Saturday, October 21, 2017

प्रणब मुखर्जी का खुलासा: कांची शंकराचार्य को जेल भेजने के पीछे किसका था हाथ?


अक्टूबर 21, 2017

देश में किस तरह से #कांग्रेस #हिन्दू #विरोधी है और किस तरह से हिन्दुओं की आस्थाओं पर ही हमला बोलती है यह कांची शंकराचार्य जी के प्रकरण से साफ जाहिर हो जाता है ।
Pranab Mukherjee's disclosure: Who was the man behind sending Kanchi Shankaracharya to jail?
🚩कैसे #कांग्रेस अपने मजहबी #वोट बैंक बढ़ाने के लिए #साधु संतों पर #झूठे #आरोप लगवाकर उनको बेईज्जत करवाते हैं ???
ये सब बातें सामने आई है प्रणब मुखर्जी की नई किताब से...

🚩विदित है कि भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक किताब लिखी हैं जिसमें इस प्रकरण का उल्लेख है ।


🚩प्रणब  मुखर्जी ने अपनी किताब 'द कोएलिशन इयर्स 1996-2012' में इस घटना का जिक्र किया है। आज देश फिर से ये सवाल पूछ रहा है और कांग्रेस से पूछना जायज भी है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब ने देश के आगे एक बड़े सवाल को फिर से खड़ा कर दिया है। 

🚩सवाल ये है कि कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की गिरफ्तारी और उन पर लगाए गए बेहूदे आरोपों के पीछे कौन था? 

🚩नवंबर 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही दिवाली के मौके पर #शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के एक केस में #गिरफ्तार करवाया गया था। जिस वक्त गिरफ्तारी की गई थी, तब वो 2500 साल से चली आ रही त्रिकाल पूजा की तैयारी कर रहे थे। गिरफ्तारी के बाद उन पर अश्लील सीडी देखने और छेड़खानी जैसे घिनौने आरोप भी लगाए गए थे।

🚩प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि "मैं इस गिरफ्तारी से बहुत नाराज था और कैबिनेट की बैठक में मैंने इस मसले को उठाया भी था। 
मैंने सवाल पूछा कि क्या देश में #धर्मनिरपेक्षता का पैमाना सिर्फ #हिंदू संत-महात्माओं तक ही #सीमित है?

 🚩क्या किसी राज्य की #पुलिस किसी #मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर #गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा #सकती है?" 

🚩गौरतलब है कि जिस तरह से लोगों के सामने ये प्रकरण रखा गया था और लोगों में धारणा है कि कांची पीठ के शंकराचार्य को झूठे मामले में फंसाकर गिरफ्तार करवाने की पूरी #साजिश उस वक्त रही मुख्यमंत्री #जयललिता ने अपनी #सहेली #शशिकला के इशारे पर #रची थी। उस वक्त इस सारी घटना के पीछे किसी जमीन सौदे को लेकर हुआ विवाद बताया गया था।

🚩लेकिन प्रणब मुखर्जी ने इस मामले को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। 
प्रणब मुखर्जी ने किताब में लिखा है कि उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गिरफ्तारी को लेकर कड़ा विरोध जताया। 
🚩अब स्पष्ट है कि वरिष्ठ मंत्री के तौर पर जिस तरह से उन्होंने विरोध दर्ज कराया, उन्हें इस बात की जानकारी रही होगी कि #गिरफ्तारी के #पीछे #केंद्र सरकार की सहमति ली गई है। 

🚩ये वो दौर था जब सोनिया और जयललिता के बीच काफी करीबियां थी । आपको ये भी बता दें कि दक्षिण भारत में ईसाई धर्म को बेरोक-टोक फैलाने के लिए कांची के शंकराचार्य काफी रोष में थे और इसके खिलाफ थे। जिसके बाद इनको जानबूझकर फंसाया गया। 

🚩जिस समय मीनाक्षीपुरम में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण की घटनाओं से पूरा हिंदू समाज व्यथित था, तब कांची मठ ने सचल मंदिर बनाकर उन्हें दलित बस्तियों में भेजा और कहा कि अगर वो मंदिर तक नहीं आ सकते तो मंदिर उन तक पहुंचेगा। सामाजिक बराबरी के लिए कांची मठ ने बहुत कोशिश की, यही कारण था कि वो ईसाई मिशनरियों को खटक रहे थे।

🚩कांग्रेस शासन काल में जब जयेंद्र सरस्वती को झूठे केस में फंसाया गया तब उनकी रिहाई के लिए हिन्दू संत बापू आसारामजी ने जंतर-मंतर पर धरना दिया था बाद में वहाँ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री आदि अनेक नेता आ गए थे और बापू आशारामजी की लाखों भक्तों की भीड़ हो गई थी । बाद में इतना दबाव बना कि उनकी रिहाई करनी पड़ी।

🚩उस समय (2004 नवम्बर) में बापू आशारामजी ने बोला था कि अब हमारे आश्रम और हमारे खिलाफ षडयंत्र चलेगा, हमको फंसाने की कोशिश करेंगे और बाद में हुआ भी ऐसा ही, उनके खिलाफ मीडिया में खूब कुप्रचार हुआ और बाद में बिना सबूत जेल भी जाना पड़ा ।

🚩#कांग्रेस काल में साध्वी प्रज्ञा , स्वामी असीमानंद, शंकराचार्य, डीजी वंजारा, कर्नल पुरोहित आदि अनेक #हिंदुत्वनिष्ठों को #जेल भिजवाया गया, सोनिया वेटिकन सिटी के इशारे पर काम कर रही थी जो भी साधु-संत या हिन्दू कार्यकर्ता ईसाई धर्मान्तरण के आड़े आता था उनको जेल भिजवाया जाता था ।

🚩आपको बता दें कि आज भले सरकार बदल गई हो लेकिन हिन्दू आस्थाओं के ऊपर चोट कम नही हुई है आज भी कई हिन्दू #साधु-संतों पर #षड्यंत्र चल रहा है उनके खिलाफ खूब #मीडिया #ट्रायल चल रहे हैं, जेल भेजा जा रहा है और कांग्रेस काल में जो शिकार हुए हैं, वो भी आजतक #बिना #सबूत सालों से जेल में है ।

🚩अभी देश में अधिकतर ईसाई मिशनरियां खूब पुरजोर लगा धर्मान्तरण करवा रही हैं । विदेशी फंड से चलने वाली कई #मीडिया पादरियों और मौलवियों के कुकर्मो को छुपाकर हिन्दू #साधु-संतों को #बदनाम करने में लगी है क्योंकि उनका उद्देश्य है कैसे भी करके हिन्दू धर्म को #खत्म करना, उसके लिए वो मीडिया को पैसे देकर हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करवा रहे हैं, जिससे जनता की श्रद्धा कम हो जाये और आसानी से धर्मान्तरण हो सके ।

🚩अभी भी हिन्दू नही जगा तो कब जगेगा..??

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Friday, October 20, 2017

दूज पर भाई को यमपाश से कैसे छुड़ाये?, जानिए भाईदूज का इतिहास

अक्टूबर 20, 2017   www.azaadbharat.org

 दीपावली के पर्व का पाँचनाँ दिन भाईदूज भाइयों की बहनों के लिए और बहनों की भाइयों के लिए सदभावना बढ़ाने का दिन है।
 भाईदूज का इतिहास
यमराज, यमुना, तापी और #शनि – ये भगवान सूर्य की संताने कही जाती हैं। किसी कारण से यमराज अपनी बहन यमुना से वर्षों दूर रहे। एक बार यमराज के मन में हुआ कि 'बहन यमुना को देखे हुए बहुत वर्ष हो गये हैं।'अतः उन्होंने अपने दूतों को आज्ञा दीः "जाओ जा कर जाँच करो कि यमुना आजकल कहाँ स्थित है।"
यमदूत विचरण करते-करते धरती पर आये तो सही किंतु उन्हें कहीं यमुनाजी का पता नहीं लगा। फिर यमराज स्वयं विचरण करते हुए #मथुरा आये और विश्रामघाट पर बने हुए यमुना के महल में पहुँचे।
बहुत वर्षों के बाद अपने भाई को पाकर बहन यमुना ने बड़े प्रेम से #यमराज का स्वागत-सत्कार किया और यमराज ने भी उसकी सेवा सुश्रुषा के लिए याचना करते हुए कहाः "#बहन ! तू क्या चाहती है? मुझे अपनी #प्रिय #बहन की सेवा का मौका चाहिए।"
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#दैवी स्वभाववाली परोपकारी आत्मा क्या माँगे? अपने लिए जो माँगता है, वह तो भोगी होता है, विलासी होता है लेकिन जो औरों के लिए माँगता है अथवा भगवत्प्रीति माँगता है, वह तो भगवान का भक्त होता है, परोपकारी आत्मा होता है। #भगवान #सूर्य दिन-रात परोपकार करते हैं तो #सूर्यपुत्री यमुना क्या माँगती?
#यमराज चिंतित हो गये कि 'इससे तो #यमपुरी का ही दिवाला निकल जायेगा। कोई कितने ही पाप करे और यमुना में गोता मारे तो यमपुरी न आये ! सब स्वर्ग के अधिकारी हो जायेंगे तो अव्यवस्था हो जायेगी।'
अपने भाई को चिंतित देखकर यमुना ने कहाः ''#भैया ! अगर यह वरदान तुम्हारे लिए देना कठिन है तो आज नववर्ष की द्वितीया है। आज के दिन भाई बहन के यहाँ आये या #बहन भाई के यहाँ पहुँचे और जो कोई भाई बहन से #स्नेह से मिले, ऐसे #भाई को यमपुरी के पाश से मुक्त करने का #वचन को तुम दे सकते हो।"
#यमराज प्रसन्न हुए और बोलेः "बहन ! ऐसा ही होगा।"
#पौराणिक दृष्टि से आज भी लोग बहन यमुना और #भाई यम के इस #शुभ प्रसंग का स्मरण करके #आशीर्वाद पाते हैं व यम के पाश से छूटने का #संकल्प करते हैं।
यह #पर्व भाई-बहन के स्नेह का द्योतक है। कोई बहन नहीं चाहती कि उसका भाई दीन-हीन, तुच्छ हो, सामान्य जीवन जीने वाला हो, ज्ञानरहित, प्रभावरहित हो। इस दिन भाई को अपने घर पाकर बहन अत्यन्त प्रसन्न होती है अथवा किसी कारण से भाई नहीं आ पाता तो स्वयं उसके #घर चली जाती है।
#बहन भाई को इस #शुभ भाव से तिलक करती है कि'मेरा भैया त्रिनेत्र बने।' इन दो आँखों से जो नाम-रूपवाला जगत दिखता है, वह इन्द्रियों को आकर्षित करता है, लेकिन ज्ञाननेत्र से जो जगत दिखता है, उससे इस नाम-रूपवाले जगत की पोल खुल जाती है और जगदीश्वर का #प्रकाश दिखने लगता है।
#बहन तिलक करके अपने भाई को #प्रेम से #भोजन कराती है और बदले में भाई उसको #वस्त्र-अलंकार, दक्षिणादि देता है। #बहन निश्चिंत होती है कि 'मैं अकेली नहीं हूँ.... मेरे #साथ मेरा भैया है।'
#दिवाली के तीसरे #दिन आने वाला #भाईदूज का यह पर्व, भाई की बहन के संरक्षण की याद दिलाने वाला और बहन द्वारा भाई के लिए #शुभ कामनाएँ करने का #पर्व है।
इस दिन #बहन को चाहिए कि अपने भाई की दीर्घायु के लिए यमराज से अर्चना करे और इन अष्ट चिरंजीवीयों के नामों का स्मरण करेः मार्कण्डेय, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा और परशुराम। 'मेरा भाई चिरंजीवी हो' ऐसी उनसे प्रार्थना करे तथा मार्कण्डेय जी से इस प्रकार प्रार्थना करेः
मार्कण्डेय महाभाग सप्तकल्पजीवितः।
चिरंजीवी यथा त्वं तथा मे भ्रातारं कुरुः।।
'हे महाभाग #मार्कण्डेय ! आप सात कल्पों के अन्त तक जीने वाले चिरंजीवी हैं। जैसे आप चिरंजीवी हैं, वैसे मेरा #भाई भी दीर्घायु हो।'
(पद्मपुराण)
इस प्रकार भाई के लिए मंगल कामना करने का तथा #भाई-बहन के पवित्र #स्नेह का पर्व है #भाईदूज।
(संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य "पर्वो का पुंज दीपावली"
से )
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Thursday, October 19, 2017

नूतन वर्ष को क्या करने से वर्षभर प्रसन्न और निरोग रहे?

अक्टूबर 19, 2017   www.azaadbharat.org
भारतीय संस्कृति के नूतन वर्ष प्रकाशमय पर्व की आप सभी को खूब-खूब हार्दिक शुभकामनाएँ...
दीपावली का दूसरा दिन अर्थात् नूतन वर्ष का प्रथम दिन.. जो वर्ष के प्रथम दिन हर्ष, दैन्य आदि जिस भाव में रहता है, उसका संपूर्ण वर्ष उसी भाव में बीतता है।'महाभारत' में पितामह भीष्म महाराज युधिष्ठिर से कहते हैं-
यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर।
हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्षं प्रयाति वै।।


'हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में ही व्यतीत होता है।'
अतः वर्ष का प्रथम दिन हर्ष में बीते, ऐसा प्रयत्न करें। वर्ष का प्रथम दिन दीनता-हीनता अथवा पाप-ताप में न बीते वरन् शुभ चिंतन में, सत्कर्मों में प्रसन्नता में बीते ऐसा यत्न करें।
आज के दिन से हमारे नूतन वर्ष का प्रारंभ भी होता है। इसलिए भी हमें अपने इस नूतन वर्ष में कुछ ऊँची उड़ान भरने का संकल्प करना चाहिए।
पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में वर्ष के प्रथम दिन नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बाँधते थे, जिससे कि वहाँ से लोग गुजरें तो वर्ष भर प्रसन्न रहें, #निरोग रहें । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्ष भर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधो तो अच्छा है ।
कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत ?
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती । करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्शनम् ।।
अपने मुँह पर हाथ घुमा लेना । फिर दायाँ नथुना चलता हो तो दायाँ पैर और बायाँ चलता हो तो बायाँ पैर धरती पर पहले रखना ।
इस दिन विचारना कि ‘जिन विचारों और कर्मों को करने से हम मनुष्यता की महानता से नीचे आते हैं उनमें कितना समय बरबाद हुआ ? अब नहीं करेंगे अथवा कम समय देंगे और जिनसे मनुष्य-जीवन का फायदा होता है - सत्संग है, भगवन्नाम सुमिरन है, सुख और दुःख में समता है, साक्षीभाव है... इनमें हम ज्यादा समय देंगे, आत्मज्योति में जियेंगे । रोज सुबह नींद में से उठकर 5 मिनट शिवनेत्र पर ॐकार या ज्योति अथवा भगवान की भावना करेंगे...।’
नूतन वर्ष के दिन सुबह जगते ही बिस्तर पर बैठे-बैठे चिंतन करना कि ‘आनंदस्वरूप परमात्मा मेरा आत्मा है । प्रभु मेरे सुहृद हैं, सखा हैं, परम हितैषी हैं, ॐ ॐ आनंद ॐ... ॐ ॐ माधुर्य ॐ...।
नूतन वर्ष पर #पुण्यमय दर्शन
नूतन वर्ष के दिन #मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है । जैसे  :
उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, #कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़े सहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवाली नारी, तीर्थयात्री, दीपक, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, #माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, #चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, #कुमकुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष), देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु, #शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड़, गंगाजी की मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, #कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई खेती से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) #पद्मिनी, #सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य #आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, #क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल और अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न- इन सबके दर्शन से पुण्यलाभ होता है ।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्याय : ७६ एवं ७८)
दीपावली वर्ष का #आखिरी दिन है और नूतन वर्ष प्रथम दिन है। यह दिन आपके जीवन की डायरी का पन्ना बदलने का दिन है।
दीपावली की रात्री में #वर्षभर के कृत्यों का सिंहावलोकन करके आनेवाले नूतन वर्ष के लिए #शुभ #संकल्प करके सोयें। उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए नववर्ष के प्रभात में अपने माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनों, #साधु-संतों को प्रणाम करके तथा अपने सदगुरु के श्रीचरणों में और मंदिर में जाकर नूतन वर्ष के नये प्रकाश, नये उत्साह और नयी प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। जीवन में नित्य-निरंतर नवीन रस, आत्म रस, #आत्मानंद मिलता रहे, ऐसा अवसर जुटाने का दिन है 'नूतन वर्ष।'
(संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य ऋषि प्रसाद से)
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Intelligence Department: Rohingyas are Collecting Ammunition, Can Attack on Nagaland

Intelligence Department: Rohingyas are Collecting Ammunition, Can Attack on Nagaland

October 14, 2017

Kohima: On the issue of sheltering or returning Rohingya refugees to the country, the Supreme Court has postponed the hearing till November 21. But knowing this that Rohingyas are so circumcised for the Nation, your hair will be standing.


Nagaland intelligence sources have confirmed that Imam of Dimapur is making contact with the Rohingya rebels and in addition collection of large quantities of weapons and ammunition from Bangladesh has been started.

Describing Rohingya Muslim refugees as a threat to safety, Nagaland police intelligence department has warned that Rohingya can attack the people of Nagaland.

According to the officials, if Nagaland people try to send Rohingya out of the country, then two (2) thousand Muslims people are ready to take up arms against the Naga people. Imam is planning to attack on Heibron and Kahoi camps so that it is easy to capture Nagaland.

Not only those, nearly 20 militants of ISIS have entered Nagaland and are training other volunteers.

There is a plan to commit suicidal attacks and bomb blasts across Nagaland. The administration has ordered the monitoring of the Muslims living in Dimapur.

Retired General V.K. Gaud told that radical Islamic organizations have become active in camps.

It is believed that the Jamaat-ud-Dawa, Al-Qaeda, Jamaat-e-Islami, Chatra Shibir, ISIS and some other Islamic groups of Pakistan have entered camps in the dress of relief workers and also they are tinkering with the relief material for Islamic countries. '

He said – ‘These people have chosen a large number of youth refugees to give weapons’ training.
 It is not necessary to say that there are some people in our army only who are supporters of ISIS and are against the friendship between India and Bangladesh.

Let us tell you that we have information that millions of illegal infiltrators in Uttar Pradesh alone have changed their identity.

To remove all these, the Yogi Sarkar has taken a firm decision that all of them will be taken out of the U.P by doing survey.

In Myanmar, around 5 lakhs Rohingya Muslims have been thrown out.

Why Rohingya is a threat to the country?

1. The refugees have links with terror organizations!

2. Rohingyas do not only encroach upon the rights of Indian citizens, but also are the challenge for security!

3.  Social, Political and Cultural problems can be roused due to Rohingya refugees.

4. One thought behind this is that, the demographic form of India should be protected!

The point of the issue is that the way the intruders came to the country and have started to kill the people of the country in the name of religion or to increase their number, which can spread terror in the country that can lead to blood sheds, which is not the right thing for any country.

All Indians can estimate how fair is the Government of India’s decision to take out Rohingya Muslims from the country with respect to the nation's security.


But still the secularist volunteers, some politicians and some fanatic Jihadis support these Rohingya Muslims and are pressuring the Indian government to find refuge in India.

Some jihadists have even threatened that even if someone touches Rohingya muslims, then India and Hindus will have to face serious consequences.


All nationalists should now be organized and demand from the Indian government that along with Rohingya Muslims, illegal Bangladeshi intruders and even supporters of Rohingya Muslims should also be expelled from this country.

Otherwise these people can bring distress on our existence in the future, so be careful now!

Wednesday, October 18, 2017

दीपावली इतिहास की रहस्यमय घटनाएँ, दीपावली पर सुख-सम्पदा-आरोग्य कैसे बढ़ायें ?

अक्टूबर 18,2017  www.azaadbharat.org
दीपावली हिन्दू समाज में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्यौहार है। #दीपावली को मनाने का उद्देश्य #भारतीय #संस्कृति के उस प्राचीन सत्य का आदर करना है, जिसकी महक से आज भी #लाखों लोग अपने जीवन को सुवासित कर रहे हैं। दिवाली का उत्सव #पर्वों का #पुंज है।
Deepawali's mysterious events in history, Deepawali on how to increase happiness and wealth?

भारत में इस उत्सव को मनाने की परंपरा कब से चली, इस विषय में बहुत सारे अनुमान किये जाते हैं। एक अनुमान तो यह है कि आदिमानव ने जब से अग्नि की खोज की है, शायद तभी से यह उत्सव मनाया जा रहा है। जो भी हो, किंतु विभिन्न प्रकार के कथनों और #शास्त्रवचनों से तो यही सिद्ध होता है कि भारत में दिवाली का उत्सव प्रतिवर्ष मनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
दीपावली त्यौहार #हिन्दू, #जैन एवं #सिक्ख समुदाय और #प्राणी_मात्र के लिए बेहद खास है। रामायण ही नहीं बल्कि महाभारत में भी दिवाली मनाए जाने की वजह बताई गई है।
आइए हम आपको दीपावली को लेकर  #रहस्यमय 9 घटनाएँ बताते हैं...
1. दीपावली के दिन #रावण का वध करके 14 साल के वनवास के बाद भगवान #राम पत्नी #सीता और भाई #लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे। इस दिन नगरवासियों ने पूरे नगर को सजाकर दिये जलाए थे ।
2. दीपावली के दिन #समुंद्र #मंथन से माँ #लक्ष्मी का प्रागट्य हुआ।
3. दीपावली के दिन राजा विक्रमादित्य का राजभिषेक हुआ।
4.दीपावली के दिन स्वामी #दयानन्द सरस्वती जी ने आर्य समाज की स्थापना की।
5. दीपावली के दिन #हरगोविंद सिंह जी जहांगीर के चुंगल से मुक्त हुए।
6. दीपावली के दिन #पांडव 12 साल के अज्ञातवास के बाद वापस आए थे। नगर की प्रजा ने इस दिन दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
7. दीपावली के दिन #महावीर तीर्थंकर जी ने मोक्ष प्राप्त किया ।
8. दीपावली के दिन गुरु #गोविन्दसिंह विजययात्रा पर निकले थे।
9. दीपावली के दिन भगवान #विष्णु ने वामन अवतार धारण करके लक्ष्मी जी को बाली की कैद से छुड़ाया था।
यह उत्सव केवल #सामाजिक, आर्थिक और नैतिक उत्सव ही नहीं वरन् आत्मप्रकाश की ओर जाने का संकेत करने वाला, #आत्मोन्नति कराने वाला उत्सव है।
 आपको बता दे कि दीपावली केवल भारत मे ही नही वरन जापान, अमेरिका, थाईलैंड आदि देशों में भी धूम-धाम से मनाया जाता है ।
 सुख-सम्पदा-आरोग्य बढ़ाने हेतु
(1) दीपावली के दिन नारियल व खीर की कटोरी लेकर घर में घूमें । घर के बाहर नारियल फोड़ें और खीर ऐसी जगह पर रखें कि कोई जीव-जंतु या गाय खाये तो अच्छा है, नहीं तो और कोई प्राणी खाये । इससे घर में धन-धान्य की बरकत में लाभ होता है ।
 (2) घर के बाहर हल्दी और चावल के मिश्रण या केवल हल्दी से स्वस्तिक अथवा ॐकार बना दें । यह घर को बाधाओं से सुरक्षित रखने में मदद करता है । द्वार पर अशोक और नीम के पत्तों का तोरण (बंदनवार) बाँध दें । उससे पसार होनेवाले की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी ।
 (3) आज के दिन सप्तधान्य उबटन (पिसे हुए गेहूँ, चावल, जौ, तिल, चना, मूँग और उड़द से बना मिश्रण) से स्नान करने पर पुण्य, प्रसन्नता और आरोग्यता की प्राप्ति होती है । दिवाली के दिन अथवा किसी भी पर्व के दिन गोमूत्र से रगड़कर स्नान करना पापनाशक स्नान होता है । 
(4) इन दिनों में चौमुखी दीये जलाकर चौराहे पर चारों तरफ रख दिये जायें तो वह भी शुभ माना जाता है ।
(5) दीपावली की रात को घर में लक्ष्मीजी के निवास के लिए भावना करें और लक्ष्मीजी के मंत्र का भी जप कर सकते हैं । मंत्र : ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे । अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि । तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।
6) घर में विसंवादिता मिटाने के लिए गौ-चंदन अगरबत्ती पर देशी गाय का घी डाल के जलायें, घर के लोग मिलकर ‘हरि ॐ’ का गुंजन करें । दीवाल पर या कहीं भी अपने नेत्रों की सीध में इष्टदेवता या सद्गुरु के नेत्र हों, उन्हें एकटक देखें और आसन बिछाकर ऐसी ध्वनि (ॐकार का गुंजन) करें । और दिनों में नहीं कर सकें तो दिवाली के पाँच दिन तो अवश्य करें, इससे घर में सुख-सम्पदा का वास होगा । परंतु यह है शरीर का घर, तुम्हारा घर तो ऐसा है कि महाराज ! सारी सुख-सम्पदाएँ वहीं से सबको बँटती रहती हैं और कभी खूटती नहीं । उस अपने आत्म-घर में आने का भी इरादा करो । ( स्त्रोत: ऋषि प्रसाद : नवम्बर 2012)
संसार की सभी जातियाँ अपने-अपने उत्सव मनाती हैं। प्रत्येक समाज के अपने उत्सव होते हैं जो अन्य समाजों से भिन्न होते हैं, परंतु #हिंदू #पर्वों और #उत्सवों में कुछ ऐसी विशेषताएँ हैं, जो किसी अन्य जाति के उत्सवों में नहीं हैं। हिन्दू वर्षभर उत्सव मनाते रहते हैं। एक #त्यौहार मनाते ही अगला त्यौहार सामने दिखाई देता है। इस प्रकार पूरा वर्ष आनन्द से बीतता है।
हिंदू धर्म की मान्यता है कि सब #प्राणियों में अपने जैसी आत्मा समझनी चाहिए और किसी को अकारण दुःख नहीं देना चाहिए। संभवतः इसी बात को समझने के लिए #पितृपक्ष में कौए को भोजन देने की प्रथा है। नाग पंचमी के दिन सर्प को दूध पिलाया जाता है। कुछ अवसरों पर कुत्ते को भोजन दिया जाता है।
हर ऋतु में नयी फसल आती है। पहले वह ईश्वर को अर्पण करना, फिर #मित्रों और संबंधियों में #बाँटकर खाना – यह हिंदू परंपरा है। इसीलिए दिवाली पर खील-बताशे, मकर संक्रांति यानि #उत्तरायण पर्व पर तिल गुड़ #बाँटे जाते हैं। अकेले कुछ खाना हिंदू परंपरा के विपरीत है। पनीरयुक्त मिठाइयाँ स्वास्थ्य के लिए हानिकर हैं। स्वामी #विवेकानंद #मिठाई की दुकान को साक्षात् यम की दुकान कहते थे। अतः दिवाली के दिनों में नपी तुली घर मे बनी हुई मिठाई खानी चाहिए।
भारत के वे #ऋषि-मुनि धन्य हैं, जिन्होंने दीपावली – जैसे पर्वों का आयोजन करके मनुष्य को मनुष्य के नजदीक लाने का प्रयास किया है तथा उसकी सुषुप्त #शक्तियों को जागृत करने का संदेश दिया है।
*आप सभी को दीपावली पर्व की शुभकामनायें*
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Tuesday, October 17, 2017

चांदी के वर्क वाली मिठाई खाते हो तो हो जाइये सावधान, उसका सच भी जान लो

अक्टूबर 17, 2017   www.azaadbharat.org
 दीवाली हो या कोई अन्य कोई #त्यौहार
उसमे चांदी के #वर्क वाली मिठाईयां खाई भी जाती हैं और मेहमानों को भी खिलाई जाती हैं ।

कुछ लोग #खूबसूरती के लिए ये मिठाईयां #घर लाते हैं तो कुछ लोग सेहत के लिए फायदेमंद समझकर #खरीदते हैं ।
  मिठाई पर लगा #चाँदी के #वर्क का सच जानने के बाद आप मिठाई खाने से पहले सौ बार सोचेंगे । हो सकता है खाना ही छोड़ दें । क्या आपको पता है कि आपको वर्क के नाम पर मांसाहारी #मिठाई परोसी जा रही है ?
BEWARE OF SILVER WORKED SWEETS

#चांदी के #वर्क वाली #मिठाई दिखने में जितनी सुंदर है । उसी #चांदी के #वर्क के बनने की #कहानी बेहद ही घिनौनी है । सालों से #लोग वर्क लगी मिठाई को शाकाहारी समझ कर खा रहे हैं । लेकिन #सजावट के लिए लगाया जाने वाला #चांदी का वर्क असलियत में जानवर की खाल से बनता है ।
बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि यह वर्क #गाय-बैल की आंतों से #तैयार किया जाता है।

जिस #चांदी के वर्क पर चढ़ी #मिठाई को #शाकाहारी समझ कर आप बरसों से खा रहे हैं वो दरअसल शाकाहारी नहीं है #जानवर के अंश का इस्तेमाल करके चांदी का वर्क बनाया जाता है ।
बता दें कि #देश में चांदी के वर्क की सालाना #मांग करीब 275 टन की है । चांदी के वर्क का #कारोबार फिलहाल #भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान में है जो कि पूरी तरह असंगठित क्षेत्र के हाथ में है । यही वजह है कि इसके कारोबार का सही-सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है ।
 चांदी का बाजार !!
#परंपरागत रूप से देश में #चांदी का वर्क बूचड़खानों से ली गई जानवरों की खालों और उनकी आंतों को हथौड़ों से पीटकर तैयार किया जाता है ।
इसके अलावा विदेशी मशीनों से भी चांदी का #वर्क तैयार होता है, इसमें एक #स्पेशल पेपर और पॉलिएस्टर कोटेड शीट के बीच चांदी को रखकर उसके वर्क का पत्ता तैयार होता है । इसमें #जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं किया जाता । चूंकि ये #मशीनें महंगी हैं और देश में गिनी चुनी कंपनियों के पास ही हैं ऐसे में इनका चांदी का वर्क #महंगा भी पड़ता है और कम भी । एक अनुमान के मुताबिक #भारत में 90 फीसदी चांदी का वर्क पुराने तरीके से जानवरों के अंश का इस्तेमाल करके बनता है जबकि 10 फीसदी मशीनों से तैयार होता है ।



 #सरकारी आदेश का असर !!
#सरकार ने चांदी के वर्क को बनाने में जानवर के अंश का इस्तेमाल नहीं करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है । #फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य और फूड एक्सपर्ट बिजॉन मिश्रा का भी कहना है कि चांदी के वर्क बेचते समय बताना चाहिए कि ये मांसाहारी है या शाकाहारी । इसके पैकेट पर हरा और लाल निशान होना चाहिए ।
आपको बता दें कि पैकेट पर हरा निशान मतलब की शाकाहारी है और लाल निशान मतलब की वो मांसाहारी है ।
 पिछले साल #मेनका गांधी ने #मीडिया को बताया कि मिठाई व #पान ही नहीं #सेब जैसे #फल को #आकर्षक बनाने के लिए उनके ऊपर जो चांदी का वर्क लगाया जाता है वह #मांसाहार की श्रेणी में आता है।
उनका कहना है कि यह वर्क #जिंदा #बैलों का #कत्ल कर उनकी #आंत के सहारे तैयार किया जाता है। वर्क लगी #मिठाइयों के बढ़ते आकर्षण के कारण प्रति वर्ष हजारों #गौवंशीय #पशुओं की #हत्या की जाती है।
उन्होंने बताया कि गौवंशीय पशु की आंत से बनी वर्क में #चांदी, #एल्यूमिनियम अथवा उस जैसी धातु का बड़ा टुकड़ा डाला जाता है। फिर उसे लकड़ी के हथौड़े से पीट कर पतला करके आकार दिया जाता है।
बैल की आंत #पीटते रहने से #फटती नहीं है। चांदी के वर्क के चक्कर में कुछ लोग एल्यूमिनियम भी बेच देते हैं।
मेनका गाँधी का कहना है कि इस कारोबार से जुड़े लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से #पशु #हत्या, #गाय की हत्या में भी संलिप्त कहे जा सकते हैं। 'दो साल पहले #इंडियन #एयरलाइंस ने यह महसूस करने पर कि वर्क #मांसाहार है, अपने #कैटरर को #विमान में परोसी जाने वाली मिठाइयों पर वर्क न लगाने के निर्देश दिए गए थे। पत्र भेज कर बैल की आंतों के सहारे तैयार कराए जाने वाले वर्क पर रोक लगाने को कहा था ।
#स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कराई गई जांच में भी वर्क के मांसाहार होने की पुष्टि हुई।
#केंद्र अब #कानून के जरिये इस पर प्रतिबंध की तैयारी में है।
इस आशय का 19 अप्रैल 2016 को #राजपत्र भी आम राय के लिए #वेबसाइट पर डाला था ।
आप भी घरेलू बनी मिठाई ही खायें  और
बैल के वर्क से बनी मिठाइयों, सुपारी, लडडू, इलायची आदि से सावधान रहें ।
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Monday, October 16, 2017

पांच दिन आनंद उत्सव मनाने के दिन हैं पर्वों का पुंज दीपावली

अक्टूबर 16, 2017  www.azaadbharat.org
दीपावली में क्या करने से अकाल मुत्यु टलती है, लक्ष्मीप्राप्ति कैसे करे?, क्या करने से मंत्र सिद्धि होती है? जानिए इनसब के बारे में...
Five days to celebrate the festival of joy
🚩हमारी #सनातन संस्कृति में व्रत, त्यौहार और #उत्सव अपना #विशेष महत्व रखते हैं। सनातन धर्म में पर्व और #त्यौहारों का इतना #बाहूल्य है कि यहाँ के लोगो में 'सात वार नौ #त्यौहार' की कहावत प्रचलित हो गयी। इन पर्वों तथा #त्यौहारों के रूप में हमारे ऋषियों ने #जीवन को सरस और #उल्लासपूर्ण बनाने की #सुन्दर व्यवस्था की है। प्रत्येक पर्व और #त्यौहार का अपना एक विशेष महत्व है, जो विशेष विचार तथा #उद्देश्य को सामने रखकर निश्चित किया गया है।
🚩ये #पर्व और #त्यौहार चाहे किसी भी श्रेणी के हों तथा उनका बाह्य रूप भले भिन्न-भिन्न हो, परन्तु उन्हें स्थापित करने के पीछे हमारे ऋषियों का उद्देश्य था – #समाज को भौतिकता से आध्यात्मिकता की ओर लाना।
🚩उत्तरायण, शिवरात्री, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, नवरात्री, दशहरा आदि #त्योहारों को मनाते-मनाते आ जाती हैं पर्वों की #हारमाला-दीपावली। #पर्वों के इस पुंज में 5 दिन मुख्य हैं- #धनतेरस, #काली चौदस, #दीपावली, #नूतन वर्ष और #भाईदूज। #धनतेरस से लेकर #भाईदूज तक के ये 5 दिन आनंद उत्सव मनाने के दिन हैं।
🚩शरीर को रगड़-रगड़ कर स्नान करना, नये वस्त्र पहनना, मिठाइयाँ खाना, नूतन वर्ष का अभिनंदन देना-लेना। भाईयों के लिए बहनों में प्रेम और बहनों के प्रति भाइयों द्वारा अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करना – ऐसे मनाये जाने वाले 5 दिनों के #उत्सवों के नाम है '#दीपावली पर्व।'

🚩#धनतेरसः #धन्वंतरि महाराज खारे-खारे सागर में से औषधियों के द्वारा #शारीरिक स्वास्थ्य-संपदा से #समृद्ध हो सके, ऐसी स्मृति देता हुआ जो पर्व है, वही है #धनतेरस। यह पर्व #धन्वंतरि द्वारा प्रणीत आरोग्यता के सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपना कर सदैव #स्वस्थ और प्रसन्न रहने का संकेत देता है।
🚩#धनतेरस – #धनतेरस के दिन संध्या के समय घर के बाहर हाथ में जलता हुआ दिया लेकर भगवान यमराज की प्रसन्नता हेतु उन्हें इस मंत्र से #दीपदान करना चाहिए । इससे अकाल मृत्यु नहीं होती ।
#मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह ।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतामिति ।।
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)
यमराज को दो दीपक दान करने चाहिए तथा #तुलसी के आगे #दीपक रखना चाहिए, इससे दरिद्रता मिटती है ।
🚩#काली चौदसः #धनतेरस के पश्चात आती है 'नरक चतुर्दशी (काली चौदस)'। भगवान #श्रीकृष्ण ने नरकासुर को क्रूर कर्म करने से रोका। उन्होंने #16 हजार कन्याओं को उस दुष्ट की कैद से छुड़ाकर अपनी शरण दी और नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया। नरकासुर प्रतीक है – वासनाओं के समूह और अहंकार का। जैसे, #श्रीकृष्ण ने उन #कन्याओं को अपनी शरण देकर नरकासुर को यमपुरी पहुँचाया, वैसे ही आप भी अपने चित्त में विद्यमान नरकासुररूपी अहंकार और वासनाओं के समूह को #श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दो, ताकि आपका अहं यमपुरी पहुँच जाय और आपकी असंख्य वृत्तियाँ श्री #कृष्ण के अधीन हो जायें। ऐसा स्मरण कराता हुआ पर्व है #नरक चतुर्दशी।
🚩#नरक चतुर्दशी (काली चौदस) के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर #तेल-मालिश (तैलाभ्यंग) करके स्नान करने का विधान है। 'सनत्कुमार संहिता' एवं 'धर्मसिंधु' ग्रंथ के अनुसार इससे नारकीय यातनाओं से रक्षा होती है।
🚩#काली चौदस और #दीपावली की रात जप-तप के लिए बहुत उत्तम मुहूर्त माना गया है। #नरक चतुर्दशी की रात्रि में मंत्रजप करने से #मंत्र सिद्ध होता है।
🚩इस #रात्रि में #सरसों के तेल अथवा घी के दीये से काजल बनाना चाहिए। इस काजल को आँखों में आँजने से किसी की बुरी नजर नहीं लगती तथा आँखों का तेज बढ़ता है।
🚩#दीपावलीः फिर आता है आता है #दीपों का #त्यौहार – दीपावली। दीपावली की रात्री को सरस्वती जी और #लक्ष्मी जी का #पूजन किया जाता है।
🚩#लक्ष्मीप्राप्ति की साधना
🚩#दीपावली के दिन घर के मुख्य दरवाजे के दायीं और बायीं ओर गेहूँ की छोटी-छोटी ढेरी लगाकर उस पर दो दीपक जला दें। हो सके तो वे रात भर जलते रहें, इससे आपके #घर में #सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होगी।
🚩#मिट्टी के कोरे दीयों में कभी भी तेल-घी नहीं डालना चाहिए। दीये 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दीयों में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।
🚩#लक्ष्मीप्राप्ति की साधना का एक अत्यंत सरल और केवल तीन दिन का प्रयोगः #दीपावली के दिन से तीन दिन तक अर्थात् #भाईदूज तक एक स्वच्छ कमरे में अगरबत्ती या धूप (केमिकल वाली नहीं-गोबर से बनी) करके #दीपक जलाकर, शरीर पर #पीले वस्त्र धारण करके, ललाट पर #केसर का तिलक कर, स्फटिक मोतियों से बनी माला द्वारा नित्य प्रातः काल निम्न मंत्र की मालायें जपें।
🚩#ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद् महै।
अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्।।
🚩अशोक के वृक्ष और नीम के पत्ते में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है। प्रवेशद्वार के ऊपर #नीम, #आम, अशोक आदि के पत्ते को #तोरण (#बंदनवार) बाँधना मंगलकारी है।

🚩#नूतन वर्षः #दीपावली वर्ष का आखिरी दिन है और #नूतन वर्ष प्रथम दिन है। यह दिन आपके जीवन की डायरी का पन्ना बदलने का दिन है।
🚩#दीपावली की रात्री में #वर्षभर के कृत्यों का सिंहावलोकन करके आनेवाले नूतन वर्ष के लिए #शुभ संकल्प करके सोयें। उस संकल्प को पूर्ण करने के लिए #नववर्ष के प्रभात में भगवान, अपने माता-पिता, गुरुजनों, सज्जनों, साधु-संतों को #प्रणाम करके तथा अपने सदगुरु के श्रीचरणों में जाकर #नूतन वर्ष के नये प्रकाश, नये उत्साह और नयी प्रेरणा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करें। जीवन में नित्य-निरंतर नवीन रस, आत्म रस, आत्मानंद मिलता रहे, ऐसा अवसर जुटाने का दिन है '#नूतन वर्ष।'

🚩#भाईदूजः उसके बाद आता है #भाईदूज का पर्व। दीपावली के #पर्व का पाँचनाँ दिन। #भाईदूज भाइयों की बहनों के लिए और बहनों की भाइयों के लिए सदभावना बढ़ाने का दिन है।
🚩हमारा मन एक #कल्पवृक्ष है। मन जहाँ से फुरता है, वह चिदघन चैतन्य सच्चिदानंद परमात्मा सत्यस्वरूप है। हमारे मन के संकल्प आज नहीं तो कल सत्य होंगे ही। किसी की बहन को देखकर यदि मन दुर्भाव आया हो तो #भाईदूज के दिन उस बहन को अपनी ही बहन माने और बहन भी पति के सिवाये 'सब पुरुष मेरे भाई हैं' यह भावना #विकसित करे और भाई का कल्याण हो – ऐसा #संकल्प करे। भाई भी बहन की उन्नति का संकल्प करे। इस प्रकार #भाई-बहन के परस्पर प्रेम और उन्नति की भावना को बढ़ाने का #अवसर देने वाला #पर्व है '#भाईदूज'।
🚩जिसके #जीवन में #उत्सव नहीं है, उसके जीवन में #विकास भी नहीं है। जिसके जीवन में उत्सव नहीं, उसके जीवन में नवीनता भी नहीं है और वह आत्मा के करीब भी नहीं है।
🚩#भारतीय #संस्कृति के #निर्माता ऋषिजन कितनी दूरदृष्टिवाले रहे होंगे ! महीने में अथवा वर्ष में एक-दो दिन आदेश देकर कोई काम मनुष्य के द्वारा करवाया जाये तो उससे मनुष्य का विकास संभव नहीं है। परंतु #मनुष्य यदा कदा अपना विवेक जगाकर उल्लास, आनंद, प्रसन्नता, #स्वास्थ्य और #स्नेह का गुण विकसित करे तो उसका #जीवन विकसित हो सकता है।
🚩अभी कोई भी ऐसा #धर्म नहीं है, जिसमें इतने सारे #उत्सव हों, एक साथ इतने सारे लोग #ध्यानमग्न हो जाते हों, भाव-समाधिस्थ हो जाते हों, #कीर्तन में झूम उठते हों। जैसे, स्तंभ के बगैर #पंडाल नहीं रह सकता, वैसे ही #उत्सव के बिना धर्म विकसित नहीं हो सकता। जिस धर्म में खूब-खूब अच्छे उत्सव हैं, वह धर्म है सनातन धर्म। #सनातन #धर्म के बालकों को अपनी सनातन वस्तु प्राप्त हो, उसके लिए उदार चरित्र बनाने का जो #काम है वह पर्वों, उत्सवों और सत्संगों के #आयोजन द्वारा हो रहा है।
🚩पाँच पर्वों के #पुंज इस #दीपावली महोत्सव को लौकिक रूप से मनाने के साथ-साथ हम उसके #आध्यात्मिक महत्त्व को भी समझें, यही लक्ष्य हमारे पूर्वज #ऋषि मुनियों का रहा है।
🚩इस पर्वपुंज के निमित्त ही सही, अपने #भगवान, #ऋषि-मुनियों के, संतों के दिव्य ज्ञान के आलोक में हम अपना अज्ञानांधकार मिटाने के मार्ग पर शीघ्रता से अग्रसर हों – यही इस #दीपमालाओं के पर्व #दीपावली का संदेश है।
( स्तोत्र : संत श्री #आसारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित साहित्य "#पर्वो का पुंज दीपावली" से )
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