Tuesday, September 11, 2018

वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट में दो संतों ने हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया है..

11 September 2018
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🚩स्वामी विवेकानंद ने अमरीका के शिकागो में 11 सितंबर 1893 को आयोजित विश्व धर्म परिषद में जो भाषण दिया था, उसकी प्रतिध्वनि युगों-युगों तक सुनाई देती रहेगी ।
🚩हिन्दू संस्कृति का परचम लहराने वर्ल्ड रिलीजियस पार्लियामेंट (विश्व धर्मपरिषद) शिकागो में भारत का नेतृत्व 11 सितम्बर 1893 में स्वामी विवेकानंदजी ने और ठीक उसके 100 साल बाद 4 सितम्बर 1993 संत आसारामजी बापू ने किया था ।
🚩 देश मे यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन संतो को "भारत रत्न" की उपाधि से अलंकृत करना चाहिए, उन्हें राष्ट्रविरोधी ताकतों के इशारे पर मीडिया द्वारा बदनाम किया जाता है और राजनीति के तहत झूठे आरोप लगाकर जेल में भेजा जाता है ।
🚩 स्वामी विवेकानंदजी जब शिकागो की धर्म सभा में गये थे तब ईसाई पादरियों द्वारा यह कहा गया कि भारत भिखारियों का देश है, वहाँ पर धर्म प्रचार करने की आवश्यकता है।
In the World Religious Parliament,
 two sages have wandered the Hindu culture.

🚩जब स्वामी विवेकानंद जी तक यह बात पहुंची तो वे गर्जना भरे शब्दों में पादरियों की सभा में बोले कि तुम कहते हो भारत भिखारियों का देश है तो इस भ्रम को निकाल दो, भारत भिखारियों का नहीं बल्कि भिक्षुकों का देश है । 
🚩भिखारी वो होते हैं  जो धन के अभाव में किसी से याचना करते हैं ,
पर तुम नहीं जानते हो तो सुनो !
भारत में ऐसे-ऐसे राजा हुए जो सोने के महल में रहते व चांदी के थाल में भोजन करते थे ।
🚩लेकिन जब उन्हें सनातन ज्ञान का मार्गदर्शन मिला तो वे वैराग्य को धारण करके सत्य की खोज के लिए सब कुछ त्याग कर भिक्षुक बन गए, जंगलों में गुरु की सेवा करते और रोटी का टुकड़ा भिक्षा में माँग कर खाते ।
🚩 राजा भर्तृहरि, परीक्षित, सिद्धार्थ, महावीर, भरत जैसे महात्मा राजा इसका प्रयत्क्ष उदाहरण हैं । और उन्होंने उस परमानन्द की प्राप्ति की जिसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते हो । देखो तुम आनंद से इतने नीरस हो गए हो कि धन और डंडे के भय से धर्म प्रचार कर रहे हो । 
🚩लेकिन उन महापुरुषों के रहने मात्र से पशु-पक्षी भी शांति का अनुभव करते हैं इसलिए भारत भिक्षुकों का देश है ।
तुम थोड़ा सा भी भारत का प्रसाद पाओगे तो कृतार्थ हो जाओगे ।
🚩स्वामी जी के इस उपदेश से कितने ईसाई सुधरे, कितने जल-भून गए पर स्वामी जी बिना किसी की परवाह किए सनातन धर्म का डंका बजाते रहे ।

🚩स्वामी जी के हयाती काल में उन्हें इतना परेशान किया गया, उनका इतना कुप्रचार किया गया कि उनके गुरूजी श्री रामकृष्ण परमहंस जी की समाधि के लिए एक गज जमीन तक उन्हें नहीं मिली थी । पर अब पूरी दुनिया स्वामी विवेकानंद जी व उनके गुरूजी का जय-जयकार करती है ।
🚩जब वे धरती से चले गए, अर्थात् इतिहास के पन्नों पर जब उनकी महिमा आई तब लोग उनको इतना आदर - सम्मान देते हैं पर उनकी हयातीकाल में उनके साथ दुष्टों ने बहुत ही दुर्व्यवहार किया और लोग समझ भी नहीं पाए और समाज उन महापुरुष से जो लाभ ले सकता था उससे वंचित रह गए ।
🚩वर्तमान समय में भी ऐसे महान संत इस धरती पर विराजमान हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन हिन्दू संस्कृति के उत्थान में लगा दिया ।
🚩 अभी भी जिन साधु -संतों को ईसाई मिशनरियों व विदेशी कम्पनियों के इशारे पर मीडिया द्वारा बदनाम किया जा रहा है और षड्यंत्र के तहत जेल भेजा जा रहा है उनका भी आगे जयकारा पूरी दुनिया बोलेगी ।
🚩 ईसाई मिशनरियां स्वामी विवेकानंदजी के समय से संतो के विरुद्ध षड़यंत्र कर रही हैं क्योंकि हिन्दू संत इनके आँखों की किरकिरी बन गए हैं ये हमारे संतों के सामने उनका #धर्मान्तरण का धंधा चौपट हो जाता है ।
🚩वर्तमान में इसका प्रयत्क्ष उदाहरण हिन्दू संत आसारामजी बापू हैं, जिनका जीवन चरित्र पढ़ने से पता चलता है कि उन्होंने संस्कृति उत्थान के लिए अतुलनीय कार्य किए हैं ।
🚩 आज मल्टी #नेशनल कंपनियों को भारी घाटा होने के कारण ही वे षड़यंत्र के तहत फंसाये गए हैं, क्योंकि उनके 6 करोड़ भक्त बीड़ी, सिगरेट, दारू, चाय, कॉफी, सॉफ्ट कोल्ड्रिंक आदि नहीं पीते हैं । वेलेंटाइन डे आदि नहीं मनाते, जिससे विदेशी कपनियों को अरबो-खबरों का घाटा हो रहा था और उन्होंने लाखों हिन्दुओं की घर वापसी कराई तथा करोड़ों लोगों को हिन्दू संस्कृति की महिमा समझाकर सन्मार्ग पर चलाया इसलिए ईसाई मिशनरियों ने और विदेशी कंपनियों ने मिलकर मीडिया द्वारा बदमान करवाया और राजनीति षड्यंत्र के तहत उन्हें झूठे केस में फंसाया और कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों के हथकंडे बने साधु का चोला पहने हुए, उनको संत बोलने से इंकार करते है कितनी नादान बुद्धि है ।
संत नरसिंह मेहता जी एवं संत ज्ञानेश्वर महाराज को भी ब्राह्मणों ने बहिष्कृत किया था तो क्या वे संत नहीं थे ? आज भी वे करोड़ों लोगों के हृदय में बसे हैं ।
🚩वो समाज अभागा है जो सच्चे संतों की महिमा नहीं समझ रहा !! उनके साथ हो रहे अन्याय को नहीं समझ रहा !! उस अन्याय का विरोध नहीं कर रहा है ।
🚩संत तो संत होते हैं कोई उन्हें माने या न माने, इससे उनकी आंतरिक स्थिति पर कोई अन्तर नहीं पड़ता पर अगर समाज उनकी हयाती में उनसे फायदा नहीं उठा पाया तो ये उस समाज का दुर्भाग्य है ।
🚩स्वामी विवेकानंद को लोगों ने नहीं पहचाना तो इससे विवेकानंद का क्या बिगड़ा..??
🚩स्वामी रामतीर्थ को लोग नहीं समझ पाए तो इससे रामतीर्थ क्या बिगड़ा..??
🚩महात्मा बुद्ध के साथ घिनौने षड़यंत्र किए गए तो इससे बुद्ध का क्या बिगड़ा..??
🚩 #कबीर जी को बदनाम किया गया तो इससे कबीर जी का क्या बिगड़ा..??
🚩 #गुरुनानक के लिए लोग उल्टा-सीधा बोलते थे तो इससे नानक जी का क्या बिगड़ा..??
🚩 #समर्थ रामदास,एकनाथ महाराज,तुकाराम,ज्ञानेश्वर जी आदि आदि... कितने संतों के नाम बताएं जिनके हयातीकाल में उनके साथ ऐसा व्यवहार किया गया कि आज जब हम इतिहास पढ़ते हैं तो नजरें शर्म से झुक जाती हैं ।
पर उन महापुरुषों का क्या बिगड़ा...???
🚩बिगड़ा तो उस समाज का जो ऐसे महापुरुषों की हयाती में उनका लाभ नहीं उठा पाए ।
🚩अपने अंदर झांककर देखे कि आज हम भी कहीं वही गलती तो नहीं दोहरा रहे..??
🚩सोचें,समझें और हकीकत तक पहुँचने का प्रयास करें !!
🚩मीडिया की बातों में आकर किसी भी संत पर ऊँगली उठाने से पहले सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास करना ये आज हर हिन्दूस्तानी का कर्त्तव्य बनता है ।
🚩अगर सच तक पहुँचने की कोशिश करेंगे तो आपको जो दिखाई दे रहा है, उससे विपरीत कुछ और ही सच्चाई देखने को मिलेगी ।
🚩उठें, किसी की बातों में न आकर स्वयं सच्चाई तक पहुँचे !!
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Monday, September 10, 2018

डीजी वंजारा सोहराबुद्दीन केस में निर्दोष बरी, 8 साल रहे थे जेल में

10 September 2018

🚩देशहित में जो भी व्यक्ति काम करते हैं उसको कैसे षड्यंत्र में फंसाया जाता है उसका उदाहरण देखना है तो गुजरात के पूर्व डीआईजी डीजी वंजारा जी को देख लीजिए ।
वंजारा जी के सरकारी कार्यकाल के समय गुजरात में काफी डॉन बढ़ गए थे और गुजरात के लोगों में दहशत फैला रहे थे, अपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ती जा रही थी, आतंकवाद का भय मंडरा रहा था उस समय जांबाज पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा जी ने अनेक आतंकवादियों का एनकाउंटर कर दिया, गुजरात में जो डॉन थे उनको अच्छी तरह ठीक कर दिया, अपराधियों को सजा दिलवाई, अपराधिक प्रवृत्तियां रुक गईं और गुजरात में सुख-शांति हो गई ।
DG Vanzara acquitted in Sohrabuddin case, 8 years in prison

🚩जांबाज अधिकारी डीजी वंजारा जी को इस कार्य के बदले में अवार्ड मिलना चाहिए था, लेकिन भारत के अंदर ही कुछ राष्ट्रविरोधी ताकतों का हथकंडे बने हुए थे उनको ये सब रास नहीं आया । उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार से मिलकर षड्यंत्र रचा और झूठे मामलों में जेल भिजवा दिया गया इससे ज्यादा देश मे दुर्भाग्य क्या हो सकता है ?

🚩उनको 8 साल तक बिना सबूत जेल में रहना पड़ा, उनका जो समय देश हित में लगना चाहिए था वो समय बर्बाद हुआ, पैसे की बर्बादी हुई, परिवार दुविधा में पड़ गया, लेकिन बोलते हैं न कि सत्य परेशान होता है पर पराजित नहीं होता है, वही आज यहाँ हुआ ।

🚩बॉम्बे हाई कोर्ट ने देश के चर्चित सोहराबुद्दीन मुठभेड़ में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए, पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा समेत अन्य पुलिसकर्मियों को आरोपों से बरी कर दिया है । बता दें कि निचली अदालत ने इस मामले में गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन, गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा, गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन, राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी दिनेश एमएन और राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोपमुक्त कर दिया था । 

🚩इसके बाद सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन और सीबीआई ने बॉम्बे हाई कोर्ट में मामले में पांच पुनर्निरीक्षण याचिका दायर की थी । सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने गुजरात एटीएस के पूर्व प्रमुख डीजी वंजारा समेत पुलिसकर्मियों को अपनी जांच में दोषी ठहराया था । सीबीआई ने इसे फर्जी एनकाउंटर करार दिया था, जबकि पुलिस का कहना था कि सोहराबुद्दीन के संबंध आतंकियों से जुड़े थे ।
🚩सीबीआई के आरोप पत्र के अनुसार, गुजरात के एक संदिग्ध गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात एटीएस और राजस्थान पुलिस के अधिकारियों ने हैदराबाद के पास से अगवा कर लिया था और उन्हें नवंबर 2005 में एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था। 

🚩गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि उसका आतंकवादी संगठन लश्कर से संबंध था ।  इस मामले में अप्रैल, 2007 में आरोपी बनाए गए गुजरात के पूर्व डीआईजी #डीजी वंजारा और #दिनेश एमएन के अलावा #राजकुमार पंडियन को #गिरफ्तार किया गया था । बाद में अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद पंडियन को रिहा कर दिया था । #2014 में वंजारा जी को भी #जमानत मिल गई थी ।

🚩डीजी वंजारा निर्दोष तो बरी हो गए, लेकिन उनको 8 साल से अधिक समय तक जेल में रखा गया, वो उनका कीमती समय क्या कानून लौटा पाएगा ??? उनके पैसों की बर्बादी हुई उसे कौन लौटाएगा ?

🚩मीडिया ने भी उस समय उनकी खूब बदनामी की, लेकिन जैसे ही उन्हें निर्दोष बरी किया गया तब मीडिया ने चुप्पी साध ली । जब भी किसी #हिंदुत्वनिष्ठ पर #आरोप लगता है तो #मीडिया उनकी समाज में इतनी #बदनामी करती है कि जैसे वो आरोपी नहीं अपराधी हों, पर जब वही निर्दोष छूट कर आते हैं तो मीडिया को मानो सांप सूंघ जाता है । 

🚩विचार कीजिए, क्या सिर्फ #हिन्दुत्वनिष्ठों को #बदनाम करने का #मीडिया का #एजेंडा है..???

🚩कछुआ छाप चलने वाली हमारी #न्याय प्रणाली भी मीडिया के प्रभाव में आकर #हिन्दुत्वनिष्ठों को जल्दी न्याय नहीं दे पाती है । और न्याय मिल भी जाता है तो इतना देरी से मिलता है कि न्याय नही मिलने के ही बराबर हो जाता है । क्या #देरी से #न्याय मिलना #अन्याय नहीं है ???

🚩गौरतलब है कि हिंदुनिष्ठ श्री #नारायण साईं, #धनंजय देसाई आदि को फंसाने के पीछे कई सबूत मिल चुके हैं। सालों से जेल में है, लेकिन उनको भी अभीतक जमानत मिल नहीं पाई है ।

🚩क्या उनको इसलिए जेल में रखा गया है कि वो कट्टर हिंदुत्ववादी हैं..???

🚩अब देखना ये है कि #हिन्दुत्वादी कहलाने वाली वर्तमान सरकार #कब तक इन #हिन्दूनिष्ठों को भी #न्याय दिलवाती है..???

🚩कांग्रेस सरकार ने तो षडयंत्र करके हिन्दू सन्तों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों को जेल भेज दिया था, पर अब हिंदुत्ववादी कहलाने वाली #BJP सरकार कैसे हिंदुओं के माप-दण्ड पर खरी उतरती है, ये देखना है ।

🚩सरकार को हिंदुनिष्ठ लोगों की जल्द से जल्द सह-सम्मान रिहाई करवानी चाहिए, इसी पर सभी हिंदुस्तानियों की निगाहें टिकी है ।

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Sunday, September 9, 2018

मीडिया मनमानी न करे, रिपोर्टिंग में आत्म-नियमन बरते : न्यायमूर्ति ललित..

09 September 2018

🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया टी.आर.पी. और पैसे के लिए इतने अंधे हो गए हैं कि कुछ भी खबर दिखाने लगते हैं, किसी एजेंडा के तहत तो काफी झूठी खबरें भी परोसने लगते हैं ।

🚩भारत में मीडिया ट्रायल बहुत चलता है, किसी एक खबर को लेकर, उसपर मनगढ़ंत कहानियां बनाकर इतनी खबरें दिखाई जाती हैं कि आम जनता भी उसको सही मानने लगे और अधिकतर ऐसा मीडिया ट्रायल हिन्दू संस्कृति व हिंदुनिष्ठ लोगो के खिलाफ चलाया जाता है ।
Media should not be arbitrary, self-regulation in reporting: Justice Fine

🚩विश्व हिन्दू परिषद के मुख्य संरक्षक व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय श्री अशोक सिंघलजी कहते हैं : ‘‘मीडिया ट्रायल के पीछे कौन है ? हिन्दू धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के लिए मीडिया ट्रायल पश्चिम का बड़ा भारी षड़्यंत्र है हमारे देश के भीतर । मीडिया का उपयोग कर रहे हैं विदेश के लोग, उसके लिए भारी मात्रा में फंड्स देते हैं, जिससे हिन्दू धर्म के खिलाफ देश के भीतर वातावरण पैदा हो ।’’ 

🚩सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश उदय यू. ललित ने शनिवार को अहमदाबाद में कहा कि मीडिया को अपराधिक मुकदमों की सुनवाई की रिपोर्टिंग में आत्म-नियमन बरतना चाहिए । 

🚩न्यायमूर्ति ललित, पी.डी. देसाई स्मृति व्याख्यान श्रृंखला को इस विषय पर संबोधित कर रहे थे कि क्या मीडिया की रिपोर्टिंग किसी मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई में बाधक है । उन्होंने कहा कि मीडिया को किसी अपराध की जांच की खबरें लिखने-दिखाने से रोकने के लिए कोई कानून नहीं है। 

🚩न्यायमूर्ति ललित ने कहा, ‘‘इस देश में हम प्रेस के अधिकारों को इस स्तर का समझते हैं कि हम उनमें कटौती नहीं करना चाहते । कोई कानून उनमें कटौती नहीं कर सकता, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मीडिया में पूरी तरह से मनमानापन हो जाए । प्रेस में आत्म-नियमन होना चाहिए ।’’ 

🚩कुछ समय पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है  कि "मीडिया में दिखायी गयी खबरें न्यायाधीश के फैसलों पर असर डालती हैं । खबरों से न्यायाधीश पर दबाव बनता है और फैसलों का रुख भी बदल जाता है । पहले मीडिया अदालत में विचाराधीन मामलों में नैतिक जिम्मेदारियों को समझते हुए खबरें नहीं दिखाता था, लेकिन अब नैतिकता को हवा में उड़ा दिया है ।  मीडिया ट्रायल के जरिए दबाव बनाना न्यायाधीशों के फैसलों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति है । जाने-अनजाने में एक दबाव बनता है और इसका असर आरोपियों और दोषियों की सजा पर पड़ता है ।’’

🚩जज भी एक मनुष्य है और जब मीडिया ट्रायल किसी व्यक्ति के खिलाफ चलता है तो जज भी प्रभावित होता है और उस व्यक्ति के खिलाफ जजमेंट देता है ।

आपको दो उदाहरण प्रस्तुत करते है :
🚩1. आरुषि हत्या कांड में उनके माता - पिता के खिलाफ इतना मीडिया ट्रायल चला कि उनको सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सजा दे दी ।
फिर हाईकोर्ट ने 9 साल बाद निर्दोष बरी किया ।

🚩2 . हिन्दू संत आसाराम बापू को भी एक फर्जी केस में सेशन कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई गई है । जबकि लड़की का मेडिकल हुआ उसमे एक भी खरोंच नहीं आई थी, जिस समय की घटना लड़की बता रही थी, उससमय तो वो वहाँ थी ही नहीं, जन्म प्रमाणपत्र भी अलग-अलग है फिर भी पोस्को एक्ट लगाकर फर्जी केस में उम्रकैद दे दी, उनको षड्यंत्र के तहत फ़साने के कई प्रमाण भी थे, उन्हें भी अनदेखा किया । 

🚩भारत में मीडिया इतना स्वतंत्र हो गई है कि किसी के बारे में कुछ भी मनगढ़ंत कहानियां बनाकर उसके खिलाफ इतना ट्रायल चलाती है कि कोर्ट को भी निर्णय बदलने पर मजबूर होना पड़ता है ।

🚩टी.वी. चैनलों ने तो आरुषि कांड में तलवार दंपति को मुकदमा शुरू होने पहले ही मुजरिम ठहरा दिया था । टी.वी. चैनलों ने तो जांच एजेंसियों की थ्योरी पर यकीन कर लिया, कोई सवाल नहीं पूछा गया।'

🚩अब बड़ा सवाल उठता है कि देश का चौथा स्तंभ मीडिया इतना गिर चुका है कि कोर्ट की अवेहलना करके खुद ही निर्यण देने लगा है क्या इस पर सरकार नियंत्रण नहीं कर सकती है ?

🚩देश में ऐसे हजारों निर्दोष है जो बिना सबूत सालों से जेल में हैं, साध्वी प्रज्ञा को भी 9 साल बाद रिहा किया । स्वामी असीमानन्द जी 8 साल में, शंकराचार्य अमृतानन्द जी 9 साल में, डी.जी. वंजारा जी 8 साल में, स्वामी केशवानंद जी 7 साल में बरी निर्दोष हुए । केवल और केवल मीडिया #ट्रायल और #भ्रष्ट तंत्र के कारण निर्दोष होने पर भी जेल में थे ।

🚩देश में ऐसे एक-दो नहीं लाखों केस हैं जो भ्रष्टाचार के कारण बिना सबूत जेल में सजा भुगतने को मजबूर हैं । अब सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और मीडिया ट्रायल चलाने वाले और भ्रष्टाचारियों को जेल की राह दिखानी चाहिए ।

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