Friday, June 30, 2023

कैमरा के सामने हत्या फिर भी कन्हैया लाल और उमेश कोल्हे के हत्यारों को साल भर बाद भी सजा नहीं

30 June 2023

http://azaadbharat.org



🚩कन्हैया लाल तेली की हत्या को 1 वर्ष पूरे हो चुके हैं। अब तक हत्यारों को सज़ा नहीं हो पाई है। फिर जिन्होंने हत्यारों को पनाह दी या उन्हें संसाधन दिए, उन्हें सज़ा की बात तो भूल ही जाइए। हम उस देश में रहते हैं, जहाँ एक ऐसे व्यक्ति को सज़ा देने में 4 साल लग गए। जो आतंकी 166 लोगों का खून बहाने में शामिल था, वो 4 साल तक भारत के जेल में बैठ कर अपनी मनपसंद किताबें पढ़ता रहा और मुँहमाँगे भोजन का आनंद उठाता रहा।


🚩ठीक इसी तरह, कन्हैया लाल के हत्यारों को सज़ा अब तक नहीं मिल पाई है। बेटा नंगे पाँव है तो क्या हुआ, अस्थियाँ अब तक विसर्जन की बाट जोह रही हैं तो क्या हुआ, विधवा पत्नी दिन भर अपने पति की सिलाई मशीन को निहारती रहती है तो क्या हुआ, पुलिसकर्मियों की मर्जी के बिना परिजन चाय पीने तक बाहर नहीं जा सकते तो क्या हुआ, उदयपुर के मालदास स्ट्रीट बाजार का पूरा धंधा ही मंदा पड़ गया तो क्या हुआ, अपराधियों को अब तक सज़ा नहीं मिल पाई।


🚩कैमरे पर हत्या, वीडियो में लहराए हथियार, अब तक सज़ा नहीं


🚩कैमरे पर पूरे देश ने देखा कि कैसे कन्हैया लाल तेली का गला काटा गया। पूरे देश ने ये भी देखा कि कैसे हत्यारों ने हँसते हुए वीडियो बनाया और हथियार लहरा कर अपने कारनामे पर गौरव का इजहार किया। कैमरे में सब कुछ कैद होने के बावजूद अब तक हत्यारों को सज़ा न मिलना क्या ऐसे तत्वों को प्रोत्साहित नहीं करता? कैमरे के सामने ‘सर तन से जुदा’ करने वाले भी जब जेल में ऐश करते रहेंगे, तो क्या इससे उनकी कट्टर विचारधारा से प्रेरित होने वालों की संख्या नहीं बढ़ेगी?


🚩इस घटना में तीसरा किरदार था निजाम का। निजाम पड़ोसी था कन्हैया लाल तेली का। नूपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण उसने कन्हैया लाल पर FIR दर्ज करा दी थी। इसके बाद कॉन्ग्रेस शासित राजस्थान की पुलिस ने कन्हैया लाल तेली को जेल में बंद कर दिया। जेल से निकलने के बाद पुलिस ने दोनों में तथाकथित सुलह करवाई। इसी निजाम ने कन्हैया लाल की रेकी की और हत्यारों को उनके बारे में सूचित किया।


🚩उमेश कोल्हे के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। राजस्थान के उदयपुर की तरह ही महाराष्ट्र के अमरावती में भी ‘सर तन से जुदा’ की घटना हुई थी। केमिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या करने वालों में उनका 16 वर्षों का दोस्त युसूफ खान का मुख्य हाथ था। युसूफ ने उमेश कोल्हे का पोस्ट इस्लामी कट्टरपंथियों के व्हाट्सएप्प ग्रुप में फॉरवर्ड कर दिया। इसका सीधा अर्थ है कि वो आपके पड़ोसी हों या दोस्त, उनके मजहब की कट्टरता का उनके लिए पहला स्थान है।


🚩व्यवस्था की सुस्ती तो हमने देख ली, अब व्यवस्था की सुषुप्तावस्था का उदाहरण देख लीजिए। मोहम्मद जुबैर – ये एक कुख्यात नाम है। वही AltNews वाला मोहम्मद जुबैर, जिसका दिन भर का काम ही है इस्लामी कट्टरपंथियों और पाकिस्तान का बचाव करना। उसका काम है कि लोगों को बताना कि तुमने क्रॉप्ड वीडियो शेयर किया है, तुमने बातों को ठीक से नहीं समझा, तुमने वीडियो के बाद या पहले वाला हिस्सा नहीं देखा, तुमने पुराना वीडियो शेयर किया।


🚩इस ‘डिजिटल जिहादी’ की हिम्मत तो देखिए कि जब नूपुर शर्मा ने पूरा वीडियो डालने की चुनौती दी, तब ये जोकर वाले इमोजी लगा कर उन्हें चिढ़ाता रहा। जब नूपुर शर्मा हत्या की धमकियों को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रही थीं, तब ये खुद को पत्रकार बताते हुए उन्हें चिढ़ा रहा था। उन्हें ‘गुस्ताख़-ए-रसूल’ बताए जाने वाले ट्वीट्स को आगे बढ़ाता रहा। वो नूपुर शर्मा की बर्बादी की व्यवस्था कर के इसी के नाम पर अपने फॉलोवर्स से AltNews के लिए पैसे जुटाता रहा।


🚩‘डिजिटल जिहादी’ मोहम्मद जुबैर, जिसने शेयर किया क्रॉप्ड वीडियो


🚩जबकि सच्चाई ये है कि मोहम्मद जुबैर वही व्यक्ति है जिसने नूपुर शर्मा का एडिटेड वीडियो शेयर किया था। एक डिबेट में उन्होंने इस्लामी पुस्तक से उद्धरण भर दिया था, अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा था। क्यों उद्धरण दिया था? क्योंकि सामने ‘मुस्लिम स्कॉलर’ बना कर मीडिया चैनल द्वारा बैठाया गया तस्लीम रहमानी बार-बार भगवान शिव का अपमान कर रहा था। काशी विश्वनाथ विध्वंस का मजाक बना रहा था। शिवलिंग पर पाँव धोने वाले अपने मजहब के साथियों का साथ दे रहा था।


🚩नूपुर शर्मा ने जवाब में सिर्फ बताया कि उसके मजहब की एक किताब में क्या लिखा हुआ है। ‘डिजिटल जिहादी’ मोहम्मद जुबैर ने नूपुर शर्मा का क्रॉप्ड वीडियो शेयर किया, फिर अपने गिरोह के साथ मिल कर क़तर जैसे इस्लामी मुल्कों को टैग करने लगा। देश भर में एक महिला के खिलाफ ‘सर तन से जुदा’ गिरोह नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतरा। कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे की हत्या कर दी गई। और नूपुर शर्मा? उन्हें घर में कैद होने को मजबूर होना पड़ा।

🚩इस प्रकरण के बाद से फिर नूपुर शर्मा को किसी डिबेट में नहीं देखा गया, किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं देखा गया और न ही उनका राजनीतिक करियर आगे बढ़ पाया। नूपुर शर्मा का जीवन अब भी खतरे में है। और तस्लीम रहमानी? वो इस घटना के बाद भी बेधड़क टीवी डिबेट्स में बुलाया जाता रहा। उसका रवैया वैसा ही रहा। इस्लामी कट्टरपंथ वाला प्रोपेगंडा फैलाने में उसने कहीं कोई कमी नहीं की। उसके लिए जीवन और आसान हो गया।


🚩पिछले 1 वर्ष में नूपुर शर्मा और तस्लीम रहमानी के जीवन का जो अंतर है न, वही मोहम्मद जुबैर जैसे ‘डिजिटल जिहादियों’ की सफलता है। कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे के परिवार की आज जो दुर्दशा है न, वही मोहम्मद जुबैर जैसे ‘डिजिटल जिहादियों’ का सुकून है। कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे के हत्यारों को तक सज़ा नहीं मिली है न, वही मोहम्मद जुबैर जैसे ‘डिजिटल जिहादियों’ का उत्साहवर्धन है। इस पूरे प्रकरण को जन्म देने वाला मोहम्मद जुबैर एक ‘डिजिटल जिहादी’ है।


🚩तस्लीम रहमानी आज ईद-बकरीद दोगुनी ख़ुशी से मना रहा है, नूपुर शर्मा के लिए होली-दीवाली सब उदास रहा। तस्लीम रहमानी अबकी बकरीद पर भी इस्लामी कट्टरपंथियों का बचाव करता हुआ घूम रहा है, नूपुर शर्मा के लिए अगली दीवाली पर त्योहार की बधाई या शुभकामना सन्देश देना भी आफत है। एक तस्लीम रहमानी ऐसी कई नूपुर शर्माओं के जीवन को तबाह करने की क्षमता रखता है, क्योंकि उसके साथ एक ‘डिजिटल जिहादी’ है।


🚩आज कन्हैया लाल तेली एक पोटली में बंद हैं, मोहम्मद जुबैर ‘डिजिटल जिहाद’ में दोगुने जोश के साथ लगा हुआ है। व्यवस्था की सुषुप्तावस्था देखिए कि जब जम्मू कश्मीर में एक मस्जिद से ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगे, तब इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और इस्लामी कट्टरपंथियों को इसे वास्तविकता में तब्दील करने में समय नहीं लगा। जब मुस्लिम भीड़ जम्मू के डोडा के भद्रवाह स्थित मस्जिद में इकट्ठी होकर कह रही थी कि अजान या नमाज का विरोध करने वालों को मार डाला जाएगा, उस समय क्या कार्रवाई हुई?


🚩कहीं मस्जिद में नारे, कहीं पुतला टाँगा: सोई रही व्यवस्था


🚩उस मस्जिद में इकट्ठी हुई भीड़ ने जब नारा लगाया कि नूपुर शर्मा का सिर कहीं और फेंका हुआ मिलेगा और धड़ कहीं और, तब उनमें से कितनों को पकड़ कर जेल की सलाखों के पीछे डाला गया? जब वो ललकार रहे थे कि ‘गाय का पेशाब पीने वालों की हैसियत क्या है’, तब कानून ने उन्हें इसके लिए एक बार फटकार तक भी लगाई? अरे, वहाँ मौजूद लोग तो उलटा कह रहे थे कि प्रशासन उनका साथ देता है, आशा है आगे भी ऐसे ही साथ देता रहेगा।


🚩जब कर्नाटक के बेलगावी में नूपुर शर्मा के पुतले को फाँसी के फंदे पर टाँग दिया गया, तब कितने लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई? हत्या की धमकियों और रिहर्सल पर अगर व्यवस्था चुप रहेगी तो हत्या को कैसे रोका जा सकता है? एक महिला का पुतला बना कर लोगों में खौफ पैदा करने के लिए बीच सड़क पर टाँग दिया जाता है, कहीं कोई हलचल नहीं होती। यही कारण है कि एक के बाद एक हत्याएँ होती हैं और हत्यारों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता।


🚩जले पर नमक छिड़कते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज टिप्पणी करते हैं कि नूपुर शर्मा के कारण पूरे देश में आग लगी हुई है और उन्हें राहत देने से इनकार कर देते हैं। सोचिए, इससे उन आतंकियों का मनोबल कितना बढ़ा होगा। न्यायपालिका ने कभी मोहम्मद जुबैर से पूछा कि उसने एडिटेड वीडियो क्यों शेयर किया? भारत के आंतरिक मामले में बाह्य हस्तक्षेप की माँग क्यों की? तस्लीम रहमानी ने क्या बोला था, ये क्यों छिपाया? नूपुर शर्मा ने जो कहा था, वो सच में किताब में लिखा है या नहीं?


🚩‘डिजिटल जिहादी’ ने इसका फैक्ट-चेक करने की जहमत नहीं उठाई, क्योंकि ये उनके एजेंडे में था ही नहीं। लेकिन, न्यायपालिका कहाँ थी? नूपुर शर्मा को डाँटने-फटकारने वाली ये न्यायपालिका आज तक कैमरे के सामने हत्या करने वालों को सज़ा नहीं दे पाई, तो भविष्य में भला इनसे हम क्या उम्मीद रखें। मोहम्मद जुबैर द्वारा क्रॉप्ड वीडियो शेयर किया जाना, जम्मू के मस्जिद में नारा लगना और नूपुर शर्मा का पुतला टाँगा जाना – ये हत्याएँ तो तभी हो गई थीं क्योंकि ऐसा करने वालों को व्यवस्था की सुषुप्तावस्था पर पूरा यकीन था।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, June 29, 2023

होली-दीवाली पर ‘ज्ञान’, बकरीद पर निरीह पशुओं को काटने वाले ‘मोहब्बत की दुकान’.....

29 June 2023

http://azaadbharat.org

🚩मुंबई के मीरा रोड पर मोहसिन खान के सोसायटी में बकरा लाने पर हुआ विवाद बकरीद से पहले खूब तूल पकड़ा। इस बीच दिल की तसल्ली के लिए जानवर के कितने टुकड़े काटकर बकरीद पर खाएँगे इसका एक नया ट्रेंड भी इस दिन सोशल मीडिया पर देखने को मिला। खुद को पत्रकार बताने वाली काविश अजीज ने सोशल मीडिया पर उस समय अपनी भड़ास निकाली जब एक अन्य पत्रकार सिर्फ ये अपील कर रहे थे कि मजहब के नाम पर जानवरों को न काटा जाए।


🚩काविश ने इतनी सी बात पर एक भारी भरकम बकरे के साथ अपनी तस्वीर डाली और लिखा, “ये ट्विटर है तुम्हारे बाप का बगीचा नहीं जो कुछ भी लिख कर चले जाओगे और सुनो बकरा हमारा, त्योहार हमारा, कुर्बानी देंगे, कीमा कलेजी, कबाब, बिरयानी खाएँगे हम, मगर जलेगी तुम्हारी….”


🚩अब कोई शाकाहारी व्यक्ति इस पोस्ट को अचानक पढ़े तो शायद उसे ऐसी भाषा पढ़ते ही उलटी हो या फिर पत्रकार से ही हमेशा के लिए घिन्न हो जाए… क्योंकि इस पोस्ट को देखकर यही पता नहीं चल रहा कि बकरा दिखाकर त्योहार मनाने की बात हो रही है या त्योहार के नाम पर जो उसका कत्ल किया जाना है उसकी उत्सुकता जाहिर हो रही है। 


🚩ऐसा पोस्ट लिखने वाली पत्रकार अच्छे से जानती होंगी कि उन्होंने लिखा क्या है। उन्हें पता है कुर्बानी का अर्थ कोई केक कटिंग जैसा नहीं है। उसमें बाकायदा एक जीव का गला रेतकर उसकी खाल को नोचा जाता है। उसके माँस के धारदार चाकू से टुकड़े होते हैं, उसमें जो खून लगा होता है उसे धो-पोंछकर ही वो कीमा कलेजी, कबाब, बिरयानी बनता है जिसे खाने के लिए काविश की लार टपक रही है।


🚩काविश मानती हैं कि उनका ये जवाब सिर्फ हेटर्स के लिए है जिसे देकर उनके दिल को सुकून मिल रहा है। वो मजहब के नाम पर इतना अंधी हो गईं हैं कि वो ये नहीं समझ पा रहीं सामने वाला उनसे क्या अपील कर रहा है। अभय प्रताप सिंह ने सिर्फ इतना ही तो लिखा – बकरीद आने वाली है। खून बहाया जाएगा, बेजुबान काटे जाएँगे। हमें ये सब बंद करना होगा। मजहब के नाम पर जानवरों का कत्लेआम सही नहीं है। आओ बकरों को बचाएँ… बकरा फ्री ईद मनाएँ…केक का बकरा काटकर ईको फ्रेंडली ईद मनाएँ।


🚩बताइए इस पूरे पोस्ट में गलत क्या है। क्या इससे पहले दिवाली-होली पर आपने ऐसी चिंताएँ नहीं देखीं। होली पर जब कहा जाता है कि सैंकड़ो लीटर पानी बर्बाद होगा, दिवाली पर तर्क दिया जाता है कि प्रदूषण बढ़ेगा तब क्या कोई आपको बकरीद पर ये नहीं समझा सकता कि ये एक हिंसात्मक प्रक्रिया है और त्योहार के नाम पर इसे बढ़ावा देना गलत है। इस अपील को मानने की बजाय उसपर ढिठाई दिखाई जा रही है कि हम खाएँगे जो मन हो कर लो।


🚩बकरीद पर कुर्बानी न देने की अपील सिर्फ इसलिए है ताकि त्योहार के नाम पर सालों से चली आ रही हिंसात्मक प्रक्रिया पर विराम लगे और समाज में सकारात्मक संदेश जाए कि बिन हिंसा भी त्योहार मनते हैं उसके लिए जीव हत्या जरूरी नहीं।


🚩लेकिन, पत्रकार काविश अकेली नहीं हैं जिन्हें ये सुनकर गुस्सा आता है कि वो आखिर क्यों कोई उन लोगों से ये कह रहा है कि त्योहार पर बकरा न काटें जाए। इस लिस्ट में आरजे सायमा बहुत पुराना नाम हैं। वह हर साल जब एक अभियान को चलता देखती हैं कि कैसे बकरा काटने से मना किया जा रहा है तो उन्हें दुख होता है। एक बार उन्होंने इस अपील को बेहद शर्मनाक बताया था।


🚩उन्होंने कहा था, ”ये बहुत शर्मनाक है कि आप एक समुदाय को उनका त्योहार शांति, खुशी और उल्लास के साथ मनाने देना नहीं चाहते। मैं इसको कोई तूल नहीं देती। ये मजाक तुम पर नहीं है। तुम ही मजाक हो।”


🚩आज वो सायमा राहुल गाँधी के ईद मुबारक पर लिख रही हैं कि मोहब्बत की दुकान आबाद रहे। ईद के मौके पर मोहब्बत की दुकान कौन सी है ये समझना मुश्किल है। क्या ये वो दुकानें हैं जहाँ बेजुबान पशुओं को काटा जाता है और अगर कोई ऐसा करने से रोके तो उसे असहिष्णु कह दिया जाता है कि एक समुदाय को उसका त्योहार मनाने से मना कर रहे हैं। अगर नहीं, तो फिर आरजे सायमा को उन लोगों से दिक्कत क्यों होती रही है जो बकरीद पर कुर्बानी न देने की अपील करते हैं।


🚩बीते समय में जाइए और याद करिए कि मुस्लिमों के कौन से त्योहार को कभी मनाने से रोका गया है! सिर्फ एक बकरीद ऐसा त्योहार है जिसे कोई मनाने से मना नहीं कर रहा सिर्फ उसका तरीका बदलने को कह रहा है।


🚩सोचिए, मोहसिन को सोसायटी में बकरा नहीं लाने दिया गया तो उसपर इतना हंगामा हो गया। लेकिन आपको नहीं लगता ये सब अनुमति के साथ होना चाहिए। हो सकता है बकरे की कुर्बानी आपके लिए एक सामान्य प्रक्रिया हो लेकिन किसी के लिए ये झकझोरने वाले दृश्य भी हो सकते हैं। हो सकता है मोहसिन उसकी कुर्बानी सोसायटी से बाहर देता लेकिन कुर्बानी के उद्देश्य से उसे घर पर लाना क्या किसी को प्रभावित नहीं कर सकता?

🚩सोसायटी में कितने लोग रहते हैं, किस धर्म के हैं, कुर्बानी के लिए उनकी अनुमति है या नहीं ये सब मैटर करता है। मोहब्बत की दुकान आबाद तभी नहीं रहेगी जब बकरे का खून बहेगा और वो गोश्त बनकर घर-घर बँटेगा। मोब्बत की दुकान तब भी आबाद रह सकती है जब आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से मजबूत कौम के लोग के सालों से चली आ रही हिंसात्मक प्रक्रिया को बदलें या उसे बदलने का प्रयास करें। - जयन्ती मिश्रा


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ



Wednesday, June 28, 2023

सनातनी वैवाहिक व्यवस्था और अंग्रेजी कानून

28 June 2023

http://azaadbharat.org

🚩अंग्रेजों का यह चरण शुरू होता है 1941 में....


🚩आजादी से भी लगभग 6 वर्ष पूर्व सन 1941 में अंग्रेजों ने भारत के ही एक और महान सपूत #मैकाले_शिक्षा_जनित अपने एक सिविल सर्वेंट "Sir" #बी_एन_राव को पकड़ा और उससे कहा कि वह भारत के इन हिन्दुओं के लिए ऐसा कानून लिखे कि इनकी अर्धनारीश्वर की इस गौरवमयी प्रतिमा का गुरुर टूट जाये और यह प्रतिमा छिन्न छिन्न हो जाये। पुरुष और स्त्री एक दूसरे को पूरक नहीं, प्रतिद्वंदी समझने लगें।।  इनकी स्त्रियाँ पतितपथ गामिनी, व्यभिचारिणी हो जाएँ और इनके पुरुष अपनी स्त्रियों की आन बान और शान के लिए सिर तो क्या, सिर का एक बाल तक ना कटवाएं और सनातनी वैवाहिक व्यवस्था जो सात सात जन्मों तक वैवाहिक बन्धन की पवित्रता की बात करती है, एक जन्म भी इस बंधन को न निभा पाए। समाज में तलाक होने लगे, परिवार टूट जाए, परिवारों के बच्चे बिखर जाएँ, और स्त्री और पुरुष एक दूसरे को अपना दुश्मन समझने लगें।


🚩देश के सुपूत बी एन राव अंग्रेजों के दिए हुए इस पवित्र कार्य में लग गये।


🚩उन्होंने पाया कि इस महान किताब का पहला पाठ तो उनके जैसे ही मैकाले शिक्षा पुत्र देशमुख नाम के एक अन्य अंग्रेज भक्त 1937 में लिख ही चुके हैं। जिसको उन्होंने नाम दिया था Hindu Women's Rights to Property Act (Deshmukh Act 1937). इस एक्ट के द्वारा हिन्दू औरतों को पॉवर देने की बात कहकर भारतीय सनातनी परिवारों में पहली दरार तो खींची ही जा चुकी थी...!!


🚩फिर क्या था, इसी पाठ को आगे बढ़ाते हुए मैकाले शिक्षा पुत्र बी एन राव ने इस किताब में अगला अध्याय जोड़ दिया कि हिन्दू पति पत्नी चाहें तो एक दूसरे से अलग अलग भी रह सकते हैं। इस अध्याय में प्रावधान दिया गया कि हिन्दू औरत और पुरुष जब चाहे कुछ कुछ कारण बताकर एक दूसरे से अलग अलग रहे और स्त्री अपने लिए #पुरुष_से_मेंटेनेंस_की_मांग करे, जो उसको पुरुष से दिलवाया जायेगा।


🚩इन सबको पता था कि पति से कारण-अकारण अलग रह कर पति से ही मेंटेनेंस लेकर अलग रह रही नारी और नारी से विलग हुआ विरही पुरुष अपने आप टूट जायेंगे, उनके #बच्चे_बिखर_जायेंगे और भारत के आचार विचार तो क्या चरित्र तक का अपने आप हनन होता चला जायेगा...!! यही तो चाहते थे कुटिल अंग्रेज।


🚩बी एन राव की यह किताब 1941 से 1947 तक लिखी जाती रही। और इस किताब का नाम दिया "हिन्दू कोड बिल"


🚩वर्ष 1947 में इस कुटिल किताब में एक और कुटिल अध्याय जोड़ा गया "तलाक" के अधिकार का। और यही से सनातन धर्म के सात-सात जन्मो के वैवाहिक बंधन के विचार को नष्ट करने का सबसे कुटिल अध्याय शुरू हो गया और फिर वर्ष 1947 में ही इस कुटिल किताब में एक अंतिम अध्याय जोडा गया जिसके प्रावधानों के अनुसार सनातन धर्म के मजबूत स्तम्भ "सयुंक्त परिवार" अर्थात जॉइंट फॅमिली एवं प्रॉपर्टी सिस्टम को ख़त्म करने का प्रावधान हिन्दुओं को दे दिए जाने की बात कही गयी।


🚩इस अध्याय में कहा गया कि पिता की संपत्ति में पुत्र के साथ-साथ पुत्री का भी अधिकार होगा। भारत की नारियों को इस प्रकार के प्रावधान बहुत लुभावने से लगने वाले थे, किन्तु इसी में तो अंग्रेजों की कुटिल नीति छिपी हुई थी..जो देश आज तक न समझ पाया.....!!


🚩"हिन्दू कोड बिल" का आखिरी पन्ना 1947 में लिख कर तैयार हो गया।


🚩कितना खास होगा वह पन्ना...!! शायद इसी पन्ने के इंतज़ार में अंग्रेज अब तक भारत से चिपके बैठे थे और जैसे ही 1947 में इस बिल का आखिरी पन्ना लिखा गया, अंग्रेजो ने देश को छोड़ने की घोषणा कर दी। और जाते-जाते "हिन्दू कोड बिल" की यह कुटिल किताब अपने प्रिय, #मैकाले_शिक्षा_पुत्र श्री #जवाहर_लाल_नेहरु को देना नहीं भूले... शायद इस आदेश के साथ, कि प्रधानमंत्री तुम बन जाओगे, वह हम पर छोड़ दो, किन्तु प्रधानमंत्री बनते ही सबसे पहला कार्य जो तुमको करना होगा वह होगा इस "हिन्दू कोड बिल" को पूरे भारत के हिन्दुओं पर लागू करना।


🚩अंग्रेजों और नेहरु के बीच इसको लेकर और क्या-क्या कुटिल समझौते हुए होंगे, यह तो वो चार दीवारे ही जानती होंगी, जिनमें बैठकर वें खूनी समझौते हुए, किन्तु इतिहास को तो सिर्फ वही पता होता है जो उसने स्वयं देखा, स्वयं पर झेला और स्वयं किसी के खून से लिखा। यह लेख इतिहास के उन्ही पन्नों पर सनातन धर्म के खून से लिखी -अधलिखी कहानी ही तो है....!!


🚩हिन्दू कोड बिल नेहरु को दिया जा चुका था। कितने आश्चर्य की बात है कि औरंगजेबी "फतवा-ए-आलमगीरी" अर्थात "मुस्लिम पर्सनल लॉ" को लेकर अंग्रेजो ने भी कोई नया बिल नही लिखा था। शायद यह भी अंग्रेजों की कोई कुटिल नीति ही थी...जो अब आजादी के सत्तर साल बाद रंग दिखा रही है....


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, June 27, 2023

वायु कितने प्रकार के है ? शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है...!!

27 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩संत तुलसीदास जी कृत रामचरितमानस के सुन्दर कांड में , जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी , उस प्रसंग पर लिखा है |

"हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास

अट्टहास करि गर्जा कपि बढ़ि लाग अकास।।"


🚩अर्थात :- जब हनुमान जी ने लंका को अग्नि के हवाले कर दिया तो, उस समय भगवान की ही प्रेरणा से उनचासों पवन चलने लगे । हनुमान जी अट्टहास करके गर्जे और आकार बढ़ाकर आकाश मार्ग से जाने लगे।


🚩उनचास मरुत का क्या अर्थ है ?

यह तुलसी दास जी ने भी नहीं लिखा। जब समय निकालकर 49 प्रकार की वायु के बारे में जानकारी खोजी । तुलसीदासजी के वायु ज्ञान पर सुखद आश्चर्य हुआ, जिससे शायद आधुनिक मौसम विज्ञान भी अनभिज्ञ है ।

        

🚩यह जानकर आश्चर्य होगा कि वेदों में वायु की 7 शाखाओं के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। अधिकतर लोग यही समझते हैं कि वायु तो एक ही प्रकार की होती है, लेकिन उसका रूप बदलता रहता है, जैसे कि ठंडी वायु, गर्म वायु और समवायु, लेकिन ऐसा नहीं है। 


🚩जल के भीतर जो वायु है उसका शास्त्रों में अलग नाम दिया गया है और आकाश में स्थित जो वायु है उसका नाम अलग है। अंतरिक्ष में जो वायु है उसका नाम अलग और पाताल में स्थित वायु का नाम अलग है। नाम अलग होने का मतलब यह कि उसका गुण और व्यवहार भी अलग ही होता है। इस तरह वेदों में 7 प्रकार की वायु का वर्णन मिलता है।


🚩ये 7 प्रकार हैं- 1. प्रवह, 2. आवह, 3. उद्वह, 4. संवह, 5. विवह, 6. परिवह और 7. परावह।

 

🚩1. प्रवह :- पृथ्वी को लांघकर मेघमंडलपर्यंत जो वायु स्थित है, उसका नाम प्रवह है। इस प्रवह के भी प्रकार हैं। यह वायु अत्यंत शक्तिमान है और वही बादलों को इधर-उधर उड़ाकर ले जाती है। धूप तथा गर्मी से उत्पन्न होने वाले मेघों को यह प्रवह वायु ही समुद्र जल से परिपूर्ण करती है जिससे ये मेघ काली घटा के रूप में परिणित हो जाते हैं और अतिशय वर्षा करने वाले होते हैं। 

 

🚩2. आवह :- आवह सूर्यमंडल में बंधी हुई है। उसी के द्वारा ध्रुव से आबद्ध होकर सूर्यमंडल घुमाया जाता है।

 

🚩3. उद्वह :- वायु की तीसरी शाखा का नाम उद्वह है, जो चन्द्रलोक में प्रतिष्ठित है। इसी के द्वारा ध्रुव से संबद्ध होकर यह चन्द्र मंडल घुमाया जाता है। 

 

🚩4. संवह :- वायु की चौथी शाखा का नाम संवह है, जो नक्षत्र मंडल में स्थित है। उसी के द्वारा ध्रुव से आबद्ध होकर संपूर्ण नक्षत्र मंडल घूमता रहता है।

 

🚩5. विवह :- पांचवीं शाखा का नाम विवह है और यह ग्रह मंडल में स्थित है। उसके ही द्वारा यह ग्रह चक्र ध्रुव से संबद्ध होकर घूमता रहता है। 

 

🚩6.परिवह :- वायु की छठी शाखा का नाम परिवह है, जो सप्तर्षिमंडल में स्थित है। इसी के द्वारा ध्रुव से संबद्ध हो सप्तर्षि आकाश में भ्रमण करते हैं।

 

🚩7. परावह :- वायु के सातवें स्कंध का नाम परावह है, जो ध्रुव में आबद्ध है। इसी के द्वारा ध्रुव चक्र तथा अन्यान्य मंडल एक स्थान पर स्थापित रहते हैं।

 

🚩इन सातों वायु के सात-सात गण (संचालन करने वाले) हैं , जो निम्न जगह में विचरण करते हैं-


 🚩ब्रह्मलोक, इंद्रलोक, अंतरिक्ष, भूलोक की पूर्व दिशा, भूलोक की पश्चिम दिशा, भूलोक की उत्तर दिशा और भूलोक कि दक्षिण दिशा। इस तरह  7x7=49, कुल 49 मरुत हो जाते हैं , जो आदि भौतिक देव रूप में विचरण करते रहते हैं।

  

🚩 कितना अद्भुत ज्ञान !!

हम अक्सर रामायण, भगवद् गीता पढ़ तो लेते हैं , परंतु उसका चिन्तन-मनन जो कि बहुत महत्वपूर्ण है , विरले ही कोई कोई करता है।

हमारे वेदों शास्त्रों में लिखी छोटी से छोटी बातों का भी गहन अध्ययन करने पर अनेक गूढ़ एवं ज्ञानवर्धक रहस्यों का ज्ञान निश्चित रूप से प्राप्त होता है ।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, June 26, 2023

इतना समझ लिया तो कभी आपकी बेटी लव जिहाद में नही फसेगी.....

26 June 2023

http://azaadbharat.org



🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे ही गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरता के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुलतान देशभक्त आदि पढ़ा पढ़ा इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई। जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया।


🚩ऐसी हज़ारों दास्तानों में से एक है सिरोंज के महेश्वरी समाज की दास्तान। सिरोंज यह स्थान विदिशा से 50 मील की दूरी पर एक तहसील है। मध्यकाल में इस स्थान का विशेष महत्व था। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ इस बात का प्रमाण है। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है। इसे उषा का मंदिर कहा जाता है। इसी नाम के कारण कुछ लोग इसे बाणासुर की राजधानी श्रोणित नगर के नाम से जानते थे। संभवतः यही शब्द बिगड़कर कालांतर में "सिरोंज' हो गया। नगर के बीच में पहले एक बड़ी हवेली हुआ करती थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है, इसे रावजी की हवेली के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण संभवतः मराठा- आधिपत्य के बाद ही हुआ होगा। ऐसी मान्यता है कि यह मल्हाराव होल्कर के प्रतिनिधि का आवास था।


🚩200 साल पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। अब किया क्या जाये? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कूटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दिया गया कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर महेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया। आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।


🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे। तो कोई हिन्दू लड़की कभी लव जिहाद का शिकार न बने।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

लव जिहाद में नही फसेगी कभी आपकी बेटी इतना समझ लिया तो

 इतना समझ लिया तो कभी आपकी बेटी लव जिहाद में नही फसेगी.....

26 June 2023

🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे ही गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरता के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुलतान देशभक्त आदि पढ़ा पढ़ा इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई। जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया।

🚩ऐसी हज़ारों दास्तानों में से एक है सिरोंज के महेश्वरी समाज की दास्तान। सिरोंज यह स्थान विदिशा से 50 मील की दूरी पर एक तहसील है। मध्यकाल में इस स्थान का विशेष महत्व था। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ इस बात का प्रमाण है। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है। इसे उषा का मंदिर कहा जाता है। इसी नाम के कारण कुछ लोग इसे बाणासुर की राजधानी श्रोणित नगर के नाम से जानते थे। संभवतः यही शब्द बिगड़कर कालांतर में "सिरोंज' हो गया। नगर के बीच में पहले एक बड़ी हवेली हुआ करती थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है, इसे रावजी की हवेली के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण संभवतः मराठा- आधिपत्य के बाद ही हुआ होगा। ऐसी मान्यता है कि यह मल्हाराव होल्कर के प्रतिनिधि का आवास था।




🚩200 साल पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। अब किया क्या जाये? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कूटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दिया गया कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर महेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया। आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।


🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे। तो कोई हिन्दू लड़की कभी लव जिहाद का शिकार न बने।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Sunday, June 25, 2023

अब बच्चें बनेंगे होनहार क्यूँकि पढ़ेगे सही इतिहास सुन्दर बदलाव...

 अब बच्चें बनेंगे होनहार क्यूँकि पढ़ेंगे सही इतिहास...

यूपी बोर्ड सिलेबस में हुआ बड़ा प्रभावी और सुन्दर बदलाव...




24 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩हिन्दुस्थान में अनेकों शूरवीर, बुद्धिमान और साहसी महापुरुष पैदा हुए , जिन्होंने हवाई जहाज से लेकर परमाणु तक की खोजें की , मानव से महेश्वर बनाने की युक्तियां दीं । गृहस्थियों को भी स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला सिखाने के साथ-साथ ईश्वर प्राप्ति ही मानव जीवन का एकमात्र उद्देश्य है यह बताया ।


🚩पर दुर्भाग्य की बात यह है , कि भारत के इतिहास में उन सनातनी महापुरुषों को आजतक कहीं स्थान नहीं दिया गया था । इसके विपरीत क्रूर, लुटेरे, बलात्कारी मुगलों और भारत को गुलामी की ज़जीरों में जकड़ने वाले अंग्रेजों का ही इतिहास पढ़ाया जाता रहा है । 


🚩अब खुशी की बात है , कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों के सिलेबस में बड़ा बदलवा करने का निर्णय लिया है । अब हमारे बच्चों को सही इतिहास पढ़ाया जाएगा । जिससे भारत के बच्चे अपने देश की महिमा और अपने पूर्वजों की महानता से अवगत होंगे और निश्चित रूप से होनहार बनेंगे । ज़ाहिर है अपना गौरवशाली इतिहास पढ़ने और जानने के बाद बच्चे विदेशी संस्कृति के आकर्षण और विधर्मियों की कूटनीतिक चालों में कदापि नहीं फंसेंगे...

भारत फिर से विश्वगुरु पद पर आसीन हो यही संतों का संकल्प रहा है और उत्तर प्रदेश सरकार का यह निर्णय उसी ओर बढ़ता हुआ एक ठोस कदम है ।


🚩उत्तर प्रदेश सरकार का सही निर्णय 


🚩उत्तर प्रदेश सरकार ने यूपी बोर्ड के सिलेबस में बड़ा बदलाव किया है। कक्षा 9-12 के छात्रों को अब विद्यालयों में नियमित और अनिवार्य रूप से देश की 50 महान हस्तियों की जीवनगाथा पढ़ाई जाएगी। इसमें महर्षि पतंजलि से लेकर श्रीमद् आद्यशंकराचार्य, महावीर , गुरुनानक देव, छत्रपति शिवाजी महाराज, मंगल पांडेय, बिरसा मुंडा, रानी लक्ष्मीबाई, चन्द्रशेखर आजाद, वीर सावरकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम आदि तक के नाम शामिल हैं।


🚩मीडिया रिपोर्ट के अनुसार... इन तमाम हस्तियों की जीवनी को नैतिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा और योग के विषयों में शामिल किया जाएगा। ये विषय सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होंगे। यही नहीं, छात्रों के लिए इन विषयों में पास होना भी जरूरी होगा। हालाँकि बोर्ड परीक्षा यानी 10वीं और 12वीं के छात्रों की मार्कशीट में इन विषयों के नंबर नहीं जोड़े जाएँगे। ग़ौरतलब है, जुलाई 2023 से स्कूल खुलने के बाद नए सिलेबस के तहत पढ़ाई होगी।


🚩बता दें कि , इन 50 हस्तियों के नामों की सूची पहले ही सरकार को भेजी जा चुकी थी। सरकार की मंजूरी के बाद अब ये हस्तियाँ सिलेबस का भी हिस्सा होंगी। यूपी बोर्ड के 27 हजार से अधिक सरकारी तथा सरकार द्वारा सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 9-12 तक के 1 करोड़ से अधिक छात्र इन महापुरुषों की जीवनी पढ़ेंगे।


🚩किस कक्षा में क्या पढ़ेंगे छात्र


🚩यूपी बोर्ड की कक्षा 9 के छात्र गौतम बुद्ध, छत्रपति शिवाजी महाराज, चंद्रशेखर आजाद, बिरसा मुंडा, बेगम हजरत महल, वीर कुंवर सिंह, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, ज्योतिबा फुले, विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर), विनोबा भावे, श्रीनिवास रामानुजन और जगदीश चंद्र बसु की जीवन गाथा पढ़ेंगे।


🚩वहीं कक्षा 10 के सिलेबस में स्वामी विवेकानंद, मंगल पांडे, रोशन सिंह, सुखदेव, खुदी राम बोस, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, मोहन दास करमचंद गाँधी की जीवनी को जोड़ा गया है।


🚩कक्षा 11वीं के छात्रों के लिए महर्षि पतंजलि, सुश्रुत, महावीर जैन, राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, पंडित दीन दयाल उपाध्याय, महामना मदन मोहन मालवीय, अरविंद घोष, राजा राम मोहन रॉय, सरोजिनी नायडू, नाना साहिब और डॉ होमी जहाँगीर भाभा को सिलेबस में शामिल किया गया।


🚩इसके अलावा, कक्षा 12वीं के सिलेबस में श्रीमद् आद्यशंकराचार्य जी , गुरु नानक देव जी , श्री रामकृष्ण परमहंस, गणेश शंकर विद्यार्थी जी , श्री राजगुरु, रवींद्रनाथ टैगोर जी , लाल बहादुर शास्त्री जी , महारानी लक्ष्मी बाई, महाराणा प्रताप जी , बंकिम चंद्र चटर्जी,  डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम , रामानुजाचार्य, पाणिनी, आर्यभट्ट और सी.वी. रमन की जीवन गाथा शामिल की गई।


🚩साल 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में पाठ्यक्रम में बदलाव करने का वादा किया था। साथ ही कहा था , कि चन्द्रशेखर आजाद, रामकृष्ण परमहंस समेत अन्य महापुरुषों की जीवनी को सिलेबस में शामिल किया जाएगा। इस वादे को पूरा करते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने यूपी बोर्ड के सिलेबस में बदलाव किया है।


🚩भारत का इतिहास – हैरान करने वाली बातें🚩कुछ बुद्धिजीवियों का मानना है, कि भारत की सभ्यता कुछ 8000 साल पुरानी है। लेकिन सत्य यह है , कि भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है । और इससे भी खास बात यह है कि , इतनी पुरानी सभ्यता आजतक अपना वजूद सुदृढ बनाए हुए है , तो निसंदेह इसमें जरूर कुछ खास बात है और वह खासियत है हमारे महान पूर्वज ( साधु-संत, ऋषि-मुनि और वीर,साहसी महान हस्तियां )


🚩सनातनी सभ्यता ने विश्व का मार्गदर्शन किया है । हमारे शास्त्रों से ही विश्व ने चलना सीखा है । भारत माता के वेद अपौरुषेय और सनातन हैं और पूरे विश्व ने इन्हीं वेदों का किसी न किसी रूप में अनुसरण किया ही है । विज्ञान हो या फिर ब्रह्माण्डीय ज्ञान, तकनीक हो या फिर धर्म, सभी बातें आपको भारत माता के इतिहास में सबसे पहले मिल जायेंगी ।


🚩विज्ञान की बात करें , तो अत्यंत उत्कृष्ट वायुयानों और जलयानों का वर्णन रामायण व महाभारत में मिलता है । परमाणु अस्त्र-शस्त्रों का भी वर्णन हमारे शास्त्रों में मिलता है । परंतु निराशाजनक बात यह थी , कि हमारे बच्चों को स्कूल की किताबों में अबतक भारत माता को गरीब और अनपढ़ बताया जाता था । भारत माता का झूठा इतिहास ही हमसब स्कूलों की किताबों में आजतक  पढ़ते आए हैं ।



🚩अबतक के भारत का इतिहास – यानि की...वामपंथियों द्वारा रचा गया झूठा इतिहास


🚩भारत को इतिहास में वामपंथियों ने सांपों-सपेरों और नट-जादूगरों का देश बताया है । परंतु असल में भारत माता का सच्चा इतिहास चाणक्य, मनु और कौटिल्य पर आधारित है । यहां सपेरों का इतिहास नहीं बल्कि मंगल, सूरज और चांद तारों की हैरान करनेवाली रहस्यमयी बातें बताई गयी हैं । भारत ने ही ‘शुन्य’ का आविष्कार किया है । सौर-ऊर्जा की बातें हजारों सालों पहले भारत में ही बताई गयी हैं ।


🚩उत्तर प्रदेश सरकार की ही भाँति आज आवश्यकता है , कि सम्पूर्ण भारत के बच्चों को विद्यालयों में हमारे देश का सही इतिहास पढ़ाया जाए...

ताकि हमारे आज के नौनिहाल और आनेवाली पीढ़ियां अपने भारतीय होने का गर्व अनुभव कर सकें...

यदि ऐसा हुआ तो वह दिन दूर नहीं जब भारत एक बार फिर से विश्वगुरु पद पर आसीन होगा ।



🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ