Showing posts with label बदनाम. Show all posts
Showing posts with label बदनाम. Show all posts

Monday, December 21, 2020

क्यों हो रहे हैं साधु-सन्त बदनाम और व्यभिचारी को दुआ-सलाम ?

21 दिसंबर 2020


जब चौपाल में साधु संतों की चर्चा होती है तो मन में एक मैली छवि उभर आती है - दाढ़ी वाले बाबा, ढोंगी बाबा, पाखंडी बाबा, बलात्कारी, अंधविश्वासी आदि।




आखिर जिस देश की विरासत और सियासत, दोनों ही ऋषि-मुनियों की ऋणी है वहीं पर इनकी छवि इतनी घिनौनी कैसे हो गई? 200 साल तक हम अंग्रेजों की गुलामी में रहे और अन्ततः 1947 में हम आजाद हुए लेकिन देश और धर्म विरोधी ताकतों की गुलामी चालू रही।

स्वत्ंत्रता के ७० वर्षों में भी हमारी मूल संस्कृति पर विधर्मियों के कुठाराघात होते रहे। इससे हम गुलामी की मानसिकता से उबर नही पाए और हम अपने संस्कार, अपनी रीति-रिवाज़ो को ही अपनी गुलामी का कारण मानने लगे। ऊपर से विदेशी मीडिया द्वारा संस्कृति के सतत् पाश्चात्यानुकरण से हम अपने धर्म और संतों को ही हेय-दृष्टि से देखने लगे।

समाज की इस दशा में सबसे बड़ा योगदान किसका है? सच पूछे तो टीवी, पत्रकारिता और फिल्मों का है, जिसे हम प्रचलित भाषा में मीडिया कहते हैं। आज़ादी के बाद से फिल्म जगत का समाज पर प्रभाव दशक-दर-दशक बढ़ता ही रहा। शुद्ध मनोरंजन के नाम पर अनैतिक दृश्यांकन बढ़ते रहे। आपराधिक, अश्लील एवं मर्यादाहीन दृश्यों से युवा और बाल-समाज का बड़ा ह्रास हुआ है। जो 80-90 के दशक में पले-बढ़े युवक हैं उनको सिगरेट-शराब के व्यसन एक सभ्य-समाज की पहचान दिखते हैं। देर रात तक क्लबों में रहना, लम्बी गाड़ियाँ में घूमना और चिकने मकानों से ही वे अपनी प्रगति समझते हैं। ये सभी चिन्ह टीवी, विज्ञापनों और फिल्मों में हम दशकों से देखते आ रहें हैं।

वास्तविकता से अनभिज्ञ हिंदू समाज इसमें मनोरंजन देखता रहा लेकिन इसी मनोरंजन ने समाज को धर्म-संस्कृति और ऋषि मुनियों  के आदर्शों से दूर कर दिया। धर्म विरुद्ध प्रसंगों से मनोरंजन करने की जो आदत लगी है उससे समाज की बड़ी हानि हुई है।

सन 2000 से तो साधु-संतों को काल्पनिक प्रसंगों में इनके स्वभाव के विपरीत ही आचरण करते दर्शाया गया है। फिरौती लेना, व्यभिचार करना या अन्य अनैतिक कर्मों मे लिप्त रहना - ऐसे दृष्टांत दे दे कर साधु समाज की प्रतिष्ठा ही नष्ट कर दी। फिर भी हम मनोरंजन के नाम पर अपना समय-पैसा खर्च करके इसको स्वीकारते रहे, इन काल्पनिक प्रसंगों पर चुटकुले बना कर ताली पीटते रहे।

परिणाम यह हुआ कि अपनी संस्कृति के तिरस्कार पर मज़ा लेने वाला समाज आज उन्ही सामाजिक बुराईयों से त्रस्त है। नैतिक-पतन के चलते अब कोई भी किसी पर विश्वास नही करता। हर वह पद जो किसी समय पर समाज में आदर का पात्र था - वकील, पत्रकार या प्रशासनिक अधिकारी आज सबको भ्रष्ट ही समझा जाता है। इन सभी पदों की गरिमा नैतिकता से ही थी जो हमने महापुरुषों से पाई थी। जब नैतिकता के स्त्रोत संत-समाज को ही निंदित कर दिया तो समाज किससे सीख लेता। जब मर्यादित जीवन को पिछड़ा समझा जाने लगा तो फिर कौन मर्यादा पुरुषोत्तम से सीख लेता।

प्रिय पाठकों, आज पूरा बॉलीवुड हिंदू-विरोधी बन चुका है, ड्रग्स और आतंकवाद का गढ़ बन चुका है। हाल ही में एक नई फिल्म बनाने को लेकर अभिनेता सैफ ने कहा कि वे रावण के चरित्र का ऐसा पक्ष उजागर करेंगे जिससे जनता परिचित नही। आप नीचे दिये लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं।

अब एक धर्म-विरोधी यवन हमारे आराध्य श्रीराम की विवेचना करेगा? वह अपने प्रभाव से सिद्ध करेगा कि रावण – माता सीता का छलपूर्वक हरण करने वाला, साध्वी वेदवती को हठपूर्वक अपवित्र करने वाला, अपनी बहन के पति की हत्या करने वाला - एक शुद्ध चरित्र था? आज समाज में अपराध, व्यभिचार, प्रेम-प्रसंग आदि साधारण विषय हो गए हैं। युवाओं का अशुद्ध खान-पान व दुर्व्यसन के प्रति बेरोकटोक लगाव एवम् पाश्चात्य अंधानुकरण से वे पथभ्रष्ट हो गए हैं। अपने जीवन का मूल्य सिखाने वाले धर्म गुरुओं के प्रति ही शंका एवं घृणा रखने लगे हैं।

दूसरी ओर भारत को खंडित करने वाले मिशनरी व जिहादी मिलकर हिन्दू साधु-संतों व सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में लगी संस्थाओं पर झूठे आरोप लगाते हैं। षडयंत्रपूर्वक हत्याएं करवा कर, मीडिया में साधु-समाज को बदनाम करने पर तुले हुए हैं। ऐसे में राष्ट्र्वादी चिंतकों के लिए भारतवर्ष की सांस्कृतिक व धार्मिक विरासत को बचाना भारी चुनौती बन गया है।

स्मरण रहे, यदि संतों का सम्मान करना नहीं सीखा तो देश और समाज को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि जहाँ वन्दनीयों का क्रंदन हो और निंदनियों का वंदन हो वहाँ रोग, भय और मृत्यु का तांडव होता ही है।

हमारे ऋषि-मुनि, साधु-संत, शास्त्र व दैवी परम्पराएँ हमारी विरासत है, इनका अस्तित्व हमारे व्यक्तित्व के लिए नितांत आवश्यक है। जब तक इनका आदर-पूजन है तभी तक भारत का अस्तित्व है, अखंडता है वरना हमारी क्या पहचान है? -कमल किशोर कुमावत, राजस्थान

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Friday, June 12, 2020

मीडिया का एजेंडा : मौलवी-पादरियों के अपराध छुपाकर हिंदू संतों को बदनाम करना!

12 जून 2020

🚩वामपंथी बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य है कि ईसाई धर्मगुरु हो अथवा मुस्लिम धर्मगुरु हो उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिंदु साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिंदू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिंदू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं और बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।

🚩मुस्लिमपरस्ती में मीडिया का एक धड़ा इस कदर मदमस्त है कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण अर्थात कुछ भी करके पाठकों के सामने ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए।

🚩अभी ताजा मामला आजतक द्वारा प्रकाशित एक लेख का है। जिसमें विजुअल और लेख के गड़बड़झाले से असल अपराधी असलम को पूरी तरह से गायब कर लेख में ‘बाबा’ और ‘भक्त’ जैसे शब्दों का जानबूझकर प्रयोग करते हुए पाठकों को बरगलाने और समुदाय विशेष के असलम को बचाने की शातिराना कोशिश की गई है।

🚩क्या है असल में मामला

🚩मध्य प्रदेश के रतलाम के नयापुरा क्षेत्र में झाड़ फूँक और पानी फूँककर इलाज करने वाले असलम की मौत हाल ही में कोरोना से होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। क्योंकि जब प्रशासन ने असलम के संपर्क में आए लोगों की लिस्ट निकाली तो वो काफी लंबी-चौड़ी निकली। इसके बाद उन लोगों का सैंपल लिया गया, जिसमें से 19 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

🚩लेकिन, जब मीडिया में इस न्यूज़ की रिपोर्टिंग हुई तो पूरा गिरोह असलम को बाबा, भक्त, भगवा को आगे कर बचाने की हड़बड़ी में लग गया। इन्हीं 19 कोरोना पॉजिटिव लोगों को आजतक ने ‘भक्त’ और झाड़फूँक कर इलाज का ढोंग करने वाले असलम को ‘बाबा’ लिखा है।

🚩मीडिया गिरोह का हिन्दूफ़ोबिक प्रपंच

🚩इस तरह से स्पिन देने के मामले में वैसे ‘आजतक’ अकेला नहीं है, ‘नई दुनिया’, ललनटॉप, Ndtv, द वायर से लेकर ज़्यादातर वामपंथी धड़े के मीडिया समूह सालों से खुला-खेल फर्रुखाबादी की तरह अक्सर मुस्लिम आलिम, मौलवी, मुल्ला या किसी झाड़फूँक करने वाले फकीर या ढोंगी को ये बाबा, तांत्रिक, साधु आदि नामों और भगवा, त्रिशूल, त्रिपुण्ड के विजुअल में छिपाते आए हैं।

🚩बहुत ही बारीकी से कभी प्रतीकात्मक तस्वीर के नाम पर तो कभी सीधे खुले में खेलते हैं कि कौन सी जनता जा रही है तहकीकात करने? अगर बाद में पता भी चला तो क्या हो जाएगा? क्योंकि आजतक कभी इन्हें अपनी इन हरकतों पर कोई बड़ा आउटरेज नहीं झेलना पड़ा।

🚩इस तरह से फेक न्यूज़ के माध्यम से ही सही लेकिन समुदाय विशेष के शातिर मुस्लिम अपराधी को बचाने और बेहद सहिष्णु समुदाय अर्थात हिन्दुओं और उनके धार्मिक प्रतीकों को बदनाम करने का उनका मकसद लम्बे समय से पूरा होता आया है।

🚩यहाँ एक बात विचारणीय है कि सोशल मीडिया के दौर में जब पब्लिक ही इन मीडिया गिरोहों के झूठ को पकड़ के इन्हें लताड़ती है तो भी ये पूरा वामपंथी इकोसिस्टम और मीडिया गिरोह उस सच्चाई उजागर करने वाले को ही हेट फ़ैलाने वाला कहकर अपने अपराधों और झूठ से पल्ला झाड़ती नजर आती है। बेनकाब होकर भी अपने किए की न कभी माँगते है और न ही इन्हें कोई अफ़सोस होता है।

🚩गौरतलब है कि नई दुनिया समेत कई अन्य मीडिया पोर्टल ने भी इसी तरह से एक बार फिर से असलम के आगे ‘बाबा’ लगाकर इसे हिंदू स्पिन देने की कोशिश की। वैसे ये पहला मामला नहीं है, जब किसी अखबार ने ऐसा करने की कोशिश की हो।

🚩इससे पहले भी आरोपित ‘मुस्लिमों’ की न केवल पहचान छिपाई गई, बल्कि इस चक्कर में हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कई अन्य युक्तियाँ भी प्रयोग में लाई गई। जैसे हाल ही में रेप आरोपित एक और मुस्लिम आलिम असलम फैजी को ‘तांत्रिक’ बताया गया था और साथ ही जादू-टोना करने वाले मौलवी की जगह एक पुजारी का स्केच लगा दिया गया था।

🚩मीडिया गिरोह के लोग शायद अभी भी चेत नहीं रहे हैं। नहीं तो ऐसी गलती जानबूझकर बार-बार नहीं दोहरातें वो भी तब जब इन्हें पता है कि कोई भी दो चार कीवर्ड टाइप कर तुरंत ही उनकी पोल खोल देगा।

🚩संभवतः ऐसा करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इन मीडिया गिरोहों को पता है कि उनका एक फिक्स पाठक या दर्शक वर्ग है। जो ऐसी स्पिन दी हुई चीजों को हाथों-हाथ लपककर उन्हें वायरल कराता है जिससे इनके अतिप्रिय समुदाय विशेष के तमगे में उसके शांतिप्रिय होने का भाव तो जो बेकसूर है हिन्दू समुदाय उसके प्रतीकों और नामों के प्रति लोगों के अंदर घृणा और दुर्भावना फैलती है और ऐसा करना ही इनका असल मकसद है।

🚩यह कोई पहली ऐसी घटना नही है जो ईसाई अथवा मुस्लिम धर्मगुरु को हिंदू धर्मगुरु बताकर बदनाम किया हो वामपंथी बिकाऊ मीडिया हमेंशा से यही करती आई है कि ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं के दुष्कर्मो को छुपाना और पवित्र निर्दोष हिंदू साधू-संतों को बदनाम करना क्योंकि उनको पता है हिंदू सहिष्णुता के नाम पर पलायनवादी और वर्ण व्यवस्था के नाम पर जातियों में बंट गए हैं इसके कारण ये वामपंथी हिंदू धर्म को हमेंशा बदनाम करते हैं अभी भी सर्तक हो जाये और कुछ नही कर सके तो बिकाऊ वामपंथी मीडिया का बहिष्कार करें, उसके अखबार नही लें, उसके वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म और टीवी देखना बंद कर दें तो इनकी अक्कल ठिकाने आएगी फिर ये लोग हिन्दू धर्म के खिलाफ झूठ नही फेलायेंगें।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ