Wednesday, June 7, 2023

देशी गाय के गौमूत्र पीने से हजारों बीमारियों से रक्षा होती है और भी गाय से क्या-क्या लाभ होते है जानिए.....


7 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩हिन्दू शास्त्रों  के अनुसार ‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय हैं।'

भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद् भगवद्भीता में कहा है- ‘धेनुनामस्मि कामधेनु’ अर्थात मैं गायों में कामधेनु हूं।  ऋग्वेद ने गाय को अघन्या कहा है। यजुर्वेद कहता है कि गौ अनुपमेय है। अथर्ववेद में गाय को संपतियों का घर कहा गया है।


🚩स्वामी दयानन्द सरस्वती कहते हैं कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है।



🚩गाय का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन सभी  बहुत ही उपयोगी है एवं हजारों बीमारियों से रक्षा भी करते हैं।


🚩महर्षि अरविंद ने कहा था कि गौ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है। इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है।


🚩 बाल गंगाधर तिलक ने कहा था कि ‘चाहे मुझे मार डालो, पर गाय पर हाथ न उठाओ’।



🚩देश की जनता की मांग गौहत्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगे ।


🚩सनातन में गौ माता का विशेष स्थान है। चर अचर के स्वामी श्री कृष्ण भी जिन गौ माता की वंदना करते हैं, उन गायों से जुड़ी कुछ विशेष आध्यात्मिक और वैज्ञानिक जानकारी...


🚩1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं ।


🚩2. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं ।


🚩3. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है ।


🚩4. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है ।


🚩5. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते ।


🚩6. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है ।


🚩7. गौ माता कि एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है ।


🚩8. गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है।


🚩9. गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है ।


🚩10. गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है , उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुबड़ में हाथ फेरने से रोगों का नाश होता है ।


🚩11. एक गौ माता को चारा खिलाने से तैंतीस कोटी देवी देवताओं को भोग लग जाता है ।


🚩12. गौ माता के दूध घी मख्खन दही गोबर गोमुत्र से बने पंचगव्य हजारों रोगों की दवा है । इसके सेवन से असाध्य रोग मिट जाते हैं ।


🚩13. जिस व्यक्ति के भाग्य की रेखा सोई हुई हो तो वो व्यक्ति अपनी हथेली में गुड़ को रखकर गौ माता को जीभ से चटाये गौ माता की जीभ हथेली पर रखे गुड़ को चाटने से व्यक्ति की सोई हुई भाग्य रेखा खुल जाती है ।


🚩14. गौ माता के चारो चरणों के बीच से निकल कर परिक्रमा करने से इंसान भय मुक्त हो जाता है ।


🚩15. गौ माता के गर्भ से ही महान विद्वान धर्म रक्षक गौ कर्ण जी महाराज पैदा हुए थे।


🚩16. गौ माता की सेवा के लिए ही इस धरा पर देवी देवताओं ने अवतार लिये हैं ।


🚩17. जब गौ माता बछड़े को जन्म देती तब पहला दूध बांझ स्त्री को पिलाने से उनका बांझपन मिट जाता है ।


🚩18. स्वस्थ गौ माता का गौ मूत्र को रोजाना दो तोला सात पट कपड़े में छानकर सेवन करने से सारे रोग मिट जाते हैं ।


🚩19. गौ माता वात्सल्य भरी निगाहों से जिसे भी देखती है उनके ऊपर गौकृपा हो जाती है । 


🚩20. काली गाय की पूजा करने से नौ ग्रह शांत रहते हैं । जो ध्यानपूर्वक धर्म के साथ गौ पूजन करता है उनको शत्रु दोषों से छुटकारा मिलता है ।


🚩21. गाय एक चलता फिरता मंदिर है । हमारे सनातन धर्म में तैंतीस कोटि देवी देवता है ,

हम रोजाना तैंतीस कोटि देवी देवताओं के मंदिर जा कर उनके दर्शन नहीं कर सकते पर गौ माता के दर्शन से सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाते हैं ।


🚩22. कोई भी शुभ कार्य अटका हुआ हो बार बार प्रयत्न करने पर भी सफल नहीं हो रहा हो तो गौ माता के कान में कहिये रूका हुआ काम बन जायेगा।


🚩23. देशी गाय के गौमूत्र का सेवन करने से  सर्दी,एलर्जी, चमड़ी के रोग, लीवर,किडनी, टी.बी,अस्थमा,ह्रदय रोग,हाय बीपी,लो बीपी, केंसर आदि रोगों से बचा जा सकता हैं।


🚩24. गौ माता सर्व सुखों की दाता है। हे मां आप अनंत ! आपके गुण अनंत, इतना मुझमें सामर्थ्य नहीं कि मैं आपके गुणों का बखान कर सकूं । 

जय गाय माता


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg

Tuesday, June 6, 2023

केवल इन 2 हिन्दू युवतियों की कहानी सुन लिया तो कोई हिन्दू युवती लव जिहाद में कभी नही फसेगी....

 केवल इन 2 हिन्दू  युवतियों की कहानी सुन लिया तो कोई हिन्दू  युवती लव जिहाद में कभी नही फसेगी....

6 June 2023

🚩अमृता प्रीतम ने विभाजन के समय बेटियों के दर्द को लेकर के जो कविता लिखी है उसकी पंक्तियों याद आ रही है.........

"इक रोई सी धी पंजाब दी तू लिख-लिख मारे वैन

अज्ज लक्खां धीयाँ रोंदियाँ तैनू वारिस शाह नु कैन "

🚩आज लाखों बेटियां इन जिहादी दरिंदों के चुंगल में फंसी हुई हैं। कौन मुक्त कराएगा उनको इन पैशाचिक दरिन्दों से । कुछ राजनीतिक पार्टियां, लिबरल कांग्रेसी कम्युनिस्टों आपियों का वह सेकुलर गैंग जो फर्जी सेकुलरिज्म के नाम पर भारत की बेटियों को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। शुतुरमुर्ग बनकर अपनी गर्दन को रेत में घुसा करके कुछ नहीं देखना चाहते हैं ।

🚩हिंदू संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं।

द केरला स्टोरी फिल्म को बैन करते हैं। और इस्लामिक जिहादियों को पोषित करते हैं।

🚩साक्षी की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट 

🚩दिल्ली के शाहाबाद डेयरी इलाके में 28 मई, 2023 को हुए साक्षी हत्याकांड में पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। यह रिपोर्ट आरोपित साहिल सरफराज की निर्ममता को बयाँ करती है। रिपोर्ट के मुताबिक, साहिल के हमले से साक्षी के पेट से कई अंग निकल कर बाहर आ गए थे। हमलावर द्वारा छुरे को 16 बार पेट में घोंपा गया था। मृतका की कई हड्डियाँ भी टूटी मिली हैं। अस्पताल द्वारा साक्षी को दिए गए घावों की 16 से 17 पन्नों की रिपोर्ट बनाई गई है।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साक्षी के पेट और सिर को मिला कर कुल 70 हड्डियाँ टूटी पाई गईं हैं। साहिल ने चाकुओं के कुल 16 वार साक्षी के शरीर के अलग-अलग हिस्सों में किए थे। अधिकतर वार कंधे से कमर के बीच हुए थे। साहिल के हमलों से साक्षी के कई आंतरिक अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। मौत की वजह अधिक रक्त बहना बताया गया है। बताया जा रहा है कि चाकुओं के घाव से मृतका की आँतें पेट से बाहर निकल कर लटक चुकीं थीं।


🚩दिल्ली पुलिस ने इस पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अपनी जाँच में शामिल कर लिया है। साक्षी की इतनी गलती थी जो अपने हिंदी युवक मित्र से बात करती थी।


🚩पुणे की बेटी की घटना आखें खोलने वाली 


🚩4 साल पहले पुणे के पास मंचर की एक 16 साल की लड़की लापता हो गई थी। माता-पिता ने 6 महीने तक पुलिस की मदद से पूरे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में खोजा लेकिन लड़की का कहीं पता नहीं चला।


🚩हाल ही में जारी केरल स्टोरी की तस्वीर देखने के बाद, माता-पिता शहर के हिंदू संगठनों के पास पहुंचे और इस उम्मीद में मदद मांगी कि लड़की कहां मिल सकती है। 


🚩हिंदू संगठनों ने 15 दिन के अंदर लड़की को ढूंढ निकाला।


🚩प्रारंभिक जानकारी में यह पता चला है कि लड़की कि एक मुस्लिम क्लास फ्रेंड थी, मुस्लिम लड़की ने अपने भाई को इस लड़की से मिलवाया था। कुछ दिनों बाद जान पहचान प्यार में बदल गई। माता-पिता के घर से लड़की को बहला-फुसलाकर रातोंरात गायब कर दिया।


🚩16 साल की लड़की 4 साल बाद मिली


🚩4 साल तक एक मुस्लिम परिवार ने उसे शहर से बाहर एक फ्लैट में बंद रखा। उसका सारा जिस्म सिगरेट बट्स से दागा हुआ है। फ्लैट में बेहोशी और नशे की गोलियां मिली । पड़ताल में पता चला कि 4 साल तक 2-3 अलग-अलग आदमी रोज आते थे और हर दिन लड़की के साथ रेप किया जाता था। मुस्लिम लड़के की मां, बहन, भाई सभी ने लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया।


🚩गौर करने वाली बात है मुस्लिम औरतों की मानसिकता कितनी विकृत है अपने पति से अपने बेटे से अपने भाई से प्रतिदिन उस लड़की का रेप करवाती थी ।

आज हिन्दू संगठनो (बजरंग दल) के सहयोग से हिन्दू लड़की अपने माता पिता के घर सुरक्षा के साथ पहुँचा दी गयी 

लेकिन वह इतनी डरी सहमी हुई है कि अपने सामने किसी भी पुरुष को देखते ही डर के मारे सहम जाती है, 

भले ही वह पुरुष उसका पिता और सगा भाई ही क्यों न हो। 

केरल की कहानी को प्रोपेगंडा कहने वालों ये लव जिहाद नहीं तो क्या है? स्त्रोत : आर्य समाज पेज


🚩यहां केवल 2 युवतीयों की ही बात बताई गई लेकिन लाखों हिंदू युवतियां है जो लव जिहाद से पीड़ित है, सैंकड़ों युवतियों ने तो अपनी जान भी गंवा दी है, आज समय है की माता पिता अपने बच्चों को सनातन संस्कृति के अनुसार संस्कार ज़रूर दे नही तो मासूम बेटियां इन दरिंदो के हाथ में जायेगी तो क्या बेहाल होगा वे ऊपर की कहानी के माध्यम से जान ले।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, June 5, 2023

माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर पुण्यतिथी 5 जून ( दिनांक अनुसार )

 संघ के द्वितीय सरसंघचालक 

श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी के बारे में जानिए कुछ रहस्यमय बातें.....


5 June 2023

http://azaadbharat.org



🚩श्री गोलवलकर गुरूजी का जन्म माघ कृष्ण 11 संवत 1963 तदनुसार 19 फरवरी 1906 को महाराष्ट्र के रामटेक में हुआ था। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे। उनके पिता का नाम श्री सदाशिव राव उपाख्य ‘भाऊ जी’ तथा माता का श्रीमती लक्ष्मीबाई उपाख्य ‘ताई’ था। उनका बचपन में नाम माधव रखा गया पर परिवार में वे मधु के नाम से ही पुकारे जाते थे। पिताश्री सदाशिव राव प्रारम्भ में डाक-तार विभाग में कार्यरत थे, परन्तु बाद में सन् 1908 में उनकी नियुक्ति शिक्षा विभाग में अध्यापक पद पर हो गयी।


🚩शिक्षा के साथ अन्य अभिरुचियाँ!!


🚩मधु जब मात्र दो वर्ष के थे तभी से उनकी शिक्षा प्रारम्भ हो गयी थी। पिताश्री भाऊजी जो भी उन्हें पढ़ाते थे, उसे वे सहज ही कंठस्थ कर लेते थे। बालक मधु में कुशाग्र बुध्दि, ज्ञान की लालसा, असामान्य स्मरण शक्ति जैसे गुणों का समुच्चय विकास बचपन से ही हो रहा था। सन् 1919 में उन्होंने ‘हाई स्कूल की प्रवेश परीक्षा’ में विशेष योग्यता दिखाकर छात्रवृत्ति प्राप्त की। सन् 1922 में 16 वर्ष की आयु में माधव ने मैट्रिक की परीक्षा चाँदा (अब चन्द्रपुर) के ‘जुबली हाई स्कूल’ से उत्तीर्ण की। तत्पश्चात् सन् 1924 में उन्होंने नागपुर की ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित ‘हिस्लाप कॉलेज’ से विज्ञान विषय में इण्टरमीडिएट की परीक्षा विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण की। अंग्रेजी विषय में उन्हें प्रथम पारितोषिक मिला। वे भरपूर हॉकी तो खेलते ही थे, कभी-कभी टेनिस भी खेल लिया करते थे। इसके अतिरिक्त व्यायाम का भी उन्हें शौक था। मलखम्ब के करतब, पकड़ एवं कूद आदि में वे काफी निपुण थे। विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने बाँसुरी एवं सितार वादन में भी अच्छी प्रवीणता हासिल कर ली थी।


🚩विश्वविद्यालय में ही आध्यात्मिक रुझान


🚩इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद माधवराव के जीवन में एक नये दूरगामी परिणाम वाले अध्याय का प्रारम्भ सन् 1924 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रवेश के साथ हुआ। सन् 1926 में उन्होंने बी.एससी. और सन् 1928 में एम.एससी. की परीक्षायें भी प्राणि-शास्त्र विषय में प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की। इस तरह उनका विद्यार्थी जीवन अत्यन्त यशस्वी रहा। विश्वविद्यालय में बिताये चार वर्षों के कालखण्ड में उन्होंने विषय के अध्ययन के अलावा “संस्कृत महाकाव्यों, पाश्चात्य दर्शन, श्री रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द की ओजपूर्ण एवं प्रेरक ‘विचार सम्पदा’, भिन्न-भिन्न उपासना-पंथों के प्रमुख ग्रंथों तथा शास्त्रीय विषयों के अनेक ग्रंथों का आस्थापूर्वक पठन किया” । इसी बीच उनकी रुचि आध्यात्मिक जीवन की ओर जागृत हुई। एम.एससी. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात् वे प्राणि-शास्त्र विषय में ‘मत्स्य जीवन’ पर शोध कार्य हेतु मद्रास (चेन्नई) के मत्स्यालय से जुड़ गये। एक वर्ष के दौरान ही उनके पिता श्री भाऊजी सेवानिवृत्त हो गये, जिसके कारण वह श्री गुरूजी को पैसा भेजने में असमर्थ हो गये। इसी मद्रास-प्रवास के दौरान वे गम्भीर रूप से बीमार पड़ गये। चिकित्सक का विचार था कि यदि सावधानी नहीं बरती तो रोग गम्भीर रूप धारण कर सकता है। दो माह के इलाज के बाद वे रोगमुक्त तो हुए परन्तु उनका स्वास्थ्य पूर्णरूपेण से पूर्ववत् नहीं रहा। मद्रास प्रवास के दौरान जब वे शोध में कार्यरत थे तो एक बार हैदराबाद का निजाम मत्स्यालय देखने आया। नियमानुसार प्रवेश-शुल्क दिये बिना उसे प्रवेश देने से श्री गुरूजी ने इन्कार कर दिया। आर्थिक तंगी के कारण श्री गुरूजी को अपना शोध-कार्य अधूरा छोड़ कर अप्रैल 1929 में नागपुर वापस लौटना पड़ा। उनमें अद्भुत क्षमता थी, लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की।


🚩प्राध्यापक के रूप में श्रीगुरूजी


🚩नागपुर आकर भी उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहा। इसके साथ ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति भी अत्यन्त खराब हो गयी थी। इसी बीच बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से उन्हें निर्देशक पद पर सेवा करने का प्रस्ताव मिला। 16 अगस्त सन् 1931 को श्री गुरूजी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राणि-शास्त्र विभाग में निर्देशक का पद संभाल लिया। चूँकि यह अस्थायी नियुक्ति थी। इस कारण वे प्राय: चिन्तित भी रहा करते थे।


🚩अपने विद्यार्थी जीवन में भी माधव राव अपने मित्रों के अध्ययन में उनका मार्गदर्शन किया करते थे और अब तो अध्यापन उनकी आजीविका का साधन ही बन गया था। उनके अध्यापन का विषय यद्यपि प्राणि-विज्ञान था, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी प्रतिभा पहचान कर उन्हें बी.ए.की कक्षा के छात्रों को अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र भी पढ़ाने का अवसर दिया। अध्यापक के नाते माधव राव अपनी विलक्षण प्रतिभा और योग्यता से छात्रों में इतने अधिक लोकप्रिय हो गये कि उनके छात्र उनको गुरुजी के नाम से सम्बोधित करने लगे। इसी नाम से वे आगे चलकर जीवन भर जाने गये। माधव राव यद्यपि विज्ञान के परास्नातक थे, फिर भी आवश्यकता पड़ने पर अपने छात्रों तथा मित्रों को अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, गणित तथा दर्शन जैसे अन्य विषय भी पढ़ाने को सदैव तत्पर रहते थे। यदि उन्हें पुस्तकालय में पुस्तकें नहीं मिलती थी, तो वे उन्हें खरीद कर और पढ़कर जिज्ञासी छात्रों एवं मित्रों की सहायता करते रहते थे। उनके वेतन का बहुतांश अपने होनहार छात्र-मित्रों की फीस भर देने अथवा उनकी पुस्तकें खरीद देने में ही व्यय हो जाया करता था।


🚩संघ प्रवेश


🚩सबसे पहले “डॉ॰ हेडगेवार” के द्वारा काशी विश्वविद्यालय भेजे गए नागपुर के स्वयंसेवक भैयाजी दाणी के द्वारा श्री गुरूजी संघ के सम्पर्क में आये और उस शाखा के संघचालक भी बने। 1937 में वो नागपुर वापस आ गए। नागपुर में श्री गुरूजी के जीवन में एक दम नए मोड़ का आरम्भ हो गया। “डॉ हेडगेवार” के सानिध्य में उन्होंने एक अत्यंत प्रेरणा दायक राष्ट्र समर्पित व्यक्तित्व को देखा। किसी आप्त व्यक्ति के द्वारा इस विषय पर पूछने पर उन्होंने कहा- “मेरा रुझान राष्ट्र संगठन कार्य की ओर प्रारम्भ से है। यह कार्य संघ में रहकर अधिक परिणामकारिता से मैं कर सकूँगा, ऐसा मेरा विश्वास है। इसलिए मैंने संघ कार्य में ही स्वयं को समर्पित कर दिया। मुझे लगता है, स्वामी विवेकानंद के तत्वज्ञान और कार्यपद्धति से मेरा यह आचरण सर्वथा सुसंगत है।” 1938 के पश्चात संघ कार्य को ही उन्होंने अपना जीवन कार्य मान लिया। डॉ हेडगेवार के साथ निरंतर रहते हुये अपना सारा ध्यान संघ कार्य पर ही केंद्रित किया। इससे डॉ हेडगेवार जी का ध्येय पूर्ण हुआ।


🚩द्वितीय संघचालक हेतु नियुक्ति


🚩राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक “डॉ हेडगेवार” के प्रति सम्पूर्ण समर्पण भाव और प्रबल आत्म संयम होने की वजह से 1939 में माधव सदाशिव गोलवलकर को संघ का सरकार्यवाह नियुक्त किया गया। 1940 में “हेडगेवार” का ज्वर बढ़ता ही गया और अपना अंत समय जानकर उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं के सामने माधव को अपने पास बुलाया और कहा “अब आप ही संघ का कार्य सम्भालें”। 21 जून 1940 को हेडगेवार अनंत में विलीन हो गए।


🚩भारत छोड़ो- श्री गुरूजी का दृष्टिकोण


🚩9 अगस्त 1942 को बिना शक्ति के ही कांग्रेस ने अंग्रेजों के खिलाफ “भारत छोड़ो” आंदोलन छेड़ दिया। देश भर में बड़ा आंदोलन शुरू तो हो गया, परन्तु असंगठित दिशाहीन होने से जनता की तरफ से कई प्रकार की तोड़ फोड़ होने लगी। सत्ताधारियों ने बड़ी क्रूरता से दमन नीतियाँ अपनाई। 2-3 महीने होते-होते आंदोलन की चिंगारी शांत हो गई। देश के सभी नेता कारागार में थे और उनकी रिहाई की कोई आशा दिखाई नहीं दे रही थी। श्री गुरूजी ने निर्णय किया था कि संघ प्रत्यक्ष रूप से तो आंदोलन में भाग नहीं लेगा किन्तु स्वयंसेवकों को व्यक्तिशः प्रेरित किया जाएगा।


🚩विभाजन संकट में अद्वितीय नेतृत्व


🚩16 अगस्त 1946 को मुहम्मद अली जिन्नाह ने सीधी कार्यवाही का दिन घोषित कर के हिन्दू हत्या का तांडव मचा दिया। उन्ही दिनों में श्री गुरूजी देश भर के अपने प्रत्येक भाषण में देश विभाजन के खिलाफ डट कर खड़े होने के लिए जनता का आह्वान करते रहे किन्तु कांग्रेसी नेतागण अखण्ड भारत के लिए लड़ने की मनः स्थिति में नहीं थे। पण्डित नेहरू ने भी स्पष्ट शब्दों में विभाजन को स्वीकार कर लिया था और 3 जून 1947 को इसकी घोषणा कर दी गई। एकाएक देश की स्थिति बदल गई। इस कठिन समय में स्वयंसेवकों ने पाकिस्तान वाले भाग से हिंदुओं को सुरक्षित भारत भेजना शुरू किया। संघ का आदेश था कि जब तक आखिरी हिन्दू सुरक्षित ना आ जाए तब तक डटे रहना है। भीषण दिनों में स्वयंसेवकों का अतुलनीय पराक्रम, रणकुशलता, त्याग और बलिदान की गाथा भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखने लायक है। श्री गुरूजी भी इस कठिन घड़ी में पाकिस्तान के भाग में प्रवास करते रहे।


🚩संघ पर प्रतिबन्ध


🚩30 जनवरी 1948 को गांधी हत्या के मिथ्या आरोप में 4 फरवरी को संघ पर प्रतिबन्ध लगाया गया। श्री गुरूजी को गिरफ्तार किया गया। देश भर में स्वयंसेवको की गिरफ्तारियां हुई। जेल में रहते हुए उन्होंने पत्र-पत्रिकाओं का विस्तृत व्यक्तव्य भेजा जिसमें सरकार को मुहतोड़ जवाब दिया गया था। आह्वान किया गया था कि संघ पर आरोप सिद्ध करो या प्रतिबन्ध हटाओ। देश भर में यह स्वर गूंज उठा था। 26 फरवरी 1948 को देश के प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को गृह मंत्री वल्लभ भाई पटेल ने अपने पत्र में लिखा था “गांधी हत्या के काण्ड में मैंने स्वयं अपना ध्यान लगाकर पूरी जानकारी प्राप्त की है। उस से जुड़े हुये सभी अपराधी लोग पकड़ में आगए हैं। उनमें एक भी व्यक्ति राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नहीं है।”


🚩9 दिसम्बर 1948 को सत्याग्रह नाम के इस आंदोलन की शुरुआत होते ही कुछ 4-5 हजार बच्चों का यह आंदोलन है ऐसा मानकर नेतागण ने इसका मजाक उड़ाया। लेकिन उसके उलट किसी भी कांग्रेसी आंदोलन में इतनी संख्या नहीं थी। 77,0,90 स्वयंसेवकों ने विभिन्न जेलों को भर दिया। आखिरकार संघ को लिखित संविधान बनाने का आदेश दे कर प्रतिबन्ध हटा लिया गया और अब गांधी हत्या का इसमें जिक्र तक नहीं हुआ।


🚩तब सरदार वल्लभभाई पटेल ने गुरूजी को भेजे हुए अपने सन्देश में लिखा कि “संघ पर से पाबन्दी उठाने पर मुझे जितनी खुशी हुई इसका प्रमाण तो उस समय जो लोग मेरे निकट थे वे ही बता सकते हैं… मैं आपको अपनी शुभकामनाएं भेजता हूँ।”


🚩चीन आक्रमण के दौरान श्री गुरूजी का मार्गदर्शन


🚩श्री गुरूजी ने चीनी आक्रमण शुरू होते ही जो मार्ग दर्शन दिया उसके परिप्रेक्ष्य में स्वयंसेवक युद्ध प्रयत्नों में जनता का समर्थन जुटाने तथा उनका मनोबल दृढ करने में जुट गए। उनके सामयिक सहयोग का महत्व पण्डित नेहरू को भी स्वीकार करना पड़ा और उन्होंने सन् 1963 में गणतंत्र दिवस के पथ संचलन में कुछ कांग्रेसियों की आपत्ति के बाद भी संघ के स्वयंसेवकों को भाग लेने हेतु आमंत्रण भिजवाया। कहना न होगा कि संघ के तीन हजार गणवेषधारी स्वयंसेवकों के घोष की ताल पर कदम मिलाकर चलना उस दिन के कार्यक्रम का एक प्रमुख आकर्षण था।


🚩सन् 1940 से 1973 इन 33 वर्षों में श्रीगुरुजी नें संघ को अखिल भारतीय स्वरुप प्रदान किया। इस कार्यकाल में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारप्रणाली को सूत्रबध्द किया। श्रीगुरुजी, अपनी विचार शक्ति व कार्यशक्ति से विभिन्न क्षेत्रों एवम् संघटनाओं के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणास्रोत बनें। श्रीगुरुजी का जीवन अलौकिक था, राष्ट्रजीवन के विभिन्न पहलुओं पर उन्होंने मूलभूत एवम् क्रियाशील मार्गदर्शन किया ।


🚩कैसे वीर हो गए इस देश में, जब धर्म की बात आयी तो शास्त्र उठाया और जब कर्म की बात आयी तो शस्त्र उठाने में भी पीछे नही हटे….!


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, June 4, 2023

प्रदूषण मुक्त और आत्मनिर्भर भारत का सपना देखनेवाले को से कम 5 वृक्ष लगाने चाहिए

 5 जून ... विश्व पर्यावरण दिवस की सभी देशवेसियों व विश्ववासियों को ढेरों अग्रिम शुभकामनाएं व कुछ एक नम्र निवेदन...🙏

चन्द छोटी-छोटी सावधानियां रखेंगे और कुछ सरलतम कदग , पर बडे खास और ठोस असरदार कदम यदि हम सब मिलकर उठाएंगे तो न सिर्फ भारत बीमारीयों से मुक्त होगा , बल्कि पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी समूल नष्ट हो जाएगी ।


4 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩धरती पर से पेड़-पौधे काटने पर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या हुई जिस पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्टॉक होम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था । जिसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार पृथ्वी भर का एक ही सिद्धांत मान्य किया गया।



🚩इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनैतिक चेतना जाग्रत करना और आम जनता को प्रेरित करना था। तभी से 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाने लगा।


🚩तो आइए इसी कड़ी में एक और बात जोड़ते हुए इस संबंध में चर्चा को आगे बढाते हैं...

हमारे देश के प्रधानमंत्री जी आत्मनिर्भर भारत की बात अक्सर बोलते हैं।हमारे देश को अगर आत्म निर्भर करना है तो सबसे पहले हमें स्वदेशी पारम्परिक जड़ी बूटियों की पहचान करनी होगी । तुलसी, पीपल, नीम, गिलोय आदि कुदरती वृक्षों और पौधों को लगाना होगा और उसकी औषधियां अधिक मात्रा में तैयार करके प्रचलन में लानी होगी।

जिससे हमारे देश में अरबो-खरबो रुपये की अंग्रेजी दवाइयाँ आना कम /बंद होगा और हमारी आयुर्वेदिक दवाइयाँ विदेशों में निर्यात होंगी तो आमदनी बढ़ेगी जिससे देश आत्मनिर्भर बनेगा।


🚩मनुष्य सोचता था , कि हमारा ही अधिकार है पृथ्वी पर और जल तथा वायु को प्रदूषित करता गया । इसका परिणाम खुद मनुष्य ही भुगत रहा है कई शहरों में जहरीली हवा हो गई और भयंकर बीमारियां आई ।

कोरोना काल मे ऑक्सीजन की कमी पड़ गई, ऑक्सीजन की कमी के कारण कइयों की मृत्यु भी हो गई। अब हमें वैचारिक प्रदूषण मिटाना होगा और “जिओ ओर जीने दो” ये मंत्र साकार करना होगा, अब हमें अधिक से अधिक वृक्षों को लगाना होगा।


🚩गौरतलब है... सरकार द्वारा पिछले 70 सालों में पीपल, बरगद (वटवृक्ष) आंवला और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना लगभग बंद कर दिया गया है!


🚩सरकार ने इन पेड़ो से दूरी बना ली तथा इसके बदले विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया जो जमीन को जल विहीन और वातावरण को प्रदूषित कर देता है।


🚩आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ों ने ले ली है। अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ( अच्छी गुणवत्तापूर्ण और आक्सीजन देने वाले वृक्ष) ही नही रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही और इनकी हवा से हवामान भी प्रदूषित होगा।


🚩नीलगिरी के वृक्ष भूल से भी न लगाए जाएं, ये जमीन को बंजर बना देते हैं। जिस भूमि पर ये लगाये जाते हैं उसकी शुद्धि 12 वर्ष बाद होती है, ऐसा माना जाता है। इसकी शाखाओं पर ज्यादातर पक्षी घोंसला नहीं बनाते । इसके मूल में प्रायः कोई प्राणी बिल नहीं बनाते । यह इतना हानिकारक, जीवन-विघातक वृक्ष है।


🚩जबकि पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% अवशोषण करता है, बरगद 80% और नीम 75% करता है।


🚩बता दें...कि पीपल के पत्ते का फलक बड़ा और डंठल पतला होता है जिसकी वजह से शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं। पीपल को वृक्षों का राजा कहते है, श्री कृष्ण ने इसे अपनी विभूति भी बताया है भगवद्गीता में... “अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां” (गीता १०.२६ )


🚩पीपल का वृक्ष दमानाशक, हृदयपोषक, ऋण-आयनों का खजाना, रोगनाशक, आह्लाद व मानसिक प्रसन्नता का खजाना तथा रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ानेवाला है। बुद्धू बालकों तथा हताश-निराश लोगों को भी पीपल के स्पर्श एवं उसकी छाया में बैठने से अमिट स्वास्थ्य-लाभ व पुण्य-लाभ होता है। पीपल की जितनी महिमा गाएं, उतनी कम है।


🚩इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगायें तथा यूकेलिप्टस आदि सजावटी पेड़ों को न लगाएं व सरकार द्वारा भी इन पर प्रतिबंध लगाया जाये।


🚩दूसरी बात की केमिकल युक्त खेती हो रही है उसकी जगह परम्परागत जैविक खेती करनी होगी इससे पर्यावरण भी शुद्ध होगा और शुद्ध अन्न मिलने पर लोगों का स्वास्थ्य भी स्वतः बढ़िया होगा और लोग बीमार भी कम होंगे।


🚩हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगाये तो आने वाले कुछ सालों में प्रदूषण मुक्त भारत होगा ही होगा । फिर यूँ बेवजह ऑक्सीजन के प्लांट लगाने की आवश्यकता नही पड़ेगी।

🚩एक उपाय ये भी है कि बड़, पीपल, नीम आदि के बीज मिट्टी में लपेट कर छोटी-छोटी बहुत सारी बॉल बना कर सूखा लें जब बारिश के दिनों में ट्रेन यात्रा करें तो खिड़की में से पटरी से दूर 20-30 फिट की दूरी पर जगह-जगह खाली स्थानों पर फेंकते जाए। बारिश में ये बीज अंकुरित हो जाएंगे आपकी ओर से बहुत बड़ी पर्यावरण शुद्धि की सेवा हो जाएगी।


🚩कुछ लोग सिर्फ दिखावा करने के लिए पेड लगाते हैं और कोई भी पेड़ लगा देते है लेकिन बदलाव तो वास्तविक लाना है । तो इस बार हमें कम से कम 5 पेड़ लगाने होंगे और वो भी पीपल, बरगद, नीम, बिल्व अथवा तुलसी के ही लगाने होंगें और उसकी देखभाल भी करनी होगी तभी पर्यावरण प्रदूषण मुक्त होगा।


🚩ध्यान दें बारिश का समय आने वाला है । सभी पर्यवरण प्रेमी कम से कम 5 पेड़ पीपल, बड़, तुलसी , बिल्व या नीम के अवश्य लगाएं एव॔ उसकी देखभाल भी करें।


🚩“अपना श्रृंगार तो किया कई बार,

आओं करे मां भारती का श्रृंगार ।

धरती मां को पहनाये वृक्षों का सुंदर हार।।”


🔺 Follow on

Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, June 3, 2023

संत कबीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं...

3 June , 2023

http://azaadbharat.org

🚩संत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।


🚩 वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में उभरे।


🚩महापुरूष कबीर जी सनातन धर्म के महान संत थे,उनके गुरु संत रामानन्द जी थे।


🚩कबीर जी को ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा थी,यह उनकी साखियों में भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के नाम से सिद्ध होता है ।


🚩संत कबीर जी ने अपना जीवन सनातन हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसार में लगा दिया,लेकिन दुष्ट लोगों ने उनपर भी झूठे आरोप लगाए थे और आज भी उनका नाम लेकर हिन्दुओ को हिन्दू धर्म से अलग किया जा रहा है,इसलिए ऐसे लोगों से सावधान रहें।


🚩इनकी रचनाओं ने भक्तिकालीन युग में हिन्दी साहित्य को गहरे स्तर तक प्रभावित किया। उनका लेखन सिक्खों ☬ के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है।


🚩संत कबीर दास एक अवतारी महापुरुष और सनातन धर्म की गुरु परम्परा की स्वर्णिम श्रृंखला के एक अनमोल और अद्वितीय कड़ी थे ।उन्होंने संत रामानंदजी से दीक्षा ली थी और वे अपने गुरुजी की आज्ञा अनुसार ही चलते थे ।

...पर आज भी कुछ स्वार्थी लोग अपनी-अपनी दुकान चलाने के लिए सनातनधर्म में प्रकटे महापुरुष को भी अपनी मति गति से तोलकर एक सीमित दायरे में रखना चाहते हैं और उनके नाम का दुरुपयोग करके हिन्दू धर्म पर कुठाराघात कर रहे हैं ।



🚩महापुरूष किसी एक देश, एक युग, एक जाति या एक धर्म के नहीं होते । वे तो समूचे राष्ट्र की ,सम्पूर्ण मानवता की, समस्त विश्व की विभूति होते हैं । उन्हें किसी भी सीमा में बाँधना ठीक नहीं । पर राष्ट्रविरोधी तत्वों के हथकंडे बने स्वार्थी लोग ऐसे महापुरुषों के नाम का दुरुपयोग कर आपस में हमें लड़ाना चाहते हैं ।

ऐसे नराधमों से सावधान रहने की बड़ी आवश्यकता है ।


🚩जितने भी ईश्वरवादी संत हुए हैं , बामसेफियों द्वारा उन्हें एक-एक कर नास्तिक, हिंदुद्रोही अथवा डा. अंबेडकर के विचारों से समानता रखने वाले और बुद्ध के समीप या बौद्ध साबित करने का कुचक्र भी जोर-शोर से चल रहा है । बामसेफियों की प्रचार सामग्रियों, पुस्तकों और भाषणों में डा.अंबेडकर और बुद्ध के साथ इन संतों को भी जोड़ा जाना आम बात हो गई है ।

कबीर दास जी की छवि इन मलीन और कुत्सित चिंतकों द्वारा छल कपट का सहारा लेकर नास्तिक और हिन्दू द्रोही बनाने का प्रयास वृहद् स्तर पर किया जा रहा है ।



🚩रामपाल के द्वारा भी यही कृत्य किया जा रहा है । संत कबीरजी को भगवान श्री राम व कृष्ण का द्रोही बताया जा रहा है और कबीरजी को लेकर भगवान व देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों एवं संत-महापुरुषों के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है ।


🚩लेकिन सत्य क्या है यह जानने का प्रयास संत कबीरदास जी की वाणी से ही किया जा सकता है। उनकी चंद साखियां नीचे दी जा रही हैं , जो सिद्ध करती हैं कि वो डा. अंबेडकर के नूतन धर्म , दर्शन , मान्यताओं और नास्तिकता से कोसों दूर थे । साथ में कबीरपंथी विद्वानों की लिखित उस पुस्तक का हवाला भी है जिससे ये साखियां ली गयी हैं। पढ़ें और कबीरजी को जो भी सनातन धर्म से अलग साबित करना चाह रहे हैं, उनको आइना दिखाएं ।


🚩1- कबीर कुत्ता राम का,मोतिया मेरा नाऊं।

गले राम की जेवड़ी, जित खिचै तित जाऊं ।।

तू-तू करे तो बावरों , हुर्र धुत्त करे हट जाऊं।

जो देवे सो खाय लूं , जहां राखै रह जाऊं ।।


अर्थ: कबीर दास कहते हैं , कि मैं तो रामजी का कुत्ता हूं और नाम मेरा मोती है। गले में राम नाम की जंजीर पड़ी हुयी है। मैं उधर ही चला जाता हूं जिधर मेरा राम मुझे ले जाता है। वो दया वश सुख दें तो उन्हीं की करुणा समझ प्रीति में डूब जाता हूं और वो कृपा वश दुख भेजें तो सावधान हो कर उसका भी साक्षी बनकर उसे देखता हूं ।


🚩2- मेरे संगी दोई जण, एक वैष्णों एक राम ।

वो है दाता मुकति का, वो सुमिरावै नाम।।

अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि जग में मेरे तो दो ही संगी साथी हैं- एक वैष्णवपुरुष (संत ) और दूसरा राम। राम जहां मुक्तिदाता हैं वहीं वैष्णवों के संग में , संत संगति में नाम स्मरण स्वतः होने लगता है।

यहां भी डा. अंबेडकर और संत कबीर विपरीत ध्रुवों पर खड़े साबित होते हैं।


🚩3- सबै रसायन मैं किया, हरि सा और ना कोई।

तिल इक घट में संचरे,तौ सब तन कंचन होई।

अर्थ: कबीर कहते हैं मैंने सभी उपाय करके देख लिये मगर हरि रस जैसा कोई अन्य रसायन नहीं मिला। यदि यह एक तिल मात्र भी घट में (अन्तः शरीर में ) पहुंच जाये तो संपूर्ण वासनाओं का मैल धुल जाता है, जीवन अत्यंत निर्मल हो जाता है और समय पाकर मनुष्य आत्मसाक्षात्कार को उपलब्ध हो जाता है ।

🚩4-कबीर हरि रस यौं पिया, बाकी रही न थाकि ।

पाका कलस कुंभार का, बहूरि चढ़ी न चाकि ।।

अर्थ : कबीर दास कहते हैं कि श्री हरि के प्रेम रस का प्याला ऐसा छककर पिया है , कि संसारी सुखों और विषय विकारों का अन्य रस पीने की रुचि अब तनिक भी रही नहीं । कुम्हार अपने बनाए हुए पक्के घड़े को दोबारा चाक पर नहीं चढ़ता ,तो मैं फिर अन्यत्र क्यों भटकूं।


🚩5- क्यूं नृप-नारी नींदिये, क्यूं पनिहारिन कौ मान।

मांग संवारै पीय कौ, या नित उठि सुमिरै राम।।

अर्थ : कबीर साहिब कहते हैं कि रानी को यह नीचा स्थान क्यूं दिया गया और पनिहारिन को इतना ऊंचा स्थान क्यूं दिया गया ? इसलिये कि रानी तो अपने राजा को रिझाने के लिये मांग संवारती है, श्रृंगार करती है लेकिन वह पनिहारिन नित्य उठकर अपने राम का सुमिरन करती है।

आशय... जो व्यक्ति भोग-विलास और विषयों की ओर पीठ करके भगवान को ही भजता है , वह ही वास्तव में आदर के योग्य है ।


🚩6-दुखिया भूखा दुख कौं,सुखिया सुख कौं झूरि।

सदा अजंदी राम के, जिनि सुखदुख गेल्हे दूरि।।

अर्थ: कबीर जी कहते हैं , कि दुखिया भी मर रहा है और सुखिया भी- एक बहुत अधिक दुख के कारण तो दूसरा अधिक सुख में विलासी भोगी होकर के । लेकिन रामजन(संत पुरुष) सदा ही आनंद में रहते हैं,क्योंकि वो सुख और दुख दोनों को स्वयं से भिन्न देखते हैं।


🚩7- कबीर का तू चिंतवे, का तेरा च्यंत्या होई ।

अणचंत्या हरि जी करै, जो तोहि च्यंत न होई।।

अर्थ: कबीर साहिब कहते हैं तू क्यों बेकार की चिंता कर रहा है, चिंता करने से होगा क्या ? जिस बात को तूने कभी सोचा ही नहीं उसे अचिंत्य को भी तेरा हरि पूरा करेगा।

आशय...भगवान जब देते हैं,अपनी ओर से अपनी महिमा से,उसका हिसाब नहीं लगा सकता व्यक्ति। वो तो सुमिरन करने वाले जीव को ही शिव स्वरूप बना देते हैं।


🚩8- मैं जाण्यूं पढ़िबो भलो, पढ़िबो से भलो जोग।

राम नाम सूं प्रीति करी, भल भल नीयौ लोग ।।

अर्थ: कबीर साहिब कहते हैं- पहले मैं समझता था कि पोथियों को पढ़ा हुआ बड़ा आदमी है। फिर सोचा कि पढ़ने से भी योग साधना कहीं अच्छी है। लेकिन अब इस निर्णय पर पहुंचा हूं , कि राम नाम से ही सच्ची प्रीति की जाये तो ही उद्धार संभव है।


🚩9- राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ।

जो सुख साधु संग में, सो बैकुंठ न होय ।।

अर्थ: कबीर कहते हैं , कि यदि भगवान स्वयं भी स्वर्ग या वैकुण्ठ के सुखों हेतु आमंत्रित करेंगे तो भी...मुझे उसमें सार नहीं दिखता...

क्योंकि जिस सुख की अनुभूति साधुओं के सत्संग में होती है वह बैकुंठ में नहीं।


🚩10- वैध मुआ रोगी मुआ, मुआ सकल संसार ।

एक कबीरा ना मुआ, जेहि के राम अधार ।।

अर्थ: कबीर दास कहते हैं कि संसार और उसके सुख दुखादि नाशवान होने के कारण ही उनका रूप-रूपांतर हो जाता है।लेकिन जो राम में आसक्त हैं वो सदा अमर रहते हैं।


🚩11- दया आप हृदय नहीं, ज्ञान कथे वे हद ।

ते नर नरक ही जायेंगे, सुन-सुन साखी शब्द।।

अर्थ: कबीर कहते हैं कि जिनके हृदय में दया का भाव नहीं है और ज्ञान का उपदेश देते हैं, वो चाहे कितनी बातें बना लें लेकिन उनका उद्धार संभव नहीं।


🚩12- जेती देखो आत्म, तेता सालिगराम ।

साधू प्रतषि देव है, नहीं पाहन सूं काम ।।

अर्थ: संत कहते हैं , कि जिसने आत्मज्ञान प्राप्त किया है वही (संत) वास्तविक पूजने योग्य देव हैं । अर्थात प्रत्यक्ष देव तो मेरे लिये सच्चा साधु ही है। पाषाण की मूर्ति पूजने से मेरा क्या भला होने वाला है, वह तो मन को ईश्वर से जोड़ने का जरिया मात्र ही है।


🚩यह भी ध्यान रखना होगा कि धर्म में पाखंड का विरोध करने से कोई नास्तिक नहीं हो जाता है। यदि कबीरजी ने हिंदू धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की तो गलत नहीं किया। अनेक महापुरुषों ने ऐसा किया है , फिर भी आस्तिक ही रहे।उन्होंने सनातन हिन्दू धर्म नहीं छोड़ा। इसलिये अंबेडकरवादियों का यह कहना कि हिंदू धर्म में व्याप्त कुरीतियों पर प्रहार करने वाला हर व्यक्ति अंबेडकरवादी , नास्त्तिक, नवबौद्ध और हिन्दू द्रोही है हास्यास्पद तर्क है।

यह सत्य है , कि कबीर जी ने धर्म में प्रचलित कुप्रथाओं पर प्रहार किया। लेकिन राम और हरि पर अटूट आस्था भी बनाये रखी तथा नरक और आत्मा पर विश्वास भी व्यक्त किया ।


🚩 रामपाल भी जो भगवान को गालियां देने में कबीरजी के नाम का दुरुपयोग कर रहे है , तो उनको यह पंक्तियां अवश्य पढ़नी चाहिए , कि कबीरदास जी की भगवान में कितनी अटूट आस्था थी।


🚩सभी महापुरुष दिव्य सनातन धर्म में ही अवतरित हुए हैं और होते रहेंगे...और उन्होंने सनातन हिन्दू धर्म का ही प्रचार किया है। उनको कोई सनातन विरोधी बताकर आपको गुमराह करे तो सावधान हो जाइए क्योंकि उनकी मंशा ही है हमारे राष्ट्र को खंड-खंड करना ।।


🔺 Follow on

Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺 Twitter:

twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, June 2, 2023

गर्भपात से कितना नुकसना होता हैं ? कितना पाप लगता हैं ? जानिए.....

1 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩गर्भ में बालक निर्बल और असहाय अवस्था में रहता है। वह अपने बचाव का कोई उपाय भी नहीं कर सकता तथा अपनी हत्या का प्रतिकार भी नहीं कर सकता। अपनी हत्या से बचने के लिए वह पुकार भी नहीं सकता, रो भी नहीं सकता। उसका कोई अपराध, कसूर भी नहीं है – ऐसी अवस्था में जन्म लेने से पहले ही उस निरपराध, निर्दोष, असहाय बच्चे की हत्या कर देना पाप की, कृतघ्नता की, दुष्टता की, नृशंसता की, क्रूरता की, अमानुषता की, अन्याय की आखिरी हद है - स्वामी रामसुखदासजी


🚩ब्रह्महत्या से जो पाप लगता है उससे दुगना पाप गर्भपाप करने से लगता है। इस गर्भपात  महापाप का कोई प्रायश्चित भी नहीं है, इसमें तो उस स्त्री का त्याग कर देने का ही विधान है। (पाराशर स्मृतिः 4.20)


🚩यदि अन्न पर गर्भपात करने वाले की दृष्टि भी पड़ जाय तो वह अन्न अभक्ष्य हो जाता है। (मनुस्मृतिः 4.208)


🚩गर्भस्थ शिशु को अनेक जन्मों का ज्ञान होता है। इसलिए 'श्रीमद् भागवत' में उसको ऋषि (ज्ञानी) कहा गया है। अतः उसकी हत्या से बढ़कर और क्या पाप होगा !


🚩संसार का कोई भी श्रेष्ठ धर्म गर्भपात को समर्थन नहीं देता है और न ही दे सकता है क्योंकि यह कार्य मनुष्यता के विरूद्ध है। जीवमात्र को जीने का अधिकार है। उसको गर्भ में ही नष्ट करके उसके अधिकार को छीनना महापाप है।


🚩श्रेष्ठ पुरुषों ने ब्रह्महत्या आदि पापों का प्रायश्चित बताया है, पाखण्डी और परनिन्दक का भी उद्धार होता है, किंतु जो गर्भस्थ शिशु की हत्या करता है, उसके उद्धार का कोई उपाय नहीं है। (नारद पुराणः पूर्वः 7.53)


🚩संन्यासी की हत्या करने वाला तथा गर्भ की हत्या करने वाला भारत में 'महापापी' कहलाता है। वह मनुष्य कुंभीपाक नरक में गिरता है। फिर हजार जन्म गीध, सौ जन्म सूअर, सात जन्म कौआ और सात जन्म सर्प होता है। फिर 60 हजार वर्ष विष्ठा का कीड़ा होता है। फिर अनेक जन्मों में बैल होने के बाद कोढ़ी मनुष्य होता है।

(देवी भागवतः 9.34.24,27.28)


🚩गर्भपात कराने वाली लड़कियों में से एक तिहाई लड़कियाँ ऐसी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं कि फिर कभी वे संतान पैदा नहीं कर सकतीं।

(टोरंटो, कनाडा के 70 वाले अनुसंधान के अनुसार)



🚩विश्व में प्रतिवर्ष होने वाले 5 करोड़ गर्भपातों में से करीब आधे गैरकानूनी होते हैं, जिनमें करीब 2 लाख स्त्रियाँ प्रतिवर्ष मर जाती हैं और करीब 60 से 80 लाख पूरी उम्र के लिये रोगों की शिकार हो जाती हैं। हिन्दुस्तान में अनुमानतः करीब 5 लाख औरतें प्रतिवर्ष गैरकानूनी गर्भपातों द्वारा उत्पन्न हुई समस्याओं से मरती हैं।

(हिन्दुस्तान टाइम्स दिनांकः 15-7-1990)


🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के अनुसार गैरकानूनी एवं असुरक्षित ढंग से कराये जाने वाले गर्भपात से लाखों महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। जो बचती है, उन्हें जीवन भर गहरी मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है। साथ ही, लंबे समय तक संक्रमण, दर्द तथा बाँझपन जैसी जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


🚩स्त्रियाँ गर्भपात के बाद पूरे जीवन पीड़ा पाती हैं। उनका शरीर रोगों का म्यूजियम बन जाता है। एक तिहाई स्त्रियाँ तो ऐसी बीमारी का शिकार बनती हैं कि फिर वे कभी संतान पैदा कर ही नहीं सकतीं।

गर्भपात कराने वाली स्त्रियों में से 30 % स्त्रियों को मासिक की कठिनाइयाँ हो जाती हैं।


🚩शास्त्रों में जगह-जगह गर्भपात को महापाप बताया है। कहा है कि गर्भहत्या करने वाले का देखा हुआ अन्न न खायें। (मनुस्मृतिः 4.208)


🚩लिंग परीक्षण करवाने से अपने आप गर्भपात होने व समयपूर्व-प्रसव होने की आशंका बढ़ जाती है, तथा कूल्हों के खिसकने एवं श्वास की बीमारी की भी संभावना रहती है। बार-बार अल्ट्रासाउंड कराने से शिशु के वजन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। (देहली मिड डे दिनांकः 17-12-1993)


🚩असुरक्षित तरीके से गर्भपात कराने से प्रतिवर्ष 70,000 महिलाओं की मृत्यु होती है।


🚩गर्भपात निरीह जीव की हत्या है, महान पाप है, ब्रह्महत्या और गौहत्या से भी बड़ा पाप है। देश के साथ गद्दारी है। नियम लें और लिवायें कि गर्भपात नहीं करवायेंगे-स्वामी रामसुखदासजी महाराज


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

वटसावित्री-व्रत इस व्रत का रहस्य जान लेंगे तो आप भी व्रत किया बिना नही रह पायेंगे,जानिए....

2 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩वर्ष में दो बार वट सावित्री व्रत रखा जाता है, पहला ज्येष्ठ अमावस्या और दूसरा ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन। दोनों व्रत में पूजा-पाठ करने का विधान, कथा, नियम और महत्व एक जैसे ही होते हैं। महाराष्ट्र, गुजरात और मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है।

 

🚩पतिके सुख-दुःखमें सहभागी होना, उसे संकटसे बचानेके लिए प्रत्यक्ष ‘काल’को भी चुनौती देनेकी सिद्धता रखना, उसका साथ न छोडना एवं दोनोंका जीवन सफल बनाना, ये स्त्रीके महत्त्वपूर्ण गुण हैं । 

 

🚩सावित्रीमें ये सभी गुण थे । सावित्री अत्यंत तेजस्वी तथा दृढनिश्चयी थीं । आत्मविश्वास एवं उचित निर्णयक्षमता भी उनमें थी । राजकन्या होते हुए भी सावित्रीने दरिद्र एवं अल्पायु सत्यवानको पतिके रूपमें अपनाया था; तथा उनकी मृत्यु होनेपर यमराजसे शास्त्रचर्चा कर उन्होंने अपने पतिके लिए जीवनदान प्राप्त किया था । जीवनमें यशस्वी होनेके लिए सावित्रीके समान सभी सद्गुणोंको आत्मसात करना ही वास्तविक अर्थोंमें वटसावित्री व्रतका पालन करना है ।

 

🚩वृक्षों में भी भगवदीय चेतना का वास है, ऐसा दिव्य ज्ञान वृक्षोपासना का आधार है । इस उपासना ने स्वास्थ्य, प्रसन्नता, सुख-समृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति एवं पर्यावरण संरक्षण में बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है ।

 


🚩वातावरण में विद्यमान हानिकारक तत्त्वों को नष्ट कर वातावरण को शुद्ध करने में वटवृक्ष का विशेष महत्त्व है । वटवृक्ष के नीचे का छायादार स्थल एकाग्र मन से जप, ध्यान व उपासना के लिए प्राचीन काल से साधकों एवं महापुरुषों का प्रिय स्थल रहा है । यह दीर्घ काल तक अक्षय भी बना रहता है । इसी कारण दीर्घायु, अक्षय सौभाग्य, जीवन में स्थिरता तथा निरन्तर अभ्युदय की प्राप्ति के लिए इसकी आराधना की जाती है ।

 

🚩वटवृक्ष के दर्शन, स्पर्श तथा सेवा से पाप दूर होते हैं; दुःख, समस्याएँ तथा रोग जाते रहते हैं । अतः इस वृक्ष को रोपने से अक्षय पुण्य-संचय होता है । वैशाख आदि पुण्यमासों में इस वृक्ष की जड़ में जल देने से पापों का नाश होता है एवं नाना प्रकार की सुख-सम्पदा प्राप्त होती है । 


🚩इसी वटवृक्ष के नीचे सती सावित्री ने अपने पातिव्रत्य के बल से यमराज से अपने मृत पति को पुनः जीवित करवा लिया था । तबसे ‘वट-सावित्री’ नामक व्रत मनाया जाने लगा । इस दिन महिलाएँ अपने अखण्ड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए व्रत करती हैं।

व्रत-कथा :-

 

🚩सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री थी । द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से उसका विवाह हुआ था । विवाह से पहले देवर्षि नारदजी ने कहा था कि सत्यवान केवल वर्ष भर जीयेगा । किंतु सत्यवान को एक बार मन से पति स्वीकार कर लेने के बाद दृढ़व्रता सावित्री ने अपना निर्णय नहीं बदला और एक वर्ष तक पातिव्रत्य धर्म में पूर्णतया तत्पर रहकर अंधेे सास-ससुर और अल्पायु पति की प्रेम के साथ सेवा की । वर्ष-समाप्ति  के  दिन  सत्यवान  और  सावित्री समिधा लेने के लिए वन में गये थे । वहाँ एक विषधर सर्प ने सत्यवान को डँस लिया । वह बेहोश  होकर  गिर  गया । यमराज आये और सत्यवान के सूक्ष्म शरीर को ले जाने लगे । तब सावित्री भी अपने पातिव्रत के बल से उनके पीछे-पीछे जाने लगी । 

 

🚩यमराज द्वारा उसे वापस जाने के लिए कहने पर सावित्री बोली :

‘‘जहाँ जो मेरे पति को ले जाय या जहाँ मेरा पति स्वयं जाय, मैं भी वहाँ जाऊँ यह सनातन धर्म है । तप, गुरुभक्ति, पतिप्रेम और आपकी कृपा से मैं कहीं रुक नहीं सकती । तत्त्व को जाननेवाले विद्वानों ने सात स्थानों पर मित्रता कही है । मैं उस मैत्री को दृष्टि में रखकर कुछ कहती हूँ, सुनिये । लोलुप व्यक्ति वन में रहकर धर्म का आचरण नहीं कर सकते और न ब्रह्मचारी या संन्यासी ही हो सकते हैं । 

 

🚩विज्ञान (आत्मज्ञान के अनुभव) के लिए धर्म को कारण कहा करते हैं, इस कारण संतजन धर्म को ही प्रधान मानते हैं । संतजनों के माने हुए एक ही धर्म से हम दोनों श्रेय मार्ग को पा गये हैं ।’’

 

🚩सावित्री के वचनों से प्रसन्न हुए यमराज से सावित्री ने अपने ससुर के अंधत्व-निवारण व बल-तेज की प्राप्ति का वर पाया । 

 

🚩सावित्री बोली : ‘‘संतजनों के सान्निध्य की सभी इच्छा किया करते हैं । संतजनों का साथ निष्फल नहीं होता, इस कारण सदैव संतजनों का संग करना चाहिए ।’’

 

🚩यमराज : ‘‘तुम्हारा वचन मेरे मन के अनुकूल, बुद्धि और बल वर्धक तथा हितकारी है । पति के जीवन के सिवा कोई वर माँग ले ।’’🚩सावित्री ने श्वशुर के छीने हुए राज्य को वापस पाने का वर पा लिया ।

 

🚩सावित्री : ‘‘आपने प्रजा को नियम में बाँध रखा है, इस कारण आपको यम कहते हैं । आप मेरी बात सुनें । मन-वाणी-अन्तःकरण से किसीके साथ वैर न करना, दान देना, आग्रह का त्याग करना – यह संतजनों का सनातन धर्म है । संतजन वैरियों पर भी दया करते देखे जाते हैं ।’’

 

🚩यमराज बोले : ‘‘जैसे प्यासे को पानी, उसी तरह तुम्हारे वचन मुझे लगते हैं । पति के जीवन के सिवाय दूसरा कुछ माँग ले ।’’

 

🚩सावित्री ने अपने निपूत पिता के सौ औरस कुलवर्धक पुत्र हों ऐसा वर पा लिया ।

 

🚩सावित्री बोली : ‘‘चलते-चलते मुझे कुछ बात याद आ गयी है, उसे भी सुन लीजिये । आप आदित्य के प्रतापी पुत्र हैं, इस कारण आपको विद्वान पुरुष ‘वैवस्वत’ कहते हैं । आपका बर्ताव प्रजा के साथ समान भाव से है, इस कारण आपको ‘धर्मराज’ कहते हैं । मनुष्य को अपने पर भी उतना विश्वास नहीं होता जितना संतजनों में हुआ करता है । इस कारण संतजनों पर सबका प्रेम होता है ।’’ 


🚩यमराज बोले : ‘‘जो तुमने सुनाया है ऐसा मैंने कभी नहीं सुना ।’’

प्रसन्न यमराज से सावित्री ने वर के रूप में सत्यवान से ही बल-वीर्यशाली सौ औरस पुत्रों की प्राप्ति का वर प्राप्त किया । फिर बोली : ‘‘संतजनों की वृत्ति सदा धर्म में ही रहती है । संत ही सत्य से सूर्य को चला रहे हैं, तप से पृथ्वी को धारण कर रहे हैं । संत ही भूत-भविष्य की गति हैं । संतजन दूसरे पर उपकार करते हुए प्रत्युपकार की अपेक्षा नहीं रखते । उनकी कृपा कभी व्यर्थ नहीं जाती, न उनके साथ में धन ही नष्ट होता है, न मान ही जाता है । ये बातें संतजनों में सदा रहती हैं, इस कारण वे रक्षक होते हैं ।’’

 

🚩यमराज बोले : ‘‘ज्यों-ज्यों तू मेरे मन को अच्छे लगनेवाले अर्थयुक्त सुन्दर धर्मानुकूल वचन बोलती है, त्यों-त्यों मेरी तुझमें अधिकाधिक भक्ति होती जाती है । अतः हे पतिव्रते और वर माँग ।’’ 

 

🚩सावित्री बोली : ‘‘मैंने आपसे पुत्र दाम्पत्य योग के बिना नहीं माँगे हैं, न मैंने यही माँगा है कि किसी दूसरी रीति से पुत्र हो जायें । इस कारण आप मुझे यही वरदान दें कि मेरा पति जीवित हो जाय क्योंकि पति के बिना मैं मरी हुई हूँ । पति के बिना मैं सुख, स्वर्ग, श्री और जीवन कुछ भी नहीं चाहती । आपने मुझे सौ पुत्रों का वर दिया है व आप ही मेरे पति का हरण कर रहे हैं, तब आपके वचन कैसे सत्य होंगे ? मैं वर माँगती हूँ कि सत्यवान जीवित हो जायें । इनके जीवित होने पर आपके ही वचन सत्य होंगे ।’’

 

🚩यमराज ने परम प्रसन्न होकर ‘ऐसा ही हो’ यह  कह  के  सत्यवान  को  मृत्युपाश  से  मुक्त कर दिया ।

 

🚩व्रत-विधि :-

 

🚩इसमें वटवृक्ष की पूजा की जाती है । विशेषकर सौभाग्यवती महिलाएँ श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक अथवा कृष्ण त्रयोदशी से अमावास्या तक तीनों दिन अथवा मात्र अंतिम दिन व्रत-उपवास रखती हैं । यह कल्याणकारक  व्रत  विधवा,  सधवा,  बालिका, वृद्धा, सपुत्रा, अपुत्रा सभी स्त्रियों को करना चाहिए ऐसा ‘स्कंद पुराण’ में आता है । 

 

🚩प्रथम दिन संकल्प करें कि ‘मैं मेरे पति और पुत्रों की आयु, आरोग्य व सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए एवं जन्म-जन्म में सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट-सावित्री व्रत करती हूँ ।’

वट के  समीप भगवान ब्रह्माजी,  उनकी अर्धांगिनी सावित्री देवी तथा सत्यवान व सती सावित्री के साथ यमराज का पूजन कर ‘नमो वैवस्वताय’ इस मंत्र को जपते हुए वट की परिक्रमा करें । इस समय वट को 108 बार या यथाशक्ति सूत का धागा लपेटें । फिर निम्न मंत्र से सावित्री को अर्घ्य दें ।

 

🚩अवैधव्यं च  सौभाग्यं देहि  त्वं मम  सुव्रते । पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ।।

निम्न श्लोक से वटवृक्ष की प्रार्थना कर गंध, फूल, अक्षत से उसका पूजन करें । 

वट  सिंचामि  ते  मूलं सलिलैरमृतोपमैः । यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले ।

तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मां सदा ।। 

 

🚩भारतीय संस्कृति वृक्षों  में  भी  छुपी  हुई भगवद्सत्ता का ज्ञान करानेवाली, ईश्वर  की सर्वश्रेष्ठ कृति- मानव के जीवन में आनन्द, उल्लास एवं चैतन्यता भरनेवाली है । (स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका से)


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ