Monday, September 10, 2018

डीजी वंजारा सोहराबुद्दीन केस में निर्दोष बरी, 8 साल रहे थे जेल में

10 September 2018

🚩देशहित में जो भी व्यक्ति काम करते हैं उसको कैसे षड्यंत्र में फंसाया जाता है उसका उदाहरण देखना है तो गुजरात के पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा जी को देख लीजिए ।
वंजारा जी के सरकारी कार्यकाल के समय गुजरात में काफी डॉन बढ़ गए थे और गुजरात के लोगों में दहशत फैला रहे थे, अपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ती जा रही थी, आतंकवाद का भय मंडरा रहा था उस समय जांबाज पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा जी ने अनेक आतंकवादियों का एनकाउंटर कर दिया, गुजरात में जो डॉन थे उनको अच्छी तरह ठीक कर दिया, अपराधियों को सजा दिलवाई, अपराधिक प्रवृत्तियां रुक गईं और गुजरात में सुख-शांति हो गई ।
DG Vanzara acquitted in Sohrabuddin case, 8 years in prison

🚩जांबाज अधिकारी डीजी वंजारा जी को इस कार्य के बदले में अवार्ड मिलना चाहिए था, लेकिन भारत के अंदर ही कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों का हथकंडे बने हुए थे उनको ये सब रास नहीं आया । उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार से मिलकर षड्यंत्र रचा और झूठे मामलों में जेल भिजवा दिया गया इससे ज्यादा देश मे दुर्भाग्य क्या हो सकता है ?

🚩उनको 8 साल तक बिना सबूत जेल में रहना पड़ा, उनका जो समय देश हित में लगना चाहिए था वो समय बर्बाद हुआ, पैसे की बर्बादी हुई, परिवार दुविधा में पड़ गया, लेकिन बोलते हैं न कि सत्य परेशान होता है पर पराजित नहीं होता है, वही आज यहाँ हुआ ।

🚩बॉम्बे हाई कोर्ट ने देश के चर्चित सोहराबुद्दीन मुठभेड़ में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए, पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा समेत अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपों से बरी कर दिया है । बता दें कि निचली अदालत ने इस मामले में गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन, गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा, गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन, राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोपमुक्त कर दिया था । 

🚩इसके बाद सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन और सीबीआई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मामले में पांच पुनर्निरीक्षण याचिका दायर की थी । सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा समेत पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी ठहराया था । सीबीआई ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार दिया था, जबकि पुलिस का कहना था कि सोहराबुद्दीन के संबंध आतंकियों से जुड़े थे ।
🚩सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, गुजरात के एक संदिग्ध गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात एटीएस और राजस्थान पुलिस के अधिकारियों ने हैदराबाद के पास से अगवा कर लिया था और उन्हें नवंबर 2005 में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। 

🚩गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि उसका आतंकवादी संगठन लश्कर से संबंध था ।  इस मामले में अप्रैल, 2007 में आरोपी बनाए गए गुजरात के पूर्व डीआईजी #डीजी वंजारा और #दिनेश एमएन के अलावा #राजकुमार पंडियन को #गिरफ्तार किया गया था । बाद में अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद पंडियन को रिहा कर दिया था । #2014 में वंजारा जी को भी #जमानत मिल गई थी ।

🚩डीजी वंजारा निर्दोष तो बरी हो गए, लेकिन उनको 8 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया, वो उनका कीमती समय क्या कानून लौटा पाएगा ??? उनके पैसों की बर्बादी हुई उसे कौन लौटाएगा ?

🚩मीडिया ने भी उस समय उनकी खूब बदनामी की, लेकिन जैसे ही उन्हें निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी किसी #हिंदुत्वनिष्ठ पर #आरोप लगता है तो #मीडिया उनकी समाज में इतनी #बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हों, पर जब वही निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है । 

🚩विचार कीजिए, क्या सिर्फ #हिन्दुत्वनिष्ठों को #बदनाम करने का #मीडिया का #एजेंडा है..???

🚩कछुआ छाप चलने वाली हमारी #न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर #हिन्दुत्वनिष्ठों को जल्दी न्याय नहीं दे पाती है । और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय नही मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या #देरी से #न्याय मिलना #अन्याय नहीं है ???

🚩गौरतलब है कि हिंदुनिष्ठ श्री #नारायण साईं, #धनंजय देसाई आदि को फंसाने के पीछे कई सबूत मिल चुके हैं। सालों से जेल में है, लेकिन उनको भी अभीतक जमानत मिल नहीं पाई है ।

🚩क्या उनको इसलिए जेल में रखा गया है कि वो कट्टर हिंदुत्ववादी हैं..???

🚩अब देखना ये है कि #हिन्दुत्वादी कहलाने वाली वर्तमान सरकार #कब तक इन #हिन्दूनिष्ठों को भी #न्याय दिलवाती है..???

🚩कांग्रेस सरकार ने तो षडयंत्र करके हिन्दू सन्तों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को जेल भेज दिया था, पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली #BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है, ये देखना है ।

🚩सरकार को हिंदुनिष्ठ लोगों की जल्द से जल्द सह-सम्मान रिहाई करवानी चाहिए, इसी पर सभी हिंदुस्तानियों की निगाहें टिकी है ।

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Sunday, September 9, 2018

मीडिया मनमानी न करे, रिपोर्टिंग में आत्म-नियमन बरते : न्यायमूर्ति ललित..

09 September 2018

🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया टी.आर.पी. और पैसे के लिए इतने अंधे हो गए हैं कि कुछ भी खबर दिखाने लगते हैं, किसी एजेंडा के तहत तो काफी झूठी खबरें भी परोसने लगते हैं ।

🚩भारत में मीडिया ट्रायल बहुत चलता है, किसी एक खबर को लेकर, उसपर मनगढ़ंत कहानियां बनाकर इतनी खबरें दिखाई जाती हैं कि आम जनता भी उसको सही मानने लगे और अधिकतर ऐसा मीडिया ट्रायल हिन्दू संस्कृति व हिंदुनिष्ठ लोगो के खिलाफ चलाया जाता है ।
Media should not be arbitrary, self-regulation in reporting: Justice Fine

🚩विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य संरक्षक व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अशोक सिंघलजी कहते हैं : ‘‘मीडिया ट्रायल के पीछे कौन है ? हिन्दू धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के लिए मीडिया ट्रायल पश्चिम का बड़ा भारी षड़्यंत्र है हमारे देश के भीतर । मीडिया का उपयोग कर रहे हैं विदेश के लोग, उसके लिए भारी मात्रा में फंड्स देते हैं, जिससे हिन्दू धर्म के खिलाफ देश के भीतर वातावरण पैदा हो ।’’ 

🚩सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश उदय यू. ललित ने शनिवार को अहमदाबाद में कहा कि मीडिया को अपराधिक मुकदमों की सुनवाई की रिपोर्टिंग में आत्म-नियमन बरतना चाहिए । 

🚩न्यायमूर्ति ललित, पी.डी. देसाई स्मृति व्याख्यान श्रृंखला को इस विषय पर संबोधित कर रहे थे कि क्या मीडिया की रिपोर्टिंग किसी मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई में बाधक है । उन्होंने कहा कि मीडिया को किसी अपराध की जांच की खबरें लिखने-दिखाने से रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। 

🚩न्यायमूर्ति ललित ने कहा, ‘‘इस देश में हम प्रेस के अधिकारों को इस स्तर का समझते हैं कि हम उनमें कटौती नहीं करना चाहते । कोई कानून उनमें कटौती नहीं कर सकता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मीडिया में पूरी तरह से मनमानापन हो जाए । प्रेस में आत्म-नियमन होना चाहिए ।’’ 

🚩कुछ समय पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है  कि "मीडिया में दिखायी गयी खबरें न्यायाधीश के फैसलों पर असर डालती हैं । खबरों से न्यायाधीश पर दबाव बनता है और फैसलों का रुख भी बदल जाता है । पहले मीडिया अदालत में विचाराधीन मामलों में नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हुए खबरें नहीं दिखाता था, लेकिन अब नैतिकता को हवा में उड़ा दिया है ।  मीडिया ट्रायल के जरिए दबाव बनाना न्यायाधीशों के फैसलों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति है । जाने-अनजाने में एक दबाव बनता है और इसका असर आरोपियों और दोषियों की सजा पर पड़ता है ।’’

🚩जज भी एक मनुष्य है और जब मीडिया ट्रायल किसी व्यक्ति के खिलाफ चलता है तो जज भी प्रभावित होता है और उस व्यक्ति के खिलाफ जजमेंट देता है ।

आपको दो उदाहरण प्रस्तुत करते है :
🚩1. आरुषि हत्या कांड में उनके माता - पिता के खिलाफ इतना मीडिया ट्रायल चला कि उनको सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सजा दे दी ।
फिर हाईकोर्ट ने 9 साल बाद निर्दोष बरी किया ।

🚩2 . हिन्दू संत आसाराम बापू को भी एक फर्जी केस में सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई है । जबकि लड़की का मेडिकल हुआ उसमे एक भी खरोंच नहीं आई थी, जिस समय की घटना लड़की बता रही थी, उससमय तो वो वहाँ थी ही नहीं, जन्म प्रमाणपत्र भी अलग-अलग है फिर भी पोस्को एक्ट लगाकर फर्जी केस में उम्रकैद दे दी, उनको षड्यंत्र के तहत फ़साने के कई प्रमाण भी थे, उन्हें भी अनदेखा किया । 

🚩भारत में मीडिया इतना स्वतंत्र हो गई है कि किसी के बारे में कुछ भी मनगढ़ंत कहानियां बनाकर उसके खिलाफ इतना ट्रायल चलाती है कि कोर्ट को भी निर्णय बदलने पर मजबूर होना पड़ता है ।

🚩टी.वी. चैनलों ने तो आरुषि कांड में तलवार दंपति को मुकदमा शुरू होने पहले ही मुजरिम ठहरा दिया था । टी.वी. चैनलों ने तो जांच एजेंसियों की थ्योरी पर यकीन कर लिया, कोई सवाल नहीं पूछा गया।'

🚩अब बड़ा सवाल उठता है कि देश का चौथा स्तंभ मीडिया इतना गिर चुका है कि कोर्ट की अवेहलना करके खुद ही निर्यण देने लगा है क्या इस पर सरकार नियंत्रण नहीं कर सकती है ?

🚩देश में ऐसे हजारों निर्दोष है जो बिना सबूत सालों से जेल में हैं, साध्वी प्रज्ञा को भी 9 साल बाद रिहा किया । स्वामी असीमानन्द जी 8 साल में, शंकराचार्य अमृतानन्द जी 9 साल में, डी.जी. वंजारा जी 8 साल में, स्वामी केशवानंद जी 7 साल में बरी निर्दोष हुए । केवल और केवल मीडिया #ट्रायल और #भ्रष्ट तंत्र के कारण निर्दोष होने पर भी जेल में थे ।

🚩देश में ऐसे एक-दो नहीं लाखों केस हैं जो भ्रष्टाचार के कारण बिना सबूत जेल में सजा भुगतने को मजबूर हैं । अब सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और मीडिया ट्रायल चलाने वाले और भ्रष्टाचारियों को जेल की राह दिखानी चाहिए ।

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Saturday, September 8, 2018

800 साल पुरानी करोड़ों की मूर्तियां भारत से हुई थी चोरी, अमेरिका ने की वापस..

08 September 2018
http://azaadbharat.org
🚩भारत एक समय सोने की चिड़िया थी, लेकिन मुगलों और अंग्रेजों ने लूट लिया, फिर कुछ बचा था तो तत्कालीन सरकार ने घोटाले करके देश को लूटा और विदेशियों से लुटवाया, देश के आस्था स्वरूप मंदिरों की मूर्तियां भी लुटवाई ।
🚩दो अमेरिकी संग्रहालयों में प्रर्दिशत भारत से चुराई गयी, हजारों डॉलर की दो प्राचीन मूर्तियां अमेरिका ने भारत को लौटा दी हैं । पहली मूर्ति लिंगोधभव मूर्ति’ 12 वीं सदी की है । भगवान शिव की ग्रेनाइट से निर्मित यह ऐतिहासिक मूर्ति चोल काल की है । फिलहाल इसकी कीमत 2,25,000 डॉलर ( भारत के करीब 15,750,000 रुपये) आंकी गयी है । इसे तमिलनाडु से चुराया गया था और अलबामा के बर्घिमम संग्रहालय में प्रर्दिशत किया गया था । 
800-year-old crores of statues were stolen
from India, the United States returned

🚩दूसरी मूर्ति बोधिसत्व ‘मंजूश्री’ की मूर्ति है । उसके हाथ में तलवार है और मूर्ति सोने के रंग में रंगी है । 12 वीं सदी की यह फिलाइट मूर्ति 1980 के दशक में, बिहार के बोधगया के समीप के एक मंदिर से चुराई गयी थी । इसकी वर्तमान कीमत लगभग 2,75,000 डॉलर ( भारत के करीब 19,250,000 रुपये) आंकी गई है । इसे उत्तरी कैरोलीना विश्वविद्यालय के आकलैंड आर्ट संग्रहालय से हासिल किया गया है । 
🚩ये मूर्तियां न्यूयार्क में वाणिज्य दूतावास में एक कार्यक्रम में भारत के महावाणिज्य दूत संदीप चक्रवर्ती को मैनहट्टन जिला आर्टनी साइरस वेंस जूनियर ने सौंपीं । उत्तराखंड के बैजनाथ के चक्रवर्तेश्वर मंदिर से 1969 के बाद चोरी की गई थी ।
🚩गौरतलब है कि, इससे पहले न्यूयार्क के मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट ने भी भारत से चुराई गईं दो ऐतिहासिक धरोहरों को देहली आकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को सौंपा है । इसमें दुर्गा महिषासुर मर्दिनी व देवता का सिर शामिल है । 10 अगस्त को मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट के अधिकारी, दो ऐतिहासिक मूर्तियों को अपने खर्च पर वापस ले आए । हालांकि इन मूर्तियों से पहले भी हमारे देश की धरोहर मूर्तियों को विदेश संग्रहालयों ने वापस लौटाया है ।स्त्रोत : जनसत्ता
🚩इस समाचार से आप समझ सकते है कि भारत एक सोने की चिड़िया था और हर घर मे सोना था तभी तो लाखों मंदिरों में सोने की मूर्तियां थी और भारतवासी कभी चोरी नही करते थे क्योंकि हर भारतवासी के पास अपार धन था, ऋषि-मुनियों के दिए हुए दिव्य संस्कार थे, परंतु पहले आक्रमणकारी, लुटेरे, बलात्कारी मुगल और फिर अंग्रेज आए उन्होंने भारत को खूब लुटा जिसके कारण भारत गरीब होता गया और उसके बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार करके लूटा, जिससे भारत और भी गरीब होता गया और आज इतनी मंहगाई हो गई कि आम आदमी का जीना मुश्किल हो गया है ।
🚩आज भी भारत मे संपत्ति की कमी नही है पर अमीर अमीर होता जा रहा है और गरीब-गरीब होता जा रहा है क्योंकि आज भी हमारे सिस्टम में भ्रष्टाचार व्याप्त है और आरक्षण के कारण अच्छे लोगों को आगे आने का मौका नहीं मिल पा रहा है ।
🚩भारतवासियों को अब एक होकर भ्रष्टाचार का विरोध करना चाहिए एवं भारत की व्यवस्था प्राचीन व्यवस्था की तरह करनी चाहिए । जो व्यवस्था अंग्रेजों ने बनाई है, उसे बदलना चाहिए तभी फिर से देश सोने की चिड़िया बन सकता है ।
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Friday, September 7, 2018

हनुमानजी से जीने की कला सीखने के लिए होगा अंतराष्ट्रीय सेमिनार..

07 September 2018

🚩ज्योतिषियों की गणना अनुसार भगवान हनुमानजी का जन्म 1 करोड़ 85 लाख 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्र नक्षत्र व मेष लग्न के योग में सुबह 6:03 बजे हुआ था ।

केवल भारत ही नहीं  विदेश में भी लोग हनुमानजी को आदरपूर्वक मानते हैं, अर्चन-पूजन करते हैं ।

An international seminar will be to
 learn the art of living by Hanumanji.

🚩अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ में सरकार द्वारा संचालित एक पत्रकारिता विश्वविद्यालय में भगवान हनुमानजी पर इंटरनेशनल सेमिनार का आयोजन हो रहा है । विश्वविद्यालय चाहता है कि, यहां के छात्र भगवान हनुमानजी से जीने की कला सीखें । भगवान हनुमानजी का लाइफ मैनेजमेंट उन्हें बताया जाएगा । वर्तमान परिदृश्य में उनके लाइफ मैनेजमेंट की व्याख्या की जाएगी । इन सब के साथ यहां कम्यूनिकेशन स्किल पर भी बात होगी । इसके लिए पूरे विश्व से रिसर्च पेपर आमंत्रित किए गए हैं । सेमिनार का थीम “हनुमानजी जी का लाइफ मैनेजमेंट” और “हनुमानजी जी का वर्तमान और प्राचीन स्वरूप” है ।

🚩विश्वविद्यालय के कुलपति एम.एस. परमार कहते हैं, “इस कार्यक्रम का आयोजन अयोध्या रिसर्च इंस्टीट्यूट और कल्चर डिपार्टमेंट के द्वारा उत्तर प्रदेश के कल्चर डिपार्टमेंट के इंडोलॉजी एंड हेरिटेज मैनेजमेंट विभाग के साथ मिलकर किया जा रहा है । इसमें शामिल होने के लिए विदेश से भी लोग आ रहे हैं । पूरे विश्व से हमने लगभग 60 रिसर्च पेपर प्राप्त किए हैं ।” बता दें कि एक ऋषि और भगवान विष्णु के भक्त नारद मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित मखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल है । वहां उन्हें पहले पत्रकार के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्हें समाचार एकत्र करने की कला में महारत प्राप्त थी । स्त्रोत : जनसत्ता

🚩भगवान हनुमानजी के अनेक गुण है उनका बखान कितना भी करो कम पड़ेगा ।

🚩हनुमानजी के पास अष्ट सिद्धयाँ  और नव निधियां भी थीं । 

हनुमानजी को जिन अष्ट सिद्धियों का स्वामी तथा दाता बताया गया है वे सिद्धियां इस प्रकार हैं-

1.अणिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमानजी कभी भी अति सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं ।

🚩2. महिमा:  इस सिद्धि के बल पर हनुमान ने कई बार विशाल रूप धारण किया है ।

3. गरिमा:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी स्वयं का भार किसी विशाल पर्वत के समान कर सकते हैं ।

🚩4. लघिमा:  इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर सकते हैं और पलभर में वे कहीं भी आ-जा सकते हैं ।

🚩5. प्राप्ति:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी किसी भी वस्तु को तुरंत ही प्राप्त कर लेते हैं। पशु-पक्षियों की भाषा को समझ लेते हैं, आने वाले समय को देख सकते हैं ।

🚩6. प्राकाम्य:  इसी सिद्धि की मदद से हनुमानजी पृथ्वी गहराइयों में पाताल तक जा सकते हैं, आकाश में उड़ सकते हैं और मनचाहे समय तक पानी में भी जीवित रह सकते हैं । इस सिद्धि से हनुमानजी चिरकाल तक युवा ही रहेंगे । साथ ही, वे अपनी इच्छा के अनुसार किसी भी देह को धारण कर सकते हैं । इस सिद्धि से वे किसी भी वस्तु को चिरकाल तक प्राप्त कर सकते हैं ।

इस सिद्धि की मदद से ही हनुमानजी ने श्रीराम की भक्ति को चिरकाल का प्राप्त कर लिया है ।

🚩7. ईशित्व:  इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हुई हैं ।
ईशित्व के प्रभाव से हनुमानजी ने पूरी वानर सेना का कुशल नेतृत्व किया था । इस सिद्धि के कारण ही उन्होंने सभी वानरों पर श्रेष्ठ नियंत्रण रखा । साथ ही, इस सिद्धि से हनुमानजी किसी मृत प्राणी को भी फिर से जीवित कर सकते हैं ।

🚩8. वशित्व:  इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी जितेंद्रिय हैं और मन पर नियंत्रण रखते हैं ।

वशित्व के कारण हनुमानजी किसी भी प्राणी को तुरंत ही अपने वश में कर लेते हैं । हनुमान के वश में आने के बाद प्राणी उनकी इच्छा के अनुसार ही कार्य करता है। इसी के प्रभाव से हनुमानजी अतुलित बल के धाम हैं ।

🚩नौ निधियां  :
हनुमान जी प्रसन्न होने पर जो नव निधियां भक्तों को देते है वो इस प्रकार है

1. पद्म निधि : पद्मनिधि लक्षणों से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है ।

🚩2. महापद्म निधि : महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है ।

3. नील निधि : नील निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है । उसकी संपत्ति तीन पीढ़ी तक रहती है ।

🚩4. मुकुंद निधि : मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्यसंग्रह में लगा रहता है ।

5. नन्द निधि : नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणोंवाला होता है वही कुल का आधार होता है ।

🚩6. मकर निधि : मकर निधि से संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करनेवाला होता है ।

7. कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुणवाला होता है, वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है ।

🚩8. शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।

9. खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रीत फल दिखाई देते हैं ।

🚩ईसाई मिशनरियों द्वारा भोले-भाले लोगों को बहकाया जाता है कि हनुमानजी एक बंदर हैं, पशु हैं, किंतु सत्य तो ये है कि वे भी अगर ईमानदारी से उनकी शरण हो जाएं तो हनुमानजी की प्रत्यक्ष कृपा का अनुभव कर सकते हैं और फिर वे आरोग्यता का दान लेकर, अपने गले से क्रॉस का चिह्न हटाकर सुंदर, सुखद, विनयमूर्ति, प्रेममूर्ति, पुरुषार्थमूर्ति, सज्जनता तथा सरलता की मूर्ति श्री हनुमानजी को ही गले में धारण करेंगे ।

🚩श्री हनुमानजी को बंदर कहकर भारत की संस्कृति पर आस्था रखनेवालों के प्रति अपराध करनेवालों ! तुम्हारे अपराध के फलस्वरूप रोग, पीड़ा, अशांति आती है । अतः सावधान हो जाओ । श्रीरामजी और हनुमानजी की कृपा आप भी पाइए और भारतवासियों को धर्मान्तरित मत कीजिए । आप इस देव की शरण आइए, इसीमें आपका भला है।

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