Wednesday, June 28, 2023

सनातनी वैवाहिक व्यवस्था और अंग्रेजी कानून

28 June 2023

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🚩अंग्रेजों का यह चरण शुरू होता है 1941 में....


🚩आजादी से भी लगभग 6 वर्ष पूर्व सन 1941 में अंग्रेजों ने भारत के ही एक और महान सपूत #मैकाले_शिक्षा_जनित अपने एक सिविल सर्वेंट "Sir" #बी_एन_राव को पकड़ा और उससे कहा कि वह भारत के इन हिन्दुओं के लिए ऐसा कानून लिखे कि इनकी अर्धनारीश्वर की इस गौरवमयी प्रतिमा का गुरुर टूट जाये और यह प्रतिमा छिन्न छिन्न हो जाये। पुरुष और स्त्री एक दूसरे को पूरक नहीं, प्रतिद्वंदी समझने लगें।।  इनकी स्त्रियाँ पतितपथ गामिनी, व्यभिचारिणी हो जाएँ और इनके पुरुष अपनी स्त्रियों की आन बान और शान के लिए सिर तो क्या, सिर का एक बाल तक ना कटवाएं और सनातनी वैवाहिक व्यवस्था जो सात सात जन्मों तक वैवाहिक बन्धन की पवित्रता की बात करती है, एक जन्म भी इस बंधन को न निभा पाए। समाज में तलाक होने लगे, परिवार टूट जाए, परिवारों के बच्चे बिखर जाएँ, और स्त्री और पुरुष एक दूसरे को अपना दुश्मन समझने लगें।


🚩देश के सुपूत बी एन राव अंग्रेजों के दिए हुए इस पवित्र कार्य में लग गये।


🚩उन्होंने पाया कि इस महान किताब का पहला पाठ तो उनके जैसे ही मैकाले शिक्षा पुत्र देशमुख नाम के एक अन्य अंग्रेज भक्त 1937 में लिख ही चुके हैं। जिसको उन्होंने नाम दिया था Hindu Women's Rights to Property Act (Deshmukh Act 1937). इस एक्ट के द्वारा हिन्दू औरतों को पॉवर देने की बात कहकर भारतीय सनातनी परिवारों में पहली दरार तो खींची ही जा चुकी थी...!!


🚩फिर क्या था, इसी पाठ को आगे बढ़ाते हुए मैकाले शिक्षा पुत्र बी एन राव ने इस किताब में अगला अध्याय जोड़ दिया कि हिन्दू पति पत्नी चाहें तो एक दूसरे से अलग अलग भी रह सकते हैं। इस अध्याय में प्रावधान दिया गया कि हिन्दू औरत और पुरुष जब चाहे कुछ कुछ कारण बताकर एक दूसरे से अलग अलग रहे और स्त्री अपने लिए #पुरुष_से_मेंटेनेंस_की_मांग करे, जो उसको पुरुष से दिलवाया जायेगा।


🚩इन सबको पता था कि पति से कारण-अकारण अलग रह कर पति से ही मेंटेनेंस लेकर अलग रह रही नारी और नारी से विलग हुआ विरही पुरुष अपने आप टूट जायेंगे, उनके #बच्चे_बिखर_जायेंगे और भारत के आचार विचार तो क्या चरित्र तक का अपने आप हनन होता चला जायेगा...!! यही तो चाहते थे कुटिल अंग्रेज।


🚩बी एन राव की यह किताब 1941 से 1947 तक लिखी जाती रही। और इस किताब का नाम दिया "हिन्दू कोड बिल"


🚩वर्ष 1947 में इस कुटिल किताब में एक और कुटिल अध्याय जोड़ा गया "तलाक" के अधिकार का। और यही से सनातन धर्म के सात-सात जन्मो के वैवाहिक बंधन के विचार को नष्ट करने का सबसे कुटिल अध्याय शुरू हो गया और फिर वर्ष 1947 में ही इस कुटिल किताब में एक अंतिम अध्याय जोडा गया जिसके प्रावधानों के अनुसार सनातन धर्म के मजबूत स्तम्भ "सयुंक्त परिवार" अर्थात जॉइंट फॅमिली एवं प्रॉपर्टी सिस्टम को ख़त्म करने का प्रावधान हिन्दुओं को दे दिए जाने की बात कही गयी।


🚩इस अध्याय में कहा गया कि पिता की संपत्ति में पुत्र के साथ-साथ पुत्री का भी अधिकार होगा। भारत की नारियों को इस प्रकार के प्रावधान बहुत लुभावने से लगने वाले थे, किन्तु इसी में तो अंग्रेजों की कुटिल नीति छिपी हुई थी..जो देश आज तक न समझ पाया.....!!


🚩"हिन्दू कोड बिल" का आखिरी पन्ना 1947 में लिख कर तैयार हो गया।


🚩कितना खास होगा वह पन्ना...!! शायद इसी पन्ने के इंतज़ार में अंग्रेज अब तक भारत से चिपके बैठे थे और जैसे ही 1947 में इस बिल का आखिरी पन्ना लिखा गया, अंग्रेजो ने देश को छोड़ने की घोषणा कर दी। और जाते-जाते "हिन्दू कोड बिल" की यह कुटिल किताब अपने प्रिय, #मैकाले_शिक्षा_पुत्र श्री #जवाहर_लाल_नेहरु को देना नहीं भूले... शायद इस आदेश के साथ, कि प्रधानमंत्री तुम बन जाओगे, वह हम पर छोड़ दो, किन्तु प्रधानमंत्री बनते ही सबसे पहला कार्य जो तुमको करना होगा वह होगा इस "हिन्दू कोड बिल" को पूरे भारत के हिन्दुओं पर लागू करना।


🚩अंग्रेजों और नेहरु के बीच इसको लेकर और क्या-क्या कुटिल समझौते हुए होंगे, यह तो वो चार दीवारे ही जानती होंगी, जिनमें बैठकर वें खूनी समझौते हुए, किन्तु इतिहास को तो सिर्फ वही पता होता है जो उसने स्वयं देखा, स्वयं पर झेला और स्वयं किसी के खून से लिखा। यह लेख इतिहास के उन्ही पन्नों पर सनातन धर्म के खून से लिखी -अधलिखी कहानी ही तो है....!!


🚩हिन्दू कोड बिल नेहरु को दिया जा चुका था। कितने आश्चर्य की बात है कि औरंगजेबी "फतवा-ए-आलमगीरी" अर्थात "मुस्लिम पर्सनल लॉ" को लेकर अंग्रेजो ने भी कोई नया बिल नही लिखा था। शायद यह भी अंग्रेजों की कोई कुटिल नीति ही थी...जो अब आजादी के सत्तर साल बाद रंग दिखा रही है....


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