Monday, January 21, 2019

शायद हिंदूओं को यह बात पता भी नहीं होगी, कपिल मिश्रा ने रखी ये मांग

21 जनवरी  2019

🚩दिल्ली के विधायक कपिल मिश्रा ने सरकार के सामने चार मांगे रखी हैं जिसे जानकर हर भारतवासी बोल उठेगा कि सरकार को यह कार्य अवश्य करना चाहिए ।

🚩विधायक कपिल मिश्रा ने पहली मांग रखी है कि हिंदुओं के स्तर को बढ़ा कर अल्पसंख्यक को के बराबर किया जाए । " equal right for hindus in india" हिंदुओं को भी समान अधिकार दो ये पहली मांगे है । हमें भेदभाव न रखो जैसे गोरे और काले का भेदभाव अफ्रीका में किया जाता था । गोरे बहुत कम थे काले ज्यादा थे उसके बावजूद भी गोरों को कुछ विशेष अधिकार प्राप्त थे । उनको जो अल्पसंख्यक अधिकार प्राप्त थे वो बाहर का समाज को नहीं थे । ऐसी स्थिति भारत में आ चुकी है बहुसंख्यक हिंदू के अधिकार बहुत कम है । अल्पसंख्यक समाज के सामने । तो हमारी पहली मांग है बहुत सिंपल मांग है बराबरी की मांग equality (समानता) की मांग । 
🚩हमारे समाज के एक श्रद्धेय स्वामी महाराज है । वो बोले कि मैं हिन्दू हूं और मैं बैठा हुँ । एक मुस्लिम और एक क्रिस्चियन आ जाये मेरे सामने । और मेरे से लड़ने लगे वाद विवाद करने लगे और मैं बोलू कि मुझे वाद विवाद की कोई इच्छा नहीं है, वो मुझे मारने लगे तो देखते है पुलिस सरकार बोले कि ये minority है ।  और ये आपकी आपस में धर्म की है तो हम बीच में नहीं आएंगे । मैं प्रतीक के तौर पर बोल रहा हूँ । कोई खड़ा है बुद्ध के बंदे को मार रहा है, कुचल रहा है, तो उसमें सरकार का क्या है धर्म निरपेक्ष सरकार उसमें interfere नहीं करेगी जो हो रहा है उसे होने देगी । कहीं धर्म परिवर्तन अगर कुछ मिशनरी कर रही हैं तो सरकार धर्म परिवर्तन में interfere नहीं करेगी, सरकार कहती है कि लोगों की मर्जी है । लोगो की मर्जी है अगर वो अपना धर्म  बदलते हैं तो  । किस तरीके से बदला जा रहा है दबाव में प्रलोभनों में अत्याचार में वो सरकार interfere नहीं कर रही वहाँ सरकार धर्म निरपेक्ष है, लेकिन आपने वहां उनका हाथ रोक लिया और उनको 2 लगाने की कोशिश की तो अब सरकार की भूमिका बदल गई अब सरकार minority protection की भूमिका में आ गई  । अब सरकार आपको रोक लेगी और आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करेगी । अगर कोई आपका धर्म परिवर्त्तन करवा रहा है तो उसे वो अधिकार प्राप्त है, लेकिन अगर आपने उसके खिलाफ कार्यवाही की, उसे रोकने की कोशिश की या उसका विरोध किया तो आप धर्म के खिलाफ काम कर रहे हो, बहुत सारी धाराएं और सरकार आपके खिलाफ है और आज ऐसी स्थिति में इस वक्त हम खड़े हैं जहाँ आप बिक तो सकते हैं, पर अगर आपने रोकने की कोशिश की या विरोध करने की कोशिश की तो minority को protection करने के लिए तुरंत सरकार आ जाएगी । और ये बहुत अजीब सी विडंबना है । इसको रोकना जरूरी है । क्रमशः....


🚩भारत में बहुसंख्यक हिंदूओं के लिए संविधान ऐसा बनाया है कि हिंदू स्वतंत्र नहीं बल्कि परतन्त्र बना हुआ है, चाहकर भी वे अपने लिए या धर्म के लिए खुलकर कार्य नहीं कर सकता है जो एक भयावह चिंताजनक बात है, सरकार को संविधान में बदलाव करना चाहिए और समानता का अधिकार देना चाहिये ।

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Sunday, January 20, 2019

डांस बार में अश्लील डांस कर सकते हैं और दारू परोस सकते हैं : सर्वोच्च न्यायालय

20 जनवरी  2019

🚩भारतीय संस्कृति व्यक्ति, समाज, देश का कल्याण हो उसके हित में अनेक नियम बनाए थे जिसके कारण व्यक्ति स्वथ्य, सुखी और सम्म्मानित जीवन जी सकता है और समाज देश में सुख शांति और धन संपत्ति बने रहेगी क्योंकि व्यक्ति में अच्छे संस्कार होने पर ही देश और समाज सुरक्षित रहेंगे ।

🚩भारतीय परम्पराओं को तोड़ने की रीति सदियों से चलती आ रही है क्योंकि दुष्ट, राक्षसी व्यक्ति को सज्जन पसन्द नहीं आते हैं इसलिए उनको हानि पहुँचाने की कोशिश करते रहते हैं, भारत में पहले मुगलों ने और बाद में अंग्रेजों ने यही काम किया, लेकिन पूर्ण सफल नहीं हो पाए अब उनके बनाये कानून जो अब तक चल रहे हैं उनके तहत भी यही हो रहा है, सबरीमाला, जलीकट्टू , दही हांडी आदि भारतीय त्यौहार पर रोक लगाना समलैंगिगता और व्यभिचार पर छूट अब डांसबार में अश्लील डांस कर सकते हैं, दारू पी सकते हैं और धार्मिक स्थलों के पास डांसबार खोल सकते हैं ये सब भारतीय संस्कृति पर कुठाराघत है और पाश्चात्य संस्कृति थोपने की तैयारी की जा रही है जो मानवजाति के लिए भयंकर अभिशाप है  ।

🚩वासना की आग में डान्सबाररूपी तेल गिरकर लाखों जिंदगीयां तथा संसार उद्ध्वस्त हो जाएंगे और यह सब शांतता से देखने के अलावा कोर्इ दुसरा मार्ग नहीं बचेगा, ऐसा जनता को लगें तो इसमें गलत कुछ नहीं होगा !

न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी की अध्यक्षतावाली खंडपीठ ने महाराष्ट्र के होटल, रेस्तरां और बार रूम में अश्लील नृत्य पर प्रतिबंध और महिलाओं की गरिमा की रक्षा संबंधी कानून, 2016 के कुछ प्रावधानों को निरस्त कर दिया है । 

🚩न्यायालय ने डांस बार में अपनी कला का प्रदर्शन करनेवालों को टिप के भुगतान की तो अनुमति दी परंतु कहा कि उन पर पैसे लुटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती ! शीर्ष न्यायालय ने धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर डांस बार खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया !

अपने निर्णय में न्यायालय ने कहा, ‘डांस बार पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता । महाराष्ट्र में साल 2005 के बाद से कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है । इनके लिए नियम बनाए जा सकते हैं किंतु पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता !’

🚩न्यायालय ने इस प्रावधान को रद्द कर दिया कि महाराष्ट्र में डांस बार धार्मिक स्थानों और शैक्षणिक संस्थानों से एक किलोमीटर दूर होने चाहिए । न्यायालय ने सरकार के उस नियम को बरकरार रखा है जिसमें कहा गया है कि बार डांस में काम करनेवाली महिलाओं का कांट्रैक्ट होना चाहिए ताकि उनका शोषण न हो । हालांकि बार डांसरों को प्रतिमाह तनख्वाह देने के नियम को खारिज कर दिया है । इसके अलावा न्यायालय ने उस नियम को भी खारिज कर दिया है जिसमें डांसिग स्टेज पर शराब न परोसने का नियम था ।

🚩न्यायालय ने यह फैसला महाराष्ट्र में डांस बार के लाइसेंस एवं संचालन पर प्रतिबंध लगानेवाले 2016 के महाराष्ट्र कानून के कुछ प्रावधानों में संशोधन पर दिया है । इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था । सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आने के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियों और महिलाओं का शोषण भी रोकता है !

🚩राज्य सरकार के नए अधिनियम को इंडियन होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी । सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि समय के साथ अश्लील डांस की परिभाषा भी बदल रही है और ऐसा लगता है कि मुंबई में मोरल पुलिसिंग हो रही है ! स्त्रोत : अमर उजाला

🚩भारत में अगर धार्मिक स्थलों व् शैक्षणिक संस्थानों के पास डांस बार खोलेंगे तो व्यक्ति के अंदर अच्छे संस्कार की जगह बुरे संस्कार ही पढ़ेंगे और अश्लील डांस करेंगे व देखेंगे और शराब पियेंगे तो बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगे, एक्सीडेन्ट होने की संभावनाएं बढ़ेगी इसलिए महाराष्ट्र की विश्वप्रसिद्ध संत परंपरा को ध्यान में लेकर भाजपा सरकार को डान्सबार पर प्रतिबन्ध लगाने हेतु कानून लाना चाहिए  ।

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Saturday, January 19, 2019

वो काली रात जब लाखों हिंदूओ को कश्मीर छोड़ने को किया मजबूर

18 जनवरी  2019
www.azaadbharat.org
🚩 1990 जनवरी 19 इतिहास का वो काला दिन जब लाखों हिन्दू बंधुओं को जिहादियों ने धमकी देकर उन्हें वहां से विस्थापित होने के लिए विवश किया था  ।
https://youtu.be/LPcfGSS04hQ
🚩 19 जनवरी जब-जब यह तारीख आती है, #कश्मी री #पंडितों के जख्मल हरे हो जाते हैं । यही वह तारीख है जिस दिन #जम्मू9 कश्मीीर में बसे कश्मीतरी पंडितों को अपने ही #देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया गया । इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे ।

🚩कश्मीेरी पंडितों को बताया काफिर-
देश की आजादी के बाद धरती के जन्नत कश्मीर में जहन्नुम का मौहाल बन चुका था । 19 जनवरी 1990की काली रात को करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों को अपना आशियाना छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था । अलगावादियों ने हिन्दुओ के घर पर एक नोटिस चस्पा की गई । जिसपर लिखा था कि ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’
🚩 20 जनवरी 1999 को कश्मीैर की मस्जिदों से कश्मीखरी पंडितों को काफिर करार दिया गया । #मस्जिदों से लाउडस्पी2करों के जरिए ऐलान किया गया, 'कश्मीीरी पंडित या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें ।' यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि #कश्मी री पंडितों के घरों को पहचाना जा सके और उन्हेंे या तो इस्लादम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें् मार दिया जाए ।
🚩कश्मीरी पंडितों के सर काटे गए, कटे सर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया था  ।
🚩बड़ी संख्याि में कश्मीएरी पंडितों ने अपने घर छोड़ दिए । आंकड़ों के मुताबिक 1990 के बाद करीब 7 लाख कश्मीरी पंडित अपने घरों को छोड़कर कश्मीीर से विस्थापित होने को मजबूर हुए ।
🚩सरेआम हुए थे बलात्कार!!
🚩एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ #आतंकियों ने #सामूहिक #बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी #हत्या कर दी । घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और #लड़कियों के #अपहरण किए गए ।
🚩मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे । सभी कश्मीरियों को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं ।
🚩डर की वजह से वापस लौटने से कतराते!!
🚩आज भी कश्मीेरी पंडितों के अंदर का #डर उन्हेंी वापस लौटने से रोक देता है । #कश्मीोरी पंडितों ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़‍ियों के दाम पर बेचा था । 27 वर्षों में कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं । आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंेकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है । इस मौके पर #अभिनेता #अनुपम #खेर ने एक कविता शेयर की है । आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीररी पंडितों का दर्द बयां किया है ।
https://youtu.be/LPcfGSS04hQ
🚩 कर्नाटक के श्री प्रमोद मुतालिक, #श्रीराम सेना (राष्ट्रिय अध्यक्ष)  ने बताया कि यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, तो यह पूरे #भारत की समस्या है । #हिंदुओं को 1990 में कश्मीर में से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?
उन्हें केवल इसलिए वहां से निकल दिया गया कि वो ’हिन्दू´ हैं । आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है । इसलिए आज एक भारत #अभियान की आवश्यकता है ।
🚩 डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिती ने बताया कि जिस प्रकार महाभारत के काल में #भगवान #श्रीकृष्ण ने 5 गांव मांगे थे किंतु कौरवों ने वो भी देने से इन्कार कर दिया था , तदुपरांत #महाभारत हुआ । उसी प्रकार आज कश्मीरी हिंदुओं के लिए पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ और राष्ट्रप्रेमी संगठन पनून कश्मीर मांग रहे हैं, परंतु आज #सरकार #चुप है ।
🚩कश्मीर भारत माता का #मुकुट है । कश्मीर भूभाग नहीं, कश्यप ऋषि की तपोभूमि है । वहां से हिंदुओं का पलायन हुआ है, परंतु उन्हाेंने हार नहीं मानी है  । कश्मीर में पनून कश्मीर और भारत हिन्दू राष्ट्र बनने तक हम कार्य करते रहेंगे यह हमारा धर्मदायित्व है  ।
🚩अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है । परंतु आज समय आ गया है कि जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए । जब भी, जहां भी जनसांख्यिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है । अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है । कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के बाकी क्षेत्रों में भी होने लगा है । अब मात्र 10 वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा , या हिन्दू विहीन राष्ट्र !
🚩आपको बता दें कि 14 सितंबर, 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से कश्मीर में शुरू हुए आतंक का दौर समय के साथ और वीभत्स होता चला गया ।
🚩टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल बट को मौत की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र #न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई । फिर 13 फरवरी को श्रीनगर के टेलीविजन #केंद्र के निदेशक लासा कौल की निर्मम हत्या के साथ ही आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था । उस दौर के अधिकतर #हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई । उसके बाद 300 से अधिक हिंदू-महिलाओ और पुरुषों की आतंकियों ने हत्या की ।
🚩सुप्रीम कोर्ट में 27 साल पहले हुए पंडितों पर नरसंहार की जांच करने से इंकार कर दिया ।  जिसमें 700 लोगों की मौत हुई थी । कोर्ट ने कहा कि इतने साल से आप कहां थे, अब 27 साल बाद इन मामलों में सबूत कैसे मिलेंगे ?  कुल मिला कर अब वो सभी हिन्दू कम से कम भारत के तंत्र से न्याय से सदा वंचित ही रहेंगे जबकि अदालत ने ही लगभग 30 साल पुराने मेरठ के हाशिमपुरा दंगो में मारे गए मुस्लिमों के केस में कई PAC के जवानों को सज़ा दी ।
🚩उन कश्मीर पंडितो की हालात की कल्पना कीजिये जब उनके घरों में सामान बिखरा पड़ा था । गैस स्टोव पर देग़चियां और रसोई में बर्तन इधर-उधर फेंके हुए थे । घरों के दरवाज़े खुले थे । हर घर में ऐसा ही समां था । ऐसा लगता था कि कोई बहुत बड़ा भूकंप के कारण घर वाले अचानक अपने घरों से भाग खड़े हुए हों..कश्मीरी पंडित हिंसा, आतंकी हमले और हत्याओं के माहौल में जी रहे थे । सुरक्षाकर्मी थे लेकिन उन्हें किस ने मना किया था चुप रह कर सब देखते रहने के लिये ये आज तक रहस्य है...शुरू में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं । “जम्मू में पहले हम सस्ते होटल में रहे, छोटी-छोटी जगहों पर रहे । बाद में एक धर्मशाला में रहे.. इतना  ही नहीं, उनके पेट भीख माग कर भी  पले... ।
🚩केंद्र #सरकार कब हिंदुओं के नाम से जाने वाले हिंदुस्तान में हिंदुओं को #सुरक्षित करेगी ?
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Friday, January 18, 2019

गौमांस खाना छोड़ा तो मृत्यु की दर 2.4 % घट जाएगी - वर्ल्ड इकॉनॉमिक फोरम

18 जनवरी  2019
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🚩दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग रहते हैं । इसकी एक वजह हमारे शास्त्र द्वारा इसकी सहमति ना देना है । क्योंकि मांस खाना इंसान के शरीर के लिए नुकसानदेय है । वहीं कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं जो बताते हैं कि शरीर के लिए मांसाहार भयानक बुरा है ।

🚩वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने लोगों को गौमांस छोड़ने की सलाह दी है । उसका कहना है कि इससे न सिर्फ करोड़ों लोगों की जान बचेगी बल्कि ग्रीन हाउस गैस (Green House) उत्‍सर्जन में भी कमी आएगी । फोरम ने यह दावा एक अध्‍ययन के आधार पर किया है । WEF के लिए ऑक्‍सफोर्ड मार्टिन स्‍कूल (Oxford Martin School) ने यह अध्‍ययन कराया था । फोरम का कहना है कि बीन्‍स (फलियां), माइकोप्रोटीन और मटर (Peas) में कहीं अधिक सेहत में सुधार लाने वाले तत्‍व हैं । लाइवस्‍टॉक फार्मिंग से धरती को खतरा बढ़ रहा है ।
🚩5% मौतें हो जाएंगी कम :-
अध्‍ययन में यह बात सामने आई कि मांस खासकर गौमांस छोड़ने से लोगों की सेहत और पर्यावरण दोनों में सुधार होगा । फोरम का कहना है कि वैश्विक स्‍तर पर जो मौतें हो रही हैं उसका बहुत बड़ा कारण गौमांस का सेवन है । अगर गौमांस का सेवन बंद कर दिया जाए तो इससे वैश्विक स्‍तर पर 2.4% मौतें रुकेंगी । वहीं धनी देशों में, जहां इसे खाने का चलन ज्‍यादा है, करीब 5% मौतें रुकेंगी । अध्‍ययन में गौमांस के बजाय ऐसा आहार लेने की बात कही गई है, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन मौजूद हों ।
🚩धनी देशों में ज्‍यादा खाया जाता है गौमांस:-
टाइम्‍स ऑफ इंडिया की समाचार के अनुसार, अध्‍ययन में उन धनी देशों के लोगों को शामिल किया गया, जहां गौमांस की खपत ज्‍यादा है । वहां फाइबर युक्‍त भोजन लेने की वकालत की गई है । हालांकि अध्‍ययन में गौमांस खाने से होने वाली मौतों का आंकड़ा नहीं दिया गया है । यह भी साफ नहीं हो पाया है कि गौमांस खाने से दरअसल कौन सी बीमारी होती है । लेकिन WEF का दावा है कि इसे छोड़ने से करोड़ों जानें बचेंगी ।
🚩दूसरे आहार पर ध्यान देना जरूरी:-
WEF ने इस बात से भी खबरदार किया है कि 2050 तक दुनिया की जनसंख्या 10 अरब के आसपास पहुंच जाएगी । इससे वैश्विक स्‍तर पर गौमांस की खपत और बढ़ेगी । फोरम के मैनेजिंग डायरेक्‍टर डॉमिनिक वाघ्रे ने कहा कि उस समय गौमांस की मांग पूरी कर पाना आसान नहीं होगा । उन्‍होंने कहा कि गौमांस, चिकन और पॉर्क के स्‍थान पर दूसरी डाइट के बारे में योजना बनानी होगी, जिससे वैश्विक स्‍तर पर लोगों की सेहत में सुधार हो सके । स्त्रोत : जी बीजनेस
🚩एक शोध में 10 यूरोपीय देशों के पांच लाख लोगों ने हिस्सा लिया । इस दौरान उनके खान पान का हिसाब रखा गया और कैंसर, दिल की बीमारियों व डायबिटीज पर भी नजर रखी गई । शोध का निचोड़ यह निकला कि मीट खाने वालों की जल्दी मरने की संभावना अधिक होती है ।
🚩नॉनवेज खाने वालों पर फेल हो रहीं एंटीबायोटिक दवाएं :-
माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि लोग आजकल मीट-मछली व चिकन बहुत चाव से खा रहे हैं मगर पशुपालक कमाई के लालच में मुर्गा-मुर्गी व अन्य जानवरों को तंदुरुस्त बनाने के लिए एंटीबायोटिक समेत दूसरी दवा दे रहे हैं और इंजेक्शन लगा रहे हैं । इंजेक्शन व दवा जानवरों के खून में जाकर उनके आकार व वजन में तेजी से इजाफा कर रही हैं।
🚩डॉ. शीतल वर्मा के अनुसार इसका असर मनुष्य पर पड़ रहा है । लोगों में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है । इसके दुष्प्रभाव के कारण जब मरीज को जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक दी जाती है तो वह असर नहीं करती । डॉक्टर एक के बाद एक एंटीबायोटिक दवा बदलते रहते हैं लेकिन मरीज को फायदा नहीं होता ।
🚩शास्त्रों के अनुसार मांसाहार:-
श्रीमद् भगवत गीता के अनुसार, मांसाहार खाना राक्षसी गुण है । मांस और शराब का सेवन करना तामसिक भोजन कहलाता है। इस तरह का भोजन करने वाले लोग पापी, कुकर्मी, दुखी, आलसी और रोगी हैं ।
🚩महाभारत में कहा गया है कि कोई शख्स अगर 100 अश्वमेध यज्ञ करता है और वहीं दूसरा शख्स पूरी जिंदगी मांस को हाथ नहीं लगाता है, तो दोनों में से बिना मांस खाने वाले शख्स को सबसे ज्यादा पुण्य मिलता है ।
🚩वैज्ञानिक दृष्टिकोण में मांसाहार
मांस खाने वाले ज्यादातर लोगों चिड़चिड़ापन और ज्यादा गुस्सा होते है और शरीर व मन दोनों अस्वस्थ बन जाते हैं । गंभीर बीमारियों की चपेट में ज्यादा आते हैं । इन बीमारियों में हाई ब्लड प्रशेर, डायबिटिज, दिल की बीमारी, कैंसर, गुर्दे का रोग, गठिया और अल्सर शामिल हैं ।
🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है । इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है ।
दुनिया के एक चौथाई प्रदूषण का कारण मांस है । अगर दुनिया के लोग मांस खाना छोड़ दें तो 70 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हो जाएगा ।
🚩मांसाहार की तुलना में शाकाहारी भोजन सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है । शाकाहारी भोजन करने से इंसान स्वस्थ, दीर्घायु, निरोग और तंदरुस्त बनाता है ।
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Thursday, January 17, 2019

जनवरी 17 को अंग्रेजों ने 68 गौभक्तों को उड़ा दिया था तोप से

17 जनवरी  2019

🚩भारत में गौ हत्या को बढ़ावा देने में अंग्रेज़ों ने अहम भूमिका निभाई । जब 1700 ई. में अंग्रेज़ भारत आए थे उस वक़्त यहां गाय और सुअर का वध नहीं किया जाता था । हिंदू गाय को पूजनीय मानते थे और मुसलमान सुअर का नाम तक लेना पसंद नहीं करते थे । अंग्रेजों ने मुसलमानों को भड़काया कि क़ुरान में कहीं भी नहीं लिखा है कि गाय कि क़ुर्बानी हराम है । इसलिए उन्हें गाय कि क़ुर्बानी करनी चाहिए । उन्होंने मुसलमानों को लालच भी दिया और कुछ लोग उनके झांसे में आ गए । इसी तरह उन्होंने दलित हिंदुओं को सुअर के मांस की बिक्री कर मोटी रकम कमाने का झांसा दिया । नतीजन 18वीं सदी के आख़िर तक बड़े पैमाने पर गौ हत्या होने लगी । अंग्रेज़ों की बंगाल, मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी सेना के रसद विभागों ने देश भर में कसाईखाने बनवाए । जैसे-जैसे यहां अंग्रेज़ी सेना और अधिकारियों की तादाद बढ़ने लगी वैसे-वैसे गौ हत्या में भी बढ़ोत्तरी होती गई ।

गौ हत्या और सुअर हत्या की आड़ में अंग्रेज़ों को हिंदू और मुसलमानों में फूट डालने का भी मौक़ा मिल गया । इस दौरान हिंदू संगठनों ने गौ हत्या के ख़िला़फ मुहिम छेड़ दी । नामधारी सिखों का कूका आंदोलन कि नींव गौरक्षा के विचार से जुड़ी थी ।

🚩यह आंदोलन भी एक ऐसा इतिहास है जो समय के पन्नो के नीचे जानबूझ कर दबाया गया । एक गहरी व सोची समझी साजिश थी इसके पीछे क्योंकि यहां संबन्ध गाय से था और गाय शब्द आते ही स्वघोषित इतिहासकारों की भृकुटियां तन जाती है क्योंकि उसमें से तो कुछ गाय खाते हुए सेल्फी तक डालते हैं ।

गाय शब्द आते ही बुद्धिजीवियों के एक बड़े वर्ग में बेचैनी आ जाती है क्योंकि गाय की रक्षा को उन्होंने एक बेहद नए व आयातित शब्द से जोड़ रखा है जिसका नाम मॉब लिंचिंग है । गाय शब्द आते ही सत्ता में भी हलचल मचती है क्योंकि संसद में गौ रक्षको को सज़ा दिलाने के लिए कुछ लोग अपनी सीट तक छोड़ देते हैं और संसद तक नहीं चलने देते हैं । उसी गौ माता की रक्षा व उनके रक्षकों का आज बलिदान दिवस है जो परम् गौ भक्त रामसिंह कूका के नेतृत्व में थे...

🚩17 जनवरी, 1872 की प्रातः ग्राम जमालपुर (मालेरकोटला, पंजाब) के मैदान में भारी भीड़ एकत्र थी । एक-एक कर 50 गौभक्त सिख वीर वहाँ लाये गये । उनके हाथ पीछे बँधे थे । इन्हें मृत्युदण्ड दिया जाना था । ये सब सद्गुरु रामसिंह कूका के शिष्य थे । अंग्रेज जिलाधीश कोवन ने इनके मुह पर काला कपड़ा बाँधकर पीठ पर गोली मारने का आदेश दिया; पर इन वीरों ने साफ कह दिया कि वे न तो कपड़ा बँधवाएंगे और न ही पीठ पर गोली खायेंगे । तब मैदान में एक बड़ी तोप लायी गयी । अनेक समूहों में इन वीरों को तोप के सामने खड़ा कर गोला दाग दिया जाता । गोले के दगते ही गरम मानव खून के छींटे और मांस के लोथड़े हवा में उड़ते । जनता में अंग्रेज शासन की दहशत बैठ रही थी । कोवन का उद्देश्य पूरा हो रहा था । उसकी पत्नी भी इस दृश्य का आनन्द उठा रही थी ।

🚩इस प्रकार 49 वीरों ने मृत्यु का वरण किया; पर 50 वें को देखकर जनता चीख पड़ी । वह तो केवल 12 वर्ष का एक छोटा बालक बिशनसिंह था । अभी तो उसके चेहरे पर मूँछें भी नहीं आयी थीं । उसे देखकर कोवन की पत्नी का दिल भी पसीज गया । उसने अपने पति से उसे माफ कर देने को कहा । कोवन ने बिशनसिंह के सामने रामसिंह को गाली देते हुए कहा कि यदि तुम उस धूर्त का साथ छोड़ दो, तो तुम्हें माफ किया जा सकता है । यह सुनकर बिशनसिंह क्रोध से जल उठा । उसने उछलकर कोवन की दाढ़ी को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उसे बुरी तरह खींचने लगा । कोवन ने बहुत प्रयत्न किया; पर वह उस तेजस्वी बालक की पकड़ से अपनी दाढ़ी नहीं छुड़ा सका । इसके बाद बालक ने उसे धरती पर गिरा दिया और उसका गला दबाने लगा । यह देखकर सैनिक दौड़े और उन्होंने तलवार से उसके दोनों हाथ काट दिये । इसके बाद उसे वहीं गोली मार दी गयी । इस प्रकार 50 कूका वीर उस दिन बलिपथ पर चल दिये ।

🚩गुरु रामसिंह कूका का जन्म 1816 ई0 की वसन्त पंचमी को लुधियाना के भैणी ग्राम में जस्सासिंह बढ़ई के घर में हुआ था । वे शुरू से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे । कुछ वर्ष वे महाराजा रणजीत सिंह की सेना में रहे । फिर अपने गाँव में खेती करने लगे । वे सबसे अंग्रेजों का विरोध करने तथा समाज की कुरीतियों को मिटाने को कहते थे । उन्होंने सामूहिक, अन्तरजातीय और विधवा विवाह की प्रथा चलाई । उनके शिष्य ही ‘कूका’ कहलाते थे ।  कूका आन्दोलन का प्रारम्भ 1857 में पंजाब के विख्यात बैसाखी पर्व (13 अप्रैल) पर भैणी साहब में हुआ । गुरु रामसिंह जी गोसंरक्षण तथा स्वदेशी के उपयोग पर बहुत बल देते थे । उन्होंने ही सर्वप्रथम अंग्रेजी शासन का बहिष्कार कर अपनी स्वतन्त्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलायी थी ।

🚩मकर संक्रान्ति मेले में मलेरकोटला से भैणी आ रहे गुरुमुख सिंह नामक एक कूका के सामने मुसलमानों ने जानबूझ कर गौहत्या की । यह जानकर कूका वीर बदला लेने को चल पड़े । उन्होंने उन गौहत्यारों पर हमला बोल दिया; पर उनकी शक्ति बहुत कम थी । दूसरी ओर से अंग्रेज पुलिस एवं फौज भी आ गयी । अनेक कूका मारे गये और 68 पकड़े गये । इनमें से 50 को 17 जनवरी को तथा शेष को अगले दिन मृत्युदण्ड दिया गया ।

अंग्रेज जानते थे कि इन सबके पीछे गुरु रामसिंह कूका की ही प्रेरणा है । अतः उन्हें भी गिरफ्तार कर बर्मा की जेल में भेज दिया । 14 साल तक वहाँ काल कोठरी में कठोर अत्याचार सहकर 1885 में सदगुरु रामसिंह कूका ने अपना शरीर त्याग दिया । आज उन सभी गौ भक्तों को उनके बलिदान दिवस पर नमन...
🚩भारतीय इतिहास में गौ हत्या को लेकर कई आंदोलन हुए हैं और कई आज भी जारी हैं । लेकिन अभी तक गौहत्या पर प्रतिबन्ध नहीं लग सका है । इसका सबसे बड़ा कारण राजनितिक इच्छा शक्ति कि कमी होना है । आप कल्पना कीजिये हर रोज जब आप सोकर उठते है तब तक हज़ारों गौओं के गलों पर छूरी चल चुकी होती है । गौ हत्या से सबसे बड़ा फ़ायदा तस्करों एवं गाय के चमड़े का कारोबार करने वालों को होता है । इनके दबाव के कारण ही सरकार गौ हत्या पर प्रतिबन्ध लगाने से पीछे हट रही है । वरना जिस देश में गाय को माता के रूप में पूजा जाता हो वहां सरकार गौ हत्या रोकने में नाकाम है । आज हमारे देश कि जनता ने नरेन्द्र मोदी जी को सरकार चुनी है । सेक्युलरवाद और अल्पसंख्यकवाद के नाम पर पिछले अनेक दशकों से बहुसंख्यक हिन्दुओं के अधिकारों का दमन होता आया है । उसी के प्रतिरोध में हिन्दू प्रजा ने संगठित होकर जात-पात से ऊपर उठकर एक सशक्त सरकार को चुना है । इसलिए यह इस सरकार का कर्त्तव्य बनता है कि वह बदले में हिन्दुओं की शताब्दियों से चली आ रही गौरक्षा कि मांग को पूरा करें और गौ हत्या पर पूर्णत प्रतिबन्ध लगाए । 

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Wednesday, January 16, 2019

बलात्कार आरोपी पादरी बिशप का विरोध करने वाली 4 नन को निकाला

16 जनवरी  2019

🚩अनगिनत बार ईसाइयों का पवित्रस्थल चर्च यौन उत्पीड़न के मामलों से भी कलंकित हुआ है । हाल ही के वर्षों में भारत सहित शेष विश्व में जिस तीव्र गति से इस तरह के मामले सामने आए हैं उससे स्पष्ट है कि रूढ़िवादी सिद्धांत, परंपराओं और प्रथाओं के नाम पर चर्च या फिर अन्य कैथोलिक संस्थाएं महिलाओं व बच्चों के यौन शोषण के अड्डे बन गए हैं । चर्च अपने पादरियों व ननों के ब्रह्मचर्यव्रती होने का दावा करता है किन्तु यथार्थ यही है कि दैहिक जरूरतों कि पूर्ति न होने के कारण अधिकतर कुंठित हो जाते हैं । यहां बाल यौन शोषण से लेकर समलिंगी यौन संबंध आम बात है । जब भी इस तरह की घटना जहां कहीं भी प्रकाश में आती है चर्च अपने ब्रह्मचर्य विधान पर ऐसी घटनाओं के बारे में सूचित कर उसका समाधान खोजने के विपरीत उसे दबाने की कोशिश में जुट जाता है । 

🚩अभी हाल ही में जालंधर के ईसाई पादरी बिशप फ्रैंको मुलक्कल ने केरल की नन के साथ 2014 से 2016 के बीच कई बार बलात्कार किया ऐसा आरोप लगाया गया  । उसके खिलाफ कई ननों ने फ्रैंको के खिलाफ अभियान चलाया जिसके तहत उसे जेल जाना पड़ा था ये बात और है कि मात्र 21 दिनों में ही उसे बेल मिल गयी ।

🚩केरल के बहुचर्चित नन रेप मामले में आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल का विरोध करने वाली पांच में से चार नन को हटा दिया गया है । इन सबको कोट्टम के कॉन्वेंट से बाहर जाने के लिए कह दिया गया है । विरोध करने वाली सिस्टर अनुपमा, सिस्टर एनसिटा, सिस्टर एल्फी और सिस्टर जॉसफाइन को तुरंत वापस पुराने कॉन्वेंट में जाने को कह दिया गया है ।

🚩इनमे से एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ रेप करने की शिकायत दर्ज की थी । बाद में इन सभी नन ने मुलक्कल की गिरफ्तारी को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था । चारों नन को तबादला पत्र थमाते हुए अलग-अलग कॉन्वेंट में जाने को कहा गया है ।

🚩बता दें कि नन ने 54 साल के बिशप पर 2014 से 2016 के बीच बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था । जून में कोट्टयाम पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि बिशप ने मई 2014 में कुराविलंगाड गेस्ट हाउस में उनका बलात्कार किया और बाद में भी यौन शोषण करते रहे ।

तीन दिनों की पूछताछ के बाद मुलक्कल को पिछले साल 21 सितंबर को पुलिस ने गिरफ्तार किया था । बाद में 24 सितंबर को बलात्कार आरोपी फ्रैंको को दो हफ्ते की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था । बाद में उच्च न्यायालय ने आरोपी फ्रैंको मुलक्कल को सशर्त जमानत दे दी थी । स्त्रोत : न्यूज 18

🚩4 ननों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने पर कान्वेंट से बाहर किया लेकिन अब कोई भी बॉलीवूड फेमिनीस्ट या महिला अधिकार गैंग इनके बचाव में आवाज उठाने आगे नहीं आई और आएँगे भी क्यों  ये तो केवल सबरीमला जैसे हिन्दुओं के मुद्दों पर बोलते हैं !

🚩जब भी हिन्दू साधु-संतों से जुड़ी खबरें सामने आती हैं वे एकाएक सार्वजनिक विमर्श का हिस्सा बन जाती हैं किन्तु अन्य मजहबों से संबंधित मामलों में सन्नाटा पसरा मिलता है ऐसा क्यों ?
विश्व में कैथोलिक पादरियों द्वारा हजारों यौन उत्पीडऩ के मामले सामने आ चुके हैं । अकेले 2001-10 के कालखंड में 3 हजार पादरियों पर यौन उत्पीड़न और कुकर्म के आरोप लग चुके हैं जिनमें अधिकतर मामले 50 साल या उससे अधिक पुराने हैं । रोमन कैथोलिक चर्च एक कठोर सामाजिक संस्था है जो हमेशा अपने विचार और विमर्श को गुप्त रखती है । अपनी नीतियां स्वयं बनाती है और मजहबी दायित्व कि पूर्ति कठोरता से करवाती है । जब कोई पादरी कार्डिनल बनाया जाता है तो वह पोप के समक्ष वचन लेता है, ‘‘वह हर उस बात को गुप्त रखेगा जिसके प्रकट होने से चर्च कि बदनामी होगी या नुक्सान पहुंचेगा ।’’ इन्हीं सिद्धांतों के कारण पादरियों, बिशप और कार्डिनलों द्वारा किए जाते यौन उत्पीड़न के मामले दबे रह जाते हैं और चर्च या फिर अन्य कैथोलिक संस्थाओं को बदनामी से बचाना मजहबी कर्तव्य बन जाता है । 

🚩आपको बता दें कि पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने और उनके ऊपर झूठे मुकदमे चलाने के लिए विदेशी ताकतें काम कर रही हैं जो भारत से हिन्दू धर्म को मिटाने के लिए कार्य कर रहे है इसलिए ईसाई पादरियों के कुकर्म छुपाते है और हिन्दू धर्मगुरुओं को बदनाम करते हैं  ।

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Tuesday, January 15, 2019

सबसे ज्यादा शिक्षित हिन्दू हैं,अमेरिका में हिंदू महिला लड़ेगी राष्ट्रपति का चुनाव

15 जनवरी  2019

🚩हिंदू धर्म को नष्ट करने व हिंदूओ को दुनिया के नक़्शे से मिटाने के लिए अनेक षड़यंत्र रचे गए हैं और चल भी रहे हैं, लेकिन हिंदू धर्म सनातन धर्म है, दुनिया के सभी हिन्दू विरोधी मिलकर भी प्रयास करें तो भी इसे नहीं मिटा सकते हैं क्योंकि ये सनातन धर्म है जब से सृष्टि का उद्गम हुआ है तब से यह धर्म है जिस दिन हिन्दू धर्म का अस्तित्व मिट जायेगा उस दिन से सृष्टि का प्रलय हो जायेगा सनातन धर्म ही सृष्टि का नाभि है ।

दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका से एक ऐसी खबर सामने आई है जो समस्त सनातनियों के लिए गर्व करने की बात है । इस रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिका में हिंदू समुदाय के लोग सबसे ज्यादा पढ़े लिखे हैं ।

🚩प्यू रिसर्च के मुताबिक, अमेरिका में रह रहे सभी धार्मिक समुहों में हिंदू समुदाय के लोग सबसे ज्यादा शिक्षित है । पिछले महीने दिसंबर में जारी हुई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि शिक्षा के मामले में अमेरिका में रह रहे हिंदुओ ने यहूदी समुदाय के लोगों को भी पछाड़ दिया है, जो अब तक सबसे ऊपर थे । इस रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेज डिग्री वालों में सबसे अधिक संख्या हिंदुओं की है ।

🚩इस रिपोर्ट के मुताबिक़, नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, कैरिबायाई और सब-सहारा अफ्रीका देशों से लेकर जहां भी हिंदू बहुसंख्यक हैं, वहां हिंदू समुदाय के लोग ही सबसे ज्यादा शिक्षित है । रिपोर्ट के मुताबिक, धर्म के आधार पर अगर देखा जाए तो 77 फीसदी के साथ कॉलेज डिग्री वालों में से हिंदुओं की संख्या सबसे ज्यादा है । हिंदुओं के बाद दूसरा नंबर यूनिटेरियन समुदाय के लोगों का आता है, जो दूसरे सबसे ज्यादा शिक्षित है ।

🚩भारतीय अमेरिकी समुदाय ने अमेरिका में सबसे धनी और सबसे शिक्षित के रूप में अपनी पहचान बनाई है । प्यू के अध्ययन में कहा गया है कि अधिक शिक्षित होने के कारण ही हिंदू देश में अमीर हैं । इस संगठन ने आर्थित सफलता और शिक्षा के बीच के संबंध के बारे में बताया है । प्यू के 2014 के अध्ययन के अनुसार यहूदी और हिंदुओं की वार्षिक आय अधिक है । यहुदियों में 10 में से 4 (44 फीसदी) लोग और हिंदुओं में 10 में से 3 (36 फीसदी) लोग ऐसे हैं जिनकी सालाना एक लाख डॉलर के करीब है ।

🚩अमेरिका में हिंदू सांसद लड़ेगी चुनाव...

वॉशिंगटन: अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गेबार्ड 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी भर रही हैं । तमाम कयासों पर विराम देते हुए गेबार्ड ने यह साफ़ कर दिया है कि वे 2020 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली हैं । अमेरिकी सीनेट में हवाई का प्रतिनिधित्व करने वाली डेमोक्रेट सांसद तुलसी बेबार्ड ने मीडिया को बताया है कि, 'मैंने तय कर लिया है कि मैं राष्ट्रपति चुनाव लड़ूंगी ।'

🚩अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब किसी हिंदू को अमेरिका की किसी पार्टी की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी मिलेगी ।  वहीं अगर गेबार्ड 2020 का राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करती हैं, तो वे अमेरिका की प्रथम महिला और सबसे युवा राष्ट्रपति होंगी ।

आपको बता दें कि तुलसी गेबार्ड हिंदू जरूर हैं, लेकिन वे भारतीय मूल की नहीं है । तुलसी गेबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार के घर हुआ था । उनकी मां कॉकेशियन हैं, जिन्होंने बाद में हिंदू धर्म अपना लिया था । तुलसी दो साल की थीं, तब वे अपनी माँ के साथ हवाई आकर रहने लगीं और बाद में उन्होंने भी हिंदू धर्म अपना लिया । तुलसी पहली ऐसी अमेरिकी सांसद हैं, जिन्होंने भगवत गीता को हाथ में लेकर शपथ ग्रहण की थी ।

🚩हिन्दुत्व एक व्यवस्था है मानव में महामानव और महामानव में महेश्वर को प्रगट करने की । यह द्विपादपशु सदृश उच्छृंखल व्यक्ति को देवता बनाने वाली एक महान परम्परा है । 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का उद्घोष केवल इसी संस्कृति के द्वारा किया गया है.....

🚩भारतीय हिंदूओ को भी अपनी महिमा समझनी पड़ेगी और हिंदू संस्कृति पर हो रहे है कुठाराघात को रोकना पड़ेगा, हिन्दू धर्म, हिन्दू साधु-संत, हिंदू कार्यकर्ता, हिन्दू मंदिर मिटाने के भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं, जिसमें इसाई मिशनरियां, इस्लामिक राष्ट्र, विदेशी कंपनियां, वामपंथी आदि लगे हैं । इसको रोकने के लिए सभी हिंदूओं को मिलकर प्रयास करना होगा ।

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