Thursday, March 23, 2017

गंगा-यमुना को मानव का दर्जा ,प्रदूषित किया तो होगी जेल : उच्च न्यायालय

गंगा-यमुना को मानव का  दर्जा ,प्रदूषित किया तो होगी जेल : उच्च न्यायालय 

भारत का हर बारहवां व्यक्ति गंगा के किनारे रहता है।  20 लाख लोग औसतन प्रति दिन गंगा स्नान करते हैं, #त्योहारों पर यह संख्या करोड़ों हो जाती है । लेकिन उसमे कत्ल खानें का पानी एवं गंदे नाले का पानी और कचरा फैंकने के कारण इतनी गंदगी हो गई है कि सफाई करने के नाम पर सरकार करोड़ो रूपये आवंटित करती है लेकिन भ्रष्ट तंत्र के कारण माँ गंगा में अभी तक सफाई नही हो पाई है ।
Ganga Yamuna

#नैनीताल उच्च #न्यायालय ने #ऐतिहासिक निर्णय लिया है, सोमवार को गंगा और यमुना नदी को सजीव मानव का दर्जा दिया। न्यायालय ने कहा, इन दोनों नदियों को क्षति पहुंचाना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने जैसा माना जाएगा। ऐसे में आईपीसी के तहत मुकदमा चलेगा और व्यक्ति को जेल भी हो सकती है।

न्यायमूर्ती राजीव शर्मा और #न्यायमूर्ति आलोक सिंह कि खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कि परिसंपत्तियों के बंटवारे से संबंधित जनहित याचिका पर निर्देश जारी किए है।

गंगा नदी से निकलने वाली नहरों आदि सम्पति का बंटवारा आठ सप्ताह में करने के आदेश भी हाईकोट ने पारित किए हैं। 

गंगा-यमुना को मानव दर्जा देने के अलावा #देहरादून के जिलाधिकारी को 72 घंटे के भीतर शक्ति नहर ढकरानी को अतिक्रमण मुक्त करने के सख्त निर्देश दिए हैं।


हाईकोर्ट में यह मामला 2013 से चल रहा था।
यह याचिका देहरादून निवासी मोहम्मद सलीम ने दायर की थी। #गंगा-यमुना को दिए गए अधिकार का उपयोग तीन सदस्यीय समिति करेगी। यानी यह समिति इन नदियों को क्षति पहुंचाए जाने से संबंधित सभी मुकदमों की पैरवी करेगी। इसमें #उत्तराखंड के मुख्य सचिव, नैनीताल उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता और नमामी गंगे प्राधिकरण के महानिदेशक शामिल किए गए हैं।


मोहम्मद सलीम कि ओर से वरिष्ठ वकील एम.सी पंत ने गंगा-यमुना की खराब दशा बताते हुए #न्यूजीलैंड में नजीर नदी  को जीवित प्राणी का दर्जा देने का भी हवाला दिया। उनकी दलील पर न्यायालय ने गंगा-यमुना को भी जीवित प्राणी का दर्जा देने के निर्देश दिए। पंत ने बताया कि न्यायालय के पास किसी को भी वैधानिक व्यक्ति का दर्जा देने का अधिकार है। इसी आधार पर गंगा-यमुना को यह दर्जा दिया गया है।

वरिष्ठ #अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि अभी तक गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए वाटर प्रोटेक्शन एंड #कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट के तहत कार्रवाई होती थी। इसके अलावा अब गंगा-यमुना पर भी मुकदमा दर्ज किया जा सकेगा।

#इतिहासकार और पहाड़ी संस्कृति और भूगोल के जानकार #शेखर पाठक कहते हैं कि "मज़ेदार बात यह है कि निर्णय दिखाता है कि हमारी कार्यपालिका या ये कहें कि जो हमारी सरकारें और प्रशासन हैं, वे एक तरह से जो चीज़ें सामान्य रूप से कि जा सकती हैं उनमें भी वे कितने गैरज़िम्मेदार हैं । इस पर भी एक तरह से अपना गुस्सा न्यायालय ने अभिव्यक्त किया है ।

#गंगा, भारत की सबसे लंबी नदी है लेकिन दुनिया की सबसे गंदी नदियों में भी एक बताई जाती है ।

#गंगा के #प्रदूषण और गंदगी से निपटने के लिए दशकों से योजनाएं बनाई जा रही हैं । नमामि गंगे नाम से एक विराट सफाई अभियान मौजूदा केंद्र सरकार ने शुरू किया है ।

पिछले ही महीने केंद्र ने 1900 #करोड़ रुपए की परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई है लेकिन मोक्षदायिनी गंगा को अभीतक गंदकी से मुक्ति नही मिल पा रही है ।



माँ गंगा की महिमा

#वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले #बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं ।ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं ।


डॉ. #नौटियाल बताते हैं, “#गंगा के पानी में ऐसा कुछ है जो कि बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है । उसको नियंत्रित करता है ।”

डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से #आक्सीजन सोखने की #अद्भुत क्षमता है ।  दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली #गंदगी को #हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है ।

वे कहते हैं कि दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक #किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है ।

वेद , #पुराण , #रामायण, #महाभारत सब #धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है ।http://goo.gl/RHaHL7


अब इतनी भारी महिमा से भरी माँ गंगे की कब पूर्ण होगी सफाई यह एक बढ़ा सवाल है?

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