Wednesday, September 20, 2017

आद्यशक्ति की उपासना का पावन पर्व : नवरात्र

21 सितम्बर से 29 सितम्बर
नवरात्रि पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है । माँ दुर्गा के नौ रूपों की अराधना का पावन पर्व शुरू हो रहा है ।
नवरात्रि एक बड़ा हिंदू पर्व है । नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें' । इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति (देवी) के नौ रूपों की पूजा की जाती है । दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है ।
नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है । 

navratri upasana

पौष, चैत्र, आषाढ,अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है । नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं ।  इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति (देवी) के नौ रूपों की पूजा की जाती है ।  दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है । नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्यौहार है जिसे पूरे भारत और अन्य देशों में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है ।
आश्विन शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक का पर्व शारदीय नवरात्र के रूप में जाना जाता है । यह व्रत-उपवास व जप-ध्यान का पर्व है ।
‘श्रीमद्देवी भागवत’ में आता है कि विद्या, धन व पुत्र के अभिलाषी को नवरात्र-व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए । जिसका राज्य छिन गया हो, ऐसे नरेश को पुनः गद्दी पर बिठाने की क्षमता इस व्रत में है ।
नौ देवियाँ है :-
शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है ।
ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी ।
चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली ।
कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है ।
स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता ।
कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि ।
कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वाली ।
महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली माँ ।
सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली ।
शक्ति की उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है ।
सर्वप्रथम भगवान श्रीरामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की । तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा ।
आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा की जाती है । माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है । ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं । इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं । नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है ।
नवदुर्गा और दस महाविद्याओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं । भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दश महाविद्या अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं । दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं । देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा के बिना पंगु हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है । सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा-प्रसाद के लिए लालायित रहते हैं ।
नवरात्रि भारत के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है । गुजरात में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है । गुजरात में नवरात्रि समारोह डांडिया और गरबा के रूप में जान पडता है । यह आधीरात तक चलता है । डांडिया का अनुभव बडा ही असाधारण है । देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, 'आरती' से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद । पश्चिम #बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है । इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, मैसूर के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है ।
नवरात्रि उत्सव देवी अंबा (शक्ति) का प्रतिनिधित्व है । वसंत की शुरुआत और #शरद ऋतु की शुरुआत, जलवायु और सूरज के प्रभावों का महत्वपूर्ण संगम माना जाता है । इन दो समय माँ दुर्गा की पूजा के लिए पवित्र अवसर माने जाते है । त्यौहार की तिथियाँ चंद्र कैलेंडर के अनुसार निर्धारित होती हैं । #नवरात्रि पर्व, #माँ-दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति (उदात्त, परम, परम रचनात्मक ऊर्जा) की पूजा का सबसे शुभ और अनोखा अवधि माना जाता है । यह पूजावैदिक युग से पहले, प्रागैतिहासिक काल से है । ऋषि के वैदिक युग के बाद से, नवरात्रि के दौरान की भक्ति प्रथाओं में से मुख्य रूप गायत्री साधना का हैं ।
नवरात्रि के पहले तीन
नवरात्रि के पहले तीन दिन देवी #दुर्गा की पूजा करने के लिए समर्पित किए गए हैं । यह पूजा ऊर्जा और शक्ति की की जाती है । प्रत्येक दिन दुर्गा के एक अलग रूप को समर्पित है। #त्योहार के पहले दिन बालिकाओं की पूजा की जाती है । दूसरे दिन युवती की पूजा की जाती है । तीसरे दिन जो महिला परिपक्वता के चरण में पहुँच गयी है उसकि पूजा की जाती है । देवी दुर्गा के विनाशकारी पहलु सब बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करने के प्रतिबद्धता के प्रतीक है।
देवी की आरती
व्यक्ति जब #अहंकार, क्रोध, वासना और अन्य पशु प्रवृत्ति की बुराई प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह एक शून्य का अनुभव करता है। यह शून्य आध्यात्मिक धन से भर जाता है। प्रयोजन के लिए, व्यक्ति सभी भौतिकवादी, आध्यात्मिक धन और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा करता है । नवरात्रि के चौथे, पांचवें और छठे दिन #लक्ष्मी- समृद्धि और शांति की देवी की पूजा करने के लिए समर्पित है । शायद व्यक्ति बुरी प्रवृत्तियों और धन पर विजय प्राप्त कर लेता है, पर वह अभी सच्चे ज्ञान से वंचित है । ज्ञान एक मानवीय जीवन जीने के लिए आवश्यक है भले हि वह सत्ता और धन के साथ समृद्ध है । इसलिए, नवरात्रि के पांचवें दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। सभी पुस्तकों और अन्य साहित्य सामग्रीयो को एक स्थान पर इकट्ठा कर दिया जाता हैं और एक दीया देवी आह्वान और आशीर्वाद लेने के लिए, देवता के सामने जलाया जाता है ।
नवरात्रि का सातवां और आठवां दिन
सातवें दिन, कला और ज्ञान की देवी, #सरस्वती, की पूजा की है। प्रार्थनायें, आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश के उद्देश्य के साथ की जाती हैं । आठवे दिन पर एक 'यज्ञ' किया जाता है। यह एक बलिदान है जो देवी दुर्गा को सम्मान तथा उनको विदा करता है।
नवरात्रि का नौवां दिन
नौवा दिन नवरात्रि समारोह का अंतिम दिन है। यह महानवमी के नाम से भी जाना जाता है । ईस दिन पर, कन्या पूजन होता है । उसमे नौ #कन्याओं की पूजा होती है जो अभी तक यौवन की अवस्था तक नहीं पहुँची है । इन नौ कन्याओं को देवी दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है । कन्याओं का सम्मान तथा स्वागत करने के लिए उनके पैर धोए जाते हैं। #पूजा के अंत में कन्याओं को उपहार के रूप में नए कपड़े पेश किए जाते हैं ।
नवरात्रि के व्रत में इन बातों का रखना चाहिए ख्याल:
- नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए । इस #दौरान बच्चों का मुंडन करवाना शुभ होता है ।
- नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए ।
- इस दौरान खाने में प्याज, #लहसुन और नॉन वेज बिल्कुल न खाएं ।
- नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए ।
- व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
- #व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए । खाने में कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं ।
- #विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, #तम्बाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है ।
यदि कोई पूरे नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी - तीन दिन उपवास करके #देवी की #पूजा करने से वह नवरात्र के #उपवास के फल को प्राप्त करता है ।
नवरात्र पर जागरण
नवरात्र पर उत्तम #जागरण वह है, जिसमें
(1) #शास्त्र-अनुसार चर्चा हो ।
(2) #दीपक हो ।
(3) #भक्तिभाव से युक्त माँ का कीर्तन हो ।
(4) वाद्य, ताल आदि से युक्त सात्त्विक संगीत हो ।
(5) प्रसन्नता हो ।
(6) #सात्त्विक नृत्य हो, ऐसा नहीं कि डिस्को या अन्य कोई पाश्चात्य नृत्य किया ।
(7) #माँ #जगदम्बा पर नजर हो, ऐसा नहीं कि किसीको गंदी नजर से देखें ।
(8) मनोरंजन सात्त्विक हो; रस्साकशी, लाठी-खेंच आदि कार्यक्रम हों ।
 #नवरात्र का व्रत सभी मनुष्यों को नियमित तौर पर करना ही चाहिये । जिससे घर में सुख, शांति, बरकत व मधुरता आती है । #आध्यात्मिकता का प्रादुर्भाव होता है । घर की बाधाएँ व क्लेश दूर होते हैं । अपने जीवन में व्यक्तित्व और चरित्र के निर्माण होता है । आपसी जीवन में प्रेम और समन्वय बढ़ता है ।
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Tuesday, September 19, 2017

अखाड़ा की बैठक में बैठे संतों ने कहा कि बापू आसारामजी का नाम दबाव के कारण डाला गया


अगस्त, 19, 2017

🚩#डॉ. रामविलास वेदांतीजी, लोकसभा के पूर्व सदस्य ने बताया कि अखाड़ा परिषद में जिन संतों की चर्चा की है उसमें से कुछ ऐसे संत हैं जैसे स्वामी #असीमानंदजी वनवासी, आदिवासी, #दलितों के #उत्थान के #कार्य कर रहे थे, जिन हिन्दुओं को ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करके ईसाई बना रही थी उनको #पुनः #हिन्दू धर्म में #लाने का #कार्य किया ।

dr ramvilas vedanti

🚩ठीक उसी प्रकार #आशारामजी बापू जिनके आचरण में , स्वभाव में किसी प्रकार का गलत नही हुआ है, हमारे विश्व हिंदू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय माननीय श्री अशोक सिंघल जी जब उनको स्वयं जोधपुर जेल में मिलने गये थे तब पत्रकारों ने उनको पूछा तो अशोक सिंघल ने बताया कि #कांग्रेस सरकार ने #जानबूझकर #झूठा #आरोप लगाकर संत आशारामजी बापू को #जेल भेजा जिससे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर साधु-संतों की निंदा की जाये । संत आशारामजी बापू स्वाभाविक धर्म और #हिन्दू संस्कृति के लिए काम कर रहे थे, बापूजी ने #मातृ-पितृ पूजन #कार्यक्रम किया, अशोक सिंघल जी और मैं भी गया था, ऐसे महापुरुष बापूजी के लिए और स्वामी असीमानंद के लिए जो अखाड़ा परिषद ने शब्द प्रयोग किया वो गलत है।

🚩मीडिया ने जिस ढंग से साधु या बाबा शब्द को प्रदूषित किया है वो बिलकुल गलत है, मै साफ शब्दों में कहता हूँ कि संत #आशारामजी बापू समाज के हित में देश के हित में #हिन्दुओं के #हित में लगे थे, धार्मिक कार्यों में लगे थे उनको अचानक कांग्रेस सरकार ने जानबूझकर पकड़कर आरोप लगाकर जेल में बंद किया, वो आरोप भी गलत था ।

🚩 अखाड़ा परिषद ने जो संत आशारामजी बापू का और स्वामी असीमानंद का नाम लिया वो गलत है,
मैं इसकी घोर निंदा करता हूँ, अखाड़ा परिषद को ये दोनों नाम वापिस लेना चाहिए।*


🚩जो संत आशारामजी बापू के भक्त हैं उनको कहना चाहता हूँ कि #अखाड़ा परिषद के #कुकृत्य को उजागर करें, जिनका नाम लेना चाहिए उनका नाम नही लिया और जिनका नाम नही लेना चाहिए उनका नाम लिया ये बहुत गलत है।

🚩भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि संत आशारामजी बापू जेल से जल्दी से जल्दी छूटे और फिर से हिन्दू संस्कृति का प्रचार देश और विदेश में घूम-घूमकर करें।

🚩अखाड़ा परिषद की बैठेक में बैठे प्रयागराज इलाहाबाद से पधारे महंत गजानंददास ने भी नरेद्र गिरी को खूब लताड़ा । *उन्होंने कहा कि संत आशारामजी बापू एक आत्म साक्षात्कारी ब्रह्मनिष्ठ संत हैं उनका नाम फर्जी बाबाओं में लिखना वो बिलकुल गलत है, अखाड़ा परिषद में बैठे हुए कई संतों ने उस समय विरोध भी किया कि संत आशारामजी बापू का नाम नहीं डालो लेकिन #नरेद्र गिरी ने #दबाव और #लालच में आकर #संत आशारामजी बापू का नाम #सूची में डाला, वो #बिलकुल #गलत है ।*

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Monday, September 18, 2017

जाने सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध क्यो करना चाहिए, नही करने से क्या होगी हानि ?



सर्वपितृ अमावस्या 19 सितम्बर 2017

🚩राजा रोहिताश्व ने मार्कण्डेयजी से प्रार्थना की : ‘‘भगवन् ! मैं श्राद्धकल्प का यथार्थरूप से श्रवण करना चाहता हूँ ।

🚩मार्कण्डेयजी ने कहा : ‘‘राजन् ! इसी विषय में आनर्त-नरेश ने भर्तृयज्ञ से पूछा था । तब भर्तृयज्ञ ने कहा था : ‘राजन् ! विद्वान पुरुष को #अमावस्या  के #दिन #श्राद्ध अवश्य करना चाहिए । क्षुधा से क्षीण हुए #पितर श्राद्धान्न की आशा से अमावस्या तिथि आने की प्रतीक्षा करते रहते हैं । जो अमावस्या को जल या शाक से भी #श्राद्ध करता है, उसके #पितर #तृप्त होते हैं और उसके समस्त #पातकों का #नाश हो जाता है ।
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🚩आनर्त-नरेश बोले : ‘ब्रह्मन् ! मरे हुए जीव तो अपने कर्मानुसार शुभाशुभ गति को प्राप्त होते हैं, फिर श्राद्धकाल में वे अपने पुत्र के घर कैसे पहुँच पाते हैं ?

🚩भर्तृयज्ञ : ‘राजन् ! जो लोग यहाँ मरते हैं उनमें से कितने ही इस लोक में जन्म लेते हैं, कितने ही पुण्यात्मा स्वर्गलोक में स्थित होते हैं और कितने ही पापात्मा जीव यमलोक के निवासी हो जाते हैं । कुछ जीव भोगानुकूल शरीर धारण करके अपने किये हुए शुभ या अशुभ कर्म का उपभोग करते हैं ।
राजन् ! यमलोक या स्वर्गलोक में रहनेवाले पितरों को भी तब तक भूख-प्यास अधिक होती है, जब तक कि वे माता या पिता से तीन पीढी के अंतर्गत रहते हैं । जब तक वे मातामह, प्रमातामह या वृद्धप्रमातामह और पिता, पितामह या प्रपितामह पद पर रहते हैं, तब तक श्राद्धभाग लेने के लिए उनमें भूख-प्यास की अधिकता होती है । 
🚩#पितृलोक या देवलोक के पितर श्राद्धकाल में सूक्ष्म शरीर से #श्राद्धीय ब्राह्मणों के शरीर में स्थित होकर #श्राद्धभाग से #तृप्त होते हैं, परंतु जो पितर कहीं शुभाशुभ भोग हेतु स्थित हैं या जन्म ले चुके हैं, उनका भाग दिव्य पितर लेते हैं और जीव जहाँ जिस शरीर में होता है, वहाँ तदनुकूल भोगों की प्राप्ति कराकर उसे तृप्ति पहुँचाते हैं । 

🚩ये दिव्य पितर नित्य और सर्वज्ञ होते हैं । पितरों के उद्देश्य से शक्ति के अनुसार सदा ही अन्न और जल का दान करते रहना चाहिए । जो नीच मानव पितरों के लिए अन्न और जल न देकर आप ही भोजन करता है या जल पीता है, वह पितरों का द्रोही है । उसके पितर स्वर्ग में अन्न और जल नहीं पाते हैं । श्राद्ध द्वारा #तृप्त किये हुए #पितर मनुष्य को #मनोवांछित भोग प्रदान करते हैं ।

🚩आनर्त-नरेश : ‘ब्रह्मन् ! श्राद्ध के लिए और भी तो नाना प्रकार के पवित्रतम काल हैं, फिर अमावस्या को ही विशेषरूप से श्राद्ध करने की बात क्यों कही गयी है ?

🚩भर्तृयज्ञ : ‘राजन् ! यह सत्य है कि श्राद्ध के योग्य और भी बहुत-से समय हैं । मन्वादि तिथि, #युगादि तिथि, #संक्रांतिकाल, #व्यतीपात, #चंद्रग्रहण तथा #सूर्यग्रहण - इन सभी समयों में पितरों की तृप्ति के लिए #श्राद्ध करना चाहिए । पुण्य-तीर्थ, पुण्य-मंदिर, श्राद्धयोग्य ब्राह्मण तथा श्राद्धयोग्य उत्तम पदार्थ प्राप्त होने पर बुद्धिमान पुरुषों को बिना पर्व के भी श्राद्ध करना चाहिए । अमावस्या को विशेषरूप से श्राद्ध करने का आदेश दिया गया है, इसका कारण है कि सूर्य की सहस्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है उसका नाम ‘अमा है । उस ‘अमा नामक प्रधान किरण के तेज से ही सूर्यदेव तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं । उसी ‘अमा में तिथि विशेष को चंद्रदेव  निवास  करते  हैं,  इसलिए  उसका  नाम अमावस्या है। यही कारण है कि अमावस्या प्रत्येक धर्मकार्य के लिए अक्षय फल देनेवाली बतायी गयी है । श्राद्धकर्म में तो इसका विशेष महत्त्व है ही ।
🚩श्राद्ध की महिमा बताते हुए ब्रह्माजी ने कहा है : ‘यदि मनुष्य पिता, पितामह और प्रपितामह 
के  उद्देश्य  से  तथा  #मातामह,  #प्रमातामह  और वृद्धप्रमातामह के उद्देश्य से #श्राद्ध-तर्पण करेंगे तो उतने से ही उनके पिता और माता से लेकर मुझ तक सभी पितर तृप्त हो जायेंगे ।

🚩जिस अन्न से मनुष्य अपने पितरों की तुष्टि के लिए श्रेष्ठ ब्राह्मणों को तृप्त करेगा और उसीसे भक्तिपूर्वक पितरों के निमित्त पिंडदान भी देगा, उससे पितरों को सनातन तृप्ति प्राप्त होगी ।

🚩पितृपक्ष में शाक के द्वारा भी जो पितरों का श्राद्ध नहीं करेगा वह धनहीन चाण्डाल होगा । ऐसे व्यक्ति से जो बैठना, सोना, खाना, पीना, छूना-छुआना अथवा वार्तालाप आदि व्यवहार करेंगे, वे भी महापापी माने जायेंगे । उनके यहाँ संतान की वृद्धि नहीं होगी । किसी प्रकार भी उन्हें सुख और धन-धान्य की प्राप्ति नहीं होगी ।

🚩यदि श्राद्ध करने की क्षमता, शक्ति, रुपया-पैसा नहीं है तो श्राद्ध के दिन पानी का लोटा भरकर रखें फिर भगवदगीता के सातवें अध्याय का पाठ करें ओर 1 माला द्वादश मंत्र ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” और एक माला "ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा" की करें और लोटा में भरा हुआ पानी से सूर्यं भगवान को अर्घ्य दे फिर 11.36  से 12.24 के बीच के समय (कुतप वेला) में #गाय को #चारा खिला दें । चारा खरीदने का भी पैसा नहीं है, ऐसी कोई समस्या है तो उस समय दोनों भुजाएँ ऊँची कर लें, आँखें बंद करके सूर्यनारायण का ध्यान करें : ‘हमारे पिता को, दादा को, फलाने को आप तृप्त करें, उन्हें आप सुख दें, आप समर्थ हैं । मेरे पास धन नहीं है, सामग्री नहीं है, विधि का ज्ञान नहीं है, घर में कोई करने-करानेवाला नहीं है, मैं असमर्थ हूँ लेकिन आपके लिए मेरा सद्भाव है, श्रद्धा है । इससे भी आप तृप्त हो सकते हैं । इससे आपको मंगलमय लाभ होगा ।

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Sunday, September 17, 2017

अखाड़ा परिषद का बाबाओं के फर्जी वाले निर्णय को हिन्दू महासभा ने कर दिया निरस्त

सितम्बर 17, 2017

🚩दिल्ली : रविवार को #जंतर-मंतर पर #हिन्दू महासभा एवं अन्य #हिन्दू संगठनों ने अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गई 14 बाबाओ की फर्जी लिस्ट वाली सूची के खिलाफ #विशाल #धरना दिया ।

🚩इस धरने में कई सुप्रतिष्ठित हस्तियां, कई उच्चकोटि के साधु-संत एवं सामाजिक कार्यकर्ता पहुँचे । सभी ने अखाड़ा परिषद द्वारा जारी की गई फर्जी बाबाओं की लिस्ट पर भारी रोष जताया व विरोध प्रगट किया ।

🚩जंतर-मंतर पर हिन्दू संत #आशारामजी बापू के #समर्थक भी हजारों की तादाद में दिखे एवं अन्य संत प्रेमी जनता भी पहुँची ।
Akhara Parishad's decision on Baba's fake remarks was canceled by Hindu Mahasabha
🚩हिन्दू महासभा के #अध्यक्ष #श्री चक्रपाणी महाराज ने विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अखाड़ा परिषद ने जो लिस्ट जारी की है,उसके खिलाफ संत-महासभा की तरफ से प्रस्तुति है कि बिना भेद-भाव के परमात्मा को साक्षी मानकर "संत समाज" ने ये निर्णय लिया है अखिल अखाड़ा परिषद क्रमांक 10-9-2017 को अध्यक्ष नरेन्द्र गिरी की अध्यक्षता में महंत हरिगिरी के प्रत्यक्षता में मुख्य फर्जी संतों की सूची पर निर्णय लिया गया है ।  उपयुक्त सूची #दुर्भावना व अपनी #नाकामियों को छुपाने के लिए अखाड़ा परिषद के द्वारा जारी की गई थी ।

🚩जो धर्म सम्मुख व संविधान ही नहीं है इससे न केवल हिंदुत्व को नुकसान होगा  बल्कि धर्म परिवर्तन को बल मिलेगा । अतः दिनांक 10-9-2017 को #फर्जी सूची को #संत-महासभा द्वारा #निरस्त किया जा रहा है !! चट्टान प्रभाव से निरस्त किया जाता है !! 

🚩और सुझाव दिया जाता है कि जिसके "घर शीशे के होते वो पत्थर वालों को ईटा नहीं फेंकते" अतः मुसीबत आनेवाली है । आज अगर संत आशारामजी बापूज फंस गए, राम-रहीम जी फंस गए तो ये नहीं की अखाड़े वाले नहीं फंसोगे,अतः मुसीबत आनेवाली है ।

🚩"वतन की फिक्र कर नादां मुसीबत आने वाली है,
तेरी बर्बादियों के चर्चे है आसमानों में, 
फनाह हो जाओगे अगर न सम्भले अखाड़े वालों
तेरी दास्ता तक न होगी दास्तानों में ।"

🚩अखाड़ा परिषद कथित फर्जी संतों की सूची खारिज हो गई तो खारिज हो ही गई ।

🚩और बता देना चाहता हूँ अंतिम पांचवा :-
ऐसा नही कि यह मंच पर संत-समाज ने बोल दिया कि खारिज हो । अगर दोबारा फर्जी संतों का शब्द प्रयोग किया तो याद रखना संत महासभा कानूनी तरीके से खींच कर लाएगी। इसलिए हम सिर्फ खारिज कर रहें है और कह रहे हैं रुक जाइये ।

🚩स्वामी चक्रपाणी महाराज ने और संतो ने मिलकर फर्जी बाबाओ की सूची को निरस्त करने के बाद #राष्ट्रपति और #मुख्यमंत्री योगी #आदित्यनाथ जी को #पत्र भी #भेजा है ।

🚩आपको बता दें कि उस मंच पर अनेक संत महात्माओं ने हिन्दू संत #आशारामजी बापू के समाज एवं #हिन्दू संस्कृति के #सेवाकार्यो की #भूरी-भूरी #प्रशंसा की और कहा कि बापू को #षडयंत्र के तहत #फंसाया गया है और #राजनीतिक दबाब के कारण उनको जमानत भी नही मिल रही है जबकि उनको मेडकिल में क्लीन चिट मिल गई है और अभीतक एक भी आरोप सिद्ध नही हुआ है ।

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Saturday, September 16, 2017

हिन्दुओं का आपस में बांटने का खुल्ला षडयंत्र, हिन्दू भी हो रहे हैं शिकार

सितम्बर 16,2017

🚩यूट्यूब पर शनिवार #आचार्य #जितेंद्र महाराज ने एक वीडियो अपलोड किया है, उसमें उन्होंने बताया है कि कैसे #हिन्दुओं को #आपस में #लड़ा रहे हैं। 

🚩आइये जाने क्या कहते हैं जितेंद्र महाराज...
🚩जितेंद्र महाराज ने कहा कि वंदे मातरम.. प्यारे भारतीयों... कुछ दिन पहले से मीडिया में एक प्रोपेगंडा खड़ा किया जा रहा है, कि भारत में 14 साधु फर्जी हैं और बाकी के तो असली हैं और उसके अलावा ये वो फलाना ढिमका.. 

🚩तो मैं इस विषय पर कहना चाहता हूँ कि ये पूरा का पूरा एक #विदेशी षड़यंत्र है और #पॉलिटिकल एजेंडा है, जिसके द्वारा हमारे सनातन धर्म के संतों को , कर्णधारों को आपस में लड़ा दिया जाए और फिर जिनको भी पॉलिटिक्स की रोटी सेंकना है वो इस पर आराम से रोटी सकेंगे और हिंदू धर्म का बंटवारा होगा। 

 
🚩अब हो क्या रहा है , कि जिस #संत ने #पूरे जीवन भर #कार्य किए #देश के लिए , #धर्म के लिए , धर्म रक्षा के लिए , #राष्ट्र रक्षा के लिए , राष्ट्र की सुरक्षा के लिए , #अंतरिम सुरक्षा के लिए जिन्होंने काफी सारे कार्य किए ,  जिन्होंने इस देश को काटने के लिए आए #ईसाइयों के #कन्वर्शन  के अभियान को एक तरीके से बांध बन करके रोक दिया , ऐसे संत को अगर फर्जी कहेंगे और मदर टेरेसा को संत कहेंगे तो ये तो हमारे लिए बड़ा दुखदाई है। 

🚩इस देश की एक हिंदुओं की धर्म से काटने वाली जो #विषबेला थी वो #मदर टेरेसा जिसे #वेटिकन ने संत घोषित किया और भारत में मिठाइयां बंटी और भारत के प्रधानमंत्री को भी मजबूरन यह कहना पड़ा कि मदर टेरेसा संत थी, उन्होंने मानवता का कार्य किया।  तो इसी मदर टेरेसा जिसने हिंदुत्व को काटने का कार्य किया । भारत में इस विषबेल ने बहुत बड़ा विशाल रूप ले लिया , ऐसे विषबेल को ऐसी दुष्ट दुरात्मा को हमको कहना चाहिए कि यह फर्जी है ,  हमको पॉल दिनाकरन को कहना चाहिए यह फर्जी है ,  हमको ऐसे मौलाना जो इस राष्ट्र की रक्षा के लिए खतरा बन बैठे हैं , उनको कहना चाहिए कि यह फर्जी है।  हमें आपस में नहीं लड़ना झगड़ना चाहिए। जिन्होंने #तुलसी  दिवस मनवाया , जिन्होंने #मातृ पितृ पूजन दिवस बनाया , जिन्होंने #युवाधन सुरक्षा पुस्तक निकाला. ..  ऐसे #पूजनीय के बारे में अपना #टिप्पणी भी नहीं करना चाहिए और आपस में लड़ करके इस देश का धर्म,पतन के गर्त में चला जाएगा।

🚩आपको मालूम है,मैं जानकारी दे देना चाहता हूँ कि जॉयन नाम के एक डायरेक्टर ने अपनी फिल्म "गॉड इस कैप्थ" के अंदर हनुमान जी को "गे" बताया.. जो धर्म के सबसे बलवान भगवान कहे जाते हैं उन महान , उन तेजस्वी परम प्रतापी भगवान हनुमान जी के बारे में वह डायरेक्टर ने फिल्म बना दी और वह फिल्म भारत में YouTube पर चल रही है और वह डायरेक्ट जिंदा घूम रहा है ,  उसकी हीरोइन उसके हीरो यहां पर सड़कों पर जिन्देें घूम रहे हैं और 100 करोड़ हिंदुओं को चिड़ा रहे हैं उनके मुंह पर थूक रहे हैं कि देखो तुम्हारे हनुमान जी , उनको हमने "गे" (समलैंगिक) बता दिया तुमने क्या कर लिया ? 

🚩हमारा खून नहीं खौला..हमें जानकारी तक नहीं है.. हमारे पास संतों के लफड़े में,आपस में लड़ने झगड़ने से मन में ईर्ष्या-द्वेष सबके लिए टाइम है, लेकिन हमारे आराध्य भगवान केसरी नंदन , अंजनी पुत्र , पवन पुत्र #हनुमान जी महाराज को जॉयन ने "गे"  बताकर #फिल्म रिलीज कर दी,हम उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाए। #PK जैसी #फिल्म आकर के हमारे संतो का #मजाक उड़ा करके चली गई , "ओह माय गॉड" आ करके हिंदू धर्म को अपमानित कर गई कि , सारा पाखंड अंधविश्वास हिंदू धर्म में है । 

🚩इसलिए हमें आपस में नहीं लड़ना है और हम हर समय , हर श्वास  संतो के सम्मान की , देश के अभिमान की स्वाभिमान की रक्षा के लिए खड़े रहेंगे , चाहे इस क्रांति में हमारे प्राण क्यों न चले जाए लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे,  तो सभी लोगों से विनम्र निवेदन है कि सभी संत जनों से सभी पूजनीय से कि आपस में मतभेद मत करिए। एक दूसरे के पुतले जलेंगे , दुनिया हँसेगी .. जग हँसेगा.. जग वही चाहता है कि आप लोग आपस में लड़े दुनिया देखे और हँसे और क्रिश्चियनिटी और कट्टर मुस्लिम वाले लोग वो इस देश में अपना काम करते जाएं और वोट बैंक स्थापित हो ।

🚩आज देश की समस्या #रोहिंग्या है फर्जी संतो के बारे में यह लिस्ट विस्ट जारी करने की जो बातें करी और #फर्जीकरार करने की जो #कोशिश की वो सब बहुत गलत #धृणात्मक कृत्य है , इसको नहीं होना चाहिए। जो फर्जी रहेगा उसको भगवान दंड देगा ना..ईश्वर सर्वोपरि है , धर्मसत्ता राष्ट्र रक्षा के लिए कार्य करने के लिए आतुर रहे। हनुमान जी महाराज की जिसने पिक्चर बनाई है उसका  मस्तक चौराहे पर पड़ा होना चाहिए तब हमारा धर्म सत्ता का इस देश के अंदर कुछ महत्व रहेगा और संतो के बारे में कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहिए। 


🚩वो #संत महान है #जिन्होंने #लाखों-लाखों लोगों के #हृदय में #सनातन का भाव #जगा दिया ऐसे संतो के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए। 

🚩भारत माता की जय ..वंदे मातरम जय हिंदू राष्ट्र।


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