Tuesday, October 10, 2023

गरबा क्यों खेलते है और नवरात्रि में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? जानिए......

10 October 2023

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🚩नवरात्रि में विभिन्न प्रांतों में किए जानेवाले धार्मिक कार्यक्रमों का एक महत्त्वपूर्ण अंग है- गरबा । प्रारंभ में विशेषकर यह भक्तिपूर्ण नृत्य गुजरात से ही देशभर में प्रचलित हुआ है । गुजरात में नवरात्रि में अनेक छिद्रों वाले मिट्टी के कलश में दीपक रखते हैं, जो रात्रि के अंधेरे में बड़ा ही सुंदर प्रकाशित होता है । इस दीप कलश का मातृशक्ति के प्रतीक या स्त्री की सृजनशक्ति के प्रतीक के रूप में पूजन भी करते हैं।


🚩गरबा खेलने’ का क्या अर्थ है ?


🚩नवरात्रि में प्रथम दिन स्थापित माता की प्रतिमा और कलश के चारों ओर घुमते हुए तालियों के लयबद्ध स्वर के साथ देवी माँ के भक्तिरस पूर्ण गुणगानात्मक भजन और नृत्य को गरबा खेलना कहते हैं। अर्थात तालियों की ध्वनि पर भजन एवं नृत्य करते हुए सगुण उपासना से श्री दुर्गादेवी की स्तुति करना । और इस प्रकार भक्तजन जगत के कल्याण के लिए और दुर्जनों व दुष्ट शक्तियों के विनाश के लिए माता का प्रार्थना पूर्वक आवाहन करते हैं । माता के प्रति भक्ति प्रकट करने, उनको पूर्ण समर्पण करने के लिए गरबा खेला जाता है।


🚩नवरात्रि में अनुचित कृत्यों को रोकें :


🚩पूर्वकाल में ‘गरबा’ नृत्य के समय देवी गीत , कृष्णलीला गीत एवं संत रचित गीत ही गाए जाते थे। वर्तमान काल में भगवती के इस सामूहिक नृत्य की उपासना में विकृतियां आ गई हैं। ‘रिमिक्स’, पश्चिमी संगीत अथवा चलचित्रों के गीतों की ताल पर अश्लील हावभाव में मनोरंजन के लिए गरबे के स्थान पर ‘डिस्को-डांडिया’ खेला जाता है। गरबे को निमित्त बनाकर व्यभिचार आदि भी किया जाता है। पूजास्थल पर तंबाकू सेवन, मद्यपान, ड्रिंक्स, ध्वनि प्रदूषण आदि अनुचित कृत्य भी किए जाते हैं। मूलत: एक धार्मिक उत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस कार्यक्रम को व्यावसायिक रूप देकर विकृत कर दिया गया है। इससे संस्कृति और समाज की हानि हो रही है। इसे रोकने हेतु उचित कदम उठाना अत्यावश्यक है।


🚩क्या अनुचित रूप से गरबा खेलने से माँ की कृपा होगी ?


🚩यद्यपि देवी माँ की यह उपासना अन्तर्मुख होने का सुअवसर प्रदान करती है।

तथापि अनुचित रूप से गरबा खेलते समय बढ़े रज-तम के कारण उस स्थान पर कष्टदायक तरंगें अधिक मात्रा में आकृष्ट होती हैं। बढ़ी ही अनिष्टकारी शक्तियां आकृष्ट होती हैं । जिनका वहां उपस्थित व्यक्तियों पर न्यूनाधिक मात्रा में असर होता है। परिणामस्वरूप व्यक्ति बहिर्मुख और विषयों के आधीन होता जाता है। 


🚩देवी की उपासना स्वरूप परंपरागत गरबा :


🚩जब हम उत्कट भाव से देवी-देवताओं का आदर-सम्मान करेंगे, तभी उनकी कृपा प्राप्त कर पाएंगे। आज पवित्र गरबा नृत्य के दौरान जबरन होने वाले अनाचार जैसे कृत्यों से नहीं। भावपूर्ण पूजन से भक्त पर देवी मां की पूर्ण कृपा होती है। इसलिए गरबा खेलने को हिन्दू धर्म में देवी की उपासना मानते हैं। इसमें देवी का भक्तिरस पूर्ण गुणगान करते हैं।


🚩इस समय देवी के समक्ष पारंपरिक भावपूर्ण नृत्य किया जाता है। नृत्य में प्रत्येक स्तर पर तीन तालियां बजायी जाती हैं एवं छोटे छोटे डंडों से लयबद्ध ध्वनि भी करते हैं। गरबा खेलते समय गोल घेरा बनाते हैं साथ ही देवी के गीत अथवा भजन गाते हैं। नृत्य करते करते माता की स्तुति में अपने नकली मैं-पने को अर्थात् अहं भाव को कुछ क्षणों के लिए भूल जाते हैं और भक्तिभाव में सराबोर होने से एकाग्रता होती है । जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है ।


🚩सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।


🚩नवरात्रि महिषासुरमर्दिनी माँ श्री दुर्गादेवी का त्यौहार है। देवी ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिनों तक अर्थात प्रतिपदा से नवमी तक युद्ध कर, नवमी की रात्रि उसका वध किया। उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है। जग में जब-जब तामसी, आसुरी एवं क्रूर लोग प्रबल होकर सात्त्विक, उदार एवं धर्मनिष्ठ सज्जनों को छलते हैं, तब देवी धर्मसंस्थापना हेतु पुनः-पुनः अवतार धारण करती हैं। उनके निमित्त यह नवरात्रि का व्रत है।

संदर्भ– सनातन का ग्रंथ, ‘देवीपूजन से संबंधित कृत्यों का शास्त्र‘ एवं अन्य ग्रंथ


🚩ऐसे पवित्र त्यौहार में व्यभिचार करना, मद्यपान करना, लड़के-लकड़ियों के प्रति बुरी नजर रखना, अश्लील कपड़े पहनना- ये सब अनुचित है। इससे माँ प्रसन्न नहीं होतीं, इससे तो और नाराज होती हैं। इसलिए नवरात्रि में पवित्रता बनाए रखें ।


🚩नवरात्रि में लव जिहाद के किस्से भी बढ़ जाते हैं। हिन्दू युवतियों को ध्यान रखना चाहिए कि कहीं कोई जिहादी हिन्दू बनकर आपको प्रेम जाल में फंसा तो नहीं रहा है न?

नहीं तो, वह आपको लव जिहाद में फंसाकर आपकी और आपके परिवार की जिंदगी बर्बाद कर देगा।

पंडाल के व्यवस्थापकों को भी ध्यान रखना चाहिए की कोई विधर्मी नहीं आने पाए और इससे बचाव के लिए गरबा खेलने आने वाले सभी सदस्यों को गौ-मूत्र का पान करवाएं , तिलक लगाएं और आईकार्ड चेक करें । जिससे विधर्मी अंदर प्रवेश नही कर पाएं।


🚩देवी मां का अनादर रोकना चाहिए :


🚩आजकल चित्र, नाटक, विज्ञापन इत्यादि द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं का अनादर किया जा रहा है। इससे समाज में धर्म की हानि होती है। इसको भी रोकना आवश्यक है।


🚩सभी को नवरात्रि में पवित्रता बनाए रखनी चाहिए और कोई देवी माँ का अपमान करता है तो उसको करारा जवाब अवश्य देना चाहिए ।


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Monday, October 9, 2023

भास्कर ने हिन्दुओं को बदनाम करने की बहुत कोशिश की, पर खुल गई उसकी पोल.....

9 October 2023


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🚩भारत में मीडिया का रवैया हमेशा से ही हिन्दू विरोधी रहा है । ये हमेशा से एक तरफा खबर दिखाते या छापते हैं।

उदाहरण के तौर पर जब ओवैसी या जाकिर हुसैन जैसे मुस्लिम नेता हिन्दू देवी-देवताओं और साधु पुरूषो के लिए अपमानजनक बातें बोले या भारत विरोधी बातें बोले या फिर कोई मौलवी या ईसाई पादरी कितने भी बलात्कार करे, कन्हैया लाल जैसे गुंडे छात्रनेता देश को तोड़ने की बात करें..... लेकिन उस ओर कभी समाज का ध्यान केंद्रित नही करते !

.....और अगर कुछ करते हुए दिखते भी हैं तो सिर्फ और सिर्फ उनके बचाव में ।


🚩वहीं अगर कोई हिन्दू हिंदुत्व की बात करे तो उसको तोड़-मरोड़ कर विवादित बयान बना कर पेश किया जाता है ताकि जनता उनके विरुद्ध हो जाये ।


🚩दैनिक भास्कर समूह के गुजराती अखबार ‘दिव्य भास्कर’ ने मंगलवार (3 अक्टूबर 2023) को एक खबर प्रकाशित की है। इसमें दावा किया है कि अहमदाबाद में जय श्रीराम न बोलने पर चार हिन्दू युवकों ने एक मुस्लिम युवक की बुरी तरह से पिटाई की ।


🚩रिपोर्ट में कहा गया है कि मूल रूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला अली तालिब हुसैन और मोहम्मद शहरोज तालिब हुसैन नामक दो भाई अहमदाबाद के मधुपुरा इलाके में रहते हैं। इसमें से अली हुसैन ने शहरोज के साथ हुई मारपीट को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस को दी गई शिकायत में 20 वर्षीय युवक अली तालिब हुसैन ने कहा कि 1 अक्टूबर 2023 की शाम को वह अपने घर पर था। इसी दौरान उसका भाई शहरोज हुसैन वहाँ आया और कहा कि 3-4 लोगों ने उससे झगड़ा किया है और मारने के लिए आए हैं।


🚩इस पर अली हुसैन नीचे गया और देखा कि चार लोग चाकू, चप्पल, पाइप और डंडे लेकर खड़े हुए हैं। रिपोर्ट में आगे दावा किया गया कि वहाँ आए 4 युवकों ने शहरोज पर हमला किया। इससे वह घायल हो गया और उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़ा।


🚩इसके के बिल्कुल विपरीत, भास्कर ने रिपोर्ट में दावा किया कि , “अली हुसैन ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि 4 लोगों ने उसके भाई शहरोज से ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए कहा था और उसने मना किया तो उसके साथ मारपीट की गई।

”दिव्य भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार (साभार: दिव्य भास्कर वेबसाइट)


🚩ऑपइंडिया ने ‘दिव्य भास्कर’ के इस दावे का फैक्ट चेक किया है। हालाँकि भास्कर की इस रिपोर्ट को फैक्ट चेक करने के लिए आखिर में लिखी दो लाइनें ही काफी थीं। इसमें लिखा है कि पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि चारों लड़के ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाते हुए सड़क से जा रहे थे। इस पर मुस्लिम युवक को लगा कि वे उससे ‘जय श्रीराम’ कह रहे हैं इसकी वजह से ही झगड़ा हुआ।


🚩भास्कर की रिपोर्ट में ही उसकी ‘हेड लाइन’ की पोल खुल चुकी थी, लेकिन इसके बाद भी ऑपइंडिया ने स्थानीय पुलिस से संपर्क किया। इसमें मामले की जाँच कर रहे मधुपुरा पुलिस स्टेशन के एन. धासुरा ने कहा कि ‘जय श्रीराम’ बोलने को लेकर मजबूर करने जैसी कोई घटना हुई ही नहीं । यह पूरी घटना एक हिन्दी भाषी व्यक्ति के गुजराती न समझने के चलते हुई ।


🚩पुलिस अधिकारी ने ऑपइंडिया से हुई बातचीत में पूरी जानकारी देते हुए कहा कि , “दो हिन्दू युवक सड़क से जा रहे थे। मुस्लिम युवक भी वहाँ खड़ा हुआ था। इसी दौरान हिन्दू युवकों ने आपस में जय श्रीराम कहकर अभिवादन किया, लेकिन मुस्लिम युवक को लगा कि उन लोगों ने उससे ‘जय श्रीराम’ कहा है। इसके बाद वह उन हिन्दुओं से झगड़ने लगा।”


🚩उन्होंने आगे कहा कि, मुस्लिम युवक के गलत समझने और झगड़ा करने के चलते विवाद हुआ। इसके बाद दोनों पक्षों के लोग एकजुट हुए। इसमें से एक युवक को चाकू भी लगी । पर ‘जय श्रीराम’ बोलने के लिए मजबूर करने जैसी कोई घटना नहीं हुई है। यह सिर्फ अफवाह है !


🚩गौरतलब है कि, " भास्कर ने दावा किया कि, मुस्लिम युवक ने आरोप लगाया था कि ‘जय श्रीराम’ नहीं कहने के चलते उसके साथ मारपीट हुई , जो सरासर गलत साबित हुआ ।


🚩बहरहाल , पुलिस अभी इस मामले की जाँच कर रही है। इसके बाद भी भास्कर ने अपनी रिपोर्ट के जरिए झूठी खबर फैलाने की कोशिशें बंद नहीं की हैं ।


🚩इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है । मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ भी कहा गया है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी देश की जनता की समस्याओं को सबके सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर सबका ध्यान आकर्षित करना भी है।


🚩पर मीडिया आज पैसे और टीआरपी की अंधी दौड़ में एक तरफा झूठी खबरें दिखाकर अपनी विश्वसनीयता खोती जा रही है। इसके कारण आज समाज के हर वर्ग में मीडिया की आलोचनाएं होने लगी हैं ।


🚩भारतीय मीडिया को लेकर अभिनेत्री कंगना रनौत का कहना है कि , “मीडिया का एक सेक्शन ऐसा है जो दीमक की तरह हमारे देश में लगा है और धीरे-धीरे देश की गरिमा, अस्मिता एवं एकता को खाए जा रहा है । झूठी अफवाहें फैलाता रहता है । गंदे-भद्दे और देशद्रोह से भरे हुए विचार खुले तौर पर सबके सामने रखता है । इनके खिलाफ हमारे संविधान में किसी भी तरह की न तो कोई पेनाल्टी है और न ही कोई सजा है ।"


🚩भारतीयों को ये समझना ही होगा कि , इस बिकाऊ और देशद्रोही मीडिया का बहिष्कार करना आज बेहद आवश्यक हो गया है।


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वेब सीरीज़, टीवी सीरियल्स और बॉलीवुड फिल्में !! जानिए क्यों करना चाहिए इनका बहिष्कार..... !?

देखने योग्य नहीं हैं आज के 


8  October 2023


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🚩आजकल के वेब सीरीज, टीवी सीरियल और बॉलीवुड फिल्मों  का सबसे गलत प्रभाव महिलाओं और बच्चों पर देखने को मिल रहा हैं, आज सभी को बहुत अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।

 

🚩आधुनिकता की आड़ में नँगा नाच हो रहा है। ये सब नए सीरियल की देन है जो कि पैसे और टीआरपी के लालच में पता नही क्या क्या परोस रहे हैं। ऐसा ही चलता रहा तो हमारे रीति-रिवाज व सामाजिक परम्पराओं को धूमिल होने में वक़्त नहीं लगेगा।


🚩इन धारावाहिकों का बहिष्कार किया जाना चाहिए जिन धारावाहिकों में भारतीय पारिवारिक मूल्यों को विध्वंस किया जाता है।

इन वेब सीरीज और धारावाहिकों ने तो सारी हदें पार की है क्योंकि वेब सीरीज और धारावाहिकों में कोई पाबंदी नहीं है, लंबे समय तक चलती रहती हैं। इसलिए ये बड़े पैमाने से समाज को बर्बाद कर रहे हैं क्योंकि मोबाईल और टीवी की पहुंच हर घर तक है।


🚩अपने घरों को इन सुनियोजित कलह क्लेशों से कैसे बचाये ?

सबसे पहले बेब सीरीजी और टीवी धारावाहिको का बॉयकाट करे। यहाँ पर हर दूसरे नाटक मे हमारे देश के परिवारों को बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है।

"इन वेब सीरीज़ और धारावाहिको में अवैध संबंधो की ट्रेनिंग दी जाती है।"


🚩20-25 साल के बच्चे मिलकर अपनी माँ की दूसरी शादी की तैयारी करते हैं , हद है !

जबकि पिता जीवित है, उसकी कहीं और सेटिंग चल रही है...अब उनकी माँ कम से कम 45-50 वर्ष की आयु में किसी और से शादी कर रही है।

भाई बहन आपस में कह रहे है कि हम बड़े भाग्यशाली है कि हमे अपनी मम्मी की डोली सजाने के अवसर मिल रहा है, सबको यह अवसर नहीं मिलता।

अब उन्हें कौन समझाए कि , हद दर्जे के बेफकूफ हो तुम।

वेब सीरीज और सीरियल वालों ने इतना गलत दिखावा फैलाया है कि सामाजिक और पारिवारिक संस्कारों का सत्यानाश कर दिया है ।


🚩"इन नाटकों ने जो किया है वैसा सत्यानाश तो विदेशी लुटेरे सैंकड़ों सालों में भी नहीं कर पाए थे !"


🚩आइए आज यह संकल्प लें कि ऐसे " वेब सीरीज ,  टीवी सीरियलों और फिल्मों " का हम बहिष्कार करेंगे , जो भारतीय सनातन संस्कृति को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहें हैं।


🚩राजीव दीक्षित जी ने कहा था कि ,

जिस देश में प्राचीन काल में बच्चों को  रामायण, महाभारत तथा महान लोगों के जीवन चरित्र पढ़ाए/सुनाए जाते थे...

उसी देश में आज  ” जब मैं भारत के युवाओं को ‘गंदे-गंदे’  गीत गाते देखता हूँ। तो मुझे बड़ा दुःख होता हैं। "


🚩टीवी की वजह से हर घर को भारी नुकसान हो रहा है। बच्चे मानसिक पागल होकर ‘मौत’  के घाट उतर रहे हैं। बच्चे टीवी में ऐसे विज्ञापन देखते हैं, जो सत्य नही हैं, और उनकी नकल करने की कोशिश करते हैं, और मृत्यु के शिकार हो जाते हैं ।

हर साल टीवी देखकर उसके स्टंट्स का अनुसरण करके मरने वाले लोगों का आंकड़ा बहुत बढ़ गया है। अमेरिका जैसे देश के दो करोड़ लोग टेलीविजन देखकर मानसिक पागल (मेंटल) हो गये।


🚩जब हम बार बार हिंसा, मारपीट वाली वीडियो, फिल्में आदि देखते हैं, तो यह सारे दृश्य हमारी दया, करुणा व प्रेम को खत्म कर देती हैं। इससे क्या होता है, जब हमारे सामने कुछ गलत काम या गलत चीजें हो रही होती हैं, तो हम उसे रोकने में असक्षम (असमर्थ) हो जाते हैं। और चुपचाप उस गलत हो रही चीज को देखते रहते हैं। हम पशु बन जाते हैं।


🚩 इलाज सिर्फ एक इन धारावाहिकों , सीरीजों और फिल्मों का पूर्ण रूप से बहिष्कार...


!! जय श्रीराम !!


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Saturday, October 7, 2023

मुसलमानों की घर वापसी : क्यों और कैसे !? जानिए...

 मुसलमानों की घर वापसी : क्यों और कैसे !? जानिए...


7 October , 2023


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🚩अस्त्र-शस्त्र का उत्तर अस्त्र-शस्त्र से देना उचित है। लेकिन विचारों का उत्तर तो विचार ही हो सकते हैं। किसी विचार, किसी लेख , कविता या पुस्तक की प्रतिक्रिया स्वरूप तलवार निकालना मजबूती नहीं, कमजोरी की निशानी है। किन्तु अरब से लेकर यूरोप, एशिया, अफ्रीका तक, हर कहीं इस्लामी नेता और संगठन सरल, संयत, वैचारिक संघर्ष से बचते हैं। इसे सदैव हिंसा से दबाने की कोशिश करते हैं। सदियों से, बल्कि आरंभ से ही, इस में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वयं प्रोफेट मुहम्मद ने अपने विचारों पर किसी के प्रतिवाद, संदेह का यही उत्तर दिया था।


🚩तब क्या इस्लाम कागजी शेर नहीं है? एक दुर्बल, भयभीत मतवाद, जो केवल धमकी, हिंसा, छल-कपट, अनुचित रूप से उठाई जा रही विशेष सुविधाओं, अनुचित-असमान नियमों के बल से चल रहा है। ऐसा मत-विश्वास कितने दिन चलता रह सकता है?


यह एक बुनियादी प्रश्न है, जिस से भारत और वर्तमान विश्व की कई समस्याएं जुड़ी हुई हैं।

दुर्भाग्यवश, इस प्रश्न को भारतीय मुसलमानों के बीच रखने के बदले उन्हें राजनीतिक मतवादों में उलझाए रखा जाता है। उदाहरण के लिए, भारत के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण, या नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उन्हें उठाया जाता है। लेकिन कश्मीर का विषय ऐसे रखा जाता है, मानो यह मात्र 67 वर्ष पहले से चल रहा मामला हो। कश्मीर तो हजारों वर्ष पुराना सांस्कृतिक क्षेत्र है। क्या उस हजारों वर्ष के इतिहास से यहाँ मुसलमानों का कोई संबंध नहीं? सारी चर्चा राजनीतिक इस्लाम और उस का वर्चस्व बनाए रखने की दृष्टि से की जाती है। मानो वह उद्देश्य तो स्वयंसिद्ध हो, जिस पर प्रश्न उठाना ही अनुचित हो। इसी कारण यहाँ हिन्दू ही नहीं, मुसलमान भी भ्रमित और झूठी बंदिशों में फँसे रहते हैं। इस से किसी का भला नहीं हुआ है।


🚩सौभाग्यवश, आज दुनिया में एक दूसरी प्रक्रिया भी चल रही है। मुस्लिम जगत में विवेकशील पुनर्विचार भी चल रहा है। कूनराड एल्स्ट के शब्दों में, बाहरी भौतिक रूप में अभी मुस्लिम आबादी, संगठन, संस्थान, आदि बढ़ रहे हैं। किन्तु मुसलमानों के आंतरिक मनोजगत में दुविधा और संदेह भी बढ़ रहे हैं। इन दो प्रक्रियाओं के बीच प्रतियोगिता-सी चल रही है। जिम्मी (इस्लाम के सहयोगी गैर-मुसलमान), जिन्हें भारत में सेक्यूलर या वामपंथी या गाँधीवादी आदि कहा जाता है, वे लोग पहली प्रक्रिया को मदद दे रहे हैं। जबकि विवेकशील लोग दूसरी प्रक्रिया को। इस प्रतियोगिता के अंतिम परिणाम पर सस्पेंस जरूर है, किन्तु कोई संदेह नहीं।


🚩आखिर यह बात देखने से मुसलमान कैसे बच सकते हैं कि हिन्दू लोग भी अप्रवासी के रूप में सारी दुनिया में विभिन्न समुदायों के साथ रहते हैं। लेकिन उन के साथ किसी समुदाय के झगड़े का कहीं से कोई समाचार नहीं आता? जबकि मुसलमानों का हर कहीं, हर समुदाय के साथ झगड़ा है। बल्कि, जहाँ दूसरे समुदाय नहीं हैं, वहाँ उन की दूसरे मुसलमानों से वैसी ही हिंसक लड़ाई है।

ऐसा क्यों? इस पर स्वयं असंख्य मुसलमानों का ध्यान गया है। प्रसिद्ध लेखक सलमान रुशदी ने कई वर्ष पहले यह प्रश्न भी उठाया था कि क्या उन के मजहबी मतवाद में ही कोई चीज है जो इस हालत का कारण है ??


🚩सर्वविदित रूप से इस्लामी सिद्धांत के दो भाग हैं – ईश्वर संबंधी और राजनीति संबंधी।

ईश्वर संबंधी विचार इस्लाम का छोटा हिस्सा हैं, लगभग 14 प्रतिशत। जिस में अल्लाह, आख़िरत और जन्नत-जहन्नुम की धारणाएं हैं।

किन्तु इस्लामी मत का बड़ा भाग राजनीतिक है, जिस से काफ़िरों की ख़िलाफ़त , ज़ेहाद, ज़ज़िया, शरीयत, जिम्मी, आदि धारणाएं संबंधित हैं। 


🚩इस राजनीतिक इस्लाम का मूल आधार दूसरों, यानी गैर-मुस्लिमों (‘काफिरों’) को बर्दाश्त नहीं करना है। उदाहरण के लिए, कुरान (2:216) मूर्तिपूजक धर्म को हत्या से भी गर्हित पाप बताता है। इस प्रकार मुसलमानों को हिन्दू, बौद्ध, जैन, आदि तमाम लोगों को सर्वाधिक घृणित मानना सिखाता है। कुल मिलाकर कुरान में 111 आयतें जिहाद को समर्पित हैं। फिर, सीरा (प्रोफेट मुहम्मद की जीवनी) में 67% शब्द जिहाद से संबंधित हैं। हदीस (प्रोफेट मुहम्मद के वचन और कार्य) में 21% सामग्री जिहाद के बारे में हैं।


🚩 जबकि कुछ लोग जिहाद को मुख्यतः ‘आत्म-सुधार’ मानते हैं, जो कि सिरे से बिल्कुल गलत धारणा है । क्योंकि संपूर्ण इस्लामी शास्त्र (सीरा+ कुरान + हदीस) में यह नगण्य-सा हिस्सा है। हदीसों में 98% विवरण सशस्त्र-हिंसा से संबंधित हैं। सुन्ना (सीरा और हदीस) और कुरान में बार-बार दुहराई गई बात है कि दूसरों से इस्लाम कबूल करवाओ, यहूदियों-क्रिश्चियनों को जिम्मी बना कर हीन और अपमानित हालत में रखो, उन से ज़ज़िया टैक्स लो, उन्हें भगाओ या मार डालो।


🚩इस प्रकार, राजनीतिक इस्लाम मुख्यतः काफिरों (गैर-मुसलमानों) के प्रति दुर्व्यवहार है। इस्लाम का सैद्धांतिक-व्यवहार काफिरों के विरुद्ध नितांत असहिष्णुता और हिंसा से भरा है। यही सारी दुनिया में उस का वास्तविक इतिहास भी रहा है, जो पिछले चौदह वर्षों के मुस्लिम साहित्य में ही खुल कर एक समान मिलता है।


🚩चूँकि इस मूल सैद्धांतिक-व्यवहार को इस्लामी ईमाम, आलिम-उलेमा आज भी पूर्णतः सही और यथावत् अनुकरणीय मानते हैं, इसलिए उस के नतीजों का हिसाब करना चाहिए। विशेषकर काफिरों को ( सभी ग़ैरमुस्लिमों को ! यह उनका अधिकार ही नहीं, कर्तव्य भी है !!


🚩लेकिन राजनीतिक इस्लाम के सिद्धांत-व्यवहार से आज तक हुए और अभी भी हो रहे परिणामों पर मुसलमानों को भी सोचना ही होगा। इसने काफिरों को ही नहीं, मुसलमानों को भी प्रभावित किया है। अन्यथा उनके अपने मुस्लिम समाज के मध्य भी अशान्ति के मुख्य वजह पर पर्दा पड़ा रहेगा। इस बात पर कि राजनीतिक इस्लाम और संपूर्ण मानव-समाज, जीव-जगत, एवं ब्रह्मांड की सच्चाई के बीच ताल-मेल न था , न है और ना ही कभी हो सकता है। इस के सिवा मुस्लिम अशान्ति के बाकी सारे कारण कम महत्वपूर्ण हैं।


🚩इस समस्या का समाधान सैनिक तरीके से नहीं, बल्कि शिक्षा में है। ध्यान दें, कुरान में असंख्य बार कई प्रसंगों में ‘प्रमाण’, ‘स्पष्ट प्रमाण’, की बातें की गई है। अतः मुसलमान किसी विचार-बिन्दु, विषय में प्रमाण, सबूत, एविडेंस के महत्व से परिचित हैं। केवल उन्हें प्रमाण वाली कसौटी को उन विचारों, कानूनों, विवरणों, दलीलों पर भी लागू करके देखने की जरूरत है जिन्हें वे स्वतः-प्रमाणिक मानते रहे हैं। जैसे, मूर्तिपूजकों को घृणित समझना; इस्लाम से पहले या बाहर के मानव-समाजों को मूर्ख मानना; जीने के बदले मरने को अधिक अच्छा मानकर ‘जन्नत’ पाने के लिए हर तरह के चित्र-विचित्र काम करना; जिहाद को सब से बड़ा कर्तव्य समझना; मनुष्य को गुलाम बनाकर बेचना-खरीदना; स्त्रियों को मात्र भोग की वस्तु या संपत्ति के रूप में देखना; आदि मान्यताओं को विवेक से देखने की जरूरत है। ये मान्यताएं कोई ईश्वरीय देन या ‘सर्वकालिक सत्य’ नहीं हैं – इसलिए इसकी परीक्षा की जानी चाहिए और बचपन से ही सही शिक्षा और उत्तम संस्कार दिए जाने चाहिए।

(पुस्तक अंश- अक्षय प्रकाशन, नई दिल्ली, 2020, पृ. 128)

- डॉ. शंकर शरण (२२ सितम्बर २०२०)


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Friday, October 6, 2023

हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन ने भारत आकर किया श्राद्धकर्म।

 विदेश की नामी हस्तियाँ भी अपने पितरों की मुक्ति और शांति के लिए श्राद्ध करने भारत आती हैं.....

6 October 2023


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🚩‘श्राद्ध’ पितृऋण चुकाने के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है। श्राद्धविधि में किए जानेवाले मंत्रोच्चारण में पितरों को गति देने की सूक्ष्म शक्ति समाई हुई होती है। श्राद्ध में पितरों को तर्पण करने से वे संतुष्ट होते हैं। श्राद्धविधि करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और हमारा जीवन भी सुव्यवस्थित,सुखमय और संपन्न हो जाता है।


🚩हिन्दू धर्म में एक अत्यंत सुरभित पुष्प है कृतज्ञता की भावना, जो कि बालक में अपने माता-पिता के प्रति स्पष्ट परिलक्षित होती है। हिन्दू धर्म का व्यक्ति अपने जीवित माता-पिता की सेवा तो करता ही है, उनके देहावसान के बाद भी उनके कल्याण की भावना करता है एवं उनके अधूरे शुभ कार्यों को पूर्ण करने का प्रयत्न करता है।


🚩अपने पूर्वजों की सद्गति के लिए हिन्दूधर्म में की जाने वाली श्राद्ध-विधि विदेशी लोगों को भी आकर्षित करती है और शायद यही कारण है कि, कई विदेशी लोग अपने पूर्वजों को मुक्ति दिलाने की यह विधि करने के लिए भारत आते है एवं पूरी श्रद्धा से यह विधि करते हैं ।


🚩हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन ने करवाया श्राद्ध 


🚩अपने 36 वर्षीय बेटे पुत्र सेज स्टेलोन की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए रॉकी बेलबोआ सीरिज के लिए मशहूर हॉलीवुड अभिनेता सिलवेस्टर स्टेलोन ने भी हिंदू कर्मकांड को अपनाया। कुछ साल पहले पितृ पक्ष के दौरान स्टेलोन के बेटे का पिंडदान कनखल के सतीघाट पर किया गया।


🚩स्टेलोन को उनके बेटे की आत्मा हर जगह नजर आ रही थी। इससे वो मानसिक रूप से परेशान हो गए थे। ऐेसे में हिंदू दर्शन और कर्मकांड से प्रभावित होकर स्टेलोन ने अपने भाई माइकल और उनकी पत्नी को बेटे के पिंडदान के लिए हरिद्वार भेजा था।


🚩यूरोपियन लोगो ने किया पितरों का श्राद्ध


 🚩यूरोप के देश चेक रिपब्लिक से 10 विदेशियों का दल (Group of Europeans) दो साल पहले कानपुर पहुंचा था। सनातन धर्म अनुसार विधि विधान का पालन करते हुए सभी ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए श्राद्धकर्म किया था और भारत में 15 दिन रुक कर हवन पूजन और धार्मिक अनुष्ठान आदि किया था।


🚩इन सभी ने स्वीकार किया है कि मृत्यु के बाद किसी न किसी रूप में पित्र या पूर्वज विद्यमान रहते हैं और ये सभी अपने ही वंश के सदस्यों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित या फिर दुष्प्रभावित करते रहते हैं। चेक गणराज्य के प्लाम्पलोव शहर के डिप्टी मेयर रहे जीरी कोचन्द्रल अपनी पत्नी वेरा कोचन्द्रल के साथ आए थे, जो खासे प्रभावित भी हुए थे।


🚩जीरी का कहना है कि, यह सब देखना और इसकी अनुभूति करना इनके दल के लिए अकल्पनीय जैसा है। ये सभी हवन के बाद आनंद से भर जाते हैं। चेक रिपब्लिक के नागरिक पीटर की माने तो वो सभी यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही आए हैं। वैदिक संस्कृति में होने वाले संस्कारों को देखकर वे खुद को खुशकिस्मत भी मानते हैं। इनको साथ लाए राजीव सिन्हा की माने तो यहां सभी राज्यों से लोग आते जाते हैं, विदेशियों का भी एक जत्था यहां आया है , जो प्रसन्नता और शांति की अनुभूति कर रहा है।


🚩अभी तक यही कहा जाता है कि, विदेशियों की परंपरा में अपने पूर्वजों की मुक्ति का अनुष्ठान नहीं किया जाता क्योंकि पाश्चात्य संस्कृति में पुनर्जन्म की मान्यता को लेकर काफी मतभेद हैं। लेकिन वैदिक संस्कृति में रम चुके ये लोग पितरों के श्राद्ध और पूजा अर्चना के बाद सुख की अनुभूति कर रहे हैं ।


🚩कुछ साल पहले यह विधि करने के लिए रूस के नताशा स्प्रबनोभा, सरगे और एकत्रिना ने धर्मनगरी गया आकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था।


🚩गया में पिंडदान किया रुसी नागरिकों ने:


🚩इन लोगों ने ऐतिहासिक विष्णुपद मंदिर, फल्गु के देवघाट, प्रेतशिला और रामशिला वेदी पर पिंडदान किया और पूर्वजों के लिए स्वर्गलोक की कामना की। इन लोगों ने विष्णुपद मंदिर में पूजा अर्चना की। मीडिया से बात करते हुए इन लोगों ने कहा कि, सनातन धर्म के बारे में पढ़ा था जिसमें पिंडदान को काफी महत्वपूर्ण माना गया है और इस परंपरा को भारतीय वेशभूषा में संपन्न करने के बाद उनकी आकांक्षा आज पूरी हो गयी है !


🚩बता दें कि वर्ष 2017 में मोक्ष स्थली गया में पितरों की मुक्ति के महापर्व पितृपक्ष मेला के दौरान देवघाट पर अमेरिका, रूस, जर्मनी और स्पेन के कई विदेशी नागरिकों ने अपने पितरों की मुक्ति की कामना को लेकर पिंडदान व तर्पण किया था। उन्हीं में से जर्मनी की एक नागरिक इवगेनिया ने कहा था कि, भारत धर्म और अध्यात्म की धरती है। गया आकर मुझे आंतरिक शांति की अनुभूति हो रही है। मैं यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आई हूँ।


🚩इन विदेशियों को हिन्दू धर्म के अनुसार आचरण करते देख एक संतोष होता है, कि हमारी संस्कृति इतनी महान है, जिसमें हर जाति,वर्ग और देश के और यहां तक की समस्त चराचर जगत के मंगल की व्यवस्था है। 


🚩माता-पिता, निकट संबंधियों या अन्य किसी के भी मरणोपरांत यात्रा सुखमय एवं क्लेशरहित हो तथा उन्हें सद्गति मिले, इस हेतु किया जानेवाला संस्कार है ‘श्राद्ध’। श्राद्ध-विधि करने से पितरों की कष्ट से मुक्ति मिलती है और हमारा जीवन भी सुगम व सुखमय हो जाता है। परंतु दुर्भाग्यवश आज हिन्दुओं को ऐसी विधियाँ करना पिछड़ापन लगता है। उनकी मॉडर्न जीवनशैली को श्राद्धकर्म अंधश्रद्धा लगती है।


🚩धर्मशिक्षा का महत्त्व...

अपने रीति-रिवाजों को अंधश्रद्धा मानना , हिन्दू समाज की बड़ी ही दु:खद स्थिति है। आज हिंदुओं को धर्मशिक्षा न मिलने के कारण ही उनका इस प्रकार अध:पतन हो रहा है।

आज ऐसी स्थिति है कि, विदेशों से आकर श्रद्धालु हिन्दूधर्म तथा अध्यात्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर हिन्दूधर्म के अनुसार आचरण करने लगे हैं, वहीं हिन्दूधर्म की पुण्यभूमि भारतवर्ष के कई हिन्दुओं को ही आज धर्माचरण करना पिछड़ेपन जैसे लगता है।


🚩मृत्यु के बाद जीवात्मा को उत्तम, मध्यम एवं कनिष्ठ कर्मानुसार स्वर्ग या नरक में स्थान मिलता है। पाप-पुण्य क्षीण होने पर वह पुनः मृत्युलोक (पृथ्वी) पर आता है। स्वर्ग में जाना यह पितृयान मार्ग है एवं जन्म-मरण के बन्धन से मुक्त होना यह देवयान मार्ग है।


🚩पितृयान मार्ग से जाने वाले जीव पितृलोक से होकर चन्द्रलोक में जाते हैं। चंद्रलोक में अमृतान्न का सेवन करके निर्वाह करते हैं। यह अमृतान्न कृष्ण पक्ष में चंद्र की कलाओं के साथ क्षीण होता रहता है। अतः कृष्ण पक्ष में वंशजों को उनके लिए आहार पहुँचाना चाहिए, इसीलिए श्राद्ध एवं पिण्डदान की व्यवस्था की गयी है। शास्त्रों में आता है कि अमावस के दिन तो पितृतर्पण अवश्य करना चाहिए।


🚩भगवान श्रीरामचन्द्रजी भी श्राद्ध करते थे।

जिन्होंने हमें पाला-पोसा, बड़ा किया, पढ़ाया-लिखाया, हममें भक्ति, ज्ञान एवं धर्म के संस्कारों का सिंचन किया उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण करके उन्हें तर्पण-श्राद्ध से संतुष्ट व प्रसन्न करने के दिन ही हैं श्राद्धपक्ष। इस दिनों में पितृऋण से मुक्त होने के लिए हमें श्राद्ध अवश्य करना चाहिए ।


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Thursday, October 5, 2023

कनाडा में जब तक खालिस्तानी चरमपंथियों को संरक्षण जारी है, तब तक चैन से न बैठे भारत...

 5 October 2023 


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🚩खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए कथित भारतीय एजेंट को जिम्मेदार बताने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गत दिवस जिस तरह यह कहा कि भारत तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति है और वो भारत से करीबी संबंध बनाए रखने को लेकर गंभीर हैं, उससे यही लगता है कि उन्हें अपनी गलती समझ आ गई है।


🚩हालांकि उन्होंने निज्जर हत्याकांड में सच का पता लगाने के लिए मिलकर काम करने की अपील भी की, लेकिन उसमें कोई दम इसलिए नहीं, क्योंकि भारत के कहने के बाद भी कनाडा कोई प्रमाण उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहा है। यह आनाकानी यही बताती है कि कनाडा के पास ऐसे कोई प्रमाण हैं ही नहीं, जो यह सिद्ध कर सकें कि निज्जर की हत्या से भारत का कोई लेना-देना है। इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा को जिस तरह खरी-खरी सुनाई, उससे यह स्पष्ट है कि भारत जस्टिन ट्रुडो की बेजा बात सुनने को तैयार नहीं।


🚩इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि कनाडा पुलिस निज्जर की हत्या के तीन माह बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। वह निज्जर के हत्यारों की पहचान तक नहीं कर पाई है। भले ही सवालों से घिरे जस्टिन ट्रूडो के सुर बदल गए हों, लेकिन भारत को अपने रवैये में नरमी लाने की आवश्यकता इसलिए नहीं, क्योंकि ट्रूडो ने बिना किसी प्रमाण भारत को कठघरे में खड़ाकर बेहद गैर जिम्मेदाराना हरकत की है। उन्होंने निज्जर की हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार बताने के साथ एक भारतीय राजनयिक का नाम सार्वजनिक करते हुए उन्हें निष्कासित करके उसकी सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर दिया है। मैत्रीपूर्ण संबंधों वाले देश ऐसी हरकत कभी नहीं करते।


🚩यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि ट्रूडो सरकार ने यह शरारत उस खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह धालीवाल के दबाव में की, जिसकी पार्टी के समर्थन से उनकी अल्पमत सरकार चल रही है। यह भी साफ दिख रहा है कि ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति के तहत खालिस्तानियों के प्रति नरम हैं। कनाडा में सात लाख से अधिक सिक्ख हैं, लेकिन शायद धालीवाल जैसे तत्वों के कारण ट्रूडो यह मान बैठे हैं कि उनके यहां रहने वाले सभी सिक्ख खालिस्तानी हैं। यह उनका मुगालता ही है, क्योंकि चंद सिक्ख ही खालिस्तान समर्थक हैं। चूंकि वे उग्र और हिंसक हैं, इसलिए कनाडा में रह रहे आम सिक्ख उनके खिलाफ आवाज नहीं उठाते।


🚩शायद ट्रूडो इससे भी अनजान बने रहना चाहते हैं कि कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथियों के कई गुट हैं और वे जब-तब एक-दूसरे को निशाना बनाते रहते हैं। कई खालिस्तानी अपने विरोधी गुटों की ओर से मारे जा चुके हैं। हैरानी नहीं कि निज्जर की हत्या भी उसके विरोधी गुट ने की हो। आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर जस्टिन ट्रूडो की ओर से भारत पर निराधार आरोप लगाने के बाद एन.आइ.ए. ने पंजाब, हरियाणा समेत छह राज्यों में खालिस्तानियों, गैंगस्टरों और ड्रग तस्करों के गठजोड़ के खिलाफ जो छापेमारी की, वह पहले ही की जानी चाहिए थी, क्योंकि कई खालिस्तानी आतंकी, गैंगस्टर और ड्रग तस्कर कनाडा में एक अर्से से शरण लिए हुए हैं। अभी तो ऐसा लगता है कि यदि निज्जर का मामला न उछलता तो एन.आइ.ए. सक्रियता नहीं दिखाती।


🚩चूंकि कनाडा के खालिस्तानी ड्रग तस्करी और मानव तस्करी में भी लिप्त हैं, इसलिए खालिस्तान समर्थक वहां आसानी से शरण पा जाते हैं। निज्जर भी अवैध दस्तावेजों के सहारे ही कनाडा पहुंचा था, लेकिन किसी तरह वहां की नागरिकता पा गया। भारत ने उसे न केवल आतंकी घोषित किया था, बल्कि उस पर ईनाम भी रखा था। इसी कारण एस. जयशंकर ने दो टूक कहा कि कनाडा में भारत विरोधी तत्वों को संरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने वीजा सेवा बंद किए जाने का कारण बताते हुए साफ किया कि ऐसा इसलिए करना पड़ा, क्योंकि उनके राजनयिकों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो गया है। कनाडा में खुलेआम खालिस्तानी आतंकियों का महिमामंडन किया जाता है। इनमें वे भी हैं, जो 1985 में एयर इंडिया के विमान को बम विस्फोट से उड़ाने की साजिश में शामिल थे।


🚩जब तक कनाडा खालिस्तानी चरमपंथियों और आतंकियों के साथ भारत से भागकर वहां पहुंचे गैंगस्टरों को संरक्षण देता रहता है, तब तक भारत सरकार को चैन से नहीं बैठना चाहिए। उसे कनाडा को इसके लिए बाध्य करना चाहिए कि वह भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बने तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करे। जस्टिन ट्रूडो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में खालिस्तानी चरमपंथियों पर जिस तरह मेहरबान हैं, वह इसलिए अस्वीकार्य है, क्योंकि खालिस्तानी आतंकी कनाडा में रह रहे हिंदुओं को धमकाने के साथ भारतीय राजनयिकों की हत्या के फरमान जारी कर रहे हैं।


🚩भारत को कनाडा के साथ उसके सहयोगी देशों और विशेष रूप से अमेरिका से भी यह प्रश्न करना चाहिए कि क्या भारतीय राजनयिकों के पोस्टर लगाकर उनकी हत्या करने की धमकी देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है? यह प्रश्न करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि प्रतिबंधित संगठन सिक्ख फार जस्टिस के सरगना गुरपतवंत सिंह पन्नू के पास कनाडा के साथ अमेरिका की भी नागरिकता है। वह कभी अमेरिका तो कभी कनाडा से भारत को धमकियां देता रहता है। यह चिंताजनक है कि कनाडा, अमेरिका की तरह ब्रिटेन और कुछ अन्य देशों में भी खालिस्तानी बेलगाम हैं।


🚩खालिस्तानियों को आश्रय देने का काम अमेरिका भी कर रहा है। जिस तरह कनाडा ने भारतीय राजनयिकों पर हमला करने और हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने वाले खालिस्तानियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, उसी तरह अमेरिका ने भी सैन फ्रांस्सिकों में भारतीय दूतावास पर हमला करने वाले खालिस्तानियों के खिलाफ कुछ नहीं किया। माना जाता है कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की कथित लिप्तता की “खुफिया जानकारी” अमेरिका ने ही कनाडा को उपलब्ध कराई। इसका मतलब है कि अमेरिका भारतीय राजनयिकों की जासूसी कर रहा था। सच जो भी हो, खुफिया सूचनाएं सदैव साक्ष्य नहीं होतीं।


🚩यह अच्छा हुआ कि भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिकी धरती पर कनाडाई प्रधानमंत्री के गैर जिम्मेदाराना आचरण को बयान करने के साथ यह भी कह दिया कि अमेरिका कनाडा को अलग तरह से देखता है, जबकि वह हमारे लिए ऐसा देश है, जो भारत विरोधी गतिविधियों को केंद्र है। साफ है कि इस मामले में भारत किसी से और यहां तक कि अमेरिका से भी दबने वाला नहीं। यदि अमेरिका भारत से अपने संबंध मजबूत करना चाहता है तो उसे भारत के बजाय कनाडा को नसीहत देनी चाहिए।

              - संजय गुप्त


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Wednesday, October 4, 2023

विश्व राजनीति में भारतीय मूल के नेताओं का दबदबा बरकरार

4 October 2023


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🚩भारत के संतो का संकल्प है की भारत विश्व गुरु बनकर रहेगा और आज इस संकल्प को साकार होते हुए दिख रहा हैं।


🚩भारतीय मूल के कई नेता दुनिया के अलग अलग देशों में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। ऐसे में, एक और देश इस सूची में जुड़ गया है। दरअसल, भारतीय मूल के थरमन शनमुगरत्नम शुक्रवार को सिंगापुर के नए राष्ट्रपति बने हैं। इसी के वो ऐसे भारतीय मूल के नेताओं में शामिल हो गए, जो विश्व के कई देशों की राजनीति में अपना दबदबा बनाए हुए हैं। 


🚩बता दें, शनमुगरत्नम ने 70 फीसदी वोट पाकर शानदार जीत हासिल की। वह सिंगापुर के नौंवे राष्ट्रपति चुने गए हैं और उनका कार्यकाल छह साल के लिए रहेगा। 


🚩दुनिया भर में बढ़ रहा भारतीयों का प्रभाव

प्रधानमंत्री ली सीन लूंग ने शनिवार को थर्मन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि सिंगापुर के लोगों ने थरमन शनमुगरत्नम को अगला राष्ट्रपति चुना है। उन्होंने आगे कहा कि थरमन भारतीय विरासत के कई नेताओं में से हैं, जो वैश्विक स्तर पर इतने ऊंचे पद पर चुने गए हैं। लूंग ने कहा कि शनमुगरत्नम की जीत दुनिया भर में भारतीयों के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक है।


🚩भारतीय नेताओं का दुनिया की राजनीति पर प्रभाव


🚩1. अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के बढ़ते प्रभाव को कमला हैरिस की सफलता में देखा जा सकता है। भारतवंशी हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति बनी हैं। इससे पहले वह साल 2017 से 2021 तक कैलिफोर्निया की सीनेटर रहीं। 


🚩डेमोक्रेट हैरिस ने 2011 से 2017 तक कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल के रूप में भी काम किया। उनका जन्म कैलिफोर्निया में भारतीय और जमैका माता-पिता के यहां हुआ था।


🚩2. नंबर में मध्यावधि चुनावों में, सत्तारूढ़ डेमोक्रेट पार्टी के पांच भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति, रो खन्ना, प्रमिला जयपाल, अमी बेरा और श्री थानेदार अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए।


🚩3. इतना ही नहीं, कैलिफोर्निया के एक प्रमुख राजनेता हरमीत ढिल्लों ने हाल ही में रिपब्लिकन नेशनल कमेटी (आरएनसी) के अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ा था। 


🚩4. निक्की हेली और विवेक रामास्वामी जैसे भारतीय मूल के नेताओं ने अगले साल होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।


🚩5. ऋषि सुनक पिछले साल ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री बने थे। साथ ही, गोवा मूल की सुएला ब्रेवरमैन उनकी गृह सचिव के रूप में कार्यरत हैं। बता दें, सनक कैबिनेट में ब्रेवरमैन के बाद क्लेयर कॉटिन्हो गोवा मूल के दूसरे मंत्री हैं। उन्हें हाल ही में उनके नए ऊर्जा सुरक्षा और नेट जीरो सचिव के रूप में एक बड़ी पदोन्नति मिली।


🚩6. सुनक से पहले, बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल में प्रीति पटेल गृह सचिव थीं। आलोक शर्मा जॉनसन कैबिनेट में अंतरराष्ट्रीय विकास सचिव थे।


🚩7. गौरतलब है, आयरलैंड के प्रधानमंत्री (ताओसीच) लियो एरिक वराडकर भी भारतीय मूल के हैं। वराडकर अशोक और मिरियम वराडकर की तीसरी संतान और इकलौते बेटे हैं। उनके पिता का जन्म मुंबई में हुआ था और 1960 के दशक में यूनाइटेड किंगडम चले गए थे।


🚩8. एंटोनियो कोस्टा 2015 से पुर्तगाल के प्रधानमंत्री हैं। वह आधे भारतीय और आधे पुर्तगाली हैं। 


🚩9. उनके अलावा, अनीता आनंद कनाडा में संघीय मंत्री बनने वाली पहली हिंदू हैं। आनंद ने इस साल जुलाई में ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका संभाली। उनके माता-पिता भारतीय हैं। उनके पिता तमिलनाडु से थे और उनकी मां पंजाब से थीं।


🚩10. आनंद के अलावा, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के मंत्रिमंडल में दो और भारतीय मूल के सदस्य हैं - हरजीत सज्जन और कमल खेरा। 


🚩11. वहीं, प्रियंका राधाकृष्णन न्यूजीलैंड में मंत्री बनने वाली भारतीय मूल की पहली व्यक्ति हैं। चेन्नई में मलयाली माता-पिता के घर जन्मी, वह वर्तमान में सामुदायिक और स्वैच्छिक क्षेत्र मंत्री हैं।


🚩12. त्रिनिदाद और टोबैगो की निर्वाचित राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू का जन्म एक इंडो-ट्रिनिडाडियन परिवार में हुआ था।


🚩13. भारतीय मूल के वकील और लेखक प्रीतम सिंह 2020 से सिंगापुर में विपक्ष के नेता के रूप में कार्यरत हैं।


🚩14. देवानंद शर्मा 2019 में ऑस्ट्रेलियाई संसद के सदस्य बनने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति बने।


🚩15. गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली का जन्म लियोनोरा में एक मुस्लिम इंडो-गुयाना परिवार में हुआ था।


🚩16. प्रविंद जुगनाथ जनवरी 2017 से मॉरीशस के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। उनका जन्म 1961 में एक हिंदू यदुवंशी परिवार में हुआ था। उनके परदादा 1870 के दशक में भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश से मॉरीशस चले गए थे।


🚩17. साल 2019 से मॉरीशस के राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन का जन्म एक भारतीय आर्य समाज हिंदू परिवार में हुआ था।


🚩18. चंद्रिकाप्रसाद संतोखी 2020 से सूरीनाम के राष्ट्रपति हैं। संतोखी का जन्म 1959 में लेलीडॉर्प में एक इंडो-सूरीनाम हिंदू परिवार में हुआ था।


🚩19. वेवेल रामकलावन अक्टूबर 2020 से सेशेल्स के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। उनके दादा बिहार से थे।


🚩बता दें, साल 2021 में इंडियास्पोरा गवर्नमेंट लीडर्स लिस्ट जारी की गई थी। इसमें बताया गया था कि दुनियाभर के 15 देशों में सार्वजनिक सेवा के शीर्ष पदों पर भारतीय विरासत के 200 से अधिक नेता आसीन हैं। इनमें से 60 से अधिक कैबिनेट पदों पर हैं।


🚩आपको बता दे की करीब 20/60 साल पहले ही जिस समय कांग्रेस की सरकार थी और भारत की संस्कृती पर कुठारागत किया जा रहा था उस समय हिंदु संत आशाराम बापू ने भविष्यवाणी किया था की भारत विश्व गुरु बनेगा और विश्व का मार्ग दर्शन करेगा जो आज सच होता दिखाई दे रहा है।

https://youtu.be/M55sPB7S8rg?si=OMDRvFrXys4rr9nE


🚩भारत ही एक ऐसा देश है जो पूरी दुनिया पर राज करने के बाद भी कभी भी किसी का शोषण नही करेगा किसी भी देश में होगा वे अपनी मेहनत और भारतीय संस्कृति के संस्कार से ऊंचे पदों पर आसीन होने के बाद लोक हित का ही कार्य करता है क्योंकि भारतीय वैदिक संस्कृति में लिखा है:-

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया,

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:खभाग भवेत्।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।।


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