुरू करें और भारतीय संस्कृति के अनुसार कपड़े रहन सहन बनाएं जिसके कारण किसी बेटी को नारकीय जीवन जीना न पड़े।

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Monday, November 2, 2020

मीडिया ट्रायल पर न्यायालय की फटकार, लेकिन एकतरफा क्यों?

02 नवंबर 2020


अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिपब्लिक चैनल के तरीके को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा, ‘सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई?, इस मामले की जांच जब चल रही थी तो आप अपने चैनल पर चिल्ला-चिल्लाकर उसे हत्या कैसे करार दे रहे थे। किसकी गिरफ्तारी होनी चाहिए और किसकी नहीं, इस बात को लेकर आप लोगों से राय या जनमत कैसे मांग रहे थे? क्या यह सब आपके अधिकार क्षेत्र की बात है?’




अदालत ने रिपब्लिक टीवी के वकील से कहा, ‘क्या आपको नहीं पता कि हमारे संविधान में जांच का अधिकार पुलिस को दिया गया है? आत्महत्या के मामले के नियम क्या आप लोगों को नहीं पता हैं? यदि नहीं पता हैं तो सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के नियमों को पढ़ लीजिये।’

अदालत ने बेहद सख़्त लहजे में कहा कि एक मृत व्यक्ति को लेकर भी आप लोगों के मन में कोई भावना नहीं है! जांच भी आप करो, आरोप भी आप लगाओ और फ़ैसला भी आप ही सुनाओ! तो अदालतें किसलिए बनी हैं? अदालत ने कहा, ‘हम पत्रकारिता पर रोक लगाना भी नहीं चाहते लेकिन दायरे में रहकर।’

आपको बता दें कि न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (NBSA) ने भी इंडिया टुडे समूह के हिंदी भाषा समाचार चैनल आजतक, ज़ी न्यूज़, न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की असंवेदनशील और सनसनीखेज रिपोर्टिंग के लिए माफी माँगने का आदेश दिया था जिसका चैनलों ने अनुपालन किया है और अपने चेनलों पर माफी मांगी।

अब बड़ा सवाल आता है कि जब आम जनता अथवा हिंदूनिष्ठ पर मीडिया ट्रायल चलता है तब कोई न्यायालय उसको फटकार नही लगाते हैं और न ही ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी माफी मांगने को बोलती है।

उसका उदाहरण है आरुषि मर्डर केस जिसमे मीडिया ट्रायल के दबाव में आकर सेशन कोर्ट ने तलवार दंपति को उम्रकैद की सजा सुना दी । लेकिन हाईकोर्ट ने 9 साल बाद निर्दोष बरी किया।

दूसरा ममाला है हिंदू संत आशारामजी बापू के गुजरात अहमदबाद गुरुकुल में पढ़ने वाले दो बच्चों की 2008 में संदिग्ध मौत हो गई, उसको लेकर बिकाऊ मीडिया ने तांत्रिक विद्या से मारा ऐसा करके खूब उछाला, सीआईडी ने और सुप्रीम कोर्ट ने उनको क्लीन चिट दे दी कि उनके वहाँ कोई भी तांत्रिक विद्या नही होती है उसके बाद भी मीडिया ट्रायल चलता रहा।

इस प्रकरण में निष्‍पक्ष जांच का भरोसा देते हुए गुजरात सरकार ने जांच के लिए सेवानिवृत्त न्‍यायाधीश डीके त्रिवेदी आयोग का गठन किया। ग्‍यारह साल बाद आई इस रिपोर्ट में बच्‍चों की मौत डूबने से होना बताया है तथा बच्‍चों पर तंत्र विधि तथा आश्रम में तांत्रिक क्रियाओं के कोई सबूत नहीं मिलना बताया है। आयोग ने साफ बताया कि बच्‍चों के शरीर से अंग गायब होने के भी सबूत नहीं मिले हैं।

न्यायमूर्ति त्रिवेदी जाँच आयोग में बयानों के दौरान संत श्री आसारामजी आश्रम पर झूठे, मनगढ़ंत आरोप लगानेवाले लोगों के झूठ का भी विशेष जाँच में पर्दाफाश हो गया है ।

दूसरा की हिंदू संत आशारामजी बापू के खिलाफ जोधपुर केस हुआ है उसमें भी लड़की ने साफ बताया है कि मेरे साथ बलात्कार नही हुआ है और मेडिकल के रिपोर्ट में भी साफ आया है कि उसके साथ कोई भी टच भी नही किया गया है लेकिन मीडिया ने इस बात को नही बताया और "बलात्कारी बाबा" कहकर अनेक झूठी अफवाहों को फैलाया गया लेकिन किसी न्यायालय ने मीडिया को फटकार नही लगाई यहाँ तक कि फटकार लगाना तो दूर की बात मीडिया के दबाव में आकर सेशन कोर्ट ने उनको आजीवन उम्रकैद सुना दी जबकि उनके पास निर्दोष होने के प्रमाण होते हुए भी यह बात उनके वकील सज्जनराज सुराणा ने मीडिया में खुलकर बताई थी।

बापू आशारामजी के आश्रम में एक फेक्स भी आया था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़कियों के झूठे केस में फंसने के लिए तैयार रहो दूसरा की भोलानन्द उर्फ विनोद गुप्ता ने भी बताया कि मीडिया में मुझे बापू आशारामजी के खिलाफ बोलने के लिए करोड़ो रूपये का ऑफर दिया गया था।

यह सब प्रमाण होते हुए भी आजतक बापू आशारामजी के खिलाफ षडयंत्र करने वालों पर कार्यवाही नहीं हुई और न ही मीडिया ट्रायल को रोका गया लेकिन सुशांत हत्या के मामले में तुंरत फटकार दिया व माफी मंगवाई।

वैसे कई जज बोल चुके हैं कि मीडिया ट्रायल के कारण जजों पर प्रभाव पड़ता है और फ़ैसला निष्पक्ष नही दे पाते हैं और स्वर्गीय श्री अशोक सिंघल ने भी बताया था कि मीडिया ट्रायल एक षडयंत्र है। जो हमारे साधु-संतों को बदनाम करने के लिए विदेश से भारी फंडिग आती है उस पर रोक लगानी चाहिए।

आपको बता दें कि स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद हिंदू संत आशारामजी बापू ने शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोलें, करोड़ो लोगो को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण उन पर मीडिया ट्रायल किया गया और षड्यंत्र के तहत आज वे जेल में हैं।

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Sunday, November 1, 2020

भारतीय संस्कृति : मौसम के बदलाव में छिपे हैं अनगिनत वैज्ञानिक तथ्य

01 नवंबर 2020


प्राणी मात्र के संरक्षण, संवर्धन के ज्ञान से अनुस्यूत वेदों का अनुसरण करने वाली भारतीय संस्कृति में पर्वों की एक लंबी पंक्ति है। पर्व या उत्सव किसी संस्कृति की समृद्धता को द्योतित करते हैं। जो संस्कृति जितनी वैभवशाली होती है, उसमें उतने ही पर्व होते हैं और पर्व भी केवल मनोरंजन के लिए नहीं अपितु अन्वर्थ है। पर्व शब्द संस्कृत की ‘पृ’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है पूर्ण करने वाला, तृप्त करने वाला। पहाड़ को भी पर्वत कहते हैं क्योंकि वह भी पर्व वाला है अर्थात् उसका निर्माण भी कालखण्ड में धीरे-धीरे हुआ है।




गन्ने के एक-एक भाग को भी पर्व (पौरी) कहते हैं, उसका प्रत्येक भाग मिलकर पूर्ण मिठास, तृप्ति को प्राप्त कराता है। इसी प्रकार वर्ष पर्यन्त प्राकृतिक दिवस विशेष को पर्व कहा जाता है क्योंकि ये दिवस विशेष हमें पूर्ण करने वाले तथा तृप्त करने वाले होते हैं। भारतीय संस्कृति व्यक्ति प्रधान नहीं अपितु समष्टि प्रधान है, अत: वह प्रकृति के परिवर्तन को उत्सव के रूप में मनाती है।

मानव प्रकृति का एक अंग है। वह प्रकृति ही उसे पूर्ण बनाती है, उस प्रकृति को जान करके ही व्यक्ति अपना समुन्नत विकास कर सकता है। भारतीय ऋषि-ज्ञान परंपरा ने बहुत गहन अध्ययन और प्रयोगों के उपरांत उनसे मिलने वाले परिणामों को देखते हुए जन सामान्य को अनुसरण करने के लिए कुछ पर्व के रूप में दिवस निर्दिष्ट किए। मानव और प्रकृति में जब तक सामंजस्य है, तब तक मानव स्वस्थ और दीर्घ जीवन जी सकता है- यह तथ्य भारतीय मनीषी बहुत पहले जान चुके थे। अत: भारतीय समाज प्रकृति की पूजा करता है और पूजा का अर्थ होता है “यथायोग्य व्यवहार करना”।

भारतीय समाज जानता था कि प्रकृति का शोषण नहीं बल्कि “तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः” त्याग पूर्वक भोग करना चाहिए। यही त्याग पूर्वक भोग ही प्रकृति की पूजा है, जिसमें किसी प्राणी की हिंसा नहीं अपितु समर्पण होता है। व्यक्ति दैनंदिन की व्यस्तता में यह भूल सकता है अत: पर्व के रूप में उस दिन विशेष को वह पुन: स्मरण करता है और अपने परिश्रम के उपरांत प्राप्त फल के लिए धन्यवाद ज्ञापन करते हुए प्रसन्न हो कर मिल बाँट कर खाता है। अतः ये पर्व मानव जीवन में न्यूनताओं को पूर्ण करने वाले होते हैं। जिनको भारतीय मानव समुदाय बड़ी प्रसन्नता उत्साह के साथ मनाता है।

हम सब होली दिवाली इत्यादि बड़े पर्व से परिचित हैं इसी श्रृंखला में शरद पूर्णिमा भी एक पर्व है और उसके बाद प्रारम्भ होने वाला कार्तिक मास का प्रात:स्नान। पृथ्वी की परिभ्रमण और परिक्रमण गति के कारण वर्ष में दो बार वह सूर्य के सबसे समीप होती है । ग्रीष्म ऋतु में उसकी समीपता रस की शोषक का कारक बनती है तो शरद ऋतु में उसकी समीपता रस की पोषक है।

आयुर्वेद में इस काल को विसर्ग काल कहा जाता है- “जनयति आप्यमंशम् प्राणिनां च बलमिति विसर्ग:’ अर्थात् इसमें वायु की रुक्षता कम हो जाती है और चन्द्रमा का बल बढ़ जाता है। सूर्य जब दक्षिणायन होता है तो उत्तरी गोलार्ध में पड़ने के कारण भारतवर्ष सूर्य से दूर हो जाता, जिससे भूभाग शीतल रहता। इस काल में चन्द्रमा भी पृथ्वी के सबसे अधिक समीप होता है और वह समस्त संसार पर अपनी सौम्य एवं स्निग्ध किरणें बिखेर कर जगत को निरंतर तृप्त करता रहता है।

शरद ऋतु में चन्द्रमा पूर्ण बली होकर जलीय स्नेहांश को बढ़ाने लगता है, जिससे द्रव्यों में मधुर रस की वृद्धि होती है और उसके उपयोग से प्राणियों के शरीर में बल की वृद्धि होने लगाती है। चन्द्रमा के साहचर्य से वायु भी अपने योगवाही गुण के कारण चन्द्रमा के शैत्य आदि गुणों की वृद्धि कराती है। शरद ऋतु के प्रारम्भ में दिन थोड़े गर्म और रातें शीतल हो जाया करती हैं। आयुर्वेद के अनुसार “वर्षाशीतोचिताङ्गानां सहसैवार्करश्मिभि:।

तप्तानामचितं पित्तं प्राय: शरदि कुप्यति” अर्थात् वर्षा ऋतु में शरीर वर्षाकालीन शीत का अभ्यस्त रहता है और ऐसे शरीरांगों पर जब सहसा शरद ऋतु के सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो शरीर के अवयव संतप्त हो जाते हैं और वर्षा ऋतु में संचित हुआ पित्त शरद ऋतु में प्रकुपित हो सकता है। अत: प्रकृति के इस परिवर्तन को देखते हुए मनुष्य को अपने आहार-विहार, पथ्य-अपथ्य का ध्यान रखना चाहिए। इसका प्रारम्भ नवरात्रि के उपवास से ही हो जाता है।

भारतीय समाज में शरद पूर्णिमा के बाद प्रारम्भ होने वाले कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में शीतल जल के स्नान की परम्परा है। आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ चरक संहिता में इस जल को ‘हंसोदक’ कहा गया है क्योंकि दिन के समय सूर्य की किरणों से तपा और रात के समय चन्द्रमा की किरणों के स्पर्श से शीतलकाल स्वभाव में पका हुआ होने से निर्दोष एवं अगस्त्यतारा के उदय होने के प्रभाव से निर्विष हो जाता है।

‘हंस’ शब्द से सूर्य, चन्द्रमा और हंस पक्षी इन तीनों का ग्रहण होता है अत: सूर्य और चन्द्रमा दोनों की किरणों के संपर्क से शुद्ध हुए जल को भी हंस-उदक कहा जाता है। उस जल में स्नान करना, उसका पान करना और उसमें डुबकी लगाना अमृत के सामान फल देने वाला होता है। हमारे पूर्वजों ने इस परंपरा का बड़ी श्रद्धा और निष्ठा से निर्वहण किया है और हम तक सुरक्षित पहुँचाया है।

ये पर्व प्रवाही काल का साक्षात्कार है। मनुष्य द्वारा ऋतु को बदलते देखना, उसकी रंगत पहचानना, उस रंगत का असर अपने भीतर अनुभव करना पर्व का लक्ष्य है। हमारे पर्व-त्यौहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं का जीवंत रूप हैं, जिन्हें मनाना या यूँ कहें कि बार-बार मनाना, हर वर्ष मनाना हमारे लिए गर्व का विषय है। पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहाँ मौसम के बदलाव की सूचना भी पर्व तथा त्योहारों से मिलती है।

इन मान्यताओं, परंपराओं और विचारों में हमारी सभ्यता और संस्कृति के अनगिनत वैज्ञानिक तथ्य छुपे हैं। जीवन के अनोखे रंग समेटे हमारे जीवन में रंग भरने वाली हमारी उत्सवधर्मिता की सोच, मन में उमंग और उत्साह के नए प्रवाह को जन्म देती है। हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ पर मनाए जाने वाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम और एकता को बढ़ाते हैं।

त्योहारों और उत्सवों का संबंध किसी जाति, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। सभी त्यौहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धि प्रदान करना है। प्रत्‍येक त्‍यौहार अलग अवसर से संबंधित है, कुछ वर्ष की ऋतुओं का, फसल कटाई का, वर्षा ऋतु का अथवा पूर्णिमा का स्‍वागत करते हैं। दूसरों में धार्मिक अवसर, ईश्‍वरीय सत्‍ता/परमात्‍मा व संतों के जन्‍म दिन अथवा नए वर्ष की शुरुआत के अवसर पर मनाए जाते हैं।



भारतीय संस्कृति कितनी सूक्ष्म रूप से मनुष्य की रक्षा करने के लिए कैसे दिव्य कार्य कर रही है वे आज के वैज्ञानिक सोच भी नही सकते है अतः इसका पालन करके अपना जीवन का सर्वागीण विकास कर सकते है।

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Saturday, October 31, 2020

लव जिहाद को रोकने के लिए भारतवासी एकजुट होकर करेगें विरोध

31अक्टूबर 2020


 लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं, बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती हैं क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नारकीय हो जाती है, धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, उसकी अनेक पत्नियां होती हैं, गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।




 लव जिहाद देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है, साल में लाखों हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवाश करके लव जिहाद में फंसाया जाता है, कुछ हिन्दू लड़कियों से जबरन शादी कर लेते हैं, इसके पीछे बताया जाता है कि मुस्लिम देशों की भारी फंडिग आती है जिसके जरिये मुस्लिम लड़के अपना असली नाम छुपाकर हिन्दू नाम रख लेते हैं और स्कूल, कॉलेजों के बाहर, हिन्दू इलाकों के आसपास बाइक लेकर घूमते हैं और किसी हिन्दू लड़की से मीठी-मीठी बात करके उसको फंसाकर उससे शादी कर लेते हैं उसके बाद उसको भयंकर प्रताड़ित किया जाता है, यहाँ तक की कई हिन्दू लड़कियों ने लव जिहाद में फंसकर शादी के बाद आत्महत्या तक कर ली है ।

 हरियाणा में निकिता तोमर की हत्या के बाद भारत की जनता में काफी रोष है और अब लव जिहाद को खत्म करने के लिए एकजुट हो रहे है आज ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड चल रहा था #1Nov_JantaMarch जिसके जरिये बताया जा रहा था कि 1 नवंबर के दिन शाम 5 बजे पूरे भारत मे अपनी अपनी जगह पर जनता सड़को पर आकर रोष प्रकट करेगी।

 उसमें सबकी एक ही मांग रहेगी आतंकी लव जिहादियों की न अपील न दया याचिका.. अधिकतम एक माह में मृत्यु दंड मिलनी चाहिए।

 ट्वीटर पर कवि ठाकुर ने लिखा कि सरकार और कानून से तुम नहीं बल्कि तुमसे सरकार और कानून बना है। हिन्दू भाइयों अपनी ताकत को पहचानो और आओं इन जिहादियों और इनके सपोर्टरों को कुत्ते की मौत मारना शुरू करे अब किसी बहन बेटी की इज्जत लूटने नहीं देंगे।

 स्वतंत्र भारत हैन्डल से लिखा है कि वह जमाना गया जब लड़की 13/16 की हुई तो माँ बाप को चिंता होती थी अब तो 3/6 साल की भी हो तो अडोस पड़ोस से डर लगता है😦 लव जिहाद अपनी बेटियां को लव जिहाद से बचाने के लिए  #1Nov_JantaMarch से अवश्य जुड़े...। https://t.co/8DnX3z5fFi

 आप भी अपने आसपास लोगो को बताए की भारत से लव जिहाद को खत्म करने के लिए सभी एकजुट हो रहे है हमे भी सुदर्शन न्यूज की मुहिम के साथ 1 नवंबर शाम 5 बजे जुड़कर लव जिहाद का विरोध करना चाहिए जिससे हमारी बहन-बेटियो की रक्षा होगी।

 लव जिहाद होने की नौबत तब आती है जब अपनी बेटियों को धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती है और उनको सनातन संस्कृति की महानता नहीं बताई जाती है उस अनुसार उनको कार्य करने को प्रेरित न करने के कारण आज हिन्दू बेटियां लव जिहाद में फंस रही हैं उसके लिए मुख्य जिम्मेदार उनके माता-पिता ही हैं, इसलिए अपने बच्चों को शिक्षा के साथ साथ धर्म के संस्कार जरूर दे।

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Friday, October 30, 2020

निकिता हत्या : हरियाणा के मेवात में सीरिया वाली सोच काम कर रही है

30 अक्टूबर 2020



धर्म परिवर्तन करके शादी करने से इंकार करने पर निकिता की तौसीफ ने सरेआम हत्या कर दी। क्या आपको पता हैं दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर हरियाणा के मेवात में पाकिस्तानी और सीरिया वाली सोच काम कर रही है? जोर जबरदस्ती से हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाकर निकाह किये जा रहे हैं। आपको इस रिपोर्ट के जरिए उन 5 सबूतों के बारे में बताते हैं।




इन पांच सबूतों को पढ़कर आप भी दहल उठेंगे। आतंकियों को शरण देने के लिए मेवात बदनाम। क्योंकि मेवात बन रहा है लव जिहाद का अड्डा। काला इतिहास और अपराधियों के लिए जन्नत-


नई दिल्ली: जबरदस्ती धर्म परिवर्तन करवाकर शादी करने से इंकार करने पर निकिता की सरेआम तौसीफ ने हत्या कर दी। हत्या करके दोषी मेवात में छिप गए थे, लेकिन मेवात में लव जिहाद का ये पहला मामला नहीं है। मेवात को जहालत का जहन्नुम कहना गलत नहीं होगा। आपको इसके 5 सबूत बताते हैं।


सबूत नंबर 1). लव जेहाद का अड्डा
दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर हरियाणा के मेवात में पाकिस्तानी करतूत की जा रही है। जेहादी सोच बेटियों की जिंदगी को तबाह कर रही है और पार्टियां चुप हैं। जब निकिता तोमर की हत्या हुई तो कई सच सामने आ गए हैं। निकिता तोमर ने मजहबी बुरका पहनने और निकाह करने का विरोध किया तो हत्या कर दी गई। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इससे पहले भी दलित लड़की को अगवा कर धर्म परिवर्तन करके निकाह किया गया। मेवात लव जेहाद का एक बड़ा अड्डा है जहां, जबरन हिन्दू लड़कियों को किडनैप करके उनका निकाह करा दिया जाता है।

ऐसी ही कहानी 19 साल की मेवात की एक और दलित लड़की की भी जिसे 11 सितंबर को अगवा करके धर्म परिवर्तन करवाकर जबरदस्ती निकाह कर लिया गया। लड़की का नाम बदलकर वर्षा से वारीशा कर दिया गया। लड़की के पिता सुरेश का आरोप है कि 11 सितंबर 2020 को 3 लड़के रियाज खान, अनीश, तलाह खान बेटी को जबरदस्ती अपने साथ ले गए और पानीपत ले जाकर निकाह लर लिया।

अपनी बेटी को लाने के लिये पूरे परिवार ने एड़ी चोटी एक कर दी, लेकिन अपनी बेटी को वापस नहीं ला पाए। सुरेश ने गांव में पंचायत भी की। पंचायत में रियाज के घरवालों ने लड़की से निकाह की बात कबूली लेकिन लड़की को वापस करने की मना कर दिया। इस मामले में पुन्हाना में केस दर्ज किया है और इसका FIR नंबर 350 है पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। परिवार इंसाफ की लगातार गुहार लगा रहा है।

जेहादियों को सजा और बेटियों कों इंसाफ कब?

मेवात को पाकिस्तान बनाने वाले आरोपियों को कब मिलेगी सजा और बेटियों को कब इंसाफ मिलेगा? ये वाकई बड़ा सवाल है। मेवात इलाके में मुस्लिम आबादी ज्यादा है। इसलिये हिंदुओं की बेटियों के साथ जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। वर्षा के परिवार को लगातार केस वापिस लेने के लिये भी धमकियां दी जा रही हैं। मेवात में 80% से ज्यादा आबादी मुस्लिम है। देश के मुस्लिम बहुसंख्यक ज़िलों में से एक है। सवाल ये है कि हरियाणा में पाकिस्तान और सीरिया वाली सोच कैसे काम कर सकती है। सवाल ये है कि देश की बेटियों के साथ ऐसा अत्याचार कब तक होता रहेगा और देश की पार्टियां धर्म के नाम पर कब तक राजनीति करती रहेंगी।

सबूत नंबर 2). अपराधियों की जन्नत
निकिता हो या वर्षा दोनों ही मामले में मेवात का जिक्र आया है, इसलिए आपको आज मेवात के बारे में जानना चाहिए। मेवात को अपराधियों की जन्नत कहा जाए तो ये भी गलत नहीं होगा। मेवाती गैंग के नाम से कई गिरोह सक्रिय हैं। दिल्ली, हरियाणा, यूपी में कई वारदातों में इन गिरोह की भूमिका पाई जाती है। आतंकियों को शरण देने के लिए मेवात बदनाम है। लूटपाट, डकैती, अपहरण, हत्या से मेवात की पहचान बिगड़ी है। मतलब साफ है कि मेवात अपराधियों के लिए जन्नत है।

इसके एक ओर बड़े सबूत की जानकारी आपको दे देते हैं। वर्ष 2016 के आंकड़ों पर एक नजर डाले तो आप हैरान रह जाएंगे। इन आंकड़ों के अनुसार गुरुग्राम जेल में बंद 24% अपराधी मेवात के थे। वर्ष 2016 का ही एक ओर आंकड़ा ये बताता है कि फरीदाबाद जेल के कुल कैदियों के 25% कैदी मेवात के थे।

सबूत नंबर 3). गो-तस्करी का गढ़
मवेशियों की तस्करी के लिए मेवात के कुख्यात अपराधियों की सच्चाई सामने आती रही है। गो-तस्करी से जुड़े सैकड़ों मामले मेवात से सामने आ चुके हैं। समझना मुश्किल नहीं है कि 80% से ज्यादा आबादी मुस्लिम वाले मेवात में इन जेहादियों की असल करतूत किस काम को अंजाम दे रही है।

सबूत नंबर 4). मेवात का काला इतिहास
अब आपको मेवात का इतिहास बताते हैं। यहां 80% से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश से सीमाएं जुड़ी हैं। इस जगह को तब्लीगी जमात विचारधारा की जन्मस्थली कहा जाता है। 8वीं से 12 वीं शताब्दी के बीच इस्लाम का प्रभाव देखा गया, जब बड़ी संख्या में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन हुआ था। धर्म परिवर्तन से मुस्लिम बने राजपूत 'मेव' कहलाए थे। देश के मुस्लिम बहुसंख्यक ज़िलों में से एक है।

हरियाणा पर 2013 की एक रिपोर्ट में दावा है कि 500 गांवों में से 103 गांव में एक भी हिंदू नहीं है, जबकि हरियाणा के 82 गांव में सिर्फ 4-5 हिंदू परिवार हैं।

सबूत नंबर 5). अज्ञानता: विनाश का कारण
मेवात के इस काले इतिहास और कट्टर सोच की बड़ी वजह उनकी अज्ञानता भी है। वर्ष 2018 के आंकड़ों की माने तो मेवात देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। यानी यहां सिर्फ कट्टरपंथियों की सोच को बढ़ावा दिया जाता है ना कि शिक्षा को। वर्ष 2011 के आंकड़ों को अनुसार मेवात की साक्षरता दर 56% है। ये समझना काफी आसान है कि अज्ञानता ही विनाश का कारण होती है। मेवात में बसे कट्टरपंथियों की ये करतूत उन्हें सिर्फ विनाश की ओर धकेल रही है।

इन पांच सबूतों से ये समझा जा सकता है कि किस तरह से समाज के दीमक रूपी कट्टरपंथियों ने जेहाद को ही अपना मिशन बना लिया है। लेकिन अब वक़्त आ चुका है कि ऐसी सोच का जल्द से जल्द खात्मा किया जाए, क्योंकि आज निकिता और वर्षा के साथ खुलेआम ऐसे खेल को अंजाम दिया जा रहा है, कल किसी की भी बेटी और बहन को ऐसे ही शिकार बनाया जा सकता है। इसीलिए अब जागने का वक़्त आ चुका है।

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Thursday, October 29, 2020

शरद पूर्णिमा पर यह काम करेंगे तो सालभर रहेगे स्वस्थ्य और होगी धनप्राप्ति

29 अक्टूबर 2020


आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । शरद पूर्णिमा की रात्रि पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इस रात्रि में चंद्रमा का ओज सबसे तेजवान और ऊर्जावान होता है। पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है । इस साल 30 अक्टूबर की रात में खीर बनाकर खानी है व 31 अक्टूबर को व्रत-पूजन करना है।




इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था ।

यूं तो हर माह में पूर्णिमा आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व उन सभी से कहीं अधिक है। हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष बताया गया है।

 शरद पूर्णिमा से जुड़ी बातें....

ईस दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं। यही कारण है कि शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती है, इसके बाद उसे खाया जाता है।

 नारद पुराण के अनुसार शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर सवार होकर अपने कर-कमलों में वर और अभय लिए निशिद काल में पृथ्वी पर भ्रमण करती है। माता यह देखती है कि कौन जाग रहा है?
यानी अपने कर्तव्‍यों को लेकर कौन जागृत है? जो इस रात में जागकर मां लक्ष्मी की उपासना करते हैं, मां उन पर असीम कृपा करती है।

वैज्ञानिक भी मानते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता देने वाली मानी जाती है क्योंकि चंद्रमा धरती के बहुत समीप होता है। शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों में खास तरह के लवण व विटामिन आ जाते हैं। पृथ्वी के पास होने पर इसकी किरणें सीधे जब खाद्य पदार्थों पर पड़ती हैं तो उनकी क्वालिटी में बढ़ोतरी हो जाती है।

 शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुबह उठकर व्रत करके अपने इष्ट देव का पूजन करना चाहिए। इन्द्र और महालक्ष्मी जी का पूजन करके घी का दीपक जलाकर, गंध पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए। ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इस व्रत को विशेष रूप से किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन जागरण करने वाले की धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।

 शरद पूनम की रात को क्या करें, क्या न करें ?

 अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं । जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना ।

इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है ।

शरद पूर्णिमा की चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है ।

 अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है । जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है । इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न होता है।

 खीर को बनायें अमृतमय प्रसाद...

खीर को रसराज कहते हैं । सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था । रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी ! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे ।

खीर बनाते समय घर में चाँदी का गिलास आदि जो बर्तन हो, आजकल जो मेटल (धातु) का बनाकर चाँदी के नाम से देते हैं वह नहीं, असली चाँदी के बर्तन अथवा असली सोना धोकर खीर में डाल दो तो उसमें रजतक्षार या सुवर्णक्षार आयेंगे । लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा । खीर में इलायची, खजूर या छुहारा डाल सकते हो लेकिन बादाम, काजू, पिस्ता, चारोली ये रात को पचने में भारी पड़ेंगे । रात्रि 8 बजे महीन कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर 11 बजे के बाद भगवान को भोग लगा के प्रसादरूप में खा लेनी चाहिए । लेकिन देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना । सुबह गर्म करके भी खा सकते हो ।
(खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी - इन पंचश्वेतों से युक्त होती है, अतः सुबह बासी नहीं मानी जाती ।) यह खीर खाने से सालभर मनुष्य स्वथ्य रहता है ।

स्वास्थ्य प्रयोग...

इस रात्रि में 3-4 घंटे तक बदन पर चन्द्रमा की किरणों को अच्छी तरह पड़ने दें ।

दो पके सेवफल के टुकड़े करके शरद पूर्णिमा को रातभर चाँदनी में रखने से उनमें चन्द्रकिरणें और ओज के कण समा जाते हैं । सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ दिनों में स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक लाभकारी परिवर्तन होते हैं ।

250 ग्राम दूध में 1-2 बादाम व 2-3 छुहारों के टुकड़े करके उबालें । फिर इस दूध को पतले सूती कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में 2-3 घंटे तक रख दें । यह दूध औषधीय गुणों से पुष्ट हो जायेगा । सुबह इस दूध को पी लें ।

सोंठ, काली मिर्च और लौंग डालकर उबाला हुआ दूध चाँदनी रात में 2-3 घंटे रखकर पीने से बार-बार जुकाम नहीं होता, सिरदर्द में लाभ होता है ।

तुलसी के 10-12 पत्ते एक कटोरी पानी में भिगोकर चाँदनी रात में 2-3 घंटे के लिए रख दें । फिर इन पत्तों को चबाकर खा लें व थोड़ा पानी पियें । बचे हुए पानी को छानकर एक-एक बूँद आँखों में डालें, नाभि में मलें तथा पैरों के तलुओं पर भी मलें । आँखों से धुँधला दिखना, बार-बार पानी आना आदि में इससे लाभ होता है । तुलसी के पानी की बूँदें चन्द्रकिरणों के संग मिलकर प्राकृतिक अमृत बन जाती हैं ।*

नोट : दूध व तुलसी के सेवन में दो घंटे का अंतर रखें ।

 भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं, 'पुष्णामि चौषधीः सर्वाः सोमो भूत्वा रसात्मकः।।'
अर्थात रसस्वरूप अमृतमय चन्द्रमा होकर सम्पूर्ण औषधियों को अर्थात वनस्पतियों को पुष्ट करता हूं।(गीताः15.13)

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