Tuesday, January 10, 2017

राष्ट्र भाषा हिन्दी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली बनी भाषा..!!!

राष्ट्र भाषा हिन्दी विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली बनी भाषा..!!!

भारत में भले अंग्रेजों ने हमारी भारतीय संस्कृति को मिटाने के लिए हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी को हटाकर गुलाम बनाने वाली अंग्रेजी भाषा थोपने की कोशिश की थी। लेकिन आज के ताजे आकंड़े देखकर ताजुब हो जायेगा कि हिंदी भाषा दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोली जा रही है ।

दुनिया में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 

2015 के आंकड़ों के अनुसार हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।

2005 में दुनिया के 160 देशों में हिंदी बोलने वालों की अनुमानित संख्या 1,10,29,96,447 थी। उस समय चीन की मंदारिन भाषा बोलने वालों की संख्या इससे कुछ अधिक थी। लेकिन 2015 में दुनिया के 206 देशों में करीब 1,30,00,00,000 (एक अरब तीस करोड़) लोग हिंदी बोल रहे हैं और अब हिंदी बोलने वालों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा हो चुकी है।

मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय अपनी पुस्तक "हिंदी का विश्र्व संदर्भ" में सारणीबद्ध आंकड़े देते हुए कहते हैं कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। यहां के पेशेवर युवा दुनिया के सभी देशों में पहुंच रहे हैं और दुनिया भर की बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत में निवेश के लिए आ रही हैं। इसलिए एक तरफ हिंदी भाषी दुनिया भर में फैल रहे हैं, तो दूसरी ओर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपना व्यवसाय चलाने के लिए अपने कर्मचारियों को हिंदी सिखानी पड़ रही है। तेजी से हिंदी सीखने वाले देशों में चीन सबसे आगे है।

फिलहाल चीन के 20 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। 2020 तक वहां हिंदी पढ़ाने वाले विश्वविद्यालयों की संख्या 50 तक पहुंच जाने की उम्मीद है। यहां तक कि चीन ने अपने 10 लाख सैनिकों को भी हिंदी सिखा रखी है। 

उपाध्याय के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मंच पर बढ़ी भारत की साख के कारण भी दुनिया के लोगों की हिंदी और हिंदुस्तान में रुचि बढ़ी है।

देश में 78 फीसद लोग बोलते हैं हिंदी..!!

-डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय ने अपनी पुस्तक में दिए आंकड़ों में डॉ. जयंतीप्रसाद नौटियाल द्वारा 2012 में किए गए शोध अध्ययन के अलावा, 1999 की जनगणना, द वर्ल्ड आल्मेनक एंड बुक ऑफ फैक्ट्स, न्यूज पेपर एंटरप्राइजेज एसोसिएशन अंक, न्यूयार्क और मनोरमा इयर बुक इत्यादि को आधार बनाया है।

- पुस्तक के अनुसार हिंदी के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा चीन की मंदारिन है। लेकिन मंदारिन बोलने वालों की संख्या चीन में ही भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या से काफी कम है।

- चीनी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल 70 फीसद चीनी ही मंदारिन बोलते हैं। जबकि भारत में हिंदी बोलने वालों की संख्या करीब 78 फीसद है। दुनिया में 64 करोड़ लोगों की मातृभाषा हिंदी है। जबकि 20 करोड़ लोगों की दूसरी भाषा, एवं 44 करोड़ लोगों की तीसरी, चौथी या पांचवीं भाषा हिंदी है।

- भारत के अलावा मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गयाना, ट्रिनिडाड और टोबैगो आदि देशों में हिंदी बहुप्रयुक्त भाषा है। भारत के बाहर फिजी ऐसा देश है, जहां हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

- हिंदी को वहां की संसद में प्रयुक्त करने की मान्यता प्राप्त है। मॉरीशस में तो बाकायदा "विश्व हिंदी सचिवालय" की स्थापना हुई है, जिसका उद्देश्य ही हिंदी को विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करना है।


आपको बता दें कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने अपनी सिफारिशों में सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में से धीरे-धीरे अंग्रेजी को हटाने और भारतीय भाषाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर शामिल करने पर जोर दिया है। साथ ही आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे अंग्रेजी भाषाओं में पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में भी भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने की सुविधा देने पर जोर दिया गया है। 
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हिंदी भाषा इसलिये दुनिया में प्रिय बन रही है क्योंकि इस भाषा को देवभाषा संस्कृत से लिया गया है जिसमें मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। जबकि अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द केवल 10,000 ही हैं ।

हिंदी का शब्दकोष बहुत विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में नही हैं। हिंदी भाषा संसार की उन्नत भाषाओं में सबसे अधिक व्यवस्थित भाषा है। 

आज मैकाले की वजह से ही हमने मानसिक गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता । लेकिन आज दुनिया में हिंदी भाषा का महत्व जितना बढ़ रहा है उसको देखकर समझकर हमें भी हिंदी भाषा का उपयोग अवश्य करना चाहिए ।

अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें । अपने बच्चों को अंग्रेजी (कन्वेंट स्कूलो) में शिक्षा दिलाकर उनके विकास को अवरुद्ध न करें । उन्हें मातृभाषा(गुरुकुलों) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके चहुँमुखी विकास में सहभागी बनें ।

Monday, January 9, 2017

बैंकों के कर्ज से परेशान होकर 80 फीसदी किसानों ने की खुदकुशी..!!!

बैंकों के कर्ज से परेशान होकर 80 फीसदी किसानों ने की खुदकुशी..!!!

कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या करने वाले किसानों की बात जब उठती है तो साहूकारों और महाजनों को अपराधी के तौर पर पेश किया जाता है। साहूकारों और महाजनों पर आरोप लगाया जाता है कि वो कर्ज वसूलने के लिए किसानों को इस कदर परेशान करते हैं कि वो आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाते हैं। 

हालांकि साहूकार भी किसानों को कम परेशान नही करते हैं,
लेकिन एनसीआरबी के ताजा सर्वे में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं!!!

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एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक कर्ज न चुका पाने के कारण खुदकुशी करने वालों किसानों में से 80 फीसदी ने बैंकों से कर्ज लिया था ।

 एनसीआरबी के आकड़ों के मुताबिक 2014 की तुलना में 2015 में किसानों के आत्महत्या करने की दर में 41.7 फीसदी का इजाफा हुआ है। 1995 से  31 मार्च 2013 तक के आंकड़े बताते हैं कि अब तक 2,96 438 किसानों ने आत्महत्या की है ।

सरकारी सूत्रों के अनुसार 2014 में 5650 और 2015 में 8000 से अधिक मामले सामने आए। 

योजना आयोग के पूर्व सदस्य अभिजीत सेन ने बताया कि बैंक लोन वसूलने में लचीला रुख नहीं अपनाते हैं। उन्होंने बताया कि कर्ज वसूलने में माइक्रो फानैन्स कंपनियों का ज्यादा बुरा हाल है। यहां तक कि वो लोन वसूलने के लिए गुडों का भी इस्तेमाल करते हैं।

माल्या जैसों का हजारों करोड़ माफ, किसानों का क्यों नही..???

2014 में देश की जनता ने केंद्र में भाजपा को बहुमत देकर देश की सत्ता सौंपी तो देश के किसानों और मजदूरों ने सोचा था कि उनके अच्छे दिन आ सकते हैं।  लेकिन आकंड़े देखकर तो लगता है कि सरकार से किसानो को कोई राहत नही मिल पा रही है ।


बैंकों से लिए कर्ज के कारण मरने को मजबूर हो जाता है किसान..!!

गरीब किसान बैंकों से कर्ज लेकर खेती करता है और जब बे मौसम बरसात, ओले और तेज हवाओ और सूखे से उसकी फसल नष्ट हो जाती है तो वो कर्ज नहीं चुका पाता है तो बैंक उससे कर्ज वसूलने के लिए उसके खेतों को नीलाम करके अपना कर्ज वसूलती है। जिसकी वजह से वो आत्महत्या करने को मजबूर हो जाता है। 

हजारों करोड़ के डिफाल्टर गरीबों का कर्ज माफ..!!

वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने विजय माल्या समेत 63 डिफाल्टरों का तकरीबन सात हजार करोड़ रुपए का बकाया लोन माफ करने का फैसला किया है। डीएनए की रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई ने बकाया वसूल नहीं कर पाने पर शीर्ष 100 विलफुल डिफाल्टरों में से 63 पर 7016 करोड़ रुपए का लोन माफ करने का फैसला किया है।

बताते चलें कि 63 डिफाल्टरों की ये राशि कुल 100 डिफाल्टरों का 80 फीसदी है। यह छूट बैंक की प्रक्रिया बैड लोन के अंतर्गत की गई है। सभी कंपनियों को बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर घोषित कर दिया।

विजय माल्या के अलावा किंगफिशर एयरलाइंस का तकरीबन 1201 करोड़ रुपए, केएस ऑयल का 596 करोड़ रुपए, सूर्या फार्मास्यूटिकल का 526 करोड़ रुपए, जीईटी पावर का 400 करोड़ रुपए और साई इंफो सिस्टम का 376 करोड़ रुपए शामिल है। डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, उसने इस बारे में एसबीआई के अधिकारियों से जानकारी मांगनी चाही तो उसे कोई जवाब नहीं मिला।

सिर्फ गरीब किसान के कर्ज माफी के लिए नहीं है केंद्र सरकार के पास पैसा..!!

एक तरफ जहाँ बैंक अमीर डिफाल्टरों के हजारों करोड़ यूँ ही माफ कर देता है और दूसरी तरफ गरीब किसानों का उतना कर्ज भी माफ नहीं कर पा रही है जो इन डिफाल्टरों का 20 फीसदी भी नहीं होगा।

कुछ दिनों पहले केंद्र सरकार ने अडानी ग्रुप के ऊपर लगे 200 करोड़ के जुर्माने को भी माफ कर दिया ।

केंद्र सरकार का ये दोगलापन किसानों के साथ कब तक जारी रहेगा.???

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि महाराष्ट्र में एक मंडी में किसान टमाटर लेकर आया तो एक किलो टमाटर की कीमत केवल पांच पैसे लगाई गई जिससे किसान ने उसे वापिस लाकर अपने खेतों में डाल दिया ऐसे ही कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ की एक मंडी ने टमाटर की कीमत 2 रूपये किलो लगाई तो उसने सड़कों पर टमाटर फेंक दिए जिससे सड़कें लाल हो गई थी । 

मध्य प्रदेश में भी कुछ दिन पहले मंडी में प्याज का भाव नही दिया गया तो सड़कों पर प्याज डाल दी गई । 

ये तो एक उदाहरण तौर पर बताया गया है लेकिन किसान दिन-रात मेहनत करता है जब फसल लेकर मंडी में आता है तो उसको निराश होने पड़ता है क्योंकि सिंचाई के पानी, खाद्य, बीज, कीटनाशक दवाइयों आदि का पैसा भी फसल की बिक्री से नही निकल पाता है । जो किसान ने कड़ी मेहनत की उसको तो वो गिनता ही नही।

पूर्व सरकार से ही किसानों का बहुत शोषण होता रहा है । किसानों के बढ़ते संकट का निवारण करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को ध्यान देना चाहिए।

अब केंद्र सरकार को अन्नदाता किसानों को कर्ज से मुक्त कर देना चाहिए और उनके लिए पानी, बिजली, बीज, खाद्य, दवाइयां आदि सस्ते भाव देकर उनको राहत देनी चाहिये जिससे किसान भी अपना जीवन परिवार के साथ खुशहाली से जी सके ।

Sunday, January 8, 2017

सावरकर टाइम्स ने उठाये सवाल! क्यों हुए बापू आसारामजी षड़यंत्र के शिकार..??

सावरकर टाइम्स ने उठाये सवाल!
क्यों हुए बापू आसारामजी षड़यंत्र के शिकार..???

सावरकर टाइम्स अखबार में लिखा है कि बापू आसारामजी हिन्दू धर्म के एक महान संत हैं, जिन्होंने हिन्दू धर्म की महत्ता के बारे में पूरे हिन्दू समाज को जागरूक किया  और हिंदुओं के हो रहे धर्म परिवर्तन को रोकने के बहुत ही सराहनीय कार्य किये, लेकिन हिन्दू विरोधी लोगो को आसारामजी बापू सुई की तरह चुभने लगे ।

संत आसारामजी बापू ने जो सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य किया वो था जयेन्द्र सरस्वतीजी की सहायता, जो हिन्दू धर्म के महान शंकराचार्य हैं ।
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जब उन पर झूठे केस डाले गए तो बापू आसारामजी ने इस कबराना कार्य की पुरजोर निंदा की और आंदोलन में भाग लिया । विश्व हिंदू परिषद् ने जयेन्द्र सरस्वती की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन किया लेकिन जब विश्व हिंदू परिषद का आंदोलन कमजोर पड़ने लगा तब कमजोर पड़ते आंदोलन को बापू आसारामजी ने सहयोग दिया और कामयाब आंदोलन में बदल दिया और आसारामजी बापू का यत्न रंग लाया और जयेन्द्र सरस्वती बच गये लेकिन बापू आसारामजी खुद कुछ हिन्दू विरोधी लोगों की आँखों में चुभने लगे।

जयेन्द्र सरस्वती वाले आंदोलन के बाद बापू आशारामजी पर कई प्रकार के इल्जाम लगने शुरू हो गये, जैसे कि बापूजी पानी का ज्यादा इस्तेमाल करके पानी को खराब करते हैं ऐसे कई प्रकार के छोटे छोटे इल्जाम लगने शुरू हुए लेकिन षड़यंत्रकारियों ने देखा कि हमारे लगाये इल्जामों का तो बापूजी की छवि पर कोई असर नहीं हो रहा है तो उन्होंने बापूजी पर घटिया इल्जाम यौन शोषण का लगा दिया, जो अभी तक सच साबित नहीं हुआ। 
फिर दूसरा इल्जाम लगाया गया कि बापूजी के जम्मू स्थित आश्रम में बच्चे-बच्चियों की लाश दबी हुई है वह इल्जाम भी झूठा साबित हुआ और दोषियों ने अपनी गलती मानी । 

उसमें आगे लिखा है कि बापूजी ने धार्मिक क्षेत्र के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी सराहनीय कार्य किये हैं...!!

जैसे...

1. महान गऊ पालक - बापू आसारामजी एक महान गऊ पालक भी हैं, उन्होंने हजारों बेसहारा गायों को जो दूध नहीं देती, उनको कत्लखानो से बचा कर रखा है। उनमें से बहुत सी गाय अच्छी नस्ल की गाय है ।

2. महिलाओं के लिए कार्य - बापूजी महिलाओं के लिए शिक्षा,भोजन व अन्य भी कई तरह की सहायता करते रहे हैं ।

3. शिक्षा के क्षेत्र - शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने बहुत से सराहनीय कार्य किये हैं, गरीब लोगों के बच्चों को किताबें मुफ्त में दी जाती हैं आदि।

4. गरीब और बेसहारों के लिए कार्य - जब - जब कहीं भूकंप आता है तो बापूजी वहां अपना सहयोग देते हैं, जैसे भोजन,कपड़ा दवाईया आदि व केम्प भी लगाये जाते हैं ।

5. अमरनाथ यात्रा - अमरनाथ यात्रा के लिये भी बापूजी ने अनुचित फीस हटाने की फारुख अब्दुल्ला से मांग की थी और फिर उसको पत्र भी लिखा था ।

6. बच्चों को संस्कार देना -  बापूजी ने बच्चों की शिविरों द्वारा उन्हें अच्छे संस्कार भी दिए । जैसे सुबह जल्दी उठना,माता-पिता को प्रणाम करना और मातृ-पितृ पूजन दिवस भी शुरू करवाया ।

धर्म परिवर्तन के खिलाफ समाज को जागरूक कर इसको रोकने का यत्न किया । 

मीडिया इन सब बातों का प्रचार कभी नहीं करती क्योंकि यह अच्छे कार्य हैं, इसीलिए हिन्दू यूनाइटेड फ्रंट ने बापूजी के इन कार्यो को देखते हुए तीन जिलों में सेमिनार आयोजित किये और भारत के राष्ट्रपति को ज्ञापन भेज कर मांग की कि बापू आसारामजी के खिलाफ षड़यंत्र रचने वालों पर केस दर्ज किया जाए । 
-लवलीन कुमार ( कनवीनर) हिन्दू यूनाइटेड फ्रंट

आपको बात दें कि बापू आसारामजी के ऐसे तो समाज उत्थान के अनेकों कार्य हैं जिस पर कभी भी मीडिया का कैमरा नही गया है बल्कि धर्मान्तरण पर रोक लगाने और विदेशी कंपनियों को घाटा आने पर मीडिया द्वारा बदनाम जरूर करवाया गया है ।

गौरतलब है कि बापू आसारामजी बिना आरोप सिद्ध हुए तीन साल से जोधपुर जेल में बन्द है । उनके लिए उनके अनुयायियों और अनेक हिन्दू सगठनों द्वारा देश भर में आंदोलन जारी हैं एवं सोशल मीडिया द्वारा और राज्य सभा में भी जमानत की लगातार आवाज उठती रही है लेकिन फिलहाल सरकार की लापरवाही से उनको सामान्य जमानत तक भी नही मिल पायी है। जबकि दूसरी ओर हमारा कानून आतंकवादी को भी जमानत देने की उदारता रखता है। 

क्या सच में कानून सबके लिए समान है ?

सोचो हिन्दू !!!

Saturday, January 7, 2017

पाकिस्तान हिंदुओं के लिए बन चुका है नर्क से भी बत्तर..!!!

पाकिस्तान हिंदुओं के लिए बन चुका है नर्क से भी बत्तर..!!!

पाकिस्तान में सूदखोर मजबूर हिंदुओं की जवान लड़कियाँ उठाकर ले जाते हैं।

पाकिस्तान के दूर-दराज और देहात के इलाकों में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उनके लिए परेशानियां खड़ी करना कोई नई बात नहीं है लेकिन मामला सिर्फ इतना ही नहीं है। पाकिस्तान में ऐसे बहुत से हिन्दू मां-बाप हैं, जिनके ना चाहते हुए भी उनकी बेटियों को सूदखोर उठाकर ले जाते हैं।
पाकिस्तान हिंदुओं के लिए बन चुका है नर्क से भी बत्तर


पाकिस्तान के सिंध की जीवती की उम्र मुश्किल से 14 साल की है लेकिन उसको अब अपने परिवार से दूर जाना है क्योंकि उसकी शादी कर दी गई है। जिस आदमी से उसकी शादी हुई है, उसने जीवती को अपने कर्ज के बदले खरीद लिया है। उसकी कीमत (करीब1000 अमेरिकी डॉलर) लगी है।

जीवती की मां अमेरी खासी कोहली की मौजूदगी में ये जबरदस्ती शादी हुई है क्योंकि उनके नए दामाद का उन पर कर्ज है और उनके पास सिर्फ एक यही तरीका था उस कर्ज को चुकता करने का।

उनको पैसा देने वाले शख्स ने आकर उनकी बेटी को चुन लिया और उन्हें ना चाहते हुए भी अब अपनी बेटी को उस आदमी के साथ भेजना होगा।

वो बताती है कि उनके शौहर ने कर्ज लिया था जो बढ़ कर दोगुना हो गया और वो जानती है कि इसे चुकाना उनके बस की बात नहीं है। रकम ना चुका पाने पर अमेरी की बेटी को वो शख्स ले गया, जिससे उन्होंने उधार लिया था। अमेरी को पुलिस से भी इस मामले में कोई उम्मीद नहीं है।

लड़की को ले जाने वाला, उससे कुछ भी करा सकता है..!!!

औरतों को यहां प्रोपर्टी की तरह ही देखा जाता है। उसे खरीदने वाला उसे बीवी बना सकता है, दूसरी बीवी बना सकता है, खेतों में काम करा सकता है, यहां तक कि वो उसे जिस्मफरोशी के धंधें में भी धकेल सकता है क्योंकि उसने उसकी कीमत चुकाई है और वो उसका मालिक बन गया है।

आमेरी कहती हैं कि सूदखोर अपने कर्जदार की सबसे खूबसूरत और कमसिन लड़की को चुन लेते हैं। ज्यादातर मामलों में वो लड़की को ईस्लाम में दाखिल करते हैं, फिर उससे शादी करते हैं और फिर कभी आपकी बेटी वापस नहीं आती। वो कहती है कि हम पुलिस स्टेशन या कोर्ट जाते हैं लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होता क्योंकि हम हिन्दू हैं और हमारी सुनवाई कहीं नहीं है।

अमेरी और उनकी बेटी जीवती की ये स्टोरी टाइम्स ऑफ इंडिया ने कही है लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की ये कोई अकेली घटना नहीं है। 

ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 की रिपोर्ट कहती है कि 20 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दू गुलामों की जिंदगी बसर कर रहे हैं, इनमें अल्पसंख्यकों की बड़ी तादाद है। जिनसे खेती-बाड़ी से लेकर घर तक के काम कराए जाते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल 1000 हिंदू और ईसाई लड़कियों (ज्यादातर नाबालिग) को मुसलमान बनाकर शादी करा दी जाती है।

गरीब अल्पसंख्यकों की लड़कियां होती हैं सबसे ज्यादा शिकार...!!!

पाकिस्तान में इस तरह के मामलों के लिए लड़ने वाले एक संगठन से जुड़े गुलाम हैदर कहते हैं कि वो खूबसूरत लड़कियों को चुनते हैं। हैदर कहते हैं कि इसका शिकार होने वाले गरीब परिवार होते हैं। यहां तक ना मीडिया के कैमरे पहुंचते हैं और ना पुलिस स्टेशन में इनकी कोई सुनवाई होती है।

पाकिस्तान में हिन्दुओं के लिये श्मशान घाट तक नही..!!!

पाकिस्तान में पिछले कुछ समय से हिंदू समुदाय के लिए खैबर पख्तूनख्वाह और फाटा के विभिन्न स्थानों पर श्मशान घाट की सुविधा न होने के कारण अपने मृतकों को धार्मिक अनुष्ठानों के उलट यानी जलाने के बदले कब्रिस्तान में दफनाने के लिए मजबूर हो चुके हैं ।

इन इलाकों में हिंदू समुदाय हजारों की तादाद में पाकिस्तान की स्थापना से पहले से रह रहे हैं ।

खैबर पख्तूनख्वाह में हिंदू समुदाय की आबादी लगभग 50 हजार है । इनमें अधिकतर पेशावर में बसे हुए हैं । इसके अलावा फाटा में भी हिंदुओं की एक अच्छी खासी तादाद है । ये अलग-अलग पेशों में हैं और अपना जीवन गुजर-बसर करते हैं ।

पेशावर में ऑल पाकिस्तान हिंदू राइट्स के अध्यक्ष और अल्पसंख्यकों के नेता हारून सर्वदयाल का कहना है कि उनके धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार वे अपने मृतकों को जलाने के बाद अस्थियों को नदी में बहाते हैं, लेकिन यहां श्मशान घाट की सुविधा नहीं है इसलिए वे अपने मृतकों को दफनाने के लिए मजबूर हैं ।

उन्होंने कहा कि केवल पेशावर में ही नहीं बल्कि राज्य के ठीक-ठाक हिंदू आबादी वाले जिलों में भी यह सुविधा न के बराबर है । इन जिलों में कई सालों से हिंदू समुदाय अपने मृतकों को दफना रहा है ।

वह कहते हैं, "पाकिस्तान के संविधान की धारा 25 के अनुसार हम सभी पाकिस्तानी बराबर अधिकार रखते हैं और सभी अल्पसंख्यकों के लिए कब्रिस्तान और श्मशान घाट की सुविधा प्रदान करना सरकार की सर्वोच्च जिम्मेदारी है, लेकिन दुर्भाग्य से हिंदूओं को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है ।"

उन्होंने कहा कि पेशावर के हिंदू पहले अपने मृतकों को बाड़ा के इलाके में लेकर जलाया करते थे क्योंकि वहाँ एक श्मशान घाट था लेकिन शांति की बिगड़ती स्थिति के कारण वह क्षेत्र अब उनके लिए बंद कर दिया गया है ।

उन्होंने दावा किया है कि पूरे पाकिस्तान में पहले अल्पसंख्यकों के लिए हर छोटे बड़े शहर में धार्मिक केंद्र या पूजा स्थल थे लेकिन दुर्भाग्य से उन पर या तो सरकार या भूमि माफिया ने कब्जा कर लिया है । जिससे अल्पसंख्यकों की मुसीबतें बढ़ी हैं ।

हारून सर्वदयाल के अनुसार, "जिस तरह पाकिस्तान के बनने के समय अल्पसंख्यक अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे थे, उनके हालात में 70 साल बाद भी कोई बदलाव नहीं आया है । वे आज भी अपने अधिकारों से वंचित हैं। "

पाकिस्तान में हिंदू समुदाय देश का सबसे बड़े अल्पसंख्यक तबका माना जाता है। हिंदुओं की ज्यादातर आबादी सिंध और पंजाब के जिलों में रहती है । खैबर पख्तूनख्वाह में पेशावर के बाद हिंदुओं की संख्या कोहाट, बुनेर, हंगू, नौशहरा, स्वात, डेरा इस्माइल खान और बनू के जिलों में भी रहती है । 

पाकिस्तान में हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं । हिन्दू महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं । यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है , श्मशान घाट तक नही है, हिन्दुओं की हत्यायें की जाती है इतना हिन्दुओं पर अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नही है ।

आज भी अगर भारत में हिंदुओं ने "हम दो हमारे दो" के सिद्धान्त को नहीं तोडा तो पाकिस्तान जैसा हाल होने में देरी नही लगेगी । अतः हिन्दू सावधान रहें। 
मुस्लिम चार शादियां करके 40 बच्चे पैदा कर सकते है तो हिन्दू कम से कम 4 बच्चे तो पैदा कर ही सकता है ।

जय हिन्द!!!

Friday, January 6, 2017

बिगबॉस देखते हैं तो हो जाइये सावधान...!!!



बिगबॉस देखते हैं तो हो जाइये सावधान...!!!

भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का एक और बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय षड़यंत्र...!!!

Beware Of Big Boss 


भारत की संस्कृति इतनी दिव्य और महान है कि उस पर सदियों से कुठाराघात होता आया है ।

पहले मुगलों ने भारत को लूटा और हिन्दू संस्कृति नष्ट करने का प्रयास किया फिर अंग्रेजों ने भारत को लूटकर संस्कृति बदलने का अथाह प्रयास किया ।

इससे भी भारत की दिव्य संस्कृति नष्ट नही हुई तो अब ईसाई मिशनरियों द्वारा लालच देकर धर्मान्तरण और मुस्लिमों द्वारा डरा-धमकाकर हिन्दुओं का धर्मान्तरण किया जा रहा है ।

उससे भी अधिक इस जमाने में हमारा मीडिया और बॉलीवुड द्वारा मानसिक धर्मान्तरण किया जा रहा है ।
आपने देखा होगा कि कई सालों से मीडिया द्वारा हिन्दू संगठनों एवं हिन्दू संतों को दिन रात बदनाम किया जा रहा है लेकिन किसी ईसाई पादरी या मौलवी के लिए कभी कुछ नहीं दिखाया जाता ।

ऐसे ही बॉलीवुड में कई सालों से इस्लामीकरण हो गया है बॉलीवुड के जरिये  हमारे आराध्य हिन्दू देवी देवताओं, हिन्दू त्यौहारों, हिन्दू संस्कृति और हिन्दू साधु-संतों को नीचा दिखाने का प्रयास किया जा रहा है ।

अब हम आपको इसका एक ताजा उदाहरण देते हैं..!!!

अन्तर्राष्ट्रीय षड़यंत्र के तहत सलमान खान की अध्यक्षता में बिग बॉस टीवी शो चल रहा है जिसमें लड़ाई झगड़े दिखाकर हमारे घरों में अशांति और कलह बढ़ाने जैसा वातावरण हमारे मस्तिष्क में डाला जा रहा है ।

बिग बॉस विदेशी गन्दगी, कामवासना और अश्लीलता दिखाकर भारतीय युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट कर रहा है ।

आप स्वयं विचार करें कि ये सब देखकर आपके बच्चों को कैसे संस्कार मिलेंगे..???

अश्लीलता, अर्धनग्न स्त्रियां देखकर हमारे युवा पथभ्रष्ट नही होंगे क्या...???

क्या देश में रेप और बलात्कार जैसे केस और नही बढ़ेगे...???

जरा स्वयं विचार करें..!!

बिग बॉस 10 में तो अति हद तब हो जाती है जब साधु के कपड़े पहनकर  "स्वामी ओम" साधुताई के नाम पर लड़कियों से छेड़ खानी करना , दारू पीना, मांस खाना आदि करके हिन्दू संतों की गरिमा पर गहरी चोट लगा रहा है।

शो देखकर तो ऐसा लगता है जैसे ओमजी महाराज को विदेशी पैसा मिला है हिन्दू संतो की छवि धूमिल करने के लिए !!

ओमजी महाराज का कहना है कि मेरे को बोले थे कि रामराज्य करवाना है तो बिग बॉस में काम करो लेकिन वहाँ जाने के बाद मुझे कुछ खिला दिया था और मेरे को जान से मारने की धमकी दी थी इसलिये मैंने बिग बॉस में ये सब किया ।

अब सरकार और न्यायालय को इसकी जांच करानी चाहिए और बिग बॉस तुंरन्त बन्द करवा देना चाहिए ।

* याद रहे रोम, यूनान और मिस्र जैसी प्राचीन संस्कृतियों को नष्ट करने के बाद ईसाई मिशनरियों की नजर अब महान भारतीय संस्कृति पर (जहाँ लोगों को माता पिता की सेवा करना,उन्हें देवतातुल्य जानना, संयम  का पाठ, एकता के सूत्र में बंधना सिखाया जाता है ऐसे ही अनंत गुणों से भरपूर है हमारी संस्कृति) है।*


ऐसा न हो जब तक आपको समझ आये तब तक बहुत देर हो चुकी हो।

 *भारतीय संस्कृति को पुनः जागृत करने वाले संतों की प्रतिष्ठा को बचाना है तो सभी भारतीय बिग बॉस शो का पूर्ण बहिष्कार करें, एवं इस शो को देखना बंद करें।*

Thursday, January 5, 2017

संत समाज संयुक्त राष्ट्र संघ को लिखेगे पत्र...!!!

संत समाज संयुक्त राष्ट्र संघ को लिखेगे पत्र...!!!

अंतर्राष्ट्रीय सनातन संत समिति ने प्रस्ताव पारित किया..!!!

देश में संतो के खिलाफ हो रहे दुष्प्रचार और षड़यंत्र के पीछे विदेशी कंपनियो व मिशनरियों का हाथ है।

ऐसा मानते हुए अंतर्राष्ट्रीय सनातन संत समिति ने संयुक्त राष्ट्रीय संघ को एक पत्र लिखने के लिए प्रस्ताव पारित किया है । संतो का कहना हैं कि संयुक्त राष्ट्र संघ मिशनरी व इन कंपनियों पर अंकुश लगाये।
संत समाज संयुक्त राष्ट्र संघ को लिखेगे पत्र...!!!


समिति का सम्मलेन पिछले दिनों उजडवेडा हनुमान मंदिर के समीप स्थित चिदध्यानम शिविर में हुआ । स्वामी चिदम्बरानंद महाराज की अध्यक्षता में हुए सम्मलेन में 'देश और धर्म पर हम चुप क्यों' विषय,वैचारिक मंथन के दौरान संतो ने फैसला लिया कि देश और धर्म की रक्षा के लिए समाज की चुप्पी तोड़ कर मुखर बनाया जाएगा ।

 स्वामीजी ने संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र लिखने का प्रस्ताव किया । संतों की करतल ध्वनि के बीच स्वामी भावेशानंदजी महाराज ने समर्थन किया । उन्होंने बताया कि समिति में शामिल संतों के अलावा अन्य संतों व महंतों के भी पत्र पर हस्ताक्षर करवाए जाएंगे ।


शंकराचार्य सहित कई संत हुए षड़यंत्र के शिकार..!!!

स्वामी चिदम्बरानंद महाराज के अनुसार जो संत आदिवासी व पिछड़े क्षेत्र में धर्मातरण रोकने व शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहें हैं मिशनरी व उनके इशारों पर विदेशी कंपनियां षड़यंत्र रच रही हैं । शंकराचार्य, जयेन्द्र सरस्वती, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर , संत आसारामजी बापू और असीमानंदजी अब तक इनके षड़यंत्र का शिकार हो चुके हैं । हम संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र लिखने के बाद देश में भी अभियान चलाएंगे ।

प्रशासक की लापरवाही से नाराजगी...!!!

हिन्दू संतों के खिलाफ अभीतक एक भी सबूत नही है और साध्वी प्रज्ञा और संत आसारामजी बापू को क्लीनचिट मिलने के बावजूद भी इन संतों को जमानत तक नही देना ये प्रशासन की लापरवाही है ।

आपको बता दें कि भारत में विदेशी कम्पनियाँ कोलगेट, दवाईयां, ड्रग्स, पेप्सी, दारू आदि का टीवी में ऐड देकर भारतवासियों को लुभाते हैं और भोले भारतवासी उसको अच्छी क्वालटी समझकर खरीद लेते हैं जिससे विदेशी कम्पनियाँ भारत से अरबों-खबरों रूपये कमाकर देशवासियों को खोखला कर रही है और ईसाई मिशनरियां हिन्दुओं का जोर-शोर से धर्मान्तरण करवा रही हैं उसको रोकने के लिए हिन्दू साधु-संत गांव-गांव, नगर-नगर जाकर हिन्दू संस्कृति की महिमा समझाते थे और एक नयी जाग्रति लाकर विदेशी कंपनियों और ईसाई धर्मान्तरण पर रोक लगा रहे थे इसलिए साधु-संतों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजा गया, कई साधु-संतों की हत्यायें हो गई ।

ओडिशा के लक्ष्मणानन्दजी की हत्या करवा दी गई, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर 9 साल से, स्वामी असीमानन्द जी 7 साल से, स्वामी अमृतानन्द जी 7 साल से, संत आसारामजी बापू साढ़े तीन साल से, नारायण साईं 3 साल से, धनंजय देसाई 2 साल से जेल में हैं । क्योंकि इन्होंने विदेशी कम्पनियों और धर्मान्तरण का डटकर मुकाबला किया था ।


आपको मुस्लिम समुदाय के लोग तो दिख जाएंगे कि ये दंगे कर रहे हैं लेकिन ये ईसाई मिशनरियां बड़े छल-कपट से हिन्दुओं का धर्मान्तरण कर रही हैं और आम जनता को भनक भी नही लगने देती हैं।


रोमन केथोलिक #चर्च का एक छोटा राज्य है जिसे वेटिकन बोलते है । अपने धर्म (ईसाई) के प्रचार के लिए वे हर साल​ 171,600,000,000 डॉलर खर्च करते हैं।


भारत की मीडिया 90% ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित है इसलिए वो हमेशा हिन्दुओं के विरोध में ही काम करती है ।

ईसाई मिशनरियों द्वारा विदेशी फंड से चलने वाले आज भी भारत में कई हजारों NGOs चल रहे हैं जो दिन रात हिन्दुओं को लालच देकर धर्मान्तरण करवा रहे हैं। 

लेकिन उनकी तरफ कानून, सरकार, मीडिया किसी का भी ध्यान नही जाता ।


अतः सभी हिन्दू सावधान रहें !
अपने-अपने इलाको में जो लालच देकर धर्मान्तरण करवा रहे हैं उन पर कड़ी कार्यवाही करें नही तो हिन्दुस्तान में हिन्दू बचेगा ही नही ।

Wednesday, January 4, 2017

गुरु गोविंद सिंह जयंती - 5 जनवरी 2016

गुरु गोविंद सिंह जयंती - 5 जनवरी 2016

सिख समुदाय के दसवें धर्म-गुरु (सतगुरु) गोविंद सिंह जी का जन्म पौष शुदि सप्तमी संवत 1723 (22 दिसंबर, 1666) को हुआ था । उनका जन्म बिहार के पटना शहर में हुआ था। 

उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर सन 1675 को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक संत थे।

सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होने खालसा पन्थ की स्थापना की । जो सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है।
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गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों के पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया तथा उन्हें गुरु रूप में सुशोभित किया। 

उन्होंने मुगलों या उनके सहयोगियों (जैसे, शिवालिक पहाडियों के राजा) के साथ 14 युद्ध लड़े। धर्म के लिए समस्त परिवार का बलिदान किया, जिसके लिए उन्हें 'सरबंसदानी' भी कहा जाता है। इसके अतिरिक्त जनसाधारण में वे कलगीधर, दशमेश, बाजांवाले आदि कई नाम, उपनाम व उपाधियों से भी जाने जाते हैं।

गुरु गोविंद सिंह जो विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे, वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में 52 कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे।

गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म!!


प्राग राज के निवास समय श्री गोबिंद राय जी के जन्म से एक दिन पहले माता नानकी जी ने स्वाभाविक श्री गुरु तेग बहादुर जी (Shri Guru Tek Bahadar Ji) को कहा कि बेटा! आप जी के पिता ने एक बार मुझे वचन दिया था कि तेरे घर तलवार का धनी बड़ा प्रतापी शूरवीर पोत्र ईश्वर का अवतार होगा । मैं उनके वचनों को याद करके प्रतीक्षा कर रही हूँ कि आपके पुत्र का मुँह मैं कब देखूँगी !
 बेटा जी! मेरी यह मुराद पूरी करो, जिससे मुझे सुख की प्राप्ति हो ।

अपनी माता जी के यह मीठे वचन सुनकर गुरु जी ने वचन किया कि माता जी! आप जी का मनोरथ पूरा करना अकाल पुरख के हाथ मैं है । हमें भरोसा है कि आप के घर तेज प्रतापी ब्रह्मज्ञानी पोत्र देंगे ।

गुरु जी के ऐसे आशावादी वचन सुनकर माता जी बहुत प्रसन्न हुए । माता जी के मनोरथ को पूरा करने के लिए गुरु जी नित्य प्रति प्रातकाल त्रिवेणी स्नान करके अंतर्ध्यान हो कर वृति जोड़ कर बैठ जाते व पुत्र प्राप्ति के लिए अकाल पुरुष की आराधना करते ।

गुरु जी की नित्य आराधना और याचना अकाल पुरख के दरबार में स्वीकार हो गई। उसने हेमकुंट के महा तपस्वी दुष्ट दमन को आप जी के घर माता गुजरी जी के गर्भ में जन्म लेने कि आज्ञा की । जिसे स्वीकार करके श्री दमन (दसमेश) जी ने अपनी माता गुजरी जी के गर्भ में आकर प्रवेश किया ।

गुरु गोविंद सिंह का जन्म नौवें सिख गुरु तेगबहादुर और माता गुजरी के घर पटना में 22 दिसम्बर 1666 को हुआ था। जब वह पैदा हुए थे उस समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश को गये थे। उन्होंने बचपन में फारसी, संस्कृत की शिक्षा ली और एक योद्धा बनने के लिए सैन्य कौशल सीखा।

गुरु गोबिंद सिंह जी का विवाह सुंदरी जी से 11 साल की उम्र में 1677 में हुआ। उनके चार पुत्र साहिबजादा अजीत सिंह, जूझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह थे ।

गुरु गोबिन्द सिंह मार्ग!!

अप्रैल 1685 में, सिरमौर के राजा मत प्रकाश के निमंत्रण पर गुरू गोबिंद सिंह ने अपने निवास को सिरमौर राज्य के पांवटा शहर में स्थानांतरित कर दिया । सिरमौर राज्य के गजट के अनुसार, राजा भीम चंद के साथ मतभेद के कारण गुरु जी को आनंदपुर साहिब छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था और वे वहाँ से टोका शहर चले गये । मत प्रकाश ने गुरु जी को टोका से सिरमौर की राजधानी नाहन के लिए आमंत्रित किया। नाहन से वह पांवटा के लिए रवाना हुये। मत प्रकाश ने गढ़वाल के राजा फतेह शाह के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से गुरु जी को अपने राज्य में आमंत्रित किया था। राजा मत प्रकाश के अनुरोध पर गुरु जी ने पांवटा मे बहुत कम समय में उनके अनुयायियों की मदद से एक किले का निर्माण करवाया। गुरु जी पांवटा में लगभग तीन साल के लिए रहे और कई ग्रंथों की रचना की। 

सन 1687 में नादौन की लड़ाई में, गुरु गोबिंद सिंह, भीम चंद, और अन्य मित्र देशों की पहाड़ी राजाओं की सेनाओं ने अलिफ खान और उनके सहयोगियों की सेनाओं को हरा दिया था । विचित्र नाटक (गुरु गोबिंद सिंह द्वारा रचित आत्मकथा) और भट्ट वाहिस के अनुसार, नादौन पर बने व्यास नदी के तट पर गुरु गोबिंद सिंह आठ दिनों तक रहे और विभिन्न महत्वपूर्ण सैन्य प्रमुखों का दौरा किया।

भंगानी के युद्ध के कुछ दिन बाद, रानी चंपा (बिलासपुर की विधवा रानी) ने गुरु जी से आनंदपुर साहिब (या चक नानकी जो उस समय कहा जाता था) वापस लौटने का अनुरोध किया जिसे गुरु जी ने स्वीकार किया । वह नवंबर 1688 में वापस आनंदपुर साहिब पहुंच गये ।

1695 में, दिलावर खान (लाहौर का मुगल मुख्य) ने अपने बेटे हुसैन खान को आनंदपुर साहिब पर हमला करने के लिए भेजा । मुगल सेना हार गई और हुसैन खान मारा गया। हुसैन की मृत्यु के बाद, दिलावर खान ने अपने आदमियों जुझार हाडा और चंदेल राय को शिवालिक भेज दिया। हालांकि, वे जसवाल के गज सिंह से हार गए थे। पहाड़ी क्षेत्र में इस तरह के घटनाक्रम मुगल सम्राट औरंगजेब के लिए चिंता का कारण बन गए और उसने क्षेत्र में मुगल अधिकार बहाल करने के लिए सेना को अपने बेटे के साथ भेजा।

खालसा पंथ की स्थापना!!

गुरु गोबिंद सिंह जी का नतृत्व सिख समुदाय के इतिहास में बहुत कुछ नया रंग ले कर आया। उन्होंने सन 1699 में बैसाखी के दिन खालसा जो कि सिख धर्म के विधिवत् दीक्षा प्राप्त अनुयायियों का एक सामूहिक रूप है उसका निर्माण किया।

सिख समुदाय के एक सभा में उन्होंने सबके सामने पूछा – कौन अपने सर का बलिदान देना चाहता है? उसी समय एक स्वयंसेवक इस बात के लिए राजी हो गया और गुरु गोबिंद सिंह उसे तम्बू में ले गए और कुछ देर बाद वापस लौटे एक खून लगे हुए तलवार के साथ। गुरु ने दोबारा उस भीड़ के लोगों से वही सवाल दोबारा पूछा और उसी प्रकार एक और व्यक्ति राजी हुआ और उनके साथ गया पर वे तम्बू से जब बाहर निकले तो खून से सना तलवार उनके हाथ में था। उसी प्रकार पांचवा स्वयंसेवक जब उनके साथ तम्बू के भीतर गया, कुछ देर बाद गुरु गोबिंद सिंह सभी जीवित सेवकों के साथ वापस लौटे और उन्होंने उन्हें पंज प्यारे या पहले खालसा का नाम दिया।

उसके बाद गुरु गोबिंद जी ने एक लोहे का कटोरा लिया और उसमें पानी और चीनी मिला कर दुधारी तलवार से घोल कर अमृत का नाम दिया। पहले 5 खालसा के बनाने के बाद उन्हें छटवां खालसा का नाम दिया गया जिसके बाद उनका नाम गुरु गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह रख दिया गया। उन्होंने क शब्द के पांच महत्व खालसा के लिए समझाये और कहा – केश, कंघा, कड़ा, किरपान, कच्चेरा।

गुरु गोबिंद सिंह की तीन पत्नियाँ थी!!

21जून, 1677 को 10 साल की उम्र में उनका विवाह माता जीतो के साथ आनंदपुर से 10 किलोमीटर दूर बसंतगढ़ में किया गया। उन दोनों के 3 लड़के हुए जिनके नाम थे – जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह ।

4अप्रैल, 1684 को 17 वर्ष की आयु में उनका दूसरा विवाह माता सुंदरी के साथ आनंदपुर में हुआ। उनका एक बेटा हुआ जिसका नाम था अजित सिंह।

15अप्रैल, 1700 को 33 वर्ष की आयु में उन्होंने माता साहिब देवन से विवाह किया। वैसे तो उनकी कोई संतान नहीं थी पर सिख धर्म के पन्नों पर उनका दौर भी बहुत प्रभावशाली रहा। 

यह कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह ने कुल चौदह युद्ध लड़े परन्तु कभी भी किसी पूजा के स्थल के लोगों को ना ही बंदी बनाया या क्षतिग्रस्त किया।

भंगानी का युद्ध Battle of Bhangani (1688)नादौन का युद्ध Battle of Nadaun (1691)गुलेर का युद्ध Battle of Guler (1696)आनंदपुर का पहला युद्ध First Battle of Anandpur (1700)आनंदपुर साहिब का युद्ध Battle of Anandpur Sahib (1701)निर्मोहगढ़ का युद्ध Battle of Nirmohgarh (1702)बसोली का युद्ध Battle of Basoli (1702)आनंदपुर का युद्ध Battle of Anandpur (1704)सरसा का युद्ध Battle of Sarsa (1704)चमकौर का युद्ध Battle of Chamkaur (1704)मुक्तसर का युद्ध Battle of Muktsar (1705)

परिवार के लोगों की मृत्यु!!

कहा जाता है कि सिरहिन्द के मुस्लिम गवर्नर ने गुरु गोबिंद सिंह के माता और दो पुत्र को बंदी बना लिया था। जब उनके दोनों पुत्रों ने इस्लाम धर्म को कुबूल करने से मना कर दिया तो उन्हें जिन्दा दफना दिया गया। अपने पोतों के मृत्यु के दुःख को ना सह सकने के कारण माता गुजरी भी ज्यादा दिन तक जीवित ना रह सकी और जल्द ही उनकी मृत्यु हो गयी। मुगल सेना के साथ युद्ध करते समय 1704 में उनके दोनों बड़े बेटों की मृत्यु हो गयी।

जफरनामा!!

गुरु गोबिंद सिंह ने जब देखा कि मुगल सेना ने गलत तरीके से युद्ध किया है और क्रूर तरीके से उनके पुत्रों का हत्या कर दी है तो हथियार डाल देने के बजाये गुरु गोबिंद सिंग ने औरंगजेब को एक जीत पत्र “जफरनामा” जारी किया। बाद में मुक्तसर, पंजाब में दोबारा गुरु जी ने स्थापित किया और अदि ग्रन्थ Adi Granth के नए अध्याय को बनाने के लिए खुद को समर्पित कर दिया जो पांचवें सिख गुरु अर्जुन द्वारा संकलित किया गया है।

उन्होंने अपने लेखन का एक संग्रह बनाया है जिसको नाम दिया दसम ग्रन्थ Dasam Granth और अपनी स्वयं की आत्मकथा जिसका नाम रखा है बिचित्र नाटक Bicitra Natak.

अन्तिम समय!!

एक हत्यारे से युद्ध करते समय गुरु गोबिंद सिंह जी के छाती में दिल के ऊपर एक गहरी चोट लग गयी थी। जिसके कारण 18 अक्टूबर, 1708 को 42 वर्ष की आयु में नान्देड में अपना नश्वर देह त्याग दिया ।

आओ सब मिलकर ऐसी दिव्य विभूति गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर उन्हें शत शत नमन करें ।