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Friday, September 4, 2020

ये कौनसा कानून है? नेता को बेल और संतों को जेल?

04 सितंबर 2020


तथाकथित बुद्धिजीवियों के एक बहुत बड़े वर्ग से सुनने को मिलता है कि "कानून अपना काम कर रहा है", "कानून सबके लिए समान है" , लेकिन वास्तव में क्या कानून सबके लिए एक है कि नहीं या क़ानून के रखवालें केवल समान बोलतें ही हैं कि उसका पालन भी करते हैं या नहीं, यह आपको जानना चाहिए।




आपको बता दें कि अखिलेश यादव सरकार में मंत्री रहे सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद गायत्री प्रसाद प्रजापति को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमानत दे दी है। लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में भर्ती गायत्री प्रसाद प्रजापति ने कोरोना वायरस संक्रमण का हवाला देकर जमानत की याचिका दायर की थी। गायत्री प्रसाद प्रजापति 15 मार्च, 2017 से जेल में है। गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ लखनऊ के गौतमपल्ली पुलिस स्टेशन में नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज है और उन पर पॉक्सो एक्ट भी है और कोर्ट ने इसी केस में प्रजापति को दो महीने की अंतरिम जमानत की मंजूरी दी है।

आपको यह भी बता दें कि जोधपुर जेल में 7 साल से बंद 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू को आज तक एक दिन भी जमानत नही दी गई जबकि उनकी धर्मपत्नी को हार्ट अटैक भी आया था उनके परिवार में 1-2 लोगों की मृत्यु भी हुई और उनकी उम्र भी ज्यादा है उनका स्वास्थ्य भी कई बार खराब हुआ है और कोरोना का खतरा सबसे ज्यादा अधिक उम्र वालों को होता है और जोधपुर जेल में कई कैदी कोरोना पोजेटिव भी पाए गए फिर भी उनकी सुनवाई नही हो रही हैं और सपा नेता को तुरंत जमानत दे दी इसके कारण आम जनता का भी कानून से भरोसा उठ रहा है।

जाकिर नाईक एवं मौलाना साद फरार और न्यायालय चुप रहता है पर हिंदू संतों को आधी रात में गिरफ्तार करने का आदेश देता है। इमाम बुखारी पर कई गैर जमानती वारंट हैं पर उसको गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं है।

बता दें कि जब किसी नेता, अभिनेता, जज या पत्रकार अथवा मुस्लिम और इसाई धर्मगुरु आदि पर आरोप लगते हैं तब सभी बुद्धजीवी बोलतें हैं कि जांच चल रही है, कानून अपना काम कर रहा है, कानून सबके लिए समान है आदि-आदि, लेकिन जैसे ही किसी हिंदुनिष्ठ या हिंदू साधु-संत पर झुठे आरोप लगते हैं तो सभी बोलने लग जाते हैं कि आरोपी पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं, फिर भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है, ये शर्मनाक बात है आदि-आदि, कुछ इस तरह के नारे लगते हैं और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया जाता है और सालों तक जमानत भी नहीं दी जाती है।

जैसे कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी पर हत्या का आरोप लगा और उनको आधी रात में गिरफ्तार कर लिया गया फिर वे बाद में निर्दोष बरी हुए।

वैसे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, स्वामी असीमानंद, स्वामी नित्यानंद, डीजी वंजारा जी आदि को भी सालों तक जेल में प्रताड़ित किया गया और आखिर में निर्दोष बरी हुए।

अभी वर्तमान में हिंदू संत आसाराम बापू का केस तो आप देख ही रहे हैं, उनके पास षडयंत्र के तहत फ़साने और निर्दोष होने के प्रमाण भी हैं फिर भी उनको जमानत नही दी जा रही है।

दूसरी ओर सलमान खान को सजा होने के बाद भी 1 घण्टे में ही जमानत मिल जाती है, संजय दत्त को बार-बार पेरोल मिल जाती है, लालू को सजा होने के बाद बेटे की शादी में जाने के लिए जमानत मिल जाती है, पत्रकार तरुण तेजपाल पर आरोप सिद्ध होने के बाद भी जमानत मिल जाती है, बिशप फ्रैंको को 21 दिन में जमानत मिल जाती है, इससे साफ सिद्ध होता है कि कानून केवल समान बोला जा रहा है पर कानून व्यवस्था देखने वाले समानता का व्यवहार नहीं कर रहे हैं।

कानून के हाथ भले ही लम्बे हों परन्तु लगता है कि नीति बहुत ही पक्षपाती है। देश में कई ऐसे कैदी हैं जिनके पास वकील रखने व जमानत लेने के पैसे नहीं हैं इसलिए जेल में सड़ रहे हैं, वे बाहर नहीं आ पा रहे हैं। किसी साधु-संत अथवा आम आदमी पर आरोप लगते ही गिरफ्तार कर लिया जाता है पर बड़े नेता-अभिनेता, अमीर आदि को गिरफ्तारी से पहले ही जमानत हासिल हो जाती है।

इन सब बातों से साफ पता चलता है कि कानून समान बोला जा रहा है पर उसका पालन नहीं हो रहा है इससे हिंदुनिष्ठ और आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है, यह जनता के लिए दुःखद बात है इस पर सरकार और न्यायालय को ठोस कदम उठाना चाहिए नहीं निर्दोष पीड़ित होते ही रहेंगे।

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Friday, June 12, 2020

मीडिया का एजेंडा : मौलवी-पादरियों के अपराध छुपाकर हिंदू संतों को बदनाम करना!

12 जून 2020

🚩वामपंथी बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य है कि ईसाई धर्मगुरु हो अथवा मुस्लिम धर्मगुरु हो उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिंदु साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिंदू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिंदू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं और बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।

🚩मुस्लिमपरस्ती में मीडिया का एक धड़ा इस कदर मदमस्त है कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण अर्थात कुछ भी करके पाठकों के सामने ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए।

🚩अभी ताजा मामला आजतक द्वारा प्रकाशित एक लेख का है। जिसमें विजुअल और लेख के गड़बड़झाले से असल अपराधी असलम को पूरी तरह से गायब कर लेख में ‘बाबा’ और ‘भक्त’ जैसे शब्दों का जानबूझकर प्रयोग करते हुए पाठकों को बरगलाने और समुदाय विशेष के असलम को बचाने की शातिराना कोशिश की गई है।

🚩क्या है असल में मामला

🚩मध्य प्रदेश के रतलाम के नयापुरा क्षेत्र में झाड़ फूँक और पानी फूँककर इलाज करने वाले असलम की मौत हाल ही में कोरोना से होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। क्योंकि जब प्रशासन ने असलम के संपर्क में आए लोगों की लिस्ट निकाली तो वो काफी लंबी-चौड़ी निकली। इसके बाद उन लोगों का सैंपल लिया गया, जिसमें से 19 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।

🚩लेकिन, जब मीडिया में इस न्यूज़ की रिपोर्टिंग हुई तो पूरा गिरोह असलम को बाबा, भक्त, भगवा को आगे कर बचाने की हड़बड़ी में लग गया। इन्हीं 19 कोरोना पॉजिटिव लोगों को आजतक ने ‘भक्त’ और झाड़फूँक कर इलाज का ढोंग करने वाले असलम को ‘बाबा’ लिखा है।

🚩मीडिया गिरोह का हिन्दूफ़ोबिक प्रपंच

🚩इस तरह से स्पिन देने के मामले में वैसे ‘आजतक’ अकेला नहीं है, ‘नई दुनिया’, ललनटॉप, Ndtv, द वायर से लेकर ज़्यादातर वामपंथी धड़े के मीडिया समूह सालों से खुला-खेल फर्रुखाबादी की तरह अक्सर मुस्लिम आलिम, मौलवी, मुल्ला या किसी झाड़फूँक करने वाले फकीर या ढोंगी को ये बाबा, तांत्रिक, साधु आदि नामों और भगवा, त्रिशूल, त्रिपुण्ड के विजुअल में छिपाते आए हैं।

🚩बहुत ही बारीकी से कभी प्रतीकात्मक तस्वीर के नाम पर तो कभी सीधे खुले में खेलते हैं कि कौन सी जनता जा रही है तहकीकात करने? अगर बाद में पता भी चला तो क्या हो जाएगा? क्योंकि आजतक कभी इन्हें अपनी इन हरकतों पर कोई बड़ा आउटरेज नहीं झेलना पड़ा।

🚩इस तरह से फेक न्यूज़ के माध्यम से ही सही लेकिन समुदाय विशेष के शातिर मुस्लिम अपराधी को बचाने और बेहद सहिष्णु समुदाय अर्थात हिन्दुओं और उनके धार्मिक प्रतीकों को बदनाम करने का उनका मकसद लम्बे समय से पूरा होता आया है।

🚩यहाँ एक बात विचारणीय है कि सोशल मीडिया के दौर में जब पब्लिक ही इन मीडिया गिरोहों के झूठ को पकड़ के इन्हें लताड़ती है तो भी ये पूरा वामपंथी इकोसिस्टम और मीडिया गिरोह उस सच्चाई उजागर करने वाले को ही हेट फ़ैलाने वाला कहकर अपने अपराधों और झूठ से पल्ला झाड़ती नजर आती है। बेनकाब होकर भी अपने किए की न कभी माँगते है और न ही इन्हें कोई अफ़सोस होता है।

🚩गौरतलब है कि नई दुनिया समेत कई अन्य मीडिया पोर्टल ने भी इसी तरह से एक बार फिर से असलम के आगे ‘बाबा’ लगाकर इसे हिंदू स्पिन देने की कोशिश की। वैसे ये पहला मामला नहीं है, जब किसी अखबार ने ऐसा करने की कोशिश की हो।

🚩इससे पहले भी आरोपित ‘मुस्लिमों’ की न केवल पहचान छिपाई गई, बल्कि इस चक्कर में हिंदुओं को बदनाम करने के लिए कई अन्य युक्तियाँ भी प्रयोग में लाई गई। जैसे हाल ही में रेप आरोपित एक और मुस्लिम आलिम असलम फैजी को ‘तांत्रिक’ बताया गया था और साथ ही जादू-टोना करने वाले मौलवी की जगह एक पुजारी का स्केच लगा दिया गया था।

🚩मीडिया गिरोह के लोग शायद अभी भी चेत नहीं रहे हैं। नहीं तो ऐसी गलती जानबूझकर बार-बार नहीं दोहरातें वो भी तब जब इन्हें पता है कि कोई भी दो चार कीवर्ड टाइप कर तुरंत ही उनकी पोल खोल देगा।

🚩संभवतः ऐसा करने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इन मीडिया गिरोहों को पता है कि उनका एक फिक्स पाठक या दर्शक वर्ग है। जो ऐसी स्पिन दी हुई चीजों को हाथों-हाथ लपककर उन्हें वायरल कराता है जिससे इनके अतिप्रिय समुदाय विशेष के तमगे में उसके शांतिप्रिय होने का भाव तो जो बेकसूर है हिन्दू समुदाय उसके प्रतीकों और नामों के प्रति लोगों के अंदर घृणा और दुर्भावना फैलती है और ऐसा करना ही इनका असल मकसद है।

🚩यह कोई पहली ऐसी घटना नही है जो ईसाई अथवा मुस्लिम धर्मगुरु को हिंदू धर्मगुरु बताकर बदनाम किया हो वामपंथी बिकाऊ मीडिया हमेंशा से यही करती आई है कि ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरुओं के दुष्कर्मो को छुपाना और पवित्र निर्दोष हिंदू साधू-संतों को बदनाम करना क्योंकि उनको पता है हिंदू सहिष्णुता के नाम पर पलायनवादी और वर्ण व्यवस्था के नाम पर जातियों में बंट गए हैं इसके कारण ये वामपंथी हिंदू धर्म को हमेंशा बदनाम करते हैं अभी भी सर्तक हो जाये और कुछ नही कर सके तो बिकाऊ वामपंथी मीडिया का बहिष्कार करें, उसके अखबार नही लें, उसके वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफार्म और टीवी देखना बंद कर दें तो इनकी अक्कल ठिकाने आएगी फिर ये लोग हिन्दू धर्म के खिलाफ झूठ नही फेलायेंगें।

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Wednesday, May 20, 2020

क्या इस खबर को छुपाया जा रहा है? इतने दिन हो गए अभी तक क्यो नही बताई गई?

20 मई 2020

🚩पुराणों में हमने पढा था कि कोई साधु-संत हवन करते अथवा तप करते तो उनको राक्षस लोग आकर प्रताड़ित करते थे, विघ्न डालते थे, हड्डियां फेकते थे यहाँ तक कि उनकी हत्या भी कर देते थे अथवा कोई राक्षक राजा होता था तो उनको जेल में डालकर प्रताड़ित करता था, क्योंकि साधु-संतों द्वारा जो समाज सुधार का कार्य होता था वो राक्षकों को पसंद नही आता था। यह सिलसिला आज भी जारी है, आज भी साधु-संत गांव-गांव , नगर-नगर जाकर भारतीय संस्कृति का प्रचार करते है, लोगो को सन्मार्ग पर चलाते है, व्यसन, मांस आदि छुड़वाते हैं, क्लबो और फिल्मों में जाने से रोकते है समाज में जो भी कुरीतियां अथवा बुराइयां फैली है उनको दूर करते हैं और जो लोग धर्मान्तरण आदि करवाते है उनके खिलाफ डटकर मुकाबला करते हैं इसलिए राष्ट्र एवं भारतीय संस्कृति के विरोधी लोगो को यह रास नही आ रहा है जिसके कारण जैसे पहले राक्षक लोग साधु-संतों के साथ करते थे ऐसी ही प्रताड़ना आज भी साधु-संतों के साथ कर रहे हैं।

पंजाब में संत की निर्मम तरीके से हुई हत्या...

🚩देश के अलग-अलग हिस्सों में एक के बाद एक संतों को निशाना बनाया जा रहा है। इस बार खबर पंजाब से आई है, जहां एक संत की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई। 

🚩खबरों के मुताबिक पंजाब के काठगढ़ थाना क्षेत्र में स्वराज माजदा फैक्ट्री के सामने नूरपुरबेदी स्थित डेरा ऋषि मुनि देशम आश्रम में रविवार (17 मई, 2020) को संत महा योगेश्वर महाराज का शव मिला। महात्मा के शव की पहचान नही हो पा रही थी, उनकी एक बाजू भी नही थी, महात्मा के बाल सिर से उखाड़े थे व सिर धड़ से अलग था उनका कमर तक शरीर खून से लथपथ था।

🚩इसकी जानकारी उस समय हुई कि जब पनियाली कलाँ का रहने वाला एक शिष्य जगदीश लाल आश्रम में उनके लिए भोजन लेकर पहुँचा था।

🚩जगदीश लाल के मुताबिक वह आश्रम में पहुँचा तो उसे आश्रम के अंदर से बदबू आ रही थी, उसने अंदर जाकर देखा तो कमरे में सारा सामान बिखरा हुआ था, जबकि संत महाराज का शव सड़ा हुआ जमीन पर पड़ा हुआ था। इसकी जानकारी तत्काल पुलिस को दी गई।

🚩कुछ ही देर में सूचना पर थाना काठगढ़ की पुलिस मौके पर पहुँची गई। इसके बाद पहुँची फारेंसिक टीम ने मौके से सबूत एकत्रित किए। इसी के साथ पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं पुलिस ने संत के भाई दिनेश कुमार के बयानों के आधार पर मुकदमा दर्ज कर लिया है। संत के भाई ने बताया कि लॉकडाउन और राज्य में लागू कर्फ्यू के कारण आश्रम पर श्रद्धालुओं का आवागमन बेहद कम हो गया था।

🚩वहीं मामले को लेकर अब पुलिस जाँच में जुट गई है। पुलिस हत्या के पीछे आश्रम की भूमि पर कब्जे और उसमें चोरी की नीयत आदि पहलुओं को लेकर भी जाँच कर सकती है, क्योंकि आश्रम के पास तीन एकड़ की भूमि है।

🚩थाना प्रभारी परमिंदर सिंह ने बताया कि संत का शव गल चुका था और यह कत्ल कुछ दिन पहले का हुआ था। लूटपाट से और दरवाजे की तोड़फोड़ से यह लुटेरों का काम लगता है। पुलिस ने संत के भाई के बयानों के आधार पर मामला दर्ज किया।

🚩जानकारी के मुताबिक 85 वर्षीय संत अवधूत महायोगेश्वर पिछले 40 सालों से भी ज्यादा समय से इस आश्रम रह रहे थे, जो कि हिमाचल के जिला मंडी के सरकाघाट के रहने वाले थे। वह अग्नि अखाड़ा काली कमली वाले ऋषिकेश से जुड़े हुए थे।

🚩आपको बता दें कि इससे पहले भी महाराष्ट्र के पालघर 16 अप्रैल, 2020 को 2 साधुओं सहित 3 लोगों की भीड़ द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस घटना का वीडियो 3 दिन बाद सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था, जिसके बाद लोगों को सच्चाई पता चली थी।

🚩संतों की मॉब लिंचिंग पर अखिल भारतीय संत समिति ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर इसकी सीबीआई जाँच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में भी दो साधुओं की हत्या की गई। कुछ इसी तरह अब पंजाब में एक संत की हत्या की घटना सामने आई है। 

🚩पालघर की खबर को जैसे छुपाया गया था ऐसे ही इस खबर को भी छुपाया जा रहा है? पालघर का 3 दिन बाद वीडियो वायरल हुआ फिर जनता को पता चला कुछ मीडिया तो लीपापोती करने लगी कि चोर समझकर मार दिया जबकि बाद में सच्चाई पता चली की वे संत हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे थे और सभी हिंदुओ को एक कर रहे थे और धर्मान्तरण पर रोक लगा रहे थे इसलिए हत्या हुई थी।

🚩इन सबसे पता चलता है की भारत मे जिस तरह से ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करवा रही हैं ओर नक्सलवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और मीडिया उनके पक्ष लेकर खड़ी रहती है तथा हिंदू साधु-संतों को जिस तरह से बदनाम कर रही है इससे साफ पता चलता है कि भारतीय संस्कृति को तोड़ने के लिए कार्य को जोरो-शोरो से किया जा रहा है और उसके बचाने के लिए सबसे ज्यादा आगे साधु-संत आते हैं इसलिए वें सबसे ज्यादा टारगेट पर है क्योंकि वें आदिवासियों को जीवनोपयोगी सामग्री, मकान आदि देते है जिससे मिशनरियों के प्रभाव में वे लोग न आये और धर्मपरिवर्तन न करे, दूसरा जिनका धर्मपरिवर्तन हो चुका है उनकी घरवापसी करवाते है इन सभी कारणों से मिशनरियां और इस्लाम स्टेट चिढ़ते है और साधु संतों को झूठे केस में फंसाकर मीडिया से बदनाम करवाकर जेल भिजवाते है या हत्या कर देते है और आम जनता को साधुओं के खिलाफ करते है जिससे उनका काम आसानी हो सके और भारत की भोली जनता उनके बहकावे में आ जाये और निर्दोष लोगों की हत्या तक करने को तैयार हो जाये।https://bit.ly/2LNJsJK

🚩अभी भी हिंदुओं के लिए समय है चेत जाए एकजुट होकर राष्ट्रवादी सरकार को वोट दे और बिकाऊ मीडिया का सोशल मीडिया पर पर्दाफाश करे और धर्मान्तरण पर रोक लगाकर साधु-संतों की रक्षा करे।

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