Monday, June 19, 2023

गूढ़ रहस्य : महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ति में आखिर ऐसा क्या है , जो अभी तक कोई जान नहीं पाया...!?

19 June 2023

http://azaadbharat.org


🚩जगन्नाथपूरी के भव्य और दिव्य मंदिर के अति दिव्य रहस्य...

जहाँ मंदिर के गर्भ-गृह में विराजमान भगवान् श्री कृष्ण जगन्नाथ का हृदय बिल्कुल सामान्य एक जिन्दा आदमी की तरह धड़कता रहता है ।आश्चर्य को भी आश्चर्य हो जाए ऐसा प्रत्यक्ष प्रमाण भगवान् जगन्नाथ की काठ की मूर्ति के अंदर धड़कता हुआ उनका हृदय...

जबकि ये बात बहुत कम लोगों को पता होगी !



🚩ऐसी मान्यता है , कि भगवान श्रीकृष्ण के शरीर त्यागने के बाद अग्नि संस्कार के उपरांत भी उनका हृदय बिल्कुल सुरक्षित और धड़कता हुआ मिला , जिसे बाद में भगवान जगन्नाथ की काष्ठ प्रतिमा के भीतर स्थापित कर दिया गया ।


🚩महाप्रभु का महा रहस्य


🚩महाप्रभु जगन्नाथ(श्री कृष्ण) को कलियुग का भगवान भी कहते है। पुरी (उड़ीसा) में जगन्नाथ स्वामी अपनी बहन देवी सुभद्रा और बल के धाम भाई श्रीबलराम के साथ निवास करते हैं ।

यहाँ रहस्य ऐसे -ऐसे हैं कि आज तक कोई तर्कवादी या खोजकर्ता उनका भेद न जान पाया। 


🚩हर 12 साल में महाप्रभु की मूर्ती को बदला जाता है । उस समय पूरे पुरी शहर में ब्लैकआउट किया जाता है, यानी पूरे शहर की लाइट बंद की जाती है । लाइट बंद होने के बाद मंदिर परिसर को CRPF की सेना चारो तरफ से घेर लेती है,उस समय कोई भी मंदिर में नहीं जा सकता । मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है । पुजारी की आँखों पर पट्टी बंधी होती है और हाथों में दस्ताने होते हैं । वो पहले वाली पुरानी मूर्ती से "ब्रह्म पदार्थ" निकालते हैं और नई मूर्ती में डाल देते हैं ।



🚩क्या है ये ब्रह्म पदार्थ...!?

यह आज तक किसी को नहीं पता , इसे आज तक किसी ने नहीं देखा , जो हज़ारों सालों से एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में ट्रांस्फर किया जा रहा है । ऐसी मान्यता है , कि यह एक अलौकिक पदार्थ है , जिसको छूने मात्र से किसी इंसान के शरीर के चिथड़े उड़ जाएंगे । कहते हैं इस ब्रह्म पदार्थ का संबंध भगवान श्री कृष्ण से है, मगर ये क्या है !? कोई नहीं जानता।


🚩भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के साथ और अन्य प्रतिमाएं उसी साल बदली जाती हैं, जब साल में आषाढ़ के 2 महीने आते हैं । इस बार 19 साल बाद यह अवसर आया है । वैसे कभी-कभी 14 साल में भी ऐसा होता है, इस मौके को नव-कलेवर कहते हैं। मगर आज तक कोई भी पुजारी ये नहीं बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है ??

कुछ पुजारियों का कहना है , कि जब हमने उसे हाथ में लिया तो खरगोश जैसा उछल रहा था, आंखों पर पट्टी और हाथ में दस्ताने थे , तो हम सिर्फ महसूस कर पाए।


🚩आज भी हर साल जगन्नाथ यात्रा के उपलक्ष्य में सोने की झाड़ू से पुरी के राजा खुद झाड़ू लगाने आते हैं । भगवान जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखते ही समुद्र की लहरों की आवाज अंदर सुनाई नहीं देती । जबकि आश्चर्य में डाल देने वाली बात यह है , कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देगी । 


🚩आपने सभी मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे-उड़ते देखे होंगे... लेकिन जगन्नाथ मंदिर के ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता, झंडा हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहराता है । दिन में किसी भी समय भगवान जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नहीं बनती ।


🚩भगवान जगन्नाथ मंदिर के 45 मंजिला शिखर पर स्थित झंडे को रोज़ बदला जाता है । ऐसी मान्यता है , कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा। इसी तरह भगवान जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है, जो हर दिशा से देखने पर आपको आपके मुंह की तरफ ही , मतलब सीधा ही दीखता है।


🚩भगवान जगन्नाथ मंदिर की रसोई में प्रसाद पकाने के लिए मिट्टी के 7 बर्तन एक-दूसरे के ऊपर रखे जाते हैं । भोग प्रसाद को लकड़ी की आग से ही पकाया जाता है । आश्चर्य कि , सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान सबसे पहले पकता है। भगवान जगन्नाथ मंदिर में हर दिन बनने वाला प्रसाद भक्तों के लिए कभी कम नहीं पड़ता । लेकिन हैरान करने वाली बात ये है , कि जैसे ही मंदिर के पट बंद होते हैं , वैसे ही प्रसाद भी खत्म हो जाता है ।


🚩...और भी कितनी ही आश्चर्यजनक बातें हैं हमारे सनातन धर्म की , जो की पग-पग पर उस परम् सत्ता का प्रमाण देती हैं और साथ ही हमारे सनातन धर्म की महिमा और गहराई को भी उजागर करती हैं ।

ज़रूरत है तो बस हमारी जागरूकता की...

आज सचमुच ज़रूरत है , कि हम आधुनिकता की अंधी दौड़ को छोड़कर अपनी स्वयं की महिमा और अपनी गौरवशाली सनातन संस्कृति की महानता को जानें ।

🚩जय जगन्नाथ 💐🙏


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan

No comments:

Post a Comment